जीव विज्ञान : परिवहन | Class 10Th Biology Chapter – 3 Notes | Model Question Paper | परिवहन Solutions

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जीव विज्ञान : परिवहन | Class 10Th Biology Chapter – 3 Notes | Model Question Paper | परिवहन Solutions

जीव विज्ञान : परिवहन

स्मरणीय तथ्य : एक दृष्टिकोण (MEMORABLE FACTS: AT A GLANCE)
> समस्त उपयोगी पदार्थों को उनके मूल स्रोतों से शरीर की कोशिकाओं तक लाना तथा अनुपयोगी और हानिकारक पदार्थों को कोशिकाओं से बाहर निकालकर उन अंगों तक पहुँचाना जहाँ से वे शरीर के बाहर निकाल दिए जाएँ, पदार्थों का परिवहन कहलाता है।
> पदार्थों के परिवहन की व्यवस्था सभी जीवों में रहती है।
> खाद्य पदार्थों का परिवहन पत्तियों से पौधों में फ्लोएम ऊतक द्वारा संपन्न होता है।
> पदार्थों के परिवहन में वाष्पोत्सर्जन तथा मूलदाब मुख्य भूमिका निभाते हैं।
> वाष्पोत्सर्जन और मूलदाब दोनों के फलस्वरूप एक सतत जल-स्तंभ का निर्माण होता है जो पत्तियों से जड़ तक बना होता है।
> जीवों के शरीर में पदार्थों का परिवहन या स्थानांतरण के लिए विकसित तंत्र को परिवहन तंत्र कहते हैं।
> विसरण की क्रिया द्वारा एककोशिकीय पौधों में पदार्थों का परिवहन होता है।
> जटिल कोशिकीय पौधों में जल तथा खाद्यपदार्थों के परिवहन हेतु विशिष्ट ऊत्तक पाए जाते हैं, जिन्हें संवहन उत्तक कहा जाता है।
> पौधों में वायवीय भागों से जल का रंध्रों द्वारा वाष्प के रूप में निष्कासन को वाष्पोत्सर्जन कहते हैं।
> जाइलम ऊतक द्वारा जल तथा खनिज लवण का परिवहन जड़ से पत्तियों तक होता है।
> पौधों में खाद्य-पदार्थों का स्थानांतरण सदा अधिक सांद्रतावाले भागों से कम सांद्रतावाले भागों की ओर होता है।
> जाइलम में जल एवं खनिज लवण का संचलन ऊपर की ओर (एकदिशीय) होता है, जबकि फ्लोएम में खाद्य पदार्थों का परिवहन ऊपर और नीचे दोनों ओर (द्विदिशीय) होता है।
>  रक्त एक तरल संयोजी ऊतक है।
> रक्त के घटक हैं— प्लाज्मा तथा लाल रक्त कोशिकाएँ, श्वेत रक्त कोशिकाएँ और रक्त पट्टिकाणु।
> रक्त, हृदय तथा रक्त वाहिनियाँ मिलकर रक्त वाहिनिका तंत्र या परिसंचरण तंत्र का निर्माण करते हैं।
> मनुष्य में लाल रक्त कोशिकाएँ गोल तथा उभयनतोदर होती है।
> रक्त में श्वेत रक्त कोशिकाओं की संख्या लाल रक्त कोशिकाओं की अपेक्षा अत्यंत कम होती है।
> हृदय एक केंद्रीय पंप है जो रक्त पर दबाव बनाकर उसका परिसंचरण पूरे शरीर में कराता है।
> मनुष्य के हृदय में चार वेश्म होते हैं जो दायाँ और बायाँ अलिंद या ऑरिकिल तथा दायाँ और बायाँ निलय या वेंट्रिकिल कहलाते हैं।
> हृदय पेरिटोनियम की एक दोहरी झिल्ली के अंदर बंद होता है जिसे हृदयावरण या पेरीकार्डियम कहते हैं ।
> दोनों अलिंद अंतराअलिंद भित्ति के द्वारा एक-दूसरे से अलग होते हैं ।
> दायाँ अलिंद दाएँ निलय में बायाँ अलिंद – निलय छिद्र के द्वारा खुलता है। इस छिद्र पर एक त्रिदली कपाट पाया जाता है जो रक्त को दाएँ अलिंद से सिर्फ दाएँ निलय में जाने देता है।
> दाएँ निलय से एक बड़ी फुफ्फुस चाप निकलती है। जो आगे दाईं ओर बाईं फुफ्फुस धमनियों में बँट जाती है ये दोनों धमनियाँ रक्त को फेफड़े में ले जाती हैं।
> बायाँ अलिंद बाएँ निलय में बायाँ अलिंद-निलय छिद्र के द्वारा खुलता है। इस छिद्र पर एक द्विदली कपाट या मिट्रल कपाट होता है जो रक्त को सिर्फ बाएँ अलिंद से बाएँ निलय में जाने देता है।
> बाएँ निलय से एक महाधमनी या महाधमनी चाप निकलती है। फेफड़ों को छोड़कर शरीर के सभी भागों में जानेवाली धमनियाँ इसी से निकलती हैं।
> बाएँ अलिंद में फुफ्फुस शिराएँ खुलती हैं जो फेफड़ों से शुद्ध रक्त बाएँ अलिंद में लाती हैं।
> दाएँ अलिंद में दो अग्र महाशिराएँ तथा एक पश्च महाशिरा खुलती है जो शरीर के सभी भागों से अशुद्ध रक्तं दाएँ अलिंद में ले जाती हैं।
> हृदय की धड़कन का तालबद्ध सकुंचन एक विशेष प्रकार के तंत्रिका ऊतक के द्वारा होता है, जिसे साइनुऑरिकुलर नोड या S-A नोड कहते हैं।
> हृदय के वेश्मों का संकुचन, सिस्टॉल तथा शिथिलन, डायस्टॉल कहलाता है।
> S – A नोड को पेसमेकर भी कहते हैं ।
> रक्त के संचरण के लिए शरीर में तीन प्रकार की रक्त वाहिनियाँ होती हैं, जो धमनियाँ, रक्त कोशिकाएँ तथा शिराएँ कहलाती हैं।
> शरीर के विभिन्न भागों में धमनियाँ बँटकर धमनिकाएँ बनाती हैं जो विभिन्न अंगों में अत्यंत महीन कोशिकाओं में विभक्त हो जाती हैं।
> शिराएँ विशुद्ध या अऑक्सीजनित रक्त को विभिन्न अंगों से हृदय की ओर ले जाती हैं। परंतु फुफ्फुस शिराएँ अपवाद हैं जो शुद्ध या ऑक्सीजनित रक्त को फेफड़े से हृदय में ले जाती हैं।
> धमनियाँ शुद्ध या विऑक्सीजनित रक्त को हृदय से शरीर के विभिन्न अंगों में ले जाती हैं। परंतु, फुफ्फुस धमनी एक अपवाद है जो अशुद्ध या विऑक्सीजनित रक्त को फेफड़े से हृदय में ले जाती है।
> विभिन्न कोशिकाएँ पुनः जुड़कर शिरिकाएँ बनाती हैं तथा विभिन्न शिरिकाएँ आपस में जुड़कर शिरा बनाती हैं।
> लसीका से ऑक्सीजन, पचे भोजन तथा हार्मोन ऊतक की कोशिकाओं में विसरित होते रहते हैं और ऊतक की कोशिकाओं से CO2, जल तथा उत्सर्जी पदार्थ लसीका में विसरित होते से रहते हैं।
> ऊतक कोशिकाओं के बीच स्थित WBC सहित रुधिर प्लाज्मा को ऊतक द्रव या लसीका या लिंफ कहते हैं। लिंफ में RBC नहीं पाए जाते हैं।
> अभ्यासार्थ प्रश्न
> वस्तुनिष्ठ प्रश्न
1.  सही उत्तर का संकेताक्षर ( क, ख, ग या घ) लिखें।
1.  एकंकोशिकीय शैवालों में जल का परिवहन होता है 
(क) परासरण द्वारा
 (ख) चालनी नलिकाओं द्वारा
 (ग) विसरण द्वारा
 (घ) जाइलम वाहिकाओं द्वारा
उत्तर – (ग)
2. पानी एवं घुलित खनिज का पौधों में स्थानांतरण होता है
(क) जाइलम नलिकाओं द्वारा
 (ख) फ्लोएम द्वारा
 (ग) मृदूतक द्वारा
 (घ) दृढ़ोतक द्वारा
उत्तर – (क)
3. पौधों में खाद्य पदार्थों का स्थानांतरण किस रूप में होता है ?
 (क) ग्लूकोस
 (ख) सूक्रोज
 (ग) स्टार्च
 (घ) प्रोटीन
उत्तर-(ख)
 4. फ्लोएम से खाद्य पदार्थों का परिवहन पौधों में किस दिशा में होता है ? 
 (क) केवल नीचे की ओर
 (ख) केवल ऊपर की ओर
 (ग) ऊपर और नीचे दोनों ओर
 (घ) इनमें कोई नहीं
उत्तर – (ग)
5. जल तथा घुलनशील लवण का मूलरोम से पत्तियों तक पहुँचने की क्रिया किस ऊतक द्वारा सम्पन्न होती है ?
(क) कॉर्टेक्स
(ख) फ्लोएम
(ग) जाइलम
(घ) मूलरोम
उत्तर – (ग)
6. रक्त इनमें किसकी उपस्थिति के कारण लाल दिखता है ?
 (क) थ्रोंबिन
 (ख) हीमोग्लोबिन
 (ग) थ्रोंबोप्लास्टिन
 (घ) फाइब्रिन
उत्तर – (ख)
7.  शुद्ध या ऑक्सीजनित रक्त को हृदय से शरीर के विभिन्न भागों में ले जानेवाली रक्त वाहिनियाँ कहलाती हैं ?
(क) धमनियाँ
(ख) शिराएँ
(ग) अलिंद
(घ) निलय
उत्तर – (क)
8. हृदय के वेश्मों का शिथिलन कहलाता है
(क) सिस्टॉल
(ख) डायस्टॉल
(ग) हृदय संकुंचन
(घ) तालबद्ध संकुंचन
उत्तर – (ख)
 II. रिक्त स्थानों को पूर्ति करें।
1. जाइलम में पाई जानेवाली ………. और ……… मुख्य रूप से जल एवं खनिज लवणों के स्थानांतरण में सहायक होती है। 
उत्तर – वाहिकाएँ, वाहिनिकाएँ
2. चालनी नलिकाओं को जीवद्रव्य के बीच ……… के द्वारा संबंध स्थापित होते हैं।
उत्तर – छिद्रों
3. मृदा के जल का अवशोषण …….द्वारा होता है।
उत्तर – मूलरोमों
4.  पौधों में जल का लगातार अवशोषण …….. पर निर्भर करता है।
उत्तर – वाष्पोत्सर्जन
5.  ………. और ………….के फलस्वरूप सतत जल स्तंभ का निर्माण होता है।
उत्तर – मूलदाब, वाष्पोत्सर्जन
6.  दायाँ और बायाँ निलय एक दूसरे से ……… के द्वारा अलग होते हैं।
उत्तर – अंतरानिलयभित्ति
7.  महाधमनी एवं उनकी मुख्य शाखाओं में रक्त प्रवाह का दबाव ……….कहलाता है।
उत्तर – रक्तचाप
8.  धमनियाँ शुद्ध या …….. रक्त को हृदय से शरीर के विभिन्न भागों में ले जाती हैं।
उत्तर – ऑक्सीजनित
9. ऊतक कोशिकाओं के बीच स्थित ……..सहित रक्त- प्लाज्मा को लसीका कहते हैं।
उत्तर – WBC
> अतिलघु उत्तरीय प्रश्न
1.  जीवों के शरीर में पदार्थों के स्थानांतरण के लिए विकसित तंत्र को क्या कहते हैं ?
उत्तर – जीवों के शरीर में पदार्थों के स्थानांतरण के लिए विकसित तंत्र को रक्त परिवहन तंत्र कहते हैं।
2. संवहन ऊतक किसे कहते हैं ? 
उत्तर – पौधे में भोज्य पदार्थों के परिवहन में भाग लेने वाले ऊतक संवहन ऊतक कहलाते हैं।
3. चालिनी नलिकाएँ कहाँ पाई जाती हैं ?
उत्तर – चालिनी नलिकाएँ तना के फ्लोएम में पायी जाती हैं।
4. वाष्पोत्सर्जन किसे कहते हैं ?
उत्तर – पौधों के वायवीय भागों में जल का रंध्रों द्वारा वाष्प के रूप में निष्कासन की क्रिया वाष्पोत्सर्जन है।
5.  स्थानांतरण क्या है ?
उत्तर – पौधों में जल, खनिज लवण और खाद्य पदार्थों के बहुत ऊँचाई तक संचरण को ही स्थानांतरण कहते हैं।
6. खाद्य पदार्थों का स्थानांतरण किस रूप में होता है ?
उत्तर – खाद्य पदार्थों का स्थानांतरण एमीनो अम्ल के रूप में पौधों में हमेशा अधिक सांद्रता वाले भागों से कम सान्द्रता वाले भागों की ओर होता है।
7.  खनिज लवणों का अवशोषण किस रूप में होता है ? 
उत्तर – खनिज लवणों का अवशोषण आयन के रूप में होता है।
8. खाद्य पदार्थों का स्थानांतरण क्यों जरूरी होता है ?
उत्तर – खाद्य पदार्थों का स्थानांतरण पौधों में पोषण के लिए आवश्यक है।
 9.  रक्त के विभिन्न अवयवों के नाम लिखें।
उत्तर – (i) प्लाज्मा (Plasma), (ii) लाल रक्त कोशिकाएँ (R.B.C.), (iii) श्वेत रक्त कोशिकाएँ (W.B.C.), (iv) रक्त पट्टिकाणु (Blood Platelets) ।
10. रक्त परिसंचरण तंत्र के तीन प्रमुख अवयवों के नाम लिखें।
उत्तर – (i) रुधिर या रक्त, (ii) हृदय, (iii) रक्त वाहिनियाँ।
11. रक्त किस प्रकार का ऊतक
उत्तर – रक्त तरल संयोजी ऊतक है।
12.  लाल रक्त कोशिकाओं का निर्माण शरीर में कहाँ होता है ?
उत्तर – लाल रक्त कोशिकाओं का निर्माण शरीर के फेफड़े में होता है।
13.  मनुष्य में लाल और श्वेत रक्त कोशिकाओं का अनुपात क्या है ? 
उत्तर – लाल रक्त कणिकाएँ 45-50 लाख प्रति घन मिमी० जबकि श्वेत रक्त कणिकाएँ (5000-9000 प्रति घन मिमी० ) ।
14. रक्त लाल क्यों दिखते हैं ?
उत्तर – रक्त में हीमोग्लोबिन ( एक विशेष प्रकार का प्रोटीन वर्णक) मौजूद होने के कारण रक्त लाल दिखाई देता है।
15. मनुष्य के हृदय में चार कौन-कौन-से वेश्म होते हैं ?
उत्तर –  (i) दायाँ अलिंद (ii) बायाँ अलिंद (iii) दायाँ निलय (iv) बायाँ निलय ।
16. शरीर के सभी भागों से अशुद्ध रक्त को हृदय के दाएँ अलिंद में ले जानेवाली रक्त वाहिनियों के नाम लिखें।
उत्तर – दो अग्र महाशिराओं तथा एक पश्च महाशिरा द्वारा ।
17.  हृदय के बाएँ अलिंद-निलय छिद्र पर स्थित कपाट का नाम लिखें। 
उत्तर – द्विदली कपाट ।
18. फेफड़े से शुद्ध रक्त को बाएँ अलिंद में ले जानेवाली रक्तवाहिनी का नाम लिखें।
उत्तर – फुफ्फुस शिराएँ।
19.  हृदय के वेश्मों का संकुंचन क्या कहलाता है ?
उत्तर – हृदय के वेश्मों का संकुंचन सिस्टॉल कहलाता है।
20.  शरीर की ऐसी धमनी का नाम लिखें जिसमें विऑक्सीजनित रक्त प्रवाहित होता है। 
उत्तर – फुफ्फुस धमनी ।
21.  शरीर की ऐसी शिरा का नाम लिखें जिनमें ऑक्सीजनित रक्त प्रवाहित होता है।
उत्तर – फुफ्फुस शिराएँ।
 22.  विभिन्न शिरिकाएँ आपस में जुड़कर किस रक्तवाहिनी का निर्माण करती है ?
उत्तर – विभिन्न शिरिकाएँ आपस में जुड़कर शिरा रक्तवाहिनी का निर्माण करती है।
23.  एक ऐसे एककोशिकीय पौधे का नाम बताएँ जिसमें परिवहन विसरण के द्वारा होता है ? 
उत्तर – क्लैमाइडोमोनास ।
24. पौधों में जल तथा खाद्य पदार्थों का स्थानांतरण करनेवाले उत्तकों को क्या कहते हैं?
उत्तर – जाइलम तथा फ्लोएम |
25. जलसंवहक उत्तक में पाए जानेवाली लंबी तथा बेलनाकार नलिकाएँ क्या कहलाती है ?
उत्तर – वाहिकाएँ।
26. जाइलम तथा फ्लोएम में किसकी कोशिकाएँ मृत होती है
उत्तर –  जाइलम की।
27.  जाइलम तथा फ्लोएम में कौन-सा संवहन उत्तक खाद्य पदार्थों का स्थानांतरण करता है ? 
उत्तर – फ्लोएम।
28.  पौधों में जल, खनिज लवण और खाद्य पदार्थों को पौधों के शीर्ष भागों तक पहुँचानेवाली क्रिया क्या कहलाती है ? 
उत्तर – संवहन बंडल ।
29.  रक्त या रूधिर किस प्रकार का उत्तक है ?
 उत्तर – तरल संयोजी उत्तक ।
30.  दायाँ और बायाँ अलिंद एक-दूसरे से किस रचना के द्वारा अलग होते हैं ?
उत्तर – विभाजिका या सेप्टम द्वारा।
31. उस शिरा का नाम बताएँ जिसमें शुद्ध या ऑक्सीजनित रक्त का प्रवाह होता है ? 
उत्तर –  फेफड़ा।
32.  वैसा रक्त प्लाज्मा जिसमें लाल रक्त कोशिकाएँ नहीं पायी जाती है, क्या कहलाता है?
उत्तर – लसीका।
33.  रक्त का संचार ज्यादा दबाव से किसमें होता है-धमनी में या शिरा में। 
उत्तर – धमनियों में।
34.  रक्तचाप की माप किस उपकरण से की जाती है ?
उत्तर – स्फिगनोमैनोमीटर।
> लघु उत्तरीय प्रश्न
1.  जीवों में पदार्थों के परिवहन की परिभाषा लिखें।
उत्तर – उपयोगी पदार्थों का उनके मूल स्रोतों से शरीर की प्रत्येक कोशिका तक पहुँचाने तथा अनुपयोगी और हानिकारक पदार्थों को कोशिकाओं से निकालकर गंतव्य स्थान तक पहुँचाने की क्रिया को पदार्थों का परिवहन कहते हैं।
2.  पौधों में जाइलम-वाहिनियों में जल का स्थानांतरण किस प्रकार होता है ?
उत्तर – पौधों में जाइलम- वाहिनियों में जल का स्थानांतरण जड़ से लेकर पत्तियों तक होता है।
3.  मूलरोम की कोशिकाओं में जल कैसे पहुँचता है ?
उत्तर – कोशिका में कोशिका रस का परासरण दाब (Osmotic Pressure) भूमिजल के दाब से अधिक होने से जल विसरण द्वारा मूलरोम की कोशिकाओं में जल प्रवेश कर जाता है।
4.  वाष्पोत्सर्जन क्रिया का पौधों के लिए क्या महत्व है ? 
उत्तर – वाष्पोत्सर्जन क्रिया का पौधों के लिए महत्व – पौधे के मूल से चोटी तक लगातार जल की धारा वाष्पोत्सर्जन के द्वारा ही प्रवाहित होती है। यह खनिज व अवशोषण एवं परिवहन में भी सहायता करता है। इसके अलावा यह पौधों में तापक्रम – संतुलन बनाए रखने में सहायक होता है।
 5.  एकदिशीय एवं द्विदिशीय स्थानांतरण में क्या अन्तर है ?
उत्तर – जाइलम में जल एवं खनिज लवण का संचलन ऊपर की ओर (एकदिशीय) होता है, जबकि फ्लोएम में खाद्य पदार्थों का परिवहन ऊपर और नीचे दोनों एक (द्विदिशीय) होता है।
 6.  लाल रक्त कोशिकाएँ ऑक्सीजनवाहक हैं। कैसे ?
उत्तर – लाल रक्त कोशिका में एक विशेष प्रकार का प्रोटीन वर्णक हीमोग्लोबिन पाया जाता है। इसी के कारण रक्त का रंग लाल होता है। हीमोग्लोबिन के एक अणु की क्षमता ऑक्सीजन के चार अणुओं से संयोजन की होती है। इसी गुण के कारण इसे ऑक्सीजनवाहक कहते हैं। लाल रक्त कोशिकाएँ शरीर में श्वसन गैसों का परिवहन करती हैं तथा श्वसन के द्वारा लिए गए ऑक्सीजन से संयोग कर अस्थायी यौगिक ऑक्सी हीमोग्लोबिन बनाता है तथा इसी रूप में रक्त परिवहन के द्वारा यह शरीर के सम्पूर्ण भाग में पहुँचता है।
7.  श्वेत रक्त कोशिकाएँ लाल रक्त कोशिकाओं से किस प्रकार मिन हैं
उत्तर –

श्वेत रक्त कोशिकाएँ लाल रक्त केशिकाओं से निम्नांकित से भिन्न है |

लाल रक्त कोशिका (RBC):–
1–इन्हे एरिथ्रोसाइट्स भी कहते है |
2–इनका आकार उभयनातोदर डिस्क की तरह होता है जिनमे (ऊँट को छोड़कर सभी स्तनधारियों में) केन्द्रक का अभाव होता है |
3–इनमे हीमोग्लोबिन नामक प्रोटीन वर्णक उपस्थित होता है, इसके चलते इनका रंग लाल होता है |
4–ये शरीर में श्वसन गैसों के परिवहन का कार्य करती है |
5–मानव के प्रति माइक्रोलीटर (MICROLITRE) रक्त में इनकी संख्या 5-5.5 मिलियन तक होती है |

श्वेत रक्त कोशिका (WBC):–
1– इन्हे ल्यूकोसाइट्स भी कहते है |
2–ये अनियमित आकर की केंद्रयुक्त होती है |
3–इसमें प्रोटीन वर्णक हीमोग्लोबिन अनुपस्थित होता है |
4–ये शरीर में प्रतिरक्षा तंत्र का निर्माण करती है |
5–मानव के प्रति माइक्रोलीटर (MICROLITRE) रक्त में इनकी संख्या 5000-10,000 तक होती है |

8.  रक्त पट्टिकाणु का क्या महत्व है ?
उत्तर – रक्त पट्टिकाणु का महत्व – ये विषाणु या थ्रोंबोसाइट्स (thrombocytes) भी कहलाते हैं। ये रक्त के थक्का बनने (Clotting of blood) में सहायक होते हैं।
9.  धमनी और शिरा में अंतर बताइए।
उत्तर –
धमनी शिरा
धमनियों में रक्त हृदय से अंगों की ओर जाता है शिराओं में रक्त अंगों से हृदय की ओर जाता है
धमनियों में ऑक्सीकृत रक्त होने के कारण लाल दिखाई देती है शिराओ के रक्त में कार्बन डाइऑक्साइड की उपस्थिति के कारण नीली दिखाई देती है
धमनियों में शुद्ध रक्त का प्रवाह होता है शिराओं में अशुद्ध रक्त का प्रवाह होता है
धमनियों में भित्तियां मोटी और लचीली होती हैं शिराओं में भित्तियां कम मोटी अर्थात पतली तथा कम लचीली होती हैं
हृदय की धड़कन गति के कारण धमनियों में रक्त का प्रवाह अधिक तीव्र गति से होता है शिराओं में रक्त का प्रवाह एक समान गति से होता है
धमनियों में अंदर की गुहा सकरी होती है शिराओं में अंदर की गुहा चौड़ी होती है
धमनिया त्वचा से दूर अंदर की ओर स्थित होते हैं शिराएं त्वचा के निकट बाहर की ओर स्थित होती हैं
पल्मोनरी धमनी में अशुद्ध रक्त का प्रवाह होता है पल्मोनरी शिरा में शुद्ध रक्त का प्रवाह होता है
धमनी में कपाट नहीं पाए जाते हैं तथा इनकी आयतन में कोई परिवर्तन नहीं होता हैं। शिराओं में कपाट पाए जाते हैं तथा इनके आयतन में परिवर्तन होता है।
10.  रक्त के द्विगुण परिवहन का क्या अर्थ है ?
उत्तर – परिवहन को एक चक्र को पूरा करने में रक्त हृदय से होकर दो बार गुजरता है। इस प्रकार रक्त का परिवहन द्विगुण परिवहन कहलाता है। इसमें रक्त का अर्थ हृदय में भरना फिर उसका बाहर निकलना एक चक्र कहलाता है।
> दीर्घ उत्तरीय प्रश्न
1. जाइलम और फ्लोएम के मुख्य भेदों को लिखें।
उत्तर –

जाइलम एवं फ्लोएम में निम्नलिखित देखे जा सकते हैं:-

  • जाइलम मुख्य रूप से पौधों में जल एवं अन्य जरूरी खनिज पदार्थों का संचालन करता है जबकि फ्लोएम पौधों में भोजन का निर्वाहन करता है।
  • जाइलम में मृत कोशिकाओं की उपस्थिति होती है परंतु फ्लोएम में जीवित कोशिकाओं की उपस्थिति होती है।
  • जाइलम में एकदिशीय परिवहन होता है जबकि फ्लोएम में द्विदिशीय परिवहन होता है।
  • जाइलम में दबाव ऋणात्मक होता है जबकि फ्लोएम में दबाव धनात्मक होता है।
  • जाइलम के नलिकाओं एवं वाहिकाओं में मृत कोशिकाओं की संख्या देखी जा सकती है परंतु फ्लोएम में चालनी नलिकाओं एवं सहायक कोशिकाएं जीवित अवस्था में होती हैं।
  • जाइलम में खनिज पदार्थों का परिवहन नलिकाओं एवं वाहिकाओं के माध्यम से होता है जबकि फ्लोएम में भोजन का परिवहन चालनी नलिकाओं एवं सहायक कोशिकाओं के माध्यम से होता है।
2. लंबे वृक्षों में पूरी ऊँचाई तक जल कैसे चढ़ता है ? समझाएँ। 
उत्तर – एककोशिकीय पौधे यथा- क्लैमाइडोमोनास, युग्लीना एवं सरल बहुकोशिकीय शैवालों में पदार्थों का परिवहन विसरण द्वारा होता है। किन्तु जटिल बहुकोशिकीय पौधों में जल एवं खाद्य पदार्थों के परिवहन के लिए एक खास परिवहन तंत्र होता है। इस पौधे में जाइलम एवं फ्लोएम विशिष्ट परिवहन ऊतक है। ये लम्बी-लम्बी नलिकाओं के रूप में होती हैं। ये ऊतक जड़ से तना एवं पत्तियों तक फैले होते हैं। पत्तियों में ये शिराएँ एवं उनकी शाखाओं के रूप में देखी जा सकती हैं। जल एवं खनिज लवणों को जड़ द्वारा खींचे जाते हैं तथा जाइलम पत्तियों तक पहुँचाते हैं। प्रकाश संश्लेषण क्रिया द्वारा निर्मित भोज्य पदार्थ को फ्लोएम ऊतक विभिन्न अंगों को पहुँचा देता है। इस प्रकार बड़े जटिल वृक्षों में विभिन्न ऊँचाइयों तक जल का संवहन होता है। जाइलम को जल संवाहक ऊतक भी कहा जाता है। इसमें पायी जाने वाली वाहिकाएँ एवं वाहिनिकाएँ मुख्य रूप से जल एवं खनिज पदार्थों को ऊँचाइयों तक पहुँचाते हैं।
3.  पौधों में खाद्य पदार्थों के परिवहन की क्रिया कैसे संपन्न होती है ? सचित्र वर्णन करें। 
> उत्तर- पौधों में खाद्य पदार्थों एवं अन्य पदार्थों जैसे एमीनो अम्ल का स्थानांतरण पौधों में सदा अधिक सांद्रतावाले भागों से कम सांद्रता वाले भागों की ओर होता है। अधिक सांद्रता वाले भागों को संभरण- सिरे (Supply end) और कम सांद्रता वाले भागों को उपयोग- सिरे (Consumption end) कहते हैं। खाद्य पदार्थों का स्थानांतरण फ्लोएम की चालनी नालिकाओं द्वारा होता है। 8
ये नलिकाएँ अत्यन्त छोटे छिद्रोंवाले प्लेट (Sieve plate) से जुड़ी रहती हैं। अतः ये नलिकाएँ खाद्य पदार्थों के स्थानांतरण के लिए विशेष रूप से उपयुक्त हैं।
चित्र: फ्लोएम की चालनी नलिकाओं द्वारा खाद्य पदार्थों का परिवहन
इस प्रकार पौधों में जल तथा खनिज लवणों के परिवहन के लिए एक तंत्र होता है जो जड़ से पौधों की ऊपरी भागों की ओर एकदिशीय (Unidirectional) पथ में गति करता है। खाद्य पदार्थों के स्थानांतरण के लिए एक अलग तंत्र होता है जो पत्तियों से नीचे की ओर अधोमुखी या संचयन अंगों, जैसे संचयी जड़ से ऊपर की ओर उपरिमुखी द्विदिशीय (bidirectional) पथ में गति करता है। इस प्रकार पौधों में परिवहन के लिए दो स्वतंत्र पथ पाए जाते हैं। जल तथा खनिज लवणों का जाइलम से होनेवाले परिवहन को भौतिक बलों (मूल दाब, वाष्पोत्सर्जन आदि) द्वारा समझा जा सकता है, लेकिन खाद्य पदार्थों का फ्लोएम से होनेवाले स्थानांतरण में ऊर्जा का उपयोग होता है। फ्लोएम पौधों की आवश्यकतानुसार खाद्य पदार्थों का स्थानांतरण विभिन्न भागों में करता है।
4. मनुष्य के रक्त की संरचना का वर्णन करें।
उत्तर – रक्त एक तरल ऊतक है। इसे परिवहनयोजी ऊतक भी कहा जाता है। इसमें 55-60% हिस्सा जलीय घोल के रूप में पाया जाता है। इसे प्लाज्मा कहते हैं। शेष भाग में रक्त कोशिकाएँ पायी जाती हैं, रक्त गाढ़ा क्षारीय तरल पदार्थ हैं। इनकी संरचना इस प्रकार है –
(i) प्लाज्मा – यह हल्के पीले रंग का चिपचिपा द्रव है। यह रक्त में लगभग 55 से 60 प्रतिशत होता है। इसमें 90% जल, 7% प्रोटीन, 0.9% अकार्बनिक लवण, 0.18% ग्लूकोज, 0.5% वसा तथा शेष कार्बनिक पदार्थ होते हैं।
(ii) रक्त कोशिकाएँ– आयतन के हिसाब से यह कुल रक्त के करीब 40-48 प्रतिशत भाग है। स्त्रियों में इसकी संख्या कम तथा पुरुषों में अधिक होती है। ये तीन प्रकार की होती है— (i) लाल रक्त कण, (ii) श्वेत रक्त कण, (iii) प्लेटलेट्स या रक्त पट्टिकाणु ।
(i) लाल रक्त कण- इसमें एक विशेष प्रकार का प्रोटीन वर्णक लौहयुक्त हीमोग्लोबिन पाया जाता है। हीमोग्लोबिन के कारण रक्त का रंग लाल दिखाई देता है। यह ऑक्सीजन का वाहक होता है। एक किलोग्राम हीमोग्लोबिन 1.3 मिली लीटर ऑक्सीजन हो सकता है। मनुष्य प्रतिदिन लगभग 30 लाख लाल रक्त कणों का निर्माण करता है और इतना ही नष्ट भी होते रहता है। लाल रक्त कोशिकाएँ शरीर में श्वसन के द्वारा लिए गए ऑक्सीजन से संयोग कर ऑक्सी हीमोग्लोबिन बनाता है। इससे इसका रंग गुलाबी या लाल होता है।
(ii) श्वेत रक्त कण – ये अनियंत्रित आकार की न्यूक्लियस युक्त कोशिकाएँ हैं। ये रंगहीन कोशिकाएँ हैं। इनके कुछ कोशिकाओं के जीवद्रव्य में दानेदार कण पाये जाते हैं। जिनकी प्रकृति अम्लीय, क्षारीय या उभयनिष्ठ हो सकता है। इनकी संख्या लाल रक्त कणिका से कम होती है श्वेत रक्त कणिकाएँ हमारे शरीर की सुरक्षा प्रहरी का कार्य करती हैं। ये अलग-अलग रोगाणुओं से लड़ने के लिए अलग-अलग प्रकार के एंटीबॉडी बनाकर रासायनिक युद्ध करते हैं तथा हमारे के शरीर को रोगाणु से रक्षा करते हैं।
(iii) रक्त पट्टिकाणु – यह अनियंत्रित आकार का तारानुमा कोशिकाएँ हैं। इनकी संख्या प्रति घन मिलीमीटर 1.5 से 3 लाख तक होती है। इसे बिंबाणु या थ्रोम्बोसाइट्स भी कहते हैं। यह रक्त को थक्का बनने में सहायता करते हैं।
5.  मानव हृदय का एक स्वच्छ नामांकित चित्र बनाएँ। वर्णन की आवश्यकता नहीं है।
6. मनुष्य के हृदय की संरचना का सचित्र वर्णन करें।
उत्तर – हृदय की संरचना – हृदय का आकार तिकोना होता है। इसका चौड़ा भाग आगे की ओर और सँकरा भाग पीछे की ओर है तथा बाईं तरफ झुका होता है।
 हृदय पेरिटोनियम की एक दोहरी झिल्ली के अंदर बंद होता है, जिसे हृदयावरण या पेरीकार्डियम कहते हैं। पेरीकॉर्डियम की दोनों झिल्लियों के बीच की गुहा को पेरीकॉर्डियल गुहा कहते हैं । इस गुहा में पेरीकॉर्डियल द्रव भरा रहता है। यह द्रव हृदय को बाहरी आघातों से तथा हृदय गति के दौरान हृदय और पेरीकॉर्डियल झिल्ली के बीच होनेवाले संभावित घर्षण से बचाता है। अन्य जंतुओं में चार वेश्म होते हैं जो दायाँ और बायाँ अलिंद
मनुष्य तथा मैमेलिया वर्ग के या ऑरिकिल तथा दायाँ और दायाँ निलय या वेंट्रिकिल कहलाते हैं तथा ये दोनों एक विभाजिका या सेप्टम के द्वारा एक-दूसरे से अलग होते हैं। इस सेप्टम को अंतराअलिंद भित्ति कहते हैं। दायाँ और बायाँ निलय हृदय के संकरे पश्चभाग में स्थित होते हैं तथा ये एक-दूसरे से अंतराविलय भित्ति के द्वारा अलग होते हैं। दोनों अलिंद की दीवार पतली होती है जबकि निलय की दीवार इनके अपेक्षाकृत ज्यादा मोटी होती है। बाएँ निलय की दीवार दाएँ निलय की दीवार की अपेक्षा तिगुनी या चौगुनी होती है।
> चित्र: मनुष्य का हृदय
दायाँ अलिंद दाएँ निलय में एक छिद्र, जिसे दायाँ अलिंद-निलय छिद्र कहते हैं, के द्वारा खुलता है। इस छिद्र पर एक झिल्ली कपाट पाया जाता है जो रक्त को दाएँ अलिंद से दाएँ निलय में जाने तो देता है, परंतु वापस नहीं आने देता। इसी प्रकार, बायाँ अलिंद बाएँ निलय में बायाँ अलिंद-निलय छिद्र के द्वारा खुलता है। इस छिद्र पर एक झिल्ली कपाट या मिटल कपाट होता है जो रक्त को बाएँ अलिंद से बाएँ निलय में जाने देता है, किंतु विपरीत दिशा में वापस नहीं आने देता है।
दाएँ निलय के अगले भाग की बाईं ओर से एक बड़ी फुफ्फुस चाप निकलती है। फुफ्फुस चाप के निकलने के स्थान पर तीन अर्धचंद्राकार वाल्व स्थित होते हैं। इस वाल्व के कारण रक्त दाएँ निलय से फुफ्फुस चाप में जाता तो है, परंतु फिर वापस नहीं आ सकता । फुफ्फुस चाप आगे की ओर दाईं ओर बाईं फुफ्फुस धमनियों में बँट जाता है जो रक्त को फेफड़ों में ले जाते हैं। बाएँ निलय के अगले भाग के दाएँ कोने से महाधमनी या महाधमनी चाप निकलता है। इस महाधमनी के उदगम स्थान पर भी तीन अर्धचंद्राकर वाल्व होते हैं जो रक्त को केवल बाएँ निलय से महाधमनी की ओर ही प्रवाहित होने देते हैं। शरीर के सभी भागों (फेफड़ों को छोड़कर) में जानेवाली धमनियाँ महाधमनी चाप से ही निकलती हैं।
दाएँ अलिंद में दो अग्र महाशिराएँ एक पश्च महाशिरा खुलती है जो शरीर के सभी भागों से अशुद्ध रक्त दाएँ अलिंद में लाती हैं। बाएँ अलिंद में फुफ्फुस शिराएँ खुलती हैं जो फेफड़ों से शुद्ध बाएँ अलिंद में लाती है।
7.  मनुष्य के हृदय की कार्यविधि को समझाएँ।
उत्तर – हृदय शरीर के सभी भागों से अशुद्ध रक्त को ग्रहण करता है । वह उस अशुद्ध रक्त को ऑक्सीजन के द्वारा शुद्ध करने के लिए फेफड़े में भेजता है। हृदय पुनः उस शुद्ध रक्त को फेफड़े से ग्रहण करता है और शरीर के विभिन्न भागों में पम्प कर देता है जिससे सम्पूर्ण शरीर में रक्त का परिसंचरण होता है। यह कार्य हृदय की पेशीय भित्ति के संकुचन के द्वारा संपन्न होता है। हृदय के वेश्मों-अलिंद और निलय में बारी-बारी से संकुचन तथा शिथिलन होता है। हृदय के वेश्मों का संकुचन सिस्टाल तथा शिथिलन डायस्टॉल कहलाता है। शरीर के विभिन्न भागों से अशुद्ध रक्त दो अग्र महाशिराओं एवं एक पश्च महाशिरा के द्वारा दायें अलिंद में पहुँचता है। फेफड़ों से शुद्ध रक्त फुफ्फुस शिराओं के द्वारा बायें अलिंद में पहुँचता है। इसके बाद दोनों अलिंदों में संकुचन तथा साथ-साथ दोनों निलय में शिथिलन होता है। फलतः अशुद्ध रक्त दायें अलिंद
में दायाँ अलिंद निलय छिद्र के द्वारा दायें निलय में तथा शुद्ध रक्त बायें अलिंद से बायें अलिंद निलय छिद्रों के द्वारा बायें निलय में पहुँच जाता है। जब दोनों अलिंद खाली हो जाते हैं तथा दोनों निलय रक्त से भर जाते हैं तब निलयों में संकुचन तथा अलिंदों में संकुचन होता है। इस समय दायाँ अलिंद-निलय छिद्र द्विदली कपाट के द्वारा बंद हो जाते हैं। इसके फलस्वरूप दायें निलय से अशुद्ध रक्त फुफ्फुस धमनियों द्वारा फेफड़े में चला जाता है। जहाँ गैसीय आदान-प्रदान के द्वारा शुद्ध होता है, इसी समय बायें निलय में पहुँचा शुद्ध रक्त महाधमनी में पहुँचता है और फिर वहाँ से विभिन्न धमनियों के द्वारा शरीर के सभी भागों में संचारित होता है। इस प्रकार हृदय अपना कार्य सम्पन्न करता है।
> अन्य महत्त्वपूर्ण प्रश्न एवं उनके उत्तर
> वस्तुनिष्ठ प्रश्न
I. प्रत्येक प्रश्न में दिये गये बहुविकल्पों में सही उत्तर चुनें।
1. निम्नलिखित में कौन एमीनो अम्ल के विखंडन से बनता है –
(क) CO2
(ख) CO
(ग) NH3
(घ) कोई नहीं
उत्तर – (ग)
2. प्लाज्मा में कितना प्रतिशत जल पाया जाता है ?
(क) 90%
(ख) 7%
(ग) 0.5%
(घ) कोई नहीं
उत्तर – (ख)
3.  निम्नलिखित में किसमें हीमोग्लोबिन पाया जाता है 
 (क) श्वेत रक्त कोशिकाएँ
 (ख) प्लाज्मा
 (ग) लाल रक्त कोशिकाएँ
(घ) कोई नहीं
उत्तर-(ग)
4.  जीवों के शरीर में परिवहन कार्य के लिए विकसित तंत्र को क्या कहते हैं ?
(क) परिवहन तंत्र
(ख) वाष्पोत्सर्जन तंत्र
(ग) स्थानांतरण तंत्र
(घ) कोई नहीं
उत्तर – (क)
5.  पौधों के वायवीय भागों से जल का रंध्रों द्वारा वाष्प के रूप में निष्कासन की क्रिया क्या कहलाती है
(क) स्थानांतरण
(ख) परिवहन
(ग) वाष्पोत्सर्जन
(घ) कोई नहीं
उत्तर – (ग)
II. रिक्त स्थानों को उपयुक्त शब्दों या अंकों से भरें।
1. परासरण द्वारा मूलरोम केवल ……….का अवशोषण करते हैं । 
उत्तर – जल
2. रक्त के थक्का बनाने में ……सहायक होते हैं।
उत्तर – रक्त पट्टिकाणु
3.  मनुष्य के हृदय में चार ………होते हैं।
उत्तर – वेश्म
4. रक्त के परिसंचरण के लिए शरीर में ………… प्रकार की रक्त वाहिनियाँ होती हैं।  
उत्तर – तीन
5.  रक्त एक ……….संयोजी ऊत्तक है।
उत्तर – तरल
अतिलघु उत्तरीय प्रश्न
1. मानव के परिवहन के लिए उत्तरदायी तन्त्र का नाम लिखें ।
> उत्तर- रक्त परिसंचरण तन्त्र |
2. जाइलम ऊतक की दो प्रकार की कोशिकाओं के नाम लिखें। 
उत्तर – ट्रैकीड्स और नलिकायें।
3.  उन विभिन्न भागों के नाम लिखें जिनसे होकर पानी ऊपर चढ़ता है और पत्तियों तक पहुँचता है।
उत्तर – मूल रोम – जड़ें जाइलम (जड़ में)– जाइलम (तने और पत्ती में) ।
4.  पत्तियों से पौधों के अन्य भागों में भोजन के परिवहन के लिए उपयुक्त वैज्ञानिक शब्द लिखें।
उत्तर – स्थानान्तरण (Translocation ) ।
5. मानव में पाये जानेवाले रक्त समूहों के नाम लिखें।
उत्तर –  A, B, AB और O.
6. हमारे शरीर में पायी जानेवाली सबसे बड़ी धमनी का नाम लिखें।
उत्तर – एओरटा (Aorta).
7. बहिः कोशिकीय द्रव का दूसरा नाम क्या है ? 
उत्तर – लिम्फ ।
8. जलीय पौधों में गैसों का आदान-प्रदान किस विधि से होता है ?
उत्तर – विसरण |
9.  मानव के हृदय में कितने अलिन्द और कितने निलय होते हैं ?
उत्तर – दो अलिन्द और दो निलय ।
10. पौधे में जल का परिवहन किस ऊतक द्वारा होता है। 
उत्तर – जाइलम।
11. जड़ के किस भाग द्वारा मिट्टी से जल का अवशोषण किया जाता है ?
उत्तर – मूलरोम।
12. पत्ती और वातावरण के बीच गैसों का आदान-प्रदान किस पादप-संरचना द्वारा होता है ?
उत्तर – वातरन्ध्र (Stomata) ।
13. रक्तचाप को मापने वाले यन्त्र का नाम लिखें।
उत्तर –  स्फिग्मोमैनोमीटर (Sphygmomanometer)।
14.  ऊँचे-ऊँचे वृक्षों में पानी किस प्रकार ऊपर चढ़ता है ? 
उत्तर – पत्तियों से होनेवाले वाष्पोत्सर्जन के कारण उत्पन्न खिंचाव बल के कारण।
15.  बीजों को जल में भिंगोने पर वे किस क्रिया के कारण फूल जाते हैं ?
उत्तर – अन्तः शोषण के कारण।
16. कोशिकाओं का निर्जलन किस क्रिया का उदाहरण है ? 
उत्तर – बहि: परासरण ।
17.  किस रक्त वाहिका की दीवारों में पेशियाँ नहीं पायी जाती हैं ? 
उत्तर – केशिका |
18. पौधों में जिन ऊतकों से होकर जल और खनिज पदार्थों का घोल ऊपर चढ़ता है उसका नाम क्या है ?
उत्तर – जाइलम।
19. वसा का वहन शरीर के अन्दर किसके माध्यम से होता है ?
उत्तर – लसीका।
20. मनुष्य में दो तरल पदार्थों के नाम बताएँ जो वहन में शामिल हैं। 
उत्तर – (a) रुधिर, (b) लसीका।
21. रुधिर का तरल हिस्सा क्या है ?
उत्तर – प्लाज्मा
22. मनुष्य के वहन तंत्र के दो प्रमुख हिस्सों के नाम लिखें।
उत्तर – (a) हृदय (b) रुधिर वाहिकाएँ।
23. मनुष्य के हृदय के दो प्रमुख हिस्सों के नाम बताएँ।
उत्तर – (a) अलिन्द, (b) निलय।
24. हृदय को पम्प करने वाला हिस्सा कौन-सा है ?
उत्तर – निलय ।
25. मनुष्य के हृदय में कितने कोष्ठक हैं ?
उत्तर – चार।
26. दारू उत्तक के दो प्रकार के अवयवों के नाम लिखिए।
उत्तर – 1. जाइलम पैरेनकाइमा, 2. जाइलम तन्तु ।
27.  वह तकनीकी शब्द बताइए जो पत्तियों से पादप को अन्य भागों तक भोजन पहुँचने की प्रक्रिया के लिए प्रयोग किया जाता है।
उत्तर – ट्रान्सलोकेशन या परिसंचरण ।
28. शरीर की टूटी-फूटी या मृत कोशिकाओं का पक्षण कहाँ होता है ?
उत्तर – यकृत और प्लीहा में |
29. रक्त प्लेटलेट्स किसे कहते हैं।
उत्तर – यह केंद्रक से रहित कणिका युक्त जीवद्रव्य है जो रक्त को जमा कर थक्का बनाने में सहायता करता है।
30. रक्त कोशिकाओं की रचना कहाँ होती है ?
उत्तर – अस्थि मज्जा में।
31. ECG का पूरा नाम लिखिए ।
उत्तर – इलैक्ट्रो कार्डियो ग्राम
32.  ECG किस लिए प्रयुक्त किया जाता है ? 
उत्तर – हृदय की प्रसमता को मापने के लिए।
33. सामान्य रक्त दाब कितना होता है ?
उत्तर – सामान्य रक्त दाब 120/80 होता है।
सिस्टॉलिक = 120
डायस्टॉलिक = 80
34. जाइलम किसे कहते हैं ?
उत्तर – जाइलम मोटी दीवार वाले वे मृत ऊतक हैं जो पानी और खनिजों को जड़ से पौधों के अन्य भागों तक पहुँचाते हैं।
35. फ्लोएम किसे कहते हैं ?
उत्तर – फ्लोएम वे जीवित ऊतक हैं जो पत्तों से भोजन को पौधे के विभिन्न भागों तक पहुँचाते हैं।
36. मनुष्य में संवहन का माध्यम क्या है ? 
उत्तर – रक्त और लसीका।
37.  शरीर में रक्त को कौन गति प्रदान करता है ?
 उत्तर – हृदया
38. रुधिर क्या है ? 
उत्तर – एक तरल संयोजी ऊतक ।
39. लाल रुधिर कोशिकाएँ किसे ले जाती हैं ?
उत्तर – ऑक्सीजन को।
40. द्विगुण परिसंचरण में दो कौन-से परिसंचरण होते हैं ? 
उत्तर – (i) पल्मोनरी परिसंचरण, (ii) सिस्टेमिक परिसंचरण |
41. शरीर में हानिकारक जीवाणुओं को नष्ट कौन करता है ? 
उत्तर – श्वेत रक्त कणिकाएँ (W.B.C.)।
> लघु उत्तरीय प्रश्न
1. वहन किसे कहते हैं ?
उत्तर – पौधे के एक भाग से दूसरे भागों तक जल और खनिज लवणों का परिवहन, वहन कहलाता है।
2. मानव में वहन तंत्र के घटक कौन-से हैं ? इन घटकों के क्या कार्य है ? 
उत्तर – मनुष्य के वहन तंत्र में हृदय, रुधिर तथा रुधिर वाहिकाएँ होती हैं। वहन तंत्र के निम्नांकित कार्य हैं
(a) हृदय – हृदय एक पम्पिंग अंग है जो शरीर में रुधिर को प्रवाहित करता है। ये विऑक्सीजनित रुधिर शरीर के विभिन्न हिस्सों से प्राप्त करता है तथा ये ऑक्सीजनित रुधिर समस्त शरीर में पम्प करती है।
(b) रुधिर – यह तरल संयोजी ऊतक है। इसमें – (i) प्लाज्मा, (ii) लाल रक्त कणिका, (iii) श्वेत रक्त कणिका तथा (iv) रुधिर प्लेटलेट्स होते हैं। प्लाज्मा घुले रूप में भोजन, CO₂ तथा नाइट्रोजन युक्त उत्सर्जन पदार्थों का परिवहन करता है। लाल रक्त कणिकाएँ श्वसन गैसों तथा हॉरमोनों का परिवहन करती है। श्वेत रक्त कणिकाएँ शरीर की रक्षा संक्रमणों से करती हैं तथा प्लेटलेट्स घायल अवस्था में रुधिर हानि को रुधिर का थक्का बना कर रोकती है।
(c) रूधिर वाहिकाएँ– रुधिर वाहिकाओं का एक जल होता है। वे समस्त शरीर में रुधिर के परिवहन में सहायता करती है।
3. रक्तदाब किसे कहते हैं ? इसे किस यंत्र द्वारा मापा जाता है ?
उत्तर – रुधिर वाहिकाओं की भित्ति के विरुद्ध जो दाब लगाता है उसे रक्तदाब कहते हैं। रक्तदाब को स्फाइग्मोमैनोमीटर नाम यंत्र से मापा जाता है।
4. लसीका क्या है ?
उत्तर – ऊतकों के अन्तः कोशकीय अवकोशों में पाया जानेवाला प्लाज्मा प्रोटीन तथा रुधिर कोशिकाओं से बना रंगहीन तरल पदार्थ लसीका कहलाता है। यह कोशिका झिल्ली के छिद्रों से होकर बाहर निकले हुए प्लाज्मा, प्रोटीन तथा रुधिर कोशिकाओं के मिलने से बनता है।
5.  मानव हृदय में निलय की दीवारें, अलिन्द की दीवारों की तुलना में अधिक मोटी हैं। ऐसा क्यों है ?
उत्तर – ऐसा इसलिए है क्योंकि निलयों को शरीर के समस्त अंगों में रुधिर पम्प करना होता है, इसलिए उनकी दीवार मोटी होती है, जबकि अलिन्दों को रुधिर केवल निलयों तक भेजना होता है।
6. ऑक्सीजनित तथा विऑक्सीजनित रुधिर में फर्क बताएँ।
उत्तर
7.  रुधिर और लसीका में अन्तर बताएँ।
उत्तर
रुधिर लसीका
रुधिर रंगहीन नही होता है। इसका रंग लाल होता है। लसीका रंगहीन होता है। इसका कोई रंग नही होता है।
रुधिर में लाल रुधिर कणिकाएँ की संख्या अधिक मात्रा में होती है। लसीका में लाल रुधिर कणिकाएँ की संख्या की मात्रा कम होती है।
रुधिर में श्वेत रुधिर कणिकाएँ की संख्या की मात्रा कम होती है। लसीका में श्वेत रुधिर कणिकाएँ अधिक संख्या में पाई जाती हैं।
रुधिर में फाइब्रिनोजेन की मात्रा अधिक पाई जाती है जिससे यह बहुत ही आसानी के साथ थक्का बन जाता है । लसीका में फाइब्रिनोजेन की मात्रा कम उपस्थित होती है फिर भी थक्का जमने की शक्ति इसमें विद्यमान होती है।
रुधिर में प्रोटीन की मात्रा अधिक होती है लसीका में प्रोटीन की मात्रा कम होती हैं।
8. स्तनधारी तथा पक्षियों में ऑक्सीजनित तथा विऑक्सीजनित रुधिर को अलग करना क्यों आवश्यक है ?
उत्तर – शरीर में ऑक्सीजन की सप्लाई प्रभावी तरह से रखने के लिए ऑक्सीजनित तथा विऑक्सीजनित रुधिर को अलग-अलग रखना आवश्यक है। यह तंत्र उन जन्तुओं के लिए आवश्यक है जिनको ऊर्जा की आवश्यकता अधिक है। स्तनधारियों तथा पक्षियों में ऊर्जा प्राप्त करने हेतु ऑक्सीजन की निरन्तर सप्लाई आवश्यक है।
9. उच्च संघटित पादपों में वहन तंत्र के क्या घटक हैं ? 
उत्तर – उच्च संघटित पादपों में परिवहन के निम्नांकित भाग होते हैं –
(a) जाइलम वाहिनियाँ जो खनिज तथा जल को भूमि से शोषित करके पादप के शिखर तक ले जाती है।
(b) फ्लोएम वाहिनियाँ पत्तियों में तैयार भोजन पादप के अन्य भागों तक ले जाती हैं जिन्हें संचित करने की आवश्यकता होती है।
10. पादपों में जल और खनिज लवण का वहन कैसे होता है ?
उत्तर – पादप में जल और खनिज लवण का वहन जाइलम वाहिनियों द्वारा होता है। परासरण के नियमानुसार मृदा के कणों के बीच उपस्थित खनिजों का जलीय घोल जड़ों के मूलरोगों में प्रवेश करता है और इसी प्रकार उच्च सान्द्रण से निम्न सान्द्रण की ओर बढ़ता हुआ जाइलम वाहिनियों में पहुँच जाता है। वाष्पोत्सर्जन के कारण उत्पन्न खिंचाव, परासरण दाब एवं कोशिका दाब के प्रभाव में जलीय घोल पौधे के शीर्ष भाग तक पहुँच जाता है। इसे रसारोहण (Ascent of sap) भी कहते हैं।
11. मनुष्यों में ऑक्सीजन तथा कार्बन डाइऑक्साइड का परिवहन कैसे होता है ?
उत्तर – (a) ऑक्सीजन वहन–श्वसन रंजक (हीमोग्लोबिन), जो लाल रक्त कोशिकाओं में होता है, फेफड़ों में पहुँची हुई वायु में से ऑक्सीजन लेता है। वे ऑक्सीजन को उन ऊतकों तक ले जाते हैं जहाँ ऑक्सीजन की कमी है।
(b) कार्बन डाइऑक्साइड वहन कार्बन डाइऑक्साइड जल में अधिक घुलनशील है। इसलिए इसका हमारे शरीर में ऊतकों से फेफड़ों तक हमारे रक्त के प्लाज्मा में घुले हुए रूप में वहन होता है, जहाँ से इसका विसरण रक्त से वायु में होता है और फिर यह नासाद्वारों भाग बाहर चली जाती है।
12. गैसों के अधिकतम विनिमय के लिए कृषिकाएँ किस प्रकार अभिकल्पित हैं ?
उत्तर – श्वसन तंत्र में फुफ्फुस के अंदर अनेक छोटी-छोटी नलियों का विभाजित रूप होता है जो अंत में गुब्बारों जैसी रचना में अंतकृत हो जाता है, जिसे कूपिका कहते हैं। यह एक सतह उपलब्ध कराती हैं जिससे गैसों का विनिमय हो सके। यदि कृमिकाओं की सतह को फैला दिया जाए तो यह लगभग 80 वर्ग मीटर क्षेत्र को ढ़ाँप सकता है। कूपिकाओं की भित्ति में रुधिर वाहिकाओं का बहुत विस्तृत जाल होता है। जब हम साँस अंदर लेते हैं तो पसलियाँ ऊपर उठ जाती हैं और हमारा डायक्राम चपटा हो जाता है जिससे वक्षगुहिका बड़ी हो जाती है। इस कारण वायु फुफ्फुस के भीतर चूस कूपिका रक्त वाहिका का रक्त ती है। रक्त शरीर से लाई गई CO, कूपिकाओं को दे देता है। कूपिका वायु से ऑक्सीजन लेकर शरीर की सभी कोशिकाओं तक पहुँचा देती हैं।
13. जाइलम तथा फ्लोएम में पदार्थों के वहन में क्या अंतर है ? 
उत्तर – जाइलम निर्जीव ऊतक हैं। ये जड़ों से जल और घुले हुए लवणों को पत्तियों में पहुँचाते हैं। फ्लोएम सजीव ऊतक हैं। ये पत्तियों में तैयार शर्करा को पौधे के सभी भागों तक पहुँचाते हैं। जाइलम ऊपर की तरह गति करने में सहायक होते हैं और फ्लोएम नीचे की तरफ गति कराते हैं।
14. पदार्थों के स्थानांतरण की आवश्यकता क्यों होती है ?
उत्तर – शरीर के विभिन्न भागों में पदार्थों को पहुँचाने की प्रक्रिया को परिसंचरण कहते हैं। यह निम्न कारणों से आवश्यक हैं
1.भोजन, ऑक्सीकरण, जल और अन्य आवश्यक पदार्थ विभिन्न तन्त्रों को पहुँचाये जाते हैं।
2. यह शरीर की कोशिकाओं द्वारा बनाये गये उत्सर्जित पदार्थों को उत्सर्जन अंगों में पहुँचाते हैं, जहाँ से वे शरीर से बाहर निकाले जाते हैं।
3.शरीर के तापक्रम को स्थिर रखा जाता है।
15. उन विविध कोशिकाओं के नाम लिखिए जिनके द्वारा जल पत्तियों तक पहुँचता है।
उत्तर – उच्च वर्ग के पौधों में जल तथा खनिज लवण घोल के रूप में पौधे के ऊपरी भागों पहुँचते हैं, जो निम्न प्रकार है-
 1. मूल रोम,
2. ऐपिडर्मी कोशिकायें,
3. प्रोटोजाइलम और
4. मैटा जाइलम ।
16. श्वेत रुधिर कणिकाओं को मानव शरीर का “सैनिक” क्यों कहते हैं 
उत्तर – श्वेत रक्त कणिकाएँ हमारे शरीर की बीमारियों से रक्षा करती हैं। वे सभी अवांछनीय पदार्थों को शरीर से बाहर भेजती है तथा शरीर में एण्टीबॉडिज बनाती है। इसलिए इन्हें ‘शरीर का सैनिक’ कहा जाता है।
17. दोहरे ‘परिसंचरणं’ का अर्थ स्पष्ट कीजिए।
उत्तर – दोहरे संचरण से अभिप्राय है कि हृदय में रक्त दो बार संचारित होता है। सबसे पहले शरीर के विभिन्न भागों से रक्त को एकत्र करके दाहिने अलिन्द में लाया जाता है जहाँ से यह दाहिने निलय में जाता है और फिर फुफ्फुस शिरा द्वारा हृदय में पहुँचता है जहाँ पर इसका शुद्धिकरण किया जाता है। शुद्ध रक्त फिर दाहिने अलिन्द में आता है, फुफ्फुस शिरा द्वारा। इसके बाद इसे बायें निलय में भेजा जाता है जहाँ से यह ट्रंकस धमनी द्वारा शरीर के विभिन्न भागों तक पहुँचाया जाता है। इस प्रकार शरीर में दोहरा परिसंचरण होता है।
18. पादपों तथा प्राणियों में पदार्थों के परिवहन के लिए विशिष्ट ऊत्तकों अथवा अंगों की क्या आवश्यकता है ?
उत्तर – जन्तु और पौधे बहुकोशिकीय जीव हैं। विशेष प्रकार की कोशिकाएँ समूह बनाकर, विशेष कार्य करती हैं जिन्हें ऊत्तक कहा जाता है। अनेकों प्रकार के ऊत्तक समान कार्य के आधार पर समूह बना लेते हैं, जिसे अंग कहा जाता है। प्रत्येक प्रकार का विशेष ऊत्तक या अंग विशेष प्रकार के कार्य करते हैं जिससे कार्य सुविधापूर्वक और पूर्ण रूप से किया जा सके।
19. पादपों में भोजन का स्थानान्तरण कैसे होता है ?
उत्तर – पौधों में भोजन का वहन पत्तियों से प्रारम्भ होकर फ्लोएम वाहिनियों द्वारा पूरे पादप शरीर में होता है। फ्लोएम वाहिनियों की चालनी नलिका में चलनी पट्ट से होकर भोजन का प्रवाह होता
उच्च सान्द्रण से निम्न सान्द्रण की ओर
20. जाइलम तथा फ्लोएम में पदार्थों के वहन में क्या अन्तर है ?
उत्तर
> दीर्घ उत्तरीय प्रश्न
1. वाष्पोत्सर्जन क्या है ? पादपों में इसका महत्व बताएँ।
उत्तर – पादप में पत्तियों की सतह से तथा प्ररोह के अन्य हिस्सों से वातावरण में जल की जलवाष्प के रूप में हानि को वाष्पोत्सर्जन कहते हैं।
> पादपों में वाष्पोत्सर्जन का अत्यधिक महत्व है। इसके प्रमुख लाभ निम्नांकित हैं —
(a) शीतलन प्रभाव वाष्पन तापमान को कम करता है। इसलिए वाष्पोत्सर्जन कड़ी धूप के दिनों में पादपों के लिए लाभप्रद है।
(b) चूषण बल–वाष्पोत्सर्जन पादप के शिखर पर चूषण बल उत्पन्न करके रस से ऊपर चढ़ने में मदद करता है। पत्तियों में वाष्पन कोशिका रस को सान्द्र करता है तथा उनका परासरण दाब बढ़ाता है। यह जल को नीचे स्तर की कोशिकाओं से क्रमबद्ध रूप में ऊपर की ओर खींचता है, अतः अन्त में मृदा से जल के परासरण द्वारा अवशोषण में मदद करता है।
(c) जल का वितरण – क्योंकि पत्तियाँ शाखाओं के शिखरों पर स्थापित होती हैं, अतः पत्तियों की सतह से वाष्पोत्सर्जन, जल को की पत्तियों ओर खींचता है और इस प्रकार पादप शरीर के सभी हिस्सों में जल का वितरण करता है।
(d) आधिक्य जल का निकालना – जड़ें निरन्तर बहुत बड़ी मात्रा में जल का अवशोषण करती हैं। वाष्पोत्सर्जन एक बहुत प्रभावी तरीका है जिसके द्वारा आधिक्य जल निकाला जा सकता हैं।
 2. मनुष्य में हृदय से होकर रक्त परिवहन का चित्र बनाएँ।
उत्तर –
3. फुफ्फुस में कूपिकाओं की तथा वृक्क में वृक्काणु (नेफ्रान) की रचना तथा कार्यविधि की तुलना कीजिए ।
उत्तर
4. रक्त दाब किसे कहते हैं ? इसे कैसे मापते हैं ? रक्त चाप अधिक बढ़ जाने से क्या क्षति हो सकती है ?
उत्तर –  रक्त वाहिकाओं की दीवारों के विरुद्ध जो दाब लगता है उसे रक्तदाब कहते हैं। यह दाब शिराओं की अपेक्षा धमनियों में बहुत अधिक होता है। धमनी के अंदर रक्त का दाब निलय प्रकुंचन के दौरान प्रकुंचन दाब तथा निलय अनुशिथिलन के दौरान धमनी के अंदर का दाब अनुशिथिलन दाब कहलाता है। सामान्य प्रकुंचन दाब लगभग 120 मिमी (पारा) तथा अनुशिथिलन दाब लगभग 80 मिमी (पारा) होता है।
स्फाइग्मोमैनोमीटर नामक यंत्र से रक्तदाब मापा जाता है। उच्च रक्तदाब को अति तनाव भी कहते हैं और इसका कारण धमनिकाओं का सिकुड़ना है। इससे रक्त प्रवाह में प्रतिरोध बढ़ जाता है। इससे आँख, मस्तिष्क आदि अंगों की धमनी फट सकती है। इससे आंतरिक रक्तस्रावण हो सकता है।
5.  मनुष्य में दोहरा परिसंचरण की व्याख्या कीजिए यह क्यों आवश्यक है ? 
उत्तर – हृदय दो भागों में बँटा होता है। इसका दायाँ और बायाँ भाग ऑक्सीजनित और विऑक्सीजनित रुधिर को आपस में मिलने से रोकने में उपयोगी सिद्ध होता है। इस तरह का बँटवारा शरीर को उच्च दक्षतापूर्ण ऑक्सीजन की पूर्ति कराता है। जब एक ही चक्र में रुधिर दोबारा हृदय में जाता है तो उसे दोहरा परिसंचरण कहते हैं। इसे इस प्रकार स्पष्ट किया जा सकता है –
ऑक्सीजन को प्राप्त कर रुधिर फुफ्फुस में आता है। इस रुधिर को प्राप्त करते समय बायाँ अलिंद हृदय में बायीं ओर स्थित कोष्ठ बायाँ अलिंद शिथिल रहता है। जब बायाँ निलय फैलता है, तब यह संकुचित होता है, जिससे रुधिर इसमें चला जाता है। अपनी बारी पर जब पेशीय बायाँ निलय संकुचित होता है, तब रुधिर शरीर में पंपित हो जाता है। जब दायाँ अलिंद फैलता है तो शरीर से विऑक्सीजनित रुधिर इसमें आ जाता है। जैसे ही दायाँ अलिंद संकुचित होता है, नीचे वाला दायाँ निलय फैल जाता है। यह रुधिर को दाएँ निलय में भेज देता है जो रुधिर को ऑक्सीजनीकरण के लिए फुफ्फुस में पंप कर देता है। अलिंद की अपेक्षा निलय की पेशीय भित्ति मोटी होती है क्योंकि निलय को पूरे शरीर में रुधिर भेजना होता है। जब अलिंद या निलय संकुचित होते हैं तो वाल्व उल्टी दिशा में रुधिर प्रवाह को रोकना सुनिश्चित करते हैं।
# दोहरे परिसंचरण का संबंध रक्त परिवहन से है। परिवहन के समय रक्त दो बार हृदय से गुजरता है। अशुद्ध रक्त दायें निलय से फेफड़ों में जाता है और शुद्ध होकर बायें आलिंद के पास आता है।
# शुद्ध होने के बाद रक्त दायें अलिंद से पूरे शरीर में चला जाता है और फिर अशुद्ध होकर बायें निलय में प्रवेश कर जाता है। इसे सिस्टेमिक परिसंचरण कहते हैं।
# दोहरे परिसंचरण के कारण शरीर की पर्याप्त मात्रा में ऑक्सीजन प्राप्त हो जाती है। उच्च ऊर्जा की प्राप्ति होती है जिससे शरीर का उचित तापमान बना रहता है।
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