जीव विज्ञान : जनन | Class 10Th Biology Chapter – 6 Notes | Model Question Paper | जनन Solutions
स्मरणीय तथ्य : एक दृष्टिकोण
(MEMORABLE FACTS: ATA GLANCE)
> वह प्रक्रम, जिसके द्वारा जीव अपने जैसी संतानों की उत्पत्ति करते हैं, जनन कहलाता है।
> अन्य जैव प्रक्रमों के विपरीत जनन जीवों के अस्तित्व के लिए जरूरी नहीं है।
> जनन जीवों का लक्षण है, जिसके द्वारा जीवों की संख्या में वृद्धि होती है।
> जनन के द्वारा ही जीव अपनी जातियों का परिरक्षण करते हैं।
> जनन मुख्यतः दो प्रकार का होता है—(i) अलैंगिक जनन (ii) लैंगिक जनन ।
> जनन में DNA प्रतिकृति एवं अन्य कोशिकीय संगठन का सृजन होता है।
> अलैंगिक जनन से पैदा होने वाले संतानें आनुवंशिक गुणों के ठीक जनकों की तरह होती हैं, क्योंकि इसमें युग्मकों का संगलन नहीं होता है।
> मुकुलन एक प्रकार का अलैंगिक जनन है जो आम तौर पर हाइड़ा यीस्ट में पाया जाता है।
> सामान्यतः विखंडन दो प्रकार का होता है– (i) द्विखंडन एवं (ii) बहुखंडन।
> द्विखंडन में जनक का शरीर दो बराबर संतति जीवों में जबकि बहुखंडन में यह कई संतति जीवों में विभाजित हो जाता है।
> स्पाइरोगाइरा, हाइड्रा तथा प्लेनेरिया नामक जीवों में अपखंडन तथा पुनर्जनन द्वारा अलैंगिक जनन होता है।
> पादप शरीर का कोई कायिक भाग विलग और परिवर्तित होकर जब नए पौधे की उत्पत्ति करता है तो इसे कायिक प्रवर्धन कहते हैं।
> कायिक प्रवर्धन मुख्यतः दो प्रकार के होते हैं – (i) प्राकृतिक और (ii) कृत्रिम
> निम्न श्रेणी के जीवों में बीजाणुजनन द्वारा बीजाणु बीजाणुधारियों में बनते हैं, जो अंकुरित होकर नया पौधा बनाते हैं।
> प्राकृतिक कायिक प्रवर्धन जड़ों द्वारा, तनों द्वारा तथा पत्तियों द्वारा संपन्न होता है।
> ऊतक-संवर्धन पौधों में कायिक प्रवर्धन की आधुनिक विधि है।
> कृत्रिम कायिक प्रवर्धन की सामान्य विधियाँ हैं— कलम द्वारा, रोपण द्वारा, दाब- कलम द्वारा आदि।
> जनन की वह विधि, जिससे नर और मादा दोनों भाग लेते हैं, लैंगिक जनन कहलाती है।
> कायिक प्रवर्धन से शीघ्र, सस्ते में तथा बीजहीन पौधों में भी जनन की क्रिया संपन्न होती है।
> नर युग्मक को शुक्राणु तथा मादा युग्मक को अंडाणु कहते हैं, जिनके निषेचन से युग्मनज का निर्माण होता है।
> जब नर या मादा लिंग अलग-अलग व्यष्टियों में पाए जाते हैं तब ऐसे जीव एकलिंगी कहलाते हैं।
> जब नर या मादा लिंग एक ही व्यष्टि में होते हैं तो उसे द्विलिंगी या उभयलिंगी कहते हैं।
> युग्मनज विभाजन, परिवर्द्धित और विभेदित होकर वयस्क जीव का निर्माण करते हैं।
> लैंगिक जनन से आनुवंशिक विविधता एवं उच्च गुणवाले वंशजों की उत्पत्ति होती है।
> एक सामान्य पुष्प के चार भाग होते हैं—(i) बाह्यदलपुंज, (ii) दलपुंज, (iii) पुमंग और (iv) जायांग ।
> परागकोश से वर्तिकाग्र तक परागकणों का स्थानांतरण परागकण कहलाता है जो कई कारकों
द्वारा संपन्न होता है।
> पुमंग नर के और जायांग मादा के जनन अंग हैं जो आवश्यक अंग कहलाते हैं।
> परागकण दो प्रकार का होता है – (i) स्व-परागकण और (ii) पर-परागकण ।
> पादपों में निषेचन की क्रिया बीजांडों के भीतर होती है।
> मनुष्य में नर-जननांग में वृषण, शुक्र अपवाहिकाएँ, अधिवृषण, शुक्रवाहिनी शुक्राशय, मूत्रमार्ग, शिश्न एवं कुछ सहायक ग्रंथियाँ (पुरस्थ ग्रंथि एवं काउपर की ग्रंथि) विद्यमान रहते हैं।
> पुरस्थ द्रव, शुक्राणु तथा शुक्राशय द्रव मिलकर वीर्य बनते हैं।
> वृषण शुक्राजनन नलिकाओं का बना होता है।
> अंडाणु अंडाशय से बनते हैं। अंडाशय से हर महीने एक परिपक्व अंडाणु (अंडा) निकलकर फैलोपिअन नलिका में चला जाता है।
> स्त्रियों में लैंगिक चक्र (मासिक चक्र) 28 दिनों तक चलता है।
> वीर्य स्त्री की योनि में स्खलित होते हैं। यहाँ से वीर्य में स्थित शुक्राणु फैलोपिअन नलिका में पहुँचकर अंडाणु को निषेचित करते हैं जिससे युग्मनज का निर्माण होता है। युग्मनज मादा के गर्भाशय में शिशु के रूप में विकसित होता है।
> मनुष्य में मादा जननांग में अंडाशय, फैलोपिअन नलिका, गर्भाशय, योनि तथा भग या वल्वा विद्यमान होते हैं।
> परिवार नियोजन के विभिन्न उपायों का व्यवहार करके जनसंख्या नियंत्रण किया जा सकता है।
> यौन संबंध से होनेवाले संक्रामक रोग लैंगिक जनन संचारित रोग या STD कहलाते हैं। ऐसे रोग कई तरह के रोगाणुओं, जैसे बैक्टीरिया, वाइरस, परजीवी प्रोटोजोआ, यीस्ट जैसे सूक्ष्मजीवों के कारण होते हैं।
> अभ्यासाथ प्रश्न
> वस्तुनिष्ठ प्रश्न
I. सही उत्तर का सकेताक्षर ( क, ख, ग या घ) लिखें।
1. इनमें कौन अलैंगिक जनन की विधि है ?
(क) विखंडन
(ख) मुकुलन
(ग) बीजाणुजनन
(घ) इनमें सभी
उत्तर – (घ)
2. किस प्रकार के जनन में जनक के शरीर से कलिका निकलती है ?
(क) मुकुलन में
(ख) दिखंडन में
(ग) अपखंडन में
(घ) बीजाणुजनन में
उत्तर – (क)
3. परागकोश में पाए जाते हैं
(क) दलपुंज
(ख) बाह्यदल
(ग) परागकण
(घ) स्त्रीकेसर
उत्तर – (ग)
4. स्त्रीकेसर के आधारीय भाग को कहते हैं
(क) वर्तिका
(ख) अंडाशय
(ग) वर्तिकाग्र
(घ) पुष्पासन
उत्तर – (ख)
5. पुंकेसर के अग्रभाग को कहते हैं
(क) वर्तिका
(ख) परागकोश
(ग) वर्तिकाग्र
(घ) परागनली
उत्तर – (ख)
6. निषेचन की क्लिया किस जीव में मुख्यतः होती है
(क) अमीबा में
(ख) यीस्ट में
(ग) पुष्पी पादप एवं जंतुओं में
(घ) कोई नहीं
उत्तर – (ग)
7. निषेचन के फलस्वरूप अंडाशय की दीवारें बनती हैं
(क) फूल
(ख) फल
(ग) बीज
(घ) भ्रूण
उत्तर – (ख)
8. बीजांड की दीवारें मोटी होकर बनाती हैं –
(क) फल
(ख) बीज
(ग) भ्रूण
(घ) बीजावरण
उत्तर – (घ)
9. निम्नलिखित में कौन-सा भाग केवल पुरुष जननांग में पाया जाता है ?
(क) फैलोपिअन नलिका
(ख) लेबिया माइनोरा
(ग) शुक्रवाहिका
(घ) परिपक्व पुटक
उत्तर – (ग)
10. नर युग्मक तथा मादा युग्मक के संयोजन से बनता है –
(क) जाइगोट
(ख) अंडाणु
(ग) शुक्राणु
(घ) वीर्य
उत्तर – (क)
11. स्त्रियों के मासिक चक्र में एक परिपक्व अंडाणु किस दिन अंडाशय से बाहर निकलता है ?
(क) 28वें दिन
(ख) 14वें दिन
(ग) 20वें दिन
(घ) 30वें दिन
उत्तर – (ख)
12. निम्नलिखित में कौन लैंगिक जनन संचारित रोग नहीं है ?
(क) AIDS
(ख) गोनोरिया
(ग) सिफलिस
(घ) टाइफॉइड
उत्तर – (घ)
II. रिक्त स्थानों की पूर्ति करें।
1. जनन द्वारा जीव अपनी जातियों का ……..करते हैं।
उत्तर – परिरक्षण
2. अलैंगिक जनन से उत्पन्न होनेवाली संतानें ……….के समान होती हैं।
उत्तर – जनकों
3. मलेरिया परजीवी में सामान्यतः ………द्वारा जनन होता है।
उत्तर – बहुखंडन
4. बीजाणु का निर्माण ……… में होता है।
उत्तर – बीजाणुधानी
5. लैंगिक जनन में ………… और ……….. का संगलन होता है।
उत्तर – नर युग्मक, मादा युग्मक
6. शुक्राणु एवं अंडाणु के संगलन को ………कहा जाता है।
उत्तर – निषेचन
7. पुष्प के विभिन्न पुष्पीय भाग ………… के ऊपर चक्र में व्यवस्थित रहते हैं ।
उत्तर – पुष्पांसन
8. परागकणों का परागकोश से वर्तिकाग्र तक पहुँचने को ……….. कहते हैं।
उत्तर – परागण
9. पुरुष में पुरःस्थ ग्रंथियों की नलिकाएँ मूत्राशय से आनेवाली नली के साथ जुड़कर ……….. का निर्माण करती हैं।
उत्तर – मूत्रमार्ग
10. किशोरावस्था में द्वितीय लैंगिक लक्षणों का विकास ………. के कारण होता है।
उत्तर – हॉर्मोन
11. मनुष्य में ……….की गुहा में भ्रूण का विकास होता है।
उत्तर – गर्भाशय
> अतिलघु उत्तरीय प्रश्न
1. जनन किसे कहते हैं ?
उत्तर – वह प्रक्रम जिसके द्वारा जीव अपने जैसी संतानों की उत्पत्ति करते हैं, जनन कहलाता है।
2. जनन कितने प्रकार के होते हैं ?
उत्तर – जनन मुख्यतः दो प्रकार का होता है – (i) अलैंगिक जनन और (ii) लैंगिक जनन ।
3. अलैंगिक जनन की दो मुख्य विधियों के नाम लिखें।
उत्तर – (i) विखंडन (ii) मुकुंलन ।
4. दो पादपों के नाम लिखें जिसमें कायिक प्रवर्धन होता है।
उत्तर – (i) आलू, (ii) अंगूर ।
5. किसी एक पौधों के नाम लिखें जिसमें पत्तियों द्वारा कायिक प्रवर्धन होता है।
उत्तर- ब्रायोफिलम।
6. कायिक प्रवर्धन में वांछित गुणों का परिरक्षण क्यों होता है ?
उत्तर – कायिक प्रवर्धन से प्राप्त सभी पौधे वांछित/आनुवांशिक गुणों में जनक पौधे के समान होते हैं क्योंकि इनमें लैंगिक जनन की आवश्यकता नहीं है जिसके चलते विभिन्नता पैदा नहीं होती है।
7. DNA प्रतिकृति का जनन में क्या महत्व है ?
उत्तर – जनन में DNA प्रतिकृति एवं अन्य कोशिकीय संगठन का सृजन होता है।
8. जीवों में होनेवाली विभिन्नता का क्या लाभ है ?
उत्तर – इससे विभिन्न वायुमंडलीय परिस्थितियों में जीवों की उत्तरजीविता बनी रहती है।
9. पुंकेसर के भागों के नाम लिखें।
उत्तर – (i) तन्तु (फिलामेंट) (ii) परागकोश ( एंथर ) ।
10. अंडाशय के अन्दर क्या पाए जाते हैं ?
उत्तर – अंडाशय के अन्दर बीजांड या ओव्यूल (ovule) रहते हैं।
11. कीटों की भूमिका किस प्रकार के परागण में होती है ।
उत्तर – कीटों की भूमिका पर – परागण में होती है।
12. अंगर नर या मादा अंगों में किसी एक का अभाव हो तो ऐसे जीव क्या कहलाते हैं ?
उत्तर – अगर नर या मादा अंगों में किसी एक का अभाव हो तो ऐसे जीव एकलिंगी जीव कहलाते हैं।
13. दो ऐसे जन्तुओं के नाम लिखें जिनमें अलैंगिक प्रजनन होते हैं।
उत्तर – (i) अमीबा (ii) पैरामीशियम
14. पुरुष में वृषण त्वचा की बनी जिस थैली जैसी रचना में स्थित होते हैं, वह क्या कहलाती है ?
उत्तर – पुरुष में वृषण त्वचा की बनी जिस थैली जैसी रचना में स्थित होते हैं, वह वृषणकोष, कहलाती है।
15. अंडाणुओं का अंडाशय से बाहर निकलने की क्रिया क्या कहलाती है ?
उत्तर – अंडाणुओं का अंडाशय से बाहर निकलने की क्रिया को अंडोत्सर्ग कहते हैं।
16. मनुष्य अंडाणुओं का शुक्राणुओं द्वारा निषेचन स्त्री के किस जननांग में होता है।
उत्तर – मनुष्य अंडाणुओं का शुक्राणुओं द्वारा निषेचन स्त्री के फैलोपिअन नलिका में होता है।
17. स्त्रियों में यौवनारंभ या प्यूबर्टी सामान्यतः किस आयु में होता है।
उत्तर – स्त्रियों में यौवनारंभ या प्यूबर्टी सामान्यतः 10 से 12 वर्ष की आयु में होता है।
18. स्त्रियों में लैंगिक चक्र कितने दिनों में पूर्ण होता है ?
उत्तर – स्त्रियों में लैंगिक चक्र 28 दिनों में पूर्ण होता है।
19. कॉर्पस ल्यूटियम से स्रावित होनेवाला हॉर्मोन क्या कहलाता है ?
उत्तर – कॉर्पस ल्यूटियम से स्रावित होनेवाला हॉर्मोन प्रोजेस्टेरॉन कहलाता है।
20. किन्हीं दो यांत्रिक विधियों के नाम लिखें जो जनसंख्या नियंत्रण में सहायक हों।
उत्तर – (i) कंडोम (पुरुषों के लिए) (ii) कॉपर T (महिलाओं के लिए) ।
21. बैक्टीरिया के द्वारा होनेवाले दो लैंगिक जनन संचारित रोगों के नाम लिखें।
उत्तर – (i) गोनोरिया (Gonorrhoea), (ii) यूरेथ्राइटिस (Urethrites) ।
22. जीवों में आनुवंशिक गुणों का वाहक क्या है ?
उत्तर – गुणसूत्र ।
23. किस प्रकार के जनन में शुक्राणु एवं अंडाणु का निर्माण नहीं होता है ?
उत्तर – अलैंगिक जनन ।
24. पुटी या सिस्ट का निर्माण किस प्रकार के विभाजन में होता है ?
उत्तर – बहुखंडन या बहुविभाजन ।
25. प्लेनेरिया में जनन मुख्यतः किस विधि से होता है ?
उत्तर – अपखंडन या पुनर्जनन विधि द्वारा ।
26. कवकों में अलैंगिक जनन की मुख्य विधि क्या है ?
उत्तर – बीजाणु जनन विधि।
27. उत्तक संवर्धन किस प्रकार के जनन का उदाहरण है ?
उत्तर – कायिक जनन।
28. पुरुष का सबसे प्रमुख जनन अंग क्या है ?
उत्तर – वृषण (Testes )
29. मूत्राशय के आधार पर स्थित एक छोटी, लगभग गोलाकार ग्रंथि को क्या कहते हैं ?
उत्तर – पुरस्थ ग्रंथि।
30. प्रत्येक स्त्री में कितना अंडाशय पाया जाता है ?
उत्तर – एक जोड़ा।
31. अंडाणु किस नलिका के द्वारा गर्भाशय में पहुँचते हैं ?
उत्तर – फैलोपिअन नलिका
32. गर्भाशय के निचले सकरे भाग को क्या कहते हैं ?
उत्तर – ग्रीवा।
33. कॉपर्स ल्यटियम किस प्रकार की ग्रंथि है ?
उत्तर – अंत: स्रावी ग्रंथि।
34. प्रोजेस्टेरॉन हार्मोन कहाँ से ग्रवित होता है ?
उत्तर – पीत पिंड या कॉपर्स ल्यूटियम ग्रंथि से।
35. स्त्रियों के मूत्र जनन नलिकाओं में एक प्रकार के प्रोटोजोआ से होनेवाले संक्रमण को क्या कहते हैं ?
उत्तर – ट्राइकोमोनिएसिस।
> लघु उत्तरीय प्रश्न
1. अलैंगिक जनन की मुख्य विशेषता क्या है ?
उत्तर – अलैंगिक जनन की मुख्य विशेषताएँ निम्न हैं
(i) इसमें जीवों का सिर्फ एक व्यष्टि भाग लेता है।
(ii) इसमें युग्मक भाग नहीं लेता है।
(iii) इस प्रकार के जनन में समसूत्री कोशिका विभाजन होता है।
(iv) अलैंगिक जनन के बाद जो संतानें पैदा होती हैं। वे आनुवांशिक गुणों में ठीक जनकों के समान होती है।
2. द्विखण्डन एवं बहुखण्डन में क्या विभेद है ?
> उत्तर
उत्तर – द्विखंडन तथा बहुखंडन में निम्न अंतर है
द्विखंडन |
|
बहुखंडन |
1 |
कोशिका के चारों ओर सिस्ट अथवा रक्षी भित्ति नहीं बनती है | |
1 |
कोशिका के चारों ओर सिस्ट अथवा रक्षी भित्ति बन जाती है | |
2 |
द्विखंडन में बहुखंडन की सतह की कोई प्रक्रिया नहीं होती है | |
2 |
सिस्ट के भीतर कोशिका का केन्द्रक कई बार खंडित होकर अनेक छोटे-छोटे केन्द्रक बनाता है जो संतति केन्द्रक कहलाते है | प्रत्येक संतति केंद्र के चारो ओर कुछ कोशिका द्रव्य एकत्रित हो जाता है और उसके चारों ओर पतली झिल्लियाँ बन जाती है | |
3 |
जनन जीव खंडित होकर दो नए जीवों को जन्म देता है | |
4 |
जब सिस्ट फटती है तब उसमे उपस्थित अनेक संतति कोशिकाएं निकल आती है जो नए जीवों को उत्पन्न करती है | |
3. कायिक प्रवर्धन को परिभाषित करें।
उत्तर- जनन की वह प्रक्रिया जिसमें पादप शरीर का कोई कायिक या वर्धी भाग जैसे-जड़ तना, पत्ती आदि परिवर्तित या विलग होकर नये पौधे का निर्माण करते हैं उसे कायिक प्रवर्धन कहते हैं। इसके द्वारा बनने वाले पौधे अपने जनक के अनुरूप होते हैं। कायिक प्रवर्धन सामान्यतः आर्किड, अंगूर, गुलाब एवं सजावटी पौधे में होता है। कायिक प्रवर्धन प्राकृतिक एवं कृत्रिम दोनों तरीके से होता है, ये प्रवर्धन जड़, तने एवं पत्तियों से होते हैं।
4. पुनर्जतन में क्या होता है ?
उत्तर – यह जनन की एक विधि है। इस जनन में जीवों का शरीर किसी कारण से दो या अधिक टुकड़ों में खंडित हो जाता है तथा प्रत्येक खण्ड अपने खाये हुए भागों का पूर्ण विकसितं नये जीवों में परिवर्तित हो जाता है और सामान्य जीवन-यापन करता है। इस प्रकार के जनन स्पाइरोगाइरा हाइड्रा तथा प्लेनेरिया आदि में होता है।
5. बीजाणुजनन से जीवों को क्या लाभ है ?
उत्तर – बीजाणु द्वारा जनन से जीव लाभान्वित होता है क्योंकि बीजाणु के चारों ओर एक मोटी भित्ति होती है जो प्रतिकूल परिस्थितियों में उसकी रक्षा करती है, और नम सतह के संपर्क में आने पर वह वृद्धि करने लगती है।
6. क्या जटिल संरचनावाले जीव पुनर्जनन द्वारा नई संतति उत्पन्न कर सकते हैं।
उत्तर – नहीं, इसका मुख्य कारण है कि पुनर्जनन जनन के समान नहीं है क्योंकि जटिल संरचनावाले जीव के किसी भाग को काटकर सामान्यतः नया जीव उत्पन्न नहीं करते। जटिल संरचना वाले जीव केवल लैंगिक जनन द्वारा ही नयी संतति उत्पन्न कर सकते हैं।
7. लैंगिक जनन की क्या महत्ता है ?
उत्तर – लैंगिक जनन का महत्ता निम्नलिखित है –
(i) लैंगिक जनन से जनन संतति में विविधता आती है।
(ii) जीव के नए युग्मक बनते हैं जिसके कारण आनुवंशिक विविधता का विकास होता है।
(iii) नए जीवों के विकास में इसकी महत्वपूर्ण भूमिका होती है।
8. एक प्ररूपी पुष्प के सहायक अंग एवं आवश्यक अंग में क्या भिन्नता है ?
उत्तर – एक प्ररूपी पुष्प के सहायक अंग फूल को आकर्षक बनाने के साथ आवश्यक अंगोंकी रक्षा भी करते हैं तथा आवश्यक अंग जनन का कार्य करते हैं।
9. स्व-परागण एवं पर-परागण में क्या अंतर है ?
उत्तर – स्वपरागण तथा परपरागण में चार अंतर निम्नलिखित –
उत्तर :-
|
स्व-परागण |
|
पर-परागण |
1 |
परागकण उसी फूल के या उसी पौधे के दुसरे फूल के वर्तिकाग्र पर पहुँचते है | |
1 |
परागकण किसी दुसरे पौधे के फूल के वर्तिकाग्र पर पहुँचते है | |
2 |
परागकणों के नष्ट होने की संभावना कम होती है | |
2 |
परागकणों के नष्ट होने की संभावना अधिक रहती है | |
3 |
इस क्रिया से उत्पन्न बीज अधिक स्वस्थ नहीं होती है | |
4 |
इस क्रिया से उत्पन्न बीज अधिक स्वस्थ होती है | |
4 |
इस क्रिया से नै जातियां उत्पन्न नहीं होती | |
4 |
इस क्रिया से नै जातिया उत्पन्न होती है | |
10. अलैंगिक जनन की तुलना में लैंगिक जनन से क्या लाभ है ?
उत्तर – अलैंगिक जनन की अपेक्षा लैंगिक जनन अधिक श्रेष्ठ है। इसके मुख्य कारण निम्नलिखित हैं –
1. लैंगिक जनन में शुक्राणु तथा अंडाणु के संयुजन के कारण डी. एन. ए. द्वारा पैतृक गुण वर्तमान पीढ़ी के सदस्य में हस्तान्तरित हो जाते हैं जो जीवित रहने के लिए अधिक शक्तिशाली होते हैं जबकि अलैंगिक जनन में एकल डी. एन. ए. होने के कारण जीवित रहने की संभावना कम हो जाती है।
2. लैंगिक जनन में डी. एन. ए. की दोनों प्रतिकृतियों में कुछ-न-कुछ अंतर अवश्य होते हैं जिनके परिणामस्वरूप नई पीढ़ी के सदस्य जीव में भिन्नता अवश्य दिखाई देती है जबकि अलैंगिक जनन में भिन्नता नहीं दिखाई देती। यदि उसमें किसी कारण से भिन्नता आ जाती है तो जीव की मृत्यु हो जाती है।
3. लैंगिक जनन उद्विकास में बहुत सहायक है जबकि अलैंगिक जनन उद्विकास में सहायक नहीं है।
11. बीजपत्र का क्या काम है ?
उत्तर – बीज पत्र जिनमें खाद्य-पदार्थ जमा रहता है वह अंकुरते हुए भ्रूण का पोषण करता है।
12. पुरःस्थ ग्रंथि के कार्यों का उल्लेख करें।
उत्तर – पुरस्थ ग्रंथि से पुरस्थ द्रव स्रावित होता है। पुरस्थ द्रव, शुक्राणु द्रव तथा शुक्राशय द्रव मिलकर वीर्य बनाते हैं। पुरस्थ द्रव के कारण ही वीर्य में विशेष गंध होती है। पुरस्थ द्रव वीर्य के शुक्राणुओं (नर युग्मक) को उत्तेजित करते हैं।
13. फैलोपिअन नलिका की संरचना का वर्णन करें।
उत्तर – फैलोपिअन नलिका एक जोड़ी चौड़ी नलिकाएँ हैं, जो अंडाशय के ऊपरी भाग से शुरू होकर नीचे की ओर जाती हैं और अंत में गर्भाशय से जुड़ जाती है। प्रत्येक फैलोपिअन नलिका का शीर्षभाग एक चौड़े कीप के समान होता है जो अंडाणु को फैलोपिअन नलिका में प्रवेश करने में सहायता करते हैं। फैलोपिअन नलिका दीवार मांसल एवं संकुचनशील होती है। इसकी भीतरी सतह पर सीलिया लगी होती हैं, जो अंडाणु को फैलोपिअन नलिका में नीचे की ओर बढ़ने में सहायता देती है, इस नलिका के द्वारा अंडाणु गर्भाशय में पहुँचते हैं।
14. निषेचित न हो सकने वाले एक परिपक्व अंडाणु का क्या होता है ?
उत्तर – एक परिपक्व अंडाणु यदि निषेचित न हो तो यह लगभग एक दिन तक जीवित रहती है क्योंकि अंडाशय प्रत्येक माह एक अंड का मोचन करता है, अतः निषेचित अंड की प्राप्ति हेतु गर्भाशय भी प्रति माह तैयारी करता है। अतः इसकी अंतः भित्ति मांसल एवं स्पाँजी हो जाती है। यह अंड के निषेचन होने की अवस्था में उसके पोषण के लिए आवश्यक है। परन्तु निषेचन न होने की अवस्था में इस परत की भी आवश्यकता नहीं रहती है। अतः यह परत धीरे-धीरे छूट कर योनि मार्ग से रुधिर एवं म्यूकस के रूप में निष्कासित होती है। इस चक्र में लगभग एक मास का समय लगता है तथा इसे ऋतुस्राव अथवा रजोधर्म कहते हैं। इसकी अवधि लगभग 2 से 8 दिनों की होती है।
15. जनसंख्या नियंत्रण में रासायनिक विधियों का उपयोग किस प्रकार सहायक है ?
उत्तर – ऐसी विधियों में विभिन्न रसायनों से निर्मित गर्भ निरोधक साधनों का उपयोग किया जाता है। जैसे-रसायनों से निर्मित ऐसा क्रीम स्त्री की योनि में लगा दिया जाता है जो शुक्राणुओं को नष्ट कर देते हैं। इससे निषेचन नहीं हो पाता है। कृत्रिम तरीके से विभिन्न रसायनों द्वारा ऐस्ट्रोजेन तथा प्रोजेस्टेरॉन जैसे हार्मोन बनाए गए हैं जो गर्भ निरोधक गोलियों के रूप में उपलब्ध हैं स्त्रियाँ जब इनका सेवन करती हैं तब उनके सामान्य मासिक चक्र बाधित हो जाते हैं तथा अंडोत्सर्ग नहीं हो पाता है। यह जनसंख्या नियंत्रण की अत्यंत सुरक्षित और प्रभावी विधि है।
16. लैंगिक संचारित रोगों को तालिका के माध्यम से दर्शाएँ।
उत्तर :-
|
बैक्टीरिया जनित रोग |
वायरस जनित रोग |
प्रोटोजोआ जनित रोग |
1 |
गोनोरिया |
सर्विक्स कैंसर |
ट्राईकोमोनिएसिस |
2 |
सिफलिस |
हर्पिस |
|
3 |
युरेथ्राईटिस |
एड्स |
|
4 |
सर्विसाईंटिस |
|
|
> दीर्घ उत्तरीय प्रश्न
1. विभिन्न प्रकार के अलैंगिक जनन का सचित्र एवं संक्षिप्त विवरण दें।
उत्तर – अलैंगिक जनन में अकेला जीव ही अपनी संतति पैदा करता है। इस प्रक्रिया में नर तथा मादा युग्मकों का निर्माण नहीं होता। अलैंगिक जनन की कई विधियाँ हैं, जैसे—विखंडन, मुकुलन, खण्डन, बीजाणुओं द्वारा कायिक प्रवर्धन आदि।
> अलैंगिक जनन की विधियाँ –
(a) विखंडन – जब जीव पूर्ण रूप से विकसित हो जाता है तब यह दो भागों में विभाजित हो जाता है। पहले केन्द्रक का विभाजन होता है, उसके बाद कोशिका द्रव्य का। विखंडन के द्वारा जब दो जीव बनते हैं तो उसे द्विखंडन कहते हैं। जैसे— अमीबा
(b) मुकुलन – यीस्ट, हाइड्रा एवं अन्य जीवों के शरीर पर एक उभार की तरह की संरचना बनती है जिसे मुकुलन (Bud) कहते हैं। शरीर का केन्द्रक दो भागों में विभाजित हो जाता है और उनमें से एक केन्द्रक मुकुल में आ जाता है। मुकुल पैतृक जीव से अलग होकर वृद्धि करता है और पूर्ण विकसित जीव बन जाता है।
(c) खण्डन – इस विधि में जीव दो या अधिक खण्डों में टूट जाते हैं और ये खंड वृद्धि करके पूर्ण विकसित जीव बन जाते हैं। उदाहरण—स्पाइरोगायरा तथा चपटे कृमि ।
> चित्र : स्पाइरोगाइरा में अपखंडन
(d) जीवाणुओं द्वारा – बीजाणु कोशिका की विरामी अवस्था है जिसमें प्रतिकूल परिस्थिति में कोशिका की रक्षा के लिये उसके चारों ओर एक मोटी भित्ति बन जाती है। अनुकूल परिस्थिति में मोटी भित्ति टूट जाती है और बीजाणु सामान्य विधि से जनन करता है और वृद्धि करके पूर्ण विकसित जीव बन जाता है। इस विधि द्वारा जनन करने के कुछ उदाहरण हैं— म्यूकर, फर्न अथवा मॉस।
2. ऊतक संवर्धन कैसे संपन्न होता ? कायिक प्रवर्धन के लाभों का उल्लेख करें।
उत्तर – इस विधि में पौधे के ऊतक के एक छोटे से भाग को काट लेते हैं। इस ऊतक को उचित परिस्थितियों में पोषक माध्यम में रखते हैं। ऊतक से एक अनियमित ऊर्ध्व सा बन जाता है जिसे कैलस कहते हैं। कैलस का उपयोग पुनः गुणन में किया जाता है। इस ऊतक का छोटा-सा भाग किसी अन्य माध्यम में रखते हैं जो पौधे में विभेदन की प्रक्रिया को उत्तेजित करता है। इस पौधे को गमलों या भूमि में लगा दिया जाता है और उनको परिपक्व होने तक वृद्धि करने दिया जाता है। ऊतक संवर्धन से आजकल आर्किड, गुलदाउदी, शतावरी तथा बहुत-से अन्य पौधे तैयार किये जाते हैं।
लाभ – (i)सभी नये पौधे मातृ पौधे के समान होते हैं। इस प्रकार एक अच्छे गुणों वाले पौधे से कलम द्वारा उसके समान ही अनेक पौधे तैयार किये जाते हैं।
(ii) फलों द्वारा उत्पन्न उन सभी बीज समान नहीं होते परन्तु कायिक जनन द्वारा उत्पन्न पौधों में पूर्ण समानता होती है।
(iii) कायिक जनन द्वारा नये पौधे थोड़े समय में ही प्राप्त हो जाते हैं।
(iv) वे पौधे जो बीज द्वारा सरलता से प्राप्त नहीं किए जा सकते, कायिक जनन द्वारा प्राप्त किये जा सकते हैं। जैसे—केला, अंगूर ।
3. परागण से लेकर बीज बनने तक की क्रिया को संक्षेप में उद्धृत करें।
उत्तर – परागकोश से परागकणों का वर्तिकाग्र तक स्थानांतरण परागण कहलाता है। फूल के पुंकेसर में परागकांश होते हैं, जो परागकण उत्पन्न करते हैं। स्त्रीकेसर के तीन भाग होते हैंअंडाशय, वर्तिका और वर्तिकाग्र । परागण के बाद परागकण से एक नली निकलती है जिसे परागनली कहते हैं। पराग नली में दो नर युग्मक होते हैं इनमें से एक नर युग्मक पराग नली में से होता हुआ बीजांड तक पहुँच जाता है। यह बीजांड के साथ संलयन करता है जिससे युग्मनज बनता है दूसरा नर युग्मक दो ध्रुवीय केन्द्रकों से मिलकर प्राथमिक एंडोस्पर्म (भ्रूणकोष) केंद्रक बनाता है जिससे अंत में एंडोस्पर्म बनता है। इस प्रकार उच्चवर्गीय (एजियोस्पमी) पौधे दोहरी निषेचन क्रिया प्रदर्शित करते हैं।
निषेचन के बाद फूल की पंखुड़ियाँ, पुंकेसर, वर्तिका तथा वर्तिकाग्र गिर जाते हैं। बाह्य दल सूख जाते हैं और अंडाशय पर लगे रहते हैं। अंडाशय शीघ्रता से वृद्धि करता है और इनमें स्थित कोशिकाएँ विभाजित होकर वृद्धि करती है बीज का बनना आरंभ हो जाता है। बीज में एक शिशु पौधा अथवा भ्रूण होता है। भ्रूण में एक छोटी जड़ (मूल जड़) एक छोटा प्ररोह (प्रांकुर) तथा बीजपत्र होते हैं। बीजपत्र में भोजन संचित रहता है ।
समयानुसार बीज सख्त होकर सूख जाता है। यह बीज प्रतिकूल परिस्थिति में जीवित रह सकता है। अंडाशय की दीवार भी सख्त हो सकती है और एक फली बन जाती है निषेचन के बाद सारे अंडाशय को फल कहते हैं।
4. पादप में लैंगिक एवं अलैंगिक जनन के विभेदों का विवरण दें।
उत्तर – पादप में लैंगिक एवं अलैंगिक जनन के विभेद इस प्रकार हैं
अलैंगिक जनन (Asexual Reproduction) — अलैगिक जनन में संतान एक जीव से उत्पन्न होती है। अलैंगिक जनन के मुख्य प्रकार हैं—द्विखंडन, बहुखंडन, मुकुलन, खंडन, बीजाणुओं द्वारा तथा कायिक प्रवर्धन ।
जब पौधों के कोई कायिक भाग जैसे पत्ती, तना और जड़ नया पौधा पैदा करता है, तो इस क्रिया को कायिक प्रवर्धन कहते हैं। कुछ पौधे जैसे अमरूद अथवा शकरकंद की अपस्थानिक जड़ों पर छोटी-छोटी कलियाँ होती हैं, जिनसे नये पौधे उत्पन्न होते हैं। ब्रायोफिलम की पत्तियों के किनारों पर खाँचों में स्थित अपस्थानिक कलियाँ होती हैं, जिनसे नये पौधे उत्पन्न होते हैं। रोपण में ऐच्छिक पौधे की कलम को वृक्ष के स्कंध पर लगा देते हैं। कायिक प्रवर्धन की और भी बहुत-सी विधियाँ हैं, जैसे कलम, दाब कलम तथा ऊतक संवर्धन। कायिक प्रवर्धन द्वारा उगाए गए पौधे अपने पैतृक पौधों के बिल्कुल समान होते हैं।
लैंगिक जनन (Sexual Reproduction ) – एक पौधे के फूल में लैंगिक जनन होता है। पुंकेसर नर जनन अंग और स्त्रीकेसर मादा जनन अंग है। परागकण पुंकेसर के परागकोश में पैदा होते हैं। परागकण दो नर युग्मक पैदा करता है। अंडाशय के अंदर अंडाणु होते हैं जिसके केंद्रक के अंदर मेगास्पोर होता है। मेगास्पोर से भ्रूण थैली का विकास होता है जिसमें मादा युग्मक होता है। परागण द्वारा परागकण स्त्रीकेसर के वर्तिकाम तक पहुँचते हैं। निषेचन के बाद, अंडाशय परिपक्व होकर फल बन जाता है। बीजांड बीजों में और अंडाशय भित्ति में बदल जाती है।
5. पुष्प की अनुदैर्घ्य काट का एक स्वच्छ नामांकित चित्र बनाएँ।
चित्र: पुष्प की अनुदैर्ध्य काट
6. यौवनारंभ या प्यूबर्टी के समय किशोर बालक-बालिकाओं के शरीर में होनेवाले परिवर्तन का वर्णन करें।
उत्तर – किशोर अवस्था में होनेवाले कुछ परिवर्तन बालक एवं बालिकाओं में एकसमान होते हैं। जैसे काँख एवं दोनों जांघाओं के बीच तथा बाह्य जननांग के समीप बाल आने लगते हैं। टाँगों तथा बाजुओं पर कोमल बाल उगने लगते हैं। त्वचा कुछ तैलीय होने लगती है। इस अवस्था में चेहरों पर फुंसियों का निकलना भी प्रारंभ हो सकता है।
इन परिवर्तनों के अतिरिक्त किशोर बालक-बालिकाओं के शरीर में अलग-अलग प्रकार के कुछ परिवर्तन भी होने लगते हैं। जैसे, किशोर बालिकाओं के स्तनों में उभार आने लगता है। स्तन के केंद्र में स्थित स्तनाग्र के चारों ओर की त्वचा का रंग ज्यादा गाढ़ा होने लगता है। मासिक चक्र प्रारंभ हो जाता है। किशोर बालक में मूँछ और दाढ़ी का उगना प्रारंभ होने लगता है। स्वरयंत्र या लैरिंक्स के परिपक्वता के कारण आवाज में भारीपन आने लगता है। वृषण में नर युग्मक शुक्राणु बनने लगते हैं। नर मैथुन अंग शिश्न के आकार में कुछ वृद्धि होने लगता है। मासिक भावनाओं के प्रभाव से कभी-कभी शिश्न के आकार में सामान्य से ज्यादा अस्थायी वृद्धि तथा कठोरता आने लगती है।
7. पुरुष के आंतरिक जनन अंगों का वर्णन करें।
उत्तर – मनुष्य के नर जनन तंत्र में निम्नलिखित अंग आते हैं –
(i) वृषण – मनुष्य में एक जोड़ी वृषण होते हैं जो वृषण कोश में बन्द रहते हैं। वृषण में शुक्राणु उत्पन्न होते हैं। वृषण से शुक्राणु निकलने के बाद लगभग 48 घन्टे तक जीवित रहते । शुक्राणुओं का निर्माण शुक्रजनन कहलाता है। वृषण कोष शुक्राणुओं को शरीर के ताप से 1-3°C निम्न ताप प्रदान करते हैं। वृषण के कार्य हैं— (क) शुक्राणु उत्पन्न करना, तथा (ख) नर लिंग हारमोन टेस्टोस्टेरोन की उत्पत्ति तथा नावण ।
यदि वृषण देहगुहा में ही रह जाते हैं तो बन्ध्यता उत्पन्न होती है।
(ii) एपीडिडिमिस — यह एक नलिकाकार संरचना होती है जो वृषण के साथ मजबूती से जुड़ी रहती है। यह सेमिनीफेरस नलिकाओं से जुड़ी रहती है और शुक्राणुओं के लिए एक संचय घर का कार्य करती है।
(iii) शुक्राशय – एसीडिडिमिस से शुक्राणु वाहिनी द्वारा शुक्राणु शुक्राशय में आते हैं जहाँ ये पूरी तरह परिपक्व होते हैं तथा इनमें कुछ स्राव मिल जाते हैं।
(iv) प्रोस्टेट ग्रन्थि — यह ग्रन्थि कुछ विशिष्ट गंध या स्राव स्रावित करती है जो कि शुक्र रस में मिल जाते हैं।
(v) मूत्र मार्ग – यह वह मार्ग है जिसमें से होकर मूत्र बाहर आता है। यह मूत्र मार्ग एक पेशीय अंग से निकलता है जिसे शिश्न कहते हैं । शिश्न का उपयोग मूत्र करने के साथ-साथ शुक्राणुओं (शुक्रस्स) को निकालने के लिये भी किया जाता है।
8. स्त्री में लैंगिक चक्र का वर्णन करें।
उत्तर – स्त्रियों में मासिक धर्म—स्त्रियों में यह चक्र 13-15 वर्ष की आयु में प्रारम्भ होता है। यह यौवनावस्था होती है। स्त्रियों में मासिक धर्म 28 दिन का होता है। यही समय अण्डाणु का पूर्ण जीवन काल होता है। इसकी अवस्थायें निम्नलिखित हैं
(i)1-5वें दिन तक पुराना अंडाणु रजोधर्म के समय बाहर आता है। अंडाशय में नये अंडाणु की वृद्धि प्रारम्भ हो जाती है।
(ii)6-12वें दिन तक अंडाशय से अंडाणु परिपक्व होकर ग्रेफियन फॉलिकिल बन जाता है।
(iii) 13-14वें दिन में ग्रफियन फालिकिल अंडाशय से बाहर आकर अंडवाहिनी में पहुँच जाता है। ये अंडोत्सर्ग कहलाता है।
(iv)15-16वें दिन अंडाणु अंडवाहिनी और फिर गर्भाशय में आकर शुक्राणु से मिलने की प्रतीक्षा करता है। यदि इस बीच निषेचन होता है तो अंडाणु युग्मनज में परिवर्तित हो जाता है, जो विकास करके 9 माह में शिशु बनकर जन्म लेता है।
(v) निषेचन नहीं होता है तो 17-28 वें दिन तक यह निष्क्रिय हो जाता है। 28 दिन बाद रजोधर्म से बाहर आता है।
(vi) यह चक्र एस्ट्रोजन तथा प्रोजेस्टीरोन हार्मोन्स द्वारा नियंत्रित रहता है। स्त्रियों में रजोनिवृत्ति 45-50 वर्ष तक होती है। लड़कों में किशोरावस्था का प्रारम्भ 13 से 15 वर्ष में होता है। इनमें कोई चक्र नहीं होता है। शुक्राणुओं का निर्माण जीवन भर होता है।
9. जनसंख्या नियंत्रण के लिए व्यवहार में लाए जानेवाले विभिन्न उपायों का वर्णन करें
उत्तर – जनसंख्या नियंत्रण के निम्नलिखित उपाय किये जा सकते हैं
1. प्राकृतिक विधि (Natural method) – अगर कुछ दिनों तक संभोग (मैथुन) को रोक दिया जाए तब उस दौरान स्त्री की योनि में वीर्य का प्रवेश नहीं होगा जिससे अंडाणु-निषेचन की संभावना नहीं रहेगी। अतः, संभोग के समय का समंजन कर अंडाणु – निषेचन को रोका जा सकता है। सामान्यत: मासिक स्राव के 14वें दिन अंडाशय से परिपक्व अंडाणु निकलते हैं, अर्थात् अंडोत्सर्ग दो मासिक स्राव के 14वें दिन के समीप तथा उससे आगे के दिनों में संभोग से दूर रहा जाए तो प्राय: अंडाणु का निषेचन नहीं होगा।
2. यांत्रिक विधियाँ (Machanical methods) – इन दिनों पुरुषों और स्त्रियों, दोनों के लिए अलग-अलग वैज्ञानिक यांत्रिकी तरीके अपनाए जा रहे हैं जिनसे अंडाणु – निषेचन पर नियंत्रण किया जा सकता है।
पुरुष के लिए कंडोम (condom) का उपयोग सबसे सरल और प्रभावी उपाय है। कंडोम बहुत ही पतले रबर जैसे पदार्थ की बनी होती है जिसे संभोग के पहले शिश्न के ऊपर एक आवरण की तरह डाल दिया जाता है। इससे स्खलन के समय वीर्य योनि में प्रवेश न करके इसी में एकत्रित रह जाता है। कंडोम के उपयोग से नर-नारी AIDS जैसे जानलेवा लैंगीय संचारित रोगों से भी बचते हैं।
स्त्रियों के लिए डायाफ्राम, कॉपर – T तथा लूप जैसे परिवार नियोजन के साधन उपलब्ध । डायाफ्राम को स्त्री की योनि में डालकर गर्भाशय की ग्रीवा या सर्विक्स में बैठा दिया जाता है। इससे वीर्य फैलोपिअन नलिका (Fallopion tubule) में प्रवेश नहीं कर पाते हैं। कॉपर-T तथा लूप धातु या जिससे गर्भाशय की दीवार से बहुत अधिक मात्रा में म्यूकस निकलने लगता है। इसके कारण गर्भाशय की दीवार में भ्रूण का आरोपण (implantation) नहीं हो पाता है।
3. रासायनिक विधियाँ (Chemical methods) — ऐसी विधियों में विभिन्न रसायनों से निर्मित गर्भ -निरोधक साधनों का उपयोग किया जाता है। जैसे रसायनों से निर्मित ऐसा क्रीम स्त्री की योनि में लगा दिया जाता है जो शुक्राणुओं को नष्ट कर देते हैं। इससे निषेचन नहीं हो पाता है। कृत्रिम तरीके से विभिन्न रसायनों द्वारा ऐस्ट्रोजेन तथा प्रोजेस्टेरॉन जैसे हॉर्मोन बनाए गए हैं जो गर्भ निरोधक गोलियों के रूप में उपलब्ध हैं। स्त्रियाँ जब इनका सेवन करती हैं तब उनके सामान्य मासिक चक्र बाधित हो जाते हैं तथा अंडोत्सर्ग नहीं हो पाता है। यह जनसंख्या नियंत्रण की अत्यंत सुरक्षित और प्रभावी विधि है। –
4. सर्जिकल विधियाँ (Surgical methods) – इसके अंतर्गत पुरुष नसबंदी (Vasectomy) किया जाता है। इसमें शल्य क्रिया द्वारा शुक्रवाहिका (vas deference) को काटकर धागे से बाँध दिया जाता है जिससे वृषण में बनने वाले शुक्राणुओं का प्रवाह स्त्री की योनि में नहीं हो पाता है। स्त्रियों में होनेवाली इसी प्रकार की शल्य-क्रिया स्त्री नसबंदी (tubectomy) कहलाती है। इसमें फैलोपिअन नलिका को धागे से बाँध दिया जाता है जिससे अंडाशय से अंडाणु निकलते हैं, परंतु फैलोपिअन नलिका से नीचे गर्भाशय की ओर नहीं जा पाते। शल्य क्रिया के द्वारा गर्भाशय में पले रहे भ्रूण को उसके विकास की एक निश्चित अवधि से भीतर योनि के रास्ते बाहर निकाल दिया जाता है। इसे गर्भ का चिकित्सकीय समापन या MTP (medical termination of pregnancy) कहते हैं। अन्य विकसित देशों की तरह हमारे देश में भी MTP को कानूनी मान्यता प्राप्त है।
5. सामाजिक जागरूकता – जनसंख्या वृद्धि का मानव समाज पर प्रभाव तथा इसके नियंत्रण के लिए विभिन्न साधनों के उपयोग का प्रचार समाचारपत्रों, पत्रिकाओं, दूरदर्शन, पोस्टर या अन्य प्रचार के सशक्त माध्यमों द्वारा किया जाना अत्यंत आवश्यक है। इससे समाज में परिवार नियोजन के द्वारा जनसंख्या नियंत्रण के प्रति मानव की जागरूकता बढ़ेगी।
10. लैंगिक जनन संचारित रोग क्या है ?
उत्तर – यौन संबंध (लैंगिक संयोजन) से होनेवाले संक्रामक रोग को लैंगिक जनन संचारित रोग कहते हैं। ऐसे रोग कई तरह के रोगाणुओं जैसे बैक्टीरिया, वाइरस, परजीवी प्रोटोजोआ, यीस्ट जैसे सूक्ष्मजीवों द्वारा होते हैं। ऐसे रोगाणु मनुष्य की योनि, मूत्रमार्ग जैसे जननांगों या मुख या गुदा जैसे स्थानों के नम और उष्ण वातावरण में बहते हैं। उन व्यक्तियों में ऐसे रोगों के होने की संभावना अधिक होती है। जो एक से अधिक व्यक्तियों के साथ लैंगिक संबंध रखते हैं। मनुष्य में होनेवाले ऐसे प्रमुख रोग निम्नलिखित हैं
1. वायरस जनित रोग – सर्विक्स कैंसर, हर्पिस तथा एड्स मनुष्यों में वायइरसों से प्रमुख रोग हैं। एड्स, एच० आई० वी० के कारण होनेवाला रोग है।
2. बैक्टीरिया-जनित रोग – गोनोरिया, सिफलिस, यूरेथ्राइटिस तथा सर्विसाइटिस बैक्टीरिया के संक्रमण से होनेवाले कुछ प्रमुख रोग हैं।
3. प्रोटोजोआ-जनित रोग – स्त्रियों के मूत्रजनन नलिकाओं एक प्रकार के प्रोटोजोआ के संक्रमण से होनेवाला रोग ट्राइकोमोनिएसिस है।
> अन्य महत्त्वपूर्ण प्रश्न एवं उनके उत्तर
> वस्तुनिष्ठ प्रश्न
I. प्रत्येक प्रश्न में दिये गये बहुविकल्पों में सही उत्तर चुनें।
1. अलैंगिक जनन मुकुलन द्वारा होता है —
(क) अमीबा
(ख) यीस्ट
(ग) प्लैज्मोडियम
(घ) लेस्मानिया
उत्तर – (ख)
2. निम्न में से कौन मानव में मादा जनन तंत्र का भाग नहीं है ?
(क) अंडाशय
(ख) गर्भाशय
(ग) शुक्रवाहिका
(घ) डिंबवाहिनी
उत्तर – (ग)
3. मानव-मादा में निषेचन होता है
(क) गर्भाशय में
(ख)अंडाशय में
(ग) योनि में
(घ) फैलोपियन नलिका में
उत्तर – (घ)
4. विखंडन द्वारा अलैंगिक जनन होता है
(क) अमीबा में
(ख) स्पाइरोगायरा में
(ग) यीस्ट में
(घ) मॉस में
उत्तर – (ख)
5. बीजाणुओं द्वारा अलैंगिक जनन होता है
(क) अमीबा में
(ख) स्पाइरोगायरा में
(ग) यीस्ट में
(घ) मॉस में
उत्तर – (घ)
6. तने द्वारा कायिक प्रवर्धन होता है
(क) पोदीने में
(ख) हल्दी में
(ग) अदरक में
(घ) सभी में
उत्तर – (घ)
7. खंडन द्वारा जनन होता है
(क) मेढक में
(ख) सितारा मछली में
(ग) टिड्डे में
(घ) कौए में
उत्तर – (ख)
8. खंडन विधि द्वारा अलैंगिक जनन होता है
(क) अमीबा में
(ग) यीस्ट में
(ख) स्पाइरोगायरा में
(घ) माँस में
उत्तर – (ख)
9. मुकुलन विधि द्वारा अलैगिक जनन होता है
(क) अमीबा
(ख) स्पाइरोगायरा में
(ग) यीस्ट में
(घ) मॉस में
उत्तर – (ग)
10. पत्तियों द्वारा कायिक प्रवर्धन होता है
(क) पोदीने में
(ख) आलू में
(ग) ब्रायोफिलम में
(घ) सभी में
उत्तर – (ग)
11. नर हार्मोन है
(क) थाइरॉक्सिन
(ख) टेस्टोस्टीरोन
(ग) एड्रीनलिन
(घ) एस्ट्रोजन
उत्तर – (ख)
12. कायिक प्रवर्धन संभव है
(क) जड़ द्वारा
(ख)तना द्वारा
(ग) पत्ती द्वारा
(घ) उपरोक्त सभी द्वारा
उत्तर – (घ)
13. जड़ पर अपस्थानिक कलियाँ पायी जाती हैं
(क) पोदीने में
(ख) आलू में
(ग) ब्रायोफिलम में
(घ) सभी में
उत्तर – (क)
14. तने पर अपस्थानिक कलियाँ पायी जाती हैं
(क) पोदीने में
(ख) आलू में
(ग) ब्रायोफिलम में
(घ) सभी में
उत्तर – (ख)
15. शुक्राणु सुरक्षित रहते हैं
(क) अण्डाशय में
(ख) शुक्राशय में
(ग) वृषण में
(घ) किसी में नहीं
उत्तर – (ग)
16. एड्स रोग का प्रमुख कारण है
(क) असुरक्षित यौन संपर्क
(ख) खून की कमी
(ग) विटामिन की कमी
(घ) पोषण की कमी
उत्तर – (क)
17. फूल का सबसे बाहरी भाग है
(क) पंखुड़ियाँ
(ख) अंखुड़ियाँ
(ग) पुंकेसर
(घ) स्त्रीकेसर
उत्तर – (ख)
18. अंखुड़ियों का रंग अधिकतर –
(क) पीला होता है
(ख)हरा होता है
(ग) लाल होता है
(घ) सफेद होता है
उत्तर – (ख)
19. फूल का कौन-सा भाग फल में बदलता हैं
(क) पुंकेसर
(ख) स्त्रीकेसर
(ग) अंडाशय
(घ) बीज
उत्तर – (ग)
20. भ्रूण के जिस भाग से तना, पत्तियाँ बनती हैं, उसे
(क) मूलांकुर कहते हैं
(ख) प्रांकुर कहते हैं
(ग) प्ररोह तंत्र कहते हैं
(घ) इनमें से कोई नहीं
उत्तर – (ख)
21. निम्न में से किस जीव में बहु-विखंडन होता है
(क) अमीबा
(ख) हाइड्रा
(ग) मलेरिया परजीवी
(घ) यीस्ट
उत्तर – (ग)
22. ब्रायोफाइलम के कौन से भाग में कायिक प्रबंधन होता है
(क) पत्तियाँ
(ख) जड़
(ग) तना
(घ) फूल
उत्तर – (क)
23. जब पादप के तने की एक टहनी को खींचकर मिट्टी में दबा दिया जाता है और जो जनक पादप से ही जुड़ा रहता है तथा उसी पर अवलंबित रहता है तब इसे कहते हैं
(क) कलम लगाना
(ख) कर्तन
(ग) दाब लगाना
(घ) इनमें से कोई नहीं
उत्तर – (ग)
24. जिस पौधे पर कलम बाँधा जाता है उसे कहते हैं-
(क) कलम
(ख) निचला हिस्सा
(ग) स्कंध
(घ) इनमें से कोई नहीं
उत्तर – (ग)
II. रिक्त स्थानों करे उपर्युक्त शब्दों या अंकों से भरें।
1. जनन द्वारा जीव अपनी जातियों का ………करते हैं।
उत्तर – परिरक्षण
2. आलू, गन्ना, अदरक जैसे पौधों में …………जनन होता है।
उत्तर – कायिक
3. नर तथा ………. युग्मक का समेकन निषेचन है।
उत्तर – मादा
4. ……… का निर्माण अण्डाणु तथा शुक्राणु के मिलने से होता है।
उत्तर – युग्मनज
5. जनन के दो प्रकार होते हैं अलैंगिक तथा ………… ।
उत्तर – लैंगिक
6. परागकणों की उत्पत्ति ……….. में होती है।
उत्तर – परागकोष
7. ……. सेमीनीफेरस नलिकाओं में उत्पन्न होते हैं।
उत्तर – शुक्राणु
8. अमीबा में जनन ……… विधि द्वारा होता है।
उत्तर – खंडन
9. आम तथा गुलाब में कायिक जनन……….. विधि द्वारा होता है।
उत्तर – कलम
10. मादा में मासिक धर्म को ………… कहते हैं।
उत्तर – रजोधर्म
11. रजोनिवृत्ति ……… की अवस्था में प्रारम्भ होती है।
उत्तर – 45-50 वर्ष
12. बीजाणु का विकास ………… में होता है।
उत्तर – जीवाणुधानी
> अतिलघु उत्तरीय प्रश्न
1. जीव जनन क्यों करते हैं ?
उत्तर – अपनी संतति का सृजन करने एवं संख्या में वृद्धि करने के लिए जीव जनन करते हैं।
2. जनन की मूल घटना क्या है ?
उत्तर – डी०एन०ए० (DNA) की प्रतिकृति बनाना।
3. विभिन्नता स्पीशीज के लिए किस प्रकार से उपयोगी है ?
उत्तर – इससे उत्तरजीविता बनाए रखने में मदद मिलती है।
4. विखंडन द्वारा मुख्यतः किन जीवों में जनन होता है।
उत्तर – एककोशिकीय सरल जीवों में।
5. अमीबा में जनन की सामान्य विधि क्या है ?
उत्तर – द्विखंडन।
6. किसी एक जीव का नाम लिखे जिसमें बहुखंडन द्वारा जनन होता है।
उत्तर – प्लैज्मोडियम (मलेरिया परजीवी)।
7. मुकुलन में क्या होता है
उत्तर – इसमें जनक के शरीर से कलिका या प्रवर्ध निकलता है।
8. खंडन क्या है?
उत्तर – यह एक अलैगिक जनन है जिसमें जीवों का शरीर दो या अधिक टुकड़ों में खंडित हो जाता है।
9. एक जंतु एवं एक पादप के नाम लिखें जिनमें मुकुलन द्वारा अलैंगिक जनन होता है?
उत्तर – हाइड्रा एवं यीस्ट ।
10. पुनर्जनन के दो उदाहरण लिखें।
उत्तर – प्लेनेरिया एवं स्पाइरोगाइरा ।
11. कायिक प्रवर्धन का उपयोग मुख्यतः किन जीवों द्वारा होता है ?
उत्तर – एकल पौधों द्वारा।
12. कायिक प्रवर्धन से हमें क्या फायदा है ?
उत्तर – इससे उत्पन्न पौधों में बीज द्वारा उगाये पौधों की अपेक्षा पुष्प एवं फल कम समय में लगते हैं।
13. कुछ पौधों को उगाने के लिए कायिक प्रवर्धन का उपयोग क्यों किया जाता है ?
उत्तर – वैसे पौधे जो बीज पैदा करने की क्षमता खो चुके होते हैं उन्हें इस विधि द्वारा उगाया है; जैसे गुलाब, केला, संतरा, चमेली आदि।
14. बीजाणु द्वारा जनन से जीव किस प्रकार लाभान्वित होता है ?
उत्तर – बीजाणु के चारों ओर एक मोटी भित्ति होती है जो प्रतिकूल परिस्थितियों में उसकी रक्षा करती है।
15. पुष्प के जनन अंगों का नाम लिखें।
उत्तर – पुंकेसर एवं स्त्रीकेसर ।
16. एकलिंगी पुष्प किसे कहते हैं ?
उत्तर – जब पुष्प में पुंकेसर या स्त्रीकेसर में कोई एक जननांग उपस्थित होता है तो उसे एकलिंगी पुष्प कहते हैं।
17. स्वपरागण किन पौधों में होता है ?
उत्तर – उभयलिंगी पौधों में।
18. निषेचन किसे कहते हैं ?
उत्तर – जनन कोशिकाओं के संगलन या युग्मन को निषेचन कहते हैं।
19. परागण क्या है ?
उत्तर – परागकणों का पुंकेसर से वर्तिकाग्र तक पहुँचने की क्रिया परागण कहलाती है।
20. अंकुरण क्या है ?
उत्तर – उपयुक्त परिस्थितियों में बीज से नवोद्भिद के विकास को अंकुरण कहते हैं।
21. यौवनारंभ के समय लड़कियों में कौन-से परिवर्तन दिखाई देते हैं ?
उत्तर – स्तन के आकार में वृद्धि तथा स्तनाग्र की त्वचा के रंग का गाढ़ा होना, रजोधर्म का शुरू होना, जननांगों में बाल-गुच्छ का निकलना आदि। THE
22. यौवनारंभ या प्यूबर्टी किसे कहते हैं
उत्तर – किशोरावस्था में होनेवाले परिवर्तन की अवस्था को यौवनारंभ कहते हैं।
23. नर-जनन कोशिका या शुक्राणु का निर्माण कहाँ होता है ?
उत्तर – वृषण में ।
24. वृषण कहाँ विद्यमान रहता है ?
उत्तर – यह उदरगुहा के बाहर वृषणकोष में विद्यमान रहता है।
25. शुक्राशय एवं प्रोस्टेट ग्रंथि की क्या भूमिका है ?
उत्तर – इसके स्राव से शुक्राणु एक तरल माध्यम में आ जाते हैं जिससे इनका स्थानांतरण सरलता से होता है एवं इन्हें उचित पोषण भी मिलती है।
26. मादा जनन-कोशिका या अंड-कोशिका का निर्माण कहाँ होता है ?
उत्तर – अंडाशय में।
27. गर्भाशय का निर्माण कैसे होता है ?
उत्तर – दोनों अंडवाहिकाएँ संयुक्त होकर एक लचीली थैलीनुमा गर्भाशय का निर्माण करती हैं।
28. माँ के शरीर में गर्भस्थ भ्रूण को पोषण किस प्रकार प्राप्त होता है ?
उत्तर – प्लैसेंटा नामक एक विशिष्ट संरचना द्वारा माँ के रुधिर से गर्भस्थ भ्रूण को पोषण प्राप्त होता है।
29. पुनरुद्भवन से किन दो जीवों का जनन होता है ?
उत्तर – हाइड्रा और प्लेनेरिया ।
30. कैलस किसे कहते हैं ?
उत्तर – ऊतक संवर्धन में जब कोशिकाएँ विभाजित होकर अनेक कोशिकाओं का छोटा समूह बनाती हैं तो उसे कैलस कहते हैं।
31. ब्रेड पर धागे के समान संरचनाएँ किस की होती हैं ?
उत्तर – राइजोपस के कवक जाल की।
32. एकलिंगी पुष्प के दो उदाहरण लिखिए।
उत्तर – पपीता, तरबूज
33. उभयलिंगी पुष्प के दो उदाहरण लिखिए।
उत्तर – गुड़हल, सरसों।
34. परागकणों का स्थानांतरण किससे होता है ?
उत्तर – वायु, जल और प्राणियों से।
35. मानवों में कैसा जनन होता है ?
उत्तर – लैंगिक जनन ।
36. लड़कियों में रजोधर्म होना तथा लड़कों की दाढ़ी-मूँछ किस अवस्था में निकलने लगती है ?
उत्तर – किशोरावस्था में।
37. यौवनारंभ (प्यूबर्टी) किस अवधि को कहते हैं ?
उत्तर – किशोरावस्था को ।
38. शुक्राणु उत्पादन का नियंत्रण कौन करता है ?
उत्तर – टेस्टोस्टेरॉन।
39. किसी लड़की के अंडाशय में हजारों अ रिपक्व अंड कब से होते हैं ?
उत्तर – लड़की के जन्म के समय से ही।
40. निषेचन के पश्चात् निषेचित अंड कहाँ स्थापित होता है ?
उत्तर – गर्भाशय में।
41. नर तथा मादा युग्मकों के मिलाने की क्रिया को क्या कहते हैं ?
उत्तर – नर तथा मादा युग्मकों को मिलाने की क्रिया को लैंगिक जनन कहते हैं।
42. जनन किन किन ढंगों से होता है ? उनके नाम लिखो।
उत्तर – 1. लैगिक जनन, 2. अलैंगिक जनन, 3. कायिक जनन।
43. परागण क्रिया क्या होती है ?
उत्तर – पौधों में निषेचन क्रिया के पूर्व पराग कणों के स्त्रीकेसर के वर्तिकाग्र तक पहुँचने की क्रिया को परागण कहते हैं।
44. निषेचन क्रिया के पश्चात् युग्मनज में क्या बनता है ?
उत्तर – भ्रूण ।
45. संकर प्रजनन क्या होता है ?
उत्तर – दो विभिन्न जातियों के नर तथा मादा द्वारा लैंगिक जनन संकर प्रजनन कहलाता है।
46. यदि हम हाइड्रा के कई टुकड़े कर दें तो प्रत्येक टुकड़ा कुछ समय बाद एक नया हाइड्रा बन जाए तो यह किस प्रकार का जनन है ?
उत्तर – पुनरुद्भवन या रिजेनरेशन ।
47. युग्मक किसे कहते हैं ?
उत्तर – नर और मादा जनन केशिकाओं को।
48. एकलिंगी जीव क्या होते हैं ?
उत्तर – जब जीव एक ही प्रकार अर्थात् नर अथवा मादा युग्मकों की उत्पत्ति करते हैं तब ये एकलिंगी कहलाते हैं।
49. द्विलिंगी जन्तुओं के उदाहरण दें।
उत्तर – 1. हाइड्रा, 2. केंचुआ।
50. युग्मनज या जाइगोट किसे कहते हैं ?
उत्तर – शुक्राणु और अंडाणु के संयुग्मन के फलस्वरूप बनने वाली रचना को कहते हैं।
51. फीटस किसे कहते हैं ?
उत्तर – गर्भ धारण के दो या तीन महीने बाद विकसित हो रहे बच्चे को फीटस कहते हैं।
52. पराग नलिका में कितने नर युग्मक बनते हैं ?
उत्तर – दो।
53. जब मादा किशोर अवस्था में आती है तो कौन-से सेकेंडरी लैंगिक लक्षण दिखाई देते हैं ?
उत्तर – मादा में जननांगों और जाँघों पर बाल उगने लगते हैं।
54. वीर्य क्या है ?
उत्तर – वीर्य में शुक्राणु और कुछ ग्रंथियों का श्राव होता हैं ।
55. नर एवं मादा में शारीरिक भिन्नता क्यों होती है ?
उत्तर – नर एवं मादा में शारीरिक भिन्नता का प्रमुख कारण उनमें नर एवं मादा हार्मोन्स ऐस्ट्रोजन एवं प्रोजेस्ट्रॉन का पाया जाना होता है।
56. 100 प्राइमरी असाइट से कितने अंडाणु उत्पन्न होंगे ?
उत्तर – 100.
57. 100 प्राइमरी स्पर्मेटोसाइट से कितने शुक्राणु उत्पन्न होंगे ?
उत्तर – 400.
58. शुक्राणु जनन में क्या होता है ?
उत्तर – 1. माइटोसिस, 2. मिओसिस।
59. अंडाशय की ग्राफीय पुटिका, से स्राव हॉर्मोन कौन-सा है ?
उत्तर – एस्ट्रोजेन।
60. मनुष्य में निषेचन कहाँ होता है ?
उत्तर – डिंब वाहनी में।
61. अंडोत्सर्ग कब होता है ?
उत्तर – रजोधर्म के 12-14 दिन के बाद।
62. मनुष्य की मादा में गर्भकाल कितना होता है ?
उत्तर – लगभग नौ मास।
63. IUCD क्या है ?
उत्तर – IUCD (इंटरायूटीरिन कंट्रासेप्टिव डिवाइस) नारी गर्भाशय में लगाई जाने वाली एक युक्ति है जो गर्भ निरोधक का कार्य करती है।
64. S. T.D. क्या है ?
उत्तर – S.T.D. (Sexaually Transmitted Disease) यौन संक्रमित रोग होते हैं।
65. प्राणियों में नर और मादा युग्मकों के नाम लिखें।
उत्तर – नरयुग्मक-शुक्राणु और मादायुग्मक-अण्डाणु
66. एक नर और एक मादा जनन हार्मोन के नाम लिखें।
उत्तर – नर जनन हार्मोन-टेस्टोस्टेरॉन और मादा जनन हार्मोन-एस्ट्रोजन
67. मानव-भ्रूण का विकास कहाँ होता है ?
उत्तर – गर्भाशय में।
68. अंडाशय से अंडाणु के मुक्त होने की क्रिया को क्या कहते हैं ?
उत्तर – अंडोत्सर्ग
69. एक ऐसे पादप का नाम लिखें जिसमें खंडन विधि द्वारा अलैंगिक जनन होता है।
उत्तर – स्पाइरोगाइरा।
70. एक ऐसी जीवधारी का नाम लिखें जिसमें द्विविभाजन की क्रिया द्वारा अलैंगिक जनन होता है।
उत्तर – अमीबा।
71. एक ऐसे जीवधारी का नाम लिखें जिसमें बीजाणुजनन की क्रिया द्वारा अलैंगिक जनन होता है।
उत्तर – म्यूकर ।
72. रोपण क्या है ?
उत्तर – भ्रूण तथा गर्भाशय के निकट संलग्नता
73. डी. एन. ए. कहाँ पाया जाता है ?
उत्तर – कोशिका के केन्द्रक में।
74. जनन की मूल घटना क्या है.
उत्तर – डी. एन. ए. की प्रतिकृति का बनना।
75. पौधे के किस जनन अंग में बीजांड पाया जाता है ?
उत्तर – अंडाशय में।
76. दो ऐसी यौन संक्रामक बीमारियों के नाम लिखें जो सम्भोग द्वारा फैलती है।
उत्तर – सिफलिस और गोनोरिया ।
77. सिफलिस नामक यौन रोग किस जीवाणु द्वारा उत्पन्न किया जाता है ?
उत्तर – ट्रैपोनिमा पैलिडम।
78. एक फूल के लैंगिक भागों के नाम लिखें।
उत्तर – नर जनन अंग-पुमंग,
मादा जनन अंग- जायांग।
79. पुरुषों और स्त्रियों के लिए परिवार नियोजन की एक-एक यांत्रिक विधियों के नाम लिखें।
उत्तर – पुरुषों के लिए – निरोध, स्त्रियों के लिए – आ. यू. सी. डी.।
80. उस प्रक्रिया का नाम बताएँ जिसके द्वारा जीव नए जीवों को जन्म देते हैं ।
उत्तर – प्रजनन।
81. जीव जनन क्यों करते हैं ?
उत्तर – स्पीशीज के स्थायित्व के लिए जीव जनन करते हैं।
82. डी. एन. ए. का क्या कार्य है ?
उत्तर – डी. एन. ए. प्रोटीन बनाने के स्रोत के रूप में कार्य करते हैं ।
83. बहुविखंडन द्वारा प्रजनन करने वाले एक जीव का नाम लिखें।
उत्तर – प्लाज्मोडियम (मलेरिया परजीवी) |
84. ऐसे दो जीवों के नाम लिखें जिनमें प्रजनन मुकुलन विधि से होता है ?
उत्तर – (a) हाइड्रा, (b) यीस्ट।
85. ऊतक संवर्धन को किस अन्य नाम से जाना जाता है ?
उत्तर – सूक्ष्म प्रवर्धन (माइक्रोप्रोपेगेशन) ।
86. निषेचन के बाद बनने वाले उत्पाद का नाम लिखें।
उत्तर – युग्मनज
87. उच्च पौधों में प्रजनन अंग कहाँ स्थित होते हैं ?
उत्तर – पुष्पों में।
88. स्त्रीकेसर के कौन-कौन-से भाग होते हैं ?
उत्तर – (a) वर्तिका, (b) वर्तिकाय, (c) अंडाशय ।
89. परागकण कहाँ पाए जाते हैं ?
उत्तर – परागकोश में।
90. नर व मादा युग्मक फूलों में कहाँ होते हैं,
उत्तर – नर युग्मक-परागकण में ।
मादा युग्मक- अंडाशय में।
91. परपरागण में सहायता करने वाले वाहकों के नाम लिखें।
उत्तर – वायु, जल तथा कीट
92. फूल में भ्रूणकोष कहाँ होता।
उत्तर – अंडाशय में।
93. यदि कोई महिला कॉपर-T का प्रयोग कर रही है तो क्या यह उसकी यौन-संचरित रोगों से रक्षा करेगा ?
उत्तर – कॉपर-I उसकी यौन-संचरित रोगों से रक्षा नहीं करेगी।
> लघु उत्तरीय प्रश्न
1. जीवों में विभिन्नता स्पीशीज के लिए तो लाभदायक है परन्तुं व्यष्टि के लिए आवश्यक नहीं है, क्यों ?
उत्तर – जीवों में विभिन्नताओं की किसी जीव के अस्तित्व के लिए आवश्यक नहीं है क्योंकि उसके जीवित रहने पर कुछ विभिन्नताओं का कोई विशेष प्रभाव नहीं पड़ता। वह समानता के आधार पर अधिक अनुकूल होता है। लेकिन डी. एन. ए. की दोनों प्रतिकृति बिल्कुल समान नहीं होती उनमें कुछ-न-कुछ विभिन्नताएँ अवश्य होती हैं जो धीरे-धीरे गहरी होती जाती हैं। जनन में होनेवाली ये विभिन्नताएँ अन्ततः नई स्पीशीज के विकास में योगदान देती है तथा जैव विकास का आधार बनती है। अतः विभिन्नताएँ स्पशीज के उद्भव के लिए आवश्यक है लेकिन जीव के जीवित रहने के लिए इनकी कोई आवश्यकता नहीं है।
2. परागण क्रिया निषेचन से किस प्रकार भिन्न है ?
उत्तर – परागण क्रिया-पराग कणों के परागकोष से वर्तिकाग्र तक पहुँचने की क्रिया को परागण क्रिया कहते हैं। इस प्रक्रिया में किसी प्रकार का दो कोशिकाओं में संलयन नहीं होता है।
निषेचन– निषेचन में नर व मादा युग्मकों का संलयन होता है तथा युग्मनज बनता है। यह परागण के बाद की क्रिया है।
3. माँ के शरीर में गर्भस्थ भ्रूण को पोषण किस प्रकार प्राप्त होता है ?
उत्तर – निषेचन के बाद युग्मनज बनता है जो धीरे-धीरे भ्रूण में विकसित होने लगता है। भ्रूण गर्भाशय की भित्ति से चिपक जाता है। इस प्रक्रिया को इम्प्लेंटेशन कहते हैं। भ्रूण माता के शरीर से अपना भोजन प्राप्त करता है। इसके लिए एक विशिष्ट ऊतक जिसे प्लेसेंटा कहते हैं, के द्वारा होता है। यह एक तश्तरीनुमा संरचना है जो गर्भाशय की भित्ति में घुसा होता है। माता के गर्भाशय में की भित्ति विलाई से बनी होती है जो गर्भाशय का क्षेत्रफल बढ़ाता है। इससे भ्रूण को अधिक ग्लूकोज व ऑक्सीजन मिलता है। इस प्रकार भ्रूण माता के शरीर से अपना पोषण प्राप्त करता है।
4. मानव में यौन संबंधी हॉर्मोन के कार्य बताएँ।
उत्तर – यौन संबंधी हॉर्मोन महत्त्वपूर्ण कार्य करते हैं।
यह शुक्राणु तथा अण्डे बनने की प्रक्रिया को पुनः प्रारम्भ करते हैं ।
ये नर तथा मादा जनन तंत्रों से जुड़ी विभिन्न ग्रन्थियों के कार्य को नियंत्रित बनाए रखते हैं।
5. सजीवों में प्रजनन के दो मुख्य प्रकार कौन से हैं ?
उत्तर – सजीवों में प्रजनन के दो मुख्य प्रकार हैं-
(i) अलैगिक प्रजनन – यह प्रजनन की वह प्रक्रिया है जिसमें किसी एक सजीव द्वारा उसी प्रकार के दूसरे सजीव की उत्पत्ति होती है अथवा इसमें नर तथा मादा की जरूरत नहीं होती। यह प्रक्रिया सभी एककोशिकीय जीवों तथा स्पंज और हाइड़ा आदि कुछ बहुकोशिकीय जीवों में होती है।
(ii) लैंगिक प्रजनन – प्रजनन की वह प्रक्रिया जिसमें नए जीवों की उत्पत्ति नर तथा मादा जनन कोशिकाओं के संयोग से होती है।
6. परनिषेचन तथा स्वनिषेचन में अन्तर बताइए।
उत्तर -परनिषेचन (Cross fertilization) — जब निषेचन में भाग लेने वाले नर तथा मादा युग्मक एक ही स्पीशीज के दो अलग-अलग जीवों (नर तथा मादा) से आते हैं तो इस निषेचन को परनिषेचन कहते हैं।
स्वनिषेचन (Self fertilization) — यह उभयलिंगी जीवों में होता है। इसमें नर तथा मादा दोनों लैंगिक अंग एक ही शरीर में होते हैं तथा नर व मादा युग्मक एक ही जीव (उभयलिंगी) से आते हैं। ये मिलकर निषेचन करते हैं जिसे स्वनिषेचन कहते हैं। उदाहरण-गेहूँ तथा घास आदि ।
7. परागण के लिए कौन-कौन-सी अनुकल परिस्थितियाँ होती हैं ?
उत्तर – एकलैंगिता (Unisexuality )- फूल या तो केवल नर या मादा हो सकते हैं, जो अलग-अलग पौधों पर लगते हैं। जैसे—पपीता भिन्न कालपक्वता (Dischogamy) नर तथा मादा अंग अलग-अलग समय पर परिपक्व होते हैं। उदाहरण—– स्वीट पी तथा सल्विया ।
स्व-बंध्यता (Self-sterility)- यदि परागकण उसी फूल के वर्तिकाग्र पर आ पहुँचे, क़े भी ये परागण सम्पन्न कराने में अक्षम होते हैं। उदाहरण- पिटूनिया, सेब।
8. वायु द्वारा परागित तथा जल द्वारा परागित पौधों के महत्त्वपूर्ण लक्षण बताइए।
उत्तर – वायु द्वारा परागण (Aneinophily ) –
(i) वायु द्वारा परागित फूल छोटे, बिना रंग वाले तथा बिना मकरंद एवं बिना खुशबू वाले होते हैं।
(ii) इस प्रकार के फूलों में परागकण बहुत संख्या में दूसरे फूलों तक पहुँचाए जाने में बहुत से कण बेकार चले जाते हैं।
(iii) वायु द्वारा परागित परागकण छोटे, हल्के और कभी-कभी पंखों से युक्त भी रहते हैं।
(iv)इनके वर्तिकाग्र अपेक्षाकृत बड़े होते हैं और बाहर को निकले हुए होते हैं और कभी-कभी रोमिल होते हैं, ताकि वे परागकणों को अपने अन्दर फँसा सकें। जैसे घास और कुछ कैक्टस आदि ।
> जल द्वारा परागण (Hydrophily) – (i) जल द्वारा परागित पौधों में परागकण बहुत संख्या में बनते हैं।
(ii) परागकण जल की सतह पर उस समय तक तैरते रहते हैं, जब तक कि वे मादा फूलों के सम्पर्क में नहीं आ जाते। जैसा कि हाइड्रिला (Hydrilla) और वैलिसनेरिया (Vallisneria) आदि।
9. एक कोशिक एवं बहुकोशिक जीवों की जनन पद्धति में क्या अंतर है ?
उत्तर – एककोशिक जीवों में केवल एक ही कोशिका होती है। उनमें जनन के लिए अलग से कोई ऊतक या अंग नहीं होता है। अतः उनमें जनन केवल द्विविखंडन या बहुविखंडन द्वारा ही हो सकता है। कुछ जीवों जैसे यीस्ट में मुकुलन द्वारा भी जनन होता है।
बहुकोशिक जीवों का शरीर बहुत सी कोशिकाओं से बना होता है। इनमें जनन के लिए अलग से ऊतक या जनन तंत्र होते हैं। अतः इनमें जनन लैंगिक व अलैंगिक दोनों प्रकार से होता है।
10. जनन किसी स्पीशीज की समष्टि के स्थायित्व में किस प्रकार सहायक है ?
उत्तर – अपनी जनन क्षमता का उपयोग कर जीवों की समष्टि पारितंत्र में स्थान अथवा निकेत ग्रहण करते हैं। जनन के दौरान DNA प्रतिकृति का बनना जीव की शारीरिक संरचना एवं डिजाइन के लिए अत्यंत महत्त्वपूर्ण है जो उसे विशिष्ट निकेत के योग्य बनाती है। अतः किसी प्रजाति (स्पीशीज) की समष्टि के स्थायित्व का संबंध जनन से है।
11. गर्भनिरोधक युक्तियाँ अपनाने के क्या कारण हो सकते हैं ?
उत्तर – जनन एक ऐसा प्रक्रम है जिसके द्वारा जीव अपनी समष्टि की वृद्धि करते हैं। एक समष्टि में जन्मदर एवं मृत्युदर उसके आकार का निर्धारण करते हैं। जनसंख्या का विशाल आकार बहुत लोगों के लिए चिंता का विषय है। इसका मुख्य कारण यह है कि बढ़ती हुई जनसंख्या के कारण प्रत्येक व्यक्ति के जीवन स्तर में सुधार लाना आसान कार्य नहीं है। अतः जनसंख्या की बढ़ती हुई संख्या पर नियंत्रण रखना जरूरी है। इसीलिए गर्भनिरोधक युक्तियाँ अपनानी चाहिए।
12. जनन की आधारभूत घटना क्या है ?
उत्तर – जनन की मूल घटना है डी.एन.ए. की प्रतिकृति तैयार करना । कोशिकाएँ डी.एन.ए. प्रतिकृति तैयार करने के लिए रासायनिक अभिक्रियाएँ करती हैं। इस प्रकार जनन कोशिका में डी. एन.ए. की दो प्रतिकृति तैयार हो जाती हैं। अब उन्हें एक-दूसरे से अलग होने की आवश्यकता होती है। इसके लिए जरूरी है एक अतिरिक्त कोशिकीय संरचना । इस अतिरिक्त कोशिका में डी. एन.ए. की दूसरी प्रतिकृति अलग हो जाती है तथा एक जनक कोशिका में रह जाती है तथा दो कोशिकाएँ बन जाती हैं।
13. क्या जनन में बनी दो कोशिकाएँ एक-दूसरे के बिल्कुल समान होती हैं ?
उत्तर – दोनों कोशिकाएँ समान होंगी या नहीं यह उनकी रासायनिक अभिक्रियाओं पर निर्भर करता है। कोई भी जैविक प्रक्रिया यथार्थ नहीं होती अर्थात् यह पूर्ण रूपेण विश्वसनीय नहीं होती। अतः प्रत्येक बार डी. एन. ए. की बनने वाली प्रतिकृतियों में कुछ-न-कुछ भिन्नता आ जाती है। अतः परिणामस्वरूप डी.एन.ए. प्रतिकृति समान होती है लेकिन मूल कोशिका से पूर्णत: नहीं मिलती। अतः ऐसी कोशिकाएँ समान होते हुए भी एक-दूसरे से कुछ-न-कुछ भिन्न हो जाती हैं।
14. जीवों की शारीरिक रचना में विविधता कैसे पैदा हो जाती है ?
उत्तर – जीवों के लिए आवश्यक विभिन्न प्रकार के प्रोटीन के निर्माण का संदेश DNA में रहता है। लैंगिक जनन के पहले DNA की प्रतिकृति बनना अनिवार्य है। DNA प्रतिकृति में होनेवाली भिन्नता से DNA में प्रोटीन के निर्माण के संदेश में भी विभिन्नता आ जाती है। इसके फलस्वरूप • जीवों की शारीरिक रचना में विविधता उत्पन्न हो जाती है। इन्हीं विविधता के कई पीढ़ियों तक एकत्र होने से जीवों की नई जाति का विकास होता है।
15. सजीवों में जनन की क्या आवश्यकता है ? संक्षेप में समझाएँ ।
उत्तर – सभी जीवों में संतानोत्पत्ति का अद्वितीय गुण उपस्थित है। नई संतानों की उत्पत्ति एक आवश्यक क्रिया है जो जनन द्वारा होती है। यदि जनन क्रिया नहीं होगी तो नई संतानों की उत्पत्ति भी नहीं होगी। इसका फल यह होगा कि समूची जीव-जाति का अस्तित्व खतरे में पड़ जाएगा और कुछ समय बाद यह जाति लुप्त हो जाएगी।
16. विखंडन क्या है ? यह कितनी विधियों से होता है ?
उत्तर – पूर्ण विकसित जीव जब दो भागों में विभाजित हो जाता है तब उसे विखंडन कहते हैं। यह एक प्रकार का अलैंगिक जनन है जो सामान्यतः दो विधियों द्वारा संपन्न होता है – द्विखंडन एवं बहुखंडन। उदाहरण, अमीबा एवं अन्य एककोशिकीय जंतु।
17. मुकुलन क्या है ? एक सरल आरेखी नामांकित चित्र द्वारा जनन की इस विधि को दर्शाएँ। (वर्णन अनापेक्षित)
उत्तर – मुकुलन एक प्रकार का अलैंगिक जनन है जो जनक के शरीर के धरातल से कलिका फूटने या प्रवर्ध निकलने के फलस्वरूप संपन्न होता यीस्ट में सामान्यतः जनन मुकुलन द्वारा संपन्न होता है।
चित्र: यीस्ट में मुकुलन द्वारा जनन
18. बीजाणुजनन किस प्रकार होता है ?
उत्तर – कवक, मॉस, शैवाल आदि में बीजाणु – निर्माण अलैंगिक जनन की मुख्य विधि है। इस प्रकार के जनन में बीजाणु का निर्माण अधिकांशतः बीजाणुधानियों में होता है। ये बहुत छोटे, हलके और काफी मोटी भित्तिवाले होते हैं। अनुकूल परिस्थितियों में ये अंकुरित होकर नए पौधे को जन्म देते हैं।
19. मुकुलन और खंडन में क्या अंतर है ?
उत्तर – मुकुलन में देहभित्ति से एक उभार निकलता है जो धीरे-धीरे वृद्धि कर मुकुल का रूप धारण कर लेता है, उदाहरण हाइड्रा। खंडन में शरीर के जब टुकड़े हो जाते हैं तो प्रत्येक टुकड़ा अलग-अलग वृद्धि कर वयस्क का रूप धारण कर लेता है।
20. ऊतकं प्रवर्धन से आप क्या समझते हैं ?
उत्तर – कायिक प्रवर्धन का यह आधुनिक तरीका है। इस विधि में किसी पौधे के एक छोटे-से भाग को काटकर उसको उचित परिस्थितियों में पोषक माध्यम में रखते हैं। कुछ समय पश्चात
ऊतक का यह टुकड़ा एक असंगठित पिंड बन जाता है जिसे कैलस कहते हैं। कैलस से छोटे-छोटे भाग निकालकर एक अन्य माध्यम में रखते हैं जो विभेदन की क्रिया को उत्तेजित करता है, जिससे छोटे-छोटे नवोद्भिद विकसित होते हैं जिन्हें गमलों में लगाकर वयस्क पौधों में विकसित कराया जाता है, जैसे गुलदाउदी, शतावरी आदि में।
21. बाह्य निषेचन एवं आंतरिक निषेचन में क्या अंतर है ?
उत्तर – जंतुओं में निषेचन बाह्य या आंतरिक दोनों प्रकार के होते हैं। अगर अंडाणु शुक्राणु के द्वारा शरीर के बाहर निषेचित होता है तो वह बाह्य निषेचन कहलाता है, जैसे मेढक। परंतु, जब अंडाणु मादा के शरीर के अंदर ही शुक्राणु के द्वारा निषेचित होता है तो वह आंतरिक निषेचन कहलाता है, जैसे कीट, मनुष्य आदि ।
22. अपरा (प्लैसेंटा) क्या है ? इसका क्या कार्य है ?
उत्तर – गर्भस्थं शिशु को माता के शरीर से जोड़नेवाले नाल को अपरा (placenta) इसका मुख्य कार्य मादा के शरीर के रक्त को शिशु के शरीर में पहुँचाना है, जिससे शिशु पोषण, श्वसन आदि क्रियाएँ संपन्न होती हैं। कहते हैं। की ॐ
23. कुछ पौधों को उगाने के लिए कायिक प्रवर्धन का उपयोग क्यों किया जाता है ।
उत्तर – कुछ पौधों में कायिक प्रवर्धन विधि का प्रयोग जनन क्रिया हेतु निम्न कारणों से उपयोगी हैं
(a ) कायिक प्रवर्धन द्वारा उगाये गए पौधों में बीज द्वारा उगाए पौधों की अपेक्षा पुष्प एवं में लगने लगते हैं।
(b) कुछ पौधे बीज उत्पन्न करने की क्षमता खो चुके होते हैं। इसी कारण से उनमें कायिक प्रवर्धन होता है।
(c) इस प्रकार के जनन में यह भी लाभ होता है कि इस प्रकार उत्पन्न सभी पौधे आनुवंशिक रूप से जनक पौधे के समान ही होते हैं।
24. डी. एन. ए. की प्रतिकृति बनाना जनन के लिए आवश्यक क्यों है ?
उत्तर – डी. एन. की प्रतिकृति बनाना जनन के लिए आवश्यक है। यह जनन के लिए एक मूल घटना है। जनक कोशिका की दो कोशिकाएँ बनती हैं। ये दोनों प्रतिकृतियाँ अलग होना आवश्यक है तभी जनन हो सकता है। इसके लिए एक अलग से कोशिकीय संरचना आवश्यक है। एक प्रतिकृति नई संरचना में तथा एक मूल कोशिका में रह जाती है। इस प्रकार दो प्रतिकृतियाँ दो नई कोशिकाएँ बनाने में सहायता करती हैं और जनन होता है।
25. लैंगिक जनन की परिभाषा लिखें।
उत्तर – जनन की वह विधि जिसमें नर और मादा अंगों की भागीदारी आवश्यक होती है लैंगिक जनन कहलाती है।
26. एकलिंगी तथा उभयलिंगी की परिभाषा एक- एक उदाहरण देते हुए लिखें।
उत्तर – एकलिंगी- जब नर और मादा जनन अंग अलग-अलग जीव में होते हैं तो उसे एकलिंगी कहते हैं। जैसे— मनुष्य, घोड़ा, कुत्ता इत्यादि ।
उभयलिंगी- जब नर तथा मादा लैंगिक अंग एक ही जीव में पाये जाते हैं तो उसे उभयलिंगी कहते हैं। जैसे—केंचुआ, तारामीन, फीताकृमि
27. एकलिंगी एवं द्विलिंगी शब्दों की परिभाषा उदाहरणसहित दीजिए।
उत्तर – (अ) एकलिंगी-वे जीव जिनमें केवल नर अथवा मादा जननांग होते हैं। जैसेमनुष्य, पपीता आदि।
( ब ) द्विलिंगी–वे जीव जिनमें नर तथा मादा दोनों जननांग होते हैं। जैसे—केंचुआ।
28. यीस्ट में मुकुलन के विभिन्न चरणों को समझाइए ।
उत्तर – यीस्ट में कलिकोत्पादन या मुकुलन ( Budding in yeast ) – एककोशिकीय फफूँदी में कलिका द्वारा जनन होता है। पहले एक उभार बनता है तथा फिर केन्द्रक का दो भागों में विभाजन होता है। परिमाप में वृद्धि होती है तथा उसके ऊपर पुनः विभाजनों द्वारा एक श्रृंखला (chain) बन जाती है।
29. लैंगिक जनन का क्या अर्थ है ? इसकी क्या शर्त है ?
उत्तर – लैंगिक जनन-लैंगिक जनन एक कोशिकीय तथा बहुकोशिकीय दोनों जीवों में होता है, लेकिन कुछ पौधे तथा जन्तुओं में जैसे—केंचुआ, हाइड्रा में एक ही जीव नर तथा मादा दोनों युग्मकों को उत्पन्न करता है। ऐसे जीवों को उभयलिंगी या द्विलिंगी (hermaphordite or bisexual) जीव कहते हैं। लैंगिक जनन में जीव की लिंग कोशिकाएँ या युग्मक ( sex cells or gametes) अर्धसूत्री कोशिका विभाजन द्वारा बनते हैं। ये अगुणित (haploid) होते हैं। नर तथा मादा युग्मकों के मिलने ये युग्मनज (zygote) बनता है ।
30. कायिक जनन की विभिन्न विधियों क्या हैं ? किसी एक विधि का उदाहरण सहित वर्णन कीजिए।
उत्तर – कायिक प्रवर्धन (Vegetative reproduction) – जब पौधे के कायिक अंग, जैसे—तना, पत्ती, जड़ के द्वारा नया पौधा तैयार किया जाता है तो इसे कायिक प्रवर्धन कहते हैं। इस विधि का उपयोग प्रायः उच्चवर्गीय पौधों विशेषतः उद्यान में लगाने वाले तथा फल देने वाले पौधों में किया जाता है। जैसे— अमरूद, शकरकंद अथवा पुदीने की छोटी-छोटी जड़ों पर अपस्थानिक कलियाँ होती हैं। ये कलियाँ अनुकूल परिस्थितियों में वृद्धि करके पूर्ण विकसित पौधा बना देती हैं।
कायिक प्रवर्धन में आजकल कलम, दाब कलम, रोपण एवं उत्तक संवर्धन जैसे विधियाँ अपनाई जा रही हैं।
31. रजोधर्म तथा रजोनिवृत्ति में अन्तर बताएँ।
उत्तर :
रजोदर्शन
(Menarch) |
रजोनिवृत्ति
(Menopause) |
(i) मादा में लगभग 10-12 वर्ष की आय में प्रक्रिया आरंभ होती है।
(ii) हर 28 दिन बाद रक्त स्राव 4-7 दिन तक होता है। |
(i) अधेड़ अवस्था में लगभग 50 वर्ष की आयु में प्रक्रिया समाप्त होती है।
(ii) रक्त स्राव बंद हो जाता है। |
32. पादयों के जनन भाग क्या हैं? इनके विभिन्न भागों का वर्णन कीजिए।
उत्तर – पादपों के जनन भाग पुष्प होते हैं।
पुष्पीय भाग- बाह्यदल (प्राय: हरा), दल (रंगीन), पुंकेसर तथा अंडप । इनमें पुंकेसर तथा अंडप जनन अंग है।
पुंकेसर – इसमें एकद्वंत (तंतु), एक चपय शीर्ष (परागकोष) नामक भाग पाया जाता है। परागकोष परागकण उत्पन्न करता है।
अंडप— इसमें एक अंडाशय (नीचे का फूला हुआ भाग), वर्तिकाग्र (ऊपर का चपटा भाग) तथा लंबी वर्तिका (दोनों के बीच का भाग) होता है। अंडाशय में बीजांड होता है। प्रत्येक बीजांड में एक अंड होता है।
33. अमीबा में द्वि-विखंडन क्रिया को समझावें ।
उत्तर – पहले अमीबा का केन्द्रक विभाजित होकर दो संतति केन्द्रकों में विभाजित हो जाता है फिर कोशिका कला में एक संकीर्ण प्रकट होता है जिससे धीरे-धीरे कोशिकाद्रव्य में दो भागों में विभाजित हो जाता है और अंततः एक अमीबा दो संतति अमीबा में बदल जाता है। इस प्रकार से द्विविखंडन द्वारा एक अमीबा से दो अमीबा उत्पन्न होते हैं।
34. हाइड्रा में मुकुलन को समझाएँ ।
उत्तर – हाइड्रा के शरीर की कोशिकाओं में बार-बार विभाजन होने से एक उभार बन जाता है जिसे ही मुकुल (bud) कहते हैं। जो धीरे-धीरे बड़ा होकर एक नए हाइड्रा के रूप में परिवर्धित हो जाता है और अंततः जनक के शरीर से अलग होकर वयस्क हो जाता है। इसी क्रिया को मुकुलन कहा जाता है।
35. रजोनिवृत्ति को परिभाषित कीजिए।
उत्तर – रजोचक्र के समापन को रजोनिवृत्ति (Menopause) कहते हैं। यह वह अवस्था है जब स्त्रियों में रजोधर्म बंद होता है जो लगभग 45-50 वर्ष की आयु में होता है। इसके बाद स्त्रियाँ गर्भ धारण नहीं कर सकतीं।
36. शुक्राणु जनन तथा अंडाणु जनन में अंतर स्पष्ट कीजिए।
उत्तर :
शुक्राणु जनन |
अंडाणु जनन |
(1) शुक्राणु जनन वृषण में होने वाली क्रिया है।
(2) इसके एक प्राथमिक स्पर्मेटोसाइट से 4 शुक्राणु बनते हैं।
(3) इसमें ध्रुवीय काय नहीं बनते।
(4) इसमें अपेक्षाकृत कम समय लगता है।
|
(1) यह अंडाशयों में होने वाली क्रिया है।
(2) इसमें एक प्राथमिक असाइट से एक अंडाणु बनता है।
(3) इसमें ध्रुवीय काय बनते हैं।
(4) इसमें ज्यादा समय लगता है।
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37. दिए गए चित्र में (1) और (2) को नामांकित करें तथा (2) के कोई दो कार्य लिखें।
उत्तर – (1) अंडाशय (2) फैलोपियन नलिका (डिंब वाहिनी) फैलोपियन नलिका के कार्य – (1) अंडाणुओं को गर्भाशय तक पहुँचाना।
(2) निषेचन में सहायक होना ।
38. चित्र में दर्शायी गई घटना का संक्षिप्त वर्णन करें।
उत्तर – चित्र प्लैनेरिया में पुनरुद्भवन को दर्शाता है। इसके अन्तर्गत प्लैनेरिया के चाहे जितने टुकड़े हो जायें, प्रत्येक टुकड़ा स्वतंत्र प्लैनेरिया के रूप में विकसित होता है।
39. परागण क्या है ? परागण के प्रकारों का उल्लेख करें।
उत्तर – परागकणों का परागकोष से वर्तिकाग्र तक के स्थानान्तरण को परागण कहते हैं। परागकोष से परागकण झड़कर या तो उसी पुष्प या किसी अन्य पुष्प तक पहुँचते हैं। परागकणों का स्थानान्तरण बहुत-से माध्यमों जैसे—वायु, जल, कीट तथा अन्य कारकों से होता है। परागण दो प्रकार के होते हैं— (i) स्वपरागण और (ii) परपरागण ।
> स्वपरागण – किसी पुष्प के परागकोष के उसी पुष्प के अथवा उस पौधे के अन्य पुष्प के वर्तिकाग्र तक, परागकणों का स्थानांतरण स्वपरागण कहलाता है।
> परपरागण – एक पुष्प के परागकोष से इसी जाति के दूसरे पौधों के पुष्प के वर्तिकाग्र तक परागकणों का स्थानान्तरण परपरागण कहलाता है।
40. मानव में वृषण के क्या कार्य हैं ?
उत्तर – नर में प्राथमिक जनन अंग अंडाकार आकृति का वृषण होता है। नर जनन हार्मोन एक जोड़ी वृषण उदर गुहा के बाहर छोटे अंडानुमा मांसल संरचना में रहते हैं जिसे वृषण कोष कहते हैं। वृषण में शुक्राणु तथा टेस्टोस्टेरॉन की उत्पत्ति होती है। वृषण कोष शुक्राणु बनने के लिए उचित ताप प्रदान करता है।
41. ऋतुसाव क्यों होता है ?
उत्तर – यदि अंडाणु का निषेचन नहीं होता है तो वह एक दिन बाद नष्ट हो जाता है। गर्भाशय भी निषेचित अंडाणु को प्राप्त करने की तैयारी करता है। गर्भाशय की दीवार मोटी तथा स्पंजी हो जाती है। लेकिन निषेचन न होने पर ये धीरे-धीरे टूटती है और रुधिर व म्यूकस के रूप में योनि मार्ग से बाहर निकलती है। इस प्रक्रिया को रजोधर्म या ऋतुस्राव कहते हैं। अतः ऋतुस्राव निषेचन न होने की अवस्था में होता है।
42. गर्भनिरोधन की विभिन्न विधियाँ कौन-कौन सी हैं ?
उत्तर – गर्भनिरोधन के लिए बहुत-सी विधियों का विकास किया गया है जो निम्न है
(a) अवरोधिका विधियाँ — इन विधियों में कंडोम, मध्यपट और गर्भाशय ग्रीवा आच्छद का उपयोग किया जाता है। ये मैथुन के दौरान मादा जननांग में शुक्राणुओं के प्रवेश को रोकती है।
(b) रासायनिक विधियाँ – इस प्रकार की विधि में स्त्री दो प्रकार मुखीय गोलियाँ तथा योनि गोलियाँ प्रयोग करती हैं।
ये गोलियाँ मुख्यतः हार्मोन्स से बनी होती हैं जो अंडाणु को डिम्बवाहिनी नलिका में उत्सर्जन से रोकती हैं।
(c) शल्य विधियाँ – इस विधि में पुरुष शुक्रवाहक तथा स्त्री की डिम्बवाहिनी नली के छोटे से भाग को शल्यक्रिया द्वारा काट या बाँध दिया जाता है। इसे नर नसबन्दी तथा स्त्री में स्त्री नसबन्दी कहते हैं।
43. शुक्राशय एवं प्रोस्टेट ग्रन्थि की क्या भूमिका है ?
उत्तर – शुक्राशय (सेमिनल वैसिकिल ) पुरुष में शुक्राशय का एक युग्म होता है जो मूत्राशय के दोनों ओर स्थित होते हैं जो मूत्राशय के पीछे स्थित होते हैं। इनमें एक चिपचिपा गाढ़ा व उत्पन्न होता है जो शुक्राणुओं को पोषित करता है।
प्रोस्टेट ग्रन्थि – यह संख्या में एकल होती है जो शिश्न के अग्र भाग (मूत्रमार्ग) के चारों ओर स्थित होती है। इसमें उत्पन्न स्राव बहुत-सी वाहिकाओं द्वारा मूत्रमार्ग (यूरेथ्रा) में उड़ेल दिया जाता है।
44. किसी पुष्प के जननांगों का वर्णन कीजिए।
उत्तर – फूल एकलिंगी (Unisexual) या द्विलिंगी (Bisexual) होते हैं। लिंग का निर्धारण या तो क्रोमोसोम के आधार पर होता है या नर तथा मादा के उनके वृद्धि पदार्थों के स्तर में अन्तर से पाया जाता है।
नर गैमीट – ये स्त्रीकेसर के ही एक भाग परागकोष के अन्दर बनते हैं। परागकोष के भीतर माइक्रोस्पोरैंजिया होते हैं। माइक्रोस्पोर कोशिकाओं में मीओसिस होता है तथा चार अगुणित माइक्रोस्पोर (परागकण) बनते हैं। माइक्रोस्पोर की बाहरी दीवार एक्साईन (Exine) तथा भीतरी इंटाइन (Intine) होती है। परागण के भीतर नर गैमीट बनता है, इसलिए गैमीटीफाइट कहा जाता है।
मादा गैमीट – अण्डाशय के भीतर बीजाण्ड (Ovule) के अन्दर बनते हैं। सिनर्जिड कोशिकाएँ निषेचन की क्रिया में सहायता करती हैं, परागण कहलाता है।
45. परागण क्या है ? परपरागण का वर्णन ।
उत्तर – परागण कणों का परागकोश से उसी पुष्प या उसी स्पीशीज के अन्य पुष्प की वर्तिकाग्र तक पहुँचना परागण कहलाता है।
चित्र: परागण
पर-परागण – किसी पुष्प के परागकोष से परागकणों का उसी स्पीशीज के किसी अन्य पौधे के पुष्प की वर्तिकाग्र पर पहुँचना परपरागण (Cross pollination) कहलाता है। परागण करने वाले फूल अधिकतर रंगीन तथा आकर्षक होते हैं। परपरागण के समय, परागकणों का स्थानांतरण हवा द्वारा अथवा कीटों द्वारा होता है। परागण से फूल में निषेचन क्रिया होती है जिसके उपरान्त बीज तथा फल बनते हैं। स्वपरागण को आटोगैमी (Autogamy) कहते हैं तथा पर-परागण को एलौगैमी (Allogamy) कहा जाता है।
46. पौधों में द्विनिषेचन का वर्णन कीजिए।
उत्तर – पौधों में द्विनिषेचन – परागण वर्तिकाग्र (stigma) पर गिरकर फूल जाते हैं। इनसे पराग नलिका (Pollen Tube) निकलती है जिसमें 3 नर युग्मक होते हैं। नर तथा मादा युग्मक का संयोग (fusion) ही निषेचन है । इसके बाद युग्मनज (Zygote) बनता है। यह द्विगुणित
(diploid) होता है। दूसरा नर युग्मक द्वितीय केन्द्रक के साथ मिलकर त्रिगुणित केन्द्रक बनाता है। यह क्रिया त्रिसमेकन (Triple Fusion) कहलाती है। चूँकि निषेचन दो बार होता है, अतः इसे द्विनिषेचन (Double fertilization) कहते हैं। द्विनिषेचन का वर्णन सर्वप्रथम नावासचिन (1898) ने किया था।
चित्र : निषेचन प्रबीजाधारी प्रवेश
> दीर्घ उत्तरीय प्रश्न
1. कायिक प्रदर्धन की विभिन्न विधियाँ कौन-कौन सी हैं ? किसी एक विधि की व्याख्या उदाहरण सहित कीजिए।
उत्तर – कायिक प्रवर्धन जब पौधे के कायिक अंग जैसे—तना, पत्ती या जड़ के द्वारा नया पौधा तैयार किया जाता है तो इसे कायिक प्रवर्धन कहते हैं। इस विधि का उपयोग प्रायः उच्चवर्गीय पौधों विशेषत: उद्यान में लगाने वाले तथा फल देने वाले पौधों में किया जाता है। जैसे—अमरूद, शकरकंद अथवा पुदीने की छोटी-छोटी जड़ों पर अपस्थानिक कलियाँ होती हैं। ये कलियाँ अनुकूल परिस्थितियों में वृद्धि करके पूर्ण विकसित पौधा बना देती हैं।
कायिक प्रवर्धन में आजकल कलम, दाब कलम, रोपण एवं ऊतक संवर्धन जैसी विधियाँ अपनाई जा रही हैं।
> कायिक जनन की विधियाँ
(Modes of Vegetative Reproduction)
जड़ों, काट, दाब, रोपण आदि के द्वारा नए पौधे तैयार किए जा सकते हैं।
रोपण विधि-यह विधि उन पौधों में अपनाई जाती है जो जड़ें पैदा नहीं कर सकते अथवा कमज़ोर जड़ वाले होते हैं। रोपण वह विधि है जिसमें दो पौधों के भागों को इस प्रकार बाँधा जाता है ताकि वह पौधे पर रह सकें। दो पौधों में से एक को मिट्टी में लगाया जाता है जिसे स्कंध कहते हैं। दूसरा भाग टहनी होती है जिस पर एक या अधिक कलियां होता हैं। इस को कलम कहते हैं। रोपण में दोनों आपसी रूप में एक-दूसरे पर निर्भर करते हैं। स्कंध पानी और खनिज के लिए और कलम कार्बनिक भोजन के लिए। केंबियम की प्रक्रिया के कारण कलम तथा स्कंद एक-दूसरे से जुड़ जाते हैं। इस विधि को अपनाने से हम ऐच्छिक गुणों वाले पौधे तथा फल प्राप्त कर सकते हैं। आम की बहुत-सी किस्में रोपण विधि से ही प्राप्त की जा सकती हैं।
2. अंडाशय के प्रमुख ऊतकीय लक्षण क्या-क्या हैं तथा अंडाशय का सूक्ष्मदर्शीय संरचना का आरेख भी बनाइए।
उत्तर – अंडाशय के प्रमुख ऊतकीय लक्षण इस प्रकार हैं— अंडाशय के चारों तरफ जनन एपीथीलियम की एक बड़ी परत होती है। स्ट्रोमा और आधात्री योजना ऊतक होता है जो ट्यूनिका एल्बूजिनिया के नीचे स्थित होता है।
अंडोत्सर्ग (Ovulation) अंडाशय में से अंडे का निकलना अंडोत्सर्ग कहलाता है। परिपक्व ग्राफी पुटक फट जाता है और अंडकोशिका बाहर निकल कर देह-गुहा में आ जाती है। यहाँ से उसे शीघ्र ही अंडवाहिनियों के अन्दर ले लिया जाता है। अब अंडकोशिका रहित ग्राही पुटक कॉर्पस ल्यूटियम (corpus luteum) नामक एक पीले पिंड के रूप में बदल जाता है।
यदि निषेचन हो जाता है, तब तो कॉर्पस ल्यूटियम कुछ महीने तक बना रहता है और इस्ट्रोजन का स्राव करता है, जिसका प्राव अंडोत्सर्ग से पहले पुटकों द्वारा हो रहा था। कॉर्पस ल्यूटियम एक अन्य हॉर्मोन प्रोजेस्टेरॉन का भी प्राव करता है, जो निषेचित अंडे को ग्रहण करने के लिए गर्भाशय को तैयार करता है। यदि निषेचन नहीं होता तो कॉर्पस ल्यूटियम चौदह दिन के अन्दर समाप्त हो जाता है और रेशेदार ऊतक के एक सफेद से स्कार (scar) के रूप में बदल जाता है।
3. पौधों में कायिक प्रवर्धन की किन्हीं तीन कृत्रिम विधियों का विस्तार से वर्णन कीजिए।
उत्तर – कायिक जनन की तीन कृत्रिम विधियाँ- कायिक प्रवर्धन की कृत्रिम विधियों में रोपण, कलम लगाना, दाब कलम तथा ऊतक संवर्धन प्रमुख हैं।
(i) कलम लगाना (Cutting) – इस विधि में तना, पत्तियों तथा जड़ों का प्रयोग किया जाता है। तने की कलमें बनाकर जिसमें दो पर्वसन्धियाँ होती हैं, भूमि में गाड़ देते हैं। कुछ समय बाद उनसे जड़ें तथा प्ररोह विकसित हो जाते हैं। उदाहरण-गुलाब तथा गन्ना, गुड़हल व अंगूर अक्षस्थ कलिकाओं सहित तने के टुकड़ों को मातृ पौधे से अलग कर लेते हैं।
(ii) दाब लगाना ( Layering ) – इसे गूटी लगाना भी कहा जाता है। कुछ पौधों के तने भूमि के समीप होते हैं। उन्हें झुकाकर मिट्टी में दबा देते हैं। वहीं पर कुछ समय बाद जड़ें निकल आती हैं। उसे पौधे से अलग कर लेते हैं। इस प्रकार मातृ नया पौधा प्राप्त होता है। उदाहरण- नींबू, मोगरा, अमरूद, गुड़हल (Hibiscus), जैसमीन, बौगेनविलिया आदि ।
(iii) कली लगाना (Budding ) – इस विधि में साधारण जाति के पौधे के तने पर छाल की गहराई तक एक तिरछा काट लगा देते हैं। उसी काट में उस जाति के एक अच्छे पौधे की कलिका को रोपित कर देते हैं। कुछ समय बाद कलिका पौधे से जुड़ जाती है और नई शाखा बन जाती है। इसे काट कर अलग कर देते हैं। यह विधि गुलाब, अंगूर, शरीफा, संतरा आदि में
अपनाई जाती है।
चित्र : कली लगाना
4. मानव में जाइगोट का वर्धन तथा शिशु जन्म का वर्णन कीजिए।
उत्तर – जाइगोट का वर्धन (Development of Zygote)- यह फैलोपियन नलिका में ही प्रारम्भ हो जाता है तथा गर्भावस्था (pregnancy) शुरू हो जाती है। यह भ्रूण गर्भाशय की भित्ति से चिपक जाता है। इसे इम्प्लान्टेशन (implantation) कहते हैं। अपरा (placenta) द्वारा भ्रूण को पोषण प्राप्त होता है। गैसों का आदान-प्रदान तथा वर्ज्य पदार्थों का त्यागना भी इसी के द्वारा होता है। जन्म तक का वर्धनकाल गर्भावस्था (gestation) कहलाता है। इसके पूर्ण होने पर (280 दिन अथवा 9 माह) शिशु का जन्म होता है। यह क्रिया सर्विवस (Cervis) हार्मोन्स द्वारा नियंत्रित होती है। जन्म के बाद शिशु का वजन लगभग 3.5 कि. ग्रा. होता है। ऑक्सीटोसिन
(पीयूष ग्रन्थि का हार्मोन) गर्भाशय भित्ति, (Endometrium) की अनैच्छिक पेशियों में संकुचन प्रारम्भ करता है जिसके बाद भ्रूण का गर्भाशय भित्ति से सम्पर्क टूट जाता है और प्रसव होता है। रिलेक्सिन हार्मोन पेल्विक लिगामेन्ट्स (Pelvic ligaments) को शिथिल करता है।
5. मादा जनन अंगों का सचित्र वर्णन कीजिए।
उत्तर – मानव मादा जनन तंत्र (Female Reproductive System) मादा जनन तंत्र में निम्नलिखित जनन अंग आते हैं—
(i) अण्डाशय, (ii) अंडवाहिनी, (iii) गर्भाशय, (iv) योनि ।
(i) अण्डाशय (Ovaries) – मादा में एक जोड़ी अण्डाशय होते हैं जो कि उदरीय गुहिका (Abdominal cavity) में स्थित होते हैं। जन्म के समय प्रत्येक अण्डाशय में 2,50,000 से `5,00,000 तक अण्डाणु होते हैं लेकिन जीवन काल में उनमें से अधिकतर नष्ट हो जाते हैं और केवल 400 अंडाणु ही परिपक्व होकर मादा द्वारा अपने जीवनकाल में छोड़े जाते हैं। इसके अतिरिक्त अण्डाशय दो हार्मोन एस्ट्रोजन (Oestrogen) तथा प्रोजेस्टीरोन (Progesterone) भी उत्पन्न करता है।
(ii) अंडवाहिनी (Oviduct or Fallopian tube) – अण्डाशय के पास से अंडवाहिनी एक कीप की तरह प्रारम्भ होती है। यह एक पेशीय, पतली तथा कुण्डलित नलिका होती है जो पीछे की ओर गर्भाशय से मिलती है। अंडवाहिनी के आगे कीप वाला हिस्सा अण्डाशय में अंडोत्सर्ग के समय अण्डाणु को पकड़कर अण्डवाहिनी में छोड़ देता है जहाँ से वह गर्भाशय में पहुँच जाता है।
(iii) गर्भाशय (Uterus) — यह एक खोखला पेशीयुक्त अंग है जहाँ भ्रूण का विकास होता है। यह मूत्राशय तथा मलाशय के बीच में होता है। यह सर्विक्स द्वारा योनि में खुलता है। गर्भाशय दीवार पेशीय तथा मोटी होती है।
(iv) योनि (Vagina) – यह एक नलिकाकार संरचना होती है, जो पीछे की ओर सर्विक्स द्वारा गर्भाशय से जुड़ी रहती है तथा आगे की ओर बाहर एक सुराख द्वारा खुलती है जिसे भग कहते हैं। योनि द्वारा ही शुक्राणुओं को ग्रहण किया जाता है। इसके दो फोल्ड होते हैं लेबिया मेजोरा (Labia majora) तथा लेबिया माइनोरा (Labia minora) । यूरेथ्रल द्वार के सामने क्लाइटोरिस (Clitoris) होता है। यह शिश्न के समकक्ष होता है।
6. फूल के विभिन्न भागों के चित्र बनाकर वर्णन करें।
उत्तर – फूल-पुष्पी पौधों में फूल लैंगिक जनन में सहायता करता है। फूलों की सहायता से बीज बनते हैं। फूल में एक आधारी भाग होता है जिस पर फूल के सभी भाग लगे होते हैं। इसे पुष्पासन कहते हैं। फूल के मुख्य चार भाग होते हैं—
1. बाह्य दलपुंज या हरी पत्तियाँ – यह फूल का सबसे बाहरी भाग होता है। यह हरी पत्तियों के रूप में होता है जिन्हें बाह्य दल कहते हैं। यह फूल की रक्षा करता है
2. दलपुंज या रंगीन पत्तियाँ – बाह्य दलपुंज के भीतरी भाग को दलपुंज कहते हैं। प्रत्येक अंग पंखुड़ी या दल कहलाता है। इसका रंग विभिन्न फूलों में अलग-अलग होता है। इनका कार्य कीटों को आकर्षित करके परागण में सहायता करना है। बाहर से तीसरा भाग है। इसके प्रत्येक अंग को पुंकेसर कहते हैं।
3. पुंकेसर – यह फूल का पुंकेसर के मुख्य दो भाग होते हैं— पराग सूत्र एवं पुतंतु। पराग सूत्र भोजी द्वारा परागकोष से जुड़ा होता है। परागकोष के अंदर परागकण होते हैं। ये निषेचन के बाद बीज बनाते हैं।
4. स्त्रीकेसर – यह फूल का मादा भाग होता है। इसके प्रत्येक अंग को स्त्रीकेसर या गर्भ केसर कहते हैं। इसके तीन भाग होते हैं—(1) वर्तिकाग्र (2) वर्तिका (3) अंडाशय । अंडाशय के अंदर बीजाणु होते हैं।
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