स्कूल पुस्तकालयों की वर्तमान स्थिति पर प्रकाश डालें ।
प्रश्न – स्कूल पुस्तकालयों की वर्तमान स्थिति पर प्रकाश डालें ।
उत्तर – माध्यमिक शिक्षा आयोग, 1952-53 ने अपने रिपोर्ट में कहा है कि हमारे वर्तमान पुस्तकालय केवल ‘नाममात्र’ ही हैं । इनसे बच्चों को पुस्तकों के अध्ययन के प्रति प्रेरणा नहीं मिलती । अब भी स्थिति लगभग वैसी ही है। वर्तमान पुस्तकालयों में आयोग ने निम्नलिखित दोष पाये हैं।
- पुस्तकालय के लिए स्थान- कई बार देखा गया है कि पुस्तकें कुछ ऐसी अल्मारियों में रखी होती हैं जो किसी गन्दे कंमरे में पड़ी हुई होती हैं। कई बार अध्यापक-कक्ष से भी यह काम लिया जाता है ।
- पुस्तकालय अध्यक्ष – धीरे-धीरे इस बात का अनुभव किया जा रहा है कि प्रशिक्षित पुस्तकालय अध्यक्ष ही पुस्तकालय की देख-रेख करें। फिर भी अनेक ऐसे विद्यालय हैं जिनमें यह कार्य क्लर्क को सौंप दिया जाता है। कभी-कभी यह कार्य किसी अध्यापक को भी दिया जाता है। यह स्थिति पुस्तकालय के हित में नहीं है ।
- अध्यापकों का उपेक्षा भाव- दुर्भाग्य की बात है कि बहुत कम अध्यापक पुस्तकालय से पुस्तक लेकर पढ़ते हैं। साथ ही वे छात्रों को भी पुस्तकें पढ़ने के लिए प्रेरित नहीं करते । वे प्रायः उस समय पुस्तकालय से कोई पुस्तक निकलवाते हैं जब उन्हें विश्वविद्यालय की किसी परीक्षा में बैठना हो ।
- पुस्तकों का चयन – पुस्तकों के चयन पर पूरा ध्यान नहीं दिया जाता है।
- अर्थव्यवस्था – कई गैर-सरकारी विद्यालयों की स्थिति बहुत शोचनीय है। पुस्तकें खरीदने के लिए उनके पास धन का अभाव रहता है ।
- पुस्तकालय सेवा – ऐसा भी देखने में आया है कि पुस्तकें होते हुए भी वे छात्रों को नहीं दी जातीं । पुस्तकालय अध्यक्ष यही सोच लेते हैं कि पुस्तक गुम होने पर उनके लिए परेशानी आ जाती है। वे पुस्तकों की विषयानुसार सूचियाँ भी नहीं बनाते।
- समय सारणी में स्थान- समय सारणी में प्रायः पुस्तकालय से पुस्तकें लेने के लिए समय देने का कोई ध्यान नहीं रखा जाता ।
- पाठ्यक्रम तथा परीक्षा पद्धति – परीक्षा ही शिक्षा में प्रधान मानी जाने लगी है 1 परिणामस्वरूप छात्र सस्ती कुंजियाँ, गाइड आदि ही पढ़ते हैं।
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