बिहार के आर्थिक पिछड़ेपन के क्या कारण हैं? बिहार के पिछड़ेपन को दूर करने के किन्हीं दो को लिखें। अथवा, ‘उपभोक्ता संरक्षण अधिनियम 1986’ की मुख्य विशेषताओं का वर्णन करें ?

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प्रश्न – बिहार के आर्थिक पिछड़ेपन के क्या कारण हैं? बिहार के पिछड़ेपन को दूर करने के किन्हीं दो को लिखें। अथवा, ‘उपभोक्ता संरक्षण अधिनियम 1986’ की मुख्य विशेषताओं का वर्णन करें ?

उत्तर – बिहार का इतिहास काफी गौरवशाली रहा है लेकिन आज वही बिहार कई तरह की समस्याओं का शिकार है। गरीबी, बरोजगारी, भ्रष्टाचार तथा अशांति का माहौल है। साधनों के मामले में धनी होते हुए भी बिहार की स्थिति दयनीय है।
बिहार के पिछड़ेपन के कारण : आर्थिक दृष्टि से बिहार के पिछड़ेपन के कुछ प्रमुख कारण इस प्रकार हैं –
(i) तेजी से बढ़ती जनसंख्या : बिहार में जनसंख्या काफी तेजी से बढ़ रही है। इसके चलते विकास के लिए साधन कम हो रहे हैं। अधिकांश साधन जनसंख्या के भरण-पोषण में चला जाता है ।
 (ii) आधारिक संरचना का अभाव : किसी भी देश या राज्य के लिए आधारिक संरचनाओं का होना जरूरी होता है। लेकिन बिहार इस मामले में काफी पीछे है। राज्य में सड़क, बिजली एवं सिंचाई का अभाव है। साथ ही शिक्षा एवं स्वास्थ्य सुविधाएँ भी कम हैं।
(iii) कृषि पर निर्भरता : बिहार की अर्थव्यवस्था पूरी तरह कृषि पर आधारित है। यहाँ की अधिकांश जनता कृषि पर ही निर्भर है। लेकिन हमारी कृषि की भी हालत ठीक नहीं है। हमारी कृषि काफी पिछड़ी हुई है।
आर्थिक पिछड़ेपन को दूर करने के उपाय : (i) बिहार में बाढ़ की समस्या का स्थायी निदान किया जाये। (ii) कृषि में उत्पादकता बढ़ाने के लिए पंजाब व हरियाणा के समान कार्य किये जाएँ। (iii) औद्योगीकरण को बढ़ावा दिया जाये, ताकि रोजगार के साधनों में भी वृद्धि हो । (iv) बिहार में बेरोजगारी को दूर करने के लिए सरकार को निजी क्षेत्र के उद्यमी को उद्यम स्थापित करने के लिए प्रोत्साहित करना चाहिए।
अथवा,
भारत सरकार द्वारा पारित उपभोक्ता की सुरक्षा और संरक्षण हेतु, उपभोक्ता संरक्षण अधिनियम, 1986 एक महत्वपूर्ण अधिनियम है, जिसमें उपभोक्ता को बाजार में बेची जानेवाली वस्तुओं के संबंध में संरक्षण का अधिकार दिया गया है ।
उपभोक्ता संरक्षण के दायरे में सभी वस्तुओं सेवाओं तथा व्यक्तियों, चाहे वह निजी क्षेत्र के हो या सार्वजनिक क्षेत्र को शामिल किया जाता है। इसके तहत उपभोक्ताओं को यह जानने का अधिकार होता है कि वह वस्तु की सेवा की गुणवत्ता, परिणाम क्षमता, शुद्धता, मानक और मूल्य के बारे में जानकारी प्राप्त कर सके। इसके अतिरिक्त यह भी अधिकार है कि वह इस बात की भी परख कर लें कि उसे जो वस्तु या सेवा मिल रही है, वह खतरनाक तो नहीं है, ताकि वह अपना बचाव कर सके।
 उपभोक्ता किसी भी टेलीफोन या मोबाइल से मुफ्त में उपभोक्ता संरक्षण संबंधी जानकारी प्राप्त कर सकता है। राष्ट्रीय उपभोक्ता लाइन नं० 180-11-4000 (शुल्क मुफ्त)

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