निम्नलिखित गद्यांश को ध्यानपूर्वक पढ़कर नीचे लिखे प्रश्नों के उत्तर दें –
प्रश्न – (अ) निम्नलिखित गद्यांश को ध्यानपूर्वक पढ़कर नीचे लिखे प्रश्नों के उत्तर दें –
बिठोबा के आनंद का ठिकाना न था। वह एक हरिजन बालक था। बापू ने हरिजन-उद्वार के लिए अनशन रखा था। उन्होंने बालक के सिर पर हाथ फेरते हुए कहा, “बिठोबा मैं तुम्हारे लाए संतरे से ही अनशन तोडूंगा।” विठोबा एक-एक पैसा जोड़ने लगा। किसी का बोझा उठा देता, किसी के यहाँ झाडू लगा देता और किसी का कूड़ा बस्ती से दूर फेंक आता। वह इतने पैसे जोड़ना चाहता था कि दो-चार अच्छे संतरे खरीद सके, पर उसकी समस्या हल नहीं हो रही थी। बापू का अनशन टूटने का दिन भी आ गया।
विठोबा आनंद में मग्न सब से कहता, “कल बापू मेरे संतरे से अपना अनशन तोड़ेंगे।” लोग उसे सनकी समझते। वे हँसते हुए कहते, “यह सौभाग्य तो बड़ों-बड़ों को भी दुर्लभ है, तुम किस गिनती में हो! टोकरे-के-टोकरे संतरे आ रहे हैं।” बिठोबा सोच में पड़ गया, पर संतरे तो खरीदने ही थे। संतरे के भाव जान वह दंग रह गया। मेरे पास तो चार ही आने हैं। मुझे चार संतरे तो चाहिए ही, तभी एक गिलास रस निकलेगा। एक फलवाले ने उसे चार आने में चार छोटे-छोटे संतरे उसके हाथ में थमा दिए। बिठोबा संतरे लेकर दौड़ पड़ा। बापू के अनशन तोड़ने का समय हो चला था। सब बापू की जीवन रक्षा के लिए प्रार्थना कर रहे थे। ताजा रस निकाला जा रहा था, पर बापू राम धुन गाते हुए भी बिटोबा की प्रतीक्षा में आँख बिछाए थे। तभी दौड़ता हुआ बिठोबा आया। पर कोई उसे भीतर जाने दे तो। बापू ने पूछा, “विठोबा नहीं आया?” खोज होने लगी। किसी ने पुकारा, “बिठोबा!” “जी हाँ,” कहते-कहते उसका गला रुँघ गया।” अरे, जल्दी भीतर चलो, बापू तुम्हें बुला रहे हैं। वे तेरे संतरों की बाट देख रहे हैं।” उसने संतरे बापू के हाथ में दे दिए। बापू ने बिठोबा के सिर पर हाथ फेरते हुए उन्हीं सतरों का रस पीकर अनशन तोड़ा।
निम्नांकित प्रश्नों के उत्तर दें –
(क) बिठोबा कौन था? वह पैसे क्यों जोड़ना चाहता था ?
(ख) पैसे इकट्ठे करने के लिए बिठोबा को किन-किन कठिनाइयों का सामना करना पड़ा?
(ग) बिठोबा सनकी है— लोग उसके बारे में ऐसा क्यों सोचते थे?
(घ) बिठोबा ने कितने पैसे इकट्ठे किए और उसका क्या खरीदा?
(ङ) अनशन तोड़ने के लिए बापू किसकी बाट जोह रहे थे?
(च) इस गद्यांश का एक समुचित शीर्षक दें।
(ब) निम्नांकित गद्यांश को ध्यानपूर्वक पढ़कर नीचे लिखे प्रश्नों के उत्तर दें
मनुष्यरूपी तलवार की धार चरित्र है। अगर इस धार में तीक्ष्णता है, तो यह तलवार भले ही लोहे की हो – अपने काम में अधिक कारगर सिद्ध होती है। इसके विपरीत यदि इस तलवार की धार मोटी है, भद्दी है, तो वह तलवार- -सोने की ही क्यों न हो- हमारे किसी काम की नहीं हो सकती। इस प्रकार यदि किसी का चरित्र ही नष्ट हो गया हो, तो वह मनुष्य मुर्दे से बदतर है, क्योंकि मुर्दा तो किसी और का बुरा नहीं कर सकता, पर एक चरित्रभ्रष्ट मनुष्य अपने साथ रहनेवालों को भी अपने ही रास्ते पर ले जाकर अवनति एवं सत्यानाश के भयावह गड्ढे में ढकेल सकता है।
निम्नांकित प्रश्नों के उत्तर दें –
(क) मनुष्य का चरित्र कैसा होना चाहिए?
(ख) जीवित मनुष्य मुर्दा से भी बदतर कब हो जाता है ?
(ग) चरित्रभ्रष्ट व्यक्ति की संगति का प्रभाव कैसा होता है?
(घ) इस गद्यांश का एक उचित शीर्षक दें। दिए गए
उत्तर – (अ) (क) बिठोबा हरिजन सपूत था। वह गाँधीजी के अनशन तोड़ने हेतु संतरा खरीदने के लिए पैसे जोड़ रहा था। (ख) पैसे इकट्ठे करने के लिए बिठोबा किसी का बोझ उठा देता। झाडू लगा देता तो किसी का कूड़ा फेंक देता था। (ग) एक अछूत के मुँह से अनशन तुड़वाने की बात को लोग हजम नहीं कर पा रहे थे। अतः ऐसा सोचते थे। (घ) बिठोबा ने चार आने पैसे इकट्ठे किए एवं उसके चार संतरे खरीदे। (ङ) बापू अनशन तोड़ने के लिए बिठोबा की बाट जोह रहे थे। (च) अछूतोद्धार ।
(ब) (क) मनुष्य का चरित्र तलवार की धार की तरह तेज होना चाहिए। (ख) मनुष्य का चरित्र जब भ्रष्ट हो जाता है, तो वह मुर्दे से भी बदतर हो जाता है। (ग) चरित्र भ्रष्ट व्यक्ति अपनी संगति में गड्ढे में धकेल देता है। (घ) उत्तम चरित्र अथवा चरित्र की महत्ता ।
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