क्रिया किसे कहते हैं – परिभाषा, भेद एवं उदाहरण
क्रिया किसे कहते हैं – परिभाषा, भेद एवं उदाहरण
क्रिया किसे कहते हैं | Kriya Kise Kahate Hain
क्रिया के उदाहरण | Kriya Ke Udahran
- विक्रम पढ़ रहा है।
- शास्त्री जी भारत के प्रधानमंत्री थे।
- महेश क्रिकेट खेल रहा है।
- सुरेश खेल रहा है।
प्रथम वाक्य में विक्रम द्वारा पढ़ाई काम का करना पाया जा रहा है। अतः इस वाक्य में ‘पढ़ रहा है’ क्रिया पद है।
द्वितीय वाक्य में स्पष्ट रूप से किसी काम का करना दिखाई नहीं दे रहा है, लेकिन काम का होना पाया जा रहा है। अतः इस वाक्य में ‘थे’ क्रिया पद होगा।
तृतीय वाक्य में महेश द्वारा क्रिकेट खेला जा रहा है। अतः क्रिकेट खेलने का काम का करना पाया जा रहा है। इस वाक्य में ‘खेल रहा है’ क्रिया पद होगा।
चतुर्थ वाक्य में कर्म कारक स्पष्ट रूप से लिखा हुआ नहीं है, लेकिन फिर भी गौण रूप में कर्म कारक उपस्थित है। ‘सुरेश खेल रहा है’, इसका अर्थ हुआ की सुरेश कोई न कोई खेल तो यकीनन खेल रहा है। अतः ‘खेल रहा है’ इस वाक्य में क्रिया पद है।
इसी तरह अन्य उदाहरणों में भी आप क्रिया पहचान सकते हैं।
क्रिया शब्द | Kriya Shabd
वे शब्द जिनसे किसी कार्य या काम के होने का बोध होता हो उन्हें क्रिया शब्द कहते हैं। किसी वाक्य में कर्ता जिस कार्य को कर रहा होता है उस कार्य का बोध करवाने वाले शब्दों को क्रिया शब्द कहा जाता है।
क्रिया शब्द के उदाहरण
क्रिया शब्द के उदाहरण
- खेलना
- आना
- जाना
- कूदना
- नाचना
- पीना
- चलना
- नहाना
क्रिया के भेद (Kriya Ke Bhed)
(क) कर्म के आधार पर
(ख) प्रयोग के आधार पर
(ग) काल के आधार पर
कर्म के आधार पर क्रिया के भेद
कर्म के आधार पर क्रिया के दो भेद होते हैं-
- सकर्मक क्रिया
- अकर्मक क्रिया
काल के आधार पर क्रिया के भेद
काल के आधार पर क्रिया के तीन भेद होते हैं।
- भूतकालिक क्रिया
- वर्तमानकालिक क्रिया
- भविष्यतकालिक क्रिया
संरचना या प्रयोग के आधार पर क्रिया के भेद
संरचना या प्रयोग के आधार पर kriya के भेद इस प्रकार हैं:
(1) संयुक्त क्रिया
(2) नामधातु क्रिया
(3) प्रेरणार्थक क्रिया
(4) पूर्वकालिक क्रिया
(5) मूल क्रिया
(6) नामिक क्रिया
(7) समस्त क्रिया
(8) सामान्य क्रिया
(9) सहायक क्रिया
(10) सजातीय क्रिया
(11) विधि क्रिया
कर्म के आधार पर क्रिया के भेद
1. सकर्मक क्रिया किसे कहते हैं
परिभाषा :- जिन क्रियाओं को कर्म की आवश्यकता होती है, उन्हें सकर्मक क्रिया कहते हैं।
सकर्मक क्रिया के उदाहरण | Sakarmak Kriya Ke Udaharan
निम्नलिखित उदाहरण सकर्मक क्रिया के उदाहरण हैं, जिन्हें पढ़कर आप समझ सकते हैं की सकर्मक क्रिया में कर्म पाया जाता है और सकर्मक क्रिया के वाक्य को कैसे पहचाने।
- गीता चाय बना रही है।
- महेश पत्र लिखता है।
- हमने एक नया मकान बनाया।
- वह मुझे अपना भाई मानती है।
- राधा खाना बनाती है।
सकर्मक क्रिया के भेद | Sakarmak Kriya Ke Bhed
- पूर्ण सकर्मक क्रिया – Purn Sakrmak Kriya
- अपूर्ण सकर्मक क्रिया – Apurn Sakrmak Kriya
पूर्ण सकर्मक क्रिया किसे कहते है – Purn Sakrmak Kriya Kise Kahate Hain
सकर्मक क्रिया का वह रूप जिसमें क्रिया के साथ ‘कर्म’ के अतिरिक्त किसी अन्य पूरक शब्द (संज्ञा या विशेषण) की आवश्यकता नहीं होती है, उस क्रिया को पूर्ण सकर्मक क्रिया कहते हैं। पूर्ण सकर्मक क्रिया के दो भेद होते हैं.
पूर्ण सकर्मक क्रिया के उदाहरण (Purn Sakrmak Kriya Ke Udaharan)
- महेश ने घर बनाया।
- बच्चा पी रहा है।
- कुछ छात्र पढ़ रहे थे।
- उसी ने बोला था।
- राम ही सदा लिखता है।
आप देख सकते हैं कि उपरोक्त सभी उदाहरणों में कर्म के साथ किसी भी तरह का पूरक शब्द इस्तेमाल नहीं किया गया है। अतः यहाँ पूर्ण सकर्मक क्रिया है।
पूर्ण सकर्मक क्रिया के भेद
- एक कर्मक क्रिया (Ek Karamk Kriya)
- द्विकर्मक क्रिया (Dvikaramk Kriya)
एक कर्मक क्रिया किसे कहते हैं (Ek Karma Kriya Kise Kahate Hain)
यदि किसी वाक्य में सकर्मक क्रिया के साथ सिर्फ़ एक कर्म प्रयुक्त हुआ हो तो उसे एक कर्मक क्रिया कहते हैं।
एक कर्मक क्रिया के उदाहरण (Ek Karamk Kriya Ke Udaharan)
- विजय भोजन कर रहा है।
- अध्यापक पाठ पढ़ा रहा है।
द्विकर्मक क्रिया किसे कहते हैं (Dvikaramk Kriya Kise Kahate Hain)
यदि किसी वाक्य में पूर्ण सकर्मक क्रिया के साथ दो कर्म (प्रधान कर्म एवं गौण कर्म) प्रयुक्त हुए हों तो, उसे द्विकर्मक क्रिया कहते हैं।
द्विकर्मक क्रिया के उदाहरण
- मां बच्चों को भोजन खिला रही है।
- मैं आपको क्रिया पढ़ा रहा हूँ।
अपूर्ण सकर्मक क्रिया किसे कहते है (Apurn Sakrmak Kriya Kise Kahate Hain)
अपूर्ण सकर्मक क्रिया – सकर्मक क्रिया का वह रूप जिसमें क्रिया के साथ ‘कर्म’ के अतिरिक्त भी किसी न किसी पूरक शब्द (संज्ञा या विशेषण) की आवश्यकता बनी रहती हो तो, उस क्रिया को अपूर्ण सकर्मक क्रिया कहते हैं। चार क्रियाएँ मानना, समझना, चुनना (चयन) एवं बनाना (चयन के अर्थ में) सदैव अपूर्ण सकर्मक क्रिया होती हैं।
आसान भाषा में कहें तो अपूर्ण सकर्मक क्रिया में पूरक शब्दों के बिना काम का पूर्ण होना नहीं पाया जाता।
अपूर्ण सकर्मक क्रिया के उदाहरण (Apurn Sakrmak Kriya Ke Udaharan)
- नवीन सचिन को चतुर समझता है।
- वह मुझे अपना भाई मानता है।
- हमने सुमेर को समिति का अध्यक्ष बनाया।
- वह अपने आपको हिटलर समझता है।
उपरोक्त सभी उदाहरणों में आप देख है की चतुर, भाई, अध्यक्ष, हिटलर, दुश्मन एवं प्रधानमंत्री पूरक शब्द हैं। अतः यहाँ अपूर्ण सकर्मक क्रिया होगी।
2.अकर्मक क्रिया किसे कहते हैं
परिभाषा :- जिस वाक्य में क्रिया कर्ता के ऊपर निर्भर होती है, कर्म निश्चित नहीं होता या क्रिया का प्रभाव कर्ता पर पड़ता हैं। अत: जिस क्रियाओं को कर्म की आवश्यकता नहीं होती, उन्हें अकर्मक क्रिया कहा जाता हैं।
जैसे :- 1. पक्षी उड़ रहे है।
2. बच्चा रो रहा है।
नोट :- सकर्मक क्रिया में क्रिया का प्रभाव कर्म पर पड़ता है, जबकि अकर्मक क्रिया में क्रिया का प्रभाव कर्ता पर पड़ता हैं।
सकर्मक और अकर्मक क्रिया को कैसे पहचाने?
यदि किसी वाक्य में कर्म उपस्थित नहीं हो तो वाक्य में प्रयुक्त क्रिया अकर्मक क्रिया होगी, अन्यथा सकर्मक क्रिया होगी. सकर्मक और अकर्मक क्रिया को पहचानने के लिए वाक्य में प्रयुक्त क्रिया से पहले क्या लगाकर वाक्य को सवाल की तरह पढ़ें। यदि उस वाक्य में सकर्मक क्रिया होगी तो वाक्य में प्रयुक्त ‘कर्म’ के रूप में जवाब मिलेगा और यदि कर्म के रुप में जवाब नहीं मिले तो उस वाक्य में अकर्मक क्रिया होगी।
काल के आधार पर क्रिया के भेद
1. भूतकालिक क्रिया किसे कहते हैं
भूतकालिक क्रिया – वे क्रियाएँ, जिनके द्वारा भूतकाल में कार्य के संपन्न होने का बोध होता है, उन्हें भूतकालिक क्रियाएँ कहते हैं।
भूतकालिक क्रिया के उदाहरण:-
- विकास ने पुस्तक पढ़ ली थी।
- रमेश सुबह ही चला गया था।
2. वर्तमानकालिक क्रिया किसे कहते हैं
वर्तमानकालिक क्रिया – वे क्रियाएँ, जिनके द्वारा वर्तमान में काम के संपन्न होने का बोध होता है, उन्हें वर्तमानकालिक क्रियाएँ कहते हैं।
वर्तमानकालिक क्रिया के भेद
- सामान्य वर्तमानकालिक क्रिया
- अपूर्ण वर्तमानकालिक क्रिया
- संदिग्ध वर्तमानकालिक क्रिया
- आज्ञार्थक वर्तमानकालिक क्रिया
- सम्भाव्य वर्तमानकालिक क्रिया
1. सामान्य वर्तमानकालिक क्रिया
सामान्य वर्तमानकालिक क्रिया – वर्तमानकालिक क्रिया का वह रूप जिससे कार्य का सामान्य रूप से वर्तमान समय में होने का बोध हो तो, क्रिया के उस रूप को सामान्य वर्तमानकालिक क्रिया कहते हैं। यदि किसी वाक्य के अंत में ता है, ती है, ते हैं, ता हूँ, ती हूँ आया हो तो, उस वाक्य में प्रयुक्त क्रिया सामान्य वर्तमानकालिक क्रिया होगी।
उदाहरण:-
- रमेश खाना खाता है।
- रवि चाय बनाता है।
2. अपूर्ण वर्तमानकालिक क्रिया
अपूर्ण वर्तमानकालिक क्रिया – वर्तमानकालिक क्रिया का वह रूप जिससे कार्य का वर्तमान समय में जारी रहने का बोध हो तो, क्रिया के उस रूप को अपूर्ण वर्तमानकालिक क्रिया कहते हैं। यदि किसी वाक्य के अंत में रहा है, रही है, रहे हैं, रही हूँ, रहा हूँ में से कोई सहायक क्रिया प्रयुक्त हुई हो तो, उस वाक्य में प्रयुक्त क्रिया अपूर्ण वर्तमानकालिक क्रिया होगी।
उदाहरण:-
- रमेश खाना खा रहा है।
- सीता चाय बना रही है।
3. संदिग्ध वर्तमानकालिक क्रिया
संदिग्ध वर्तमानकालिक क्रिया – वर्तमानकालिक क्रिया का वह रूप जिससे कार्य के वर्तमान समय में होने पर संशय का बोध हो तो, क्रिया के उस रूप को संदिग्ध वर्तमानकालिक क्रिया कहते हैं। सामान्य वर्तमानकालिक क्रिया में संशय की स्थिति जोड़ने पर संदिग्ध वर्तमानकालिक क्रिया बन जाती है। यदि किसी वाक्य के अंत में रहा होगा, रही होगी, रहे होंगे में से कोई एक सहायक क्रिया के रूप में प्रयुक्त हुआ हो तो, उस वाक्य में प्रयुक्त क्रिया संदिग्ध वर्तमानकालिक क्रिया होगी।
उदाहरण:-
- रमेश खाना खा रहा होगा।
- सीता चाय बना रही होगी।
4. आज्ञार्थक वर्तमानकालिक क्रिया
आज्ञार्थक वर्तमानकालिक क्रिया – वर्तमानकालिक क्रिया का वह रूप जिससे वर्तमान काल में आज्ञा या आदेश देने का बोध हो तो, क्रिया के उस रूप को आज्ञार्थक वर्तमानकालिक क्रिया कहते हैं।
उदाहरण:-
- बैठ जाओ।
- सीता अब तुम चाय बनाओ।
5. सम्भाव्य वर्तमानकालिक क्रिया
सम्भाव्य वर्तमानकालिक क्रिया – वर्तमानकालिक क्रिया का वह रूप जिससे वर्तमान समय में अपूर्ण क्रिया की संभावना या संशय होने का बोध होता हो तो, क्रिया के उस रूप को सम्भाव्य वर्तमानकालिक क्रिया कहते हैं। अपूर्ण वर्तमानकालिक क्रिया में संशय की स्थिति जोड़ देने पर वर्तमानकालिक क्रिया बनती है। यदि किसी वाक्य के अंत में सहायक क्रिया के रूप में रहा होगा, रही होगी, रहे होंगे, रहा हो, रही हो, रहे हो आदि में से किसी एक का प्रयोग किया गया हो तो, उस वाक्य में प्रयुक्त क्रिया सम्भाव्य वर्तमानकालिक क्रिया होगी।
उदाहरण:-
- शायद रवि आया हो।
3. भविष्यतकालिक क्रिया किसे कहते हैं
भविष्यतकालिक क्रिया – वे क्रियाएं, जिनके द्वारा भविष्य में होने वाले काम का बोध होता हो, उन्हें भविष्यतकालिक क्रिया कहते हैं।
उदाहरण:-
- वह कल जयपुर जाएगा।
- रमेश अगले सप्ताह घर आएगा।
भविष्यतकालिक क्रिया के तीन भेद होते हैं।
संरचना या प्रयोग के आधार पर क्रिया के भेद
1. संयुक्त क्रिया किसे कहते हैं
दो या दो से अधिक भिन्न भिन्न अर्थ वाली क्रियाओं के मेल से बनने वाली क्रिया को संयुक्त क्रिया (Sanyukt Kriya) कहते हैं। संयुक्त क्रियाओं का निर्माण धातु से बने हुए शब्दों (कृदंत) के आगे सहायक या सहकारी क्रियाएं जोड़ देने से होता है। संयुक्त क्रिया (Sanyukt Kriya) अकर्मक एवं सकर्मक दोनों हो सकती हैं।
जब कृदंत की क्रिया मुख्य क्रिया हो तथा काल की क्रिया कृदंत की विशेषता बताए तो वहाँ दोनों क्रियाओं के संयुक्त रूप को संयुक्त क्रिया कहते हैं। संयुक्त क्रिया में मुख्य क्रिया का कृदंत और सहायक क्रिया के काल का रूप होता है।
2. नामधातु क्रिया किसे कहते हैं
क्रिया का वह रूप जिसमें क्रिया का निर्माण संज्ञा, सर्वनाम अथवा विशेषण में प्रत्यय जोड़ने से होता हो उसे नामधातु क्रिया कहते हैं। आमतौर पर क्रियाओं का निर्माण धातु से होता है, लेकिन नामधातु क्रियाओं को संज्ञा, सर्वनाम अथवा विशेषण शब्दों में ‘ना’ प्रत्यय जोड़कर बनाया जाता है।
3. प्रेरणार्थक क्रिया कौन सी होती है?
मूल धातु का वह विकृत रूप जिससे क्रिया के व्यापार में कर्ता (प्रेरित कर्ता) पर किसी (प्रेरक कर्ता) की प्रेरणा का बोध हो तो उसे प्रेरणार्थक क्रिया कहते हैं। प्रेरणार्थक क्रिया की रचना सकर्मक एवं अकर्मक दोनों प्रकार की क्रियाओं से हो सकती है, लेकिन प्रेरणार्थक क्रिया बन जाने के पश्चात वह सदैव सकर्मक ही होगी। प्रेरणार्थक क्रिया में दो कर्ता होते हैं जो निम्नलिखित हैं।
- प्रेरक कर्ता – वह कर्ता जो क्रिया करने के लिए प्रेरणा देता है.
- प्रेरित कर्ता – वह कर्ता जो क्रिया करने के लिए प्रेरणा देता है.
4. पूर्वकालिक क्रिया किसे कहते हैं
जब किसी वाक्य में दो क्रियाएं एक साथ प्रयुक्त हुई हों और उनमें से एक क्रिया दूसरी क्रिया से पहले संपन्न हुई हो तो पहले संपन्न होने वाली क्रिया को पूर्वकालिक क्रिया (Purv Kalik Kriya) कहते हैं। पूर्वकालिक क्रिया (Purv Kalik Kriya) पर लिंग, वचन, पुरुष और काल आदि का कोई प्रभाव नहीं पड़ता है। पूर्वकालिक क्रिया का अर्थ पहले हुआ होता है।
मूल धातु शब्द में ‘कर’ जोड़कर सामान्य क्रिया को पूर्वकालिक क्रिया (Purv Kalik Kriya) में बदला जाता है।
जैसे:-
- मोहित खेलकर पढ़ने बैठेगा।
5. मूल क्रिया किसे कहते हैं (Mool Kriya)
जो क्रिया मूल धान से ही बनती है, उसे मूल क्रिया या रूढ़ क्रिया कहते है। जैसे – पढ़ना, रोना, हँसना, लिखना आदि, ये सभी क्रियाएँ पढ़, रो, हँस, लिख के मूल धातु से बनी है।
6. नामधातु क्रिया किसे कहते हैं
क्रिया का वह रूप जिसमें क्रिया का निर्माण संज्ञा, सर्वनाम अथवा विशेषण में प्रत्यय जोड़ने से होता हो उसे नामधातु क्रिया कहते हैं। आमतौर पर क्रियाओं का निर्माण धातु से होता है, लेकिन नामधातु क्रियाओं को संज्ञा, सर्वनाम अथवा विशेषण शब्दों में ‘ना’ प्रत्यय जोड़कर बनाया जाता है।
7. समस्त क्रिया किसे कहते हैं
समस्त क्रिया की परिभाषा:- ऐसे शब्द जो दो क्रियाओं से मिलकर बने हुए होते हैं उन्हें समस्त क्रिया कहा जाता है । यह शब्द तो एक ही होते हैं लेकिन इनमें दो क्रियाओं का उपयोग किया जाता है ।
जैसे- खेलकूद, उठबैठ, चलफिर, मारपीट, कहसुन यह सभी ऐसे शब्द है जो दो क्रियाओं से मिलकर के बने हुए हैं ।
8. सामान्य क्रिया किसे कहते हैं
सामान्य क्रिया (Samanya Kriya) प्रयोग के आधार पर क्रिया का एक भेद है, जिसमें किसी एक कार्य का बोध करवाने के लिए एक ही क्रिया पद का प्रयोग किया जाता है।
यदि किसी वाक्य में एक ही क्रियापद प्रयुक्त हुआ हो तो उसे सामान्य क्रिया (Samanya Kriya) कहते हैं। सामान्य क्रिया (Samanya Kriya) द्वारा एक ही कार्य का बोध होता है। सामान्य क्रिया का अर्थ एक कार्य और एक क्रिया पद वाली क्रिया होता है।
आसान भाषा में कहें तो यदि किसी वाक्य में एक ही कार्य का होना पाया जाए और वाक्य में एक ही क्रियापद प्रयुक्त हुआ हो तो उस वाक्य में प्रयुक्त क्रिया सामान्य क्रिया होगी।
9. सहायक क्रिया किसे कहते हैं
किसी वाक्य में मुख्य क्रिया की सहायता करने वाले क्रियापद को सहायक क्रिया (Sahayak Kriya) कहते हैं। सहायक क्रिया वाक्य के काल का परिचायक होती है, अर्थात सहायक क्रिया (Sahayak Kriya) की सहायता से हम किसी वाक्य के काल के बारे में जान सकते हैं।
10. सजातीय क्रिया किसे कहते हैं
यदि किसी वाक्य में प्रयुक्त कर्म और क्रिया पद एक ही धातु से बने हों तो उसे सजातीय क्रिया (Sajatiya Kriya) कहते हैं। सजातीय क्रिया (Sajatiya Kriya) में प्रयुक्त कर्म को ‘सजातीय कर्म’ तथा प्रयुक्त क्रिया को ‘सजातीय क्रिया’ कहते हैं।
दरअसल, किसी भी वाक्य में कर्ता, कर्म और क्रिया होते हैं, जहाँ कर्ता एवं कर्म संज्ञा अथवा सर्वनाम शब्द होते हैं और क्रिया किसी भी धातु से बनी होती है।सजातीय क्रिया (Sajatiya Kriya) में वाक्य का कर्म संज्ञा अथवा सर्वनाम शब्द न होकर किसी धातु से बना होता है। इस क्रिया में वाक्य का कर्म और क्रिया एक ही धातु से बने होते हैं।
11. विधि क्रिया किसे कहते हैं
विधि क्रिया की परिभाषा- ऐसे वाक्य जिनमें आज्ञा वाचक शब्द का प्रयोग किया जा रहा है तो ऐसे वाक्यों में पाए जाने वाले क्रियाओं को विधि क्रिया कहा जाता है ।
जैसे-
1) मोहन यहाँ चले जाओ ।
2) तुम अपना काम करते रहो ।
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