गार्डनर के बहु बुद्धि का वर्णन कीजिए।

WhatsApp Group Join Now
Telegram Group Join Now
प्रश्न – गार्डनर के बहु बुद्धि का वर्णन कीजिए। 
(Describe the Garder’s multiple Intelligence theory:)

उत्तर- बुद्धि के स्वरूप को जानने के लिए अनेक मनोवैज्ञानिकों ने अपने प्रयोगों तथा अनुसंधानों के आधार पर बुद्धि के सिद्धान्तों का प्रतिपादन किया। थॉर्नडाइक ने तीन प्रकार की बुद्धि बताई, जबकि थर्स्टन ने सात तथा केली ने बुद्धि के नौ कारकों का उल्लेख किया। प्राय: यह देखा गया है, दुर्घटनाग्रस्त होने पर मस्तिष्क के कुछ हिस्से काम करते रहते हैं, जबकि कुछ हिस्से नष्ट (Damage) हो जाते हैं जो इस बात को इंगित करता है कि बुद्धि के कई भाग होते हैं। इसके अतिरिक्त यह भी देखा जाता है कि अलग-अलग व्यक्तियों में अलग-अलग तरह की मानसिक क्षमताएँ पाई जाती हैं। महान् गणितज्ञ रामानुजम इस सिद्धान्त के सटीक उदाहरण हैं जो गणित में असाधारण (Extra Ordinary) योग्यता के धनी थे, लेकिन इन्टर की परीक्षा में अन्य विषयों में अनुत्तीर्ण हो गए थे। बुद्धि के बहु पहलुओं का विस्तार से अध्ययन करने में हावर्ड ने सराहनीय कार्य किया तथा न्यूरो मनोविज्ञान के क्षेत्र में किये गए अनुसंधानों के आधार पर 1983 में एक नये बहु बुद्धि सिद्धान्त का प्रतिपादन किया। उसने अपनी पुस्तक ‘फ्रेम्स ऑफ माइण्ड : द थ्योरी ऑफ मल्टीपल इंटेलिजेंस’ (Frames of Mind : The Theory of Multiple Intelligence) में सात प्रकार की बुद्धि का उल्लेख किया है। उसके अनुसार बुद्धि के सातों कारक पूर्णतः आनुवांशिक नहीं होते हैं, बल्कि ये उचित सामाजिक तथा भौतिक वातावरण एवं किसी विशेष प्रकार के प्रशिक्षण (Training) द्वारा विकसित किए जा सकते हैं।

इस सिद्धान्त में गार्डनर ने यह स्पष्ट किया कि बुद्धि का स्वरूप एकाकी ( Singular) न होकर बहुकारकीय होता है। उनके इस सिद्धान्त का आधार उनके द्वारा न्यूरोमनोविज्ञान (Neuropsychology) तथा मनोमितिक विधियों ( Psychometric Methods) के क्षेत्र में किये गए शोध हैं। इस सिद्धान्त में स्पष्टतः उन कसौटियों पर भी बल डाला गया है, जिनके आधार पर यह कहा जा सकता है कि विशेष क्षमता एक अलग बुद्धि (Separate Intelligence) है या नहीं; जैसे–मस्तिष्कीय क्षति होने से व्यक्ति की एक विशेष क्षमता (Capacity) यदि प्रभावित हो जाती है; उसका प्रभाव अन्य क्षमताओं पर नहीं पड़ता है, तो उस प्रभावित क्षमता को एक अलग बुद्धि (Separate Intelligence) माना जा सकता है।

गार्डनर ने अपने बहु बुद्धि सिद्धान्त में यह स्पष्ट करने का प्रयास किया कि बुद्धि की व्याख्या किसी संदर्भ विशेष के परिप्रेक्ष्य में की जानी चाहिए। उनके अनुसार बुद्धि वास्तव में संदर्भित बुद्धि (Contextualized Intelligence) होती है। गार्डनर का मानना है कि व्यक्ति में विभिन्न बुद्धियों के प्रति कुछ प्रवृत्तियाँ होती हैं । “बुद्धि किसी विशिष्ट सांस्कृतिक संदर्भ में जैविक प्रवृत्तियों और सीखने के अवसरों के बीच होने वाली अन्तः क्रिया के रूप में होती है। ”

“Intelligence is always an interaction between biological proactivities and opportunities for learning in a particular cultural context.”

गार्डनर द्वारा बताई गई सात प्रकार की बुद्धियों का वर्णन यहाँ प्रस्तुत किया गया है-

  1. भाषायी बुद्धि (Linguistic Intelligence) – इस बुद्धि के द्वारा व्यक्ति अपने विचारों को भाषा की वाक्पटुता से व्यक्त करने की योग्यता प्राप्त करता है। जिस व्यक्ति में यह बुद्धि अधिक होती है, उसकी बोध-क्षमता (Comprehension Ability) अर्थात् भाषा सीखने की योग्यता अन्य लोगों की अपेक्षा अधिक होती है। उसका शब्दावली (Vocabulary) पर अधिकार (Command) होता है एवं वह शब्दों में सम्बन्ध स्थापित करने में दक्ष होता है। अच्छे शिक्षक, अधिवक्ता, लेखक, कवि, पत्रकार, वक्ता तथा नेताओं में भाषायी बुद्धि अधिक होती है।
  2. तार्किक -गणितीय बुद्धि (Logical-Mathematical Intelligence)—यह बुद्धि व्यक्ति की तर्क शक्ति, विश्लेषण क्षमता तथा गणित की समस्याओं के हल करने में परिलक्षित होती है। इस तरह की बुद्धि वाले व्यक्ति आंकिक श्रेणियों (Numerical Series) को शीघ्रता से हल कर लेते हैं। वे संख्याओं को जोड़ना, घटाना, गुणा करना, भाग देना आदि तीव्र गति से करते हैं। इस प्रकार की बुद्धि अधिकतर वैज्ञानिकों एवं गणितज्ञों में देखने को मिलती है ।
  3. स्थानिक बुद्धि (Spatial Intelligenc)– इस प्रकार की बुद्धि में दृष्टिमय संसार को सही ढंग से प्रत्यक्षीकरण करने की योग्यता एवं अपने प्रत्यक्षीकरण के आधार पर के पक्षों का पुनर्निर्माण करना, परिवर्तित करना अथवा रूपान्तरित करना आदि सम्मिलित हैं। ( उदाहरण – मूर्तिकार जहाज चालक ) ।
  4. दृष्टिमूलक – स्थानिक बुद्धि (Visual-spatial Intelligence) — यह बुद्धि व्यक्ति की स्थानिक कल्पना शक्ति (Spatial Visualization), स्थानिक चित्रों (Spatial Figures) में सम्बन्ध स्थापित करने तथा प्रत्ययों का निर्माण करने (Concept Formation) की दक्षता के रूप में जानी जाती है । इस प्रकार के व्यक्ति स्थानों के रास्ते याद रखने, वस्तुओं तथा मशीनों की संरचनाएँ समझने एवं यान्त्रिक कौशलों (Mechanical Skills) में बड़े निपुण होते हैं।
  5. संगीतात्मक बुद्धि ( Musical Intelligence)– यह बुद्धि संगीत से सम्बन्धित लय (Rhythm), ताल तथा गायन के उतार-चढ़ाव (Pitch) के प्रति संवेदनशीलता की क्षमता के द्वारा जानी जाती है। इस प्रकार की बुद्धि वाला व्यक्ति संगीतात्मक सामर्थ्य (Musical Competence) का धनी होता है, तथा जीवन में संगीतकार के रूप में प्रसिद्धि प्राप्त करता है।
  6. शारीरिक गतिक बुद्धि (Kinesthetic Intelligence) — यह बुद्धि व्यक्ति की शारीरिक क्रियाओं द्वारा अभिव्यक्त होती है; जैसे— खेलना, कूदना, यौगिक क्रियाएँ करना, नृत्य करना तथा अन्य प्रकार के शारीरिक करतब दिखाना जैसा कि सर्कस के कलाकार एवं नट लोग, क्रिकेट खिलाड़ी, टेनिस खिलाड़ी, शिल्पकार आदि दिखाते हैं।
  7. अंतः व्यक्तिगत बुद्धि (Intrapersonal Intelligence) – यह बुद्धि व्यक्ति को स्वयं के भावों तथा संवेगों को नियन्त्रित तथा निर्देशित करने की क्षमता के रूप में जानी जाती है। इस प्रकार की बुद्धि वाले व्यक्ति में अपने अनुसार कार्य करने, आत्म-निर्भर रहने, स्वाध्याय करने तथा अपने लक्ष्य को प्राप्त करने की प्रबल प्रकृति होती है। उदाहरण – आत्म चेतन्य व्यक्ति।
  8. अन्तर्वैयक्तिक बुद्धि (Interpersonal Intelligence) — यह बुद्धि व्यक्ति को अन्य लोगों के भावों, संवेगों, आवश्यकताओं तथा अभिप्रेरणाओं को समझने में समर्थ बनाती है। इस प्रकार की बुद्धि वाला व्यक्ति दूसरे लोगों से प्रभावशाली ढंग से अन्तः क्रिया करता है और उनके द्वारा किए जाने वाले व्यवहार का पूर्वानुमान कर लेता है। उदाहरणचिकित्सक, विक्रेता |
    इन आठ प्रकार की बुद्धि के अतिरिक्त गार्डनर ने 1992 में प्रकृतिवादी बुद्धि तथा 2000 में अस्तित्ववादी बुद्धि नामक दो अन्य बुद्धि के प्रकार अपने सिद्धान्त में सम्मिलित किए। अतः उसने कुल दस प्रकार की बुद्धि का उल्लेख किया है।
  9. प्राकृतिक बुद्धि (Naturalistic Intelligence)- प्रकृतिवादी बुद्धि से तात्पर्य व्यक्ति की उस क्षमता से है जो प्रकृति में पाए जाने वाले पैटर्न (Pattern) का बारीकी से निरीक्षण करके, उसकी ठीक-ठीक पहचान करने में सहायता करती है। इस बुद्धि का उपयोग कृषि (Agriculture), जीव विज्ञान (Zoology) तथा वनस्पति विज्ञान (Botany) के क्षेत्र से सम्बन्धित रहस्यों को उजागर करने में अधिक होता है। जिन व्यक्तियों में इस प्रकार की बुद्धि अधिक होती है, वे सफल किसान, जैव वैज्ञानिक तथा वनस्पति विशेषज्ञ बनते हैं।
  10. अस्तित्वादी बुद्धि (Existentialistic Intelligence) – यह व्यक्ति की वह बुद्धि है जो उसे मानव संसार के रहस्यमय विषयों; जैसे—आत्मा-परमात्मा, जीवन-मरण तथा मानवीय अनुभूतियों (सुख-दुःख) आदि को जानने के प्रति जिज्ञासु बनाती हैं। इस तरह की बुद्धि दार्शनिक विचारकों (Philosophical Thinkers) में अधिक पाई जाती है।
    गार्डनर ने सबसे बाद में नैतिक बुद्धि (Moral Intelligence) को भी बुद्धि की सूची में जोड़ा। गार्डनर के अनुसार नैतिक बुद्धि का सम्बन्ध उन नियमों, व्यवहारों तथा अभिवृत्तियों से है जो जीवन की पवित्रता (Sanctity of Life) के लिए आवश्यक है विशेषकर मानवीय जीवन तथा अन्य जीवों की सुरक्षा लिए।
    गार्डनर ने बुद्धि की तीन विशेषताएँ बताईं – बुद्धि को मापा जा सकता है, बुद्धि का व्यक्ति की संस्कृति में महत्त्व होता है तथा बुद्धि व्यक्ति के जीवन में आने वाली समस्याओं के समाधान में सहायक होती है। गार्डनर ने बुद्धि के जो सात प्रकार बताये, उनमें से भाषायी, तार्किक तथा स्थानिक बुद्धि थर्स्टन द्वारा बतायी गई सात प्रमुख योग्यताओं के समरूप हैं तथा इनको बुद्धि के परम्परागत परीक्षणों द्वारा मापा जा सकता है। शेष चार कारक बुद्धि के स्वरूप में संवर्धन करके नवीन संकल्पना के रूप में विकसित किये गए हैं तथा ये इन्द्रियों के अनुभव द्वारा साक्ष्यों पर आधारित पाये गए। गार्डनर ने अपनी इस नवीन संकल्पना के पक्ष में विकासात्मक (Evolutionary), न्यूरो मनोवैज्ञानिक (Neuropsychological) एवं व्यवहारात्मक शोध आधारित प्रमाण भी प्रस्तुत किए। उपरोक्त बुद्धि के कारक आपस में अन्त:क्रिया करके एक-दूसरे को प्रभावित करते हैं, लेकिन कुछ सीमा तक स्वतंत्र रूप से भी कार्य करते हैं।
    गार्डनर ने यह स्पष्ट किया है कि प्रत्येक सामान्य व्यक्ति में उपर्युक्त आठ तरह की बुद्धि होती है; परन्तु कुछ विशेष कारणों; जैसे—आनुवांशिकता (Heredity) या प्रशिक्षण (Training) के कारण किसी व्यक्ति में कोई बुद्धि अधिक विकसित हो जाती है। ये सभी आठ तरह की बुद्धि एक-दूसरे के साथ अन्तः क्रिया करती हैं, फिर भी प्रत्येक बुद्धि एक अर्धस्वायत्त तंत्र (Semi-autonomous System) के रूप में कार्य करता है। मस्तिष्क में प्रत्येक बुद्धि अपने-अपने नियमों तथा कार्यविधियों द्वारा संचालित होती हैं। अगर किसी कारण से मस्तिष्कीय क्षति (Brain Damage ) व्यक्ति में हो जाने पर एक तरह की बुद्धि क्षतिग्रस्त हो जाती है, तो इसका प्रभाव दूसरे तरह की बुद्धि पर नहीं पड़ता है। गार्डनर के इस सिद्धान्त का एक प्रमुख आशय (Implication) यह है कि इससे इस विशेष तथ्य की व्याख्या करने में मदद मिलती है कि क्यों कुछ लोग, जिनका कॉलेज में शैक्षिक रिकॉर्ड (Academic Record) काफी प्रखर एवं श्रेष्ठ था, बाद की जिन्दगी में उन्हें असफलता हाथ लगी तथा क्यों वैसे लोग, जिनका कॉलेज का शैक्षिक रिकॉर्ड काफी मंद एवं घटिया रहा, बाद की जिन्दगी में उन्हें काफी सफलता मिल पायी। इसका स्पष्ट कारण यह है कि पहले तरह के व्यक्ति में व्यक्तिगत बुद्धि की कमी थी; परन्तु दूसरे तरह के व्यक्ति में व्यक्तिगत बुद्धि की अधिकता थी।

हमसे जुड़ें, हमें फॉलो करे ..

  • Telegram ग्रुप ज्वाइन करे – Click Here
  • Facebook पर फॉलो करे – Click Here
  • Facebook ग्रुप ज्वाइन करे – Click Here
  • Google News ज्वाइन करे – Click Here

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *