शिक्षण में सहायक साधनों के उपयोग के उद्देश्यों का वर्णन कीजिए।

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प्रश्न – शिक्षण में सहायक साधनों के उपयोग के उद्देश्यों का वर्णन कीजिए।
उत्तर – शिक्षण में सहायक साधनों के उपयोग के उद्देश्य 

शिक्षण-प्रभाविता की दृष्टि से शिक्षण में सहायक साधनों के उपयोग के उद्देश्य अग्र होंगे –

  1. पाठ को रोचक बनाना – शिक्षण का उद्देश्य मात्र किसी अनजानी बात को बताना `ही नहीं, अपितु उसे अच्छी तरह समझाना भी है । साथ ही यह भी एक शाश्वत सत्य है कि जो बात जितनी अधिक रुचिकर होगी, छात्र उसे उतना ही अधिक सीखेंगे । इस दृष्टि से छात्रों की आयु और पाठशाला की परिस्थितियों को ध्यान में रखते हुए, जिस पाठशाला में जो साधन उपलब्ध हो सके, उन्हीं के माध्यम से पाठ को पढ़ाया जाय तो अधिक ठीक रहेगा, यथा – किसी इमारत को जितना अच्छी तरह उसके मॉडल द्वारा समझाया जा सकता है, उतनी ही अच्छी तरह कथनों द्वारा नहीं ।
  2. विद्यार्थियों का ध्यान पाठ पर केन्द्रि करने हेतु – सहायक सामग्री के द्वारा विद्यार्थियों का ध्यान पहले उस सामग्री पर होता है और जब उसी के माध्यम से कोई नयी बात बताई जाती है तो स्वतः ही उनका ध्यान समझाई जाने वाली विषय-वस्तु पर केन्द्रित हो जाता है ।
  3. गूढ़ बातों को समझाने हेतु – पाठ के कुछ ऐसी बातें भी आ जाती हैं जिनको समझाना बड़ा कठिन होता है; विशेषकर भाषायी पाठों के शिक्षण में । ऐसी बातों को समझाने हेतु भी उदाहरण बगैरह की आवश्यकता पड़ती ही है । ये भी शिक्षण के मुख्य सहायक साधन हैं। एक उदाहरण है— भगवान राम जब गंगा पार करने हेतु केवट से नाव माँगते हैं तो वह तमाम तरह के तर्क देता है। उसी प्रसंग में एक दोहा आया है—
    सुनि केवट के बैन; प्रेम लपेटे अटपटे ।
    बिहँसे करुना ऐन; चितइ जानकी लखनु तन ॥
    इसमें दोहे के अन्तिम चरण को समझाने हेतु भारतीय वैवाहिक परम्पराओं— वेदी पर चढ़ने से पूर्व कन्या के पिता द्वारा वर के चरणों को धोने का उदाहरण देकर ही समझाया जा सकता है । सीताजी की ओर देखकर हँसने का कारण है—वह मीठा परिहास जिसके द्वारा केवट सीता-माँ के पिता जैसी हठ कर रहा है और लक्ष्मण की ओर देखकर हँसने का कारण है—लक्ष्मण उस परिहास को किसी अन्य रूप में न ले लें। इसे बिना दृष्टान्त के कभी भी स्पष्ट नही किया जा सकता ।
  4. अर्जित ज्ञान के स्थायित्व हेतु — आपने जब शिक्षण के उद्देश्यों का निर्धारण किया होगा तो उसमें देखा होगा कि ज्ञान अलग है और अवबोध अलग। ज्ञान का अर्थ है – किसी बात को जानना और अवबोध का अर्थ है-उस बात को समझना । किसी बात का समझना, उसे जानना की अपेक्षा कहीं अधिक स्थायी होता है और सहायक साधन विद्यार्थियों द्वारा पाठ को समझने हेतु ही उपयोग में लाये जाते हैं ।
    शिक्षण के सहायक साधनों का इतना अधिक महत्त्व और उपयोगिता होते हुए भीयह सब शिक्षक के विवेक पर निर्भर करेगा कि वह इन साधनों का उपयोग कर अपने शिक्षण को कितना अधिक प्रभावी बना पाता है। शिक्षण के सहायक साधन भी एक नहीं, बहुत हैं। कहीं कोई साधन प्रभावी होता है तो कहीं कोई अन्य। सभी स्थितियों में सभी साधन समान रूप से प्रभावी नहीं हो सकते। इसी को स्पष्ट करने के हेतु पहले हम सहायक साधनों के प्रकार और पुनः उनकी उपयोगिता पर आगे विचार कर रहे हैं ।

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