जीव विज्ञान : आनुवंशिकता तथा जैव विकास | Class 10Th Biology Chapter – 7 Notes | Model Question Paper | आनुवंशिकता तथा जैव विकास Solutions

जीव विज्ञान : आनुवंशिकता तथा जैव विकास | Class 10Th Biology Chapter – 7 Notes | Model Question Paper | आनुवंशिकता तथा जैव विकास Solutions

आनुवंशिकता तथा जैव विकास

स्मरणीय तथ्य : एक दृष्टिकोण

(MEMORABLE FACTS: ATA GLANCE)
> पृथ्वी पर जीवों में विविधता उनके क्रमिक एवं निरंतर विकास के कारण ही है।
> पृथ्वी पर वर्तमान जटिल प्राणियों के विकास प्रारंभ में पाए जानेवाले सरल प्राणियों में परिस्थिति और वातावरण के अनुसार होनेवाले परिवर्तनों के कारण हुआ। सजीव जगत् में होनेवाले इस परिवर्तन को जैव विकास कहते हैं।
> विभिन्नताएँ दो प्रकार की होती हैं—(i) जननिक तथा (ii) कारिक
> जनकों से उनके संतानों में पीढ़ी-दर-पीढ़ी युग्मकों के माध्यम से पैतृक गुणों का संचरण आनुवंशिकता कहलाता है।
> विभिन्नता जीव के ऐसे गुण हैं जो उसे अपने जनकों अथवा अपनी ही जाति के अन्य सदस्यों के उसी गुण के मूलस्वरूप से विभिन्नता दर्शाते हैं।
> किसी जीव की जीनी संरचना उस जीव का जीनप्ररूप या जीनोटाइप कहलाता है।
> आनुवंशिक लक्षण या विशेषक जो स्पष्ट रूप से दिखाई देते हैं, लक्षणप्ररूप या फेनोटाइप Phenotype) कहलाते हैं।
> कायिक विभिन्नता क्रोमोसोम या जीन के गुणों में परिवर्तन के कारण न होकर वातावरण के प्रभाव, भोजन के प्रकार, अन्य जीवों के साथ परस्पर व्यवहार जैसे कारणों से होती है।
> ग्रेगर जॉन मेंडल को आनुवंशिकी का पिता (Father of genetics) कहा जाता है।
> मेंडल का प्रथम नियम पृथक्करण कहलाता है।
> मेंडल ने अपना प्रसिद्ध आनुवंशिकी का प्रयोग साधारण मटर कर किया था।
> मेंडल के द्विगुण संकरण से प्राप्त लक्षणप्ररूपी अनुपात 9: 3:3:1 है।
>  मेंडल के एकसंकर संकरण के प्रयोग से प्राप्त लक्षणप्ररूपी अनुपात 3 : 1 तथा जीनप्ररूपी अनुपात 1:2:1 है।
> मेंडल के द्विगुण संकरण के प्रयोग से प्राप्त निष्कर्ष मेंडल के स्वतंत्र विन्यास का नियम कहलाता है।
> मनुष्य के 23 जोड़े क्रोमोसोम में से X तथा Y क्रोमोसोम ही मनुष्य में लिंग-निर्धारण के लिए उत्तरदायी हैं।
> जैव विकास जीव विज्ञान की वह शाखा है जिसमें जीवों की उत्पत्ति तथा उसके पूर्वजों का इंतिहास तथा उनमें, समय-समय पर हुए क्रमिक परिवर्तनों का अध्ययन किया जाता है।
> फ्रांसीसी वैज्ञानिक जे. बी. लामार्क के उपार्जित लक्षणों या लामार्कवाद तथा चार्ल्स डार्विन के प्राकृतिक चुनाव द्वारा जीवों का विकास या डार्विनवाद को ही सबसे पहले जैव विकास की व्याख्या के संबंध में वैज्ञानिक मान्यता मिली।
> जीवों में विभिन्नता उत्परिवर्तन तथा आनुवंशिक पुनयोग है।
> प्रारंभ में प्रकाशसंश्लेषण करनेवाले जीव के न होने के कारण पृथ्वी पर ऑक्सीजन नहीं था, इसलिए उस समय पृथ्वी का वातावरण अपचायक था।
> किसी भी जाति विशेष के एक समष्टि या आबादी में स्थित समस्त जीन उस आबादी का जीन कोश कहलाता है।
> जीवों के वर्गीकरण के अध्ययन से यह पता चलता है कि जैविक विकास के आधार पर जीवों के वर्गीकृत समूह किस प्रकार एक-दूसरे से संबंधित हैं।
> अंतः प्रजनन, आनुवंशिक विचलन तथा प्राकृतिक चुनाव के द्वारा होनेवाले जाति – उद्भवन उन जीवों में हो सकते हैं जिनमें लैंगिक जनन होता है।
> एक जीवाश्म की आयु ज्ञात करने का एक वैज्ञानिक विधि रेडियोकार्बन काल-निर्धारण है।
> विकास के दृष्टिकोण से विभिन्न प्रजातियों के बीच आपस में संबंध का अन्वेषण लैंगिक जनन के समय उनके DNA में हुए परिवर्तन के अध्ययन से किया जा सकता है।
> ऑर्कियोप्टेरिक्स एक ऐसा जीवाश्म है जिसमें रेप्टीलिया तथा एवीज दोनों के गुण पाए जाते हैं।
>  जीवों के किसी जटिल अंग की उत्पत्ति अचानक नहीं, बल्कि अनगिनत पीढ़ियों में क्रमिक विकास के द्वारा हुई है।
> अभ्यासार्थ प्रश्न
> वस्तुनिष्ठ प्रश्न
1. सही उत्तर का संकेताक्षर ( क, ख, ग या घ) लिखें।
1.  किसी जीव की जीनी संरचना कहलाती है
(क) लक्षणप्ररूप या फेनोटाइप
(ख) जीनप्ररूप या जीनोटाइप
(ग) आनुवंशिकी
(घ) विभिन्नता
उत्तर – (ख)
2. मेण्डल ने अपने प्रयोग के लिए बगीचे में उगाए जानेवाले किस पौधे का चयन किया ?
(क) साधारण मटर
(ख) उड़हुल
(ग) गुलाब
(घ) शहतूत
उत्तर – (क)
3.  जीव विज्ञान की वह शाखा जिसके अंतर्गत विभिन्नता तथा आनुवंशिकता का अध्ययन किया जाता है, कहलाता है
(क) जीवाश्म विज्ञान
(ख) भ्रूण विज्ञान
(ग) जीव विज्ञान
(घ) आनुवंशिकी
उत्तर – (घ)
4. अफ्रीकी मानव का सबसे निकट संबंधी है
(क) चिम्पैंजी
(ख) गोरिल्ला
(ग) बंदर
(घ) गिलहरी
उत्तर – (क)
5. पक्षी तथा चमगादड़ के पंख हैं
(क) समजात अंग
(ख)असमजात अंग
(ग) अवशेषी अंग
(घ) कोई नहीं
उत्तर – (ख)
II. रिक्त स्थानों की पूर्ति करें।
1.  एक ही जाति के विभिन्न सदस्यों में पाए जानेवाले अंतरों को …….. कहते हैं।
उत्तर – विभिन्नता है।
2.  मेंडल के एकसंकर संकरण के प्रयोग से प्राप्त लक्षण प्ररूपी अनुपात ………. है ।
उत्तर – 3:1
3. ………एक जीवाश्म की आयु के निर्धारण की एक वैज्ञानिक विधि है।
उत्तर – रेडियोकार्बन काल-निर्धारण
4.  जीवों के किसी जटिल अंग की उत्पत्ति अचानक नहीं, बल्कि अनगिनत पक्षियों में ……….  के द्वारा हुई है।
उत्तर – क्रमिक विकास
5. ऑर्कियोप्टेरिक्स नामक जीवाश्म में …….. तथा एवीज दोनों के गुण पाए जाते हैं।
उत्तर – रेप्टीलिया
> अतिलघु उत्तरीय प्रश्न
1. कोशिका में जीन कहाँ स्थित होते हैं ?
उत्तर – कोशिका में जीन गुणसूत्रों में पायी जाती है।
 2. विभिन्नता के दो मुख्य प्रकार कौन-कौन से हैं ?
उत्तर – (i) जननिक तथा (ii) कायिक।
3.  पीढ़ी-दर-पीढ़ी वंशागत होकर संचारित होनेवाली विभिन्नता क्या कहलाती है ?
उत्तर – आनुवंशिक विभिन्नता पीढ़ी-दर-पीढ़ी वंशागत होकर संचारित होती है।
4.  ऐसे आनुवंशिक गुण या लक्षण जो स्पष्ट रूप से दिखाई देते हैं, क्या कहलाते हैं ?
उत्तर – ऐसे आनुवंशिक गुण या लक्षण जो स्पष्ट रूप से दिखाई देते हैं, लक्षणप्ररूप या फेनोटाइप कहलाते हैं।
5. आनुवंशिकी का पिता कौन कहलाता है ?
उत्तर – ग्रेगर जॉन मेण्डल को आनुवंशिकी का पिता कहा जाता है।
 6. मेण्डल ने अपने प्रयोग के लिए किस पौधे का चयन किया ? उसका वैज्ञानिक नाम क्या है?
उत्तर – मेण्डल ने अपने प्रयोग के लिए बगीचे में उगनेवाले साधारण मटर के पौधों का चयन किया।
7.  मेण्डल के प्रयोग एकसंकर संकरण से प्राप्त जीनप्ररूपी का अनुपात कितना है ?
उत्तर – मेण्डल के प्रयोग एकसंकर संकरण से प्राप्त जीनप्ररूपी का अनुपात 1:2:1 है।
8.  मेण्डल का प्रथम नियम क्या कहलाता है ।
उत्तर – मेण्डल का प्रथम नियम पृथक्करण का नियम कहलाता है।
9. आनुवंशिक विभिन्नता के दो मुख्य स्रोत कौन-कौन से हैं ?
उत्तर – (i) आनुवंशिक उत्परिवर्तन (genetic mutation)
 (ii) आनुवंशिक पुनर्योग (genetic recombination)।
10.  किसी जाति विशेष के एक समष्टि या आबादी में स्थित समस्त जीन क्या कहलाता है ?
उत्तर – किसी भी जाति विशेष के एक समष्टि या आबादी में स्थित समस्त जीन उस आबादी का जीन कोश कहलाता है।
11. जीव की उत्पत्ति के ठीक पहले पृथ्वी का वातावरण अपचायक था या उपचायक ?
उत्तर – जीव की उत्पत्ति के ठीक पहले पृथ्वी का वातावरण अपचायक था।
12. उपार्जित लक्षणों के वंशागति द्वारा जैव विकास की व्याख्या किसने की थी ?
उत्तर – उपार्जित लक्षणों के वंशागति द्वारा जैव विकास की व्याख्या लामार्क ने की थी।
13.  प्राकृतिक चुनाव द्वारा प्राणियों के विकास का सिद्धांत किसने दिया था ?
उत्तर – प्राकृतिक चुनाव द्वारा प्राणियों के विकास का सिद्धांत डार्विन ने दिया था।
 14.  जीवाश्म की आयु – निर्धारण की एक वैज्ञानिक विधि का नाम बताएँ।
उत्तर – जीवाश्म की आयु निर्धारण की एक वैज्ञानिक विधि का नाम रेडियोकार्बन काल-निर्धारण विधि है।
15. जीवों का वह गुण जो उसे अपने जनकों अथवा अपनी ही जाति के अन्य सदस्यों के उसी गुण के मूल स्वरूप से विभिन्नता दर्शाता है, क्या कहलाता है।
उत्तर – विभिन्नेता।
16. जीवों के शरीर में होनेवाली वैसी विभिन्नताएँ जो एक पीढ़ी से दूसरी पीढ़ी में वंशागत नहीं होती हैं, क्या कहलाती हैं?
उत्तर – कायिक विभिन्नता।
17.  मेंडल के आनुवंशिकी के प्रयोग में F, पीढ़ी के उन पौधों को जिनमें जनक पौधों के दोनों विपरीत गुण मौजूद थे क्या कहा गया ?
उत्तर – प्रथम संतति ।
18.  मेंडल के एकसंकर संकरण के प्रयोग के फलस्वरूप F पीढ़ी में उत्पन्न पौधों में लक्षण प्ररूपी अनुपात क्या था?
उत्तर – 3 : 1
19. मेंडल के द्वारा मटर के पौधों पर किए गए आनुवंशिकी के प्रयोग में बौनापन किस प्रकार का गुण था-प्रभावी या अप्रभावी?
उत्तर – अप्रभावी।
20.  मनुष्य में पाए जानेवाले 23 जोड़े क्रोमोसोम में 22 जोड़े एक ही प्रकार के क्रोमोसोम क्या कहलाते हैं ?
उत्तर- ऑटोसोम
21. जीवविज्ञान की वह शाखा जिसमें जीवों की उत्पत्ति तथा उसके पूर्वजों का इतिहास तथा समय-समय पर उनमें हुए क्रमिक परिवर्तनों का अध्ययन किया जाता है, क्या कहलाता है ?
उत्तर – जैव विकास |
22. “प्राकृतिक चुनाव द्वारा जीवों का विकास” -जैव विकास द्वारा यह व्याख्या क्या कहलाता है ?
उत्तर – आनुवंशिक पुनर्योग –
23. जीवों के वैसे अंग जो संरचना एवं उत्पत्ति की दृष्टिकोण से एक समान होते है, परंतु वे अलग-अलग कार्यों का संपादन करते हैं, क्या कहलाते हैं ?
उत्तर – समाजत अंग।
24.  लुप्त हो चुके जीवों का पत्थरों पर पाए जानेवाला चिन्ह क्या कहलाता है ?
उत्तर – जीवाश्मा
25.  एक ही प्रजातियों के सदस्यों के बीच आपस में होनेवाले प्रजनन को क्या कहते हैं ?
उत्तर – लैंगिक प्रजनन ।
26. फूलगोभी किस प्रकार का पुष्प है ?
उत्तर – बंध्यपुष्प ।
27. मानव का उद्भव स्थान मूल रूप से अफ्रिका है या एशिया ?
उत्तर – अफ्रीका।
28. उद्भव की दृष्टि से मानव का सबसे करीबी संबंधी कौन है ?
उत्तर – जीवाश्म
29. आधुनिक पानव का प्राचीनतम जीवाश्म अफ्रिका के किस स्थान से प्राप्त हुआ है ?
उत्तर – इथियोपिया नामक स्थान से ।
30.  DNA अनुक्रम के तुलनात्मक अध्ययन द्वारा किसी जीव के पूर्वजों की खोज क्या कहलाता है ?
उत्तर – आण्विक जातीवृत।
> लघु उत्तरीय प्रश्न
1.  विभिन्नता की परिभाषा दें।
उत्तर – जीव के ऐसे गुण जो उसे अपने अथवा अपनी ही जाति के अन्य सदस्यों के उसी गुण के मूल स्वरूप की भिन्नता को दर्शाते हैं, विभिन्नता कहलाते हैं। एक ही प्रकार के जनकों से उत्पन्न विभिन्न संतानों के रूप-रंग, शारीरिक बनावट, आवाज, मानसिक क्षमता आदि को लेकर भिन्नता पाई जाती है।
2. आनुवंशिकता का अर्थ बताएँ।
उत्तर – एक पीढ़ी से दूसरी पीढ़ी में जीवों के मूल गुणों का संचरण आनुवंशिकता कहलाता है। इन गुणों का संचरण एक पीढ़ी से दूसरी पीढ़ी में जनकों के युग्मकों के द्वारा होता है। अतः जनकों से उनके संतानों में पीढ़ी-दर-पीढ़ी युग्मकों के माध्यम से पैतृक गुणों का संचरण आनुवंशिकता कहलाता है।
3. जीनप्ररूप या जीनोटाइप किसे कहते हैं ?
उत्तर – किसी जीव या प्राणी की जीनी संरचना उस जीव का जीवप्ररूप या जीनोटाइप कहलाता है। इसके द्वारा जीवों के गुणों का संचरण होता है। जीनोटाइप के कारण प्रकट होने वाले गुणों की जीव का निर्धारण जनकों के युग्मकों के संयोजन के समय ही हो जाता है। संतति में पीढ़ी-दर-पीढ़ी गुणों का संचरण अपने जनकों से होता है।
4.  मेण्डल का प्रथम नियम या पृथक्करण नियम क्या है
उत्तर – जब अप्रभावी लक्षण के कारण प्रभावी लक्षण के कारक में पृथक होता है तो यह अपने लक्षण की अभिव्यक्ति कर देता है। इस कारण दूसरी पीढ़ी के पौधों के 25 प्रतिशत संतानों में सिर्फ अप्रभावी लक्षणों के जोड़े बनते हैं। फलस्वरूप प्रभावी उ और अप्रभावी लक्षण 3 : 1 के अनुपात में प्रकट होते हैं। इसे ही मेण्डल का प्रथम नियम या पृथक्करण का नियम कहते हैं।
5. जीन कोश क्या है ?
उत्तर – किसी भी प्रजाति विशेष के एक समष्टि या आबादी में स्थित समस्त जीन उस आबादी का जीन कोश कहलाता है। जीन कोश के कुछ जीन में वातावरणीय कारणों से कुछ बदलाव आ सकता है। जीन में होने वाले ऐसे बदलाव पीढ़ी-दर-पीढ़ी वंशागत संचारित होते रहते हैं।
6. आनुवंशिक गुण से क्या समझते हैं ?
उत्तर – प्रत्येक जीव में बहुत से ऐसे गुण होते हैं जो पीढ़ी-दर-पीढ़ी माता-पिता, अर्थात् जनकों से उनके संतानों में संचरित होते रहते हैं। ऐसे गुणों को आनुवंशिक गुण या पैतृक गुण कहते हैं।
7. जाति उद्भवन क्या है ?
उत्तर – डार्विन ने बताया कि किसी भी स्थान पर जीवों के लक्षणों में थोड़ा-थोड़ा परिवर्तन होता रहता है। इसके साथ ही प्रकृति की भौतिक परिस्थितियों में भी परिवर्तन होता रहता जिससे लगातार प्राकृतिक चयन भी उनके विरुद्ध काम करते हैं। इन कारणों से सैकड़ों वर्षों में इनके लक्षणों में काफी परिवर्तन हो जाते हैं जिससे नई प्रजाति की उत्पत्ति होती है। इसे ही जाति उद्भवन कहा जाता है।
8. जंतु वर्गीकरण के विभिन्न स्तरों के नाम लिखें ।
उत्तर – जीवों का वर्गीकरण विभिन्न स्तरों में किया गया है। ये स्तर निम्न हैं—जगत, उपजगत, फाइलम, डिवीजन, वर्ग, गुण, कुल, वंश तथा जाति में किया गया है। इन पदानुक्रमण में जीवों के वर्गीकरण का आधार उनके गुणों में समानता एवं असमानता है। जन्तुओं में विभिन्नता के बावजूद भी कुछ गुण समान होते हैं।
9.  समजात अंग एवं असमजात अंग से आप क्या समझते हैं ?
उत्तर – समजात अंग (Homologous organs)- ऐसे अंग जो रचना और उत्पत्ति की दृष्टि से समान हैं, किन्तु कार्यों में भिन्नता होती है, समजात अंग कहलाते हैं। जैसे—घोड़े का अग्रपाद
तथा मनुष्य के अग्रपादों में पाये जाने वाली अस्थियों के अवयव प्रायः समान होते हैं। किन्तु इनके कार्य भिन्न हैं। घोड़े के अग्रपाद शरीर के बोझ उठाने या दौड़ने या चलने के काम आते हैं। वहीं मनुष्यों के हाथ वस्तुओं को पकड़ने के काम आते हैं। इन अंगों से पता चलता है कि दोनों के पूर्वज एक ही थे।
> असमजात अंग (Anologous organs) -समजात अंगों के विपरीत जन्तुओं में कुछ ऐसे भी अंग या कुछ ऐसी रचनाएँ होती हैं जिनके कार्य समान होते हैं, पर उसकी उत्पत्ति और रचना भिन्न होती है। ऐसे अंगों को असमजात या समवृत्त अंग कहते हैं। कीटों के पंख और चमगादड़ के डैने दोनों ही कीटों तथा चमगादड़ों को हवा में उड़ने में सहायता प्रदान करते हैं, किन्तु इनकी रचना एवं उत्पत्ति बिल्कुल भिन्न है। चमगादड़ के डैनों में अंतःकंकाल के रूप में अस्थियाँ मौजूद रहती हैं। जबकि कीटों के पंख में ऐसी कोई रचना नहीं होती है। इससे पता चलता है कि दोनों जन्तुओं का भिन्न-भिन्न पूर्वजों से विकास हुआ है।
10.  लिंग क्रोमोसोम किसे कहते हैं ?
उत्तर – मनुष्य में लिंग निर्धारण की क्रिया को समझने के लिए हमें क्रोमोसोम का अध्ययन करना जरूरी है। मनुष्य में 23 जोड़े क्रोमोसोम होते हैं। इनमें 22 जोड़े क्रोमोसोम एक ही प्रकार के होते हैं, इसे ऑटोमोस कहते हैं। तेईसवाँ जोड़ा भिन्न आकार का होता है, जिसे लिंग क्रोमोसोम कहते हैं।
लिंग क्रोमोसोम दो प्रकार के होते हैं— X और Y होता है। X क्रोमोसोम लम्बा और छड़ के आकार का होता है। Y क्रोमोसोम अपेक्षाकृत बहुत छोटे आकार का होता है। नर में X और Y दोनों क्रोमोसोम मौजूद रहते हैं। किन्तु मादा में केवल X क्रोमोसोम ही होते हैं अर्थात् मादा में X, X क्रोमोसोम होते हैं ये X और Y क्रोमोसोम ही मनुष्य में लिंग निर्धारण के लिए उत्तरदायी हैं।
>  दीर्घ उत्तरीय प्रश्न
1.  विभिन्नता क्या है ? जननिक विभिन्नता एवं कायिक विभिन्नता का वर्णन करें।
उत्तर –  एक ही प्रकार में जनकों से उत्पन्न विभिन्न संतानों का अवलोकन करने पर हम पाते हैं कि उनमें कुछ-न-कुछ अंतर होता है। उनके रंग-रूप, शारीरिक गठन, आवाज, मानसिक क्षमता आदि में काफी विभिन्नता होती है। एक ही प्रजाति के जीवों में दिखने वाले ऐसी अंतर आनुवंशिक अन्तर या वातावरणीय दशाओं में अंतर के कारण होता है। एक ही जाति के विभिन्न सदस्यों में पाये जाने वाले इन्हीं अंतरों को विभिन्नता कहते हैं। अर्थात् विभिन्नता सजीवों के ऐसे गुण हैं जो उसे अपने जनकों अथवा अपने ही जाति के अन्य सदस्यों के उसी गुण के मूल स्वरूप से भिन्नता को दर्शाते हैं।
> जननिक विभिन्नता- इस प्रकार की विभिन्नताएँ जनन कोशिकाओं में होने वाले परिवर्त्तन के कारण होता है। ऐसी विभिन्नताएँ एक पीढ़ी से दूसरी पीढ़ी में वंशागत होती हैं। इसे आनुवंशिक विभिन्नता भी कहते हैं। ऐसी विभिन्नताओं में कुछ जन्म के समय से प्रकट हो जाती है। जैसेआँखों एवं बालों का रंग/शारीरिक गठन, लम्बाई में परिवर्त्तन आदि जन्म के बाद की विभिन्नताएँ हैं।
> कायिक विभिन्नताएँ ऐसी विभिन्नताएँ कई कारणों से होती हैं। जैसे जलवायु एवं वातावरण का प्रभाव, पोषण के प्रकार, परिवेशीय जीवों के साथ परस्पर व्यवहार इत्यादि से ऐसी विभिन्नताएँ आ सकती हैं। ऐसी विभिन्नताएँ क्रोमोसोम या जीव परिवर्तन के कारण नहीं होती हैं। अतः ये पीढ़ी-दर-पीढ़ी वंशागत नहीं होती हैं। ऐसी विभिन्नताएँ उपार्जित होती हैं। इस विभिन्नता का जैव विकास में कोई महत्त्व नहीं है।
2.  मेंडल द्वारा मटर पर किये गये एकसंकर संकरण के प्रयोग तथा निष्कर्ष का वर्णन करें।
उत्तर – ग्रेगर जॉन मेंडल को आनुवंशिकी का पिता कहा जाता है। मटर के पौधे पर किये गये अपने प्रयोगों के निष्कर्षों को उन्होंने 1866 में Annual Proceedings of the Natural Society of Brunn में प्रकाशित किया। इसने मटर जैसे साधारण पौधे का चयन किया। मटर के पौधे के गुण स्पष्ट तथा विपरीत लक्षणों वाले होते हैं। मेंडल ने प्रयोग में विपरीत गुण वाले
लम्बे तथा बौने पौधे पर विचार किया। उसने बौने पौधे के सारे फूलों को खोलकर उनके पुंकेसर हटा दिए। फिर उसने एक लम्बे पौधे के फूलों को खोलकर उनके परागकणों को निकालकर बौने पौधे के फलों के वर्तिकानों पर गिरा दिया। मेंडल ने इन दोनों जनक पौधे को जनक पीढ़ी कहा। इसने जो बीज बने उनसे उत्पन्न सारे पौधे लम्बे नस्ल के हुए। इस पीढ़ी के पौधे को मेंडल ने प्रथम संतति कहा। इसे F से इंगित किया। इस F पीढ़ी के पौधे में दोनों जनक (लम्बे एवं बौने ) के गुण मौजूद थे। चूँकि लम्बेपन वाला गुण बौनेपन पर अधिक प्रभावी था। अतः बौनेपन का गुण मौजूद होने के बावजूद पौधे लम्बे हुए। मेंडल ने लम्बे पौधे के लिए ‘T’ तथा बौने के लिए ‘1’ का प्रयोग किया। इस तरह प्रथम पीढ़ी के सभी पौधे ‘Tt’ गुणवाले हुए। इनमें T (लम्बापन),
 t (बौनेपन) पर प्रभावी था। इस कारण F, पीढ़ी यानी प्रथम पीढ़ी के सभी पौधे लम्बे हुए। चूँकि दोनों जनक पौधे शुद्ध रूप से लम्बे तथा बौने थे, इसलिए शुद्ध लम्बे पौधों को  तथा शुद्ध बौने पौधे को tt द्वारा सूचित किया गया । F पीढ़ी के पौधे में दोनों गुण मौजूद थे, इस कारण इन्हें संकर नस्ल कहा गया। F पीढ़ी के पौधों को जब आपस में प्रजनन कराया गया अगली 7 पीढ़ी (F,) के पौधों में लम्बे और बौने का अनुपात 3:1 पाया गया अर्थात् कुल पौधों में से प्रतिशत पौधे लम्बे (TT) तथा शेष संकर नस्ल के लम्बे (Tt) पौधे पैदा हुए अर्थात् संकर नस्ल के लम्बे पौधे के प्रभावी गुण (T) तथा अप्रभावी गुण (t) के मिश्रण थे। ( एक भाग
इस आधार पर F, पीढ़ी के पौधों के अनुपात 1: 2:1 यानि TT, 2Tt तथा tt शुद्ध लम्बे दो भाग संकर नस्ल के लम्बे तथा एक भाग शुद्ध बौने) से दर्शाया गया। 3 : 1 के अनुपात को लक्षणप्ररूपी अनुपात तथा 1:2:1 को जीन प्ररूपी अनुपात कहा जाता है। मेंडल के इस प्रयोग को एकसंकर संकरण कहा जाता है।
जीनप्ररूपी अनुपात: TT : Tt: tt = 1:2:1 लक्षणप्ररूपी अनुपात: लम्बा : बौना = 3:1
3. मनुष्य में लिंग – निर्धारण के विधि का वर्णन करें।
उत्तर – हम जानते हैं कि लैंगिक प्रजनन में नर युग्मक तथा मादा युग्मक के संयोजन से युग्मनज (zygote) का निर्माण होता है। जो विकसित होकर अपने जनकों जैसा नर या मादा जीव बन जाता. है। मनुष्य एक जटिल प्राणी है। इसमें लिंग निर्धारण क्रिया को समझने के लिए क्रोमोसोम का अध्ययन करना पड़ता है।
मनुष्य में 23 जोड़े क्रोमोसोम होते हैं। इनमें 22 जोड़े क्रोमोसोम एक ही प्रकार के होते हैं, जिसे ऑटोसोम (autosomes) कहते हैं। तेईसवाँ जोड़ा भिन्न आकार का होता है, जिसे लिंग-क्रोमोसोम कहते हैं। ये दो प्रकार के होते हैं— X और Y. X क्रोमोसोम अपेक्षाकृत बहुत छोटे आकार का होता है। नर में X और Y दोनों लिंग-क्रोमोसोम मौजूद होते हैं, पर मादा में Y क्रोमोसोम लिंग-क्रोमोसोम के रूप में होते हैं। ये X और Y क्रोमोसोम ही मनुष्य में लिंग – निर्धारण (sex determination) के लिए उत्तरदायी (responsible) होते हैं ।
युग्मकों (gamates) के निर्माण के समय X और Y अलग-अलग युग्मकों में चले जाते हैं। अत: नर में X और Y दो प्रकार के युग्मक बनते हैं, पर मादा में केवल X क्रोमोसोम वाले ही युग्मक बनते हैं। इन युग्मकों के निषेचन के फलस्वरूप नर एवं मादा बनते हैं। जिस युग्मनज (zygote) में X, Y दोनों क्रोमोसोम पहुँच जाते हैं, वह नर (male) बन जाता है और जिसमें दोनों लिंग क्रोमोसोम X, X पहुँच जाते हैं वह मादा (female) बन जाता है। लिंग- निर्धारण के लिए इस मत को हेटेरोगैमेसिस का सिद्धांत (theory of heterogamesis) कहते हैं।
4. जैव विकास क्या है ? लामार्कवाद का वर्णन करें।
उत्तर – पृथ्वी पर वर्तमान जटिल प्राणियों का विकास प्रारंभ में पाए जानेवाले सरल प्राणियों की परिस्थिति और वातावरण के अनुसार होनेवाले परिवर्तनों के कारण हुआ। सजीव जगत में होनेवाले इस परिवर्तन को जैव विकास कहते हैं।
लामार्क फ्रांस का प्रसिद्ध प्रकृति वैज्ञानिक था। इसने सर्वप्रथम 1809 में जैव विकास के अपने विचारों की अपनी पुस्तक फिलॉसफिक, जूलॉजिक में प्रकाशित किया । लामार्क के सिद्धांत को उपार्जित लक्षणों का वंशागति सिद्धांत कहते हैं। लामार्क के अनुसार जीवों की संरचना, कायिकी उनके व्यवहार पर वातावरण के परिवर्त्तन का सीधा प्रभाव पड़ता है। लामार्क के अनुसार वे अंग जो जीवधारियों की अनुकूलता के लिए महत्त्वपूर्ण हैं बार-बार उपयोग में लाये जाते हैं, जिससे कि उनका विकास होता है, लेकिन वैसे लक्षण जो अनुकूलता की दृष्टि से महत्त्वपूर्ण नहीं हैं या हानिकारक हो सकते हैं उनका उपयोग नहीं किया जाता है, जिससे वे धीरे-धीरे नष्ट हो जाते हैं।
लामार्क की यह अवधारणा थी कि परिवर्तित वातावरण के कारण जीवों के अंगों का उपयोग अधिक या कम होता है। जिन अंगों का उपयोग अधिक होता है वे अधिक विकसित हो जाते हैं। जिनका उपयोग नहीं होता है उनका धीरे-धीरे ह्रास हो जाता है। यह परिवर्त्तन वातावरण अथवा जन्तुओं के उपयोग पर निर्भर करता है। इस कारण जन्तु के शरीर में जो परिवर्तन होता है उसे उपार्जित लक्षण कहा जाता है। ये लक्षण वंशागत होते हैं अर्थात् एक पीढ़ी से दूसरी पीढ़ी में प्रजनन के द्वारा चले जाते हैं। ऐसा लगातार होने से कुछ पीढ़ियों के पश्चात् उनकी शारीरिक रचना बदल जाती है तथा एक नये प्रजाति का विकास होता है। हालाँकि लामार्कवाद के सिद्धांत का कई वैज्ञानिकों ने खंडन किया है।
5. डार्विन के प्राकृतिक चयन के सिद्धांत का वर्णन करें।
उत्तर – डार्विनवाद (Darwinism)–चार्ल्स डार्विन और वैलेस ने बाद में प्राकृतिक चयनवाद का सिद्धांत (theory of natural selection) दिया, जिसे डार्विन ने अपनी प्रसिद्ध पुस्तक ‘Origin of Species by Natural selection’ में प्रस्तुत किया। इसे स्थापित करने में स्पेन्सन (Spencer, 1858) नामक वैज्ञानिक ने भी योगदान दिया। डार्विन के सिद्धांत के अनुसार प्रत्येक जीवधारी में संतानोत्पत्ति की अद्भुत क्षमता (over productivity) पायी जाती है, इसलिए एक अकेली प्रजाति पूरी पृथ्वी पर फैल जा सकती है। परिणामतः आवास और भोजन की उपलब्धता के लिए इनमें अंतःप्रजातीय (Intraspecific) और अंतर्जातीय (Inter specific) और बीच-बीच में प्राकृतिक विपदाओं ( natural clamities) से भी संघर्ष करना पड़ता है, जिसे अस्तित्व के लिए संघर्ष (struggle for existance) कहा जाता है। स्पेंसर ( 1858) के अनुसार इस त्रिआयामी संघर्ष में सिर्फ वही विजेता हो सकता है जिसके लक्षण अनुकूलतम (survival of fittest) हों। इस आधार पर डार्विन ने निष्कर्ष निकाला  प्रकृति बार-बार परिवर्त्तनों के द्वारा किसी भी क्षेत्र में पाये जाने वाले जीवधारियों के एक बल उत्पन्न करती है, जिसे प्राकृतिक चयन कहा जाता है। इसके कारण प्रतिकूल लक्षणों वाले जीवधारी नष्ट हो जाते हैं और अनुकूल लक्षणों वाले जीवधारियों का परोक्ष चयन हो जाता है।” यह सिद्धांत वास्तव में चावल चुनने के बदले कंकड़ चुनने की क्रिया है। लेकिन, प्रतिकूल लक्षण वाले जीवधारी तुरन्त मर जाते हैं, ऐसी बात नहीं है; वास्तव में धीरे-धीरे उनका प्रजनन दर (natality) घटता है और मृत्यु दर (mortality) बढ़ता है जिससे कि सैकड़ों वर्षों में ये लुप्त होते हैं। डार्विन को आनुवंशिकता के कारणों का पता नहीं था, इसलिए वे वास्तव में यह नहीं बता सकते थे कि लक्षण धीरे-धीरे क्यों हैं। लेकिन उन्होंने विभिन्नताओं (variations) की पहचान की और नयी प्रजातियों की  उत्पत्ति पर ठीक-ठीक प्रकाश डाला।
6. आनुवंशिक विभिन्नता के स्रोतों का वर्णन करें।
उत्तर – जीवों में आनुवंशिक विभिन्नता उत्परिवर्तन के कारण होता है तथा नई जाति के विकास में इसका योगदान हो सकता है। क्रोमोसोम पर स्थित जीन की संरचना तथा स्थिति में परिवर्तन ही उत्परिवर्तन का कारण है। आनुवंशिक विभिन्नता का दूसरा कारण आनुवंशिक पुनर्योग भी है। आनुवंशिक पुनर्योग के कारण संतानों के क्रोमोसोम में जीन के गुण (संरचना तथा क्रोमोसोम पर उनकी स्थिति) अपने जनकों के जीव से भिन्न हो सकते हैं। कभी-कभी ऐसे नए गुण जीवों को वातावरण में अनुकूलित होने में सहायक नहीं भी होते हैं। ऐसी स्थिति में आपसी स्पर्द्धा, रोग इत्यादि कारणों से वैसे जीव विकास की दौड़ में विलुप्त हो जाते हैं। बचे हुए जीव ऐसे लाभदायक गुणों को अपने संतानों में संचरित करते हैं। इस तरह प्रकृति नए गुणों वाले कुछ जीव का चयन कर लेती है तथा कुछ को निष्कासित कर देती है। प्राकृतिक चयन द्वारा नए गुणों वाले जीवों का विकास इसी प्रकार से होता है। .
7. पृथ्वी पर जीवों की उत्पत्ति पर प्रकाश डालें।
उत्तर – एक ब्रिटिश वैज्ञानिक जे. बी. एस. हाल्डेन ने सबसे पहली बार सुझाव दिया था कि
जीवों की उत्पत्ति उन अजैविक पदार्थों से हुई होगी जो पृथ्वी की उत्पत्ति के समय बने थे। सन् 1953 में स्टेनल एल. मिलर और हेराल्ड सी. डरे ने ऐसे कृत्रिम वातावरण का निर्माण किया था जो प्राचीन वातावरण के समान था। इस वातावरण में ऑक्सीजन नहीं थी। इसमें अमोनिया, मीथेन और हाइड्रोजन सल्फाइड थे। उसमें एक पात्र में जल भी था जिसका तापमान 100°C से कम रखा गया था। जब गैसों के मिश्रण से चिंगारियाँ उत्पन्न की गईं जो आकाशीय बिजलियों के समान थीं। मीथेन से 15% कार्बन सरल कार्बनिक यौगिकों में बदल गए। इनमें एमीनो अम्ल भी संश्लेषित हुए जो प्रोटीन के अणुओं का निर्माण करते हैं। इसी आधार पर हम कह सकते हैं कि जीवनों की उत्पत्ति अजैविक पदार्थों से हुई है।
8. जीवों में जाति उद्भवन की प्रक्रिया कैसे संपन्न होता है ?
उत्तर – नई स्पीशीज के उद्भव में वर्तमान स्पीशीज के सदस्यों का परिवर्तनशील पर्यावरण में ‘जीवित बने रहना है। इन सदस्यों को नये पर्यावरण में जीवित रहने के लिए कुछ बाह्य लक्षणों में परिवर्तन करना पड़ता है। अतः भावी पीढ़ी के सदस्यों में शारीरिक लक्षणों में परिवर्तन दिखाई देने लगते हैं। जो संभोग क्रिया के द्वारा अगली पीढ़ी में हस्तांतरित हो जाते हैं परंतु यदि दूसरी कॉलोनी के नर एवं मादा जीव वर्तमान पर्यावरण में संभोग करेंगे तब उत्पन्न होने वाली पीढ़ी के सदस्य जीवित नहीं रह सकेंगे।
इसके अतिरिक्त अंतःप्रजनन अर्थात एक ही प्रजातियों के बीच आपस में प्रजननक विचलन तथा प्राकृतिक चुनाव के द्वारा होनेवाले जाति उद्भवन उन जीवों में हो सकते हैं जिनमें केवल लैंगिक जनन होता है। अलैगिक जनन द्वारा उत्पन्न जीवों में तथा स्वपरागण द्वारा उत्पन्न पौधों में जाति – उद्भवन की संभावना नहीं होती है। तथा
> अन्य महत्त्वपूर्ण प्रश्न एवं उनके उत्तर
1. वस्तुनिष्ठ प्रश्न
I. प्रत्येक प्रश्न में दिये गये बहुविकल्पों में सही उत्तर चुनें।
1. मेंडल के एक प्रयोग में लंबे मटर के पौधे जिनके बैंगनी पुष्प थे, का संकरण बौने पौधों जिनके सफेद पुष्प थे, से कराया गया। इनकी संतति के सभी पौधों में पुष्प बैंगनी रंग के थे। परंतु उनमें से लगभग आधे बौने थे। इससे कहा जा सकता है कि लंबे जनक पौधों की आनुवंशिक रचना निम्न थी –
(क) TIWW
(ग) TtWW
(ख) TTww
(घ)  TtWw
उत्तर – (ग)
2. समजात अंगों के उदाहरण हैं
(क) हमारा हाथ तथा कुत्ते के अग्रपाद
(ख) हमारे दाँत तथा हाथी के दाँत
(ग) आलू एवं घास के उपरिभूस्तारी
(घ) उपरोक्त सभी।
उत्तर – (क)
3. विकासीय दृष्टिकोण से हमारी किससे अधिक समानता है
(क) चीन के विद्यार्थी
(ख)चिम्पैंजी
(ग) मकड़ी
(घ) जीवाणु।
उत्तर – (क)
4.  कौन-सा वैज्ञानिक मेंडल के नियमों की पुनः खोज से सम्बन्धित है ?
(क) शर्मक
(ख) लैमार्क
(ग) डार्विन
(घ) लिनियस
उत्तर – (क)
5. आनुवंशिकता के नियम किसने प्रतिपादित किए ?
(क) बीजमान
(ग) शर्मक
(ख)डी. ब्रीज
(घ) मेंडल
उत्तर – (घ)
6. गुणसूत्र बने होते हैं :
(क) DNA के
(ख) DNA तथा RNA के
(ग) DNA तथा प्रोटीन्स व RNA के
(घ) इनमें से कोई नहीं
उत्तर – (ग)
7.  मेंडल ने अपने प्रयोग किस पर किए थे ?
(क) मटर
(ख) ड्रोसोफिला
(घ) चूहा
(ग) मनुष्य
उत्तर-(क)
8.  पुरुष जीन संघटन होता है
(क) XX
(ख) XY
(ग) X
(घ) Y
उत्तर – (ख)
9. कोशिका में आनुवंशिक पदार्थ है
(क) डी.एन.ए.
(ख) गुणसूत्र
(ग) जीन
(घ) हरितलवक
उत्तर – (क)
10. जीन शब्द किसने प्रस्तुत किया ?
(क) जॉनसन
(ख) लैमार्क
(ग) मेंडल
(घ) ग्रिफिथ
उत्तर – (क)
11. फ्रेंडरिक मिशर ने न्यूक्लिन नाम किसे दिया ?
(क) नाभिक अम्ल
(ख) सल्फ्यूरस अम्ल
(ग) HNO3
(घ) HCI
उत्तर – (क)
12. आनुवंशिकी का जनक है
(क) ग्रेगर जॉन मेंडल
(ख) टी. बोवेरी
(ग) जोहानसन
(घ) डब्ल्यू. एस. सट्टन
उत्तर – (क)
13.  किसने प्रमाण दिया कि जीन गुणसूत्र का भाग है
(क) 1928 में ग्रिफिथ
(ख) 1909 में जोहानसन
(ग) 1902 में टी. बोवेरी एवं डब्ल्यू. एस. सट्टन
(घ) 1944 में मैकार्टी।
उत्तर – (ग)
14.  प्रत्येक गुणसूत्र दो कुंडलित धागों का बना होता है जिसे कहते हैं –
(क) अर्धगुणसूत्र
(ख) क्रोमोस्टैम
(ग) गुणसूत्र बिंदु
(घ) इनमें से कोई नहीं।
 उत्तर – (क)
15.  मानव नर में लिंग गुणसूत्र हैं –
(क) XX
(ख)YY
(ग) XY
(घ) इनमें से कोई नहीं।
उत्तर – (ग)
16.  वे अंग जिनकी उत्पत्ति तथा मूल रचना में तो समानता होती है, किंतु कार्य के अनुसार उनकी बाह्य रचना में परिवर्तन हो जाता है। ऐसे अंगों को कहते हैं
(क) समजात अंग
(ख) अवशेषी अंग
(ग) समवृत्ति अंग
(घ) इनमें से कोई नहीं।
उत्तर – (क)
17.  वर्तमान प्राणियों में कुछ संरचनाएँ ऐसी पायी जाती हैं जिनका शरीर में अब कोई उपयोग नहीं रह गया है। ऐसी संरचनाओं को कहते हैं
(क) समजात अंग
(ख) अवशेषी अंग
(ग) समवृत्ति अंग
(घ) इनमें से कोई नहीं ।
उत्तर – (ख)
18.  पुस्तक ‘जातियों का अभ्युदय’ निम्न में से किसके द्वारा लिखी गई है
(क) लिनियस
(ख) लैमार्क
(ग) डार्विन
(घ) इनमें से कोई नहीं।
उत्तर – (ग)
II. रिक्त स्थानों को उपयुक्त शब्दों या अंकों से भरें।
1.  मानव नर ……..होता है।
उत्तर – विषमयुग्मजी
2. जीन्स …….. पर स्थित होते हैं
उत्तर – गुणसूत्रों
3. F1   पीढ़ी का अर्थ है ………… ।
उत्तर – प्रथम पुत्रीय पीढ़ी
4. ……….. द्वारा जीव की बाह्य आकृति का ज्ञान होता है।
उत्तर – फ्रीनोटाइप
5. उपार्जित लक्षणों की वंशागति का वाद ………… ने प्रस्तुत किया था।
उत्तर – लैमार्क
6. ……..में सरीसृपों तथा पक्षियों के लक्षण पाये गए।
उत्तर – आर्किओप्टेरिक्स
7.  प्लीका सेमिल्यूनेरिस मानव में एक …..अंग है।
उत्तर – अवशेषी
8.  चमगादड़ तथा पक्षी के पंख समवृत्ति ……….. हैं।
उत्तर -अंग
9 . ……… ने प्राकृतिक चयन का मत प्रस्तुत किया।
उत्तर – डार्विन
10.  जैव विकास एक धीमा तथा क्रमिक ……… है।
उत्तर – परिवर्तन
> अतिलघु उत्तरीय प्रश्न
1. आनुवंशिकता क्या है ?
उत्तर – आनुवंशिकी जीवविज्ञान की वह शाखा है जिसमें पीढ़ियों के बीच लक्षणों की सततता का अध्ययन किया जाता
2. उस पादप का नाम लिखें जिस पर मेंडल ने प्रयोग किया था ?
उत्तर – मटर का पौधा
3. जीन को परिभाषित करें।
उत्तर – गुणसूत्रों पर पायी जानेवाली वे भौतिक इकाइयाँ जो पैतृक लक्षणों को एक पीढ़ी से दूसरी पीढ़ी में ले जाने का कार्य करती हैं, जीन कहलाती हैं।
 4.  D.N.A. का पूर्ण रूप लिखें।
उत्तर – डिऑक्सीराइबोज न्यूक्लिक एसिड (Deoxyribose Nuclic Acid ) |
5.  गुणसूत्र के कौन-कौन से घटक हैं ?
उत्तर – क्रोमैटिड और सेन्ट्रोमियर |
6. मनुष्यों में गुणसूत्रों की कितनी संख्या होती है ?
उत्तर – 23 जोड़ी।
7.  जीवों की आनुवंशिकी इकाई क्या है ?
उत्तर – जीन।
8.  रिट्रोवाइरस क्या है ?
उत्तर – ऐसे वाइरस जिसमें आनुवंशिक पदार्थ के रूप में राइबोज न्यूक्लिक अम्ल (RNA) में पाया जाता है रिट्रोवाइरस कहलाता है ।
9.  लिंग गुणसूत्र क्या है ?
उत्तर – गुणसूत्र जो अयुग्मित अवस्था में पाया जाता है और लिंग निर्धारण में सहायक होता है ।
10.  D.N.A. में कितने प्रकार के नाइट्रोजन युक्त क्षार पाये जाते हैं ?
उत्तर – दो प्रकार के क्षार
(a) प्यूरीन और
(b) पाइरीमिडीन।
11.  प्राय: एक ही माता-पिता की दो संतानें आपस में समान नहीं होती हैं। इस घटना को क्या कहते हैं ?
उत्तर – विभिन्नता।
12.  ऐसे दो बच्चों को जो एक ही निषेचित अंडाणु से विकसित होते हैं क्या कहते हैं?
उत्तर – जुड़वाँ ।
13.  किसी बालक के हाथ में पाँच के बदले छह अंगुलियों का होना किस प्रकार की विभिन्नता है ?
उत्तर – विच्छिन्न विभिन्नता या उत्परिवर्तन।
14.  किस वैज्ञानिक को आनुवंशिकी का पिता कहा जाता है ?
उत्तर – ग्रेगर जॉन मेंडल को।
15. मेंडल के प्रयोग मूलतः किस जैविक प्रक्रम पर आधारित थे ?
उत्तर – संकरण ।
16. मेंडल द्वारा वर्णित आनुवंशिक इकाइयों या कारकों को क्या कहते हैं ?
उत्तर – जीन।
17.  किस प्रकार के प्रोटीन में द्विगुणून की क्षमता होती है
उत्तर – डिऑक्सी राइबोज केन्द्रीय अम्ल में।
 18. आनुवंशिक पदार्थ क्या है ?
उत्तर – D.N.A..
19  संतति में पाए जानेवाले प्रत्येक लक्षण कहाँ से आते हैं ?
उत्तर – पिता और माता (जनकों) के DNA से।
20.  प्रभावी लक्षण किसे कहते हैं ?
उत्तर-  F1  पौधों या जीवों में दिखाई पड़नेवाले लक्षण को प्रभावी लक्षण कहते हैं।
 21. प्रोटीन संश्लेषण के लिए सूचना कहाँ संग्रहित रहती है ?
उत्तर – कोशिका के DNA में।
22.  जीन किसे कहते हैं ?
उत्तर – DNA का वह भाग जिसमें किसी प्रोटीन का जीन कहलाता है। – संश्लेषण के लिए सूचना होती है, उस प्रोटीन
23. जीवों में लक्षणों (traits) को कौन नियंत्रित करता है ?
उत्तर – जीन।
24. मेंडल के प्रयोगों से कैसे पता चला कि विभिन्न लक्षण स्वतंत्र रूप से वंशानुगत होते हैं ?
उत्तर – F1  संतति के स्वनिषेचन से उत्पन्न F2  पीढ़ी में प्रभावी एवं अप्रभावी दोनों प्रकार के लक्षणों के अलग हो जाने से।
25.  सामान्य कायिक कोशिका में जीन के सेट की कितनी प्रतियाँ विद्यमान रहती हैं ?
उत्तर – दो प्रतियाँ।
26.  मेंडल के प्रयोग द्वारा कैसे पता चला कि विभिन्न लक्षण प्रभावी अथवा अप्रभावी होते हैं ?
उत्तर –  जब दो विभिन्न विपरीत गुणोंवाले जनकों के बीच संकरण कराया गया तो उनमें से केवल एक गुण ही F, संतति में अवतरित हुए जो प्रभावी लक्षण कहलाए जबकि जो लक्षण दिखाई नहीं दिए वे अप्रभावी थे।
27.  लिंग-निर्धारण में किस प्रकार के क्रोमोसोम का महत्त्वपूर्ण योगदान होता है ?
उत्तर – लिंग क्रोमोसोम
28. मानव में लिंग निर्धारण किस आधार पर होता है ?
उत्तर – आनुवंशिक आधार पर ।
 29. मनुष्य के एक कायिक कोशिका में कितने क्रोमोसोम होते हैं ?
 उत्तर – 23 जोड़े, अर्थात 46
30.  मनुष्य में कितना लिंग क्रोमोसोम होता है ?
उत्तर – एक जोड़ा (X एवं Y) ।
31.  स्त्रियों एवं पुरुषों में पाए जानेवाले लिंग क्रोमोसोम में क्या भिन्नता है ?
उत्तर – स्त्रियों में XX एवं पुरुषों में XY लिंग क्रोमोसोम पाए जाते हैं।
32.  बच्चों का लिंग-निर्धारण किस बात पर निर्भर करता है ?
उत्तर – पिता से मिलनेवाले लिंग क्रोमोसोम पर।
 33.  जैव विकास के दो प्रमुख सिद्धांतों के नाम लिखें।
उत्तर – लामार्कवाद एवं डार्विनवाद ।
 34. उपार्जित लक्षणों का वंशागति सिद्धांत किसने प्रस्तुत किया ?
उत्तर – लामार्क ने।
35.  उपाजित लक्षण किसे कहते हैं ?
उत्तर – वातावरण के सीधे प्रभाव से या अंगों के कम या अधिक उपयोग के कारण जीवों के शरीर में जो परिवर्तन होते हैं, उन्हें उपार्जित लक्षण कहते हैं।
36.  एक एकल जीव द्वारा उपार्जित लक्षण सामान्यतः अगली पीढ़ी में वंशानुगत नहीं होते। क्यों ?
उत्तर – क्योंकि कायिक ऊतकों में होनेवाले परिवर्तन लैंगिक कोशिकाओं के DNA में नहीं जा सकते हैं।
37.  प्राकृतिक वरण द्वारा जैव विकास का सिद्धांत किसने प्रतिपादित किया ?
उत्तर – चार्ल्स डार्विन ने।
38. अभिलक्षण किसे कहते हैं ?
उत्तर – बाह्य आकृति अथवा व्यवहार का विवरण अभिलक्षण कहलाता है।
39.  चमगादड़ एवं पक्षी के पंख किस प्रकार के अंग हैं ?
उत्तर – समरूप या असमजात अंग (analogous organs ) ।
40.  समजात अंग किसे कहते हैं ?
उत्तर – वैसे अंग जो संरचना एवं उत्पत्ति के दृष्टिकोण से एकसमान हों, लेकिन भिन्न-भिन्न कार्यों का संपादन करते हों; जैसे—मेढक, छिपकली, पक्षी, मनुष्य के अग्रपाद ।
41.  जंगली गोभी से विभिन्न प्रकार की सब्जियों का विकास किस विधि से हुआ ?
उत्तर – कृत्रिम चयन (artificial selection) से।
42.  विकास की आधारभूत घटना क्या है ?
उत्तर – जनन के दौरान DNA में होनेवाला परिवर्तन।
43.  मानव के विकास के अध्ययन से हमें क्या पता चलता है ?
उत्तर – सभी मानव एक ही स्पीशीज़ (होमो सेपियंस) के सदस्य हैं, जिनका उदय अफ्रीका में हुआ एवं यहाँ से इनका विश्व के विभिन्न भागों में प्रसार हुआ।
44.  विविधता क्या है ?
उत्तर – जीवों तथा उनकी संतानों में असमानताएँ ही विविधताएँ हैं
45.  लिंग गुण सूत्र क्या है ?
उत्तर – कुछ द्विगुणित जीवों में सेक्स यानी लिंग निर्धारण में क्रोमोसोमों की भूमिका होती है। ऐसे क्रोमोसोमों को लिंग-क्रोमोसोम (Sex chromosome) कहते हैं।
46.  जैव विकास (Evolution) से आप क्या समझते हैं ?
उत्तर – जैव विकास का अर्थ है सजीवों का निरन्तर विकास ।
47.  सहलग्न समूह (Linkage Group) किसे कहते हैं ?
उत्तर – एक ही क्रोमोसोम पर मौजूद जीनों में एक साथ वंशागत होने की प्रवृत्ति होती है, उसे सहलग्न (linked) कहते हैं। इस परिघटना को सहलग्नता (linkage) कहते हैं। इस प्रकार के जीनों के समूह को सहलग्न समूह कहते हैं।
48.  क्रॉसिंग ओवर क्या होता है ?
उत्तर – क्रॉसिंग-ओवर उस भौतिक आदान-प्रदान को कहते हैं, जो समजात जोड़े के क्रोमोसोमों के असहमजात क्रोमैटिडों के अंशों के बीच होता है।
49.  अप्रभावी लिंग सहलग्न संक्षण की इस प्रकार की वंशागति जो पिता से पुत्र में और फिर पुत्र से पोतों में पहुँचती है, को क्या कहते हैं ?
उत्तर – इस प्रकार की वंशागति को क्रिस-क्रॉस वंशागति अथवा लिंग सहलग्न अथवा X सहलग्न वंशागति कहते हैं। मनुष्य में क्रिस-क्रॉस वंशागति के उदाहरण हैं-लाल-हरी वर्णांधता तथा हीमोफिलिया।
50. व्युत्क्रम प्रसंकरण किसे कहते हैं ?
उत्तर – व्युत्क्रम प्रसंकरण में जनकों के लिंग बदल दिये जाते हैं।
51.  वंशागति के क्रोमोसोम सिद्धान्त को किसने प्रस्तुत किया था ?
उत्तर – वंशागति के क्रोमोसोम सिद्धान्त को ‘बोवरी तथा सटन’ ने प्रस्तुत किया था।
52.  क्रोमोसोमों की रासायनिक प्रकृति क्या होती है ?
उत्तर – क्रोमोसोमों की रासायनिक प्रकृति न्यूक्लिक अम्ल और प्रोटीन आदि होती है।
53.  जिन क्रोमोसोमों की सेक्स निर्धारण में कोई भूमिका नहीं होती, उन्हें क्या कहते हैं ?
उत्तर – जिन क्रोमोसोमों की सेक्स निर्धारण में कोई भूमिका नहीं होती उन्हें ‘ऑटोसोम’ कहते हैं।
 54.  एक ही क्रोमोसोम पर स्थित जीन गैमीट निर्माण के समय किस प्रकार अलग हो जाते हैं ?
उत्तर – एक ही क्रोमोसोम पर स्थित जीन गैमीट निर्माण के दौरान ‘क्रॉसिंग-ओवर के द्वारा ‘ अलग होते हैं।
55.  जब क्रॉसिंग-ओवर हो रहा हो, उस समय किसी विषमयुग्मनजी व्यष्टि से कितने प्रकार के गैमीट बन सकते हैं ?
उत्तर – जब क्रॉसिंग हो रहा होता है, उस समय किसी विषमयुग्मनजी व्यष्टि के चार भिन्न प्रकार के गैमीट बन सकते हैं।
56.  उस संरचना का क्या नाम है, जो समजात क्रोमोसोमों के अंशों के भौतिक विनिमय के द्वारा बनती है ?
उत्तर – ‘काइएज्मा’ नाम की संरचना समजात क्रोमोसोमों के अंशों के भौतिक विनिमय द्वारा बनती है।
57.  ऐसा क्यों है कि X क्रोमोसोम के एक ऐलील पर दोष मादाओं में प्रकट नहीं होता ?
उत्तर – X क्रोमोसोम के एक ऐलील का दोष मादाओं में इसलिए दिखाई नहीं देता क्योंकि दूसरे X क्रोमोसोम पर दूसरा ऐलील इस ऐलील के प्रभाव को दबाए रखता है।
58.  प्रारंभ में जीवन का उद्भव कहाँ हुआ था ?
उत्तर – प्रारंभ में जीवन का उद्भव जल में हुआ था।
 59. जैव-विकास से आप क्या समझते हैं ?
उत्तर – सरल जीवों से सम्मिश्र प्रकार के जीवों का विकास जैव-विकास कहलाता है।
60.  नए जीवों के उद्भव में कितना समय लगा ?
उत्तर – नए जीवों का उद्भव एक क्रमिक एवं धीमी प्रक्रिया है। इसमें सैकड़ों तथा हजारों साल लगे हैं।
61.  विभिन्न जीवधारियों में कुछ अंग संरचना की दृष्टि से समान होते हैं, मगर वे अलग-अलग कार्य करते हैं। ऐसे अंगों को क्या कहते हैं ?
उत्तर – इस प्रकार के अंगों को समजात अंग (Homologous Organs) कहा जाता है।
62.  जैव आनुवंशिक नियम का प्रतिपादन किस वैज्ञानिक ने किया ?
उत्तर – हीकल ने।
63.  किन्हीं दो समजात अंगों के नाम लिखे।
उत्तर – मेढ़क के अग्रपाद और पक्षी के डैने।
 64.  एक अवशेषी अंग का नाम लिखें।
उत्तर – निमेषक झिल्ली।
65.  आर्किआप्टेरिक्स क्या हैं ?
उत्तर – एक जीवाश्म जिसमें पक्षी और सरीसृप दोनों के लक्षण पाये जाते हैं।
66.  जीवों में समानता को किस वैज्ञानिक नाम से जाना जाता है ?
उत्तर – आनुवंशिकता।
67. जीवों में विभिन्नताएँ किस जीव वैज्ञानिक नाम से जानी जाती है ?
उत्तर – विभिन्नता
68.  जेनेटिक्स के पिता के रूप में किसे जाना जाता है ?
उत्तर – ग्रेगर जॉन मेंडल।
69.  ऐसे लक्षणों को क्या कहते हैं जो प्रथम पीढ़ी में अस्तित्व में नहीं आते हैं ?
उत्तर – अप्रभावी लक्षण।
> लघु उत्तरीय प्रश्न
1.  जीन क्या है एवं यह कहाँ पाया जाता है ? इसकी रासायनिक प्रकृति क्या है ?
उत्तर – जीन आनुवंशिक इकाइयाँ हैं जो गुणसूत्रों पर पायी जाती हैं। ये पीढ़ी-दर-पीढ़ी पैतृक लक्षणों को आगे बढ़ाने का काम करती हैं। न्यूक्लियोटाइड्स का विशिष्ट क्रम इसकी क्रियात्मक विशिष्टता को निर्धारित करता है। जीन को किसी विशेष एन्जाइम से काटा जा सकता है और उसे किसी अन्य जीव के जीन के साथ जोड़ा जा सकता है।
2. लक्षणों की वंशागति के क्या नियम हैं ?
(a) लक्षण दो प्रकार के होते हैं— प्रभावी व अप्रभावी । प्रथम पीढ़ी में केवल प्रभावी लक्षण ही परिलक्षित होते हैं। इसे प्रभावी लक्षण का नियम कहते हैं।
(b) लक्षण स्वतंत्र रूप से पृथक होते हैं इसे सैग्रीगेशन का नियम कहते हैं।
3.  मेंडल के प्रयोग द्वारा कैसे पता चला कि लक्षण प्रभावी अथवा अप्रभावी होते हैं ? 
उत्तर – मेंडल के प्रयोग से यह पता चलता है कि यदि दो परस्पर विरोधी लक्षणों वाले पौधों के बीच यदि कृत्रिम परागण कराया जाता है तो प्रथम पीढ़ी (F¹, -पीढ़ी) में केवल एक ही लक्षण प्रकट होता है जबकि दूसरा लक्षण भी उन पौधों में सुरक्षित रहता है और अप्रभावी अवस्था में होता है। दूसरी पीढ़ी में इस लक्षण के प्रकट हो जाने से इस बात की पुष्टि होती है।
4.  मेंडल के प्रयोगों से कैसे पता चला कि विभिन्न विकल्पी लक्षण स्वतंत्र रूप से वंशानुगति करते हैं ?
उत्तर – मेंडल ने अपने कुछ प्रयोगों में मटर पौधे के दो विकल्पी जोड़ों का अध्ययन करने के लिए संकरण कराया। इसके लिए उन्होंने गोल बीजों वाले लम्बे पौधों एवं झुर्रीदार बीजों वाले बौने पौधों के बीच संकरण कराया और पाया कि
(i) F¹ पीढ़ी के सभी पौधे लम्बे और गोल बीजों वाले थे। इससे पता चला कि लम्बाई तथा बीज का गोल आकार प्रभावी लक्षण है।
(ii) F² पीढ़ी में कुछ नये संयोजन प्रदर्शित करते हैं जैसे—कुछ पौधे लम्बे परन्तु झुर्रीदार बीजों वाले हैं जबकि कुछ पौधे बौने और गोल बीजों वाले हैं।
 उपयुक्त (i) और (ii) दशाओं से यह निष्कर्ष निकलता है कि लम्बाई, बौनापन, बीजों का गोल होना अथवा झुर्रीदार होना परस्पर स्वतन्त्र लक्षण है। ये स्वतंत्रतापूर्वक वंशानुगत होते हैं।
 5.  एक ‘A’ रुधिर वर्ग वाला पुरुष एक स्त्री जिसका वर्ग ‘O’ है, से विवाह करता है। उनकी पुत्री का रुधिर वर्ग ‘O’ है। क्या सूचना पर्याप्त है यदि आपसे कहा जाए कि कौन-सा विकल्प लक्षण रुधिर वर्ग ‘A’ अथवा ‘O’ प्रभावी लक्षण है? अपने उत्तर का स्पष्टीकरण दें।
उत्तर – रुधिर वर्ग ‘O’ प्रभावी है क्योंकि सन्तति में पुरुष में रुधिर वर्ग A तथा स्त्री में रुधिर वर्ग ‘O’ है। F, पीढ़ी में सभी सन्तति में रुधिर वर्ग ‘O’ प्रदर्शित होता है। इसका मुख्य कारण रुधिर वर्ग ‘O’ प्रभावीपन है। यह सूचना प्रभावी तथा अप्रभावी बताने के लिए पर्याप्त है।
6.  एक अध्ययन से पता चला कि हल्के रंग की आँखों वाले बच्चों के जनक (माता-पिता) की आँखें भी हल्के रंग की होती हैं। इसके आधार पर क्या हम कह सकते हैं कि आँखों के हल्के रंग का लक्षण प्रभावी है अथवा अप्रभावी ? अपने उत्तर की व्याख्या करें।
उत्तर – नेत्रों का हल्का रंग प्रभावी लक्षण है। अतः यह लक्षण जनकों से भावी पीढ़ी की सन्तानों में स्थानान्तरित हो सकता है। प्रभावी लक्षण उसी अवस्था में अथवा कुछ परिवर्तन के साथ भावी पीढ़ी में हस्तान्तरित हो जाते हैं। इनमें अप्रभावी लक्षणी भी उपस्थित होते हैं। ये अप्रभावी लक्षण प्रभावी लक्षणों की अनुपस्थिति में संतान में प्रदर्शित हो सकते हैं।
 7.  विकास को परिभाषित करें।
उत्तर – जीवधारियों की रचना और व्यवहार में होनेवाले मन्द अनुत्क्रमणीय और लगातार परिवर्तनों का वह जटिल प्रक्रम जो लाखों करोड़ों वर्षों तक चलता रहता है जैव विकास कहलाता है।
 8. उपार्जित लक्षण किंन्हें कहते हैं ?
उत्तर – ऐसे लक्षणों को जो किसी जीव को उसके माता-पिता से आनुवंशिकता द्वारा नहीं मिलते लेकिन वह जीव उन्हें स्वयं ही प्रकृति द्वारा प्राप्त करता है उपार्जित लक्षण कहते हैं।
 9.  वे कौन-से विभिन्न तरीके हैं जिनके द्वारा एक विशेष लक्षण वाले व्यष्टि जीवों की संख्या समष्टि में बढ़ सकती है ?
उत्तर – एक विशिष्ट लक्षण वाले व्यष्टि जीवों की संख्या समष्टि में निम्नांकित तरीकों से बढ़ सकती है —
(i) लैंगिक जनन के समय DNA प्रतिकृतियों में होने वाले परिवर्तन।
(ii) व्यष्टि जीवों में उत्पन्न विभिन्नताएँ एवं अनुकूलन।
 10.  एक एकल जीव द्वारा उपार्जित लक्षण सामान्यतः अगली पीढ़ी में वंशानुगत नहीं होते। क्यों ?
उत्तर –  एकल जीव द्वारा उपार्जित लक्षण सामान्यतः आनुवंशिक नहीं होते क्योंकि –
(i) ऐसे लक्षण प्रायः अस्थायी तौर पर उत्पन्न होते हैं।
(ii) उपार्जित लक्षण प्रायः आनुवंशिक नहीं होते हैं क्योंकि आनुवंशिक लक्षण लैंगिक जनन के समय DNA में होनेवाले परिवर्तनों से उत्पन्न होते हैं।
11.  बाघों की संख्या में कमी आनुवंशिकता के दृष्टिकोण से चिन्ता का विषय क्यों है ?
उत्तर – बाघों की संख्या में कमी आनुवंशिकता के दृष्टिकोण से चिन्ता का विषय है क्योंकि,
(i) कम संख्या वाले जीवों में आनुवंशिक विभिन्नताओं के उत्पन्न होने के अवसर कम आते हैं।
(ii)यदि बाघ समाप्त हो जायेंगे तो बहुत-से महत्वपूर्ण जीव समाप्त हो जायेंगे।
12.  स्पीशीज से आप क्या समझते हैं ?
उत्तर – ऐसे जीवों का समूह जिनमें आधारभूत विशेषताएँ समान होती हैं तथा जो आपस में लैंगिक जनन कर सकते हैं, स्पीशीज कहलाता है।
13.  सूक्ष्म विकास किसे कहते हैं ?
उत्तर – छोटे आनुवंशिक परिवर्तनों के फलस्वरूप हुए विकास को सूक्ष्म विकास कहते हैं। इस प्रकार के अध्ययन में छोटे-छोटे परिवर्तन बहुत महत्वपूर्ण होते हैं। ऐसे परिवर्तन किसी स्पीशीज के सामान्य लक्षणों व गुणों में परिवर्तन कर देते हैं ।
14.  वे कौन-से कारक हैं जो नयी स्पीशीज के उद्भव में सहायक हैं ?
उत्तर – (i) भौगोलिक वितरण तथा एकाकीपन (Geographical distribution and isolation)
(ii) जीनों का विचलन (Genetic drift)
(iii) आनुवंशिक विभिन्नताएँ (Genetic variations)
15.  क्या एक तितली और चमगादड़ के पंखों को समजात अंग कहा जा सकता है। क्यों अथवा क्यों नहीं ?
उत्तर – तितली और चमगादड़ के पंख समजात अंग होते हैं। वे समरूप अंग हैं जो उड़ने का कार्य करते हैं।
कारण – तितली के पंखों की संरचना चमगादड़ के पंख से बिल्कुल भिन्न होती है। चमगादड़ के पंख में अग्रपाद की अंगुली की हड्डियाँ होती हैं जबकि तितली के पंख में हड्डियाँ नहीं होतीं।
16.  जीवाश्म क्या हैं? वे जैव-विकास प्रक्रम के विषय में क्या दर्शाते हैं ?
उत्तर – लाखों अथवा हजारों साल पहले पाए जाने वाले जीवों के परिरक्षित कठोर अवशेष, चट्टानों पर पैरों के निशान, मिट्टी में बने मृत जीवों के साँचे आदि को जीवाश्म कहते हैं। जीवाश्म हमें जैव विकास के बारे में निम्नलिखित बातें दर्शाते हैं –
(i) ऐसी कौन-सी स्पीशीज हैं जो कभी जीवित थीं परन्तु अब लुप्त हो गई हैं।
(ii) ऐसे जीवों के अवशेष जीवाश्म के रूप में मिले हैं जोकि एक वर्ग के जीवों का उनसे विकसित उच्च वर्ग के बीच की कड़ी के जीवों का स्वरूप बताते हैं। उदाहरण के लिए, आर्किऑप्टैरिक्स जीवाश्म में कुछ लक्षण सरीसृप के हैं तो अन्य लक्षण पक्षियों के। यह इंगित करता है कि पक्षी सरीसृप से विकसित हुए हैं।
(iii) जीवाश्म पृथ्वी के अन्दर विभिन्न स्तर पर खुदाई करके निकाले जाते हैं। इससे पता चलता है कि पृथ्वी की सतह के निकट पाए जाने वाले जीवाश्म गहरे स्तर पर पाए गए जीवाश्मों की अपेक्षा अधिक नए हैं।
17.  मेंडल कौन थे ? मंडल के कार्य का संक्षिप्त वर्णन करें।
उत्तर –  मेंडल (1882-1884) ऑस्ट्रिया (Austria) का रहने वाला था।
> मेंडल के कार्य –  मेंडल ने मटर के पौधों पर अपने प्रयोग किये। अपने प्रयोग में उन्होंने एक समय में एक ही आनुवंशिक लक्षण का अध्ययन किया। उन्होंने मटर में सात जोड़े तुलनात्मक लक्षणों पर अध्ययन किया। पौधे की ऊँचाई, बीज का प्रकार, बीज का रंग, फूल का रंग, फलों का प्रकार, फलों का रंग तथा पुष्प के स्थान, इन सात लक्षणों (traits) का अध्ययन किया।
 18. मेंडल ने अपने प्रयोगों के लिए मटर के पौधों को क्यों चुना ?
उत्तर – मेंडल ने अपने प्रयोगों हेतु मटर के पौधों को चुना इसके अग्रलिखित कारण थे –
 (i) संक्षिप्त जीवन-चक्र, (ii) स्वयं परागित द्विलिंगी पुष्प मटर में अनेक जोड़ी तुलनात्मक लक्षणों का होना, (iii) अपने प्रयोगों के डाटा (data) तथा रिकॉर्ड रखना।
19.  समयुग्मजी तथा विषमयुग्मजी में अन्तर बताएँ।
उत्तर – समयुग्मजी तथा विषमयुग्मजी में अन्तर –
20.  डी०एन०ए० तथा आर०एन०ए० में कोई चार अंतर लिखें।
उत्तर – डी०एन०ए० तथा आर०एन०ए० में अंतर
21.  डी०एन०ए० आनुवंशिकता का आधार है, कैसे ?
उत्तर – डी०एन०ए० आनुवंशिकता का आधार है, क्योंकि (i) इसमें द्विगुणन की क्षमता होती है। (ii) यह सभी कोशिकाओं में पाया जाता है। (iii) डी०एन०ए० की अनुकृति मूल DNA अणु की तरह ही होती है। (iv) डी०एन०ए० का द्विगुणन कोशिका विभाजन से पहले हो जाता है। (v) यदि डी०एन०ए० की रचना में परिवर्तन हो जाए तो जीव के शरीर में उत्परिवर्तन के लक्षण दिखाई देंगे। (vi) डी०एन०ए० स्वयं एक आनुवंशिक पदार्थ
22.  गुणसूत्रों को कोशिका विभाजन को किस अवस्था में देखा जा सकता है ? असीमकेंद्रकी एवं ससीमकेंद्रकी गुणसूत्रों के लक्षणों का वर्णन कीजिए।
उत्तर – गुणसूत्रों की आकृति का अध्ययन मेटाफेज (Metaphase) प्रावस्था में किया जाता है। प्रोकैरियोटिक गुणसूत्र वायरस तथा बैक्टीरिया में पाये जाते हैं। इनमें कोई सीमान्त झिल्ली नहीं होती। हिस्टोन में प्रोटीन नहीं पाया जाता तथा DNA अधिक नहीं होता है। यूकैरियोटिक गुणसूत्रों में DNA अधिक होता है। ये हिस्टोन प्रोटीन, DNA तथा RNA के बने होते हैं एवं केन्द्रक में स्थित होते हैं जो केन्द्रकीय झिल्ली (Nuclear membrane) द्वारा घिरे होते हैं। Fire
23.  डी के आनुवंशिक पदार्थ होने का प्रमाण किसने प्रस्तुत किया था ? डॉ.एन.ए. के संघटकों के नाम लिखिए।
उत्तर – ग्रीफिथ, ओवेरी, मक्लीआड तथा मक्कार्टी ने प्रमाणित किया कि डी.एन.ए. एक आनुवंशिक पदार्थ है।
इसके तीन अवयव हैं- (i) नाइट्रोजन पदार्थ का आधार (ii) शर्करा (iii) फास्फेट ग्रुप।
 24.  विभिन्न प्रकार के गुणसूत्र का वर्णन कीजिए।
उत्तर – गुणसूत्रों के प्रकार (Types of Chromosomes) — गुणसूत्र तीन प्रकार के होते हैं।
(i) वायरल गुणसूत्र ( ViralChromosomes)– वायरल गुणसूत्र रैखिक या वृत्ताकार होते हैं और DNA तथा RNA के बने होते हैं।
(ii) बैक्टीरियल गुणसूत्र (Bacterial Chromosomes ) – बैक्टीरियल गुणसूत्र भी वृत्ताकार होते हैं। ये जीवाणु तथा हरे शैवाल में मिलते हैं।
(iii) यूकैरियोटिक गुणसूत्र (Eukaryotic Chromosomes) ये गुणसूत्र यूकैरियोटिक में पाये जाते हैं। ये DNA तथा प्रोटीन के बने होते हैं। इन्टरफेस प्रावस्था में ये क्रोमैटिन जाल बनाते हैं। कोशिका विभाजन के समय संगृहीत होकर गुणसूत्र बनते हैं।
गुणसूत्र बिन्दु (Centromere ) के आधार पर गुणसूत्र कई प्रकार के होते हैं : अकेन्द्री, मध्यकेन्द्री, अन्तः केन्द्रकी तथा अग्रबिन्दुक आदि ।
25.  डी.एन.ए. में कितने प्रकार के नाइट्रोजन धारी क्षार विद्यमान होते हैं ? इनके नाम बताइए।
उत्तर – डी.एन.ए. में दो प्रकार के नाइट्रोजन क्षार ( Nitrogenous Bases) होते हैं –
(i) प्यूरिन (Purine ) ये एडीनीन (Adenine) तथा ग्वानीन ( Guanine) होते हैं।
(ii) पायरामिडीन (Pyramidine ) – ये सिस्टोसीन (Cystosine) तथा थायमिन (Thiamine) होते हैं ।
26.  X सेक्स क्रोमोसोम और Y सेक्स क्रोमोसोमों में अन्तर बताइए।
उत्तर –
27. आनुवंशिक कोड की क्या-क्या विशेषताएँ  हैं ?
उत्तर – आनुवंशिक कोड की विशेषताएँ इस प्रकार हैं
(i) यह कोड सभी जीवों के लिए एक जैसा है।
(ii) यह कोड कभी भी एक अमीनो अम्ल से अधिक का कोडन नहीं करता।
(iii) एक से अधिक कोडान एक ही अमीनो अम्ल का कोडन कर सकते हैं।
(iv) तीन कोडान UAA, UGA तथा UAG किसी भी अमीनो अम्ल के लिए कोडन नहीं करते और उन्हें नॉनसेन्स अर्थात् निरर्थक कोडॉन (Nonsense Codon) कहते हैं। इन कोडॉन के उपस्थित होने से प्रोटीन का संश्लेषण रुक जाता है।
28.  मानव गुणसूत्रों को कितने वर्गों में विभाजित किया गया है ?
उत्तर – कैरियोटाइप एवं इंडियोग्राम ये गुणसूत्रों की आकारिकी (Morphology) एवं आकारिकी के तुलनात्मक अध्ययन में सहायक होते हैं। इडियोग्राम में गुणसूत्रों को वर्गों में बाँटा जा सकता है एवं प्रत्येक गुणसूत्र को एक संख्या दी जा सकती है। मानव गुणसूत्रों के इडियोग्राम में गुणसूत्रों को 7 वर्गों में विभाजित करके 1 से 22 तक संख्या दी जाती है। यह वर्गीकरण गुणसूत्रों में आपसी समानताओं के आधार पर करते हैं। मनुष्य में X गुणसूत्र को C वर्ग में तथा Y- गुणसूत्र को G वर्ग में रखते हैं।
29.  प्रोकैरियोटिक तथा यूकैरियोटिक गुणसूत्रों में अन्तर बताइए।
उत्तर – प्रोकैरियोटिक तथा यूकैरियोटिक गुणसूत्र में अन्तर –
30.  मानव शरीर की कोशिका में कितने ? उन्हें कौन-कौन से वर्गों में बाँटा जाता है ? प्रत्येक वर्ग में गुणसूत्रों की संख्या लिखें।
उत्तर – मानव शरीर की कोशिका में कुल 46 गुणसूत्र (23 युग्म) होते हैं। इन गुणसूत्रों को दो वर्गों में बाँटा जाता है—
(i) ओटोसोम्स (Autosomes ) – ये 44 हैं ( 22 युग्म ) ।
(ii) लिंग क्रोमोसोम्स (Sex-chromosomes) – ये केवल 2 है (1 युग्म ) ।
 31. मेण्डल ने मटर पर किये प्रयोगों में किन-किन लक्षणों का अध्ययन किया ?
उत्तर – प्रभावी (Dominant) तथा अप्रभावी (Recessive) लक्षण –
32.  पुनरावृत्ति सिद्धान्त की व्याख्या करें।
उत्तर – पुनरावृत्ति सिद्धान्त (Biogenetic Law/Recapitulation Theory ) — इससे सिद्ध होता है कि प्रत्येक जीव अपने भ्रूणीय परिवर्धन में ऐसी सभी प्रावस्थाओं से गुजरता है जिन अवस्थाओं में कभी उसके पूर्वज धीरे-धीरे विकसित होकर बने होंगे। इसी के आधार पर हैकल (Haeckel) नामक वैज्ञानिक ने पुनरावर्तन सिद्धान्त प्रतिपादित किया। इस सिद्धान्त के अनुसार “प्रत्येक जीव अपने भ्रूणीय विकास में अपने जातीय विकास के इतिहास को दोहराता है किन्तु इसके कुछ पद संक्षिप्त होते हैं और कुछ रूपान्तरित हो जाते हैं।’
 33. जीवाश्म क्या है ? उदाहरण दें।
उत्तर – जीवाश्म (Fossils) — लाखों वर्ष पूर्व जीवित जीवों के अवशेष चिह्नों के रूप में मिलते हैं, जिन्हें जीवाश्म कहते हैं। ये जीवाश्म स्तरीकृत चट्टानों (Stratified rocks) में पाए जाते हैं। उदाहरण : आर्किओप्टेरिक्स (Archaeopteryx) — यह विलुप्त जीव रेप्टाइल्स व पक्षियों के बीच की कड़ी है। इसके लक्षण पक्षियों तथा सरीसृपों से मिलते हैं। इससे स्पष्ट होता है कि पक्षियों का विकास सरीसृपों (reptiles) से हुआ है। आर्किओप्टेरिक्स एक संयोजक कड़ी (Connecting link) है।
34.  रीट्रोवायरस क्या है ?
उत्तर – कुछ वायरसों में आर. एन. ए. आनुवंशिक पदार्थ होता है— जैसे रीट्रोवायरस (Retrovirus) । इसका उदाहरण एड्स (AIDS) वायरस है। इसे HIV कहते हैं। HIV का पूरा नाम है ह्यूमेन इम्यूनो डेफिसिएन्सी वायरस ।
35.  भूणीय अध्ययन कैसे विकास का प्रमाण प्रस्तुत करते हैं ? 
उत्तर – सभी कशेरुकियों के भ्रूणों की उनकी आरंभिक अवस्थाओं में समान आकृति तथा समान संरचना होती है। भ्रूण-विज्ञान से यह सिद्ध होता है कि सभी कशेरुकियों के पूर्वज एक समान थे और उनमें परस्पर जो भिन्नता आई, वह विकास की प्रक्रिया का परिणाम है।
36.  क्या भौगोलिक पृथक्करण स्वपरागित स्पीशीज के पौधों के जाति उद्भव का प्रमुख कारण है ?
उत्तर – हाँ, स्वयं परागित होने वाले पौधों में जाति उद्भव के लिए भौगोलिक पृथक्करण एक प्रमुख कारण है। पौधों में दो प्रकार के लक्षण पाए जाते हैं—जननकीय लक्षण तथा भौतिक लक्षण | जननकीय लक्षण गुणसूत्रों पर उपस्थित डी. एन. ए. के द्वारा हस्तान्तरित होते हैं। गुणसूत्रों की संख्या एवं आकृति ज्यों की त्यों बनी रहती है परन्तु भौतिक लक्षण अनुकूलित परिस्थितियों में क्रियाशील रहते हैं। अतः भौतिक लक्षणों में भिन्नता स्वयं परागित पौधों में विभेदन का प्रमुख, कारण होती है।
37.  विकास व वर्गीकरण में क्या संबंध है ?
उत्तर – विकास व वर्गीकरण एक-दूसरे के पूरक हैं। वर्गीकरण विकास के अध्ययन आधार तैयार करता है। वर्गीकरण में जीवों को उनकी समानताओं और असमानताओं के आधार पर समूह में रखा जाता है। विकास इन समानताओं और भिन्नताओं के कारण का पता लगाता है।.
 38.  समजात, समवृत्ति और अवशेषी अंग क्या हैं? प्रत्येक का एक-एक उदाहरण दें। 
उत्तर – समजात अंग-दो या दो से अधिक जीवधारियों के ऐसे अंग जो उत्पत्ति के आधार पर समान होते हैं परन्तु कार्य के आधार पर भिन्न होते हैं, समजात अंग कहलाते हैं। उदाहरण –  मनुष्य के हाथ।
> समवृत्ति अंग – दो या दो से अधिक जीवधारियों के ऐसे अंग जो उत्पत्ति के आधार पर अलग-अलग किन्तु कार्य के आधार पर समान होते हैं, समवृत्ति अंग कहलाते हैं। उदाहरण— पक्षी के पंख।
> अवशेषी अंग जीवधारियों में पाए जाने वाले ऐसे अंग जो आवश्यकता और उपयोग के अभाव में मात्र अवशेष के रूप में बचे हुए पाए जाते हैं। अवशेषी अंग कहलाते हैं। उदाहरणमनुष्य के आँख की निमेशक झिल्ली ।
39.  उन अभिलक्षणों का एक उदाहरण दीजिए जिनका उपयोग हम दो स्पीशीज के विकासीय सम्बन्ध निर्धारण के लिए करते हैं।
उत्तर – (i) शरीर रचना, (ii) अंगों की रचना में समानताएँ या असमानताएँ, (iii) अंगों के कार्यों में समानताएँ एवं असमानताएँ।
40.  विकासीय संबंध स्थापित करने में जीवाश्म का क्या महत्त्व है ?
उत्तर – जीवाश्मों का अध्ययन करके उनकी उम्र का पता लगाते हैं। उनकी रचना से वर्तमान समय में पाये जाने वाले जीवों की रचना का मिलान करते हैं। इस प्रकार जीव विशेष के विकास की शाखा का पता चलता है। इससे जीवों के पूर्वजों को खोजने, पहचानने तथा विकास की परिस्थितियों की जानकारी प्राप्त करने में सहायता मिलती है।
> दीर्घ उत्तरीय प्रश्न
1. अलैंगिक जनन की अपेक्षा लैंगिक जनन द्वारा उत्पन्न विभिन्नताएँ अधिक स्थायी होती हैं, व्याख्या कीजिए। यह लैंगिक प्रजनन करने वाले जीवों के विकास को किस प्रकार प्रभावित करता है ?
उत्तर – अलैंगिक जनन में जनक एक ही होता है और उसी का डी.एन.ए. संतति में जाता है। अतः संतति में विभिन्नता तभी आती जब डी.एन.ए. प्रतिकृति में त्रुटियाँ हों जो कि न्यून होती हैं। लैंगिक जनन में दो जनक होते हैं जो कि डी.एन.ए. का एक-एक सेट संतति को प्रदान करते हैं। इससे संतति में भिन्न-भिन्न लक्षणों का समावेश होता है और अलैंगिक जनन से लैंगिक जनन में विविधता अपेक्षाकृत अधिक होती है।
लैंगिक जनन से उत्पन्न विभिन्नताएँ जीन (डी.एन.ए.) में परिवर्तन के कारण होती हैं। अतः ये स्थिर होती हैं और एक पीढ़ी से दूसरी पीढ़ी में स्थानांतरित होती है। प्राकृतिक चयन के कारण वही विभिन्नताएँ प्रगति करती हैं जोकि पर्यावरण वरण के अनुकूल हों। अतः समय काल में मौजूदा पीढ़ी अपने पूर्वजों से इतनी भिन्न हो सकती है कि वे उनसे लैंगिक जनन न कर पाए और एक अन्य स्पीशीज के रूप में उभरकर आ जाए तथा जीवों के विकास में सहायक हों।
 2.  संतति में नर एवं मादा जनकों द्वारा आनुवंशिक योगदान में बराबर की भागीदारी किस प्रकार सुनिश्चित की जाती है ?
उत्तर – जैसा कि चित्र में दिखाया गया है कि मटर के गोल बीज़ वाले लम्बे पौधों का यदि झुर्रीदार बीजों वाले बौने पौधों से संकरण कराया जाए तो  F ² पीढ़ी में लम्बे / बौने लक्षण तथा गोल/झुर्रीदार लक्षण स्वतंत्र रूप से वंशानुगत होते हैं।
यदि संतति पौधे का जनक पौधे से संपूर्ण जीनों का एक पूर्ण सेट प्राप्त होता है तो चित्र में दिया प्रयोग सफल नहीं हो सकता। क्योंकि दो लक्षण R तथा Y सेट में एक-दूसरे से संलग्न रहेंगे तथा स्वतंत्र रूप में आहरित नहीं हो सकते। वास्तव में जीन सेट केवल एक डी.एन.ए. श्रृंखला के रूप में न होकर, डी.एन.ए. के अलग-अलग स्वतंत्र अणु के रूप में होते हैं। इनमें से प्रत्येक एक गुणसूत्र का निर्माण करता है। इसलिए प्रत्येक कोशिका में प्रत्येक गुणसूत्र की दो प्रतिकृति होती है। जिनमें से एक उन्हें नर तथा दूसरी मादा जनक से प्राप्त होते हैं। प्रत्येक जनन कोशिका से गुणसूत्र के प्रत्येक जोड़े का केवल एक गुणसूत्र ही एक जनन कोशिका (युग्मक) में जाता है। जब दो युग्मकों (Gametes) का संलयन होता है, तो इनसे बने युग्मज (Zygote) में गुणसूत्रों की संख्या पुनः सामान्य हो जाती है। इस प्रकार लैंगिक जनन द्वारा संतति में जनक कोशिकाओं जैसी ही गुणसूत्रों की संख्या निश्चित बनी रहती है।
3.  मेंडल के प्रयोगों द्वारा कैसे पता चला कि लक्षण प्रभावी अथवा अप्रभावी होते हैं ? 
उत्तर – मेंडल ने दो विकल्पी मटर के पौधे चुने जैसे लम्बे जो कि लम्बे मटर के पौधे ही पैदा करते थे तथा बौने मटर के पौधे जोकि बौने पौधे ही उत्पन्न करते थे। मेंडल ने इन दोनों पक्षों काकरण कराया, तो प्रथम संतति पीढ़ी (F1) में सभी मटर के पौधे लम्बे उगों इसका अर्थ किं लम्बाई का लक्षण ही F2, पीढ़ी संतति में दिखाई दिया और बौनेपन का लक्षण प्रदर्शित नहीं हुआ। जब मेंडल ने F2, पीढ़ी के पौधे में स्वपरागण कराया तो F पीढ़ी में दोनों लक्षण दिए अर्थात्
लम्बे पौधे भी और बौने पौधे भी (3 : 1 अनुपात में)। इसका अर्थ हुआ कि लम्बे होने का लक्षण प्रभावी और बौनेपन का लक्षण अप्रभावी है।
यह इंगित करता है कि F, पौधों द्वारा लम्बाई एवं बौनेपन दोनों के विकल्पी लक्षणों की वंशानुगति हुई| F1 पीढ़ी में लम्बाई वाला विकल्प अपने आपको व्यक्त कर पाया क्योंकि वह प्रभावी विकल्प है और बौनापन अप्रभावी विकल्प है।
4.  डार्विन के विकास सिद्धांत की व्याख्या करें।
उत्तर – डार्विनवाद (Darwinism 1819-1882) —डार्विन के जैव विकास सिद्धान्त को प्राकृतिक वरण कहते हैं। उन्होंने “प्राकृतिक चयन (Natural selection) द्वारा जातियों का विकास” नामक पुस्तक 1869 में लिखी। यह अग्र तथ्यों पर आधारित है-(i) जीवों में संतान उत्पत्ति की प्रचुर क्षमता (ii) जीवन संघर्ष (iii) प्राकृतिक वरण (iv) योग्यतम की उत्तरजीविता (v) वातावरण के प्रति अनुकूलन (vi) नई जातियों की उत्पत्ति। डार्विन ने बताया कि सभी जीवों में जनन की प्रचुर क्षमता होती है परन्तु जीवों की संख्या सीमित रहती है। इसका कारण है उनमें जीवन संघर्ष। यह संघर्ष वातावरणीय अथवा अन्तरजातीय होता है। जीवों में लाभदायक विभिन्नताएँ वंशागत होती हैं। योग्यतम लक्षणों वाले जीव स्वस्थ संतान उत्पन्न करके वंश चलाते हैं। प्रकृति योग्यतम जीवों का चयन करती है। इस प्रकार नई जातियों की उत्पत्ति होती है।
5.  मेण्डल के एक संकरण प्रयोग का रेखाचित्र द्वारा प्रदर्शन कीजिए।
उत्तर – मेण्डल का एक संकरण प्रयोग –
6.  आनुवंशिकता का गुणसूत्र मत  क्या है ? इसके बिन्दुओं को लिखें। जीन्स कहाँ स्थित होते हैं ?
उत्तर – आनुवंशिकता का गुणसूत्र सिद्धान्त-जीन्स गुणसूत्रों पर स्थित होते हैं—सटन तथा बोवेरी (Sutton and Boveri) ने 1902 में गुणसूत्र द्वारा आनुवंशिकता का सिद्धान्त (Chromosomal Theory of Inheritance) प्रस्तुत किया। उन्होंने मेण्डल के सिद्धान्तों तथा गुणसूत्रों के सम्बन्ध का अध्ययन किया तथा अग्रलिखित नियम प्रतिपादित किये—–(i) एक पीढ़ी से दूसरी पीढ़ी में स्थानान्तरण एवं कोशिका विभाजन के समय गुणसूत्र तथा मेण्डल के कारकों ( factors) के बीच समानता होती है। (ii) युग्मक निर्माण के समय दोनों पैतृकों के गुणसूत्र अलग होते हैं। (iii) जीन्स गुणसूत्र पर रैखिक क्रम में स्थित होते हैं। अतः सटन तथा बोवेरी के अनुसार जीन गुणसूत्र का एक भाग होता है। मनुष्य में 23 जोड़ी गुणसूत्र होते हैं तथा उन पर लगभग 30 हजार से 40 हजार जीन्स होते हैं। गुणसूत्रों पर जीन्स का नियमित स्थान बिन्दुपथ (locus) होता है। आणविक आधार पर जीन डी.एन.ए. का वह छोटा-से-छोटा खण्ड होता है जो एक प्रोटीन अणु का निर्माण करता है।
7.  (क) आनुवंशिकता में डी.एन.ए. की क्या भूमिका है ? 
(ख) उपार्जित लक्षणों से आप क्या समझते हैं ? दो उदाहरण लिखें। 
उत्तर – ( क ) आनुवंशिकता में DNA की भूमिका आनुवंशिकता में DNA की निम्नांकित भूमिका है
(i) यह एक आनुवंशिक पदार्थ है जिसके नाइट्रोजनयुक्त क्षारों की व्यवस्था में सभी आनुवंशिकताएँ कूटबद्ध होती हैं।
(ii) यह द्विगुणन द्वारा अपनी अनुकृति बनाता है जो जनन के माध्यम से संतान में पहुँचती है।
(iii) यह विभिन्नताएँ भी उत्पन्न कर सकता है।
(iv) यह प्रतिलेखन द्वारा RNA उत्पन्न करता है जो प्रोटीन के संश्लेषण में सहायक होता है। प्रोटीन से नये शरीर की रचना होती है।
(v) यह विभिन्न जैव-रसायनों के संश्लेषण को नियंत्रित करता है।
( ख ) उपार्जित लक्षण- ऐसे लक्षण जिन्हें कोई जीव अपने जीवन काल में अर्जित करता है, उपार्जित लक्षण कहलाते हैं। ये लक्षण पर्यावरण के विभिन्न घटकों के साथ लगातार अन्तः क्रिया होने पर उत्पन्न होते हैं।
8.  डी.एन.ए. की द्विकुंडली संरचना से आप क्या समझते हैं ? इस संरचना का प्रस्ताव किसने दिया था ?
उत्तर – डी. एन. ए. की दोहरी चक्रदार संरचना F.H.C. Crick और J.D. Watson के द्वारा प्रस्तावित की गई। इन्हें इस उपलब्धि के लिए 1962 में नोबेल पुरस्कार दिया गया।
> इस प्रारूप के मुख्य लक्षण निम्न हैं —
(क) डी. एन. ए. अणु में रस्से की तरह दो पॉलीन्यूक्लियोटाइड होते हैं जो दोहरी चक्ररदार रचना बनाते हैं। प्रत्येक चक्कर लगभग 3.4mm लम्बाई के बाद मुड़ता है जिसमें दस न्यूक्लियोटाइड उपस्थित हैं।
(ख) प्रत्येक पोलीन्यूक्लियोटाइड की रीढ़ की हड्डी शर्करा तथा फॉस्फेट हैं। नाइट्रोजन का आधार शर्करा से जुड़ा होता है।
(ग) दोनों तन्तुओं के नाइट्रोजन आधार एक दोहरी चक्करदार संरचना बनाते हैं जो हाइड्रोजन आबन्ध से जुड़कर एक युग्म बनाते हैं। एडीनीन थाइमीन के साथ तथा ग्वानीन साइटोसीन के साथ युग्म बनाते हैं। A और T एक-दूसरे के विपरीत हैं तथा इसी प्रकार G और C एक-दूसरे के विपरीत .डी. एन. ए. अणु हैं। नाइट्रोजन आधार के बीच में हाइड्रोजन आबंध दोनों चित्र वास्टन क्रिक की दोहरा चक्रदार तन्तुओं को आपस में जोड़ता है। इस संरचना की तुलना घुमावदार सीढ़ियों से की जा सकती है। मिली सफलता के पीछे
9.  वंशागति के नियमों को परिभाषित करने में मेंडल को क्या-क्या कारण थे ?
उत्तर – वंशागति के नियमों को परिभाषित करने में मेंडल को मिली सफलता के पीछे मुख्यतः तीन कारण थे—
(i) उसने एक अच्छी सामग्री का चुनाव किया— मेंडल ने अपने प्रयोग के लिए मटर को चुना। मटर का जीवन-चक्र छोटा होता है। इसमें स्वपरागित होने वाली द्विलिंगी फूल होते हैं, जिनका दलपुंज (पंखुड़ियाँ) बन्द होता है, जिसके कारण परागण को आसानी से नियंत्रित किया जा सकता है। मटर के पौधों को उगाना आसान है और इसके ऐसे शुद्ध वंशक्रम के बड़ी संख्या में पौधे उपलब्ध थे, जिनमें विपरीत लक्षणों के अनेक जोड़े थे।
(ii) उसका लक्षण चयन ठीक था — मेंडल ने अपने प्रयोगों में मटर के पौधों के उन सात
(iii) मेंडल कमाल की तकनीक मेंडल की प्रयोग करने वाली तकनीक कमाल की उत्कृष्ट थी जो इस प्रकार से थी
(क) उसने विपरीत लक्षणों से युक्त शुद्ध वंशक्रम के समयुग्मनजी पौधों में प्रसंकरण कराया।
(ख) उसने पुंकेसरों को तोड़कर बाहर निकाल दिया, ताकि फूलों में स्वपरागण की क्रिया को रोका जा सके।
(ग) मेंडल ने मादा फूलों पर पराग छिड़क कर उन्हें एक थैली के अन्दर कस कर बाँध दिया, ताकि और आगे परागण न हो सके।
(घ) मेंडल ने बीजों को सुरक्षित रूप में नाम लिख-लिख कर अलग-अलग शीशियों में रखा था।
(ङ) उसने बीजों के विभिन्न लक्षणों को सूचीबद्ध करके वर्गीकृत किया और अन्य पादप लक्षणों के पौधे उत्पन्न किये तथा विभिन्न लक्षणों को नोट किया।
(च) उसने एक ही समय में एक ही लक्षण पर कार्य किया।
(छ) मेंडल ने प्रयोगों द्वारा प्राप्त परिणामों का सांख्यिकी के आधार पर विश्लेषण किया।
(ज) उसने व्युत्क्रम प्रसंकरण प्रयोग किए, ताकि परिणामों की पुष्टि हो सके।
(झ) उसने प्रत्येक वर्ष के आँकड़े अलग-अलग रखे।
 10.  स्वतंत्र अपव्यूहन के नियम का प्रयोग करें।
उत्तर – पेंडल का स्वतन्त्र अपव्यूहन का नियम (Law of Independent Asortment) दो जोड़ी विपरीत लक्षणों वाले दो पौधों के बीच संकरण कराने पर इन लक्षणों का पृथक्करण स्वतन्त्र रूप में होता है। एक लक्षण की वंशागति दूसरे को प्रभावित नहीं करती।
>  द्विसंकर संकरण प्रयोग :
इन सोलह पौधों में से नौ पौधे लम्बे लाल, तीन लम्बे सफेद, तीन छोटे लाल और एक छोटा सफेद है।
जब लम्बे तथा लाल पुष्प वाले पौधे का क्रॉस सफेद तथा बौने से कराते हैं तो F, पीढ़ी में सभी पौधे लम्बे तथा लाल पुष्प वाले होते हैं परन्तु F, पीढ़ी में 9:3: 3:1 का अनुपात होता है।
11.  मानव कोशिकाओं के नाभिक में कितने प्रकार के गुणसूत्र होते हैं ?
उत्तर – तीजो (Tijio) एवं लीवन (Levan) ने 1956 में देखा कि मानव कोशिकाओं के नाभिकों में 46 (23 जोड़ी) गुणसूत्र होते हैं। इनमें 22 जोड़ी आटोसोम (Autosomes) एवं एक जोड़ी लिंग-गुणसूत्रों (Sex-chromosomes or Allosomes) का होता है। पुरुष में लिंग-गुणसूत्रों की आकृति में अन्तर होता है, इन्हें X और Y गुणसूत्र कहते हैं। स्त्री में दोनों लिंग-गुणसूत्र एक समान होते हैं और इन्हें XX गुणसूत्र कहते हैं।
गुणसूत्रों की लम्बाई एवं सेन्ट्रोमीयर की स्थिति में अन्तर होता है। सेन्टोमीयर की स्थिति के आधार पर गुणसूत्रों को मध्यकेन्द्री, उपमध्यकेन्द्री एवं अग्रबिन्दु (Metacentric, Submeta centric and Acrocentric) कहते हैं। गुणसूत्रों की आकृति का अध्ययन कोशिका विभाजन की मेटोफेज प्रावस्था (Metaphase stage) में किया जाता है। इस प्रावस्था के गुणसूत्रों को आकृति एवं परिमाप के आधार पर जोड़ों (Pairs) में घटते हुए परिमाप के क्रम में रखा जाता है। इस विन्यास में गुणसूत्रों को सात समूहों (Seven groups – A to G) में विभक्त किया गया है। घटते हुए परिमाप के क्रम से दैहिक गुणसूत्रों (Autosomes) को 1 से 22 तक संख्याकृत करते हैं। प्रथम समूह (Group A) के गुणसूत्र दीर्घतम होते हैं जबकि सातवें समूह (Group G) के गुणसूत्र सबसे छोटे होते हैं | X-गुणसूत्र बड़ा होता है और इसे समूह-C के गुणसूत्रों के साथ रखते हैं। Y-गुणसूत्र छोटा होता है और से समूह-G में रखते हैं।
> चित्र: मानव की मेटाफेज गुणसूत्र प्लेट
12.  सेन्ट्रोमीयर के आधार पर गुणसूत्रों के कितने प्रकार होते हैं ?
उत्तर – गुणसूत्रों के प्रकार: गुणसूत्र बिन्दु (Centro mere) के आधार पर ये निम्नलिखित प्रकार के होते हैं:
(i) शिखरस्थ या अग्रबिन्दुक (Acrocentric) — ये श्लाकाकार होते हैं। इनका गुणसूत्र बिन्दु सिरे के समीप होता है। सेन्ट्रोमीयर गुणसूत्र के सिरे पर स्थित होता है। इन गुणसूत्रों में एक बड़ी एवं एक बहुत छोटी भुजा होती है। (Chromestits). केन्ट्रीमीटर (Conn सेटेलर (Ramllifeh
(ii) अन्तः केन्द्रकी (Telo-centric) – ये सभी श्लाकाकार होते हैं। इनमें केवल एक ही भुजा होती है क्योंकि सेन्ट्रोमीयर सिरे पर स्थित होता है।
(iii) उपमध्यकेंद्री गुणसूत्र  (acentric chromosomes) –  इनमें सेन्ट्रोमीयर का अभाव होता है।
(iv) मध्यकेन्द्री गुणसूत्र (Metacentric  Chromosome) — सेन्ट्रोमीयर गुणसूत्र के मध्य प्रकार (अग्रबिन्दुक, अन्त: केन्द्रकी, मध्य केन्द्रों तथा में स्थित होता है।
(v) उपमध्यकेन्द्रो गुणसूत्र (Submetacentric Chromosome) — सेन्ट्रोमीयर मध्य से कुछ आगे होता है।
13.  डार्विनवाद तथा नव- डार्विनवाद में तुलना कीजिए। 
उत्तर – (i) डार्विनवाद का प्राकृतिक वरण का मत (Darwin’s Theory of Natural Selection) को अंग्रेज वैज्ञानिक चार्ल्स डार्विन (1809-1882) ने विकास की प्रक्रिया को अपने प्राकृतिक वरण के आधार पर स्पष्ट किया था, जिसमें छः आधारभूत बातें थीं
(क) संतान की आति उत्पत्ति, (ख) विभिन्नता, (ग) अस्तित्व के लिए संघर्ष, (घ) प्राकृतिक वरण, (ङ) वांछित विशिष्टता की वंशागति तथा (च) नई स्पीशीज का उद्भव अर्थात् अस्तित्व के लिए संघर्ष के दौरान जिन जीवों में लाभकारी विभिन्नताएँ पाई जाती हैं वे सुरक्षित बच जाते हैं तथा आगे संतान पैदा कर सकते हैं, जबकि अलाभकारी विभिन्नता वाले जीव प्रकृति में से समाप्त होते जाते हैं।
> यही डॉर्विन का प्राकृतिक वरंण (Natural Selection) था।
(ii) नव-डार्विनवाद अथवा आधुनिक संश्लेषी मत (Neo-Darwinism of Modern Synthetic Theory) -इस मत के अनुसार –
(क) वंशागतिशील आनुवंशिक परिवर्तन ही विकास के आधार हैं।
(ख) प्राणियों में मुख्य भूमिका जनन- पृथक्करण की होती है।
(ग) प्रकट होने वाले परिवर्तनों द्वारा तथा उनके पुन:संयोजनों से जीनों में अथवा क्रोमोसोमों में विभिन्नताएँ आती हैं।
(घ) किसी समष्टि (Population) की आनुवंशिक संरचना में परिवर्तन आने के कारण ही नई स्पीशीज का विकास होता है।
14.  समजात अंग एवं समरूप या असमजात अंग के अध्ययन से जैव विकास में क्या मदद मिलती है ?
उत्तर – विभिन्न जंतुओं की संरचना के अध्ययन से यह पता चलता है कि भिन्न-भिन्न वातावरण में रहनेवाले जंतुओं के कुछ अंग ऐसे होते हैं जो संरचना और उत्पत्ति के दृष्टिकोण से तो एकसमान होते हैं, परंतु अपने वातावरण के अनुसार ये भिन्न-भिन्न कार्यों का संपादन करते हैं। ऐसे अंग समजात अंग कहलाते हैं। जैसे मेढक, पक्षी, बिल्ली तथा मनुष्य के अग्रपादों में पाए जानेवाले अस्थियों के अवयव प्रायः समान होते हैं, परंतु इन कशेरूक प्राणियों के अग्रपाद विभिन्न प्रकार के कार्यों का संपादन करते हैं।
चित्र: समजात अंग : कुछ कशेरूकों के अग्रपाद
समजात अंगों का पाया जाना यह प्रमाणित करता है कि इन जंतुओं का विकास एक ही पूर्वज से हुआ है।
समजात अंगों के विपरीत जंतुओं के कुछ अंग ऐसे होते हैं, जो रचना और उत्पत्ति या उद्भव के दृष्टिकोण से एक-दूसरे से भिन्न होते हैं, परंतु वे एक ही प्रकार का कार्य करते हैं। ऐसे अंग असमजात अंग (analogous organs) कहलाते हैं। जैसे तितली तथा पक्षी के पंख (wings) उड़ने का कार्य करते हैं, परंतु इनकी मूल संरचना और उत्पत्ति अलग-अलग प्रकार की होती है। पक्षी के पंख में अस्थियाँ, त्वचा तथा पंख (feathers) होते हैं, जबकि तितली या अन्य कीटों के पंख क्यूटिकल के परत से ढँके होते हैं तथा इनमें कुछ तंत्रिकीय पेशियाँ होती हैं।
(ख) चित्र: असमजात अंग : (क) चमगादड़ के पंख  एवं (ख) पक्षी के पंख
15.  मानव विकास के बारे में संक्षिप्त विवरण दें।
उत्तर – इस धरती पर मानव के रंग-रूप एवं आकृति में अत्यधिक विविधताएँ दृष्टिगोचर होती हैं। आम तौर पर त्वचा का रंग इस प्रकार की प्रजाति के निर्धारण के लिए प्रयुक्त किया जाता था। मानव का उद्भव स्थान मूलरूप से अफ्रीका है। इस बात का प्रमाण हमें संसार के विभिन्न भागों से प्राप्त मानवों के जीवाश्म तथा वर्तमान मानव आबादी के DNA में पाए जानेवाले उत्त्परिवर्तनों के अध्ययन से ज्ञात होता है। आधुनिक मानव के प्राचीनतम जीवाश्म अफ्रीका के इथियोपिया नामक स्थान से प्राप्त हुआ है। कुछ हजार वर्ष पूर्व हमारे पूर्वजों ने अफ्रीका छोड़ दिया जबकि कुछ वहीं रह गए। वहाँ के मूल निवासी पूरे अफ्रीका में फैल गए जबकि उत्प्रवासी धीरे-धीरे वहाँ से समूचे संसार में फैल गए। वहाँ से वे पश्चिमी एशिया, मध्य एशिया, यूरेशिया, दक्षिणी एशिया तथा पूर्वी एशिया में प्रवजनित हुए। उन मानवों का एक समूह उत्तरी अमेरिका तथा दक्षिणी अमेरिका में फैल गया। कुछ मानवों ने इंडोनेशिया के द्वीपों तथा फिलीपींस से ऑस्ट्रेलिया तक का सफर किया। वे विभिन्न समूहों में कभी आगे तथा कभी पीछे गए। समूह कई बार परस्पर विलग हो गए। कभी-कभी अलग होकर विभिन्न दिशाओं में आगे बढ़ गए जबकि कुछ वापस आकर परस्पर मिल गए। इस तरह सभी दिशाओं में मानव का प्रवजन हुआ। वर्तमान समय में सभी मानवों के जीन कोश एक समान होने के कारण सभी मानव एक ही प्रजाति ‘होमो सैपियंस’ (Homo sapiens) कहलाते हैं। हालाँकि विभिन्न क्षेत्रों के मानवों के गुणों की तुलना करने पर उनमें कई प्रकार की व्यक्तिगत विभिन्नताएँ (त्वचा तथा बालों के रंग, शरीर की लंबाई एवं गठन आदि) पाई जाती हैं।
हमसे जुड़ें, हमें फॉलो करे ..
  • Telegram ग्रुप ज्वाइन करे – Click Here
  • Facebook पर फॉलो करे – Click Here
  • Facebook ग्रुप ज्वाइन करे – Click Here
  • Google News ज्वाइन करे – Click Here

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *