मानसिक मंदता के कारणों की विवेचना करें ।
(i) क्रोमोजोम संबंधी विकार (Chromosomal Abnormality ) – मानव कोशिश में 23 जोड़े क्रोमोजोम होते हैं जिसमें वह आधार क्रोमोजोम माता से और आधा क्रोमोजोम पिता से प्राप्त करता है। लेकिन किसी विकारवश क्रोमोजोम की अधिकता और कमी मानसिक मंदता का कारण बनती है । उदाहरणार्थ – 21वें जोड़े क्रोमोजोम पर यदि एक अतिरिक्त क्रोमोजोम आ जाए तो इस स्थिति को डाउन सिन्ड्रोम कहा जाता है । इसे मंगोलिज्म भी कहा जाता है । इस विकार से पीड़ित बालकों में दूर-दूर स्थित तिरच्छी आँखें, दबा हुआ नासादण्ड, मोटी जीभ, छोटे कान, खुला मुँह आदि सरीखे लक्षण दिखाई देते हैं ।
वहीं दूसरी तरफ यदि क्रोमोजोम के 23वें जोड़े का एक क्रोमोजोम, सामान्यतः Xक्रोमोजोम की कमी को टर्नर सिन्ड्रोम कहा जाता है । यानि इस सिंड्रोम से पीड़ित व्यक्ति के 23वें जोड़े क्रोमोजोम में केवल एक क्रोमोजोम होता है। इससे बालिकाएँ ज्यादातर प्रभावित होती हैं। पीड़ित बालिकाएँ अधिगम एवं श्रवण अक्षमताग्रस्त हो जाती है ।
(ii) आनुवंशिक विकार ( Genetic Abnormality) — माता अथवा पिता में से यदि किसी एक के जीन में भी दोष हो तो उनके संतान में मानसिक मंदता होने की संभावना 50-50 प्रतिशत होती है। हो सकता है कि उक्त बच्चों में मानसिक मंदता न हो लेकिन दूसरे पुस्त के बच्चों में मानसिक मंदता होने की संभावना ज्यादा होती है । इस अवस्था को प्रभावशाली इनहेरिटेंस कहा जाता है। उदाहरणार्थ-ट्यूब्रस स्केलेरोसिस ।
वहीं जब माता अथवा पिता में से यदि किसी में मानसिक मंदता के लक्षण न हों और यदि वे मानसिक मंदता वाले दोषयुक्त जीन के वाहक हों तो उनकी संतानों के मानसिक मंदता में होने की संभावना 25 प्रतिशत होती है । उदाहरणार्थ- फेनाइलकीटोकन्यूरिया ।
(iii) गर्भावस्था के प्रारंभिक महीने में एक्सरे करवाना, हानिकारक दवाईयाँ लेना, कुछ आपस्माररोधी दवाईयाँ लेने और हार्मोन लेने से बढ़ते हुए भ्रूण को क्षति पहुँच सकती है। माता को दौरे, बुखार लगने और गिरने से दुर्घटना से बढ़ते हुए भ्रूण को क्षति पहुँच सकती है और यह मानसिक मंदता का कारण हो सकती है ।
(iv) केन्द्रीय तंत्रिका के जन्मजात दोष जैसे हाईड्रोसिफालस, माइक्रोसिफाली और मस्तिष्क और रीढ़ की हड्डी में हुए अनेक दोष मानसिक मंदन से संबद्ध होते हैं ।
(v) माता में संक्रमण, विशेषतः गर्भावस्था के पहले तीन महीनों के दौरान होने पर भ्रूण के मस्तिष्क के विकास को क्षति पहुँचा सकते हैं। कुछ संक्रमण, जिनसे भ्रूण प्रभावित होता है, वे हैं: रुबेला, जर्मन मीजल, हर्पीज और साईटोमिगेली, अंतस्थ पिंड रोग, टोक्सोप्लासमोसिस, सिफलिस और ट्यूबरक्लोसिस।
(vi) माता को मधुमेह और उच्च रक्तचाप, गुर्दे की चिरकालिक समस्याएँ कुपोषण बढ़ते हुए भ्रूण को क्षति पहुँचा सकती है। माता में अल्पक्रियता की स्थिति होने से बच्चा बौना पैदा हो सकता है । माता में थायराइड ग्रंथि के बढ़ने से (अल्पक्रियता) बढ़ते हुए भ्रूण की केन्द्रीय तंत्रिका तंत्र में दोष उत्पन्न हो सकते हैं जिसके फलस्वरूप मानसिक मंदन हो सकती है । इसके अलावा माँ – बच्चे के रक्त के Rh- फैक्टर की असंगतता भी मानसिक मंदता का कारण बनती है।
2. प्रसवकालीन कारण (Natal Causes ) – मानसिक मंदन के प्रसवकालीन कारण निम्नलिखित हैं –
3. प्रसवोत्तर कारण (Post-natal causes) :
- बच्चों में कुपोषण – गर्भायु के 12-18 सप्ताह के दौरान और बच्चे के पैदा होने से 2 वर्ष का होने तक कुपोषण के लिए नाजुक है । इस अवधि के दौरान अपर्याप्त प्रोटीन और कार्बोहाइड्रेट लेना मानसिक मंदन का कारण हो सकता है ।
- बच्चे के संक्रमण जैसे तानिका शोथ (मेनिनजाईटिस) या मस्तिष्क ज्वर (एन्सेफाइलाईटिस) मानसिक मंदन का कारण हो सकता है ।
- तपेदिक रोग के कारण बच्चा मानसिक मंदता का शिकार हो सकता है।
- बच्चे को बार-बार दौरा पड़ने से दिमाग क्षतिग्रस्त हो सकता है और मानसिक मंदता का कारण हो सकता है ।
- शीशा के विषैले प्रभाव से मंदता हो सकता है ।
- दुर्घटना या गिरने से मस्तिष्क में कोई चोट लगना मानसिक मंदन का कारण हो सकता है।
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