जीव विज्ञान : नियंत्रण और समन्वय | Class 10Th Biology Chapter – 5 Notes | Model Question Paper | नियंत्रण और समन्वय Solutions
जीव विज्ञान : नियंत्रण और समन्वय
स्मरणीय तथ्य : एक दृष्टिकोण
(MEMORABLE FACTS : ATA GLANCE)
> जैव कार्यों के सफल संचालन हेतु सभी जीवों के अंगों एवं अंगतंत्रों का समन्वय तथा नियंत्रण जरूरी है।
> जन्तुओं में विभिन्न शारीरिक क्रियाओं का नियंत्रण और समन्वय दो प्रकार के तंत्रों- तांत्रिकीय तंत्र तथा अंत: स्रावी तंत्र के द्वारा होता है।
> सजीवों में अंगों तथा अंगतंत्रों का समन्वय और नियंत्रण तांत्रिकीय एवं रासायनिक होता है।
> उच्च स्तरीय जन्तुओं में तंत्रिका तंत्र मस्तिष्क, स्पाइनल कॉर्ड तथा विभिन्न प्रकार की तंत्रिकाओं से बना होता है।
> तंत्रिकीय नियंत्रण और समन्वय के लिए प्रयुक्त रचनाओं की इकाई तंत्रिका कोशिका या न्यूरॉन है।
> प्रत्येक न्यूरॉन में एक साइटॉन, एक एक्सॉन तथा कई डैंड्राइट्स रहते हैं।
> डेंड्राइट्स का शाखित स्वतंत्र सिरा के द्वारा तंत्रिका आवेश आगे की संवेदनाओं को ग्रहण कर साइटोंन को पहुँचाता है। एक्सॉन ओर बढ़ते हैं ।
> मनुष्य के तंत्रिका तंत्र के तीन भाग केन्द्रीय तंत्रिका तंत्र, परिधीयं तंत्र तथा स्वायत्त तंत्रिका तंत्र ।
> केन्द्रीय तंत्रिका तंत्र मस्तिष्क तथा स्पाइनल कॉर्ड से बनता है।
> मस्तिष्क एक झिल्ली मेनिंजीज से घिरा होता है जो बाहरी आघातों से इसकी सुरक्षा करते हैं।
> मस्तिष्क खोपड़ी की मस्तिष्क गुहा या क्रेनियम में सुरक्षित रहता है।
> मेनिंजीज और मस्तिष्क के बीच तथा मस्तिष्क की गुहाएँ सेरीब्रोस्पाइनल द्रव्य से भरी होती हैं। यह बाहरी आघातों से सुरक्षा के अतिरिक्त मस्तिष्क को नम रखता है।
> मनुष्य के मस्तिष्क के तीन प्रमुख भाग- अग्रमस्तिष्क, मध्य मस्तिष्क तथा पश्च मस्तिष्क है।
> अग्रमस्तिष्क के मुख्य भाग- सेरीब्रम तथा डाइएनसेफलॉन है।
> सेरीब्रम बुद्धि और चतुराई का केन्द्र है।
> मध्य मस्तिष्क से शरीर का संतुलन तथा पेशियों का नियंत्रण होता है।
> पश्च मस्तिष्क सेरीबेलम तथा मस्तिष्क स्टेम से बनता है।
> मस्तिष्क के प्रमुख कार्य आवेश ग्रहण करना, ग्रहण किये गये आवेशों का विश्लेषण करना तथा उचित अनुक्रिया के लिए अंगों को निर्देश निर्गत करना, विभिन्न आवेशों का सह-संबंधन तथा सूचनाओं का भंडारण करना है।
> मनुष्य में पाई जाने वाली अंतःस्रावी ग्रंथियाँ हैं —पिट्यूटरी, थाइरॉइड, पाराथाइरॉइड, एड्रीनल, लैंगरहैंस की द्विपिकाएँ तथा जनन ग्रंथियाँ (अंडाशय और वृषण) ।
> न्यूरॉन में आवेश का संचरण एक निश्चित पथ में होता है जिसे प्रतिवर्ती चाप करते हैं ।
> पिट्यूटरी ग्रंथि कई अन्य महत्वपूर्ण अंतःस्रावी ग्रंथियों का भी नियंत्रण करती है, इसलिए इसे मास्टर ग्रंथि भी कहते हैं।
> जन्तुओं में रासायनिक नियंत्रण एवं समन्वय हार्मोन्स के द्वारा होता है जो अंतःस्रावी ग्रंथियों द्वारा स्रावित होते हैं।
> थाइरॉइड ग्रंथि थाइरॉक्सिन हार्मोन स्रावित करती है।
> सजीवों में अंगों तथा अंग तंत्रों का समन्वय और नियंत्रण तांत्रिकीय एवं रासायनिक होता है।
> जैव कार्यों के सफल संचालन हेतु सभी जीवों के अंगों एवं अंग तंत्रों का समन्वय तथा नियंत्रण जरूरी है।
> पौधों में पाई जाने वाली गतियाँ दो प्रकार की होती हैं— एक वृद्धि से संबंधित एवं दूसरी वृद्धि से असंबंधित रहती है।
> पौधों में तंत्रिकीय नियंत्रण नहीं पाया जाता है।
> उद्दीपनों से प्रभावित होने वाली पौधों की गतियों को अनुवर्तिनी गति कहते हैं।
> तंत्रिकीय नियंत्रण तंत्रिका द्वारा तथा रासायनिक नियंत्रण हॉर्मोन द्वारा सम्पादित होता है।
> रासायनिक समन्वय एवं नियंत्रण के लिए पौधे हार्मोन्स का स्राव करते हैं।
> बाह्य उद्दीपनों की प्रकृति के अनुसार अनुवर्तिनी गति कई प्रकार की होती है।
> हार्मोन्स बहुत लघु मात्रा में निकलते हैं, लेकिन उपापचयी क्रियाओं के सफल निष्पादन के लिए पर्याप्त होते हैं।
> रासायनिक संघटन तथा कार्यविधि के आधार पर हार्मोन्स को अलग-अलग वर्गों में बाँटा गया है।
> हार्मोन्स जटिल, कार्बनिक एवं रासायनिक यौगिक होते हैं जो नलिकाविहीन ग्रंथियों से स्रावित होते हैं। इनके संश्लेषण का स्थान इनके क्रिया – क्षेत्र से दूर होता है।
> ऑक्जिन, जिबरेलिन्स एवं साइटोकाइनिन मुख्य वृद्धिवर्धक पदार्थ हैं, जबकि ऐबसिसिक एसिड वृद्धिरोधक पदार्थ है।
> अंडाशय से स्रावित हार्मोन बालिकाओं के शरीर में यौवनावस्था में होने वाली परिवर्तन को नियंत्रित करता है जबकि वृषण से स्रावित टेस्टोस्टेरॉन नामक हार्मोन्स पुरुषोचित लैंगिक लक्षणों का परिवर्द्धन करता है।
> लैंगरहैंस की द्विपिकाओं से स्रावित हार्मोन रक्त में ग्लूकोज की मात्रा का नियंत्रण करता है।
> एड्रीनल ग्रंथि का कार्टेक्स भाग ग्लूकोकार्टिक्वायड्स मिनरलोकार्टिक्वायड्स तथा लिंग-हार्मोन एवं मेडुला भाग एपिनेफ्रीन और मारएपिनेफ्रीन नामक हार्मोन्स स्रावित करते हैं।
> अभ्यासार्थ प्रश्न
> वस्तुनिष्ठ प्रश्न
1. सही उत्तर का संकेताक्षर ( क, ख, ग या घ) लिखें।
1. हमारे शरीर में विभिन्न जैविक कार्यों का नियंत्रण होता है
(क) तंत्रिका द्वारा
(ख) रसायनों द्वारा
(ग) तंत्रिका एवं रसायनों दोनों के द्वारा
(घ) कोई नहीं
उत्तर – (ग)
2. ऐबसिसिक एसिड किस तरह का रसायन है ?
(क) ऑक्जिन की तरह
(ख) जिबरेलिंस की तरह
(ग) साइटोकाइनिन की तरह
(घ) वृद्धिरोधक
उत्तर – (घ)
3. बीजरहित पौधों के उत्पादन में ये सहायक होते हैं
(क) साइटोकाइनिन
(ख) ऑक्जिन
(ग) जिबरेलिन्स
(घ) ऑक्जिन एवं जिबरेलिन्स दोनों
उत्तर – (घ)
4. इनमें कौन फल पकाने के लिए प्रयुक्त होते हैं ?
(क) ऑक्जिन
(ख) जिबरेलिन्स
(ग) एथिलीन
(घ) साइटोकाइनिन
उत्तर – (ग)
5. मस्तिष्क का कौन-सा भाग हृदय – स्पंदन तथा श्वसन गति की दर को नियंत्रित करता है ?
(क) संरीब्रम
(ख) मेडुला
(ग) सेरीबेलम
(घ) डाइनसेफलॉन
उत्तर – (ख)
6. इनमें कौन बुद्धि और चतुराई का केंद्र है ?
(क) सेरीबेलम
(ख) मेडुला
(ग) सेरीब्रम
(घ) कॉर्पस कैलोसम
उत्तर – (ग)
7. हार्मोन स्रावित होता है –
(क) अंतःस्रावी ग्रंथि से
(ख) बहिस्रावी ग्रंथि से
(ग) नलिका ग्रंथि से
(घ) कोई नहीं
उत्तर – (क)
8. एंड्रोजेन है—
(क) नरलिंग हॉर्मोन
(ख) स्त्रीलिंग हॉर्मोन
(ग) पाचक रस
(घ) पाराथाइरॉइड हार्मोन
उत्तर – (क)
9. एस्ट्रोजेन स्रावित होता है
(क) वृषण द्वारा
(ख) अंडाशय द्वारा
(ग) लैंगरहैंस की द्वीपिकाओं द्वारा
(घ) थाइरॉइड द्वारा
उत्तर – (ख)
II. रिक्त स्थानों को पूर्ति करें।
1. जीवों के जैव कार्यों के सफल संचालन के लिए अंगों का ………. आवश्यक है।
उत्तर – समन्वय और नियंत्रण
2. रासायनिक नियंत्रण में ……… की मदद से जैव कार्य सम्पन्न होते हैं।
उत्तर – हॉर्मोन्स
3. सभी जीवों के बाहरी एवं भीतरी वातावरण के बीच एक ……… बना रहता है।
उत्तर – संतुलन
4. ऑक्जिन मुख्यतः ………. पर पाए जाते हैं।
उत्तर – स्तंभ- शीर्ष
5. प्रत्येक न्यूरॉन में एक साइटॉन, एक ……….. तथा कई डेंड्राइट्स विद्यमान होते हैं।
उत्तर – एक्सॉन
6. मनुष्य के मस्तिष्क के तीन प्रमुख भाग अग्रमस्तिष्क ………. तथा ………. है।
उत्तर – मध्यमस्तिष्क, पश्चमस्तिष्क
7. रक्त में ग्लूकांज की मात्रा का नियंत्रण ……… नामक अंतःस्रावी ग्रंथि से स्रावित हॉर्मोनों के द्वारा होता है।
उत्तर – लैंगरहैंस द्वीपिकाए
अतिलघु उत्तरीय प्रश्न
1. पौधों में शारीरिक कार्यों का नियंत्रण किस विधि से होता है।
उत्तर – पौधों में शारीरिक कार्यों का नियंत्रण रासायनिक नियंत्रण विधि से होता है।
2. पौधों में हार्मोन्स की उत्पत्ति कहाँ होती है ?
उत्तर – पौधों में हार्मोन्स की उत्पत्ति पौधे के शीर्ष स्तम्भ में होती है।
3. किन्हीं दो पादप वृद्धिवर्धक पदार्थों के नाम लिखें।
उत्तर – (i) ऑक्जिन, (ii) जिबरेलिन ।
4. एक पादप वृद्धिरोधक हार्मोन का नाम लिखें।
उत्तर – ऐबसिसिक एसिड
5. फल पकानेवाले हार्मोन का क्या नाम है ?
उत्तर – एथिलीन।
6. पत्तियों के विलगन में किस कार्बनिक रसायन की मुख्य भूमिका रहती है ?
उत्तर – पत्तियों के विलगन में ऐबसिसिक अम्ल रसायन की मुख्य भूमिका रहती है।
7. पादप हार्मोन क्या है ?
उत्तर – पौधों के वृद्धि एवं समन्वय हेतु जिस रसायन का उपयोग होता है उसे पादप कहते हैं। हार्मोन
8. हार्मोन्स की कोई एक विशेषता लिखें।
उत्तर – हार्मोन्स पौधों की वृद्धि एवं प्रजनन में सहायक होता है।
9. तंत्रिकीय तंत्र की संरचनात्मक और कार्यात्मक इकाई क्या है।
उत्तर – तंत्रिकीय तंत्र की संरचनात्मक और कार्यात्मक इकाई नेफ्रॉन है।
10. मनुष्य के तंत्रिका तंत्र के तीन प्रमुख भागों के नाम लिखें।
उत्तर – (i) केन्द्रीय तंत्रिका तंत्र
(ii) परिधीय तंत्रिका तंत्र
(iii) स्वायत्त तंत्रिका तंत्र ।
11. केंद्रीय तंत्रिका तंत्र के निर्माण की दो प्रमुख रचनाएँ कौन-कौन-सी हैं ?
उत्तर – (i) मस्तिष्क, (ii) मेरुरज्जु
12. मस्तिष्क के चारों और स्थित पतली झिल्ली क्या कहलाती है ?
उत्तर – मस्तिष्क के चारों ओर स्थित पतली झिल्ली मेनिन्जेज कहलाती है।
13. अग्रमस्तिष्क के दो मुख्य भागों के नाम लिखें।
उत्तर – (i) ऑल फैक्ट्री, (ii) सेरेब्रम।
14. मस्तिष्क में वृद्धि और चतुराई का केंद्र क्या है ?
उत्तर – मस्तिष्क में वृद्धि और चतुराई का केंद्र सेरेब्रम है।
15. जंतुओं के शरीर में होनेवाली विभिन्न क्रियाओं का रासायनिक नियंत्रण और समन्वय किसके द्वारा होता है ?
उत्तर – जंतुओं के शरीर में होनेवाली विभिन्न क्रियाओं का रासायनिक नियंत्रण और समन्वय केन्द्रीय तंत्रिका तंत्र द्वारा होता है।
16. मनुष्य के शरीर में पाई जानेवाली तीन अंतःस्रावी ग्रंथियों के नाम लिखें।
उत्तर – (i) पीयूष ग्रंथि, (ii) हाइपोथैलेमस ग्रंथि, (iii) थाइरॉइड ग्रंथि
17. एड्रीनल ग्रंथि के कॉर्टेक्स भाग से स्रावित होनेवाले हार्मोन्स के नाम लिखें।
उत्तर – एल्डोस्टोरोन ।
18. थाइरॉक्सिन हार्मोन किसके द्वारा सावित होता है ?
उत्तर – थाइरॉक्सिन हार्मोन थाइरॉइड ग्रंथि द्वारा स्रावित होता है।
19. वृषण द्वारा स्रावित होनेवाले हॉर्मोन का क्या नाम है ?
उत्तर – टेस्टोस्टेरॉन
20. रक्त में उपस्थित ग्लूकोज की मात्रा को नियंत्रित करने वाला हॉर्मोन किस ग्रंथि द्वारा स्रावित होता है ?
उत्तर – रक्त में उपस्थित ग्लूकोज की मात्रा को नियंत्रित करने वाला हार्मोन अग्न्याशिक ग्रंथि (इन्सुलिन) स्रावित होता है।
> लघु उत्तरीय प्रश्न
1. जीवों के अंगों एवं अंगतंत्रों के कार्यों का समन्वय एवं नियंत्रण क्यों जरूरी होता है ?
उत्तर – अंगतंत्रों के विभिन्न अंगों के बीच समन्वय स्थापित करने के लिए नियंत्रण की आवश्यकता होती है। बिना नियंत्रण के अंगों के कार्य करने का समय एक नहीं होगा एवं वे व्यवस्थित ढंग से अपने कार्यों का संपादन नहीं कर सकेंगे। इसलिए, जीवों के विभिन्न अंगों एवं अंगतंत्रों का समन्वय एवं नियंत्रण उनके विभिन्न कार्यों के कुशल संचालन के लिए अनिवार्य है।
2. जिबरेलिन्स की मुख्य उपयोगिता क्या है ?
उत्तर – जिबरेलिन्स का मुख्य हॉर्मोन जिबरेलिक अम्ल है, जो जटिल कार्बनिक यौगिक है। कोशिका विभाजन एवं कोशिका- दीर्घन द्वारा ये पौधे के स्तंभ की लबाई में वृद्धि करते हैं। इनके उपयोग से वृहत आकार के फलों एवं फूलों का उत्पादन किया जाता है। बीजरहित फलों के उत्पादन में ये ऑक्जिन की तरह सहायक होते हैं।
3. ऑक्जिन की उत्पत्ति कहाँ होती है ?
उत्तर – ऑक्जिन पादप हार्मोन है। यह पौधे के स्तम्भ शीर्ष पर मुख्य रूप से संश्लेषित होने वाला कार्बनिक यौगिक है। जब पौधे पर प्रकाश पड़ता है तो ऑक्जिन प्ररोह के छाया वाले भाग की ओर विसरित हो जाता है। यह पौधे की तने की वृद्धि में सहायक होता है।
4. वृद्धि – नियंत्रण पदार्थ से क्या तात्पर्य है ?
उत्तर – वैसे पदार्थ जो सजीवों के सामान्य वृद्धि की क्रिया को प्रभावित करता है। इस पदार्थ के इस्तेमाल से पौधे एवं जन्तुओं में सामान्य रूप से होने वाली वृद्धि रुक जायेगी।
5. अगर स्तंभ शीर्ष काट दिया जाए तो पौधों पर क्या असर पड़ेगा ?
उत्तर – यदि स्तंभ का शीर्ष काट दिया जाए तो पौधे की लम्बाई में वृद्धि रुक जाती है और पाश्र्व शाखाएँ निकलने लगती हैं।
6. साइटोकाइनिन की कोशिका विभाजन में क्या उपयोगिता है ?
उत्तर – साइटोकाइनिन एक कार्बनिक पदार्थ है जो बीजों के भ्रूण पोष एवं पौधों की जड़ों में संश्लेषित होते हैं। यह कोशिका द्रव्य के विभाजन में मुख्य भूमिका अदा करता है। साइटोकाइनिन जीर्णता को रोकते हैं एवं पर्णहरित को काफी समय तक नष्ट नहीं होने देता है। इससे पत्तियाँ अधिक समय तक हरी एवं ताजी रहती हैं। इससे पौधे की कोशिका में ताजगी वर्त्तमान रहती है जिससे कोशिका का विभाजन आसानी से होता है।
7. छुई-मुई की पत्तियाँ किस गति को दर्शाता है ? हमारी टाँगों की गति से यह कैसे भिन्न है ?
उत्तर – पौधे में केवल रासायनिक नियंत्रण होता है। छुई-मुई की पत्तियों को छूने से उसमें उद्दीपन की क्रिया होती है। यह पौधे उद्दीपन के खिलाफ तुरन्त अनुक्रिया करता है और शीघ्रता से मुड़कर बन्द हो जाता है। इस प्रकार की गति का पौधे की वृद्धि से कोई संबंध नहीं है। जब
छुई-मुई की पत्तियों को छूते हैं तब स्पर्श की अनुक्रिया से पत्तियाँ जल की मात्रा में त्वरित परिवर्तन करती हैं जिससे ये अपनी आकृति बदल कर नीचे झुक जाती हैं। चूँकि पौधे में केवल रासायनिक नियंत्रण होता है। इसके विपरीत मानव में जटिल पेशीय और तंत्रिका नियंत्रण होता है। इसलिए हमारी टाँगों का नियंत्रण तंत्रिका द्वारा होता है जो उसकी गति से काफी भिन्न है।
8. पौधों में प्रकाश-अनुवर्तन किस प्रकार होता है ?
उत्तर – पौधों में प्रकाश की ओर गति तने के प्रकाश अनुवर्त्तन कहलाता है। इस प्रकार की गति तने के शीर्ष भाग या पत्तियों में स्पष्ट दिखाई देती है। पौधे में बाह्य उद्दीपनों को ग्रहण करने की क्षमता होती है। पौधे सूर्य के प्रकाश की ओर अनुक्रिया करते हैं। अर्थात् सूर्य के प्रकाश से उद्दीप्त होते हैं। इस कारण वह अनुक्रिया के रूप में उसी ओर वृद्धि करते हैं।
9. जंतुओं के शरीर में स्थित तंत्रिका तंत्र का क्या काम है ?
उत्तर – जंतुओं में तंत्रिका तंत्र विभिन्न प्रकार की आंतरिक संवेदना या उद्दीपन जैसे प्यास, भूख, तृष्णा, रोग इत्यादि तथः बल संवेदना या उद्दीपन जैसे भौतिक, रासायनिक, यांत्रिक या विद्युतीय प्रभावों को ग्रहण करने, शरीर के विभिन्न भागों में उनका संवहन करने तथा संवेदनाओं की प्रतिक्रिया व्यक्त करने के लिए अंगों को प्रेरित करने का कार्य करती हैं। तंत्र के विभिन्न भाग कौन-कौन से हैं तथा ये किन-किन
10. मनुष्य के तंत्रिका रचनाओं से बनते हैं ?
उत्तर – (i) केंद्रीय तंत्रिका तंत्र (Central nervous system) इस तंत्र में मस्तिष्क तथा रीढ़ रज्जु (spinal cord) सम्मिलित होते हैं।
(ii) परिधीय तंत्रिका तंत्र (Peripheral nervous system) — इसमें कपालीय तंत्रिकाएँ (cranial nerves) स्पाइनल, मेरू तंत्रिकाएँ (spinal nerves) तथा आंतरांगी तंत्रिकाएँ (visceral nerves) सम्मिलित होती हैं।
(iii) स्वायत तंत्रिका तंत्र (Autonomic nervous system) किया जाता है— यह दो प्रकार का स्वीकार
(क) अनुकंपी तंत्रिका तंत्र (Sympathetic nervous system)।
(ख) परानुकंपी तंत्रिका तंत्र (Parasympathetic nervous system)।
11. मस्तिष्क के महत्त्वपूर्ण कार्यों का उल्लेख करें।
उत्तर – मस्तिष्क तंत्रिका तंत्र का सबसे महत्वपूर्ण भाग है। इसके द्वारा विभिन्न जैव क्रियाओं का समन्वय एवं नियंत्रण होता है। मस्तिष्क सभी संवेदी अंगों से आवेशों को ग्रहण करता है और इसका विश्लेषण करता है। इसके बाद उचित निर्देश जारी करता है। मस्तिष्क संवेदी अंगों से एक साथ कई तरह के आवेग या संकेत प्राप्त कर सह-संबंधन करता है। इसके द्वारा ही सारे शरीर में उचित समन्वय एवं नियंत्रण होता है। यह सूचनाओं का संग्रहण करता है तथा चेतना को ज्ञान का रूप प्रदान कर संचित रखता है।
12. मनुष्य के शरीर में पाई जानेवाली अंतःस्रावी ग्रंथियों के नाम लिखें।
उत्तर – मनुष्य के शरीर में पाई जानेवाली अंतःस्रावी ग्रंथियाँ इस प्रकार हैं(i) पिट्यूटरी ग्रंथि (ii) थाइरॉइड ग्रंथि (iii) पाराथाइरॉयड ग्रंथि (iv) एड्रीनल ग्रंथि (v) अग्न्याशय की लैंगरहैंस द्वीपिकाएँ एवं (vi) जनन ग्रंथियाँ।
13. पिट्यूटरी ग्रंथि मास्टर ग्रंथि क्यों कहलाती है ?
उत्तर – पिट्यूटरी ग्रंथि, लाल भूरे रंग की, सेम के बीज के आकार की होती है, जो मस्तिष्क के आधार के पास स्थित होती है। ये ऑप्टिक कीएज्मा के पास होती है जहाँ से तंत्रिकायें आँखों में जाती हैं। यह ग्रंथि अन्य ग्रंथियों को भी नियंत्रित करती है, इसी कारण इसे मास्टर ग्रंथि कहा जाता है।
14. हार्मोन थाइरॉक्सिन का क्या महत्व है ?
उत्तर – थाइरॉक्सिन कार्बोहाइड्रेट, प्रोटीन तथा वसा के सामान्य उपापचय का नियंत्रण करता है। यह शरीर की सामान्य वृद्धि, विशेषकर हड्डियों, बालों इत्यादि के विकास के लिए अनिवार्य है।
> दीर्घ उत्तरीय प्रश्न
1. पादप हार्मोन के मुख्य उदाहरण लिखें एवं ऑक्जिन के प्रभावों का वर्णन करें।
उत्तर – पादप हार्मोन के मुख्य उदाहरण –
(i) ऑक्ज़िन ( Auxin )
(ii) जिबरेलिन्स (Gibberellins)
(iii) साइटोकाइनिन (Cytokinin)
(iv) ऐबसिसिक एसिड (Abscisic acid)
(v) एथिलीन (Ethylene ) ।
ऑक्जिन के प्रभाव–पौधे के स्तंभ शीर्ष पर मुख्यतः संश्लेषित होनेवाले ये कार्बनिक यौगिक कोशिका-विभाजन एवं कोशिका-दीर्घन में सहायता करते हैं। जब पौधों पर प्रकाश पड़ता है तो ऑक्जिन प्ररोह के छायावाले भाग की ओर विसरित हो जाता है।
कोशिका-दीर्घन के द्वारा ये ऑक्जिन तने की वृद्धि में सहायक होते हैं। यदि स्तंभ का शीर्ष काट दिया जाए तो पौधे की लंबाई में वृद्धि रुक जाती हैं और पाश्र्वं शाखाएँ निकलने लगती हैं। ये प्रायः बीजरहित फलों के उत्पादन में सहायक होते हैं।
2. वृद्धि नियंत्रण पदार्थ से आप क्या समझते हैं ? पौधों में रासायनिक समन्वय कैसे होता है ?
उत्तर – पौधों की जैविक क्रियाओं के बीच समन्वय स्थापित करनेवाले रासायनिक पदार्थ को पादप हार्मोन या फाइटोहॉमोन कहते हैं। ये पौधों की विभिन्न अंगों में बहुत लघु मात्रा में पहुँचकर वृद्धि एवं अनेक उपापचयी क्रियाओं को नियंत्रित एवं प्रभावित करते हैं। इनके संश्लेषण का स्थान इनके क्रियाक्षेत्र से दूर होता है एवं ये विसरण द्वारा क्रिया – क्षेत्र तक पहुँचते हैं। बहुत-से कार्बनिक यौगिक जो पौधों से उत्पन्न नहीं होते, परंतु पादप हार्मोन की तरह ही कार्य करते हैं उन्हें भी वृद्धि नियंत्रक पदार्थ कहा जाता है।
पौधों की विशेष कोशिकाओं द्वारा कुछ रासायनिक पदार्थ स्रावित होते हैं जिन्हें पादप हार्मोन कहते हैं। विभिन्न के पादप हार्मोन वृद्धि व विकास तथा बाह्य वातावरण के साथ समन्वय स्थापित करते हैं। ये पादप हार्मोन क्रिया स्थान से दूर कहीं स्रावित होकर विसरण द्वारा उस स्थान तक पहुँच कर कार्य करते हैं। *
3. जिबरेलिन्स एवं साइटोकाइनिन के कार्यों की विवेचना करें।
उत्तर – जिबरेलिन्स के कार्य –
(i) कोशिका विभाजन एवं कोशिका-दीर्घन द्वारा ये पौधे के स्तंभ की लंबाई में वृद्धि करते हैं।
(ii) इनके उपयोग से वृहत आकार के फलों एवं फूलों का उत्पादन किया जाता है।
(iii) बीजरहित फलों के उत्पादन में ये सहायक होते हैं।
> साइटोकाइनिन के कार्य –
(i) ये जीर्णता को रोकते हैं एवं पर्णहरित को काफी समय तक नष्ट नहीं होने देते हैं।
(ii) इससे पत्तियाँ अधिक हरी और ताजी बनी रहती हैं।
(iii) फलों और बीजों में इनकी सांद्रता अधिक रहती है।
4. तंत्रिका कोशिका या न्यूरॉन की संरचना का सचित्र वर्णन करें।
उत्तर – तंत्रिका कोशिका (न्यूरॉन) संदेशों का संवहन करने वाली मूल इकाई है। यह रूप से लंबी होती है। इसमें जीव द्रव्य से घिरा हुआ केंद्रक होता है। जीव द्रव्य से डेंड्राइटस अनेक छोटी-छोटी शाखाएँ निकलती हैं। इन शाखाओं में से एक शाखा अधिक लंबी होती इसे एक्सॉन कहते हैं। यह संदेशों को कोशिका से दूर ले जाता है। कोई भी तंत्रिका कोशिका दूसरी तंत्रिका कोशिका से जुड़ी हुई नहीं होती। इनके बीच कुछ रिक्त स्थान होता है जिसमें बहुत ही समीप का संवहन होता है। इसे अंतग्रंथन कहते हैं। यदि हमारे पैर में दर्द है तो इसकी सूचना पैर में स्थित संवेदी तंत्रिका कोशिका के डंड्राइट ग्रहण करते हैं। तंत्रिका कोशिका उसे विद्युत संकेत में बदल देती है। यह विद्युत संकेत तंत्रिकाक्ष के द्वारा. प्रवाहित होता है। अंतग्रंथन में होता हुआ यह मस्तिष्क तक पहुँचता है। मस्तिष्क संदेश ग्रहण कर उस पर अनुक्रिया करता है। प्रेरक तंत्रिका इस रेन्वीयन के नोडमायलन अवरण-अनुक्रिया को पैर की पेशियों तक पहुँचायी है और • पैर की पेशियाँ उचित अनुक्रिया करती हैं। तंत्रिका कोशिका (न्यूरॉन) तीन प्रकार की हैं।
(i) संवेदी तंत्रिकोशिका – शरीर के विभिन्न भागों से यह संवेदनाओं को मस्तिष्क की ओर ले जाती हैं।
(ii) प्रेरक तंत्रिकोशिका – यह मस्तिष्क से आदेशों को पेशियों तक पहुँचाती है।
(iii) बहुध्रुवी तंत्रिकोशिका — यह संवेदनाओं को मस्तिष्क की तरफ और मस्तिष्क से पेशियों की ओर ले जाने का कार्य करती हैं।
5. मनुष्य के मस्तिष्क की संरचना का सचित्र वर्णन करें।
उत्तर – मनुष्य का मस्तिष्क – मस्तिष्क एक अत्यन्त महत्त्वपूर्ण कोमल अंग है। तंत्रिका तंत्र के द्वारा शरीर की क्रियाओं के नियंत्रण और समन्वयन में सबसे महत्त्वपूर्ण भूमिका मस्तिष्क की होती है। मस्तिष्क खोपड़ी (skull) की मस्तिष्क गुहा या क्रेनियम (brain box or c • cranium ) के अन्दर सुरक्षित रहता है। यह चारों ओर से तन्तुमय संयोजी ऊतक (fibrous connective tissue) की एक झिल्ली से घिरा होता है जिसे मेनिंजीज ( meninges) कहते हैं। यह झिल्ली कोमल मस्तिष्क को बाहरी आघातों तथा दबाव से बचाता है। मेनिंजीज और मस्तिष्क के बीच सेरीब्रोस्पाइनल द्रव्य (cerebrospinal fluid) भरा होता है। मस्तिष्क की गुहा भी इस द्रव्य से भरी होती है। सेरीब्रोस्पाइनल द्रव्य मस्तिष्क को बाहरी आघातों से सुरक्षित रखने में मदद करता है तथा यह मस्तिष्क को नम बनाये रखता है।
मनुष्य का मस्तिष्क अन्य कशेरुकों की अपेक्षा ज्यादा जटिल और विकसित होता है। इसका औसत आयतन लगभग 1950 mL तथा औसत भार करीब 1.5 kg होता है। मस्तिष्क को तीन प्रमुख भागों में बाँटा गया है- 1. अग्रमस्तिष्क (forebrain), 2. मध्यमस्तिष्क (midbrain) तथा 3. पश्चमस्तिष्क (hindbrain) |
1. अग्रमस्तिष्क – यह दो भागों (क) प्रमस्तिष्क या सेरीब्रम (cerebrum) तथा (ख) डाइएनसेफलॉन (diencephalon) में बँटा होता है।
(क) प्रमस्तिष्क या सेरीब्रम – यह मस्तिष्क के शीर्ष, पार्श्व तथा पश्च भागों को ढँके रहता है। यह मस्तिष्क का सबसे बड़ा भाग (प्राय: 2/3 हिस्सा) है। यह एक अनुदैर्घ्य खाँच द्वारा दायें एवं बायें भागों में बँटा होता है, जिन्हें प्रमस्तिष्क गोलार्द्ध (cerebral hemisphere) कहते हैं। दोनों गोलार्द्ध तंत्रिका ऊतकों से बना कॉर्पस कैलोसम (corpus callosum) नामक रचना के द्वारा एक-दूसरे से जुड़े रहते हैं। गोलार्द्ध में अनेक अनियमिताकार उभरी हुई रचनाएँ होती हैं जिन्हें गाइरस (gyrus) कहते हैं। दो गाइरस के बीच अवनमन (depression) वाले स्थान को सल्कस (sulcus) कहते हैं। इनके कारण प्रमस्तिष्क वल्कुट (cerebral cortex) का बाहरी क्षेत्र (surface area) बढ़ जाता है। कॉर्टेक्स, सेरीब्रम का बाहरी मोटा धूसर आवरण है जिस पर अलग-अलग निर्दिष्ट केन्द्र (speech) होते हैं, जो विभिन्न शारीरिक क्रियाओं का नियंत्रण एवं समन्वय हैं।
> चित्र: मानव मस्तिष्क की संरचना
यह मस्तिष्क का अत्यन्त महत्त्वपूर्ण भाग है। यह बुद्धि और चतुराई का केन्द्र है। मानव में किसी बात को सोचने-समझने की शक्ति, स्मरण शक्ति, किसी कार्य को करने की प्रेरणा, घृणा, प्रेम, भय, हर्ष, कष्ट अनुभव जैसी क्रियाओं का नियंत्रण और समन्वय सेरीब्रम के द्वारा ही होता है। यह मस्तिष्क के अन्य भागों के कार्यों पर भी नियंत्रण रखता है। जिस व्यक्ति में यह औसत से छोटा होता है तथा गाइरस और सल्कस कम विकसित होते हैं, वह व्यक्ति मंद बुद्धि का होता है। –
(ख) डाइएनसेफलॉन – अग्रमस्तिष्क का यह भाग प्रमस्तिष्क गोलाद्धों के द्वारा ढँका होता है। यह कम या अधिक ताप के आभास तथा दर्द और रोने जैसी क्रियाओं का नियंत्रण करता है।
2. मध्यमस्तिष्क – यह मस्तिष्क स्टेम (brain stem) का ऊपरी भाग है। इसमें अनेक तंत्रिका कोशिकाएँ (केन्द्रिकाएँ) कई समूहों में उपस्थित होती हैं।
इसमें संतुलन एवं आँख की पेशियों को नियंत्रित करने के केन्द्र होते हैं।
3. पश्चमस्तिष्क – पृष्ठभाग में (क) अनुमस्तिष्क या सेरीबेलम (cerebellum) एवं अधरभाग में (ख) मस्तिष्क स्टेम (brain stem) मिलकर पश्चभाग बनाते हैं।
(क) अनुमस्तिष्क या सेरीबेलम – अनुमस्तिष्क मुद्रा (posture), समन्वय, संतुलन, ऐच्छिक पेशियों की गतियों इत्यादि का नियंत्रण करता है। यदि मस्तिष्क से सेरीबेलम को नष्ट कर दिया जाए तो सामान्य ऐच्छिक गतियाँ (normal voluntary movements) असंभव हो जायेंगी। उदाहरण के लिए, हाथों का परिचालन ठीक से नहीं होगा, अर्थात् वस्तुओं को पकड़ने
में हाथों को कठिनाई होगी, पैरों द्वारा चलना मुश्किल हो जाएगा आदि। इसका कारण यह है कि हाथों और पैरों की ऐच्छिक पेशियों का नियंत्रण सेरीबेलम के नष्ट होने से समाप्त हो जाता है। इसी प्रकार, बातचीत करने में कठिनाई होगी; क्योंकि तब जीभ और बड़ों की पेशियों के कार्यों का समन्वय नहीं हो पायेगा इत्यादि ।
(ख) मस्तिष्क स्टेम (Brain Stem) – इसके अंतर्गत (i) पॉन्स वैरोलाई (pons varolii) एवं (ii) मेडुला ऑब्लांगेटा (medulla oblongata) आते हैं ।
(i) पॉन्स वैरोलाई – तंत्रिका तन्तुओं से निर्मित पॉन्स (pons) मेडुला के अग्रभाग में स्थित होता है। यह श्वसन को नियंत्रित करता है।
(ii) मेडुला ऑब्लांगेटा – यह बेलनाकार रचना है जो पीछे की ओर स्पाइनल कॉर्ड या मेरुरज्जु के रूप में पाया जाता है। स्पाइनल कॉर्ड मस्तिष्क के पिछले सिरे से शुरू होकर रीढ़ की हड्डियों में न्यूरल कैनाल (neural canal) के अन्दर से होता हुआ नीचे की ओर रीढ़ के अंत तक फैला रहता है। इसी में अनैच्छिक क्रियाओं के नियंत्रण केन्द्र स्थित होते हैं।
मेडुला द्वारा आवेगों का चालन मस्तिष्क और मेरुरज्जु के बीच होता है। मेडुला में अनेक तंत्रिका केन्द्र होते हैं जो हृदयस्पंदन या हृदय की धड़कन (heartbeat), रक्तचाप (blood pressure) और श्वसन गति की दर ( rate of respiration) का नियंत्रण करते हैं। मस्तिष्क के इसी भाग द्वारा विभिन्न प्रतिवर्ती क्रियाओं, जैसे— खाँसना (coughing), छींकना (sneezing), उल्टी करना (vomiting), पाचन रसों के स्राव इत्यादि का नियंत्रण होता है।
6. मनुष्य के शरीर में पाई जानेवाली अंतःस्रावी ग्रंथियों के नाम लिखें। पिट्यूटरी ग्रंथि द्वारा स्रावित हॉर्मोनों के कार्यों का उल्लेख करें।
उत्तर – मनुष्य के शरीर में पाई जानेवाली अंतःस्रावी ग्रंथियाँ इस प्रकार हैं— (i) पिट्यूटरी ग्रंथि (ii) थाइरॉइड ग्रंथि (iii) पाराथाइरॉइड ग्रंथि (iv) एड्रीनल ग्रंथि (v) अग्न्याशय या लैंगरहैंस की द्वीपिकाएँ (vi) जनन ग्रंथियाँ: अंडाशय तथा वृषण।
> पिट्यूटरी ग्रंथि दो मुख्य भागों अग्रपिंडक तथा पश्चपिंडक में बँटा होता है।
अग्रपिंडक द्वारा सावित एक हार्मोन वृद्धि हार्मोन कहलाता है। यह शरीर की वृद्धि विशेषकर हड्डियों तथा मांसपेशियों के वृद्धि को नियंत्रित करता है। इस हार्मोन के अधिक मात्रा में स्राव से मनुष्य की लंबाई औसत से बहुत अधिक बढ़ जाती है। हड्डियाँ भारी तथा मोटी हो जाती हैं। इस अवस्था को वृहत्तता या जाइगौटिज्म कहते हैं। बाल्यावस्था में इस हार्मोन के कम स्राव से शरीर की वृद्धि रुक जाती है, जिससे मनुष्य में बौनापन हो जाता है।
अग्रपिंडक द्वारा स्रावित अन्य हॉर्मोन नर में शुक्राणु तथा मादा में अंडाणु बनने की क्रिया को नियंत्रित करते हैं। एक अन्य हॉर्मोन मादा के स्तनों को दुग्ध-स्राव के लिए उत्तेजित कराता है। पश्चपिंड द्वारा स्रावित हार्मोन शरीर में जल संतुलन को बनाए रखने में सहायक होता है। पश्चपिंड से स्रावित एक अन्दर हॉर्मोन मादा में बच्चे के जनन में सहायक होता है।
7. एड्रीनल और जनन ग्रंथियों द्वारा स्रावित हॉर्मोनों और उनके कार्यों का उल्लेख करें।
उत्तर – एड्रीनल ग्रंथि – इसे सुप्रारीनल ग्लैण्ड भी कहते हैं। यह प्रत्येक वृक्क के ऊपरी पर अन्दर की ओर स्थित रहती है। इसके दो भाग कार्टिक्स एवं मेडुला होते हैं। ये दोनों भाग कार्यात्मक रूप से तथा उत्पत्ति में भी एक-दूसरे से भिन्न होते हैं। एड्रिनल ग्रंथि कॉर्टेक्स से निम्न हॉर्मोन्स स्रावित होते हैं
1. ग्लूको कार्टिक्वायड्स – यह हॉर्मोन भोज्य उपापचय में महत्त्वपूर्ण भूमिका निभाती है। ये कार्बोहाइड्रेट, प्रोटीन एवं वसा उपापचय का नियंत्रण करते हैं। शरीर में जल एवं इलेक्ट्रोलाइट्स के नियंत्रण में सहायता करता है।
2. मिनरलोकार्टिक्वायड्स – इनका मुख्य कार्य वृक्क नलिकाओं द्वारा लवण के पुनः अवशोषण एवं शरीर में अन्य लवणों की मात्रा का नियंत्रण करता है। यह हॉर्मोन शरीर में जल संतुलन को भी नियंत्रित करते हैं।
3. लिंग हॉर्मोन – ये हॉर्मोन पेशियों तथा हड्डियों के परिवर्द्धन, बाह्य लिंगों, बालों के आने का प्रतिमान एवं यौन आचरण को नियंत्रित करते हैं।
उपर्युक्त तीनों हॉर्मोन्स एड्रिनल कॉर्टेक्स द्वारा स्रावित होते हैं ।
एड्रिनल मेडुला द्वारा निम्न हॉर्मोन स्रावित होते हैं —
1. एपिनेफ्रीन – यह भय, गुस्सा, उत्तेजना, तनाव के कारण स्रावित होता है। इसके स्राव से चेहरे पर तनाव, गुस्सा, भय आदि का भाव स्पष्ट दिखाई देता है। यह रक्त शर्करा की मात्रा को बढ़ाता है।
2. नॉरएपिनेफ्रीन – यह हृदय पेशियों की उत्तेजनशीलता एवं संकुचनशीलता को तेज करते हैं। फलस्वरूप रक्तचाप बढ़ जाता है। इस कारण रक्त में शर्करा की मात्रा बढ़ जाता है।
> जनन ग्रंथि– जनन कोशिकाओं के निर्माण के महत्वपूर्ण कार्य के अतिरिक्त जनन-ग्रंथियों अंतःस्रावी ग्रंथियों के रूप में भी कार्य करती है।
> अंडाशय — अंडाशय के द्वारा कई हॉर्मोनों का स्राव होता है। बालिकाओं के शरीर में यौवनावस्था में होनेवाले सभी परिवर्तन इन हॉर्मोनों के कारण ही होते हैं।
> वृषण – वृषण द्वारा स्रावित हॉर्मोनों को एंड्रोजेन्स कहते हैं। सबसे प्रमुख एंड्रोजेन हॉर्मोन को टेस्टोस्टेरॉन कहते हैं। यह हॉर्मोन पुरुषोषित लैंगिक लक्षणों के परिवर्द्धन एवं यौन-आचरण को प्रेरित करता है ।
> अन्य महत्त्वपूर्ण प्रश्न एवं उनके उत्तर
> वस्तुनिष्ठ प्रश्न
1. प्रत्येक प्रश्न में दिये गये बहुविकल्पों में सही उत्तर चुनें।
1. आयोडीन की कमी से कौन-सा हॉर्मोन कम बनता है ?
(क) थाइरॉक्सिन
(ख) एस्ट्रोजन
(ग) टेस्टोस्टोरेन
(घ) कोई नहीं
उत्तर – (क)
2. निम्नलिखित में कौन-सा पादप हार्मोन है ?
(क) इंसुलिन
(ख) थायरॉक्सिन
(ग) एस्ट्रोजन
(घ) साइटोकाइनिन
उत्तर – (घ)
3. दो तंत्रिका केशिका के मध्य खाली स्थान को कहते हैं ?
(क) द्रुमिका
(ख) सिनेटिक दरार
(ग) एक्जॉन
(घ) आवेग
उत्तर – (ख)
4. मस्तिष्क उत्तरदायी है
(क) सोचने के लिए
(ख) हृदय स्पंदन के लिए
(ग) शरीर का संतुलन बनाने के लिए
(घ) उपर्युक्त सभी
उत्तर – (घ)
5. पौधों की वृद्धि को नियंत्रित करने वाले हार्मोन, जंतुओं द्वारा स्रावित हार्मोन से भिन्न होते हैं क्योंकि ये उत्पन्न होते हैं
(क) जटिल कार्बोहाइड्रेट से
(ख) प्रोटीन से
(ग) संतृप्त वसा से
(घ) (क) और (ग) दोनों से
उत्तर – (ख)
6. अधिकतर पादप नियंत्रक उत्पन्न होते हैं:
(क) बढ़ते तने के अग्र भाग पर
(ख) बढ़ती जड़ के अग्र भाग पर
(ग) फ्लोएम की संवहनी नलियों पर
(घ) (क) और (ग) दोनों पर
उत्तर – (घ)
7. बीजरहित फलों के बनने को कहते हैं
(क) अनिषेक फलन
(ख) अनिषेक अण्डपी
(ग) अग्र प्रभाविकता
(घ) इनमें कोई नहीं
उत्तर – (क)
8. निम्नलिखित पादप नियंत्रकों में से कौन वृद्धिरोधक है ?
(क) ऐब्सिसिक अम्ल
(ख) ऑक्सिन
(ग) जिबरेलिन
(ग) इथाइलीन
उत्तर – (क)
9. निम्न में से कौन गैसीय अवस्था में पाया जाता है
(क) जिबरेलिन
(ख) ऑक्सिन
(घ) इथाइलीन
(घ) ऐब्सिसिक अम्ल
उत्तर – (ग)
10. कौन-सा पादप नियंत्रक फल बेचने वालों द्वारा उपयोग किया जाता है ?
(क) ऐब्सिसिक अम्ल
(ख) जिबेरेलिन
(ग) इथाइलीन
(घ) ऑक्सिन
उत्तर – (ग)
11. पौधे की ऊँचाई इसके कारण बढ़ती है :
(क) ऑक्सिन
(ख) साइटोकाइनिन
(ग) जिबेरेलिन
(घ) इथाइलीन
उत्तर– (क)
12. वह संरचना जो उद्दीपन की पहचान कराती हैं, कहलाती है
(क) ग्राही
(ख) प्रभावक
(घ) बेचैनी
(ग) उत्तरदायित्व
उत्तर – (क)
13. निम्नलिखित में से कौन-सी एक अंतःस्रावी और बाह्य स्रावी ग्रंथि दो प्रकार की होती है ?
(क) अग्न्याशय
(ख) थायराइड
(ग) पैराथायराइड
(घ) पिट्यूटरी
उत्तर – (क)
14. निम्नलिखित में से कौन-सी मास्टर ग्रंथि कहलाती है ?
(क) एड्रीनल
(ख) थायराइड
(ग) पैराथायराइड
(घ) पिट्यूटरी
उत्तर – (घ)
15. नर हार्मोन का नाम है :
(क) एड्रीनलिन
(ख) इन्सुलिन
(ग) टेस्टोस्टीरोन
(घ) एस्ट्रोजन
उत्तर – (ग)
16. इंसुलिन का स्राव होता है :
(क) थायराइड के द्वारा
(ख) पैराथाइराइड के द्वारा
(ग) अग्न्याशय के द्वारा
(घ) एस्ट्रोजन के द्वारा
उत्तर – (ग)
17. कौन-सी अंत: स्रावी ग्रंथि वृक्क के दोनों ओर ऊपर स्थित होती है ?
(क) गोनेड्स
(ख) पिट्यूटरी
(ग) अग्न्याशय
(घ) एड्रीनल
उत्तर – (घ)
18. उस ग्रंथि का नाम बताओ जो मस्तिष्क के आधार पर स्थित होती है :
(क) पिट्यूटरी
(ख) पैराथायराइड
(ग) अग्न्याशय
(घ) एड्रीनल
उत्तर – (घ)
19. कौन-सी नलिका विहीन ग्रंथि है ?
(क) गैस्ट्रिक
(ख) लैचरीमल
(ग) एड्रीनल
(घ) सलाइवरी
उत्तर – (ग)
20. तंत्रिका तंत्र की रचनात्मक तथा कार्यात्मक इकाई है
(क) मस्तिष्क
(ख) तंत्रि-कोशिका
(ग) मेरुरज्जु
(घ) तंत्रिका
उत्तर – (ख)
21. जब पादप वृद्धि काल में एकदिशीय प्रकाश से प्रदीप्तित होता है तो वह प्रकाश की दिशा में झुकने की अनुक्रिया करता है, उसे कहते हैं –
(क) प्रकाशानुवर्तन
(ख) रसायनानुवर्तन
(ग) गुरुत्वानुवर्तन
(घ) इनमें से कोई नहीं
उत्तर – (क)
22. जीवों में ध्वनि ग्रहण करने के लिए संवेदी अंग है
(क) प्रकाशग्राही
(ख) घ्राणग्राही
(ग) श्रवणग्राही
(घ) स्पर्शग्राही
उत्तर – (ख)
23. शरीर की सबसे बड़ी कोशिका है –
(क) तंत्रिकोशिका
(ख) श्वेत रुधिर कणिकाएँ
(ग) लाल रुधिर कणिकाएँ
(घ) त्वचा कोशिका
उत्तर – (क)
24. मानव शरीर में मास्टर ग्रंथि है:
(क) परावटु ग्रंथि
(ख) एड्रीनल ग्रंथि
(ग) अवटु ग्रंथि
(घ) पीयूष ग्रंथि
उत्तर – (घ)
25. पादप की लम्बाई में वृद्धि निम्न में से किसके कारण होती है
(क) ऑक्सिन
(ख) साइटोकाइनिन
(ग) जिबेरेलिन
(घ) ऐब्सिसिक अम्ल
उत्तर – (क)
26. वृक्क के ऊपर स्थित अंतःस्रावी ग्रंथि है
(क) पीयूष ग्रंथि
(ख) पिनियल ग्रंथि
(ग) अधिवृक्क ग्रंथि
(घ) अवटु
उत्तर – (ग)
II. रिक्त स्थानों को उपयुक्त शब्दों या अंकों से भरें।
1. पिट्यूटरी ग्रंथि ……….. का नियंत्रण करती है।
उत्तर – अंतःस्रावी ग्रंथि
2. बीज रहित फल को बनाने को ……..कहते हैं।
उत्तर – अनिषेक फलन
3. थाइराइड …….. के समीप स्थित होती है।
उत्तर – ग्रसनी
4. ……….. ग्रंथि को मास्टर ग्रंथि कहते हैं।
उत्तर – पिट्यूट
5. जिबरेलिन्स की खोज ……….. ने की थी।
उत्तर – करासेव
6. अंत: स्रावी ग्रंथियाँ अपना स्राव …………..में स्रावित करती हैं।
उत्तर – रुधिर
7. ……….. पौधे के बीजों के भ्रूणपोष एवं जड़ों में संश्लेषित होते हैं।
उत्तर – साइटोक
8. ऐबसिसिक अम्ल………. और ……… नियंत्रण करता है |
उत्तर – तना, फलों का खिलना
9. वह हॉर्मोन जो शरीर को आपातकाल के लिए तैयार करता है ……….. है ।
उत्तर – नॉन एड्रीनलिन
10. कार्टेक्स और मेडुला ……… के दो भाग हैं।
उत्तर – एड्रीनल ग्रंथि
11. डायबिटीज ………. की कमी से होती है जबकि डायबिटीज मैलीटस ………. कमी के कारण होती है।
उत्तर – इंसुलिन, ADH
12. मादा के द्वितीय जनन अंगों के गुण यौवनारंभ में हैं ……… के द्वारा उद्दीपित होते है जबकि नर में ………….. के द्वारा उद्दीपन होते हैं।
उत्तर – प्रोजेस्टोरोन, टेस्टोस्टोरेन
> अतिलघु उत्तरीय प्रश्न
1. जंतुओं में समन्वय और नियंत्रण संबंधी तंत्र का नाम लिखिए।
उत्तर – (i) तंत्रिका तंत्र, (ii) हॉर्मोन या अंतःस्रावी तंत्र ।
2. तंत्रिका तंत्र के संरचनात्मक और क्रियात्मक इकाई का नाम लिखिए।
उत्तर – तंत्रिका कोशिका या न्यूरॉन
3. मानव शरीर में सबसे लम्बी कोशिका का नाम लिखिए।
उत्तर – तंत्रिका कोशिका या न्यूरॉन ।
4. तंत्रिका तंत्र कितने प्रकार का होता है ?
उत्तर – (i) केंद्रीय तंत्रिका तंत्र, (ii) परिधीय तंत्रिका तंत्र ।
5. न्यूरॉन किसे कहते हैं ?
उत्तर – न्यूरॉन या तंत्रिका कोशिका तंत्रिका तंत्र की संरचनात्मक और क्रियात्मक इकाई होती है।
6. तंत्रिका तंत्र के किस भाग द्वारा अनैच्छिक क्रियाओं का नियंत्रण होता है ?
उत्तर – मेरुरज्जु ।
7. जिबरेलिन पौधे के किस भाग में पाये जाते हैं ?
उत्तर – तनों और अग्रस्थ भागों में।
8. किस अन्तःस्रावी ग्रन्थि को मास्टर ग्रन्थि कहते हैं ?
उत्तर – पीयूष ग्रन्थि को
9. मानव शरीर में लैंगरहैंस द्वीपिकाएँ कहाँ पायी जाती हैं ?
उत्तर – अग्न्याशय में।
10. रक्त में इन्सुलिन हार्मोन की सान्द्रता के घटने से कौन-सी बीमारी होती है ?
उत्तर – बहुमूत्रता (डायबिटीज इनसिपिडस) ।
11. प्रतिवर्ती क्रिया तंत्रिका तंत्र के किस भाग द्वारा संचालित की जाती है ?
उत्तर – मेरुरज्जु ।
12. न्यूरॉन किसे कहते हैं ?
उत्तर – तंत्रिका कोशिकाओं को न्यूरॉन कहते हैं।
13. जन्तुओं में समन्वय और नियंत्रण संबंधी तंत्र का नाम लिखें।
उत्तर – (a) तंत्रिका तंत्र, (b) हॉर्मोन या अंतःस्रावी तंत्र।
14. तंत्रिका तंत्र का संरचनात्मक और क्रियात्मक इकाई का नाम लिखें।
उत्तर – तंत्रिका कोशिका या न्यूरॉन ।
15. मानव शरीर में सबसे लम्बी कोशिका का नाम लिखें।
उत्तर – तंत्रिका कोशिका या न्यूरॉन ।
16. तंत्रिका तंत्र के अतिरिक्त शरीर में नियंत्रण और समन्वय के लिए एक अन्य तंत्र होता है, इसका नाम लिखें।
उत्तर – तंत्रिका तंत्र के अतिरिक्त शरीर में नियंत्रण और समन्वय हॉर्मोन या अंतःस्रावी तंत्र द्वारा होता है।
17. केन्द्रीय तन्त्रिका तंत्र के विभिन्न भागों के नाम लिखें।
उत्तर – (a) मस्तिष्क, (b) मेरुरज्जु ।
18. दो न्यूरॉन के बीच सन्धि का नाम लिखें।
उत्तर – अंतर्ग्रथन ।
19. तंत्रिका के अंतिम भाग का नाम लिखें।
उत्तर – अंतर्ग्रथन ।
20. प्रतिवर्ती क्रिया एक विशेष तंत्रिका तंत्र द्वारा किया जाता है, इसका नाम लिखें।
उत्तर – मेरुरज्जु ।
21. प्रतिवर्ती क्रिया के पथ को क्या कहते हैं ?
उत्तर – प्रतिवर्ती चाप ।
22. तंत्रिका तंत्र के मुख्य नियंत्रक अंग का नाम लिखें।
उत्तर – मस्तिष्क ।
23. मस्तिष्क को सुरक्षा प्रदान करने वाले अस्थिकवच का नाम लिखें।
उत्तर – कपाल गुहा या खोपड़ी।
24. मस्तिष्क को बाह्य आघातों से सुरक्षा प्रदान करने वाले द्रव को क्या कहते हैं ?
उत्तर – सेरिब्रोस्पाइनल द्रव ।
25. एक पादप हॉर्मोन का उदाहरण दें जो वृद्धि को बढ़ाता है।
उत्तर – जिबरेलिन।
26. मानव मस्तिष्क का कौन-सा भाग देखने और सूँघने का कार्य करता है ?
उत्तर – प्रमस्तिष्क ।
27. मस्तिष्क कौन-सा भाग शरीर की स्थिति तथा संतुलन का अनुरक्षण करता है ?
उत्तर – अनुमस्तिष्क ।
28. श्वसन क्रिया का नियंत्रण मस्तिष्क के किस भाग द्वारा होता है ?
उत्तर – पॉन्स।
29. मानव मस्तिष्क का कौन-सा भाग बुद्धि एवं याददाश्त के लिए उत्तरदायी है ?
उत्तर – प्रमस्तिष्क ।
30. जन्तुओं में रासायनिक नियंत्रण एवं समन्वय के लिए उत्तरदायी पदार्थ का नाम लिखें।
उत्तर – हॉर्मोन।
31. जन्तुओं में सूचनाएँ संचरित करने वाले रसायन का नाम लिखें।
उत्तर – हॉर्मोन।
32. उन ग्रन्थियों का नाम लिखें जो हॉर्मोन का स्रावण करती हैं।
उत्तर – अंतःस्रावी ग्रन्थियाँ |
33. उस अंतःस्रावी ग्रन्थि का नाम लिखें जो युग्मक उत्पन्न करती है।
उत्तर – वृषण और अण्डाशय।
34. मानव शरीर में रक्त शर्करा घटाने में कौन-सा हॉर्मोन सहायक है ?
उत्तर – इंसुलिन रक्त शर्करा को घटाता है।
35. दो तंत्रिका कोशिका के मध्य खाली स्थान को क्या कहते हैं ?
उत्तर – सिनैप्स।
36. दो तंत्रिका कोशिकाओं की दुमिकाओं के सन्धिस्थल को क्या कहते हैं ?
उत्तर – अन्तर्ग्रथन या सिनैप्स।
37. शरीर का प्रमुख समन्वय केन्द्र क्या है ?
उत्तर- मस्तिष्क ।
38. पराग नलिका का बीजांड की ओर वृद्धि करना किस प्रकार का अनुवर्तन है ?
उत्तर – रसायनानुवर्तन ।
39. किन्हीं दो प्रकार के अनुवर्तन के नाम बताइए।
उत्तर – गुरुत्वानुचलन, प्रकाशानुचलन।
40. विभिन्न पादप हॉमोंनों का उल्लेख कीजिए।
उत्तर- (अ) ऑक्सिन (ब) जिबरेलिन (स) साइटोकाइनिन (द) एब्सेिसिक अम्ल (य) इथाइलीन ।
41. अनुवर्तन तथा अनुकुंचन गतियों में अंतर लिखिए।
उत्तर – अनुवर्तिनी गति वह होती है जो पौधों में बाह्य उद्दीपनों के कारण होती है जबकि नेस्तिक गति वह होती है जो कुछ पौधों में न तो उद्दीपन के नजदीक होती और न दूर।
42. मस्तिष्क के उभार और खोंच को क्या कहते हैं ?
उत्तर – उभार को गायरी और खींच को सुलसाई कहते हैं।
43. पश्च मस्तिष्क के भागों के नाम बताएँ।
उत्तर – पश्च मस्तिष्क के भाग हैं — 1. सेरेबलम 2. पोन्स 3. मस्तिष्क पुच्छ।
44. मस्तिष्क के उस भाग का नाम बताएँ जो शरीर के संतुलन और आकार को नियंत्रित करता है।
उत्तर – अनुमस्तिष्क पश्चमस्तिष्क का भाग होता है जो संतुलन और प्रचलन को नियंत्रित करता है।
45. मेरुरज्जु में धूसर द्रव की स्थिति क्या होती है ?
उत्तर – धूसर द्रव मेरुरज्जु की आंतरिक सतह पर स्थित होता है।
46. न्यूरॉन क्या है ?
उत्तर – यह तंत्रिका की क्रियात्मक इकाई है। इसे तंत्रिका कोशिका भी कहते हैं।
47. मस्तिष्क के प्रतिवर्ती केन्द्र का नाम बताएँ।
उत्तर – मस्तिष्क पुच्छ, मस्तिष्क का प्रतिवर्ती केन्द्र होता है।
48. प्रतिवर्ती क्रिया क्या है ?
उत्तर – जंतु की बिना इच्छा के अपने आप उद्दीपन के प्रति होने वाली क्रिया को प्रतिवर्ती क्रिया कहते हैं। यह मेरुरज्जु द्वारा नियंत्रित होती है।
49. तंत्रिका तंत्र की रचनात्मक और क्रियात्मक इकाई क्या है ?
उत्तर – न्यूरॉन या तंत्रिका कोशिका |
50. बेसिक मेटाबोलिक दर क्या है ?
उत्तर – BMR = Basic Metabolic Rate (बेसिक मेटाबोलिक दर)। यह थायरॉक्सिन से प्रभावित होता है। यह हाइपर थायइरोडिज्म में बढ़ता है और हाइपोथाइरोडिज्म में घटती है।
51. लिंग या सेक्स हार्मोन क्या है ?
उत्तर – टेस्टोस्टीरोन जो वृषण में स्राव होती है। इस्ट्रोजन और प्रोजेस्टोरेन दोनों अंडाशयों में स्रावित होते हैं।
52. हृदय के ठीक ऊपर उपस्थित ग्रंथि का नाम बताएँ।
उत्तर – थायराइड ग्रंथि ।
53. उस अंतःग्रंथि का नाम बताएँ जो चार कक्षीय होती हैं।
उत्तर – पैराथाइराइड ग्रंथि।
54. उन हॉर्मोनों के नाम बताएँ जो उत्पन्न करते हैं—(अ) ग्राफियन फोलिकिल (ब) कार्पस ल्यूटियम
उत्तर – एस्ट्रोजन हॉर्मोन, अण्डाशय के ग्रेफियन पुट्टिकाओं द्वारा स्रावित होता है और प्रोजेस्टीरोन हॉर्मोन, कार्पस ल्यूटियम द्वारा स्रावित होता है।
55. इंसुलिन की कमी से होने वाली बीमारी का नाम बताएँ।
उत्तर – मधुमेह या डायबिटीज
56. किसी विषम स्रावी ग्रंथि का नाम बताएँ।
उत्तर – अग्न्याशय ग्रंथि।
57. उस हॉर्मोन का नाम बताएँ जो एंटी इन्फ्लेमीटरी होता है ।
उत्तर – सैमेट्रो ट्रोफियो हॉर्मोन (STH), जो पिट्यूटरी ग्रंथि के अग्र भाग में स्रावित होता है।
58. वृषण में उपस्थित उन कोशिकाओं के नाम बताएँ जो टेस्टोस्टीरोन का स्राव करती हैं।
उत्तर – लैडिंग की कोशिकाएँ टेस्टोस्टीरोन हार्मोन का साथ करती हैं। इन्हें अन्तराली कोशिकाएँ भी कहते हैं।
59. PNS और CNS का पूरा नाम लिखें।
उत्तर – PNS = पैरीफ्रेरल तंत्रिका तंत्र (Peripheral Nervous System)।
CNS = केंद्रीय तंत्रिका तंत्र (Central Nervous System) ।
60. मनुष्य के मस्तिष्क के पूर्ण विकसित होने पर उसका भार कितना होता है ?
उत्तर – मनुष्य के पूर्ण विकसित मस्तिष्क का भार 1200-1400 ग्राम होता है।
61. मस्तिष्क के सबसे बड़े भाग का नाम बताएँ।
उत्तर – प्रमस्तिष्क, मस्तिष्क का सबसे बड़ा भाग है ।
62. उस बक्स का नाम बताएँ जिसमें मस्तिष्क स्थित होता है।
उत्तर – मस्तिष्क खोपड़ी के मस्तिष्क कोष में स्थित होता है।
63. अनुमस्तिष्क गोलार्द्ध के कार्य बताइये।
उत्तर – इसके दो गोलार्द्ध होते हैं जो बुद्धि, यादगार, भाषण और ऐच्छिक पेशीय गतियों को नियंत्रित करते हैं।
64. पादप हार्मोन के दो उदाहरण दीजिए।
उत्तर – (i) ऑक्सिन (ii) जिबरेलिन (iii) साइटोकाइनिन (iv) इथाइलीन।
65. पौधों में वृद्धि नियंत्रक का नाम बताएँ।
उत्तर – ऑक्सिन।
66. कोई व्यक्ति डायबिटीज से क्यों प्रभावित होता है ?
उत्तर – अग्न्याशय की ‘B’ कोशिकाओं के द्वारा स्रावित हॉर्मोन इंसुलिन की कमी से डायबिटीज होती है।
67. ABA का पूर्ण रूप लिखिए।
उत्तर – ABA = एब्सिसिक अम्ल ।
68. जिबरेलिन के मुख्य कार्य बताइये।
उत्तर – यह तने की गाँठों के बढ़ने को नियंत्रित करता है जिससे तना लम्बाई में बढ़ता है।
69. बीज सुषुप्तावस्था क्या है ?
उत्तर – वृद्धिरोधक को जिबरेलिन नियंत्रित करता है जो सुषुप्त अवस्था उत्पन्न करते हैं।
70. फाइटोक्रोम क्या है ?
उत्तर – पौधों द्वारा प्रकाश के प्रभाव को उद्दीपित, जो एक विशिष्ट वर्णक के द्वारा होता है, इसे फाइटोक्रोम कहते हैं।
71. एक फाइटोक्रोम का नाम बताएँ जो वृद्धि रोकता है।
उत्तर – एब्सिसिक अम्ल।
72. क्या पौधों तथा जन्तुओं में वृद्धि एक जैसी होती है ?
उत्तर – नहीं, पौधों तथा जन्तुओं की वृद्धि में अन्तर होता है।
73. तापमान का पौधों की वृद्धि पर क्या प्रभाव पड़ता है ?
उत्तर – कुछ पौधे ठण्डी जलवायु में वृद्धि करते हैं और कुछ गर्म जलवायु में क्योंकि उन्हें निम्न अथवा उच्च ताप की आवश्यकता पड़ती है।
74. प्रकाश किस प्रकार वृद्धि को प्रभावित करता
उत्तर – क्लोरोफिल प्रकाश का अवशोषण करते हैं जो प्रकाश संश्लेषण के लिए आवश्यक है।
75. फाइटोक्रोम का वृद्धि में क्या योगदान है
उत्तर – फाइटोक्रोम पौधों में प्रकाश अवशोषित करने वाला वर्णक है जो बीज के अंकुरण तथा पुष्पन में योगदान करता है।
76. मेरुरज्जु आघात में किन संकेतों के आने में व्यवधान होगा ?
उत्तर – बेहोश हो जाना, पक्षाघात, मृत्यु ।
77. कौन-सी अन्तःस्रावी ग्रन्थि एड्रिनलीन हॉर्मोन का स्राव करती है ?
उत्तर – इन्सुलीना
78. कौन-सा हॉर्मोन रुधिर में शर्करा की मात्रा को नियंत्रित करता है ?
उत्तर – टेस्टोस्टेरॉन।
79. यौवनारम्भ से सम्बन्धित किसी एक हॉर्मोन का नाम लिखें।
उत्तर – हॉर्मोनों द्वारा।
80. पादप में रासायनिक समन्वय किस प्रकार होता है ?
उत्तर – पादप हॉर्मोन।
> लघु उत्तरीय प्रश्न ।
1. नियंत्रण और समन्वय क्या है ?
उत्तर – जीवधारियों के शरीर में प्राकृतिक रूप से उपलब्ध ऐसी रासायनिक और शरीर क्रियात्मक व्यवस्था जिसके द्वारा शारीरिक क्रियाएँ आवश्यकतानुसार नियंत्रण में रहती हैं और विभिन्न अंगों के बीच आपसी ताल-मेल बना रहता है नियंत्रण और समन्वयन कहलाती है।
2. तंत्रिका कोशिका क्या है ?
उत्तर – बहुकोशिकीय प्राणियों के तंत्रिका की संरचनात्मक तथा क्रियात्मक इकाई को तंत्रिका तंत्र कहते हैं। यह कोशिका उद्दीपनों के प्रति अनुक्रिया करने में महत्त्वपूर्ण भूमिका निभाती है।
3. प्रतिवर्ती चाप किसे कहते हैं ? इसके कौन-कौन-से भाग होते हैं ? इसे रेखाचित्र द्वारा दर्शाएँ।
उत्तर : प्रतिवर्ती क्रियाएं स्वायत्त प्रेरक के प्रत्युत्तर हैं। ये क्रियाएं मस्तिष्क की इच्छा के बिना होती हैं। इसलिए ये अनैच्छिक क्रियाएं हैं। यह बहुत स्पष्ट और यांत्रिक प्रकार की हैं। जैसे-जब हमारी आंखों पर तेज़ रोशनी पडती है तो हमारी आंख की पुतली अचानक छोटी होने लगती है। यह क्रिया तुरंत और हमारे मस्तिष्क पीछे की इच्छा के बिना होती है।
प्रतिवर्ती क्रियाएँ मेरुरज्जु द्वारा नियंत्रित पेशियों द्वारा अनैच्छिक क्रियाएं होती हैं जो प्रेरक के प्रत्युत्तर में होती हैं।
यदि शरीर के किसी भाग में अचानक एक पिन चुभोया जाए तो संवेदियों द्वारा प्राप्त यह उद्दीपक इस क्षेत्र के एफैरेंट तंत्रिका तन्तु को उद्दीपित करता है। तंत्रिका तंत्र मेरु तंत्रिका के पृष्ठीय पथ द्वारा इस उद्दीपक को मेरुरज्जु तक ले जाता है।
मेरुरज्जु से यह उद्दीपन के अधरीय पथ द्वारा एक या अधिक इफैरेंट (Efferent) तंत्रिका तंतु में पहुंचता है। इफैरेंट तंत्रिका तंतु प्रभावी अंगों को उद्दीपित करता है। पिन चुभोने के तुरंत बाद इसी कारण प्राणी प्रभावी भाग हटा लेता है। उद्दीपक का संवेदी अंग से प्रभावी अंग तक का पथ प्रतिवर्ती चाप कहलाता है।
प्रतिवर्ती चाप तंत्रिका तंत्र की क्रियात्मक इकाई बनाती है। प्रतिवर्ती चाप में होता है
(i) संवेदी अंग-वह अंग या स्थान जो प्रेरक को प्राप्त करता है।
(ii) एफैरेंट तंत्रिका तन्तु (Afferent Nerve Fibre)– यह संवेदक प्रेरणा को संवेदी अंग से केंद्रीय तंत्र तक ले जाता है जैसे मस्तिष्क या मेरुरज्जु।
(ii) केंद्रीय तंत्रिका तंत्र-मस्तिष्क या मेरुरज्जु का कुछ भाग।
(iv) इफैरेंट अथवा मोटर तंत्रिका (Efferent Or Motor Nerve) यह केंद्रीय तंत्रिका तंत्र से मोटर प्रेरणाओं को प्रभावी अंगों तक लाता है जैसे पेशियां अथवा ग्रंथियां।
(v) प्रभावी अंग (Effector)—यह तंत्रिका विहीन भाग जैसे ग्रंथियों की पेशियां जहां मोटर प्रेरणा खत्म होती है और प्रत्युत्तर दिया जाता है।
कार्य-प्रतिवर्ती क्रिया प्रेरक को तुरंत प्रत्युत्तर देने में सहायता करती है और मस्तिष्क को भी अधिक कार्य से मुक्त करती है।
4. अग्रमस्तिष्क के कार्यों का उल्लेख करें।
उत्तर – अग्रमस्तिष्क के कार्य
(a) अग्रमस्तिष्क में संवेदी अंगों से सूचनाएँ प्राप्त की जाती हैं और आवेगों को कार्यकारी अंगों तक भेजा जाता है।
(b) उद्दीपनों को ग्रहण कर अनुक्रिया अग्रमस्तिष्क द्वारा ही संपन्न होती है।
(c) कई प्रकार की जटिल मानसिक क्रियाएँ जैसे तर्क शक्ति, बुद्धि, विचार, प्रतिभा, दायित्व बोध आदि के केन्द्र अग्रमस्तिष्क में ही होते हैं।
5. प्रतिवर्ती क्रिया किसे कहते हैं ? किसी प्रतिवर्ती क्रिया के विभिन्न चरणों का वर्णन करें।
उत्तर – किसी दृश्य, अदृश्य बाहरी अथवा भीतरी उद्दीपन के प्रभाव में होनेवाली अनैच्छिक क्रियाएँ जिनका संचालन एवं समन्वयन मेरुरज्जु की तंत्रिकाओं द्वारा होती है प्रतिवर्ती क्रियाएँ कहलाती हैं।
प्रतिवर्ती क्रिया में ग्राही अंग उद्दीपन को ग्रहण करता है जो आवेग को तंत्रिका से मेरुरज्जु तक पहुँचाता है।
तंत्रिका तंत्र पार करके आवेग प्रेरक मार्ग से होता हुआ अभिवाही अंग की पेशी में पहुँचता है जिससे वह संकुचित हो जाती है। इस प्रक्रम में शून्य समय लगता है।
6. हमारे शरीर में ग्राही का क्या कार्य है ? ऐसी स्थिति पर विचार कीजिए जहाँ ग्राही उचित प्रकार से कार्य नहीं कर रहे हों। क्या समस्या उत्पन्न हो सकती हैं ?
उत्तर – वातावरण से सूचनाएँ प्राप्त करना ग्राही अंगों का मुख्य कार्य होता है। ये ग्राही हमारे संवेदी अंगों में स्थित होते हैं। कुछ ऐसी अवस्थाएँ जहाँ ग्राही उचित प्रकार से कार्य न करें जैसे भूखे व्यक्ति के मुँह में पानी का आना, घुटने की प्रतिक्षेप आदि जो कि तुरन्त मेरुरज्जु द्वारा होती है, तब मस्तिष्क द्वारा संपादित होने में काफी समय लग जाएगा जिससे कुछ दुर्घटनाएँ हो सकती हैं।
7. मेरुरज्जु आघात में किन संकेतों के आवागमन में व्यवधान होगा ?
उत्तर – (i) सभी संकेत जो मस्तिष्क से दूर या मस्तिष्क की ओर मेरुरज्जु से होकर चलते हैं, उनके आवागमन में व्यवधान उत्पन्न होगा।
(ii) प्रतिवर्ती क्रिया नहीं संपादित होगी।
8. पादप में रासायनिक समन्वय किस प्रकार होता है ?
उत्तर – पौधों की विशेष कोशिकाओं द्वारा कुछ रासायनिक पदार्थ स्रावित होते हैं जिन्हें पादप हॉर्मोन कहते हैं। विभिन्न प्रकार के पादप हॉर्मोन वृद्धि व विकास तथा बाह्य वातावरण के साथ समन्वय स्थापित करते हैं। ये पादप हॉर्मोन क्रिया स्थान से दूर कहीं स्रावित होकर विसरण द्वारा उस स्थान तक पहुँचकर कार्य करते हैं।
9. एक जीव में नियंत्रण एवं समन्वय के तंत्र की क्या आवश्यकता है ?
उत्तर – प्रत्येक प्रकार के वातावरणीय परिवर्तन का अनुक्रिया पर प्रभाव पड़ता है। जैसे कक्षा में हम धीरे-धीरे फुसफुसाकर बात करते हैं चिल्लाकर बात नहीं करते। इस प्रकार हम वह क्रिया करते हैं जिससे यह कार्य पूरा हो सके। इसलिए वातावरण की विभिन्न क्रियाओं को पहचानने के लिए इस प्रकार की नियंत्रित क्रियाविधि की आवश्यकता होती है। यह क्रियाविधि उस क्रिया के प्रति ठीक-ठीक अनुक्रिया है। दूसरे शब्दों में जीवों को नियंत्रण व समन्वय के लिए अंगों का प्रयोग करना आवश्यक है। बहुकोशिकीय जीवों में विशिष्ट ऊतक उपस्थित होते हैं जो नियंत्रण एवं समन्वय क्रियाओं के संपादन में प्रयुक्त होते हैं।
10. अनैच्छिक क्रियाएँ तथा प्रतिवर्ती क्रियाएँ एक दूसरे से किस प्रकार भिन्न हैं ?
उत्तर –
अनैच्छिक क्रियाएँ तथा प्रतिवर्ती क्रियाएँ एक-दूसरे से किस प्रकार भिन्न हैं
प्रतिवर्ती क्रियाएं वे क्रियाएँ हैं जो बाहरी संवेदना के उत्तर में तुरंत और अपने-आप हो जाती हैं। इन पर मस्तिष्क का कोई नियंत्रण नहीं होता। ये मेरुरज्जु के द्वारा नियंत्रित की जाती हैं। प्रतिवर्ती क्रियाएँ स्वायत्त प्रेरक के प्रत्युत्तर होती हैं। अनैच्छिक क्रियाएँ भी प्राणियों की इच्छा से चालित नहीं होतीं लेकिन इनका संचालन मध्यमस्तिष्क और पश्चमस्तिष्क के द्वारा किया जाता है।
11. किसी सहार के चारों ओर एक प्रतान की वृद्धि में ऑक्सिन किस प्रकार सहायक है ?
उत्तर – प्रतान स्पर्श के प्रति संवेदनशील होता है। प्रतान जैसे ही किसी स्पर्श के सम्पर्क में आते हैं ऑक्सिन दूसरी ओर विसरित हो जाता है जिससे उस ओर की कोशिकाएँ अधिक लम्बी होने लगती हैं और प्रतान विपरीत दिशा में मुड़ता है। इस प्रकार वह सहारे के चारों ओर लिपटकर पौधे को सहारा देता है।
12. जलानुवर्तन दर्शाने के लिए एक प्रयोग की अभिकल्पना कीजिए।
उत्तर – जलानुवर्तन प्रदर्शित करने के लिए बीजों के अंकुरण एक ऐसी जमीन के ऊपर करवाते हैं जो एक तरफ नम है तथा दूसरी तरफ सूखा।
मूलांकुर पहले तो धनात्मक गुरुत्वानुकर्तन दर्शाते हुए नीचे की ओर गति करते हैं परन्तु जल्दी ही गीली जमीन की ओर मुड़ने लगते हैं। यह धनात्मक जलानुवर्तन गति को प्रदर्शित करता है।
13. जंतुओं में रासायनिक समन्वय कैसे होता है ?
उत्तर – जंतुओं में रासायनिक समन्वय कुछ रासायनिक पदार्थ जिसे हॉर्मोन कहते हैं, के द्वारा होता है। ये अंतःस्रावी ग्रंथियों द्वारा स्रावित होते हैं। स्रावित होने वाले हॉर्मोन का समय और मात्रा का नियंत्रण पुनर्भरण क्रिया विधि से किया जाता है।
14. आयोडीन युक्त नमक के उपयोग की सलाह क्यों दी जाती है ?
उत्तर – आयोडीन युक्त नमक के उपयोग की सलाह इसलिए दी जाती है क्योंकि आयोडीन, अवटु ग्रंथि जो कार्बोहाइड्रेट, वसा और प्रोटीन के उपापचय हेतु थायरॉक्सिन हॉर्मोन स्रावित करती. है, के लिए आवश्यक है। यह हॉर्मोन संतुलित वृद्धि व विकास के लिए उत्तरदायी है। आयोडीन की कमी से घेघा रोग हो जाता है।
15. जब एड्रीनलिन रुधिर में नावित होती है तो हमारे शरीर में क्या अनुक्रिया होती है ?
उत्तर – एड्रीनलिन सीधे रक्त में स्रावित होता है तथा शरीर के विभिन्न भागों में रुधिर प्रवाह के साथ फैलता है। यह मुख्य रूप से हृदय पर प्रभाव डालता है, जिससे हृदय तेजी से धड़कने लगता है और पेशियों में ऑक्सीजन अधिक मात्रा में पहुँचाना शुरू करता है जिससे पेशियाँ अधिक सक्रिय हो जाती हैं। ये पेशियाँ शरीर की विभिन्न क्रियाविधियों को नियंत्रित करती है।
16. मधुमेह के कुछ रोगियों की चिकित्सा इंसुलिन का इंजेक्शन देकर क्यों की जाती है?
उत्तर – इंसुलिन हॉर्मोन रक्त शर्करा को नियंत्रित करता है। मधुमेह के रोगी में अग्न्याशय ग्रंथि के अल्प सक्रियता के कारण यह हॉर्मोन कम मात्रा में स्रावित होता है जिससे रक्त शर्करा बढ़ जाती है। इसके शरीर पर घातक परिणाम होते हैं। इसलिए इंसुलिन का इंजेक्शन देकर रोगी की रक्त शर्करा को नियमित किया जाता है।
17. जन्तुओं में नियंत्रण एवं समन्वय के लिए तंत्रिका तथा हॉर्मोन क्रियाविधि की तुलना तथा व्यतिरेक करें।
उत्तर –
तंत्रिका क्रिया विधि |
हॉर्मोन क्रिया विधि |
1. यह एक्सॉन के अंत में विद्युत आवेग का परिणाम है जो कुछ रसायनों का विमोचन कराता है।
2. सूचना अति तीव्रगति से आगे बढ़ती है।
3. सूचना विशिष्ट एक या अनेक तंत्रों, कोशिकाओं, न्यूरानों आदि को प्राप्त होती है।
4. इसे उत्तर शीघ्र प्राप्त हो जाता है।
5. इसका प्रभाव कम समय तक रहता है। |
1. यह रक्त के द्वारा भेजा गया रासायनिक संदेश है।
2. सूचना धीरे-धीरे गति करती है।
3. सूचना सारे शरीर को रक्त के माध्यम से प्राप्त हो जाती है जिसे कोई विशेष कोशिका या तंत्र स्वयं प्राप्त कर लेता है।
4. इसे उत्तर प्रायः धीरे-धीरे प्राप्त होता है।
5. इसका प्रभाव प्रायः देर तक रहता है। |
18. प्रतिवर्ती क्रिया तथा टहलने के बीच क्या अंतर है ?
उत्तर – प्रतिवर्ती क्रिया अवचेतन मस्तिष्क की अवस्था में मेरुरज्जु द्वारा संपादित होती है, जबकि टहलना प्रमस्तिष्क के नियंत्रण में सोच समझकर की गई क्रिया है।
19. दो तंत्रिका कोशिकाओं (न्यूरॉन) के मध्य अंतग्रंथन (सिनेप्स) में क्या होता है ?
उत्तर – अंतग्रंथन पर विद्युत तरंगों के रूप में आने वाला तंत्रिका आवेग कुछ रसायन का ग्रावण प्रेरित करता है। ये रसायन अंतग्रंथन को पार करके अगली तंत्रिका कोशिका में समान प्रकार तंत्रिका आवेग उत्पन्न करते हैं।
20. मस्तिष्क का कौन-सा भाग शरीर की स्थिति तथा संतुलन का अनुरक्षण करता है?
उत्तर – अनुमस्तिष्क ।
21. हम एक अगरबत्ती की गंध का पता कैसे लगाते हैं ?
उत्तर – अगरबत्ती की गंध का पता अग्रमस्तिष्क द्वारा लगाया जाता है। यहाँ गंध की संवेदना के लिए अलग संवेदी केंद्र होता है जहाँ सूचना प्राप्त होती है। इस प्रकार हमें अगरबत्ती की गंध का पता चलता है।
22. प्रतिवर्ती क्रिया में मस्तिष्क की क्या भूमिका है ?
उत्तर – शरीर के प्रत्येक भाग से आने वाली तंत्रिकाएँ आकर मेरुरज्जु में मिलती हैं जहाँ प्रतिवर्ती चाप बनता है। किसी संवेदना के प्रति अनुक्रिया की सूचना बाद में मस्तिष्क को दे दी जाती है जहाँ उसका पुनः विश्लेषण होता है।
23. तंत्रिका गुच्छ क्या है ?
उत्तर – कुछ निम्न वर्ग के जंतुओं में तंत्रिकाओं के जाल आपस में संपीडित होकर, तंत्रिका द्रव्यमान में बदल जाती है, जिसे गुच्छिका कहते हैं। तंत्रिकायें या तंत्रिका तंतु, गुच्छिका से मिलकर तंत्रिका तंत्र बनाती है।
24. टेस्टोस्टेरॉन (Testosterone) और इस्ट्रोजन (Estrogen) के कार्यों की सूची बनाइये।
उत्तर – वृषण और अण्डाशय कुछ सेक्स हॉर्मोनों का स्राव करते हैं। नर में अंतराली कोशिकाएँ एंड्रोजन (Androgen) उत्पन्न करती हैं। सबसे सामान्य एन्ड्रोजन टेस्टोस्टेरॉन (Testosterone) है। टेस्टिस ग्रंथि टेस्टोस्टेरॉन हॉर्मोन उत्पन्न करती है।
अण्डाशय दो प्रकार के हॉर्मोन उत्पन्न करता है—इस्ट्रोजन (Oestrogen) और प्रोजेस्टेरॉन (Progestrone) ।
> प्रकार्य- इस्ट्रोजन, निषेचित अण्डाणु को गर्भाशय की भीत्ति में अंतःस्थापित होने के लिए उसकी भीत्ति तैयार करता है।
> प्रकार्य टेस्टोस्टेरॉन, नर लक्षणों के विकास को उद्दीपित करता है।
25. मनुष्यों में तंत्रिका तंत्र और हॉर्मोन तंत्र एक साथ मिलकर नियंत्रण एवं समन्वय का कार्य करते हैं—इस कथन को प्रमाणित कीजिए।
उत्तर – हमारे शरीर में हॉर्मोन इसलिए महत्त्वपूर्ण हैं क्योंकि हॉर्मोन वृद्धि, परिवर्धन, परिपक्वन और जनन का नियंत्रण करते हैं।
ये विभिन्न शारीरिक क्रियात्मक प्रक्रियाओं की दर तथा उनकी लयात्मक विविधताओं का और ऊर्जा व्यय का नियमन भी करती हैं।
हॉर्मोन तंत्रिका तंत्र की क्रियाविधि पर भी प्रभाव डालते हैं। किसी व्यक्ति का व्यक्तित्व और उसका आचरण अधिकांशतः अंतःस्रावी ग्रंथियों पर ही निर्भर होता है।
26. पैनक्रियास, थाइराइड तथा पैराथाइराइड ग्रन्थियों द्वारा स्रावित हॉर्मोन्स के नाम तथा प्रत्येक का कार्य बतायें।
उत्तर –
27. यदि तुम्हें गर्दन में अधिक सूजन नजर आती है, जो बाहर की तरफ निकली हुई है, तुम्हारे विचार से यह किस हॉर्मोन की कमी के कारण है ?
उत्तर – थॉइराक्सिन हॉर्मोन जिसके कारण गलगंड (goitre) नामक बीमारी होती है।
> चित्र : गले में सामान्य गलगंड
28. उन अन्तःस्रावी ग्रंथियों के नाम लिखिए जिनके द्वारा टेस्टोस्टेरोन तथा इस्ट्रोजन स्रावी होते हैं तथा प्रत्येक का कार्य लिखिए।
उत्तर –
हॉर्मोन का नाम |
अंतःस्रावी ग्रंथि का नाम |
कार्य |
1. टेस्टोस्टेरोन
2. ऐस्ट्रोजन
|
वृषण (Testis)
अंडाशय (Ovary)
|
यह हॉर्मोन नर के द्वितीयक लक्षणों को बढ़ावा देता है जैसे-दाढ़ी, मूंछ तथा भारी आवाज़।
यह हॉर्मोन मादा के सहायक तथा द्वितीयक लक्षणों को नियंत्रित करने का कार्य करता है जैसे-स्तन ग्रंथियों का विकासकेश, विन्यास तथा आवाज़ नियंत्रण। |
29. पीयूष ग्रन्थि द्वारा उत्पन्न होने वाले हॉर्मोन्स तथा उनके कार्य लिखिए।
उत्तर – पीयूष ग्रन्थि निम्न हार्मोन स्रावित करती है —
1. वृद्धि हार्मोन्स (Growth Hormones) – यह हार्मोन वृद्धि में सहायक है। इसकी कम उत्पत्ति से बच्चा बौना तथा अधिक उत्पत्ति से बच्चा अधिक लम्बा हो जाता है।
2. थाइराइड उत्प्रेरक हॉर्मोन्स (TSH) – यह थाइराइड ग्रन्थि को थाइराइड उत्पन्न करने के लिए उत्प्रेरित करता है।
3. लूटिनाइजिंग हॉर्मोन (LH) – (i) मादा में अण्डे को अण्डाशय से बाहर निकालने में उत्प्रेरक का कार्य करता है।
(ii) नर में यह नर हॉर्मोन (टेस्टोस्टीरोन) की मात्रा को नियंत्रित करता है।
4. गोनाड उत्प्रेरक हॉर्मोन (Gonad Stimulating Hormones) यह वृषण तथा अण्डाशय की गतिविधियों को नियंत्रित करता है।
5. ACTH—यह अधिवृक्क की गतिविधियों को नियंत्रित करता है।
30. पौधे के छह प्रकार बताएँ जो पादप हॉर्मोन्स के द्वारा नियंत्रित होते हैं।
उत्तर – पादप हॉर्मोन निम्नलिखित कार्यों को नियंत्रित करता है —
(i) तना, जड़ तथा पत्तों की वृद्धि।
(ii) फूलों का बनना।
(iii) प्रकाशानुचलन या गुरुत्वानुचलन।
(iv) फलों का पकना।
(v) पत्तों के रन्ध्रों का खुलना तथा बन्द होना।
31. फोटोपिरियोडिज्म (Photoperiodism) को समझाइए।
उत्तर – प्रकाशकाल अनुवर्तन (Photoperiodism) वह अनुवर्तन है जो उद्दीपनों के काल पर निर्भर करता है, जैसे—पौधे में फूलों का आना तथा बीजों का अंकुरित होना प्रकाश के काल पर निर्भर होता है।
पौधे प्रकाशकाल अनुवर्तन एक द्रव्य के द्वारा करते हैं जिसे Photochrome कहते हैं, जो पौधे में बहुत कम मात्रा में होता है।
32. तंत्रिका तंत्र की संरचनात्मक तथा क्रियात्मक इकाई क्या है ?
उत्तर – तंत्रिका कोशिका (Neuron) तंत्रिका तंत्र की संरचनात्मक तथा क्रियात्मक इकाई है। सभी बहुकोशीय जीवों में उद्दीपन के प्रति अनुक्रिया करने के लिए ये (तंत्रिका कोशिकाएं) विशेष कोशिकाएँ होती हैं।
33. तंत्रिका तंत्र के मुख्य कार्यों की सूची बनाएँ
उत्तर – तंत्रिका तंत्र के मुख्य कार्य निम्न हैं —
(i) यह बाहरी वातावरण तथा आंतरिक प्रक्रियाओं से प्रेरणा प्राप्त करता है, उनकी व्याख्या करता है तथा उनके अनुरूप अनुक्रिया करता है।
(ii) तंत्रिका तंत्र किसी संदेश या प्रेरणा को शरीर के एक भाग से दूसरे भाग में पहुँचाता है।
(iii) इस प्रकार तंत्रिका तंत्र शरीर के विभिन्न कार्यों का नियंत्रण तथा समन्वय करता है।
34. फाइटो हार्मोन क्या है ? किन्हीं दो के नाम बताएँ।
उत्तर – पौधों में कुछ रासायनिक पदार्थ बहुत कम मात्रा में उत्पन्न होते हैं, उन्हें पादप हार्मोन कहते हैं। वे कार्बनिक पदार्थ होते हैं, इसी कारण ये प्राकृतिक रूप में उत्पन्न होते हैं और नियंत्रण तथा ट्रांसलोकेशन के काम आते हैं। ये कई भौतिक प्रक्रियाओं को नियंत्रित करते हैं।
35. विगलन किसे कहते हैं ?
उत्तर – यह एक सामान्य प्रक्रिया है जो वृद्धिरोधक हार्मोन के नाम से जानी जाती है क्योंकि इस हार्मोन का उत्पादन पानी की कमी और अन्य वातावरण की विपरीत क्रियाओं के कारण होता ‘है, अतः यह वृद्धि रोधक हार्मोन है। इस प्रक्रिया में सामान्यतः पत्तियाँ फल और फूल वृक्षों से गिर जाते हैं।
36. फाइटोक्रोम क्या है ?
उत्तर – यह एक रासायनिक पदार्थ है जो पौधों में प्राकृतिक रूप से उत्पन्न होते हैं और जो एक या अधिक कार्यिकी क्रियाओं को नियंत्रित करते हैं, जब ये कम सांद्रता में उपस्थित होता है।
37. मेडुला ऑब्लॉगेटा के कार्यों का वर्णन करें।
उत्तर – यह शरीर के अनैच्छिक कार्यों, जैसे— हृदय की धड़कन, साँस लेने की दर, लार का स्राव, खाँसी आना, छींक आना, उल्टी आना, रुधिर दाब और भोजन का सड़ना आदि क्रियाओं को नियंत्रित करता है।
38. होमियोस्टेसिस क्या है ?
उत्तर – जीवों के शरीर में सभी क्रियाओं को सुचारू रूप से करने के लिये उनका भीतरी वातावरण बाहरी परिवर्तनों को सहने का प्रयत्न करता है। इस अवस्था को बनाये रखने की क्षमता होमियोस्टोसिस कहलाती है। “
39. साइटोकाइनिन के मुख्य कार्य क्या हैं ?
उत्तर – ये कोशिका विभाजन को उद्दीपित करते हैं। ये जीर्णता को रोकते हैं और पर्णहरित को नष्ट नहीं होने देते हैं, कोशिका में पोषक गति को बढ़ाते हैं और वृद्धि और परिवर्धन को नियंत्रित करते हैं ।
40. निम्नलिखित अंतःस्रावी ग्रंथियों द्वारा सावित हार्मोन के नाम बताएँ –
(अ) थायराइड (ब) एड्रीनन मैडुला (स) थायमस (द) अग्रपिट्यूटरी
उत्तर – (अ) थायरॉक्सिन (ब) एड्रोनलिन और नोरोडीरेनिल (स) थाइमेसिन (द) वृद्धि हार्मोन एड्रीनोकोर्टिको ट्रोपिक हार्मोन (ACTH), फोलिकिल उद्दीपन हार्मोन, थाइराइड उद्दीपन हार्मोन और ल्यूटियो ट्रोपिक हार्मोन।
41. पौधे और जन्तुओं के वृद्धि में अन्तर लिखें।
उत्तर – पौधों और जंतुओं की वृद्धि में अंतर निम्नलिखित हैं –
42. ऑक्सिन और जिबरेलिन में अंतर लिखें।
उत्तर – ऑक्सिन और जिबरेलिन में अंतर निम्नलिखित हैं –
43. प्रकाशानुवर्तक गति (Phototropism) के बारे में चर्चा कीजिए।
उत्तर – प्रकाशानुवर्तन गतियों में पौधों में उद्दीपन प्रकाश द्वारा होता है और उनमें धनात्मक प्रकाशानुवर्तन और ऋणात्मक प्रकाशानुवर्तन आदि गतियाँ होती हैं।
पौधे के तने में धनात्मक प्रकाशानुवर्तन तथा जड़ में ऋणात्मक प्रकाशानुवर्तन गति होती है।
प्रकाशानुवर्तन गति में पौधा एक ही दिशा में जिधर से प्रकाश का रहा होता है, उसी दिशा में मुड़ जाता है।
44. एड्रीनल कार्टेक्स और एड्रीनल मैडुला में अंतर लिखें।
उत्तर –
> दीर्घ उत्तरीय प्रश्न
1. A. मानव मस्तिष्क का सरल, स्पष्ट आरेखी नामांकित चित्र खींचें (वर्णन अनापेक्षित)।
B. मस्तिष्क के विभिन्न कार्यों की गणना करें।
उत्तर –
B. मस्तिष्क के निम्नलिखित मुख्य कार्य हैं
(i) मस्तिष्क सभी संवेदी अंगों से आवेगों को ग्रहण करता है।
(ii) मस्तिष्क में संवेदों/आवेगों का विश्लेषण होता है और उत्तर देने के लिए सूचनाओं को उचित कार्यवाही हेतु वह प्रेरक तंत्रिका कोशिकाओं द्वारा पेशियों, ग्रंथियों आदि में भेजता है।
(iii) विभिन्न संवेदी अंगों से प्राप्त आवेगों या उद्दीपनों का एवं विभिन्न शारीरिक क्रियाओं का समन्वय एवं नियंत्रण मस्तिष्क द्वारा ही होता है।
(iv) मस्तिष्क में चेतना और ज्ञान सूचना के रूप में भंडारित रहते हैं।
(v) पिछले अनुभवों के आधार पर व्यवहार में परिवर्तन मस्तिष्क द्वारा ही संभव होता है।
(vi) मस्तिष्क सोच-विचार, बुद्धि और चेतना के अंग के रूप में महत्त्वपूर्ण भूमिका अदा करता है।
2. मनुष्य के शरीर में पाए जानेवाले आवश्यक हॉर्मोनों के बारे में लिखें।
उत्तर – मनुष्य के थाइरॉइड ग्रंथि से स्रावित होनेवाला थाइरॉक्सिन हॉर्मोन कार्बोहाइड्रेट, प्रोटीन तथा वसा के सामान्य उपापचय का नियंत्रण करता है। पीयूष या पिटयुटरी ग्रंथि स्रावित होनेवाला वृद्धि हॉर्मोन शरीर की वृद्धि और विकास को नियंत्रित करता है। यह बाल्यकाल में इसकी कमी हो जाती है तो इससे बौनापन आ जाता है। एड्रीनल ग्रंथि एड्रीनलीन हॉर्मोन स्रावित करता है। अत्यधिक शारीरिक एवं मानसिक तनाव, गुस्सा एवं उत्तेजना की स्थिति में इस हॉर्मोन का स्राव होता है। जनन-ग्रंथियों से नर टेस्टोस्टेरॉन हॉर्मोन एवं मादा में एस्ट्रोजेन हॉर्मोन स्रावित होता है जो लैंगिक गुणों के लिए उत्तरदायी होते हैं। अग्न्याशय से इन्सुलिन हॉर्मोन निकलता है जो रक्त में ग्लूकोज की मात्रा को नियंत्रित करता है। उचित मात्रा में इनका स्राव नहीं होने से मधुमेह नामक रोग उत्पन्न हो जाता है ।
3. मेरुरज्जु का संक्षिप्त वर्णन कीजिए।
उत्तर – मेरुरज्जु (Spinal Cord) — मेडुला ऑब्लॉगेटा खोपड़ी के महार से निकल कर रीढ़ की हड्डी की कशेरूकाओं के बीच में से निकल कर नीचे तक फैली रहती है। इसी को मेरुरज्जु या रीढ़ रज्जु कहते हैं। इसके ऊपर ड्यूरामेटर, ऐरेक्रॉइड और पिओमेट नामक तीन झिल्लियाँ उसी प्रकार होती हैं जैसी मस्तिष्क में ऊपर होती हैं। मेरुरज्जु से निश्चित दूरियों पर 31 जोड़े मेरू तंत्रिकाएँ निकलती हैं। इसकी लम्बाई लगभग 45 सेमी होती है।
चित्र : मस्तिष्क तथा मेरुरज्जु
> मेरुरज्जु के कार्य –
1. यह साधारण प्रतिवर्ती क्रियाओं जैसे घुटने के झटके का प्रत्युत्तर, स्वयं चालित प्रतिक्रियाएँ जैसे मूत्राशय का सिकुड़न आदि के समन्वय केंद्र का कार्य करती है।
2. यह मस्तिष्क और सुषुम्ना के मध्य संचार का कार्य करती है।
4. प्रतिवर्ती क्रिया को उपयुक्त उदाहरण के साथ परिभाषित कीजिए।
उत्तर – बाह्य परिवर्तनों अर्थात् उद्दीपनों के प्रति प्राणियों की प्रक्रियाएँ दो प्रकार की होती हैं —
ऐच्छिक (Voluntary) एवं अनैच्छिक (Involuntary) । अनैच्छिक क्रियाएँ प्राणी की चेतना या इच्छा शक्ति के अधीन नहीं होती हैं। ये दो प्रकार की होती हैं— स्वायत्त या स्वतंत्र तथा प्रतिवर्ती (Automatic & Reflex) |
प्रतिवर्ती क्रियाएँ दैहिक (Somatic) होती हैं अर्थात् रेखित पेशियों एवं ग्रंथियों से संबंधित होती हैं। इस क्रिया में मेरुरज्जु भाग लेती हैं। यदि शरीर के किसी भाग में सूई चुभ जाए तो शरीर उस भाग को वहाँ से हटा लेता है। प्रत्येक स्पाइनल तंत्रिका के दो मूल होते हैं
संवेदी तंतुओं से बना पृष्ठ मूल (Dorsal root) के चालक तंतुओं से बना अधरमूल (Ventral root) । त्वचा पर पिन चुभाने का उद्दीपन इसमें उपस्थित संवेदांग को उत्तेजित करता है और ये इस संवेदना को सम्बन्धित सोमेटिक संवेदी तंतुओं के डेंड्राप्स में प्रसारित कर देते हैं। ये तन्तु इस संवेदी प्रेरणा को पास की स्पाइनल तंत्रिका के पृष्ठ मूल (Dorsal root) के पृष्ठ गुच्छक में उपस्थित न्यूरॉन्स कोशाओं में ले जाते हैं। इन कोशाओं में एक्सॉन फिर इस प्रेरणा को मेरुरज्जु के धूसर द्रव्य (grey matter) तक ले जाते हैं। यहाँ एक एक्सॉन की अंतिम बटनों से के ये प्रेरणा निकट की चालक तंत्रिकाओं के डेंड्राइट्स में जाती है। यहाँ संवेदी प्रेरणा चालक प्रेरणा बन जाती है। चालक कोशिकाओं के एक्सॉन अधर मूल (Ventral root) के तंतु होते हैं। वे इस प्रेरणा को पादों तक ले जाते हैं। पेशियाँ सिकुड़ती हैं जोकि पादों को गति प्रदान करती हैं। संवेदों से लेकर अपवाहक अंग तक के पूरे प्रेरणा पथ को प्रतिवर्ती चाप (Reflex arc) कहते हैं।
5. पादप हॉर्मोन को कितने वर्गों में बाँटा गया है ? प्रत्येक के कार्य लिखिए।
उत्तर – पौधे कुछ विशेष प्रकार के रासायनिक पदार्थ उत्पन्न करते हैं जो पूरे पौधे के विभिन्न जैविक क्रियाओं को नियंत्रित करते हैं। ये रासायनिक पदार्थ पादप वृद्धि नियंत्रक या पादप हार्मोन्स कहलाते हैं। इनको चार वर्गों में विभाजित किया जा सकता है।
(1) ऑक्सिन्स प्रमुख कार्य –
(a) कोशिकाओं का दीर्धीकरण करना।
(b) कोशिका विभाजन में सहयोग करना।|
(c) पत्तियों को गिरने से रोकना।
(d) पौधों की गतियों पर नियंत्रण रखना।
(e) बीजरहित फलों के उत्पादन में सहायक होना।
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(2) जिबरलिन –
a) पत्ती की पलक बढ़ाने में।
(b) पौधों की मोटाई बढ़ाने में।
(c) पुष्प वृंत लंबा करने करने में।|
(d) कुछ पौधों में आनुवंशिक बौनापन को दूर करने में।|
(e) किण्वन क्रिया को तेज़ करने में।
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(3) साइटोकाइनिन्स –
(a) प्रोटीन के उत्पादन में सहायता करना।
(b) कोशिकाओं की लंबाई में वृद्धि करना।
(c) अंकुरण के समय उत्प्रेरक उत्पन्न करना।
(d) मूल की वृद्धि को रोकना।
(e) पत्तियों की वृद्धि को रोकना।
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(4) वृद्धि रोधक
(a) पौधों की वृद्धि की गति को कम करना।
(b) पतझड़ की क्रिया को बढ़ाना।
(c) पत्तियों के खुलने एवं बंद करने की क्रिया को नियंत्रित करना।
(d) फूलों के खुलने एवं बंद करने की क्रिया को नियंत्रित करना।
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6. प्रतिवर्ती क्रिया क्या है ? चित्र की सहायता से इसका वर्णन कीजिए।
उत्तर – प्रतिवर्ती क्रियाएँ स्वायत्त प्रेरक के प्रत्युत्तर हैं। ये क्रियाएँ मस्तिष्क की इच्छा के बिना होती हैं। इसलिए ये अनैच्छिक क्रियाएँ हैं। यह बहुत स्पष्ट और यांत्रिक प्रकार की हैं। जैसे-जब हमारी आँखों पर तेज रोशनी पड़ती है तो हमारी आँख की पुतली अचानक छोटी होने लगती है। यह क्रिया तुरंत और हमारे मस्तिष्क की इच्छा के बिना होती है।
प्रतिवर्ती क्रियाएँ मेरुरज्जु द्वारा नियंत्रित पेशियों फछे की त्वचा में) द्वारा अनैच्छिक क्रियाएँ होती हैं जो प्रेरक के प्रत्युत्तर में होती हैं।
यदि शरीर के किसी भाग में अचानक एक पिन चुभोया जाए तो संवेदियों द्वारा प्राप्त यह उद्दीमक इस क्षेत्र के एफैरेंट तंत्रिका तन्तु को उद्दीपित करता है। तंत्रिका तंतु मेरु तंत्रिका के पृष्ठीय पथ द्वारा इस उद्दीपक को मेरुरज्जु तक ले जाता है।
मेरुरज्जु से यह उद्दीपन के अधरीय पथ द्वारा एक या अधिक इफैरेंट (Efferent) तंत्रिका तंतु में पहुंचता है। इफैरेंट तंत्रिका तंतु प्रभावी अंगों को उद्दीपित करता है। पिन चुभोने के तुरंत बाद इसी का प्राणी प्रभावी भाग हटा लेता है। उद्दीपक का संवेदी अंग से प्रभावी अंग तक का पथ प्रतिवर्ती चाप कहलाता है।
> प्रतिवर्ती चाप तंत्रिका तंत्र की क्रियात्मक इकाई बनाती है। प्रतिवर्ती चाप में होता है
(i) संवेदी अंग – वह अंग या स्थान जो प्रेरक को प्राप्त करता है।
(ii) एफैरेंट तंत्रिका तन्तु (Afferent Nerve Fibre) – यह संवेदक प्रेरणा को संवेदी अंग से केंद्रीय तंत्र तक ले जाता है, जैसे मस्तिष्क या मेरुरज्जु ।
(iii) केंद्रीय तंत्रिका तंत्र – मस्तिष्क या मेरुरज्जु का कुछ भाग ।
(iv) इफैरेंट अथवा मोटर तंत्रिका (Efferent or Motor Nerve ) – यह केंद्रीय तंत्रिका तंत्र से मोटर प्रेरणाओं को प्रभावी अंगों तक लाता है, जैसे पेशियाँ अथवा ग्रंथियाँ।
(v) प्रभावी अंग (Effector) – यह तंत्रिका विहीन भाग जैसे ग्रंथियों की पेशियाँ जहाँ मोटर प्रेरणा खत्म होती है और प्रत्युत्तर दिया जाता है।
कार्य – प्रतिवर्ती क्रिया प्रेरक को तुरंत प्रत्युत्तर देने में सहायता करती है और मस्तिष्क को भी अधिक कार्य से मुक्त करती है।
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