निम्नलिखित प्रश्नों में से किन्हीं पाँच प्रश्नों के उत्तर प्रत्येक लगभग 20-30 शब्दों में दें।
प्रश्न – निम्नलिखित प्रश्नों में से किन्हीं पाँच प्रश्नों के उत्तर प्रत्येक लगभग 20-30 शब्दों में दें।
(क) काशू और मदन के बीच झगड़े का कारण क्या था ?
(ख) नृत्य की शिक्षा के लिए पहले-पहल बिरजू महाराज किस संस्था से जुड़े और वहाँ किनके सम्पर्क में आए ?
(ग) गाँधी जी बढ़िया शिक्षा किसे कहते हैं?
(घ) मुक्ति के लिए किसे अनिवार्य माना गया है?
(ङ) कवि की दृष्टि में आज के देवता कौन हैं और वे कहाँ मिलेंगे ?
(च) ‘हमारी नींद’ शीर्षक कविता किस कविता संकलन से ली गई है?
(छ) लक्ष्मण कहाँ नौकरी करता था ?
(ज) ‘माँ’ कहानी के लेखक का क्या नाम है? वे कहाँ के रहने वाले हैं?
(झ) गाँधीजी किस तरह के सामंजस्य को भारत के लिए बेहतर मानते हैं, क्यों?
(ञ) हिरोशिमा में मनुष्य की साखी के रूप में क्या है?
उत्तर –
(क) उत्तर के लिए 2017 (A) (द्वितीय पाली) के प्रश्न संख्या 9 देखें ।
(ख) नृत्य की शिक्षा के लिए पहले-पहले बिरजू महाराज जी दिल्ली में हिन्दुस्तानी डान्स म्युजिक से जुड़े और वहाँ निर्मला जी जोशी के संपर्क में आए।
(ग) उत्तर के लिए 2015 (A) (प्रथम पाली) के प्रश्न – संख्या 10 देखें।
(घ) मुक्ति के लिए समाज में बुराइयाँ नष्ट करने के लिए अनिवार्य माना गया है।
(ङ) कवि ने भारतीय प्रजा जो खून-पसीना बहाकर देशहित का कार्य करती है, देश के लिए सर्वस्व न्योछावर कर देती है, जिसके बल पर देश में सुख संपदा स्थापित होता है, किसान, मजदूर, जो स्वयं आहूत होकर देश को सुखी बनाते हैं, को आज का देवता कहा है। कवि ने कहा है कि आज के देवता मंदिरों एवं राजप्रासादों में नहीं, बल्कि सड़कों पर पत्थर तोड़ते हुए खेतों में काम करते हुए मिलेंगे।
(च) ‘हमारी नींद’ शीर्षक कविता ‘दुष्चक्र में स्रष्टा’ कविता संकलन से ली गई है?
(छ) लक्ष्मण कोलकाता में नौकरी करता था।
(ज) ‘माँ’ शीर्षक कहानी के लेखक का नाम ईश्वर पेटलीकर है। वे गुजरात के रहने वाले हैं।
(झ) गाँधीजी प्राकृतिक सामंजस्य को भारत के लिए बेहतर मानते हैं। प्राकृतिक सामंजस्य में विभिन्न संस्कृतियाँ एक-दूसरे को प्रभावित करती हुई एक वृहत्तर संस्कृति का निर्माण करती हैं। इस प्रकार के सामंजस्य में कोई संस्कृति न तो बड़ी होती है और न छोटी। सामंजस्य की स्थिति में सारी संस्कृतियों का अपना-अपना अस्तित्व सुरक्षित रहता है। भारत विभिन्न संस्कृतियों का संगम-स्थल है। यदि विभिन्न संस्कृतियों में स्वाभाविक सामंजस्य बना रहता है तो भारत की प्रगति को कोई अवरुद्ध नहीं कर सकता।
(ञ) पत्थर पर जली हुई छाया ने जो अमिट लेख लिखा है, वह बहुत बड़ी साक्षी है आनेवाली पीढ़ियों के लिए। आनेवाली मानव की अगणित पीढ़ियाँ यह देख सकेंगी कि मानव की विवेकहीनता उसे इतना निर्मम और संवेदनाशून्य बना सकती है कि उसे परमाणुबम-जैसे संहारक अस्त्र को अपने पर हो गिराने में कोई हिचक नहीं होती। वे पीढ़ियाँ देख सकेंगी मानव द्वारा रचे गए परमाणुबम-जैसे सूरज के विनाश की साखी पत्थर पर लिखी जली हुई छाया को ।
हमसे जुड़ें, हमें फॉलो करे ..
- Telegram ग्रुप ज्वाइन करे – Click Here
- Facebook पर फॉलो करे – Click Here
- Facebook ग्रुप ज्वाइन करे – Click Here
- Google News ज्वाइन करे – Click Here