सामाजिक तथा आर्थिक दृष्टि से पिछड़े वर्गों के लिए शैक्षिक कार्यक्रम की विवेचना करें ।
प्रश्न – सामाजिक तथा आर्थिक दृष्टि से पिछड़े वर्गों के लिए शैक्षिक कार्यक्रम की विवेचना करें ।
(Discuss the educational programmes for socially and economically weaker sections.)
उत्तर – संविधान में दर्शाए गए मूल्यों, आदर्शों तथा आकांक्षाओं को ध्यान में रखते हुए सामाजिक तथा आर्थिक दृष्टि से पिछड़े वर्गों की शिक्षा के लिए निम्न कार्यक्रमों में तेजी लाने की आवश्यकता है –
- शिक्षा का अधिकार (Right to Education) – वर्ष 2001 में संविधान में संशोधन किया गया तथा प्रारम्भिक स्तर पर (कक्षा 1 से 8) तक अनिवार्य तथा सार्वभौमिक बनाई गई । वर्ष 2009 में संसद ने विधेयक पारित किया। इस विधेयक के कार्यान्वयन के लिए ठोस कदम उठाने की आवश्यकता है ।
- पिछड़े वर्ग के क्षेत्रों में शैक्षिक संस्थाएँ खालने पर बल (Emphasive on Opening Educational Institutions in the Area Mostly Inhabited hy Backward Sections)– शैक्षिक संस्थाएँ खोलते समय पिछड़े वर्ग के क्षेत्रों को प्राथमिकता दी जाए ।
- शैक्षिक संस्थाएँ खोलने के मानदण्ड में लचीलापन (Flexibility in Opening Educational Institutions)- पिछड़े वर्गों के लिए शैक्षिक संस्थाएँ खोलते समय मापदण्डों में नरमी बरती जाए ।
- लड़कियों की शिक्षा को प्राथमिकता देना (Priority to Girls Education ) – लड़कियों की शिक्षा पर अधिक बल दिया जाय ।
- छात्रवृत्तियाँ (Scholarships) – पिछड़े वर्गों के लिए छात्रवृत्तियाँ प्रदान करने की उदार नीति बनाई जाए।
- दोपहर का भोजन (Mid-day Meals) – पिछड़े वर्गों के छात्रों के लिए दोपहर के भोजन की उचित व्यवस्था की जाए अर्थात् भोजन पौष्टिक तथा पर्याप्त हो ।
- यातायात की सुविधाएँ (Transport Facilities) — दूर-दराज क्षेत्रों में स्कूल जाने वाले बच्चों के लिए विशेष व्यवस्था की जाए ।
- निःशुल्क स्कूल वर्दी – स्कूल जाने वाले पिछड़े वर्गों के बच्चों को निःशुल्क स्कूल वर्दी प्रदान की जाय ।
- निःशुल्क पाठ्यपुस्तकें तथा स्टेशनरी — निःशुल्क पाठ्यपुस्तकें तथा अन्य सामग्री बिना शुल्क के दी जाय ।
- स्कूलों में साज-सामान (Infrastructure in School)– पिछड़े वर्गों के क्षेत्रों में साज- – समान प्राथमिकता के आधार पर दिया जाए ।
- क्षतिपूर्ति शिक्षण (Compensatory Education)– पिछड़े वर्गों के छात्रों के लिए विशेष कक्षाओं की व्यवस्था की जाए ।
- प्रवेश नीति (Admission Policy)—प्रवेश के लक्ष्य निर्धारित किये जाएँ ।
- व्यावसायिक पाठ्यक्रम (Vocational Curriculum) – स्थानीय आवश्यकताओं को ध्यान में रखते हुए व्यावसायिक पाठ्यक्रम चलाए जाएँ ।
- अध्यापकों की समय पर नियुक्तियाँ (Posting of Teacher in Time)— इस बात पर विशेष ध्यान देने की आवश्यकता है कि पिछड़े क्षेत्रों में समय पर अध्यापकों की नियुक्ति हो ।
- अध्यापकों का टिके रहना (Stability of Teacher) — प्रायः यह देखा गया है कि पिछड़े क्षेत्रों में अध्यापक जल्दी-जल्दी बदलते रहते हैं । अतः इसे रोकने की आवश्यकता है। इस दिशा में ठोस नीति बनाई जाए ।
- अभिभावकों से सम्पर्क (Contact with Parents) – पिछड़े क्षेत्रों के अभिभावकों से नियमित तौर से सम्पर्क बनाने की आवश्यकता है। उन्हें प्रेरित किया जाए कि शिक्षा का छात्र के सर्वांगीण विकास में विशेष योगदान रहता है |
- कार्य अनुभव तथा नॉनफॉर्मल शिक्षा पर बल (Work Experience and Non-Formal Education)– पिछड़े क्षेत्रों में इस बात की अत्यंत आवश्यकता है कि दस्तकारी आदि के पाठ्यक्रमों पर तथा अंशकालिक पाठ्यक्रमों को उपलब्ध कराया जाए ।
- विशिष्ट व्यावसायिक स्कूलों की स्थापना (Opening of Special Vocationa Schools) — आवश्यकता अनुसार विभिन्न प्रकार के व्यावसायिक स्कूल पिछड़े क्षेत्रों में खोले जाएँ ।
- निर्देशन तथा परामर्श (Guidance and Counselling) – शिक्षा के सभी स्तरों पर पिछड़े वर्गों के बच्चों के लिए विशेष निर्देशन तथा परामर्श की व्यवस्था की जाए ।
- अध्यापक प्रशिक्षण (Teacher Education) – अध्यापक प्रशिक्षण में पिछड़े वर्गों के बच्चों को पढ़ाने तथा मार्गदर्शन सम्बन्धी विशेष प्रावधान किया जाए ।
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