निम्नलिखित गद्यांशों में से किसी एक गद्यांश को पढ़कर नीचे दिए गए प्रश्नों के दें। प्रत्येक प्रश्न दो अंकों का होगा।

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प्रश्न – निम्नलिखित गद्यांशों में से किसी एक गद्यांश को पढ़कर नीचे दिए गए प्रश्नों के दें। प्रत्येक प्रश्न दो अंकों का होगा। 
(क) अच्छे बुरे का निर्माण हम स्वयं करते हैं। हमें सदैव शुभ संकल्प ही करना चाहिए। यजुर्वेद के एक मंत्र में यही प्रार्थना की गई है कि- ‘हे प्रभो। हमें बराबर कल्याण को प्राप्त कराइए ।’ केवल संसाधनों की उपलब्धि ही नहीं, वरन पारमार्थिक सत्य की सिद्धि ही सच्चे अर्थों में कल्याण है। संत सभा के सेवन तथा हरि गुण गायन से ही इनकी उपलब्धि संभव है। सफलता के लिए केवल संकल्प ही पर्याप्त नहीं है, तदनुरूप आचरण एक ऐसे दर्पण के सदृश है, जिसमें हर मनुष्य को अपना प्रतिबिंब दिखाई देता है। मनुष्य के कर्म ही उसके विचारों की सबसे अच्छी व्याख्या है। हम जिस वस्तु की कामना करते हैं, उसी से हमारे कर्म की उत्पत्ति है।
(i) अच्छे बुरे का निर्माण कौन करता है?
(ii) यजुर्वेद के एक मंत्र में क्या प्रार्थना की गयी है?
 (iii) किसमें हर मनुष्य को अपना प्रतिबिंब दिखाई देता है?
(iv) सच्चे अर्थ में कल्याण का क्या अर्थ है ?
(v) मनुष्य के विचारों की सबसे अच्छी व्याख्या क्या है ?
(ख) फिलीपींस में एक लोककथा प्रचलित है कि, बहुत पहले सारी दुनिया में देवताओं का राज्य था । पृथ्वी लोक, समुद्र लोक और आकाश लोक के देवता अपने लोक के पूर्ण स्वामी हुआ करते थे। आकाश लोक के राजा सूर्य देवता थे, जिनकी पुत्री ‘लूना’ यानि चंद्रिका को घुड़सवारी का बड़ा शौक था। उसके पास एक सोने का रथ था, जिसमें बैठ कर वह स्वर्ग में सैर किया करती थी। एक दिन वह अपनी धुन में आकाश लोक की सैर करते-करते अपने पिता के साम्राज्य के आखिरी छोर पर पहुँच गई, जहाँ सूर्य देवता का साम्राज्य समाप्त होता था और समुद्र लोक का साम्राज्य शुरू होता था। विशाल समुद्र को पहली बार देखकर वह आश्चर्यचकित रह गई उसने इतना सुंदर नजारा पहले कभी नहीं देखा था।
(i) फिलीपींस के लोक कथा के अनुसार दुनिया में किसका राज्य था?
 (ii) आकाश लोक के राजा कौन थे?
 (iii) सूर्य देवता की पुत्री का क्या नाम था?
 (iv) लूना सैर करते-करते कहाँ पहुँच गई ?
 (v) सूर्य देवता के साम्राज्य समाप्त होने पर किसका साम्राज्य शुरू होता था ?
उत्तर –
(क) (i) अच्छे बुरे का निर्माण हम स्वयं करते हैं
(ii) यजुर्वेद के एक मंत्र में यही प्रार्थना की गई है कि- ‘हे प्रभो। हमें बराबर कल्याण की प्राप्ति कराइए । ‘
(iii) तदनुरूप आचरण एक ऐसे दर्पण सदृश है, जिसमें हर मनुष्य को अपना प्रतिबिंब दिखाई देता है।
(iv) केवल संसाधनों की उपलब्धि ही नहीं, वरन पारमार्थिक सत्य की सिद्धि ही सच्चे अर्थों में कल्याण है।
(v) मनुष्य के कर्म ही उसके विचारों की सबसे अच्छी व्याख्या है।
(ख) (i) फिलीपींस के लोककथा के अनुसार दुनिया में देवताओं का राज्य था।
(ii) आकाश लोक के राजा सूर्य देवता थे।
(iii) सूर्य देवता की पुत्री का नाम लूना था।
(iv) लूना सैर करते-करते समुद्र लोक पहुँच गई ।
 (v) सूर्य देवता के साम्राज्य समाप्त होने पर समुद्र लोक का साम्राज्य शुरू होता था।

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