निर्देशन में शिक्षक एवं सलाहकार की भूमिका का वर्णन करें ।
प्रश्न – निर्देशन में शिक्षक एवं सलाहकार की भूमिका का वर्णन करें ।
(Describe the role of the teacher and counseller in guidance.)
उत्तर – विद्यालय में निर्देशन – सेवा के सफल बनाने में शिक्षक का महत्त्वपूर्ण स्थान है। एक सफल निर्देशक या सलाहकार के रूप में शिक्षक की भूमिका को निम्नलिखित प्रसंगों में विभाजित किया जा सकता है—
- शिक्षक बालक की विभिन्न मानसिक शक्तियों एवं प्रवृत्तियों का मापन करके उसे उनसे अवगत कराता है । इसके लिए वह विविध मनोवैज्ञानिक मापनों का उपयोग करता है। इस प्रकार शिक्षक शिक्षार्थियों की अपनी योग्यताओं एवं दुर्बलताओं को समझने में सहायता करता है। इससे उनके शैक्षिक निर्देशन में बड़ी मदद मिलती है ।
- शिक्षार्थियों के शैक्षिक निर्देशन को सफल बनाने के लिए उनकी व्यक्तिगत आधार-सामग्री को इकट्ठा करना आवश्यक होता है और इस कठिन कार्य को शिक्षक ही • सम्पन्न करता है। इस संदर्भ में शिक्षक निम्नांकित कार्यों को सम्पन्न करता है –
- शिक्षार्थी के संबंध में शिक्षक सामान्य आधार सामग्री को इकट्ठा करता है । शिक्षार्थी के रहने का स्थान, उसके माता-पिता तथा उनके व्यवसाय, उनकी पारिवारिक स्थिति आदि से संबद्ध सूचनाएँ शिक्षक के द्वारा ही प्राप्त होती है ।
- शिक्षक ही शिक्षार्थी की सामाजिक अवस्था संबंधी सूचनाओं को इकट्ठा करता है।
- शिक्षक ही इस बात का पता लगाता है कि शिक्षार्थी का शारीरिक स्वास्थ्य कैसा है तथा उसमें कोई शारीरिक रोग अथवा रोष हैं या नहीं ।
- शिक्षार्थी के मानसिक स्वास्थ्य के संबंध में भी शिक्षक को जानकारी प्राप्त करना होता है।
- शिक्षक विभिन्न प्रविधियों द्वारा पता लगाता है कि किस विषय में शिक्षार्थी का ज्ञानोपार्जन कितना है । इससे शैक्षिक निर्देशन – योजना में बड़ी सहायता मिलती है ।
- मनोवैज्ञानिक आधार पर सामग्री को जुटाने में भी शिक्षक का बहुत बड़ा हाथ होता है । विभिन्न तरीकों से वह शिक्षार्थी की बौद्धिक योग्यता, विशिष्ट मेधा, विशिष्ट अभिरुचि, सामाजिक एवं संवेगात्मक अभियोजन तथा सामाजिकता, चिड़चिड़ापन, हीन-भाव, अत्यधिक डरपोकपन, संकोचशीलता आदि मानसिक शीलगुणों का पता लगाता है । यह जानकारी वस्तुत: शिक्षा निर्देशन के कार्यक्रम की आधारशिला है ।
- विद्यालय में निर्देशन के आयोजन में शिक्षक का स्थान इसलिए भी ऊँचा है कि वह शिक्षार्थियों को विभिन्न प्रकार के व्यवसाय तथा शिक्षा के संबंध में सूचना देता रहता है । इस प्रकार वे अपने व्यवसाय तथा शिक्षा के संबंध में आत्म निर्देशित हो जाते हैं |
- विद्यालय में नामांकन कर लेने के पश्चात् बालकों को पाठ्यक्रम के विषयों को चुनने में बड़ी कठिनाई का सामना करना पड़ता है। इस कठिन समय में शिक्षक ही उसका साथ देता है और उचित विषय को चुनकर उनके पाठ्य-चयन में उनकी मदद करता है ।
- विद्यालय छोड़ने के पश्चात् व्यवसाय चुनाव शिक्षक बालकों की सहायता करता है। बालकों में इतनी सामर्थ्य नहीं होती कि वे अपने लिए किसी उचित व्यवसाय को चुन सकें । ऐसी स्थिति में शिक्षक ही उनकी मदद कर व्यावसायिक समस्या का समाधान करता है।
- व्यावसायिक निर्देशन की सफलता के लिए यह आवश्यक है कि बालकों को विभिन्न व्यावसायिक समस्याओं का ज्ञान हो। इस कार्य को भी शिक्षक की करता है । वह विभिन्न व्यावसायिक संस्थाओं का सहयोग प्राप्त करके बालकों को व्यवसाय दिलाने में उनकी मदद करता है ।
इस प्रकार स्पष्ट है कि सलाहकार की हैसियत से शिक्षक की भूमिका काफी महत्त्वपूर्ण है ।
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