वृक्क का नामांकित चित्र बनाकर वर्णन करें।

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प्रश्न – वृक्क का नामांकित चित्र बनाकर वर्णन करें।

उत्तर – मनुष्य में वृक्क एक प्रमुख उत्सर्जी अंग है। दो वृक्क उदरगुहा की पृष्ठीय देहभित्ति से सटे हुए कशेरुकदंड के दोनों तरफ स्थित होते हैं। प्रत्येक वृक्क सेम के बीज के आकार का होता है। इसकी बाहरी सतह उत्तल तथा भीतरी सतह अवतल होती है। इसकी भीतरी अवतल सतह हाइलम कहलाती है जहाँ से वृक्क धमनी वृक्क में प्रवेश करती है तथा वृक्क शिरा बाहर निकलती है। नेफ्रॉन वृक्क की रचनात्मक तथा क्रियात्मक इकाई होती है। प्रत्येक वृक्क में लगभग 10 लाख नेफ्रॉन पाए जाते हैं। प्रत्येक नेफ्रॉन में एक प्यालीनुमा संरचना होती है, जिसे बोमैन-संपुट कहते हैं। यह रचना एक केशिका गुच्छ नामक रक्त केशिकाओं के जाल को घेरता है जिसे ग्लोमेरूलस कहते हैं । ग्लोमेरूलस एवं बोमैन-संपुट को सम्मिलित रूप से मैलुपीगियन कोष कहते हैं। नेफ्रॉन के कार्य में एक समीपस्थ एवं दूरस्थ कुंडलित भाग होता है। समीपस्थ भाग नीचे आकर अवरोही चाप एवं प्रांतस्थ भाग में जाकर अधिरोही चाप बनाता है। अवरोही एवं अधिरोही चापों के बीच एक विशेष भाग हेनले का चाप अवस्थित होता है। अधिरोही चाप आगे की ओर एक संग्राहक नलिका में खुलता है। इस नलिका में अनेक अन्य वृक्क नलिकाएँ आकर खुलती हैं और सभी संग्राहक नलिकाएँ आपस में मिलकर सामान्य संग्राहक नली बनाती हैं, जो अंत में मूत्रवाहिनी में खुलती हैं।

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