प्रश्न 61. शैक्षिक प्रौद्योगिकी के लाभ एवं सीमाओं का वर्णन करें ।
प्रश्न – शैक्षिक प्रौद्योगिकी के लाभ एवं सीमाओं का वर्णन करें ।
(Describe the merits and limitations of educational technology.)
उत्तर –
- शैक्षिक प्रौद्योगिकी, शिक्षण कार्य को उद्देश्य-केन्द्रित बनाने में तथा छात्र केन्द्रित रखने में सहायता एवं प्रभावशाली निर्देशन प्रदान करती है ।
- शैक्षिक प्रौद्योगिकी, छोटे तथा बड़े समूह में एवं व्यक्तिगत स्तर पर भी शिक्षण एवं अधिगम सम्बन्धी उद्दीपन तथा अनुक्रिया प्रदान करके, शिक्षक की गुणात्मक योग्यता का विस्तार करती है ।
- शैक्षिक प्रौद्योगिकी, शिक्षक को पाठ प्रस्तुतीकरण को प्रभावशाली बनाने में सहायता करती है।
- शैक्षिक प्रौद्योगिकी शिक्षण प्रक्रिया के सरल सुग्म तथा रोचक बनाकर छात्रों के ज्ञान एवं अनुभव की वृद्धि में सहायक होती है ।
- शैक्षिक प्रौद्योगिकी, शिक्षण में विविधता लाने के लिए विभिन्न विधाओं एवं साधनों का प्रयोग करती है ।
- शैक्षिक प्रौद्योगिकी छात्रों की कक्षा कार्य में सक्रिय भागीदारी सुनिश्चित करती है ।
- शैक्षिक प्रौद्योगिकी शिक्षक को ऐसी प्रक्रियाओं और साधनों का ज्ञान देने का प्रयास करती है जो उपचारात्मक शिक्षण, शोध तथा अन्य सम्बन्धित कार्यों में मदद देती है ।
- स्व-अनुदेशित कार्यक्रमों (Self-Instructional Programmes) के माध्यम से शैक्षिक प्रौद्योगिकी व्यक्तिगत अनुदेशक के क्षेत्र में महत्त्वपूर्ण भूमिका निभाती है।
- शैक्षिक प्रौद्योगिकी शिक्षण अधिगम-प्रक्रिया को अधिक जीवन्त, रोचक, प्रेरक तथा सक्रिय बनाकर शिक्षण में सुधार लाकर, शिक्षण की गुणवत्ता में वृद्धि करती है ।
- शैक्षिक प्रौद्योगिकी, जनसंचार के साधनों का उपयोग करते हुए दूर-दराज क्षेत्रों में एक साथ बड़ी बड़ी जनसंख्या तक पत्राचार तथा दूरस्थ शिक्षा आदि के द्वारा शिक्षा पहुँचाने में सहायता देती है ।
- शिक्षार्थियों के आर्थिक, सामाजिक तथा भौगोलिक स्तर पर बिना ध्यान दिये हुए शैक्षिक प्रौद्योगिकी सभी के लिए समान शिक्षा के अवसर प्रदान करने के लिए एक शक्तिशाली साधन है ।
- टेलीविजन, रेडियो, कैसेट, वीडिओ आदि साधनों के माध्यम से शैक्षिक प्रौद्योगिकी सेवारत (Inservice) शिक्षकों एवं कर्मचारियों के लिए अनवरत शिक्षा के द्वार खोलती है ।
- शैक्षिक प्रौद्योगिकी घर में बैठे-बैठे उपाधियाँ प्राप्त करने में सहायक होती हैं ।
शैक्षिक प्रौद्योगिकी की सीमाएँ (Limitations of Educational Technology )— शैक्षिक प्रौद्योगिकी शिक्षा के क्षेत्र में जहाँ बहुत लोकप्रिय हो रही है, वहाँ इसकी कुछ सीमाएँ भी हैं। ये सीमाएँ निम्न प्रकार हैं—
- शैक्षिक प्रौद्योगिकी ने ज्ञानात्मक पक्ष के विकास में अभूतपूर्व योगदान प्रदान किया है, परन्तु भावात्मक एवं संवेगात्मक क्षेत्र में इसका योगदान अत्यन्त सीमित है। भावात्मक पक्ष का विकास केवल शिक्षकों के द्वारा ही सम्भव है ।
- शैक्षिक प्रौद्योगिकी के प्रयोग के लिए प्रारम्भ में बड़ी संख्या में धनराशि तथा साधनों की आवश्यकता होती है। इसमें अनेक प्रकार की सामग्री खरीदनी पड़ती हैं, विभिन्न प्रकार के प्रबन्ध करने होते हैं, फलस्वरूप प्रारम्भिक व्यय की धनराशि काफी ज्यादा हो जाती है, जिसके लिए अनेक दिक्कतें आती हैं। यद्यपि बाद में यह सारा व्यय छात्रों को बड़ी संख्या में शिक्षित करने को देखते हुए अपेक्षाकृत कम ही होता है । यह तथ्य अनेक मूल्य-1 – विश्लेषण के अध्ययनों से स्पष्ट है ।
- शैक्षिक प्रौद्योगिकी के प्रयोग के लिए विशेष प्रकार के प्रशिक्षण की व्यवस्था अति आवश्यक है । इस प्रशिक्षण के बिना शिक्षक कम्प्यूटर, इण्टरनेट आदि का सही ढंग से पूरा लाभ उठा नहीं पाते ।
- शैक्षिक प्रौद्योगिकी के द्वारा सभी प्रकार की शैक्षिक समस्याओं का समाधान सम्भव नहीं है ।
- शैक्षिक प्रौद्योगिकी व्यक्ति को मशीन की भांति लगभग एक यन्त्र के रूप में बदलने का कार्य करती है ।
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