लेखन कौशल की शिक्षण विधियाँ बताइए ।
प्रश्न – लेखन कौशल की शिक्षण विधियाँ बताइए ।
उत्तर- लिखित अभिव्यक्ति शिक्षण की अधोलिखित विधियाँ हैं-
- रूपरेखा अनुकरण विधि-इस विधि में छात्रों को सुलेख की मुद्रित अभ्यास कॉपी दी जाती है जिसमें अक्षर या वाक्य बिन्दु रूप में लिखे होते हैं, बालक उन पर पेन्सिल घुमाकर अक्षर व शब्द लिखने का अभ्यास करता है ।
- स्वतन्त्र अनुकरण विधि- इसमे अध्यापक श्यामपट्ट पर या बालक की कॉपी में अभ्यास अक्षर या शब्द लिख देता है । बालक उनकी हूबहू नकल कर लिखने का अभ्यास करता है ।
- मॉन्टेसरी विधि— इस विधि में लकड़ी, प्लास्टिक अथवा गत्ते के बने वर्णों के कटआउट के बाहर पेन्सिल घुमाता है । इस तरह बालक अक्षरों के स्वरूप से परिचित होता है तथा उसे लिखने का अभ्यास होता है ।
- जैट कौक विधि— इस विधि में बालक के समक्ष पूरा वाक्य रखा जाता है तथा बालक अनुकरण के आधार पर एक – एक शब्द लिखता है और मूल वाक्य से मिलाकर अशुद्धि का पता लगाकर उसे दूर करता है ।
- वर्ण परिचय – इस परम्परागत विधि से पहले क्रमशः अक्षर तथा मात्राओं का ज्ञान कराया जाता है। उसके बाद मात्राओं और वर्णों के मेल से सरल शब्दों को लिखने का अभ्यास कराया जाता है ।
- शब्द द्वारा अक्षर ज्ञान – इस विधि में शब्दों द्वारा बालक को अक्षर ज्ञान कराया जाता है, इस हेतु चित्र या वस्तु को दिखाया जाता है; यथा— कबूतर का चित्र – क, खरगोश का चित्र–ख |
- वाक्य द्वारा अक्षर ज्ञान – इसमें वाक्यों द्वारा अक्षर ज्ञान कराया जाता है । यह विधि लिखने की दृष्टि से उपयोगी नहीं है ।
- चित्र विधि—इसमें चित्रों की सहायता से शब्द और शब्दों की सहायता से अक्षर सिखाये जाते हैं।
लिखित रचना का महत्त्व – किसी भाषा के साहित्य, उसमें अन्तर्निहित ज्ञान को चिरकाल तक बनाये रखने के लिए तथा भावी पीढ़ियों को उससे परिचित व लाभान्वित करने के लिए लिखित रचना का विशेष महत्त्व है। वर्तमान शिक्षा व्यवस्था में तो शिक्षण लेखन के बिना एक पग भी आगे नहीं बढ़ सकता । स्वाध्याय के लिए तो लिखित रचना का होना अनिवार्य है ।
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