चुनाव

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भारत का संविधान | The constitution of India

संविधान के अनुसार एक चुनाव आयोग होगा। वह संसद और प्रत्येक राज्य विधानमंडल के लिए तथा राष्ट्रपति पद के लिए सभी चुनाव संबंधी कार्य करेगा। चुनाव आयोग में अब मुख्य चुनाव आयुक्त और दो चुनाव आयुक्त हैं। वे बहुमत से निर्णय लेने वाले निकाय के रूप में कार्य करते हैं ।
मुख्य चुनाव आयुक्त को उसके पद से उसी नीति तथा उन्हीं आधारों पर हटाया जा सकता है जिनका निर्देश उच्चतम न्यायालय के न्यायाधीशों के लिए किया गया है। अन्य निर्वाचित आयुक्त को, मुख्य निर्वाचन आयुक्त की सिफारिश पर पद से हटाया जा सकता है।
संविधान में उपबंध है कि संसद के प्रत्येक सदन या किसी राज्य विधानमंडल के सदन या प्रत्येक सदन के निर्वाचन के लिए प्रत्येक प्रादेशिक चुनाव क्षेत्र की एक साधारण चुनाव नामावलि होगी।
किसी निर्वाचन की वैधता के बारे में आपत्ति केवल निर्वाचन – याचिका द्वारा की जा सकती है। लोक प्रतिनिधित्व अधिनियम के अधीन चुनाव विवादों के निपटारे की शक्ति उच्च न्यायालयों में निहित है। तत्संबंधी अपील उच्चतम न्यायालय में की जा सकती है। लेकिन राष्ट्रपति अथवा उपराष्ट्रपति के चुनाव संबंधी विवादों का निपटारा उच्चतम न्यायालय ही करेगा ।
चुनाव संबंधी सुधार : चुनाव आयोग, विधि आयोग, संविधान आयोग तथा विभिन्न समितियों द्वारा समय-समय पर दिए गए अनेक सुधार प्रस्तावों के बारे में कोई अंतिम निर्णय नहीं लिया जा सका है। आयोग ने चुनावों के लिए आचार संहिता को कड़ाई के साथ लागू करने का प्रयास किया है ।
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