मनुष्य बार-बार नाखूनों को क्यों काटता है ?
प्रश्न – मनुष्य बार-बार नाखूनों को क्यों काटता है ?
उत्तर – सहजात वृत्तियाँ अनजान स्मृतियों को कहते हैं अर्थात् वे कार्य जो अनायास होते हैं। आप बढ़ते हैं, उनके लिए मनुष्य को प्रयत्न नहीं करना पड़ता। इसी प्रकार, मनुष्य नाखूनों को काटता नाखून अपने भी है। दरअसल, नाखूनों का बढ़ना बर्बर युग का प्रतीक चिह्न है। उन दिनों मनुष्य इससे अपनी रक्षा करता था। अब चूँकि मनुष्य बर्बर युग से बहुत आगे निकल आया है, इसमें अनेक सुकोमल भावनाएँ विकसित हो गई हैं। अतः मनुष्य उस बर्बर युग की इस निशानी को मिटाना चाहता है। नाखूनों को बढ़ाने और काटने का यही अभिप्राय है।
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