कवि को भारत में भारतीयता क्यों नहीं दिखाई पड़ती ? (उत्तर 30 शब्दों में दें)
प्रश्न – कवि को भारत में भारतीयता क्यों नहीं दिखाई पड़ती ? (उत्तर 30 शब्दों में दें)
उत्तर – किसी देश के प्रति वहाँ के जनता की कितनी निष्ठा है, देशवासी को अपने देश की संस्कृति में कितनी आस्था है यह उसके रहन-सहन, बोल-चाल, खान-पान से पता चलता है। कवि को भारत में स्पष्ट दिखाई पड़ता है कि यहाँ के लोग विदेशी रंग में रंगे हैं। खान-पान, बोल-चाल, हाट-बाजार अर्थात् सम्पूर्ण मानवीय क्रिया-कलाप में अंग्रेजीयत-ही-अंग्रेजीयत है। पाश्चात्य सभ्यता का बोलबाला है। भारत का पहनावा, रहन-सहन, खान-पान कहीं दिखाई नहीं देता है। हिंदू हों या मुसलमान, ग्रामीण हों या शहरी, व्यापार हो या राजनीति चतुर्दिक अंग्रेजीयत की जय-जयकार है। भारतीय भाषा, संस्कृति, सभ्यता धूमिल हो गई है। अतः कवि कहते हैं कि भारत में भारतीयता दिखाई नहीं पड़ती है।
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