श्रवण कौशल के विकास हेतु किस प्रकार की अधिगम सामग्री प्रयोग की जा सकती है ?
प्रश्न – श्रवण कौशल के विकास हेतु किस प्रकार की अधिगम सामग्री प्रयोग की जा सकती है ?
उत्तर- श्रवण-कौशल के लिए श्रव्य सामग्री का प्रयोग
- रेडियो—रेडियो श्रवण कौशल विकसित करने का सशक्त माध्यम है । रेडियो पर विद्वानों के भाषण, प्रवचन तथा बालकों के लिए शैक्षिक भाषा के उन्नयन के उद्देश्य से शैक्षिक कार्यक्रम प्रसारित होते हैं। बालकों को इन्हें सुनाकर उन्हें भाषा का उच्चारण अभ्यास एवं वाक्य – प्रयोग का अभ्यास कराया जा सकता है ।
- टेपरिकार्डर—यह भाषा – शिक्षण के लिए अति प्रभावशाली यन्त्र है । इस यन्त्र की सहायता से शब्दोच्चारण, वाक्यों में प्रयोग, कविता, जीवनी आदि को सुनाकर छात्रों को पढ़ाया जा सकता है ।
- टेलीविजन – टेलीविजन भाषा शिक्षण का सर्वाधिक प्रभावकारी एवं उपयोग यन्त्र है। इस पर सुनने के साथ-साथ दृश्य चलचित्रों को जीवन्त रूप में देखा जा सकता है। आजकल देश के अनेक शिक्षण संस्थान; यथा— इन्दिरा गाँधी ओपन यूनिवर्सिटी आदि विविध प्रकार के शैक्षिक कार्यक्रम बनाकर प्रसारित करते हैं। भारत में ज्ञान-दर्शन नाम का एक चैनल शैक्षिक कार्यक्रमों का ही प्रसारण कर रहा है। छात्रों को इन कार्यक्रमों को दिखाकर श्रवण में रुचि पैदा की जा सकती है ।
- ग्रामोफोन – ग्रामोफोन ने शिक्षण कार्य को आसान बना दिया है । इसके प्रयोग से छात्रों को शुद्धोच्चारण सिखाया जा सकता है तथा सुन्दर गीत, कविताएँ आदि सुनाकर उन्हें ज्ञानार्जन कराया जा सकता है ।
- प्रोजेक्टर तथा वीडियो — इन यन्त्र द्वय के माध्यम से भाषा – शिक्षण के कार्यक्रम को चित्र सहित यथारूप दिखाया जा सकता है । इन यन्त्रों की सहायता से वक्ता के उच्चारण करते समय उसकी भाव-भंगिमा, मुख – मुद्रा आदि को साक्षात् देखकर बालक अपने उच्चारण एवं शैली को परिष्कृत कर सकते हैं ।
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