किशोरावस्था में शारीरिक परिवर्तन पर प्रकाश डालें ।

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प्रश्न – किशोरावस्था में शारीरिक परिवर्तन पर प्रकाश डालें ।
(Throw light on the physical development in adolescence.)
उत्तर – वय:सन्धि अवस्था की समाप्ति पर शारीरिक विकास पूर्ण नहीं हो जाता है। कुछ अध्ययनों (P. C. Martin, E. L. Vincent, 1960; & A. Scheinfeld, 1965) में यह सिद्ध किया गया है कि लड़कियाँ किशोरावस्था के प्रारम्भ होने तक अपनी लम्बाई की अधिकतम सीमा तक पहुँच जाती हैं, परन्तु जिन लड़कियों में विकास की गति मन्द होती है, वे किशोरावस्था के अन्त तक ही अपनी लम्बाई की अधिकतम सीमा तक पहुँच पाती हैं। इन अध्ययनों में यह भी देखा गया कि किशोरावस्था के प्रारम्भ तक लड़कों की लम्बाई लड़कियों से कुछ अधिक ही हो जाती है। भार में वृद्धि का यही प्रतिमान रहता है। पूर्व किशोरावस्था के अन्त तक बालकों की जननेन्द्रियाँ लगभग परिपक्व हो जाती हैं। इनकी गौण यौन-विशेषताएँ (Secondary Sex Characteristics) भी लगभग परिपक्व हो जाती हैं। फलस्वरूप लड़के और लड़कियों में बच्चे उत्पन्न करने की क्षमता उत्पन्न हो जाती है क्योंकि लड़कों में वीर्यपतन (Nocturnal Emission) तथा लड़कियों में मासिक धर्म (Mensturation) प्रारम्भ हो जाता है ।
1. आन्तरिक विकास (Internal Development)
किशोरों में आन्तरिक शारीरिक विकास को यदि देखा जाय तो कहा जा सकता है कि उनकी लम्बाई और चौड़ाई के अनुपात में ही आन्तरिक अंगों का विकास होता रहता है। बालकों के पाचन तन्त्र (Digestive System) में पूर्व किशोरावस्था में तीव्र गति से विकास होता है परन्तु उत्तर- किशोरावस्था के अन्त तक इस तन्त्र के विकास की गति मन्द हो जाती है। आँतों की लम्बाई और गोलाई बढ़ जाती है। आमाशय की दीवारें लम्बाई में ही नहीं बढ़ती हैं बल्कि वह मोटी भी अधिक होने लगती हैं। कुछ अध्ययनों (H. Bruch, 1958; F.P. Heald, et al., 1963) में यह देखा गया है कि लड़कियाँ दुबली बनी रहने के लिए कम खाना खाती हैं। । फलस्वरूप उनके आमाशय के बड़ा होने के बावजूद भी उनको भूख कम लगती है। वय: सन्धि अवस्था के बाद फेफड़े (Lungs) में वृद्धि बहुत कम होती है। लगभग सत्रह वर्ष की अवस्था तक लड़कियों में फेफड़ों का विकास पूर्ण हो जाता है, यह विकास लड़कों में कुछ देर से होता है। इस विकास में अन्तर का मुख्य कारण है कि लड़कियों के सीने की हड्डियाँ जल्दी और लड़कों के सीने की हड्डियों का विकास अपेक्षाकृत देर से होता है (P. C. Martin & E. L. Vincent, 1960)।
बालकों के रक्त संचार तन्त्र (Circulatory System) को यदि देखा जाय तो कहा जा सकता है कि हृदय और रक्तवाहिनियों के आकार में अधिक वृद्धि होती है। एक अध्ययन (D. H. Eichorn & N. Bayley, 1962) में यह देखा गया है कि वयःसन्धि अवस्था के बाद लड़कों की अपेक्षा लड़कियों का रक्तचाप (Blood Pressure) अधिक रहता है। कुछ अध्ययनों (A. Montagu, 1962; C. T. Morgan, 1964; E. Parker, 1960) में यह देखा गया कि वय: सन्धि अवस्था में गोनेड ग्रन्थियों में अपेक्षाकृत अधिक क्रियाशीलता रहती है । इन अध्ययनों में यह भी देखा गया कि सम्पूर्ण पूर्ण किशोरावस्था में Endocrine Imbalance रहता है । वय: सन्धि और किशोरावस्था में सेक्स ग्रन्थियों में यद्यपि तीव्र गति से विकास होता है फिर भी यह अपने विकास की चरमसीमा पर किशोरावस्था के अन्त तक या प्रौढ़ावस्था के प्रारम्भ होने पर ही पहुँच पाती हैं ।
2. गत्यात्मक विकास (Motor Development)
माँसपेशियों में शक्ति का विकास माँसपेशियों के आकार से सम्बन्धित है। इस दिशा में हुए अध्ययनों (T. K. Cureton, 1964; M. C. Jones; 1960 ) से यह स्पष्ट हुआ है कि लड़कों की माँसपेशियों की शक्ति में सर्वाधिक वृद्धि चौदह वर्ष की अवस्था से होती है परन्तु लड़कियों में चौदह वर्ष तक यह विकास अपनी चरमसीमा पर पहुँच जाता है। लड़कों में बारह से सोहल वर्ष के बीच उनकी शक्ति दुगनी हो जाती है। वयःसन्धि अवस्था के बाद से लड़वे लड़कियों की अपेक्षा शक्ति में अधिक होते हैं तथा आगे आने वाले आयु स्तरों पर भी लड़के लड़कियों की अपेक्षा माँसपेशीय शक्ति में हमेशा अधिक रहते हैं । इसका मुख्य कारण लड़कियों की माँसपेशियों का कोमल रहना है । अध्ययनों (A. Scheinfeld, 1965; C. T. Morgan, 1964) में यह देखा गया है कि लड़कियों में सत्रह वर्ष की अवस्था तक माँसपेशीय शक्ति का विकास अधिकतम हो जाता है परन्तु लड़कों में यह विकास बीस या इक्कीस वर्ष की अवस्था तक प्राप्त हो पाता है ।
3. स्वास्थ्य अवस्थाएँ (Health Conditions)
अध्ययनों में यह देखा गया है कि वयः सन्धि अवस्था की समाप्ति तक किशोरों के स्वास्थ्य में उन्नति होने लग जाती है। कम आयु के किशोरों का ध्यान उनके स्वास्थ्य की ओर नहीं होता है । किशोरावस्था के अन्त तक स्वास्थ्य की अवस्थाएँ इतनी अच्छी हो जाती है कि इस अवस्था में भी शारीरिक बीमारी से होने वाली मृत्यु दर कम हो जाती है। अधिकांश मृत्यु दुर्घटनाओं के कारण होती हैं। अध्ययनों में यह देखा गया है कि जो बच्चे बाल्यावस्था में स्वस्थ्य रहते हैं, वे किशोरावस्था में भी स्वास्थ्य रहते हैं । काल्पनिक बीमारी (Imaginary Illness) की शिकायत लड़कों की अपेक्षा लड़कियों को अधिक होती है ।
4. बाह्य परिवर्तन (External Changes)
एक किशोर कितना लम्बा-चौड़ा होगा, यह मुख्यतः उससे वंशानुक्रम, खाने-पीने, स्वास्थ्य, पर्यावरण अवस्थाएँ तथा खेलने की सुविधाएँ आदि कारकों पर निर्भर करता है लगभग तेरह वर्ष की अवस्था में लड़के और लड़कियों की लम्बाई में वृद्धि तीव्र गति से होने लग जाती है । लगभग अठारह वर्ष की अवस्था तक लड़के और लड़कियों की लम्बाई अपनी अधिकतम सीमा तक पहुँच जाती है । इस दिशा में वैयक्तिक भिन्नताएँ अधिक होती हैं, अत: लड़के और लड़कियों के लिए एक निश्चित आयु बताना कठिन है जिस पर उनकी लम्बाई अधिकतम सीमा पर पहुँचती है। किशोरों में लम्बाई में वृद्धि पिट्यूटरी ग्रन्थि की कार्य-विधि से सर्वाधिक प्रभावित होती है। किशोरावस्था में किशोरों की लम्बाई में वृद्धि पहले होती है फिर उनके भार (Weight) में वृद्धि होती है। लगभग पन्द्रह वर्ष की अवस्था तक लड़कियाँ लड़कों की अपेक्षा अधिक भारी होती हैं परन्तु इस आयु स्तर से लड़कियों की अपेक्षा लड़के भार में अधिक होने लग जाते हैं। लड़कियों के बाह्य परिवर्तनों का वर्णन करते हुए हरलॉक (1971) ने लिखा है कि ” जैसे-जैसे वक्षस्थल चौड़ा होता है और धड़ चौड़ाई में बढ़ता है किशोर के शरीर धड़ का पतलापन समाप्त होने लगता है । किशोरावस्था के उत्तरार्ध में बालिकाओं के स्तन और नितम्ब पूर्ण विकास की ओर अग्रसर होते हैं इससे उसका शरीर परिपक्व स्त्री की भाँति सुखद रूप ले लेता है ” (As the chest broadens and the trunk elongates the waistline drops and scrawny look of the young adolescent’s body disappears. By late adolescence, the breasts and hips of a girl are fully developed so that her body now has the pleasing curves of the mature women) |
कुछ अध्ययनों (C. F. Hauseman & M.M. Maresh, 1962; F. P. Feald, et al., 1963) से ज्ञात हुआ है कि मनुष्य कंकाल (Skeleton) या हड्डियों का विकास अट्ठारह वर्ष की अवस्था तक पूर्ण हो जाता है । इस आंयु के बाद तो केवल माँसपेशियों का विकास होता रहता है । बाल्यावस्था में धड़ पैरों की अपेक्षा अनुपात में अधिक बड़ा होता है परन्तु में यह अनुपात किशोरावस्था तक सामान्य हो जाता है। हाथ, पैर और धड़ सभी सामान्य अनुपात में किशोरावस्था तक पहुँच जाते हैं। इन सब अनुपातों को प्राप्त कर किशोर प्रौढ़ व्यक्तियों के समान दिखाई देने लग जाता है । किशोरावस्था में मुखमण्डल में अनेक महत्त्वपूर्ण परिवर्तन होते हैं। उनके चेहरे पर कुछ भौड़ापन दिखाई देने लगता है क्योंकि उनके दाढ़ी और मूँछें निकलने लगती हैं। परन्तु कुछ ही दिनों में उनके चेहरे का भौड़ापन कम होने लगता है । चेहरे में चमक या निखार दिखाई देने लगता है । इस अवस्था में उनकी आवाज में भी महत्त्वपूर्ण परिवर्तन होते हैं । लड़कों की आवाज बदलकर कोमल से कठोर हो जाती है या उसमें पुरुषों की आवाज जैसा भारीपन आ जाता है। इसी प्रकार लड़कियों की आवाज में कुछ इस प्रकार परिवर्तन होते हैं कि वह आवाज स्त्रियों की आवाज की भाँति प्रतीत होने लग जाती है ।

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