सर्वशिक्षा अभियान क्या है ? सर्वशिक्षा अभियान को सशक्त तथा प्रभावी बनाने के क्या सुझाव हैं ?
उत्तर – भारत, विश्व की सबसे बड़ी शिक्षा व्यवस्थाओं में एक होने पर भी, यहाँ स्कूल न जाने वाले बच्चों की संख्या विश्व में सर्वाधिक अर्थात् कुल जनसंख्या का 22% है। सर्वप्रथम सन् 1910 में गोपालकृष्ण गोखले ने केन्द्रीय सभा में अनिवार्य प्राथमिक शिक्षा के बारे में एक प्रस्ताव पेश किया जिसे शासन द्वारा अस्वीकार कर दिया गया । सन् 1917 में बम्बई क्षेत्र में बहुत जद्दोजहद के बीच प्राथमिक शिक्षा कार्यक्रम को सर्वप्रथम अनिवार्य किया गया तथा 1937 तक इस कार्यक्रम ने गति पकड़ी और इसे कई प्रान्तों में लागू कर दिया गया । इसके बावजूद 1946 तक अनिवार्य प्राथमिक शिक्षा कार्यक्रम में कोई विशेष प्रगति नहीं हो सकी ।
सन् 1947 में देश स्वतन्त्र तो हुआ, लेकिन राजनीतिक तथा सामाजिक उथल-पुथल के कारण उचित शिक्षा का वातावरण नहीं बन सका । सन् 1950 में देश का नया संविधान लागू हुआ जिसके अनुच्छेद 45 में सन् 1960 तक 14 वर्ष तक के सभी बच्चों को निःशुल्क व अनिवार्य शिक्षा देने की बात कही गयी। इसमें कहा गया कि संविधान लागू होने के 10 वर्ष के अन्दर राज्य अपने क्षेत्र के सभी बालकों को 14 वर्ष की आयु होने तक निःशुल्क व अनिवार्य शिक्षा प्रदान करने का प्रयास करेगा, परन्तु 14 वर्ष तक के बालकों को अनिवार्य व निःशुल्क शिक्षा प्रदान करने का यह संवैधानिक निर्देश वास्तविक रूप से अभी काफी दूर है । सरकार द्वारा अनेक प्रयासों के बावजूद इसमें आशातीत सफलता प्राप्त नहीं हुई है । अतः है केंन्द्र सरकार व मानव संसाधन विकास मंत्रालय के संयुक्त प्रयासों से ‘सर्व शिक्षा अभियान’ प्रारम्भ किया गया ।
यह भारत सरकार का एक कार्यक्रम है जिसकी शुरुआत अटल बिहारी वाजपेयी द्वारा एक निश्चित समयावधि के तरीके से प्राथमिक शिक्षा के सार्वभौमीकरण को प्राप्त करने के लिए की गयी। जैसा कि भारतीय संविधान के 86वें संशोधन द्वारा निर्देशित किया गया है, जिसके तहत 6-14 साल के बच्चों ( 2001 में 205 मिलियन अनुमानित) की मुफ्त एवं अनिवार्य शिक्षा के प्रावधान को मौलिक अधिकार बनाया गया है। इस कार्यक्रम का उद्देश्य 2010 तक सन्तोषजनक गुणवत्ता वाली प्राथमिक शिक्षा के सार्वभौमीकरण को प्राप्त करना है व इसके लिए प्राथमिक विद्यालयों के प्रबन्धन में पंचायतों को प्रतिभागी प्राथमिक शिक्षा को उच्च स्तर पर ले जाने की अभिव्यक्ति है। इसमें यह व्यवस्था लागू की गई है कि केन्द्र तथा राज्य दोनों की साझेदारी हो। इस प्रकार यह विद्यालय प्रणाली के सामुदायिक स्वामित्व के द्वारा प्रारम्भिक शिक्षा को सार्वभौमिक बनाने का प्रयास है। यह गुणवत्तापूर्ण बेसिक शिक्षा की माँग की पूर्ति हेतु चलाई गई योजना है तथा गरीब बच्चों में मानव क्षमताओं को सुधारने का अवसर प्रदान करने का प्रयास है । इस योजना में आठ कार्यक्रम है। इसमें ICDS (Integrated Child Development Scheme) या बाल समन्वित विकास योजना व आँगनबाड़ी आदि भी शामिल हैं । कस्तूरबा गाँधी बालिका विद्यालय योजना की शुरुआत 2004 में हुई जिसमें सभी लड़कियों को प्राथमिक शिक्षा देने का स्वप्न देखा गया। बाद में यह योजना सर्व शिक्षा अभियान के साथ विलय हो गई । इस योजना की प्रमुख विशेषताएँ निम्न प्रकार है –
- यह सार्वभौमिक प्राथमिक शिक्षा के लिए एक समयबद्ध कार्यक्रम है।
- देश भर में गुणवत्ता वाली बेसिक शिक्षा की माँग के प्रति एक अनुक्रिया है ।
- यह एक ऐसा प्रयास है जिसमें प्राथमिक विद्यालयों के प्रबन्धन में पंचायती राज संस्थाओं, विद्यालय प्रबन्ध समितियों, ग्राम स्तरीय शिक्षा समितियों, अभिभावक-शिक्षक संघों, माध्यमिक शिक्षक संघों, आदिवासी स्वायत्तशासी परिचयों की प्रभावी सहभागिता होगी यह केन्द्र, राज्य व स्थानीय शासन में एक साझेदारी है तथा प्राथमिक शिक्षा में अपनी दृष्टि विकसित करने हेतु राज्यों को अवसर देता है ।
- सन् 2010 तक 6 से 14 वर्ष समूह के सभी बच्चों को प्रासंगिक व उपयोगी शिक्षा प्रदान करना ।
- 2003 तक सभी विद्यालय, शिक्षा गारण्टी केन्द्र, वैकल्पिक विद्यालय ‘स्कूल को वापस कैम्पस’ में लाना ।
- 2007 तक सभी बच्चे पाँच वर्ष तक की प्रारम्भिक शिक्षा पूरी करें ।
- 2010 तक सभी छात्र आठ वर्षीय प्रारम्भिक शिक्षा पूरी करें ।
- जीवन के लिए शिक्षा पर बल के साथ सन्तोषप्रद गुणवत्ता वाली प्रारम्भिक शिक्षा को आधार बनाना ।
- 2007 तक प्रारम्भिक स्तर और 2010 तक प्राथमिक शिक्षा में यौनगत व सामाजिक कोटि सम्बन्धी अन्तराल दूर करना । इसमें यह व्यवस्था की गयी है कि यौनगत व सामाजिक दूरी को कम किया जाये। इसमें शिक्षकों, माता-पिता को भी जबावदेह बनाया गया ।
- 2010 तक सार्वभौमिक शिक्षा के लक्ष्य को प्राप्त करना ।
इस कार्यक्रम के अनुसार उन बस्तियों में नये स्कूल बनाने का प्रयास किया जाता है जहाँ स्कूली शिक्षा की सुविधा नहीं है अतिरिक्त इसके शौचालय, पीने के पानी का रख-रखाव, अनुदान और स्कूल सुधार अनुदान के माध्यम से मौजूदा स्कूलों का विकास करना भी है तथा जिन मौजूदा स्कूलों में अपर्याप्त शिक्षक हैं उनमें अतिरिक्त शिक्षक उपलब्ध कराना है। इस योजना के तहत मौजूदा शिक्षकों की क्षमता को व्यापक प्रशिक्षण, विकासशील शिक्षण अधिगम सामग्री अनुदान और ब्लॉक व जिला स्तर पर एक क्लस्टर द्वा अकादमिकं सहायता संरचना को मजबूत बनाने के लिए इस अनुदान से सुदृढ़ बनाया जा रहा है । सर्वशिक्षा अभियान जीवन कौशल सहित गुणवत्तायुक्त प्रारम्भिक शिक्षा प्रदान करता है सर्व शिक्षा अभियान द्वारा लड़कियों और विशिष्ट आवश्यकता वाले बच्चों पर विशेष रूप से ध्यान केन्द्रित किया जाता है। तकनीक आधारित शिक्षा के अन्तराल को कम करने के लिए भी सर्व शिक्षा अभियान में कम्प्यूटर शिक्षा प्रदान करने का भी प्रयास किया जाता है और बच्चों की उपस्थिति कम होने के कारण इसके अन्तर्गत मध्याह्न भोजन वितरण की भी शुरुआत की गयी है । इसे 15 अगस्त, 1995 से प्रारम्भ किया गया था। सरकार को यह मानना था कि इसमें नामांकन में वृद्धि होगी, बच्चों का विद्यालय में ठहराव होगा तथा बच्चों का पोषण होगा ।
सर्व शिक्षा अभियान का क्रियान्वयन (Implementation of Sarva Shiksha Abhiyan) :
- ब्लॉक संसाधन केन्द्र — सबके लिए शिक्षा कार्यक्रम’ में प्रत्येक विकास खण्ड में ब्लॉक संसाधन केन्द्र की स्थापना की गयी है। इसमें एक हॉल (6.5 x 1.2 मीटर), एक कक्ष (5 x 10 मीटर), एक स्टोर रूम ( 3 × 5 मीटर), दो शौचालय, स्नानागार होंगे। इसमें विद्युत आपूर्ति व जल आपूर्ति की पूर्ण व्यवस्था होगी जिसमें एक समन्वयक तथा दो सह-समन्वयक कार्यरत होंगे। इसमें सभी प्रकार की पुस्तकें, संदर्शिकाएँ, समाचार-पत्र, पत्रिकायें, विज्ञान, गणित आदि की किट, रंगीन टी.वी., टू-इन-वन माइक, तबला, मंजीरा, ढोलक, अन्य प्रकार के वाद्य यन्त्रों तथा खेलने के सामान की व्यवस्था की गयी है साथ-ही-साथ 3000 रुपये वार्षिक रख-रखाव हेतु भी मिलते हैं ।
- सह-संसाधन केन्द्र–न्याय पंचायत संसाधन केन्द्रों के लिए शैक्षिक अकादमिक एवं शिक्षणेत्तर आयोजन हेतु नेतृत्व प्रदान करते हैं। ये केन्द्र कार्यशालायें, विचारगोष्ठियों, समय-सारणी की संरचना, सहयोग एवं मार्गदर्शन, पर्यवेक्षण में भी सहायता करते हैं ।
- न्याय पंचायत केन्द्रों के माध्यम से विकास खण्ड के सभी स्कूलों की सूचनाओं को ‘सूचना प्रबन्धन प्रणाली’ के लिए संकलित किया जाता है |
- वैकल्पिक व अभिनव शिक्षा – सभी बच्चो को प्राथमिक शिक्षा देने हेतु, सर्व शिक्षा अभियान के अन्तर्गत वैकल्पिक व अभिनव शिक्षा (AIE) का भी प्रावधान किया गया है । जनजातीय व तटीय क्षेत्र में वंचित और पिछड़े समूहों के बच्चों की भागीदारी सुनिश्चित करने के लिए विभिन्न रणनीतियों को विकसित किया गया है।
- प्राथमिक विद्यालयों की स्थापना — प्राथमिक विद्यालयों की स्थापना हेतु 300 की आबादी और परिषदीय प्राथमिक विद्यालय से 1.5 किमी. की परिधि के बाहर स्थित बस्तियों को. असेवित माना गया है ।
- शिक्षक छात्र अनुपात – विद्यालय स्तर पर न्यूनतम दो अध्यापकों की सुनिश्चितता एवं छात्र संख्या के आधार पर समुचित उपलब्धता ।
- निःशुल्क पाठ्य-पुस्तक वितरण – सर्व शिक्षा अभियान की सफलता हेतु कक्षा एक से कक्षा 8 तक के अनुसूचित जाति/जनजाति वर्ग के बालक व समस्त बालिकाओं हेतु निःशुल्क पाठ्य-पुस्तकें उपलब्ध करायी जाती हैं।
- शिक्षण अधिगम उपकरण- असेवित बस्तियों में नवनिर्मित विद्यालयों हेतु विद्यालय स्तरानुसार धनराशि उपलब्ध कराना ।
- अभिनव क्रियाकलाप – अभिनव कार्यक्रमों को स्कूलों में लागू करने में 6-14 वर्ष के सारे बच्चे लाभान्वित होते हैं एवं ये कार्यक्रम प्रासंगिक, प्राथमिक शिक्षा प्राप्त करने की प्रक्रिया और समुदाय की सक्रिय भागीदारी के रूप में व क्षेत्रीय व लैंगिक असमानता को कम करने की दिशा में उत्प्रेरक की भूमिका अदा करते हैं । ये कार्यक्रम शिक्षा के प्रति छात्रों में रुचि पैदा करने में सफल रहे हैं और इनसे उनकी पढ़ाई को जारी रखने में मदद मिलती है । अभिनव योजनाओं के अन्तर्गत कार्यान्वित कार्यक्रम हैं— बचपन की देखभाल व शिक्षा, बालिका शिक्षा, अनुसूचित जाति / अनुसूचित जनजाति की शिक्षा व कम्प्यूटर शिक्षा |
- अध्यापक प्रशिक्षण – शिक्षण अधिगम सम्प्राप्ति के उन्नयन हेतु शिक्षकों को आवश्यकतानुसार प्रशिक्षण की सुविधा |
- सामुदायिक प्रशिक्षण – विद्यालयों के प्रबन्धन एवं सफल संचालन हेतु गठित समितियों के प्रशिक्षण की व्यवस्था |
- समेकित शिक्षण – बिशेष आवश्यकता वाले बच्चों के प्रभावी शिक्षण हेतु अध्यापक प्रशिक्षण वैकल्पिक शिक्षा उपकरण, वितरण, असेसमेण्ट कैम्प, अभिभावक परामर्श आदि की व्यवस्था ।
- शोध, मूल्यांकन, पर्यवेक्षण व अनुश्रवण – स्थानीय स्तर पर समस्यओं के निराकरण हेतु शोधकार्य कराना, प्रभावी पर्यवेक्षण एवं मूल्यांकन हेतु योजनाएँ तैयार करना । इसके अन्तर्गत एक प्रभावी प्रबन्धन सूचना प्रणाली हेतु प्रति स्कूल 1500 रुपये की राशि सामान्यत: प्रस्तावित होती है। इसमें घरेलू आँकड़ों को अद्यतन करने के लिए नियमित रूप से स्कूल मैपिंग व माइक्रो योजना का प्रावधान है।
- विद्यालय अनुदान – परियोजना के तहत स्कूल के लिए 2000 रुपये प्रति स्कूल अनुदान दिया गया था। विद्यालय अनुदान में से 100 रुपये स्कूल के पुस्तकालय सुविधाओं के सुधार हेतु धन दिया गया था तथा शेष बाकी निधि को गैरकार्यात्मक उपकरण को कार्यात्मक बनाने में, स्कूल सौन्दर्यीकरण, मरम्मत और फर्नीचर, अनुरक्षण, संगीत, वाद्ययन्त्र व स्कूलों के सम्पूर्ण पर्यावरण के विकास पर खर्च किया गया था ।
- शैक्षिक अनुदान – कक्षा शिक्षण के विकास और शिक्षक सहायता की तैयारी के क्रम के लिए 500 रुपये का अनुदान सभी एल. पी./यू. पी. (निम्न प्राथमिक/उच्च प्राथमिक) शिक्षकों को दिया जाता है। प्रभावी कक्षा शिक्षण के लिए शिक्षकों ने अनुदान का प्रयोग उत्पादन और TLM उपलब्ध कराने में किया, जिसमें 2007-08 के दौरान 5,47,590 शिक्षक लाभान्वित हुए ।
- सुधारात्मक शिक्षण ।
- बालिका शिक्षा ।
- ब्लॉक एवं न्याय पंचायत स्तर पर सुदृढ़ीकरण ।
- समुदाय सहभागिता ।
- दूरस्थ शिक्षा ।
- आँकड़ों के संग्रहीकरण विश्लेषीकरण को प्रयोग करने हेतु मजबूत बनाना ।
- कार्यक्रम के क्रियान्वयन में तीव्रता लाने के लिए सभी कार्यों को लक्ष्यों क साथ ज़ोड़ना चाहिए ताकि उस पर बल दिया जा सके ।
- सकल नामांकन अनुपात 100 प्रतिशत के स्तर पर पहुँचाने के बाद अनुपस्थित और शिक्षा बीच में छोड़ने वालों पर रोक लगाने की तरफ ध्यान लगाया जाना चाहिए ।
- बच्चों की शिक्षा में रुचि बनाये रखने के लिए क्लासरूम प्रक्रियाओं को अधिक गहराई से समझकर उनमें गुणवत्तापूर्ण सुधार लाने का प्रयास करना चाहिए ।
- क्षमता निर्माण की दशा में प्रयास करना ताकि सभी अधिगम उपलब्धियों को प्राप्त किया जा सके ।
- प्रशासनिक क्रियाविधियों की लगातार समीक्षा भी जरूरी है जिससे आने वाली विभिन्न बाधाओं को दूर किया जा सके व स्कूल की बच्चों के प्रवेश व ठहराव को सरल बनाया जा सके ।
- सिविल कार्यों का अध्ययन गम्भीरता से किया जाये व सन्दर्भ विशिष्ट स्कूल भवन डिजाइन पर ध्यान दिया जाये ।
- अभियान में लगे हुए गैर-सरकारी संगठनों की सतत् समीक्षा की जाये और यह आश्वासन दिया जाये कि अनुदान का रुपया ठीक प्रकार से खर्च किया जा रहा है |
- समुदाय की भागीदारी बढ़ायी जाये ।
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