शब्द-रचना के प्रकार बताते हुए बताइये कि उपसर्गों द्वारा शब्द रचना किस प्रकार होती है ?
प्रश्न – शब्द-रचना के प्रकार बताते हुए बताइये कि उपसर्गों द्वारा शब्द रचना किस प्रकार होती है ?
उत्तर- शब्द-रचना
हिन्दी शब्दों का निर्माण कई विधियों द्वारा होता है। इसका वर्णन नीचे की पंक्तियों में किया जा रहा है –(i) उपसर्ग से बने शब्द, (ii) प्रत्यय से बने शब्द ।
उपसर्ग से बने शब्द
उपसर्ग वह शब्दांश है जिसका प्रायः स्वतन्त्र रूप से कोई महत्त्व नहीं, परन्तु जब वह किसी शब्द से पूर्व जुड़कर आता है तो शब्द के अर्थ में विशेष परिवर्तन कर देता है। हिन्दी भाषा में जो उपसर्ग उपलब्ध हैं, वे सामान्यतः संस्कृत, हिन्दी और उर्दू भाषा के हैं ।
1. संस्कृत उपसर्ग – इनकी संख्या प्रधानतः 22 हैं, जिनमें से 20 का प्रयोग विशेष रूप से हिन्दी में होता है; यथा
अति — अधिक; यथा – अत्युक्ति, अत्यन्त; इस उपसर्ग का प्रयोग स्वतन्त्र रूप से भी होता है ।
अधि–समीपता, प्रधानता, ऊँचाई; यथा – अधिपति, अध्यक्ष, अधिकार आदि ।
अनु – क्रम सूचक, सदृश, पश्चात्; यथा – अनुरूप, अनुशासन, अनुगमन, अनुज आदि।
अप – लघुता, हीनता, अभाव; यथा – अपशब्द, अपकीर्ति, अपव्यय, अपमान आदि।
अभि— ओर, समीप, अधिक; यथा – अभिमान, अभिनव, अभिसार, अभ्यास आदि ।
अव–पतन, अनादर, हीनता; यथा – अवनत, अवज्ञा, अवगत, अवसाद आदि ।
आ — ओर, सीमा, समेत, कमी, विपरीत; यथा – आगमन, आजन्म, आक्रमण, आदान, आजीवन, आरम्भ आदि ।
उत, उद – ऊपर, उत्कर्ष, यथा- उत्पत्ति, उत्कर्ष, उत्साह, उद्गार, उत्तम, उद्गम आदि ।
उप – लघुता, समीपता, सादृश्य, सहायक; यथा – उपनाम, उपवेद, उपासना, उपस्थित, उपमन्त्री, उपवन आदि ।
दुर, दुस— हीनता, दुष्टता, कठिनाई, निन्दनीय; यथा- दुर्गम, दुष्कर्म, दुर्बल आदि ।
नि–नीचे, भीतर, बाहर; यथा – निबन्ध, निदर्शन, नियुक्त, निवास, निमग्न, निम्न आदि ।
निर, निश– रहित, निषेध; यथा – निराकरण, निमर्म, निरपराध, निर्जीव, निर्दोष | हिन्दी में उपसर्ग का ‘नि’ के रूप में ही प्रयोग होता है ।
परा – अनादर, नाश, विपरीत; यथा- पराभव, पराक्रम, पराजय, परास्त आदि ।
परि — अतिशय, त्याग; यथा- परिपूर्ण परिभ्रमण, परिमाण, पर्याप्त, परिजन आदि ।
प्र—यश, गति, उत्कर्ष, अतिशय; यथा – प्रताप, प्रकाश, प्रमाण, प्रचार आदि ।
प्रति— विरोध, बराबरी, प्रत्येक परिवर्तन, यथा- प्रतिध्वनि, प्रतिकूल प्रत्यक्ष, प्रतिक्षण, प्रतिनिधि आदि ।
वि – असमानता, हीनता, भिन्नता, विशेषता; यथा — वियोग, विराम, विधवा आदि ।
सम–संयोग, पूर्णता; यथा – संग्राम, सन्यास, संहार, संस्कृत, सम्मुख आदि।
सु — अच्छा, सुखी, सुन्दर; यथा – सुगन्ध, सुकर्म, सुगम, सुभाषित आदि ।
टिप्पणी –(1) कई शब्दों में एक से अधिक उपसर्गों का भी प्रयोग किया जाता है; यथा- समालोचना, प्रत्युपकार आदि ।
(2) कुछ विशेषण तथा अव्यय भी उपसर्गों के समान प्रयुक्त होते हैं। उनकी सूची नीचे दी जा रही है –
अधस्– नीचे; यथा – अधोगति, अध:पत्न आदि ।
अन्तः, अन्तर अन्दर; यथा – अन्तर्भाव, अन्तर्गत, अन्तःकरण आदि ।
अमा– निकट; यथा – अमात्य, अमावस्या आदि ।
अलम् – सुन्दर (यह ‘कृ’ धातु से पूर्व आता है); यथा – अलंकार, अलंकृत आदि ।
आविर – प्रकट; यथा- आविष्कार, आविर्भाव आदि ।
इति — ऐसा, यह; यथा – इतिहास, इतिवृत्ति ( हिन्दी में इस उपसर्ग का प्रयोग स्वतन्त्र रूप में भी होता है) ।
कु, का, कद – बुरा; यथा- कुकर्म, कापुरुष, कदाचार ।
चिर – बहुत, सदैव; यथा- चिरकाल, चिरजीव, चिरस्थायी आदि ।
तिरस् – तुच्छ; यथा- तिरस्कार, तिरोहित आदि ।
न – अभाव; यथा – नास्तिक, नपुंसक, नग्न आदि ।
नाना – बहुत; यथा – नाना रूप (हिन्दी में इसका प्रयोग स्वतन्त्र रूप से होता है) ।
पुरस्—सामने; यथा–पुरस्कार, पुरोहित आदि ।
पुनर् – फिर; यथा – पुनर्जन्म, पुनरुक्ति आदि ।
प्रातः – सबेरा; यथा – प्रातः काल, प्रातस्मरण आदि ।
प्रादुर — प्रकट; यथा – प्रादुर्भाव आदि ।
बहिर – बाहर; यथा – बहिर्मुख आदि ।
स — सहित; यथा – सगोत्र, सप्रेम आदि ।
सत्—अच्छा; जैसे-सत्कर्म, सत्साहित्य, सद्मार्ग आदि ।
सह — साथ; यथा – सहगमन, सहपाठी आदि ।
स्व — अपना;.जैसे- स्वदेश, स्वधर्म, स्वजातीय आदि ।
स्वयम — अपने आप; यथा – स्वयंवर आदि । –
2. हिन्दी उपसर्ग – ये संस्कृत उपसर्गों के अपभ्रंश हैं और इनका प्रयोग हिन्दी के तद्भव शब्दों से पूर्व किया जाता है; यथा –
अ— अभाव; यथा – अजान, अबला, अशोक आदि ।
अन – अभाव; यथा – अनमोल, अनपढ़ आदि ।
अध– आधा; यथा – अधपरा, अधमका इत्यादि ।
उन – एक कम; यथा – उनासी, उन्तीस आदि ।
औ— हीनता, निषेध; यथा – औगुन, औडर आदि ।
क, कु–बुरा, नीच, यथा- कपूत, कुढंग आदि ।
नि–निषेध, अभाव; यथा – निडर, निगोड़ी, निकम्मी आदि ।
बिन – निषेध, यथा- बिनब्याहा, बिनखाया आदि ।
भर – पूर्ण; यथा- भरपेट, भरमार आदि ।
स— सहित, अच्छा; यथा – सकाम, सपूत आदि ।
3. उर्दू उपसर्ग – फारसी तथा अरबी के जिन उपसर्गों का प्रचलन उर्दू में है, प्रयोग हिन्दी में भी किया जाता है; यथा –
कम – थोड़ा, हीन; यथा – कमजोर, कमसिन, कम
उम्र आदि ।
खुश – उत्तम; यथा- शुशबू, खुशनसीब आदि ।
गैर-निषेध; जैसे- गैर-कानूनी, गैर-हाजिर आदि ।
दर – में; यथा – नालायक, नापसन्द, नाचीज आदि ।
ना – अभाव; यथा – नालायक, नापसन्द, नाचीज आदि ।
ब—साथ; जैसे-बदोलत, बनाम आदि ।
बद–बुरा; जैसे-बदनाम, बदमजा आदि
बर – ऊपर; यथा – बरखास्त आदि ।
बिला — बिना; जैसे – विलानागा, बिलाशक आदि ।
बे— बिना; यथा – बेअक्ल, बेईमान आदि ।
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