व्यावसायिक शिक्षा संबंधी राष्ट्रीय शिक्षानीति 1986 तथा 1992 के निर्देशों की विवेचना करें ।
उत्तर – राष्ट्रीय शिक्षा नीति, (1986)– पैरा 5.16- शिक्षा के प्रस्ताविक पुनर्गठन में व्यवस्थित और सुनियोजित व्यावसायिक शिक्षा के कार्यक्रम को दृढ़ता से क्रियान्वित करना बहुत ही जरूरी है। इससे व्यक्तियों के रोजगार पाने की क्षमता बढ़ेगी, आजकल कुशल कर्मचारियों की माँग और आपूर्ति में जो असंतुलन है, वह समाप्त होगा और ऐसे विद्यार्थियों को एक वैकल्पिक मार्ग मिल सकेगा जो इस समय बिना किसी विशेष रुचि या उद्देश्य के उच्च शिक्षा की पढ़ाई किए जाते हैं ।
संशोधित (1992)– पैरा 5-16- प्रतावित शैक्षिक पुनर्गठन में व्यावसायिक शिक्षा के सुव्यवस्थित, सुनियोजित और कड़ाई से कार्यान्वित किये जाने वाले कार्यक्रमों का लागू किया जाना अत्यधिक महत्त्वपूर्ण है । इस तत्त्वों से छात्रों में कार्य और जीवन के प्रति एक स्वस्थ दृष्टिकोण विकसित होगा, प्रतयेक छात्र के रोजगार पाने की क्षमता बढ़ेगी, कुशल जनशक्ति की माँग और आपूर्ति के बीच असन्तुलन कम होगा और बिना विशेष रुचि अथवा प्रयोजन के उच्चतर अध्ययन जारी रखने वाले छात्रों के लिए एक विकल्प उपलब्ध हो जाएगा । उच्च माध्यमिक स्तर पर बच्चों को ऐसे व्यापक व्यावसायिक पाठ्यक्रम प्रदान करने का प्रयास किया जाएगा जो कि व्यवसाय – विशेष की श्रेणी में न आकर बहुविध व्यावसायिक क्षेत्रों से जुड़े हुए हों।
राष्ट्रीय शिक्षा नीति, (1986) – पैरा 5-17 – व्यावसायिक शिक्षा अपने में शिक्षा की एक विशिष्ट धारा होगी जिसका उद्देश्य कई क्षेत्रों के चुने गए काम-धंधों के लिए विद्यार्थियों को तैयार करना होगा । ये कोर्स आमतौर पर सेकेंडरी शिक्षा के बाद दिए जाएँगे लेकिन इस योजना को लचीला रखा जाएगा ताकि आठवीं कक्षा के बाद भी विद्यार्थी ऐसे कोर्स ले सकें ।
औद्योगिक प्रशिक्षण संस्थान भी बड़ी व्यावसायिक शिक्षा के ढाँचे के अनुसार चलेंगे ताकि इनमें प्राप्त सुविधाओं का पूरा लाभ उठाया जा सके ।
संशोधित (1992) – पैरा 5-17 – व्यावसायिक शिक्षा एक भिन्न धारा भी होगी जिसका उद्देश्य छात्रों को विभिन्न प्रकार के क्रियाकलापों से जुड़े हुए निर्धारित व्यवसायों के लिए तैयार करना है। ये पाठ्यक्रम साधारणतः माध्यमिक स्तर के बाद प्रदान किए जाएँगे, किन्तु इस योजना को लचीला रखते हुए वे कक्षा VIII के बाद भी उपलब्ध कराए जा सकते |
पैरा 5-18—स्वास्थ्य आयोजना और स्वास्थ्य सेवा प्रबंध को स्वास्थ्य से सम्बन्धित व्यावसायिक पाठ्यक्रमों के माध्यम से स्वास्थ्य जनशक्ति की उपयुक्त श्रेणियों की शिक्षा और प्रशिक्षण के साथ स्पष्ट रूप से जोड़ा जाना चाहिए। प्राथमिक और माध्यमिक स्तरों पर स्वास्थ्य शिक्षा व्यक्ति के परिवार और सामुदायिक स्वास्थ्य के प्रति वचनबद्धता को सुनिश्चित करेगी और उच्चतर माध्यमिक शिक्षा के +2 स्तर पर स्वास्थ्य से सम्बन्धित व्यावसायिक पाठ्यक्रमों की ओर अग्रसर होगा । कृषि, विपणन और सामाजिक सेवाओं आदि पर आधारित ऐसे ही व्यावसायिक पाठ्यक्रम तैयार करने के प्रयास किए जाएँगे । व्यावसायिक शिक्षा में स्वरोजगार, उद्यमियों के लिए दक्षता और ज्ञान तथा रुझान के विकास पर भी जोर दिया जाएगा।
पैरा 5-19–व्यावसायिक पाठ्यक्रमों या संस्थाओं की स्थापना सरकार तथा सार्वजनिक तथा निजी क्षेत्रों के कर्मचारियों की होगी तथापि सरकार महिलाओं, ग्रामीण तथा जनजाति के क्षेत्रों और समाज के वंचित वर्गों की आवश्यकताएँ पूरी करने के लिए विशेष कदम उठाएगी । विकलांगों के लिए भी समुचित कार्यक्रम शुरू किए जाएँगे ।
पैरा 5-20 व्यावसायिक पाठ्यक्रमों के स्नातकों को पूर्वनिर्धारित शर्तों के अंतर्गत व्यावसायिक विकास, वृत्ति का सुधार और बाद में समुचित सेतु पाठ्यक्रमों के माध्यम से सामान्य, तकनीकी और व्यावसायिक शिक्षा के पाठ्यक्रमों में दाखिला दिया जाएगा ।
पैरा 5-21 – अनौपचारिक, लचीले और आवश्यकता पर आधारित व्यावसायिक कार्यक्रम के नवसिखुओं, युवकों जिन्होंने प्राथमिक शिक्षा पूरी की है, स्कूल छोड़ गए हैं और किसी कार्य में लगे हुए हैं और बेरोजगार हैं या वे व्यक्ति जो आंशिक रूप में रोजगारयुक्त हैं, के लिए उपलब्ध किए जाएँगे। इस सम्बन्ध में महिलाओं की ओर विशेष ध्यान दिया जाएगा ।
पैरा 5-22—जो छात्र शिक्षा के उच्च माध्यमिक पाठ्यक्रमों से स्नातक बनते हैं और उन्हें व्यावसायिक पाठ्यक्रमों की भी जरूरत हो सकती है, उनके लिए शिक्षा के तृतीय स्तर पाठ्यक्रम आयोजित किए जाएँगे ।
पैरा 5-23 – यह प्रस्ताव है कि उच्चतर माध्यमिक स्तर के विद्यार्थियों का दस प्रतिशत 1990 तक और 25 प्रतिशत 1995 तक व्यावसायिक पाठ्यचर्या में आ जाए। इस बात के लिए कदम उठाए जाएँगे कि व्यावसायिक शिक्षा पाकर निकले हुए विद्यार्थियों में से अधिकतर को या तो नौकरी मिले या वे अपना रोजगार स्वयं कर सकें । व्यावसायिक पाठ्यक्रमों का पुनरीक्षण नियमित रूप से किया जाएगा । माध्यमिक स्तर पर पाठ्यक्रमों के विविधीकरण को बढ़ावा देने के लिए सरकार अपने अधीन की जाने वाली भर्ती की नीति पर भी पुनः विचार करेंगी ।
संशोधित (1992) : पैरा 5-23 – यह प्रस्ताव किया जाता है कि व्यावसायिक पाठ्यक्रमों में 1995 तक उच्चतर माध्यमिक स्तर के छात्रों को 10 प्रतिशत और 2000 अंक 25 प्रतिशत छात्रों को सम्मिलित किया जाए। यह सुनिश्चित करने के लिए कदम उठाए जाएँगे कि व्यावसायिक पाठ्यक्रमों में सफलता पाने वाले छात्रों का काफी बड़ा प्रतिशत रोजगार पर अथवा स्वरोजगार पर लग जाता है । लागू किए गए पाठ्यक्रमों की नियमित रूप से समीक्षा की जाएगी । माध्यमिक स्तर पर विविधता को बढ़ावा देने के लिए सरकार अपनी भर्ती – नीति की भी समीक्षा करेगी ।
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