हिन्दी की पाठ्यचर्या, पाठ्यक्रम तथा पाठ्य पुस्तकों में अन्तरसम्बन्धों को समझाइए।

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प्रश्न – हिन्दी की पाठ्यचर्या, पाठ्यक्रम तथा पाठ्य पुस्तकों में अन्तरसम्बन्धों को समझाइए।

उत्तर – सुचित्रित तथा सुनियोजित पाठ्यचर्या के आधार पर ही किसी पाठ्यक्रम तक पहुँचा जा सकता है तथा उससे सार्थक लक्ष्य प्राप्त किया जा सकता है। दोनों के स्वरूप को तथा स्थिति को यहाँ स्पष्ट किया जा रहा है।

पाठ्यक्रम–कनिंघम ने पाठ्यक्रम को निम्नलिखित रूप में परिभाषित किया है, “यह कलाकार रूपी शिक्षक के हाथ में वह साधन है, जिससे कि वह अपने पदार्थ रूपी विद्यार्थी को अपने आदर्श के अनुसार स्कूल में ढाल सके। ”

पाठ्यक्रम तथा पाठ्यचर्या– “सीखने की इकाइयों का कक्षा एवं विषय वार क्रम-निर्धारण ही पाठ्यक्रम है। ” परन्तु पाठ्यक्रम निर्माण की प्रक्रिया पाठ्यचर्या है।

पाठ्यचर्या का अर्थ एवं परिभाषा

पाठ्यचर्या के लिए अंग्रेजी में Curriculum शब्द का प्रयोग किया जाता है। Curriculum शब्द की उत्पत्ति लैटिन भाषा के शब्द से हुई है, जिसका अर्थ होता है—’दौड़ का मैदान । ‘ शिक्षा के सन्दर्भ में शाब्दिक अर्थ के अनुसार पाठ्यचर्या से अभिप्राय उस मार्ग से है, जिसके माध्यम से बालक शिक्षा के उद्देश्यों को प्राप्त करता है।

संकुचित अर्थ में पाठ्यचर्या के अन्तर्गत विषयों के तथ्यों की सीमाएँ निश्चित कर दी जाती हैं, अर्थात् पाठ्य-वस्तु को एक सूची के रूप में सीमित कर दिया जाता है। परन्तु आधुनिक समय में पाठ्यचर्या का अर्थ अधिक व्यापक हो गया है। इस विषय के सम्बन्ध में माध्यमिक शिक्षा आयोग का विचार है कि, “पाठ्यचर्या का अर्थ, केवल उन सैद्धान्तिक विषयों से नहीं है, जो स्कूल में परम्परागत रूप से पढ़ाये जाते हैं, वरन् इसमें अनुभवों की वह सम्पूर्णता भी सम्मिलित होती है, जिनको बालक, स्कूल, कक्षा, पुस्तकालय, प्रयोगशाला, खेल के मैदान एवं शिक्षक और छात्रों के अनगिनत अनौपचारिक सन्दर्भों से प्राप्त करता है। इस प्रकार विद्यालय का पूरा जीवन पाठ्यचर्या बन जाता है, जो छात्रों के सभी पक्षों को प्रभावित कर सकता है और उनके विकास में सहायता दे सकता है।

सामान्यत: पाठ्यक्रम एवं पाठ्यचर्या शब्दों को समानार्थी माना जाता है। वस्तुत: दोनों शब्दों में भेद है। पाठ्यक्रम का अर्थ व्यापक है और पाठ्यचर्या का सीमित अर्थ है। पाठयक्रम में विद्यालय के समस्त शैक्षणिक एवं सह – शैक्षणिक कार्य आते हैं जबकि पाठ्यचर्या में शैक्षणिक विषयों एवं तत्सम्बन्धी विषय-सामग्री को ही सम्मिलित किया जाता है। पाठ्यचर्या को इस प्रकार से परिभाषित किया जा सकता है— “विषय से सम्बन्धित शैक्षणिक इकाइयों एवं प्रकरणों का चयन एवं सुसम्बद्ध संगठन ही पाठ्यचर्या है । ”

हिन्दी भाषा की पाठ्य पुस्तक

अंग्रेजी भाषा में पुस्तक के लिए ‘बुक’ (Book) शब्द का प्रयोग किया जाता है। बुक शब्द जर्मन भाषा ‘बीक’ (Beach) शब्द से बना है, जिसका अर्थ वृक्ष होता है। फ्रांसीसी भाषा में इसका अर्थ ‘वृक्ष की छाल’ लिया जाता है। भारत में पुस्तक के लिए प्राचीन काल से ग्रन्थ शब्द का प्रयोग होता आया है। ग्रन्थ का अर्थ गूँथना और बाँधना है।

पाठ्य-पुस्तक की परिभाषा – किसी भी पुस्तक को हम पाठ्य पुस्तक नहीं कह सकते । पाठ्य पुस्तक के सम्बन्ध में निम्नलिखित परिभाषाएँ प्रस्तुत हैं—

  1. बेकन पाल के शब्दों में, “पाठ्य-पुस्तक कक्षा-शिक्षण के प्रयोग के लिए प्ररचित वह पुस्तक है जो सावधानी के साथ उस विषय के विशेषज्ञ द्वारा तैयार की जाती है और जो सामान्य शिक्षण युक्ति से भी सम्पन्न होती है । “
  2. गुड के शब्दों में, “एक निश्चित पाठ्यक्रम के अध्ययन के प्रमुख साधन के रूप में एक निश्चित शैक्षिक स्तर पर प्रयुक्त करने के लिए एक निश्चित विषय पर व्यवस्थित ढंग से लिखी हुई पुस्तक पाठ्य-पुस्तक है । “
  3. हर्न आर, डगलस के अनुसार — “शिक्षकों के बहुमत ने अन्तिम विश्लेषण के आधार पर पाठ्य-पुस्तक को वे क्या और किस प्रकार पढ़ायेंगे की आधारशिला बताया है। “
  4. प्रो. हेरोलिकर के अनुसार “पाठ्य पुस्तक ज्ञान के विभिन्न तत्त्वों, आदतों, भावनाओं, क्रियाओं तथा अभिरुचियों का पुँज है। “
  5. प्रो. बार तथा बटेन के अनुसार — “पाठ्य पुस्तक हमारे देश में शिक्षा का एक महत्त्वपूर्ण यन्त्र है। “

उपरोक्त विवरण से भाषा-शिक्षण में पाठ्य पुस्तकों का महत्त्व स्पष्ट हो जाता है। हमारे देश में पाठ्य-पुस्तकों की स्थिति बहुत ही शोचनीय है। इस सम्बन्ध में माध्यमिक शिक्षा आयोग का यह विचार है कि “हम स्कूलों की पाठ्य पुस्तकों के आधुनिक स्तर से बहुत ही असन्तुष्ट हैं और हमारा विचार है कि इनमें पूर्ण सुधार किये जाने चाहिए | ”

इस प्रकार से विभिन्न विषयों की निश्चित पाठ्यचर्या के अनुसार विशेषज्ञों द्वारा जो पुस्तकें तैयार की जाती हैं, उन्हें पाठ्य पुस्तकें कहते हैं ।

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