क्या आतंकवाद लोकतंत्र की चुनौती है ? स्पष्ट करें।
प्रश्न – क्या आतंकवाद लोकतंत्र की चुनौती है ? स्पष्ट करें।
उत्तर – लोकतंत्र से जनता की एक अपेक्षा यह भी है कि इस शासन व्यवस्था में उसका जीवन सुरक्षित रहे तथा शांति और सुरक्षा का वातावरण बना रहे। भाईचारा और सहयोग पर आधृत विकास की प्रक्रिया व्यक्ति के सर्वांगीण विकास का संबल बने। इन्हीं गुणों के कारण लोकतंत्र एक नैतिक व्यवस्था बनता है। लोकतंत्र में घृणा, द्वेष, ईर्ष्या, स्वार्थ, हिंसा, संघर्ष जैसी प्रवृत्तियों के पनपने से नैतिकता समाप्त हो जाती है। आतंकवाद लोकतंत्र के समक्ष प्रमुख चुनौती है। आतंक से जनता परेशान हो जाती है। आतंक के वातावरण में जनता का जीना कठिन हो जाता है। विकास की प्रक्रिया में बाधा उत्पन्न होती है। नागरिकों के बीच भाईचारे का वातावरण प्रभावित होता है तथा राष्ट्र की एकता और अखण्डता खतरे में पड़ जाती है।
वर्तमान में नक्सली एवं अलगाववादी गतिविधियाँ भारतीय प्रजातंत्र के लिए गंभीर चुनौती बनी हुई हैं। पूर्वोत्तर की आतंकवादी और नक्सली गतिविधियाँ अलगाववाद और हिंसा को बढ़ाती हैं। ये राष्ट्र की एकजुटता को प्रभावित करती हैं और लोकतंत्र को कमजोर बनाती हैं।
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