किसान विद्रोह के लिए चम्पारण सत्याग्रह के महत्व को स्पष्ट कीजिए।

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प्रश्न – किसान विद्रोह के लिए चम्पारण सत्याग्रह के महत्व को स्पष्ट कीजिए।
उत्तर – 1917 में बिहार के चम्पारण में महात्मा गांधी द्वारा आरंभ किया गया चंपारण सत्याग्रह का न सिर्फ बिहार के इतिहास में बल्कि पूरे देश के इतिहास में महत्वपूर्ण स्थान है। चंपारण सत्याग्रह का उद्देश्य उन गरीब और शोषित किसानों के बीच जागरुकता लाना था, जो उस समय तक अंग्रेजों के कहने पर अपने जमीन में नील की खेती करते थे और तिनकठिया पद्धति के शिकार थे | सत्याग्रह के बाद किसानों नें अंग्रेजों का विरोध किया। और अपनी मांगों को पूरा करने हेतु आंदोलन को तेज किया।

चम्पारण सत्याग्रह के कुछ प्रमुख कारण निम्नवत हैं

  • चंपारण और पूरे बिहार में भूमि की कीमतों में बेतहाशा वृद्धि हुई।
  • हजारों भूमिहीन मजदूरों एवं गरीब किसान खाद्यान्न के बजाय नील और अन्य नकदी फसलों की खेती करने के लिए बाध्य हो गये थे।
  • यहां अंग्रेज भूमिपतियों द्वारा किसानों का निर्मम शोषण एक लंबे समय से होता आ रहा था।
  • किसानों को जमींदार बलपूर्वक नील की खेती करने के लिए बाध्य करते थे। प्रत्येक बीघा पर उन्हें तीन कट्ठे में नील की खेती अनिवार्यतः करनी पड़ती थी इसे तीन कठिया व्यवस्था कहते थे। इसके बदले उन्हें उचित मजदूरी नहीं मिलती थी ।
  • नील की खेती से भूमि की उर्वरता पर खराब प्रभाव पड़ता था। जो किसान नील की खेती करने से मुक्ति चाहते थे उन पर मनमाने ढंग से लगान बढ़ा दिया जाता था।
  • इस उत्पीड़न और शोषण के कारण किसानों की आर्थिक दशा सोचनीय हो गई थी। प्रशासन, पुलिस और न्यायपालिका भी इस उत्पीड़न में जमींदारों की ही सहायता करती थी।
चंपारण आंदोलन के कुछ महत्वपूर्ण परिणाम – 
  • इस आंदोलन का सबसे महत्वपूर्ण परिणाम यह हुआ की चंपारण कृषि समिति का गठन किया गया। गांधी जी भी इसके सदस्य थे। इसकी अनुशंसा पर तीन कठिया व्यवस्था समाप्त कर दिया गया।
  • किसानों पर से लगान हटा दिया गया और उन्हें क्षतिपूर्ति का धन भी मिला। यद्यपि किसानों के कष्टों के निवारण के लिए यह उपाय अपर्याप्त थे, फिर भी पहली बार शांतिपूर्ण जन विरोध के माध्यम से सरकार को कुछ मांगों को स्वीकार करने पर सहमत कर लेना एक बड़ी उपलब्धि थी।
  • कुछ विद्धान हैं, जो चंपारण के सत्याग्रह को एक सफल आंदोलन नहीं मानते हैं।
    इस आंदोलन से उस विभेदकारी और शोषणकारी नीति का अंत नहीं हुआ, जिससे किसान त्रस्त थे । रमेश चंद्र दत्त के अनुसार महात्मा गांधी और अंग्रेज प्रशासन के बीच हुई संधि से किसानों को जमींदारों द्वारा किए जाने वाले शोषण में कोई कमी नहीं आई। महात्मा गांधी द्वारा किए गए चंपारण सत्याग्रह से किसानों की गरीबी, भूखमरी एवं शोषण की समस्या का समाधान नहीं हुआ, जिससे वे वर्षों से जूझ रहे थे।

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