किशोरावस्था में समाजीकरण की विवेचना करें |

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प्रश्न – किशोरावस्था में समाजीकरण की विवेचना करें।
(Discuss the socialization in adolescence.)
उत्तर – किशोरावस्था में सामाजिक विकास का बहुत महत्त्व है। किशोर को समाज के आदर्शों और मूल्यों को समझने के साथ-साथ आवश्यक है कि वह समाज के विभिन्न व्यक्तियों के व्यवहारों, विचारों और भावनाओं को समझना सीखे। जब तक वह इनको नहीं सीखेगा तब तक उसके लिए समाज की विभिन्न परिस्थितियों में समायोजन करना कठिन होगा। वह समाज में सम्मान तभी प्राप्त कर सकता है जब उसका व्यवहार समाज के आदर्शों और मूल्यों के अनुरूप हो तथा साथ ही साथ उसका व्यवहार समायोजित भी हो। समायोजित और समाज के अनुरूप व्यवहार करने के लिए आवश्यक है कि किशोर में सामाजिक परिपक्वता (Social Maturity) हो ।
पूर्व किशोरावस्था में सामाजिक समायोजनों को यदि देखा जाय तो विपरीत लिंग के लोगों के साथ समायोजन करने में किशोरों को विशेष कठिनाई होती है । इस अवस्था में नई परिस्थितियों के साथ समायोजन करने में वे किशोर ही अधिक सफल होते हैं जिनका पहले से ही समायोजन उपर्युक्त रहता है। पूर्व किशोरावस्था में जिन नई समस्याओं के साथ सामाजिक समायोजन करना पड़ता है, उनमें से कुछ प्रमुख हैं : किशोरावस्था के प्रारम्भ होते ही बालकों का सामाजिक क्षेत्र बढ़ने लग जाता है । उसका घर की अपेक्षा बाहर अधिक समय व्यतीत होता है । अध्ययनों (B. M. Berger, 1965; C. E. Bawerman & J. W. Kinch, 1951) में भी यह देखा गया है कि इस अवस्था में बालक की रुचियाँ, अभिवृत्तियाँ मूल्य और व्यवहार आदि परिवार की अपेक्षा मित्र-मण्डली से अधिक प्रभावित होते हैं। एक अन्य अध्ययन (E. L. Gaier & W.F. White, 1965) में यह देखा गया कि देहात के लड़के अपने परिवार से अधिक प्रभावित होते हैं और शहर के लड़के अपनी मित्र-मण्डली से अधिक प्रभावित होते हैं। किशोरावस्था के समायोजन में दूसरी समस्या सामाजिक व्यवहार (Social Behaviour) में परिवर्तन है । किशोरावस्था के प्रारम्भ होते ही वह कम बातूनी, कम शोरगुल करने वाला, परन्तु अधिक नियन्त्रित व्यवहार करने वाला होता है । इस प्रकार वह धीरे-धीरे वयस्क व्यक्तियों के समान व्यवहार करने वाला होता जाता है । संक्षेप में, उसका बचपन का व्यवहार धीरे-धीरे समाप्त होता जाता है । इस अवस्था में वह वाहन चलाना, नशीले पदार्थों का सेवन करना और सेक्स सम्बन्धी क्रियाओं में संलग्न होने सम्बन्धी व्यवहार करना सीख़ जाता है। उन सभी नई परिस्थितियों में उसे समायोजन करना सीखना पड़ता है। इनफी (D. C. Dunphy, 1963) का विचार है कि Social activities, whether with members of the same sex or with the opposite sex, reach their peak during the high school age. अध्ययनों में यह भी देखा गया है कि किशोरावस्था की वृद्धि के साथ-साथ किशोर समाज द्वारा अनुमोदित व्यवहार को सीखते चले जाते हैं। किशोरावस्था के अन्त तक वह सामाजिक रीति-रिवाजों, मूल्यों और आदर्शों को इतना सीख जाता है कि उसका सामाजिक समायोजन लगभग वयस्क व्यक्तियों के समान हो जाता है। उसका लड़ाई-झगड़ा करना भी कम होता चला जाता है ।
1. सामाजिक सामूहीकरण (Social Groupings)
किशोरावस्था में बालक कुछ नए समूहों से सम्बद्ध होता है । यह समूह की अपेक्षा बड़े होते हैं परन्तु समूह के सदस्यों के सम्बन्ध उतने घनिष्ठ नहीं होते हैं जितने कि बाल्यावस्स्था में होते हैं इस अवस्था में लड़कों की अपेक्षा लड़कियों के समूह अधिक छोटे और निश्चित होते हैं। इनके कुछ अन्तरंग मित्र-समूह (Chums) होते हैं। वय: सन्धि अवस्था के बाद लड़के-लड़कियाँ निश्चित रूप से अपने कुछ न कुछ अन्तरंग मित्र अवश्य चुनते हैं; इनकी संख्या चाहे एक ही क्यों न हो। ये मित्र इनके पूर्ण विश्वास के होते हैं। बहुधा ये अन्तरंग मित्र समलिंगी होते हैं तथा इनकी रुचियाँ और योग्यताएँ लगभग समान होती हैं। डनफी (D. C. Dunphy, 1963) का विचार है कि इन अन्तरंग मित्रों के सम्बन्ध इतने घनिष्ठ और सन्तोष प्रदान करने वाले होते हैं कि ये मित्र एक-दूसरे पर अपना अमिट प्रभाव छोड़ते हैं । यदि इनमें झगड़ा भी होता है तो अधिक मित्रता के कारण शीघ्र ही समाप्त हो जाता है। टोली (Cliques)—यह वह सामाजिक समूह है जिसमें तीन-चार घनिष्ठ मित्र होते हैं जिनकी रुचियाँ और योग्यताएँ बहुत कुछ समान होती हैं। हो सकता है कि एक टोली दो-तीन अन्तरंग मित्र-समूहों (Chams) की बनी हुई हो । किशोरावस्था के प्रारम्भ में एक टोली के सदस्य समलिंगी होते हैं परन्तु अधिक आयु बढ़ने पर टोली में सदस्य दोनों ही लिंग के हो सकते हैं। ये सदस्य एक-दूसरे से सामान्य रुचियों और स्नेह से बँधे हुए होते हैं (J. C. Coleman, 1960) और एक-दूसरे के साथ अधिक से अधिक समय व्यतीत करते हैं। यह एक साथ पढ़ने, खेलने, बातचीत करने वाला तथा सिनेमा आदि जाने में समय व्यतीत करते हैं। गिरोह या दल (Gang) – गिरोह में स्कूल के वे लड़के-लड़कियाँ होती हैं जिनका दुर्बल समायोजन होता है, यह आपस में एक-दूसरे की आवश्यकताओं की भी पूर्ति करते हैं । अधिकतर यह गिरोह एक ही लिंग के सदस्यों के होते हैं परन्तु इनमें विपरीत लिंग के सदस्य भी हो सकते हैं। बहुधा यह बाल अपराधी बन जाते हैं या यह समाज – विरोधी क्रियाएँ करते हैं। ये उन लोगों से बदला लेते हैं जिन्होंने इनको स्वीकार नहीं किया है ।
2. किशोरावस्था की मित्रता (Adolescent Friendship)
इस अवस्था तक बालक यह समझने लग जाता है कि मित्रता केवल इसलिए स्थापित नहीं होती है कि वे एक ही कक्षा में पढ़ते हैं। इस अवस्था में किशोर अपने मित्रों का चयन करना सीख जाते हैं। उनका यह चयन विपरीत लिंग के लोगों में रुचि से भी प्रभावित होता है। । इस अवस्था में पिछली अवस्थाओं की अपेक्षा मित्रता अधिक स्थायी होती है । इनके मित्रों की संख्या भी अधिक होती है। समान रुचि वाले बालकों से शीघ्र मित्रता हो जाती है। इसी प्रकार समान सामाजिक-आर्थिक स्तर वाले लोगों में भी मित्रता शीघ्र स्थापित होती है। किशोरावस्था के अन्त तक किशोर यह अधिक पसन्द करने लगते हैं कि मित्र चाहे कम हों परन्तु अच्छे हों। एक अध्ययन (J. Kosaet al., 1962) के अनुसार इस अवस्था में किशोर मित्रों की संख्या कम कर देते हैं परन्तु मित्रों के साथ अपनी घनिष्ठता अधिक बढ़ाते हैं। वह अपने समान लिंग के लोगों के साथ कम और विपरीत लिंग के लोगों के साथ अधिक समय व्यतीत करते हैं । हरलॉक (1974) का विचार है – These friends must conform to his ideal and must have interests and values similar to his.
3. नेतृत्व (Leadership)
नेतृत्व के लिए आवश्यक है कि बालक में समूह के बालकों की अपेक्षा कुछ अधिक और श्रेष्ठ गुण हों तथा इन गुणों के अन्य सदस्यों द्वारा प्रशंसा की जा रही हो। सामाजिक कार्यक्रमों में नेता अन्य सदस्यों की अपेक्षा अधिक क्रियाशील दिखलाई पड़ते हैं । किशोरावस्था के बालक-बालिकाएँ यह पसन्द करते हैं कि उनका नेता देखने में अच्छा, स्टाइल वाला, अच्छे पहनावे वाला, अधिक बुद्धि वाला, अधिक शिक्षा वाला और अधिक परिपक्व होना चाहिए (C. K. Conners, 1963)। केले (J. A. Kelly, 1963) के अनुसार, “किशोरावस्था के नेताओं में अनेक गुण पाये जाते हैं, जैसे— विश्वसनीयता, वफादारी, बर्हिमुखता, अनेक रुचियाँ, आत्मविश्वास, निर्णय गति, खेल की भावना, सामाजिकता, विनोदीभाव, मौलिकता, दक्षता अनुकूलता, सहयोग, सजीवता, दृढ़ाग्रही और कुशलता ” (Adolescent leader possess following qualities — dependability, loyality, extroversion, a wide range of interests, self-confidence, speed of decision, liveliness, good sportsmanship, sociability, sense of humour, poise, originality, efficiency, persistance, adaptability, tact, and cooperativensess ) । जहाँ पन्द्रह-सोलह वर्ष की अवस्था के लड़के-लड़कियाँ समूह में दोनों ही होते हैं वहाँ लड़कियाँ लड़कियों को और लड़के लड़कों को ही नेता चुनना पसन्द करते हैं ।
4. सामाजिक स्वीकृति (Social Acceptance)
कुछ किशोरों को अपने समूह और समाज में अधिक प्रतिष्ठा और स्वीकृति प्राप्त होती है तथा अन्य को सामान्य या कम होती है । किशोरावस्था के प्रारम्भ से ही किशोर यह समझने लग जाते हैं कि समूह और समाज के अन्य सदस्य उसे कितना और किस प्रकार चाहते हैं। लड़कों की अपेक्षा लड़कियाँ समूह में अपना स्थान और प्रतिष्ठा शीघ्र पहचान लेती हैं। समूह में जो बालक अपनी स्थिति का मूल्यांकन सही करते हैं, उनका समायोजन सामान्य या अच्छा होता है। दूसरी ओर जो बालक अपने समूह में अपनी स्थिति का अति या अल्प मूल्यांकन करते हैं, उनका उस समूह में समायोजन दूषित होता है। जिस बालक को सामाजिक स्वीकृति जितनी ही अधिक प्राप्त होती है वह उतना ही अधिक सहयोगी बर्हिमुखी (Extrovert), सहायता करने वाला, उदार, सही बोलने वाला, कम क्रोधी उत्तरदायित्व वाला, नियमों का पालन करने वाला होता है (K. Yamamoto, 1964)। अध्ययनों (D. A. Goslin, 1962; D. P. Ausubel, 1955) में यह देखा गया है कि जिन किशोरों को जितनी ही अधिक सामाजिक स्वीकृति प्राप्त होती है, वे उतने ही अधिक प्रसन्न होते हैं और अपने आपको उतना ही अधिक सुरक्षित अनुभव करते हैं । इससे उनमें आत्म-विश्वास भी बढ़ जाता है । उत्तरार्ध किशोरावस्था में पाई जाने वाली विशेषताओं का वर्णन करते हुए हरलॉक (1978) ने लिखा है कि, “सामाजिक रूप से स्वीकृत व्यक्ति में कुछ लक्षण  पाए जाते हैं, जैसे—निष्कपटता, दूसरों में रुचि, दूसरों को महत्त्व, आत्म-सम्मान, आत्म-विश्वास, समूह द्वारा स्वीकृत क्रियाकलापों में सक्रिय रूप से भाग लेना, सामान्यतया समायोजित व्यक्तित्व प्रतिमान” (Some traits are more likely to be found in socially accepted individuals such as sincerity, objective interest in others, consideration for others, self-respect and self-confidence, active participation in approved group activities and generally well adjusted personality patterss) |

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