अब्दुर्रहमान द्वितीय के उत्तराधिकारी (Successors of Abdurehman II)

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अब्दुर्रहमान द्वितीय के उत्तराधिकारी (Successors of Abdurehman II)

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अब्दुर्रहमान में शासनकाल में स्पेन में किसी न किसी रूप में उमैयद की शक्ति सुदृढ़ भी रही। अब तक जिन शासकों ने लगभग सफलतापूर्वक शासन किया, उनमें किसी प्रकार के सूझबूझ की कमी दृष्टिगोचर नहीं होती है। अब्दुर्रहमान द्वितीय के शासनकाल में राज्य की प्रशासनिक व्यवस्था दिन-प्रतिदिन बिगड़ती चली गयी और विघटनकारी तत्वों के सक्रिय हो जाने से राज्य की सीमा सिकुड़ती गयी और अब्दुर्रहमान द्वितीय के उत्तराधिकारी उसे बचाने में असफल रहे। एक दिन ऐसा भी आया, जबकि उमैयद राज्य की सीमा संकुचित होकर इतनी छोटी हो गयी कि केवल कोडोंवा पर ही अमीरों का अधिकार रह गया। बाद में चलकर अब्दुर्रहमान अल नासिर तृतीय ने पुनः उमैयद सत्ता को सुदृढ़ बनाया और राज्य की सीमा का समुचित विस्तार किया। उसके शासनकाल में ही उमैयद ने पूरे स्पेन पर सत्ता की स्थापना की। उसके साम्राज्य को संगठित करके विकास के मार्ग पर प्रशस्त किया। किंतु वह केवल टिमटिमाते दीये की अंतिम लौ थी, जो जल्द ही बुझकर शांत पड़ गयी। मुहम्मद, मंजीर तथा अब्दुल्ला विशेष रूप से अब्दुर्रहमान द्वितीय के उत्तराधिकारियों के रूप में उल्लेखनीय हैं। किंतु इनका शासनकाल भी अशांति एवं अव्यवस्था का काल रहा। राज्य पर फ्रैंको तथा अन्य विदेशी आक्रान्ताओं के आक्रमण होते रहे जिससे केंद्रीय सत्ता कमजोर पड़ती चली गई।
मुहम्मद, (852-886 ई.) : मोहम्मद ने कुछ कानून बनाए जिससे शासन मजबूत हो सके। इस कारण से उसकी अयोग्यता सिद्ध नहीं की जा सकती, कोर्डोवा (आन्दालुसिया) के शासन का समुचित संगठन किया तथा न्याय प्रणाली में समय के अनुरूप बदलाव किए। किन्तु राज्य के अंदर होने वाले विद्रोहों तथा बाह्य आक्रमणों के चलते वह खोखला एवं शक्तिहीन होता गया। तोलेदो में होने वाले विद्रोह का सामना सबसे पहले मुहम्मद को करना ड्रा। गुएदासेलेट में 854 ई. में विपक्षी सेना को समाप्त करके विपक्षी नेताओं को फांसी लगवा दी गयी । इस प्रकार अमीर की शक्ति के भय से साम्राज्य में सर्वत्र शांति स्थापित हो गयी, तोलेदों में विद्रोह हो गया। मुहम्मद ने इनका दमन करना शुरु कर दिया। मुहम्मद को इस कदर उलझा देख फ्रैंको ने स्पेन के उत्तरी प्रांतों पर आक्रमण कर दिया। स्पेन के तटवर्ती प्रदेशों पर नार्मन जाति के लोगों ने हमला कर जनता को लूटना आरंभ कर दिया । किन्तु अमीर की मौसेना सक्रिय हो उठी और उसने नार्मनों के छक्के छुड़ा दिये। नार्मनों के पैर उखड़ गये और वे भाग खड़े हुए। विजयी मुस्लिम सेना ने आगे. बढ़ते हुए गेलीशिया, लियोन तथा नाबेरे के शत्रु-राज्यों पर आक्रमण कर दिया। नावेरे को मटियामेट कर दिया गया और उसकी राजधानी पम्पेलुना पर मुहम्मद की सेना ने अधिकार कर लिया। फिर लियोन के शासक को संधि करने के लिये विवश कर दिया लेकिन चार वर्षों के अन्तराल के बाद शांति संधि की स्थापना की। मुहम्मद ने विदेशी शत्रुओं को पराजित करने में व्यापक सफलता हासिल की। पर इसी बीच राज्य के अंदर विघटन के तत्व अत्यंत सक्रिय हो उठे। अरागान के शासक ने अपनी स्वतंत्रता की घोषणा कर दी और जल्द ही सारगोसा, तुलेदा तथा हुईस्का के क्षेत्रों पर कब्जा जमा लिया। उसने अमीर के साथ अपने सारे संबंध विच्छेद कर दिए और स्वयं को एक स्वतंत्र अमीर घोषित कर दिया। इसी समय पश्चिम में बोबास्त्रो, कोन्डा, मलागार आदि क्षेत्रों में भयंकर विद्रोह भड़क उठे।
विद्रोह का दमन करने के लिए मुहम्मद ने अपने पुत्र मंजीर को भेजा। सर्वप्रथम मंजीर ने उत्तर में विद्रोह का दमन किया और सारगोसा, रूता, कारथेगना तथा लेरीबाडी पर अधिकार कर लिया। मंजीर ने 885 ई. में मारवान के विद्रोहियों पर हमला कर दिया। अलहमा में विद्रोही छिपे थे। उसे उसने घेर लिया। दुर्भाग्यवश इसी समय (अगस्त, 886 ई.) उसे अपने पिता की मृत्यु की सूचना मिली और वह अपने विजय अभियान को मार्ग में छोड़कर राजधानी वापस लौट गया।
मंजीर (886-888 ई.) : मुहम्मद की मौत के बाद मंजीर अमीर बना तथा उसने विजय के अधूरे काम को पूर्ण किया। आकिडोवा पर उसने कब्जा कर लिया। बोबास्त्रों पर मुस्लिम सेना ने आक्रमण किया, उसी समय जुलाई, 888 ई. में विद्रोहियों ने मंजीर को मौत के घाट उतार दिया। इस प्रकार अमीर के पद पर वह मात्र दो वर्ष तक ही रह सका ।
अब्दुल्ला (888-912 ई.) : अब्दुल्ला मंजीर का पुत्र था । उसमें वे लगभग समस्त गुण विद्यमान थे, जो एक अमीर में होने चाहिए। उसने 888 ई. में अमीर का पद सम्भाला। अब्दुल्ला एक सीमित योग्यता का व्यक्ति था, अतः साम्राज्य में सर्वत्र छायी हुई अशांति और विद्रोह को रोकने में असफल रहा। संपूर्ण साम्राज्य गृहकलह और विद्रोह की अग्नि में झुलसने लगा। सुदृढ़ केन्द्रीय सत्ता के अभाव में लोरसा, सारगोसा, मटेसा, सिडोवा आदि क्षेत्र स्वतंत्र हो गये। इब्राहिम बिन इज्जाजसेविला को अपने कब्जे में कर लिया और विभिन्न अरब अमीरों के अधीन साम्राज्य के अलगाखे, बेजा, सानइस्टेबेन जाईन, मरसिया आदि के क्षेत्र उमैयद सत्ता से स्वतंत्र हो गये। कोर्डोवा पर हमला करने के उद्देश्य से स्थानीय शासक उमर बिन हफसून ने षड़यंत्र बना लिया। अब्दुल्ला ने विद्रोहियों का सफाया करने का निर्णय किया। उसने पोलई, इकीजा, आर्किडोन, इलबीरा आदि क्षेत्रों में विद्रोहियों का दमन कर उमैयद सत्ता को पुनःस्थापित किया । अलजेजियर्स से लेकर निबला तक के प्रदेश पुनः उमैयद राज्य में मिला लिये गये। अब्दुल्ला ने शासन का समुचित संगठन कर उसे स्थायित्व भी प्रदान किया।
अब्दुर्रहमान तृतीय (912-961 ई.) – अब्दुर्रहमान तृतीय का राज्यभिषेक किया गया । राज्यारोहण के समय विरासत के रूप में उसे जो राज्य मिला, वह केवल कोर्डोवा तक ही सीमित था, किंतु, अब्दुर्रहमान ने तात्कालिक परिस्थितियों का सही चयन किया और उसने स्वयं को उन घड़ियों का सही व्यक्ति सिद्ध किया। उसके अन्दर एक कुशल शासक के गुण विद्यमान थे। स्पेन के मुस्लिम के लिए अब्दुर्रहमान का राज्यारोहण शुभ सिद्ध हुआ। अपनी योग्यता और महत्वाकांक्षा के बल पर उसने राज्य के विघटन को रोका, विजय अभियानों के द्वारा राज्य का अद्वितीय विस्तार किया, संगठन के कार्यों को संपादित कर साम्राज्य में शांति-सुव्यवस्था की स्थापना की, बाह्य आक्रान्ताओं से साम्राज्य को सुरक्षा प्रदान की और सभ्यता संस्कृति के क्षेत्र में व्यापक प्रगति लाकर राज्य को समुन्नत बनाया। खलीफा का पद धारण करने वाला वह स्पेन का प्रथम उमैयद शासक था। स्पेन के मुसलमानों को धार्मिक नेतृत्व देकर पश्चिम में एक स्वतंत्र खलीफाई की स्थापना की। वह मूर व स्पेन को महत्व को भलीभांति जानता था, इसलिए उनके विकास को प्राथमिकता दी ।
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