श्रव्य-दृश्य सामग्री के महत्त्व पर प्रकाश डालें ।

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प्रश्न – श्रव्य-दृश्य सामग्री के महत्त्व पर प्रकाश डालें । 

उत्तर – शिक्षा के क्षेत्र में श्रव्य-दृश्य सामग्री के प्रयोग के महत्त्व पर प्रकाश डालते हुए विभिन्न विद्वानों ने अपने विचार अग्र प्रकार व्यक्त किये हैं ।

वेस्ले (E. B. Wesley) के अनुसार, “ श्रव्य-दृश्य साधन अनुभव प्रदान करते हैं । उनके प्रयोग से शब्दों एवं वस्तुओं का सम्बन्ध सरलतापूर्वक स्थापित हो जाता है, बालकों के समय की बचत होती है तथा उनकी सहायता से सरल परन्तु सही बातों का पता चलता है जहाँ बालकों का मनोरंजन होता है, वहीं वे विभिन्न वस्तुओं की प्रशंसा करनो भी सीख जाते हैं । श्रव्य दृश्य साधन जटिल बातों को भी सरल ढंग से प्रस्तुत करते हैं तथा बालकों की कल्पना शक्ति को प्रेरित करते हैं। सम्भव है कि ऐसी सहायक सामग्री की व्यवस्था की व्याख्या तो करनी पड़े पर उनके लिए अनुवादक की कोई आवश्यकता नहीं होती, क्योंकि उनमें प्रकृति, रंग, स्थिति तथा गति सम्बन्धी सर्वव्याप्त भाषा प्रयुक्त होती है । इस प्रकार वे सीखने के लिए राजमार्ग का काम कर सकती है । ”

क्रो एवं क्रो (Crow & Crow) का कथन है कि, “श्रव्य-दृश्य उपकरण सीखने वालों को व्यक्तियों, घटनाओं, वस्तुओं तथा कारण प्रभाव सम्बन्धों के नियोजित अनुभवों से लाभ उठाने का अवसर प्रदान करते हैं।”

उपर्युक्त विचारों के आधार पर श्रव्य-दृश्य सामग्री के महत्त्व को निम्नलिखित बिन्दुओं के द्वारा स्पष्ट किया जा सकता है

  1. श्रव्य-दृश्य सामग्री की सहायता से कठिन प्रत्ययों एवं तथ्यों को सरलता से स्पष्ट किया जा सकता है।
  2. इनकी सहायता से अमूर्त अवधारणाओं को मूर्त रूप प्रदान किया जा सकता है।
  3. इनकी सहायता से शैक्षिक क्रियाओं को रोचक एवं प्रभावशाली बनाया जा सकता है।
  4. इनकी सहायता से छात्रों का ध्यान एक बिन्दु पर केन्द्रित किया जा सकता है ।
  5. इनके प्रयोग से छात्रों की जिज्ञासा में वृद्धि होती है तथा वे सीखने के लिए प्रोत्साहित होते हैं ।
  6. इनके प्रयोग से छात्र ज्ञान के सैद्धान्तिक पक्ष के साथ-साथ व्यावहारिक पक्ष से भी अवगत ह्ये जाते हैं ।
  7. इनके प्रयोग से छात्र सीखी हुई बातों को अधिक देर तक स्मरण रख सकते हैं।
  8. इनके प्रयोग द्वारा छात्रों की कल्पना शक्ति का विकास होता है ।
  9. शिक्षण में इनके प्रयोग से समय की बचत होती है ।
  10. इनकी सहायता से शिक्षक एक साथ अनेक छात्रों की समस्याओं का समाधान कर सकता है ।
  11. इनके प्रयोग से छात्रों को प्रत्यक्ष अनुभव प्राप्त होता है, जिससे ज्ञान स्थायी एवं निश्चित बन जाता है ।
  12. इनकी सहायता से व्यक्तिगत भिन्नताओं की भी सन्तुष्टि होती है तथा मन्द बुद्धि बालकों को भी इनसे सीखने में सहायता मिलती है ।
  13. इनकी सहायता से कक्षा में छात्रों के सीखने में एकरूपता आती है तथा सीखने की गति में भी वृद्धि होती है ।
  14. इनके प्रयोग से छात्रों को विभिन्न प्रकार की क्रियाओं को करने के अवसर प्राप्त होते हैं, जिससे वे कठिन बातों को भी सरलता से सीख जाते हैं।
  15. इनके प्रयोग से विषय विशेषज्ञों की कमी को भी पूरा किया जा सकता है । उदाहरणार्थ- रेडियो या दूरदर्शन पर अच्छे शिक्षकों के पाठों को प्रसारित एवं प्रदर्शित किया जा सकता है ।

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