(क) ‘अलसकथा’ से हमें क्या शिक्षा मिलती है? (ख) संस्कृत साहित्य के संवर्धन में महिलाओं के योगदान का वर्णन करें।

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प्रश्न – (क) ‘अलसकथा’ से हमें क्या शिक्षा मिलती है? (ख) संस्कृत साहित्य के संवर्धन में महिलाओं के योगदान का वर्णन करें।

उत्तर – (क) लेखक विद्यापति ‘अलसकथा’ पाठ के माध्यम से हमें शिक्षा देते हैं कि आलसी व्यक्ति बिना परिश्रम किए जीवन व्यतीत करना चाहते हैं। उनका भरण-पोषण कारुणिक व्यक्ति के बिना संभव नहीं है । उनका जीवन भी दयावान पुरुषों पर ही निर्भर है।

आलस्य शत्रु के समान है, जो मनुष्य को नष्ट कर देता है।
(ख) संस्कृतसाहित्य के संवर्धन में पुरुषों की भाँति महिलाओं का योगदान प्राचीनकाल से आज तक हो रहा है। ऋग्वेद में चौबीस तथा अथर्ववेद में पाँच ऋषि पत्नियों का वर्णन मिलता है। मैत्रेयी, गार्गी, विजयाङ्का देवकुमारिका, रामभद्राम्बा, गङ्गादेवी, तिरुमलाम्बा आदि अनेक महिलाएँ अपने काव्यों से संस्कृतसाहित्य को संवर्धित की। आधुनिक लेखिकाओं में पण्डिता क्षमाराव, पुष्पादीक्षित, वनमाला भवालकर मिथिलेश कुमारी मिश्र आदि महिलाएँ महत्त्वपूर्ण हैं, जो निरन्तर संस्कृत साहित्य को पूरा करने में लगी हुई हैं।

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