महिला सशक्तिकरण पर प्रकाश डालें।

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प्रश्न – महिला सशक्तिकरण पर प्रकाश डालें।
(Throw light on the empowerment of women.)
उत्तर – महिला को सशक्त बनाना (Empowerment of Women) —(1) सन् 2001 की जनगणना के अनुसार भारत में महिलाओं की संख्या 48.87 करोड़ थी जो देश की कुल जनसंख्या (102.70) करोड़ थी) का 48.2 प्रतिशत था। भारत में महिलाओं और बच्चों के समग्र विकास को वांछित गति प्रदान करने के लिए 1985 में मानव संसाधन विकास मंत्रालय भारत सरकार के अधीन महिला और बाल विकास विभाग (The Depatment of Women and Child Development) गठित किया गया । यह विभाग निम्न प्रकार के कार्य करता है—
  1. महिलाओं तथा बच्चों के विकास की देखरेख करने वाली प्रमुख एजेंसी के रूप में योजनाएँ, नीतियाँ और कार्यक्रम बनाना ।
  2. महिलाओं तथा बच्चों के बारे में कानून बनाना तथा बनाए गए कानूनों में संशोधन करना ।
  3. महिलाओं तथा बच्चों के विकास के क्षेत्र में काम करने वाले सरकारी और गैर सरकारी संगठनों को दिशा निर्देश देना ।
  4. महिलाओं के लिए रोजगार क्षमता बढ़ाना ।
इस विभाग के अन्तर्गत प्रमुख संस्थाएँ निम्नलिखित हैं
  1. राष्ट्रीय महिला आयोग (National Women Commission)
  2. राष्ट्रीय जनसहयोग तथा बाल विकास संस्थान (National Institute of Public Corporation and Child Development)
  3. केन्द्रीय महिला कोष (Central Welfare Board)
  4. राष्ट्रीय महिला कोष ( Rashtriya Mahila Kosh)
2. महत्त्वपूर्ण कानून –
  1. अनैतिक व्यापार (निरोधक) अधिनियम 1959 (1986 में संशोधन) [Immoal Traffic (Prevention) Act. 1986]
  2. दहेज निरोधक कानून, 1961 (1986 तक संशोधित रूप में)
  3. सती प्रथा निरोधक अधिनियम 1987 (Prevention of Sati Act, 1987) “
3. महिलाओं के सशक्तीकरण सम्बन्धी प्रमुख कार्यक्रम (Main Programmes for the (Impowerment of Women)—
  1. रोजगार तथा प्रशिक्षण के लिए सहायता देने का कार्यक्रम (Employment and Training Programme)
  2. स्वावलम्बन (Women’s Economic Self-Sufficient Programme)
  3. स्वयंसिद्ध (Self Help Groups of Women) — महिलाओं को अल्प ऋण – उपलब्ध कराना।
  4. स्वशक्ति (Rural Women’s Development) – महिलाओं के जीवन स्तर में सुधार लाना ।
  5. महिला शिक्षा के लिए कंडेंस्ड पाठ्यक्रम (Condensed Courses or Curriculum for Women) ।
  6. कामकाजी महिलाओं के लिए छात्रावास (Working Women’s Hostel) ।
  7. स्वाधार : कठिन परिस्थितियों में पड़ने वाली महिलाओं के लिए योजना |
4. महिला सशक्तीकरण की राष्ट्रीय नीति, 2001 (National Policy on Empowerment of Women, 2001 ) – इस नीति के उद्देश्य हैं
  1. महिलाओं की प्रगति, विकास और सशक्तीकरण सुनिश्चित करना ।
  2. महिलाओं के साथ हर प्रकार का भेदभाव समाप्त करना ।
  3. यह सुनिश्चित करना कि वे जीवन के हर क्षेत्र और गतिविधि में खुलकर भागीदारी करें ।

5. संविधान में संशोधन (1993), पंचायती राज में महिलाओं के लिए 1/3 आरक्षण ।

6. महिलाओं के अधिकार—

  1. वैवाहिक स्वतन्त्रा (Freedom of Marriage ) – बालिका 18 वर्ष की आयु पूरी होने पर अपनी इच्छा से विवाह करने के लिए स्वतन्त्र है ।
  2. गर्भधारण की स्वतन्त्रता (Freedom of Pregnancy) — 1971 के कानून के अनुसार यदि गर्भवती महिला के स्वास्थ्य पर विपरीत प्रभाव पड़ रहा है तो वह घर वालों की इजाजत के बिना गर्भपात करा सकती है। गर्भवती महिला जो नौकरी करती है उसे अवकाश अनिवार्य है । इस व्यवस्था को सर्वोच्च न्यायालय के निर्णय के अनुसार मान्यता प्राप्त है ।
  3. विवाह-विच्छेद या तलाक (Divorce) – हिन्दू महिला हिन्दू विवाह कानून, 1955 और उसका संशोधन (Hindu Marriage Act and its Amendment) के अनुसार कुछ शर्तों के आधार पर ( जैसे प्रति द्वारा क्रूरता) विवाह-विच्छेद न्यायालय से ले सकती है ।
  4. दहेज के विरुद्ध संरक्षण (Safeguards against Dowry ) – दहेज प्रतिरोध कानून, 1961 (Anti-Dowry Act) द्वारा भी वधू से ससुराल पक्ष द्वारा दहेज की माँग करने पर उन्हें दण्डित किया जा सकता है । यह कानून होते हुए भी महिलाओं पर अत्याचार हो रहे हैं।
संयुक्त राष्ट्र बालकोष यूनिसेफ की संस्तुतियाँ (United Nations Children’s Fund—Unicef)
  1. लड़कियाँ की शिक्षा सम्बन्धी सुझाव- दुनिया के बच्चों की स्थिति 2007′ में यूनिसेफ ने लड़कियों की शिक्षा में प्रगति लाने के लिए निम्नलिखित सुझाव दिए  –
    1. स्थानीय स्कूल प्रशासन और शिक्षकों को स्कूल के समय में लचीलापन लाने के लिए बढ़ावा देना ।
    2. विवाहित किशोरों और अविवाहित माता-पिता की कक्षाओं में आने की अनुमति दें।
    3. स्कूल सुविधाओं को लिंग आधारित हिंसा से सुरक्षित बताना ।
    4. माता-पिता और समुदाय के नेताओं को स्कूल के प्रबन्ध में बढ़-चढ़कर हिस्सा लेने के लिए बढ़ावा देना ।
      इसके
      अलावा इस बात पर ध्यान देना भी महत्त्वपूर्ण है कि स्कूल का पाठ्यक्रम बच्चों को लैंगिक समानता का महत्त्व समझाने में मदद करें ।
  2. महिलाओं के स्तर में सुधार – कानून में लैंगिक समानता दूर करना – महिलाओं को जमीन और सम्पत्ति के अधिकार देने के मामले में लैंगिक भेदभाव समाप्त करने के महत्त्वपूर्ण उपायों में निम्नलिखित उपाय शामिल होने चाहिए, लेकिन उन्हें सिर्फ इन्हीं उपायों तक सीमित नहीं रहना चाहिए –
    1. राष्ट्रीय कानूनों को अन्तर्राष्ट्रीय मानव अधिकार मानदण्डों के अनुरूप बनाना ।
    2. भूमि और सम्पत्ति अधिकारों में सुधार करके महिलाओं के प्रति भेदभाव मिटाना |
    3. महिलाओं के सम्पत्ति के अधिकारों के उल्लंघनों का पता लगाने और उनका पर्दाफाश करने तथा सरकारों द्वारा अन्तर्राष्ट्रीय मानव अधिकार संधियों के पालन की निगरानी के प्रयासों में अन्तर्राष्ट्रीय एजेंसियों और गैर-सरकारी संगठनों को शामिल करना ।
  3. कामकाजी परिवारों को सहारा देने में सरकार की भूमिका – सरकारों को ऐसे विधायी, प्रशासनिक और वित्तीय कदम उठाने चाहिए जिनसे महिला उद्यमियों और श्रम बाजार में उनकी भागीदारी के लिए सशक्त और सार्थक माहौल बन सके । इन उपायों में शामिल हैं—
    1. रोजगार की बेहतर परिस्थितियाँ जुटाना ।
    2. कॅरियर विकास के अवसर पैदा करना ।
    3. सिर्फ लिंग के आधार पर वेतन में अन्तर समाप्त करना ।
    4. बच्चों की देखभाल के लिए सुरक्षित, कम लागत की और उत्तम किस्म की सुविधा प्रदान करना ।
  4. बेहतर आँकड़ों और विश्लेषण की आवश्यकता – यह साबित करने के लिए पर्याप्त आँकड़े उपलब्ध हैं कि महिलाएँ पुरुषों से ज्यादा काम करती हैं और कम वेतन पाती हैं। फिर भी पुरुषों और महिलाओं के श्रम के बारे में अलग-अलग आँकड़ों की कमी के कारण उनके बीच विषमता के अधिक विस्तृत अध्ययन में रुकावट आती है। सेक्स के आधार पर रोजगार और आमदनी के बारे में बेहतर आँकड़े उपलब्ध होने से नीतियों और कार्यक्रमों के लिए विश्लेषण में सुधार आएगा जिसका लाभ महिलाओं, बच्चों, परिवारों और पूरे देश को मिलेगा ।

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