कुसुम के पागलपन में सुधार देख मंगु के प्रति माँ, परिवार और समाज की प्रतिक्रिया को अपने शब्दों में लिखें। (उत्तर 30 शब्दों में दें।)
प्रश्न – कुसुम के पागलपन में सुधार देख मंगु के प्रति माँ, परिवार और समाज की प्रतिक्रिया को अपने शब्दों में लिखें। (उत्तर 30 शब्दों में दें।)
उत्तर – शहर के कन्या विद्यालय में पढ़नेवाली गाँव की कुसुम पागल हो गई है। परिवारवालों ने उसे अस्पताल में भरती करवाया। पहले महीने के अंत तक कुसुम को अच्छा फायदा हुआ। दूसरे महीने में कुसुम का पागलपन मिट गया। तीसरे महीने के अंत तक वह भली, चंगी हो गई। माँ, परिवार के सदस्यों और गाँव के लोगों को सुखद आश्चर्य हुआ। परिवार के सदस्यों और समाज के लोगों ने माँ को समझाया- “माँजी, आप मंगु को एक बार अस्पताल में भरती करके तो देखें | जरूर वह अच्छी हो जाएगी।” जिंदगी में पहली बार माँ ने अस्पताल का विरोध नहीं किया। वह चुपचाप लोगों की सलाह सुनती रही। उसने दूसरे दिन कुसुम को अपने घर बुलवाया। उसने कुसुम से अस्पताल के बारे में विस्तार से पूछताछ की। अस्पताल के बारे में कुसुम से मिली जानकारी से माँ के मन की गाँठें खुल गईं। उसे यह जानकर अस्पताल पर श्रद्धा हो आई कि यदि कोई पागल नर्सों या डॉक्टरों के साथ अभद्र व्यवहार करता है तब भी वे उसका बुरा नहीं मानते और उसकी देखरेख में कोई कोताही नहीं करते। माँ ने विचार किया कि यदि मंगु के भाग्य में अस्पताल के उपचार से ही ठीक होना लिखा है, तो इसमें बुरा ही क्या है। जैसे और दूसरे उपाय आजमाए गए हैं, उसी तरह इसे भी आजमाकर देखा जाए! यदि मंगु का पागलपन नहीं दूर होगा, तो उसे अस्पताल से घर लाया भी तो जा सकता है! माँ ने सोचा कि बहुएँ और पुत्र ऐसे नहीं हैं कि मेरे न रहने के बाद मंगु की देखभाल कर सकें। अतः, अस्पताल में ही भरती करा देना ठीक है, मरने के समय मुझे इतनी शांति तो रहेगी कि उसकी सेवा करनेवाला दुनिया में पराया ही कोई है तो सही !
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