मुद्रा के आर्थिक महत्त्व पर प्रकाश डालें। अथवा, सहकारिता के मूल तत्त्व क्या हैं? बिहार के विकास में इसकी भूमिका का वर्णन करें।
प्रश्न – मुद्रा के आर्थिक महत्त्व पर प्रकाश डालें। अथवा, सहकारिता के मूल तत्त्व क्या हैं? बिहार के विकास में इसकी भूमिका का वर्णन करें।
उत्तर – मुद्रा के निम्नलिखित महत्त्व अथवा लाभ हैं –
(i) आधुनिक अर्थव्यवस्था का आधार : मुद्रा आधुनिक अर्थव्यवस्था का आधार है। वर्तमान उत्पादन-प्रणाली मुद्रां के माध्यम से काम करती है जिससे उत्पादन का पैमाना बड़ा हुआ है। लेकिन इसका कारण उत्पादन में मुद्रा द्वारा दिया गया सहयोग है।
(ii) उपभोक्ताओं को लाभ : मुद्रा से उपभोक्ताओं को लाभ होता है। व्यक्ति मुद्रा के रूप में आय प्राप्त करता है तथा उससे अपनी सुविधानुसार वस्तुएँ खरीदता रहता है।
(iii) उत्पादकों को लाभ : मुद्रा से उत्पादकों को भी लाभ है। मुद्रा के सहयोग से ही आज उत्पादन का पैमाना इतना बड़ा हो सका है जिसके चलते उत्पादक को उत्पादन एवं लाभ को अधिकतम करने में सफलता मिलती है। ‘
(iv) विनिमय के क्षेत्र में लाभ : उत्पादित वस्तुओं की लागत मुद्रा के रूप में ज्ञात की जाती है और उसके आधार पर वस्तुओं का मूल्य निर्धारण किया जाता है।
अथवा,
सहकारिता एक ऐसा संगठन है जिसमें दो या दो से अधिक व्यक्ति अपनी इच्छा से मिलकर समान स्तर पर अपने आर्थिक हितों की वृद्धि करते हैं। सहकारिता का मुख्य उद्देश्य एक-दूसरे के साथ मिलकर व्यापारिक सहयोग द्वारा भौतिक लाभ एवं सुख प्राप्त करना है। सहकारिता के मूल तत्त्व निम्नलिखित हैं
(क) स्वैच्छिक सदस्यता : सहकारिता का प्रथम तत्त्व यह है कि यहाँ इस संगठन की सदस्यता स्वैच्छिक होती है। कोई भी व्यक्ति अपनी इच्छानुसार इस संगठन का सदस्य बन सकता है।
(ख) लोकतांत्रिक प्रबंधन : सहकारिता का प्रबंधन लोकतांत्रिक तरीके से होता है। इसके सदस्यों के बीच किसी प्रकार का भेदभाव नहीं रहता है। सभी सदस्यों को समान अधिकार और अवसर प्राप्त होता है ।
(ग) नैतिक और सामाजिक तत्त्व : सहकारिता के आर्थिक उद्देश्यों में नैतिक और सामाजिक तत्त्व भी शामिल रहता है। इसका उद्देश्य आत्म-सहायता और परस्पर सहयोग द्वारा व्यक्ति और समूह के लाभ एवं सुख-समृद्धि को बढ़ाना है।
बिहार के विकास में सहकारिता की भूमिका : बिहार भारत का आर्थिक रूप से पिछड़ा राज्य है। बिहार के बँटवारे के बाद प्राकृतिक सम्पदाएँ झारखण्ड के हिस्से में चला गया। बिहार के ग्रामीण इलाकों में स्थानीय स्तर पर धनकुट्टी, अगरबत्ती, बीड़ी निर्माण, जूता और ईंट बनाने जैसे रोजगार सहकारिता के सहयोग से चलाए जा रहे हैं। इन कार्यों के लिए राज्य स्तर के सहकारी बैंक साख की आपूर्ति करता है। सहकारी बैंकों के द्वारा ग्रामीण क्षेत्रों में रोजगार सृजन की दिशा में प्रशंसनीय प्रयास किया जा रहा है।
हमसे जुड़ें, हमें फॉलो करे ..
- Telegram ग्रुप ज्वाइन करे – Click Here
- Facebook पर फॉलो करे – Click Here
- Facebook ग्रुप ज्वाइन करे – Click Here
- Google News ज्वाइन करे – Click Here