अन्य विषयों की पाठ्य पुस्तकों से हिन्दी की पाठ्य पुस्तक की भिन्नता बताइए | हिंदी पाठ्यचर्या निर्माण के सोपान का वर्णन करें।

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प्रश्न – अन्य विषयों की पाठ्य पुस्तकों से हिन्दी की पाठ्य पुस्तक की भिन्नता बताइए | हिंदी पाठ्यचर्या निर्माण के सोपान का वर्णन करें।

उत्तर – हिन्दी एक भाषा है। वह इस महादेश की राजभाषा के साथ-साथ लगभग आधी आबादी की मातृभाषा भी है। वह ज्ञान के विभिन्न स्त्रोतों एवं शिक्षा का माध्यम है। भाषा और साहित्य के नाते ज्ञान के विभिन्न स्त्रोतों और मानव जीवन के सभी रंगों से उसका सम्बन्ध है। भाषा मानव के सांवेगिक, मानसिक, सामाजिक विकास का आधार होती है । इस प्रकार हिन्दी का क्षेत्र बहुत व्यापक है। भाषा और साहित्य में स्वयं अपने आप में विभिन्न दृष्टियों से व्यापकता होती है। हिन्दी की पाठ्य पुस्तक में भाषा के विभिन्न पक्षों के अलावा साहित्य, संस्कृति धर्म, कला, इतिहास, भूगोल, विज्ञान, वाणिज्य, प्रकृति और मनोरंजन आदि अनेक विषयों की सामग्री का समावेश होता है जो किसी भी एक विषय से सम्भव नहीं है । इस प्रकार हम देखते हैं कि हिन्दी की पाठ्य पुस्तक अनेक दृष्टियों से अन्य विषयों की पाठ्य-पुस्तकों से भिन्न है। हिन्दी की पाठ्य पुस्तकें दो प्रकार की होती हैं-

(1) गहन अध्ययन वाली पुस्तकें, (2) द्रुतवाचन वाली पुस्तकें |

गहन अध्ययन वाली पुस्तकों में वे पुस्तकें आती हैं, जिनके द्वारा बच्चों का भाषा ज्ञान बढ़ाया जाता है, इनका अध्ययन गम्भीरतापूर्वक किया जाता है। दूसरे प्रकार की पुस्तकों में वे पुस्तकें आती हैं, जिनके द्वारा बच्चों का भाषा ज्ञान दृढ़ किया जाता है। उन्हें स्वाध्यायी बनाया जाता है, इन्हें सहायक पुस्तकें या विस्तृत अध्ययन की पुस्तकें भी कहते हैं।

भाषा – शिक्षण का अपना महत्त्व है। बालकों का बौद्धिक, नैतिक, सांस्कृतिक एवं सामाजिक विकास भाषा पर निर्भर करता है। हिन्दी स्वयं एक विषय ही नहीं, अन्य विषयों का भाषा के रूप में माध्यम भी है। हिन्दी पहली कक्षा से लेकर बारहवीं कक्षा तक अनिवार्य विषय के रूप में पढ़ायी जाती है | विषय-सामग्री एवं स्तरानुकूल भिन्न-भिन्न कक्षाओं के लिए भिन्न-भिन्न पाठ्यचर्याओं का निर्माण किया जाता है। हिन्दी पाठ्यचर्या निर्माण के निम्नलिखित सोपान हैं—

  1. उद्देश्यों का निर्धारण – प्रत्येक विषय की पाठ्यचर्या के लिए उसके शैक्षणिक उद्देश्यों का निर्धारण आवश्यक है। ये उद्देश्य प्रत्येक विषय के अपनी प्रकृति के अनुसार विभिन्न कक्षा स्तरों के लिए अलग-अलग होते हैं। हिन्दी – पाठ्यचर्या के निर्माण के लिए भी स्तरानुकूल उद्देश्यों का निर्धारण करना चाहिए।
  2. विषय – सामग्री का चयन – निर्धारित उद्देश्यों को प्राप्त करने के लिए विषय-सामग्री का चयन किया जाता है। हिन्दी – शिक्षण के उद्देश्य के अनुरूप गद्य, पद्य, रचना, व्याकरण आदि का चयन पाठ्यचर्या में करना चाहिए ।
  3. विषय सामग्री चयन के आधार– निर्धारित उद्देश्यों के आधार पर विषय-सामग्री का चयन हुआ है अथवा नहीं अर्थात् वे कौन-से आधार हैं, जिनके अनुसार कहा जा सकता है कि यह चयन की गयी विषय-सामग्री उपयुक्त है और यह उद्देश्य प्राप्ति के सार्थक और सक्षम है। इन आधारों को पाठ्यचर्या संगठन के सिद्धान्त भी कहा जाता है जिनका वर्णन आगे किया जा रहा है।

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