निर्देशन एवं परामर्श के उद्देश्यों का वर्णन करें ।
1. उपबोध्य की दृष्टि से उद्देश्य2. प्रशासन की दृष्टि से उद्देश्य3. संस्था की दृष्टि से उद्देश्य
- उपबोध्य को दृष्टि से उद्देश्य (Aims Viewpoint of Counselle) — उपबोध्य अर्थात् जो परामर्श प्रदान कर रहा है उसकी दृष्टि से निर्देशन के उद्देश्य निम्न प्रकार हैं—
- व्यक्ति की अपनी क्षमता की सीमा तक उसका विकास ।
- विवेकपूर्ण चयन तथा अनुकूलन में सहायता प्रदान करने का उद्देश्य ।
- सन्तुलित शारीरिक, मानसिक, भावात्मक तथा सामाजिक प्रगति में योगदान प्रदान करना।
- प्रशासन की दृष्टि से उद्देश्य ( Aims Viewpoint of Administration ) – विद्यालय प्रशासन द्वारा निर्देशन सेवाओं के द्वारा जिन उद्देश्यों की पूर्ति की जाती है, वे निम्न प्रकार हैं –
- निर्देशन विभाग द्वारा व्यक्तिगत लेखा-जोखा रखकर उनकी आवश्यकताओं की पूर्ति हेतु व्यवस्था करना ।
- समाज तथा विद्यालय के मध्य सेतु का कार्य करना ।
- संस्था की दृष्टि से उद्देश्य – फ्रोलिच के अनुसार निर्देशन के उद्देश्य शिक्षण संस्थाओं में निम्नवत् हैं—
- निर्देशन कार्यक्रम शिक्षकों द्वारा विद्यार्थियों को समझने में सहायक होता है।
- यह कार्यरत अध्यापकों को व्यवस्थित प्रशिक्षण की सेवायें प्रदान करता है।
- अध्यापकों द्वारा सुझाए गए निर्देशन की आवश्यकताओं वाले बालकों को निर्देशन सेवा प्रदान करना ।
(2) परामर्श के उद्देश्य (Aims of Conselling) – परामर्श मनोवैज्ञानिकों द्वारा इसके पर्यायवाची के रूप में उपबोधन तथा मनश्चिकित्सा को माना गया है ।
राबर्ट डब्ल्यू. ह्वाइट के अनुसार — ” जब कोई व्यक्ति मनश्चिकित्सक के रूप में कार्य करता है जब उसका अभीष्ट प्रभाव डालने या सहमति प्राप्त न होकर मात्र उत्तम स्वास्थ्य की स्थिति को पनुः स्थापित करना होता है । एक मनश्चिकित्सक को न तो कुछ कहना होता है और न ही प्रस्तावित करना ।”
व्वाय एवं पाइन के अनुसार — “उपबोधन का उद्देश्य है विद्यार्थी को और अधिक परिपक्व बनाने में सहायता प्रदान करना, स्वयं सक्रिय बनने और स्वयं के यथोचित मूल्यांकन में सक्षम हो सकने में सहायता देना है।”
अमेरिकन मनोवैज्ञानिक संघ ( American Psychological Association) के अनुसार उपबोधन के तीन लक्ष्य निम्न प्रकार हैं—
- सेवार्थी के द्वारा सामाजिक, आर्थिक एवं व्यावसायिक वातावरण के साथ तर्कयुक्त सामंजस्य की प्राप्ति ।
- परामर्शप्रार्थी द्वारा स्वयं के अभिप्रेरकों, आत्म-दृष्टिकोणों एवं क्षमताओं को यथार्थ रूप से स्वीकार करना ।
- व्यक्तिगत विभिन्ताओं की समाज द्वारा स्वीकृति एवं समुदाय, रोजगार व वैवाहिक सम्बन्धों के क्षेत्र में उनका निहितार्थ करना ।
- आत्मज्ञान प्रदान करना ।
- आत्म स्वीकृति का विकास ।
- सामाजिक सामंजस्य का विकास ।
हमसे जुड़ें, हमें फॉलो करे ..
- Telegram ग्रुप ज्वाइन करे – Click Here
- Facebook पर फॉलो करे – Click Here
- Facebook ग्रुप ज्वाइन करे – Click Here
- Google News ज्वाइन करे – Click Here