कहानी में आयी बाढ़ का चित्रण अपने शब्दों में करें। (उत्तर 30 शब्दों में दें)

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प्रश्न – कहानी में आयी बाढ़ का चित्रण अपने शब्दों में करें। (उत्तर 30 शब्दों में दें)

उत्तर – लगातार एक महीने से हो रही बारिश ने नदी के वक्ष को व्यापक कर दिया। बाँध टूटने की आशंका से हीराकुद से पानी छोड़ दिया गया। गाँव के लोग दलेइ बाँध की निगरानी करने लगे। पर, पानी के प्रवेग ने दलेइ बाँध को तोड़ दिया। पूरे गाँव में पलभर में शोर-शराबा मच गया। लोग हाँफते हुए टीलों की ओर बढ़ने लगे। टीले के नीचे स्कूल था। उसके चारों कमरों में दो सौ के करीब लोग खचाखच भर गए। बाकी लोग टीले पर चढ़ गए। तेज हवा और बारिश में बरगद की शाखाएँ इधर-उधर झोंके खाने लगीं। देवी स्थान पानी से भींग चुका था। सभी किसी आशंका से थर-थर काँप रहे थे। अँधी छलाँगें भर-भरकर तेज गर्जन करते हुए बाढ़ का पानी आगे ही बढ़ता जा रहा था। मनुष्य और पशु, जीव-जगत के असंख्य प्राणी, स्थावर और जंगम, सब बाढ़ के प्रवेग में असहाय और निर्बल थे। उनमें अनेक असमय ही काल-कवलित हो गए। चारों तरफ पानी ही भरा था। सिर्फ पानी ही पानी । मानो कोई महासमुद्र क्षुब्ध होकर सब कुछ लील जाने को आतुर हो । टीले पर दो गाँवों के लोग बारिश और तेज तूफान में सहमे से लाचार-निस्सहाय खड़े थे। तेज हवा के साथ क्रंदन का शोर पछाड़ खा खाकर सर्वत्र फैल रहा था। जो जीवित थे उनमें एक उदास और करुण निस्तब्धता स्पंदित हो रही थी। मनुष्यों, पशुओं और अनेक थलचरों की लाशें पानी के प्रवेग में इधर-उधर भाग रही थीं। भयानक शून्यता और मौत की चुप्पी वायुमंडल में पसर रही थी।

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