जीव विज्ञान : श्वसन | Class 10Th Biology Chapter – 2 Notes | Model Question Paper | श्वसन Solutions

जीव विज्ञान : श्वसन | Class 10Th Biology Chapter – 2 Notes | Model Question Paper | श्वसन Solutions

जीव विज्ञान : श्वसन

स्मरणीय तथ्य : एक दृष्टिकोण (MEMORABLE FACTS: ATA GLANCE)
> वृहत रूप में श्वसन उन सभी प्रक्रियाओं का सम्मिलित रूप है जिनके द्वारा शरीर में ऊर्जा का उत्पादन होता है।
> ऊर्जा के उत्पादन के लिए कोशिकाओं में ग्लूकोज का क्रमिक ऑक्सीकर विखंडन किया जाता है जिससे इसके बंधन टूट जाते हैं और इनमें संचित रासायनिक ऊर्जा मुक्त होती तथा ATP जैसे यौगिक के रासायनिक बंधन में संग्रहीत हो जाती है।
> ATP का उत्पादन चूँकि जैव कोशिकाओं में ही होता है, इसलिए इसे जैव ऊर्जा भी कहते हैं।
> ATP समस्त जैन कोशिकाओं में रासायनिक ऊर्जा का सार्वजनिक वाहक है ।
>  ATP के उत्पादन के लिए कोशिका मुख्यतः ग्लूकोज का उपयोग करती है, इसलिए ग्लूकोज
को कोशिकाय ईंधन भी कहा जाता है।
> कोशिकीय श्वसन को दो अवस्थाओं अवायवीय तथा वायवीय में विभाजित किया जाता है।
> श्वसन के अंतर्गत बाहरी वातावरण से ऑक्सीजन ग्रहण कर शरीर की कोशिकाओं में पहुँचाया जाता है जहाँ इसका उपयोग कोशिकीय ईंधन के ऑक्सीकरण में जैव ऊर्जा (ATP) का उत्पादन किया जाता है तथा इस क्रिया उत्पन्न कार्बन डाइऑक्साइड को फिर कोशिकाओं से शरीर के बाहर निकाल दिया जाता है।
> वायवीय श्वसन में ऑक्सीजन की उपस्थिति में पायरुवेट का पूर्ण विखण्डन होता है एवं यह क्रिया माइटोकॉण्डिया में होती है।
> अवायवीय श्वसन में ऑक्सीजन की अनुपस्थिति में ग्लूकोज अणु का आशिक विखण्डन पायरुवेट में होता है। यह क्रिया कोशिकाद्रव में होती है।
> उच्च श्रेणी के जंतुओं में उनके वास- स्थानों तथा शरीर की संरचना के अनुकूल श्वसन या श्वासोच्छ्वास अंग पाए जाते हैं। जैसे, मछली में गिल्स से, ग्रासहॉपर तथा अन्य स्थलीय कीटों में श्वासनली या ट्रैकिया से तथा मनुष्य में फेफड़ों से श्वसन होता है।
> कीटों जैसे ग्रासहॉपर, तिलचट्टा, मक्खी आदि के श्वसन की विशेषता यह है कि इसमें ऑक्सीजन रक्त के माध्यम से नहीं, बल्कि सीधे ऊतक को पहुँचता है। इसका कारण रक्त में हीमोग्लोबिन का न होना है।
> एककोशिकीय जंतुओं, जैसे अमीबा, पैरामीशियम में श्वसन गैसों का आदान-प्रदान कोशिका झिल्ली से विसरण द्वारा होता है।
> मछली में श्वसन गैसों का आदान-प्रदान गिल्स में स्थित रक्त वाहिनियों के रक्त और जल के बीच विसरण द्वारा होता है।
> मनुष्य में नासिका छिद्र, लैरिंक्स, ट्रैकिया तथा फेफड़ा मिलकर श्वसन अंग कहलाते हैं। मनुष्य के ट्रैकिया की लम्बाई 11 cm तथा व्यास करीब 16mm होता है तथा इसकी दीवार को मजबूती देने के लिए उपास्थि के बने अपूर्ण वलय क्रम से पूरी लम्बाई में सजे होते हैं।
> वायुकोष्ठिका वाहिनियाँ अनेक छोटे-छोटे वायुकोष या एल्विओलाई में खुलती हैं। मनुष्य के फेफड़ों में करीब 7 x 10⁸ वायुकोष पाए जाते हैं।
> मनुष्य में नासिका छिद्र ग्रसनी में खुलता है। ग्रसनी लैरिंक्स ट्रैकिया से जुड़ा होता है।
> ट्रैकिया बारी-बारी से श्वसनियों, श्वसनिकाओं तथा फिर कई वायुकोष्ठिका वाहिनियों में बँटा होता है।
> मनुष्य का फेफड़ा वक्षगुहा में स्थित दो स्पंजी, गुलाबी, थैलीनुमा रचना है जो हृदय के इधर- उधर प्लूरल गुहाओं में स्थित होता है ।
> श्वसन की दो अवस्थाएँ – प्रश्वास तथा उच्छ्वास मिलकर श्वासोच्छ्वास कहलाती हैं।
> श्वासोच्छ्वास एक अनैच्छिक तथा अंशतः ऐच्छिक क्रिया है जिसका नियंत्रण मस्तिष्क के पश्चभाग में स्थित श्वसन केंद्र के द्वारा होता है।
> श्वसन की दो क्रियाएँ — प्रश्वास तथा उच्छ्वास के द्वारा पूर्ण होता है।
>वायवीय श्वसन में अवायवीय श्वसन की तुलना में अधिक ऊर्जा मुक्त होती है।
> अभ्यासार्थ प्रश्न
> वस्तुनिष्ठ प्रश्न
1. सही उत्तर का संकेताक्षर ( क, ख, ग या घ) लिखें।
1. इनमें सामान्यतः किसका उपयोग कोशिका द्वारा ऊर्जा उत्पादन के लिए होता है ? 
(क) एमीनो अम्ल
(ख) वसा अम्ल
(ग) ग्लूकोस
 (घ) सूक्रोस
उत्तर– (ग)
2. पौधों में किस क्रिया के द्वारा बाहरी वातावरण से ऑक्सीजन कोशिकाओं को पहुँचता है ?
 (क) विसरण
 (ख) किण्वन
(ग) प्रकाश संश्लेषण
(घ) (क) तथा (ख)
उत्तर – (क)
3.  मनुष्य के ट्रैकिया में पाए जाते हैं –
 (क) उपास्थि के बने पूर्ण वलय
(ख) उपास्थि के बने अपूर्ण वलय
(ग) क्यूटिकल के बने पूर्ण वलय
(घ) क्यूटिकल के बने अपूर्ण वलय
उत्तर – (ख)
4.  श्वसन की क्रिया में खाद्य पदार्थ का क्या होता है ? 
 (क) संश्लेषण
(ख) दहन
(ग) विघटन
(घ) परिवर्तन
उत्तर – (ग)
5. अवायवीय श्वसन कोशिका के किस भाग में होता है ?
(क) माइटोकॉण्ड्रिया
 (ख) कोशिकाद्रव्य
(ग) हरितलवक
(घ) कोशिका झिल्ली
उत्तर – (ख)
6. मनुष्यों में साँस लेने और छोड़ने की क्रिया को क्या कहा जाता है ?
 (क) श्वसन
(ख) श्वासोच्छ्वास
(ग) निश्वसन
 (घ) निःश्वसन
उत्तर – (ख)
7. आणविक ऑक्सीजन के उपलब्ध नहीं होने से पायरुवेट का परिवर्तन जंतुओं में किस यौगिक में होता है ?
(क) लैक्टिक अम्ल
(ख) इथेनॉल
(ग) साइट्रिक अम्ल
(घ) ग्लूकोस
उत्तर – (क)
8. पौधों में गैसों के आदान-प्रदान के लिए रहते हैं –
(क) जड़
(ख) रंध्र
(ग) तना
(घ) टहनी
उत्तर-(ख)
9.  निःश्वास द्वारा निकली वायु में रहती है
(क) CO2,
(ख) O2,
(ग) पायरुवेट
(घ) नाइट्रोजन
उत्तर-(क)
II. रिक्त स्थानों को की पूर्ति करें।
 1. वह क्रिया जिसके द्वारा कोशिकाओं में ग्लूकोस के ऑक्सीकरण से ऊर्जा का उत्पादन होता हैं, ………. कहलाती है
उत्तर – श्वसन
2. मनुष्य का दायाँ और बायाँ नासिका वेश्म उत्तर- श्वसन के द्वारा एक-दूसरे से पृथक होते हैं ।
उत्तर – नासा पट्टिका
3. श्वसन एक ……क्रिया है।
उत्तर – अपचयी
4. श्वसन – प्रक्रम में ग्लूकोज ………..का होता है।
 उत्तर – ऑक्सीकरण
5.  श्वसन के ऑक्सीकरण की क्रिया में संपन्न होती है।
 उत्तर – माइटोकॉण्ड्रिया
6.  कीटों के ……..में हीमोग्लोबिन या उसके जैसा श्वसन रंजक नहीं होता है। 
उत्तर – रक्त
7.  मछली में गिल्स एक चपटी थैली में होती है, जिसे ………. कहते हैं।
उत्तर – गिल- कोष्ठ
> अतिलघु उत्तरीय प्रश्न
1.  ऑक्सीजन की अनुपस्थिति में ग्लूकोस के ऑक्सीकरण को क्या कहते हैं ?
उत्तर – ऑक्सीजन की अनुपस्थिति में ग्लूकोस के ऑक्सीकरण को अनॉक्सी श्वसन कहते हैं।
2. ऑक्सीजन की उपस्थिति में ग्लूकोस के ऑक्सीकरण को क्या कहते हैं ? 
उत्तर – ऑक्सीजन की उपस्थिति में ग्लूकोस के ऑक्सीकरण को ऑक्सी श्वसन कहते हैं।
3.  जैव कोशिकाओं में रासायनिक ऊर्जा का सार्वजनिक वाहक क्या कहलाता है। 
उत्तर – जैव कोशिकाओं में रासायनिक ऊर्जा का सार्वजनिक वाहक ए. टी. पी. (ATP) कहलाता है।
4.  कोशिकीय ईंधन किसे कहते हैं ?
उत्तर – जैव ऊर्जा के उत्पादन के लिए कोशिका मुख्यतः ग्लूकोज का उपयोग करती है। अतः ग्लूकोज को कोशिकीय ईंधन कहा जाता है।
5.  संपूर्ण श्वसन क्रिया के दो प्रमुख चरणों के नाम क्या हैं ?
उत्तर  – (i) प्रश्वास, (ii) उच्छ्वास ।
6.  श्वसन जीवों के लिए क्यों आवश्यक है ? 
उत्तर – ऊर्जा के उत्पादन हेतु जीवों के लिए श्वसन  आवश्यक है।
7. श्वसन की प्रक्रिया में उपोत्पाद के रूप में क्या मुक्त होता है ? 
उत्तर – श्वसन की प्रक्रिया में उपोत्पाद के रूप में कार्बन डाइऑक्साइड मुक्त होता है।
8. श्वसन को दो चरणों में किस आधार पर बाँटा गया है ?
उत्तर – श्वसन को निम्नलिखित दो चरणों में बाँटा गया है
(i) अवायवीय श्वसन (Anaerobic respiration )
(ii) वायवीय श्वसन (Aerobic respiration ) |
9. अवायवीय श्वसन किसे कहते हैं ?
उत्तर – यह श्वसन प्रक्रिया ऑक्सीजन की अनुपस्थिति में होती है। जीवाणु और यीस्ट इस क्रिया में श्वसन करते हैं। इस प्रक्रिया में इथाइल एल्कोहल, CO2, तथा ऊर्जा उत्पन्न होती है। .
10. वायवीय श्वसन की क्रिया किस स्थिति में आरंभ होती है ? 
उत्तर – वायवीय श्वसन में ऑक्सीजन की उपस्थिति में पायरुवेट का पूर्ण विखंडन होता है एवं यह क्रिया माइटोकॉण्ड्रिया में होती है।
11. पायरुवेट का पूर्ण ऑक्सीकरण किस चरण में होता है। 
उत्तर – पायरुवेट का पूर्ण ऑक्सीकरण वायवीय श्वसन में होता है।
12. पौधों में श्वसन गैसों का आदान-प्रदान किन अंगों से होता है ?
उत्तर – पौधों में श्वसन गैसों का आदान-प्रदान शरीर की सतह द्वारा विसरण क्रिया से होता है।
 13. पौधों में गैसों का विनिमय किस क्रिया से होता है ? 
उत्तर – पौधों में गैसों का विनिमय श्वसन एवं प्रकाश संश्लेषण क्रिया से होता है ।
14. अमीबा तथा पैरामीशियम में श्वसन शरीर की कौन-सी संरचना के माध्यम से होता है ? 
उत्तर – अमीबा तथा पैरामीशियम में श्वसन शरीर की कोशिका झिल्ली संरचना के माध्यम से होता है।
15. मछली के श्वसन अंग का नाम लिखें।
उत्तर – मछली के श्वसन अंग का नाम गलफड़ा है।
 16. स्थलीय कीट तथा मनुष्य के श्वसनांगों के नाम लिखें।
उत्तर – स्थलीय कीट के श्वसन अंग—श्वास नली तथा मनुष्य के श्वसन अंग–नासिका छिद्र, श्वासनली तथा फेफडा।
17.  स्थलीय कीटों में पाए जानेवाले श्वसन का प्रकार क्या कहलाता है ?
उत्तर – स्थलीय कीटों में पाए जानेवाले श्वसन का प्रकार श्वास नली या ट्रैकिया कहलाता है।
 18. वर्टिब्रेटा के दो ऐसे वर्गों के नाम लिखें जिनमें श्वसन केवल फेफड़े में
उत्तर- (i) रेप्टीलिया (ii) मैमेलिया ।
19.  मनुष्य में श्वसन क्रिया में प्रयुक्त संपूर्ण अंगों के नाम लिखें।
उत्तर – मनुष्य में नासिका छिद्र, लैरिंक्स, ट्रैकिया तथा फेफड़ा मिलकर श्वसन अंग कहलाते हैं।
20. फेफड़ों द्वारा श्वसन किन दो क्रियाओं से पूर्ण होता
उत्तर – फेफड़ों द्वारा श्वसन प्रश्वास ( Inspiration) तथा उच्छवास (expiration) क्रियाओं से पूर्ण होता है।
21.  पचे हुए भोज्य पदार्थ से कर्जा का उत्पादन किस क्रिया से होता है ?
उत्तर – ऑक्सीकरण के द्वारा।
22.  यीस्ट में पायरूवेट से इथेनॉल किस क्रिया द्वारा बनता है ?
उत्तर – किण्वन द्वारा।
23.  ज्यादा चलने के बाद हमारी मांसपेशियों में क्रैम्प किस यौगिक के निर्माण से होता है ? 
उत्तर – ऑक्सी हीमोग्लोबीन के निर्माण के कारण।
24. श्वसन के प्रथम चरण में बने पायरूवेट का पूर्ण ऑक्सीकरण कहाँ होता है ?
उत्तर – माइटोकॉण्ड्रिया में।
25.  ग्रसनी कंठंद्वार के नीचे कहाँ खुलती है ?
उत्तर – स्वरयंत्र या लैरिक्स में।
26.  प्रत्येक श्वसनी फेफड़े में प्रवेश कर विभाजित होने के बाद क्या बनाती है ? 
उत्तर – वायुकोष्ठिका वाहिनियाँ।
27.  मनुष्य के शरीर में फेफड़ा कहाँ अवस्थित रहता है ? 
उत्तर – वक्षगुहा में।
28.  वक्षगुहा के पश्चभाग में अवस्थित एक गुंबद के आकार की संरचना को क्या कहते हैं ?
उत्तर – डायाक्राम।
29.  हीमोग्लोबिन कहाँ अवस्थित रहता है ?
उत्तर – रूधिर में।
30.  रक्त से फेफड़े में आया कार्बन डाइऑक्साइड का बची हवा के साथ निकलने की क्रिया को क्या कहते हैं ?
उत्तर – उच्छवास।
31.  श्वासोच्छवास का नियंत्रण कहाँ से होता है ?
उत्तर -फेफड़ा से।
32. श्वसन केन्द्र मस्तिष्क के किस भाग में अवस्थित रहता है ?
उत्तर – नासिका छिद्र
> लघु उत्तरीय प्रश्न
1. श्वसन सजीवों के लिए क्यों अनिवार्य है ?
उत्तर – सजीवों को भोजन से आवश्यक ऊर्जा प्राप्त होती है। पचे हुए भोज्य पदार्थों से ऊर्जा का उत्पादन ऑक्सीकरण के द्वारा होता है। ऑक्सीकरण में ऑक्सीजन की उपस्थिति अनिवार्य है। ऑक्सीजन की अनुपस्थिति में होने वाली अवायवीय ऑक्सीकरण में काफी कम ऊर्जा मुक्त होती है। शरीर को पोषण के साथ-साथ ऑक्सीजन की भी आवश्यकता होती है। सजीवों के रक्त परिसंचरण में ऑक्सीजन अनिवार्य है। शरीर को यह ऑक्सीजन श्वसन से ही प्राप्त होता है सामान्यत: ऑक्सीजन ग्रहण करने तथा कार्बन डाइ ऑक्साइड छोड़ने की प्रक्रिया साँस लेना है अर्थात् वृहत रूप में श्वसन उन सभी प्रक्रिया में शामिल है जिनके द्वारा शरीर में ऊनों का उत्पादन होता है। इस कारण श्वसन अनिवार्य है।
2.  श्वसन की परिभाषा लिखें।
उत्तर – श्वसन सजीवों की अति अनिवार्य प्रक्रिया है। इसमें ग्लूकोज अणुओं का ऑक्सीकरण कोशिकाओं में होता है। श्वसन वैसी क्रियाओं के सम्मिलित रूप को कहते हैं, जिसमें बाहरी वातावरण से ऑक्सीजन ग्रहण कर शरीर की कोशिकाओं में पहुँचाया जाता है, जहाँ इसका उपयोग कोशिकीय ईंधन का ऑक्सीकरण कई चरणों में विशिष्ट एंजाइमों की उपस्थिति में करके जैव ऊर्जा ATP का उत्पादन किया जाता है तथा इस क्रिया से उत्पन्न CO, को फिर कोशिकाओं से शरीर के बाहर निकाल दिया जाता है।
3. संपूर्ण श्वसन की प्रक्रिया को समीकरण से दर्शाएँ।
उत्तर – श्वसन एक रासायनिक अभिक्रिया है जिसे ऑक्सीकरण कहा जाता है इसके निम्न समीकरण हैं
इस क्रिया में ऊर्जा मुक्त होती है तथा सह-उत्पाद के रूप में कार्बन डाइ ऑक्साइड तथा निकलता है।
4 . ग्लूकोज के आंशिक ऑक्सीकरण से किन-किन यौगिकों का निर्माण होता है ? 
उत्तर – ग्लूकोज के आंशिक ऑक्सीकरण से दो अणु पायरुवेट (तीन कार्बन वाले अणु) इथेनॉल या लैक्टिक अम्ल, कार्बन डाइऑक्साइड (CO2,) एवं जल (H2, O) का निर्माण होता है।
5. लगातार दौड़ने से व्यक्ति की पेशियों में दर्द क्यों होता है ?
उत्तर – लगातार दौड़ने से हमारे शरीर में ऊर्जा का खपत अधिक होता है। इस दौरान ऑक्सीजन पर्याप्त मात्रा में घट जाती है। ऑक्सीजन के अभाव में हमारी पेशियों में पायरुवेट लैक्टिक अम्ल का निर्माण होता है। यह लैक्टिक अम्ल अधिक मात्रा में हमारी पेशियों में संचित हो जाती है। इस कारण हमारी पेशियों में दर्द होने लगता है।
6. किण्वन किस प्रकार का श्वसन है ? यह कहाँ होता है ?
उत्तर – किण्वन एक अवायवीय श्वसन है। इसमें पायरुवेट का दो अणु बनता है। यह क्रिया कोशिका द्रव्य में होती है। इसका प्रत्येक चरण विशिष्ट एंजाइम के द्वारा उत्प्रेरित होता है। किण्वन वह प्रक्रिया है जिसमें पायरुवेट ऑक्सीजन की अनुपस्थिति में इथेनॉल एवं CO2, में परिवर्तित हो जाता है। यह क्रिया यीस्ट (Yeast) में होता है।
7. श्वासनली या ट्रैकिया क्या है ? 
उत्तर – श्वासनली या ट्रैकिया द्वारा श्वसन कीटों यथा टिड्डा तथा तिलचट्टा में होता है। ट्रैकिया शरीर में भीतर स्थित अत्यन्त शाखित हवा भरी नलिकाएँ हैं जो एक ओर सीधे उत्तकों के सम्पर्क में होती है तथा दूसरी और शरीर की सतह पर श्वास रन्ध्र नामक छिद्रों के द्वारा खुलती है। यह कीटों का श्वसन अंग है। M
8. मछलियों में गिल्स कहाँ अवस्थित होते हैं ?
उत्तर – गिल्स मछलियों में पाया जानेवाला एक विशेष प्रकार का श्वसन अंग है। मछलियों में गिल्स दो समूहों में पाये जाते हैं। गिल्स के प्रत्येक समूह सिर के पार्श्व भाग में आँख के ठीक पीछे स्थित होते हैं। प्रत्येक समूह में कई गिल्स आगे से पीछे की ओर शृंखलाबद्ध तरीके से व्यवस्थित होते हैं। प्रत्येक गिल एक चाटी थाली में स्थित होता है जिसे गिल कोष्ठ कहते हैं। गिल कोष्ठ एक ओर आहारनाल की ग्रसनी में खुलता है तथा दूसरी ओर शरीर के बाहर खुलता है। प्रत्येक गिल कोष्ठ में कई गिल पटलिकाएँ होती हैं। मछलियाँ गिल्स से ही जल में घुले ऑक्सीजन को ग्रहण करता है।
9.  मानव शरीर की कौन-सी संरचनाएँ श्वसन अंगों का निर्माण करती है ?
उत्तर – मानव में नासिका छिद्र, श्वर यंत्र या लैरिंक्स, श्वासनली या ट्रैकिया तथा फेफड़ा मिलकर श्वसन अंग का निर्माण करती हैं।
10.  श्वासोच्छ्वास क्या है ?
उत्तर – श्वसन की दोनों अवस्थाएँ प्रश्वास एवं उच्छवास को सम्मिलित रूप से श्वासोच्छ्वास कहलाती हैं। नासिका द्वारा हवा को फेफड़े तक पहुँचाना है जहाँ ऑक्सीजन रक्त कोशिकाओं में चला जाता है तथा रक्त से फेफड़े में आया कार्बन डाइऑक्साइड बची हवा के साथ बाहर निकल जाता है इस क्रिया को श्वासोच्छ्वास या साँस लेना कहते हैं।
> दीर्घ उत्तरीय प्रश्न
1. अवायवीय एवं वायवीय श्वसन के विभेदों को स्पष्ट करें।
अवायवीय श्वसन  वायवीय श्वसन
 1. वायवीय श्वसन ऑक्सीजन की अनुपस्थिति  में होता है।  अवायवीय श्वसन ऑक्सीजन की उपस्थिति में होता है।
 2. वायवीय श्वसन का प्रथम चरण कोशिकाद्रव्य में तथा द्वितीय चरण माइटोकॉण्ड्रिया में पूरा होती है।  अवायवीय श्वसन की पूरी क्रिया कोशिकाद्रव्य में होती है।
 3.वायवीय श्वसन में ग्लूकोस का पूर्ण ऑक्सीजन (विखंडन) होता है तथा कार्बनडाईऑक्साइड एवं जल का निर्माण होता है।  अवायवीय श्वसन में ग्लूकोस का आंशिक ऑक्सीकरण होता है एवं पाइरुवेट,एथेनॉल या लैक्टिक अम्ल का निर्माण होता है।
 4. वायवीय श्वसन में अवायवीय श्वसन की मुकाबले बहुत ज्यादा ऊर्जा मुक्त होती है।  4. वायवीय श्वसन में अवायवीय श्वसन की मुकाबले कम ऊर्जा मुक्त होती है।
2.  पायरुवेट के विखण्डन के विभिन्न पथों के बारे में लिखें। 
उत्तर – पायरुवेट के विखण्डन के विभिन्न पथ निम्नलिखित हैं –
(i) पायरूवेट ऑक्सीजन की अनुपस्थिति में इथेनॉल एवं कार्बन डाइऑक्साइड में परिवर्तित हो जाता है। यह क्रिया किण्वन कहलाती है जो यीस्ट में होता है।
(ii) ऑक्सीजन के अभाव में हमारी पेशियों में पायरुवेट से लैक्टिक अम्ल का निर्माण होता है। हमारी पेशी कोशिकाओं में अधिक मात्रा में लैक्टिक अम्ल के संचय से दर्द होने लगता है। बहुत ज्यादा चलने या दौड़ने के बाद हमारी मांसपेशियों में इसी कारण क्रैम्प या तकलीफ होती है।
(iii)  ऑक्सीजन की उपस्थिति में पायरुवेट का पूर्ण ऑक्सीकरण होता है एवं कार्बन डाइऑक्साइड तथा जल का निर्माण होता है। चूँकि यह क्रिया ऑक्सीजन की उपस्थिति में होती है, अतः इसे वायवीय श्वसन कहते हैं।
3.  स्थलीय कीटों में श्वसन अंगों की रचना तथा श्वसन विधि का वर्णन करें।
उत्तर-स्थलीय कीटों में श्वसन अंगों की रचना –
स्थलीय कोटों में श्वसन विधि ट्रैकिया द्वारा श्वसन कीटों जैसे टिड्डा तथा तिलचट्टा में होता है। ट्रैकिया शरीर के भीतर स्थित अत्यंत शाखित, हवा भरी नलिकाएँ हैं जो एक ओर सीधे उत्तकों के सम्पर्क में होती हैं तथा दूसरी ओर शरीर की सतह पर श्वासरंध्र नामक छिद्रों के द्वारा खुलती हैं।
यहाँ ध्यान देने योग्य बात यह है कि कीटों में ट्रैकिया के द्वारा श्वसन में गैसों का आदान-प्रदान रक्त के माध्यम से नहीं होता है। इसका कारण यह है कि कीटों के रक्त में. हीमोग्लोबिन या उसके जैसे कोई रंजक जिसमें ऑक्सीजन को बाँधने की क्षमता हो, नहीं पाए जाते हैं।
4.  मछली श्वसन अंग की रचना तथा श्वसन विधि का वर्णन करें। 
उत्तर – मछली के श्वसन अंगों की रचना  –
मछली में श्वसन विधि –  प्रत्येक मछली में गिल्स दो समूहों में पाए जाते हैं। गिल्स के प्रत्येक समूह सिर के पाश्र्व भाग में आँख के ठीक पीछे स्थित होते हैं। प्रत्येक समूह में कई गिल्स आगे से पीछे की ओर श्रृंखलाबद्ध तरीके से व्यवस्थित होते हैं। हर गिल एक चाटी थैली में स्थित होती है जिसे गिल कोष्ठ कहते हैं। गिल कोष्ठ एक ओर आहारनाल की ग्रसनी या फैरिंक्स में खुलता है तथा दूसरी ओर शरीर के बाहर खुलता है। प्रत्येक गिल कोष्ठक में कई गिल पटलिकाएँ होती हैं।
मछलियों में जल की धारा मुख से आहारनाल के फैरिंक्स में पहुँचता है। यहाँ जल की धारा में स्थित भोजन तो फैरिक्स से ग्रासनली में चला जाता है, परंतु जल गिल कोष्ठों में तथा फिर शरीर के बाहर चला जाता है। इस प्रकार, गिल्स लगातार जल के सम्पर्क में रहते हैं जिससे दाल में घुले ऑक्सीजन गिल्स की रक्त वाहिनियों में स्थित रक्त में चला जाता है तथा रक्त का कार्बन डाइऑक्साइड जल में चला जाता है। इस प्रकार, श्वसन गैसों (ऑक्सीजन तथा कार्बन डाइऑक्साइड) का आदान-प्रदान रक्त और जल के बीच विसरण के द्वारा होता रहता है।
5.  कीटों में ऑक्सीजन सीधे उत्तकों को क्यों पहुँचता है ? इस विधि में प्रयुक्त रचनाओं का वर्णन कार्यविधि के साथ करें।
उत्तर – कीटों में ट्रैकिया के द्वारा श्वसन में गैसों का आदान-प्रदान रक्त के माध्यम से वहीं होता है। इसका कारण यह है कि कीटों के रक्त में हीमोग्लोबिन या उसके जैसे कोई रंजक जिसमें ऑक्सीजन का बाँधने की क्षमता हो, वहीं पाए जाते हैं।
कीटों जैसे ग्रासहॉपर, तिलचट्टा, मक्खी आदि के श्वसन की विशेषता यह है कि इसमें ऑक्सीजन रक्त के माध्यम से नहीं, बल्कि सीधे उत्तक को पहुँचता है। इसका कारण रक्त में हीमोग्लोबिन को न होना है।
6.  मनुष्य के श्वसनांगों की रचना का वर्णन करें।
उत्तर – मानव के श्वसन अंग का कार्य शुद्ध वायु को शरीर के भीतर भोजन तथा अशुद्ध वायु को बाहर निकलना है। इसके प्रमुख भाग निम्नलिखित हैं –
(i) नासाद्वार एवं नासागुहा – नासाद्वार से वायु शरीर के भीतर प्रवेश करती है। नाक में छोटे-छोटे और बारीक बाल होते हैं जिनसे वायु छन जाती है। उसकी धूल उनसे स्पर्श कर वहीं रुक जाती है इस मार्ग में श्लेष्मा की परत इस कार्य में सहायता करती है। वायु नम हो जाती है।
(ii) ग्रसनी – ग्रसनी ग्लॉटिस नामक छिद्र से श्वासनली में खुलती है। जब हम भोजन करते हैं तो ग्लॉटिस त्वचा के एक उपास्थियुक्त कपाट एपिग्लाटिस से ढँका रहता है।
(iii) श्वास नली – उपास्थि से बनी हुई श्वासनली गर्दन से नीचे आकर श्वसनी बनाती है। यह वलयों से बनी होती है जो सुनिश्चित करते हैं कि वायु मार्ग में रुकावट उत्पन्न न हो।
(iv) फुफ्फुस – फुफ्फुस के अंदर मार्ग छोटी और छोटी नलिकाओं में विभाजित हो जाते हैं जो गुब्बारे जैसी रचना में बदल जाता है। इसे कूपिका कहते हैं। कूपिका एक सतह उपलब्ध कराती है जिससे गैसों का विनिमय हो सकता है। कूपिकाओं की भित्ति में रुधिर वाहिकाओं का विस्तीर्ण जाल होता है।
7.  मनुष्य में श्वसन क्रिया का वर्णन करें। उत्तर-मानव के श्वसन तंत्र का कार्य शुद्ध वायु को शरीर के भीतर भोजन तथा अशुद्ध वायु को बाहर निकलना है। इसके प्रमुख भाग निम्नलिखित हैं
(i) नासाद्वार एवं नासागुहा – नासाद्वार से वायु शरीर के भीतर प्रवेश करती है। नाक में छोटे-छोटे और बारीक बाल होते हैं जिनसे वायु छन जाती है। उसकी धूल उनसे स्पर्श कर वहीं रुक जाती है इस मार्ग में श्लेष्मा की परत इस कार्य में सहायता करती है। वायु नम हो जाती है।
(ii) ग्रसनी – ग्रसनी ग्लॉटिक नामक छिद्र से श्वासनली में खुलती है। जब हम भोजन करते हैं तो ग्लॉटिस त्वचा के एक उपास्थियुक्त कपाट एपिग्लाटिस
से ढँका रहता है।
(iii) श्वास नली – उपास्थि से बनी हुई श्वासनली गर्दन से नीचे आकार श्वसनी बनाती हैं यह वलयों से बनी होती है तो सुनिश्चित करते हैं कि वायु मार्ग में रुकावट उत्पन्न न हो।
(iv) फुफ्फुस –फुफ्फुस के अंदर मार्ग छोटी और छोटी नलिकाओं में विभाजित हो जाते हैं जो गुब्बारे जैसी रचना में बदल जाता है। इसे कूपिका कहते हैं। कूपिका एक सतह उपलब्ध कराती है जिससे गैसों का विनिमय हो सकता है। कूपिकाओं की भित्ति में रुधिर वाहिकाओं का विस्तीर्ण होता है।
(v) कार्य — जब हम श्वास अंदर लेते हैं, हमारी पसलियाँ ऊपर उठती हैं और हमारा डायफ्राम चपटा हो जाता है। इससे वक्षगुहिका बड़ी हो जाती है और वायु फुफ्फुस के भीतर चूस ली जाती है। वह विस्तृत कूपिकाओं को ढँक लेती है। रुधिर शेष शरीर से कार्बन डाइऑक्साइड कूपिकाओं में छोड़ने के लिए लाता है। कूपिका रुधिर वाहिका का रुधिर कूपिका वायु से ऑक्सीजन लेकर शरीर की सभी कोशिकाओं तक पहुँचाता है। श्वास चक्र के समय जब वायु अंदर और बाहर होती है, फुफ्फुस सदैव वायु का विशेष आयतन रखते हैं जिससे ऑक्सीजन के अवशोषण तथा कार्बन डाइऑक्साइड के मोचन के लिए पर्याप्त समय मिल जाता है।
8.  श्वसन एवं श्वासोच्छ्वास के बीच क्या विभेद है ?
उत्तर – श्वसन एवं श्वासोच्छ्वास में अंतर निम्नलिखित हैं –
श्वसन                 श्वासोच्छ्वास
 (i) श्वसन एक जैव रासायनिक प्रक्रम है। (i) श्वसोच्छवास एक भौतिक क्रिया है 
(ii) इसमें ऊर्जा का निर्माण होता  (ii) इसमें ऊर्जा का निर्माण नहीं होताहै।
(iii) यह कोशिका में संपन्न होती है    (iii) यह फेफड़े में होती है।   
9.  कोशिकीय श्वसन का वर्णन करें। 
उत्तर – श्वसन क्रिया में ग्लूकोज-अणुओं का ऑक्सीकरण कोशिकाओं में होता है। इसीलिए, इसे कोशिकीय श्वसन कहते हैं। संपूर्ण कोशिकीय श्वसन की दो अवस्थाओं— (i) अवायवीय श्वसन तथा (ii) वायवीय श्वसन में विभाजित किया जाता है।
(i) अवायवीय श्वसन (Anaerobic respiration ) – यह श्वसन का प्रथम चरण है। जिसके अन्तर्गत ग्लूकोज (छ: कार्बन वाले अणु) का आशिक विखण्डन ऑक्सीजन की अनुपस्थिति में होता है। इस क्रिया द्वारा एक अणु ग्लूकोज से दो अणु पायरुवेट (तीन कार्बनवाले अणु) का निर्माण होता है। यह क्रिया कोशिका द्रव्य (Cytoplasm) में होती है तथा इसका
प्रत्येक चरण विशिष्ट एंजाइम के द्वारा उत्प्रेरित (catalysed) होता है। इस प्रक्रिया में चूँकि
ग्लूकोज-अणु का आशिक विखण्डन होता है, अतः उसमें निहित ऊर्जा पायरुवेट के बंधनों में ही संचित रह जाती है। पायरुवेट के आगे की स्थिति निम्नांकित तीन प्रकार की हो सकती है।
(a) पायरुवेट ऑक्सीजन की अनुपस्थिति में इथेनॉल (ethanol) एवं कार्बन डाइऑक्साइड में परिवर्तित हो जाता है। यह क्रिया किण्वन (fermentation) कहलाती है जो यीस्ट (Yeast) में होता है।
(b) ऑक्सीजन के अभाव में हमारी पेशियों में पायरुवेट से लैक्टिक अम्ल का निर्माण होता है। हमारी पेशी कोशिकाओं में अधिक मात्रा में लैक्टिक अम्ल के संयम से दर्द होने लगता है। बहुत ज्यादा चलने या दौड़ने के बाद हमारी मांसपेशियों में इसी कारण क्रैम्प या तकलीफ होती है।
 (c) ऑक्सीजन की उपस्थिति में पायरुवेट का पूर्ण ऑक्सीकरण होता है एवं कार्बन डाइऑक्साइड तथा जल का निर्माण होता है। चूँकि यह क्रिया ऑक्सीजन की उपस्थिति में होती है. अतः इसे वायवीय श्वसन कहते हैं।
(ii) वायवीय श्वसन (Aerobic respiration ) – श्वसन के प्रथम चरण में बना पायरुवेट पूर्ण ऑक्सीकरण (Complete oxidation) के लिए माइटोकॉण्ड्रिया में चला जाता है। यहाँ ऑक्सीजन की उपस्थिति में पायरुवेट का विखण्डन होता है। तीन कार्बनवाले पायरुवेट अणु विखण्डन होकर तीन कार्बन डाइऑक्साइड के अणु बनाते हैं। इसके साथ-साथ जल तथा रासायनिक ऊर्जा भी मुक्त होती है। जो ATP अणुओं में संचित हो जाती है ATP के विखण्डन से जो ऊर्जा मिलती है उससे कोशिका के अंदर होनेवाली विभिन्न जैव क्रियाएँ संचालित होती हैं।
> अन्य महत्त्वपूर्ण प्रश्न एवं उनके उत्तर
> वस्तुनिष्ठ प्रश्न
1. प्रत्येक प्रश्न में दिये गये बहुविकल्पों में सही उत्तर चुनें। चूहा ऑक्सीजन कहाँ से प्राप्त करता है ?
 (क) फेफड़ों द्वारा
(ख) ट्रैकिया द्वारा
(ग) गलफड़ा द्वारा
(घ) कोई नहीं
उत्तर-(क)
2. निम्न में से कौन जन्तु है जिनमें लगातार श्वसन क्रिया होती है
(क) मछली
 (ख) मेढक
(ग) मगरमच्छ
(घ) कोई नहीं
उत्तर-(ख)
3. मछली कहाँ से श्वसन क्रिया करती है 
(क) फेफड़ा
 (ख) श्वास नली या ट्रैकिया
(ग) गिल्स या गलफड़ा
(घ) कोई नहीं
उत्तर – (ग)
4. फेफड़ों का ढँकने वाली झिल्ली है
(क) डायफ्राम
(ख) ट्रैकिया
(ग) प्लूरा
(घ) कोई नहीं
उत्तर – (ग)
5.  मनुष्य में श्वसन क्रिया होती है
(क) फेफड़ों द्वारा
(ख) त्वचा द्वारा
(ग) ट्रैकिया द्वारा
(घ) कोई नहीं
उत्तर- (क)
II. रिक्त स्थानों को उपयुक्त शब्दों या अकों से भरें।
1. पत्ती की निचली सतह पर पाये जाने वाले रन्ध्रों को ….. कहते हैं।
उत्तर – स्टोमैटा
2.  केंचुआ ………अंग से श्वसन करता है। 
 उत्तर – त्वचा
3. जलीय पौधे श्वसन के लिए ऑक्सीजन ………. से प्राप्त करते हैं ।
उत्तर – जल
4.  ग्लूकोज के एक अणु के ऑक्सीकरण से ……….. ऊर्जा मुक्त होती है।
उत्तर – 674 किलो कैलोरी
5. ग्लूकोज के पायरुवेट में बदलने का कार्य कोशिका के ……… भाग में होता है।
उत्तर – कोशिका द्रव्य
> अतिलघु उत्तरीय प्रश्न
1.  ATP क्या है ?
उत्तर – ATP या एडिनोसिन ट्राइफॉस्फेट एक विशिष्ट यौगिक है जो सभी जीवों की कोशिका में ऊर्जा का वाहक एवं संग्राहक है ।
2.  NADP का पूरा नाम लिखें।
उत्तर – NADP का पूरा नाम निकोटिमाइड एनिन डाइयुक्लियोटाइड फॉस्फेट है।
 3.  किण्वन क्या है ?
उत्तर – वह रासायनिक क्रिया जिसमें सूक्ष्म जीव ( यीस्ट) शर्करा का अपूर्ण विघटन करके CO2, तथा एल्कोहल, ऐसीटिक अम्ल इत्यादि का निर्माण होता है, किण्वन (Fermentation) कहलाती है। इसमें कुछ ऊर्जा भी मुक्त होती है।
4.  ATP का कार्य बताइए।
उत्तर – ATP का कार्य –
(i) यह कोशिकाओं के अंदर ऊर्जा का संवहन एवं संचयन करता है।
(ii) विभिन्न रसायनों का संश्लेषण इन्हीं की सहायता से होता है।
 (iii) यह कोशिका का प्रमुख अवयव है।
5. श्वसन में मुख्यतः कौन-सी गैसें भाग लेती हैं ?
उत्तर – श्वसन में मुख्यत: ऑक्सीजन (O2), कार्बन डाइऑक्साइड (CO2,) आदि गैसें भाग लेती हैं।
6.  जन्तुओं के श्वसन अंग कितने प्रकार के होते हैं ? लिखें। 
उत्तर – जन्तुओं का श्वसन अंग तीन प्रकार के होते हैं
 (i) श्वास नली,
(ii) पैरोटिड और
 (iii) सबलिंगअल।
7.  टिड्डा, तिलचट्टा जैसे कीटों में श्वसन की क्रिया किसके द्वारा होती है ?
 उत्तर- श्वास नली द्वारा।
8. अकशेरूकी जलीय जीव झींगा, सीप आदि किसके द्वारा साँस लेती है ? 
उत्तर – गिल्स या गलफड़ा द्वारा ।
9.  किस प्रकार के श्वसन में अधिक ऊर्जा मुक्त होती है ? 
उत्तर- ऑक्सी श्वसन में।
10. जड़ का कौन-सा भाग श्वसन से सम्बन्धित गैसों के लेन-देन में सम्मिलित होता है ? 
उत्तर – मूलरोम।
11.  निम्नांकित जन्तुओं के श्वसन अंगों के नाम लिखें.
(i) मछली,
(ii) मच्छर,
(iii) केंचुआ,
(iv) कुत्ता
उत्तर – (i) मछली – गिल, (ii) मच्छर-ट्रैकिया, (iii) केंचुआ-त्वचा, (iv) कुत्ता- फेफड़े।
12. निम्नांकित जन्तुओं को ऑक्सीजन कहाँ से मिलती है ?
(i) झींगा, (ii) चूहा।
उत्तर – (i) झींगा-गिल, (i) चूहा- फेफड़े।
13.  फेफड़ों के ऊपर पायी जानेवाली झिल्लियों के नाम लिखें। 
उत्तर – कप्ल्यूस (Pleura) |
14.  एपीग्लॉटिस का क्या कार्य है ?
उत्तर – यह भोजन के कणों को ग्लॉटिस में जाने से रोकता है।
15.  टिड्डे में कौन-सा श्वसनांग पाया जाता है ? 
उत्तर – ट्रैकिया या श्वसन नलिका।
16. केंचुआ किस अंग से श्वसन करता है ? 
उत्तर – केंचुआ त्वचा से श्वसन करता है।
17.  ग्लूकोज के एक अणु के ऑक्सीकरण से कितनी ऊर्जा मुक्त होती है ? 
उत्तर – 674 किलो कैलोरी।
18. जलीय पौधे श्वसन के लिए ऑक्सीजन कहाँ से प्राप्त करते हैं ? 
उत्तर – जल से।
19.  पुष्पी पौधे श्वसन के लिए ऑक्सीजन कहाँ से प्राप्त करते हैं ?
उत्तर – पत्तियों में वातरन्ध्र एवं तनों में लेटिसेल।
20. सरीसृपों में श्वसन क्रिया किस अंग द्वारा होती है ? 
उत्तर- फेफड़े द्वारा।
21.  ट्रैकिया की दीवारें हवा नहीं रहने पर क्यों नहीं पिचकती ? 
उत्तर – क्योंकि ट्रैकिया की दीवारों में उपस्थितियों के छल्ले (rings) पाये जाते हैं।
 22. श्वसन और दहन में कोई एक समानता बताएँ।
उत्तर – दोनों ऑक्सीकरण की क्रियाएँ हैं।
23. कोशिकीय श्वसन का सक्रिय स्थल क्या है ?
उत्तर – माइटोकॉण्ड्रिया
24.  मानव श्वसन तन्त्र के कौन-कौन-से भाग होते हैं ?
उत्तर – नासागुहा, लैरिंक्स, श्वासनली, ब्रांकस, ब्रांकिओल, दो फेफड़े और डायफ्राम।
25.  एक ऐसे जन्तु का नाम बतायें जो त्वचा और फेफड़े दोनों से साँस लेता हो।
उत्तर – मेढ़क।
26. एंजाइम क्या है ?
उत्तर – एंजाइम एक प्रकार का जैव-उत्प्रेरक है।
27.  उस पदार्थ का नाम बताएँ जो श्वसन के पहले चरण में बनता है। 
उत्तर – पायरुवेट।
28.  पायरुवेट के निर्माण की क्रिया कहाँ होती है ?
उत्तर – कोशिकाद्रव्य में।
29. पायरुवेट का विखण्डन कहाँ होता है ?
उत्तर – माइटोकॉण्ड्रिया में।
30.  एटीपी (ATP) का पूरा नाम लिखें।
उत्तर – एडिनोसिन ट्राइफॉस्फेट
31.  ग्लूकोज के ऑक्सीकरण में एटीपी के कितने गुण बनते हैं ?
उत्तर – 38 एटीपी अणु ।
32.  पत्ती की सतह पर पाये जाने वाले सूक्ष्मछिद्र जो गैसीय विनिमय में सहायक होते हैं क्या है ?
उत्तर – रन्ध्र
33.  ग्लूकोज के पाइरुवेट में बदलने का कार्य कोशिका के किस भाग में होता है ?
उत्तर – कोशिका द्रव्य में।
34.  एक फॉस्फेट जो ATP में अंतस्थ रहता है, उसके टूटने में कितनी ऊर्जा मुक्त होती है ?
उत्तर – 30.5kJ
> लघु उत्तरीय प्रश्न
1. श्वसन को परिभाषित करें।
उत्तर – वह जटिल जैविक रासायनिक प्रक्रम जिसमें कार्बनिक पदार्थों के चरणबद्ध ऑक्सीकरण के फलस्वरूप ऊर्जा मुक्त होती है, कार्बन डाइऑक्साइड और जल बनते हैं, श्वसन कहलाती है।
2. श्वसन में माइटोकॉण्ड्रिया की क्या भूमिका है ?
उत्तर – श्वसन में माइटोकॉण्ड्रिया की भूमिका– श्वसन की ग्लाइकोलिसिस क्रिया कोशिका द्रव्य में लेकिन पायरुविक अम्ल तथा श्वसन के दौरान बने NADH2, का ऑक्सीकरण
माइटोकॉण्ड्रिया के अंदर होता है। इसके लिए आवश्यक प्रोटीन माइट्रोकॉड्रिया के क्रिस्टी में उपस्थित रहते हैं। इसके अलावा माइटोकॉड्रिया ATP जंतुओं में संचय भी करती है। अतः माइटोकॉण्ड्रिया ऑक्सीकरण द्वारा जीव कोशिकाओं के लिए ऊर्जा का उत्पादन करता है। इसी कारण इसे कोशिका का ऊर्जा गृह (पावर हॉऊस) भी कहते हैं।
3.  गैसों के अधिकतम विनिमय के लिए कृषिकाएँ किस प्रकार अभिकल्पित हैं ? 
उत्तर – (a) कूपिका की भित्ति पतली होती है तथा रुधिर वाहिकाओं के जाल से ढँकी हुई होती है, जिससे गैसों का आदान-प्रदान, रुधिर तथा कूपिका के अन्दर भरी हवा के बीच अधिकाधिक हो सके।
(b) कूपिका की संरचना गुब्बारे के समान है, जो गैसों के आदान-प्रदान के लिए सतही क्षेत्र बढ़ा देती है।
4. हमारे शरीर में हीमोग्लोबिन की कमी के क्या परिणाम हो सकते हैं ?
उत्तर – लाल रक्त कोशिकाओं में पाया जानेवाला श्वसन रंजक हीमोग्लोबिन ऑक्सीजन का वहन करता है। इसकी कमी से ऑक्सीजन के अवशोषण की दर घट जाती है जिससे ऊर्जा उत्पादन घट जाता है और शरीर की जैविक क्रियाएँ ठीक से नहीं हो पाती हैं। इससे मस्तिष्क तथा पूरे शरीर की कार्य क्षमता घटती है। L
5.  मानव के श्वसन में हीमोग्लोबिन की क्या भूमिका है ? 
उत्तर – हीमोग्लोबिन एक प्रकार का परिवहन प्रोटीन है। यह रक्त से ऊतकों तक ऑक्सीजन के परिवहन का कार्य करता है।
जब हीमोग्लोबिन ऑक्सीजन से संयुक्त होता है तब वह ऑक्सीहीमोग्लोबिन बन जाता है। परन्तु जब ऑक्सीजन की आवश्यकता होती है तब ऑक्सीहीमोग्लोबिन पुनः हीमोग्लोबिन और ऑक्सीजन में टूटकर ऑक्सीजन को मुक्त कर देता है
6. ए० टी० पी० (ATP) क्या ?
उत्तर– ATP अधिकांश कोशकीय क्रियाओं के लिए ऊर्जा का स्रोत है। श्वसन की क्रिया में मुक्त हुई ऊर्जा का प्रयोग ADP तथा फॉस्फेट से ATP बनाने में होता है।
7. कूपिका किसे कहते हैं ?
उत्तर – फुफ्फुस के अन्दर मार्ग छोटी और छोटी नलिकाओं में विभाजित हो जाता है जो अंत में गुब्बारे जैसी रचना में अंतकृत हो जाता है, जिसे कूपिका कहते हैं।
8. मनुष्य में निम्नलिखित को समझाइये – 
(अ) एक्सपिरेशन (प्रश्वास) (ब) इंसीपिरेशन ( उच्छ्वास)
उत्तर – (अ) एक्सपिरेशन (प्रश्वास ) मनुष्य की वक्ष गुहा में फेफड़ों का फैलना और सिकुड़ना डायफ्राम की सहायता से होता है। जब डायफ्राम सिकुड़ता है तो वक्ष गुहा का आयतन कम हो जाता है और फेफड़ों पर अधिक दबाव पड़ता है जिससे फेफड़ों की वायु बाहर निकल जाती है, जो श्वास नली से होकर नासाद्वार द्वारा बाहर निकल जाती है।
(ब) इन्सोपिरेशन (उच्छ्वास ) जब डायफ्राम फैलता है तो वक्ष गुहा का आयतन बढ़ जाता है, फेफड़ों के अंदर की वायु का दबाव, बाहर की वायु से कम होता है जिससे बाहर की वायु फेफड़ों में चली जाती है। इस एक्रिया को इन्सीपिरेशन कहते हैं।
9.  ” श्वसन शरीर की एक अनिवार्य क्रिया है।” इस कथन की पुष्टि कीजिये। 
उत्तर – श्वसन एक बड़ी प्रक्रिया है, यदि हम श्वसन नहीं करते हैं तो भोजन का दहन नहीं होगा और हमारे शरीर के लिये आवश्यक ऊर्जा प्राप्त नहीं होगी। इसके अतिरिक्त भोजन के दहन के पश्चात् जो कार्बन डाइऑक्साइड बनती है वह भी श्वसन क्रिया के द्वारा ही बाहर निकलती है। इस प्रकार हम कह सकते हैं कि श्वसन जीवन संबंधी अति आवश्यक प्रक्रिया है।
10. पादपों एवं प्राणियों के श्वसन के बीच दो अंतर बताइए।

(1) पौधों में श्वसन दर जंतुओं की अपेक्षा धीमी होती है।

(2) पौधों के द्वारा बहुत कम मात्रा में गैसों का परिवहन होता है, जबकि जंतुओं में ऐसा नहीं होता है।

11. कीटों में वायु सीधे कोशिकाओं तक किस प्रकार पहुँचती है ? 
उत्तर – कीट वायु नलिका या ट्रैकिया द्वारा श्वसन क्रिया करते हैं। ट्रैकिया कीटों के शरीर में प्रत्येक भाग में पहुँचती हैं। ऑक्सीजन युक्त वायु छिद्रों द्वारा ट्रैकियल तंत्र में प्रवेश करती है। ट्रैकिया, ट्रैकियोलस में विभाजित होते हैं, जो कोशिकाओं तक पहुँचती है। इस प्रकार प्रत्येक कोशिका सीधे ही ऑक्सीजन प्राप्त कर लेती है।
12. एपिग्लॉटिस का कार्य लिखिए।
उत्तर– यह कार्टिलेज का बना एक छोटा-सा टुकड़ा है जो त्वचा के साथ जुड़ा होता है जो फैरिक्स और ट्रैकिया के जोड़ पर स्थित होती है। जब मनुष्य भोजन लेता है, उसी समय एपिग्लोटिस, ट्रैकिया को ढँक लेता है जिससे कि भोजन ट्रैकिया में न जा सके।
13.  मानव ऊतकों में एकत्रित कार्बन डाइऑक्साइड का क्या होता है ? 
उत्तर – रक्त ऑक्सीजन को फेफड़ों से उत्तकों में ले जाता है जहाँ पर यह उपयोग कर ली जाती है और कार्बन डाइऑक्साइड मुक्त होती है। रक्त, जो फेफड़ों से ऑक्सीजन लाता है और फिर उसे उत्तकों में पहुँचाता है, उस रक्त में ऑक्सीजन की सांद्रता अधिक होती है और कार्बन डाइऑक्साइड की सांद्रता कम होती है। सांद्रता अंतर के कारण गैसों में आदान-प्रदान होता है जो रक्त और रक्त नलिकाओं के बीच होता है।
14. मनुष्य के बायें और दायें फेफड़े में क्या अन्तर है ? 
उत्तर – मनुष्य के बायें और दायें फेफड़े में अंतर –
  • दाएं फेफड़े में तीन पालियों होते हैं और बाएं में दो पालियों होते हैं। उन्हें आगे खंडों और फिर खंडक में विभाजित किया गया है।
  • फेफड़े एक आवश्यक अंग हैं जो शरीर से ऑक्सीजन और कार्बन डाइऑक्साइड के आदान-प्रदान के लिए आवश्यक हैं।
15. श्वसन और प्रकाश संश्लेषण में अंतर लिखें।
उत्तर – श्वसन और प्रकाश संश्लेषण में अंतर –

प्रकाश संश्लेषण और श्वसन के बीच कुछ प्रमुख अंतर निम्नलिखित हैं-

1- कार्बन डाइऑक्साइड और ऑक्सीजन का प्रयोग

जैसा कि ऊपर हमने पढ़ा कि, श्वसन प्रक्रिया के दौरान ऑक्सीजन का उपयोग किया जाता है और कार्बन डाइऑक्साइड और पानी बनता है। जबकि इसके विपरीत, प्रकाश संश्लेषण के दौरान कार्बन डाइऑक्साइड और पानी का उपयोग किया जाता है जबकि ऑक्सीजन को परिवर्तित और छोड़ा जाता है।

2- जीव जहां ये प्रक्रियाएं होती हैं

सभी सजीवों कि कोशिकाओं में श्वसन होता है, चाहे उनमें क्लोरोफिल उपस्थित हो या न हो, जबकि प्रकाश संश्लेषण केवल उन सजीवों में होता है जिनमें क्लोरोफिल उपस्थित होता है।

3- सूरज की रोशनी

प्रकाश संश्लेषण और श्वसन में एक प्रमुख अंतर यह है कि प्रकाश संश्लेषण केवल तभी संभव होता है जब सूर्य का प्रकाश उपस्थित हो, जबकि श्वसन प्रक्रिया प्रकाश और अंधेरे दोनों ही स्थितियों में संभव है।

4- कार्बोहाइड्रेट

श्वसन प्रक्रिया में कार्बोहाइड्रेट का ऑक्सीकरण होता है; वहीँ प्रकाश संश्लेषण प्रक्रिया में कार्बोहाइड्रेट का संश्लेषण होता है। श्वसन के दौरान ऊर्जा निकलती है, जिससे यह एक ऊष्माक्षेपी प्रक्रिया बन जाती है। और दूसरी ओर प्रकाश संश्लेषण के दौरान, ऊर्जा संग्रहीत होती है, जिससे यह एक एंडोथर्मिक प्रक्रिया बन जाती है।

 5- अपचय और उपचय प्रक्रिया

प्रकाश संश्लेषण एक उपचय प्रक्रिया है जिसमें भोजन या ऊर्जा का निर्माण शामिल होता है जहां ऑक्सीजन छोड़ा जाता है। इसके बजाय, श्वसन एक अपचयी प्रक्रिया है जिसमें भोजन या संग्रहीत ऊर्जा का उपयोग और ऑक्सीजन का अवशोषण शामिल है।

6- ऊर्जा

श्वसन प्रक्रिया में ऊर्जा एटीपी के रूप में मुक्त होती है, जबकि प्रकाश संश्लेषण में सौर ऊर्जा ग्लूकोज या रासायनिक ऊर्जा के रूप में संग्रहीत होती है। यह भी प्रकाश संश्लेषण और श्वसन के बीच का प्रमुख अंतर है।

16. पौधों और जंतुओं की श्वसन क्रिया में अन्तर लिखें।
उत्तर– पौधों और जंतुओं की श्वसन क्रिया में अंतर

पौधों में श्वसन की क्रिया जन्तुओं के श्वसन से भिन्न होती है।

  1. पौधों के प्रत्येक भाग अर्थात् जड़, तना एवं पत्तियों में अलग-अलग श्वसन होता है।
  2. जन्तुओं की तरह पौधों में श्वसन गैसों का परिवहन नहीं होता है।
  3. पौधों में जन्तुओं की अपेक्षा श्वसन की गति धीमी होती है।
17.  सांस लेने और दहन में अन्तर लिखें। 
उत्तर – सांस लेने और दहन में अंतर –
श्वसन दहन
यह एक जैविक क्रिया है। रासायनिक क्रिया है।
यह सजीवों में होती है। यह सजीवों में नही होती।
इसमें कई चरणों मे ऊर्जा मुक्त होती है। यहाँ एक ही चरण में एक साथ पूरी ऊर्जा मुक्त हो जाती है।
यह क्रिया शरीर के ताप 25 -30℃ पर होती है। यह बहुत उच्च ताप पर होती है।
सभी जीवों में ऑक्सीजन की उपस्थिति में जैविक ऑक्सीकरण की क्रिया को श्वसन कहते हैं। पदार्थ के जलने की क्रिया दहन कहलाती है।
इसमें मुक्त ऊर्जा का अधिकांश भाग ATP के रूप में संचित हो जाता है। इसमें ऊर्जा का अधिकांश भाग प्रकाश के रूप में निकल जाता है।
18. उच्च वर्ग के जंतुओं में सांस लेने की क्रिया का वर्णन करें। 
उत्तर – यह एक तकनीकी क्रिया है जो दो मुख्य चरणों में पूरी होती है
1. निश्वसन इसमें वातावरण से ऑक्सीजन अंदर ली जाती है जो फेफड़ों में जाती है और रक्त द्वारा अवशोषित कर ली जाती है।
2. उच्छवसन इस प्रक्रिया में डायफ्राम सिकुड़ता है, वक्ष गुहा का आयतन कम हो जाता है जिससे फेफड़े के अंदर दबाव बढ़ जाता है और वायु बाहर निकल जाती है।
19.  श्वसन के लिए ऑक्सीजन प्राप्त करने की दिशा में एक जलीय जीव की अपेक्षा स्थलीय जीव किस प्रकार लाभप्रद हैं ?
उत्तर – जलीय जीव जल में घुली हुई ऑक्सीजन का श्वसन के लिए उपयोग करते हैं। जल में घुली हुई ऑक्सीजन की मात्रा वायु में उपस्थित ऑक्सीजन की मात्रा की तुलना में बहुत कम ‘ है। इसलिए जलीय जीवों के श्वसन की दर स्थलीय जीवों की अपेक्षा अधिक तेज होती है। मछलियाँ अपने मुँह के द्वारा जल लेती हैं और बलपूर्वक इसे क्लोम तक पहुँचाती हैं। वहाँ जल में घुली हुई ऑक्सीजन को रुधिर प्राप्त कर लेता है।
20.  गैसों के विनिमय के लिए मानव-फुफ्फुस में अधिकतम क्षेत्रफल को कैसे अधिकल्पित किया है ?
उत्तर – जब हम श्वास अंदर लेते हैं तब हमारी पसलियाँ ऊपर उठती हैं। वे बाहर की ओर झुक जाती हैं। इसी समय डायफ्राम की पेशियाँ संकुचित तथा उदर पेशियाँ शिथिल हो जाती हैं। इससे वक्षगुहा का क्षेत्रफल बढ़ता है और साथ ही फुफ्फुस का क्षेत्रफल भी बढ़ जाता है जिसके परिणामस्वरूप श्वसन पथ से वायु अंदर आकर फेफड़े में भर जाती है।
> दीर्घ उत्तरीय प्रश्न
1. हमारे जैसे बहुकोशिकीय जीवों में ऑक्सीजन की आवश्यकता पूरी करने में विसरण क्यों अपर्याप्त है ?
उत्तर – बहुकोशी जीवों में उनकी केवल बाहरी त्वचा की कोशिकाएँ और रंध्र ही आस-पास के वातावरण से सीधे संबंधित होते हैं। उनकी सभी कोशिकाएँ तथा भीतरी अंग सीधे अपने आस-पास के वातावरण से संबंधित नहीं रह सकते। वे ऑक्सीजन की अपनी आवश्यकता पूरी करने के लिए विसरण पर आश्रित नहीं रह सकते। श्वसन, गैसों के आदान-प्रदान तथा अन्य कार्यों के लिए विसरण बहुकोशी जीवों की आवश्यकता के लिए बहुत कम और धीमा है। यदि हमारे शरीर में विसरण के द्वारा ऑक्सीजन गति करती तो हमारे फुफ्फुस से ऑक्सीजन के एक अणु को पैर के अंगूठे तक पहुँचने में लगभग 3 वर्ष का समय लगता है। हम स्वयं ही सोच सकते हैं कि उस अवस्था में क्या हमारा जीवन संभव होता ? हमारे शरीर में विद्यमान रक्त में हीमोग्लोबिन ही तेजी से हमें ऑक्सीजन कराता है।
2. कोई वस्तु सजीव है, इसका निर्धारण करने के लिए हम किस मापदंड का प्रयोग
उत्तर – सभी जीवित वस्तुएँ सजीव कहलाती हैं। वे रूप-आकार, रंग आदि की दृष्टि से समान भी होते हैं तथा भिन्न भी। पशु गति करते हैं, बोलते हैं, साँस लेते हैं, खाते हैं, वंश वृद्धि करते हैं और उत्सर्जन करते हैं। पेड़-पौधे बोलते नहीं हैं, भागते-दौड़ते नहीं हैं पर फिर भी वे सजीव हैं। अति सूक्ष्म स्केल पर होने वाली उनकी गतियाँ दिखाई नहीं देतीं। अणुओं की गतियाँ न होने की अवस्था में वस्तु को निर्जीव माना जाता है। यदि वस्तु में अणुओं में गति हो तो वस्तु सजीव मानी जाती है। सामान्यतः सजीवों में निम्नलिखित विशेषताएँ होती हैं
1. सजीवों की संरचना सुसंगठित होती है।
2. उनमें कोशिकाएँ और ऊतक होते हैं।
3. उनकी संगठित और सुव्यवस्थित संरचना समय के साथ पर्यावरण के प्रभाव से विघटित होने लगती है।
4. सजीवों की निश्चित रूप से मृत्यु होती है।
5. सजीव अपने शरीर की मरम्मत और अनुरक्षण करते हैं। उनकी संरचना अणुओं से हुई है और उन्हें अणुओं को लगातार गतिशील बनाए रखना चाहिए
 6. सजीवों में विशेष सीमा में वृद्धि होती है।
7. उनके शरीर में रासायनिक क्रियाओं की श्रृंखला चलती है। उनमें उपचय-अपचय अभिक्रियाएँ होती हैं।
3.  बाहय श्वसन एवं अंतः श्वसन में अंतर बताइए।
उत्तर – बाह्य श्वसन एवं अंतः श्वसन में अंतर –
बाह्य श्वसन (External Respiration) अंतः श्वसन (Internal Respiration)
(1) इस क्रिया में वायु की ऑक्सीजन को अंतः श्वसन के लिए कोशिका के जीव-द्रव्य तक पहुँचाया जाता है। 

(2) विभिन्न प्रकार के जीवों में इस क्रिया के लिए विभिन्न प्रकार के श्वासनांग होते हैं।

(3) इस क्रिया में प्राय: निम्नलिखित चरण होते हैं-

(i) श्वासोच्छ्वास (Breathing)

(ii) श्वसनांगों में गैसों का आदान-प्रदान।

(iii) श्वासनांगों से वायु की 0, का ऊतकों (Tissues) तक पहुँचना।

(iv) कोशिकाओं में गैसों का आदान-प्रदान।

(v) निष्कासित CO, को श्वासनांगों तक लगाकर बाहर वायुमंडल में छोड़ना।

(1) इस क्रिया में कोशिका के अंदर भोज्य पदार्थों का ऑक्सीकरण होता है। 

(2) यह क्रिया कोशिका के अंदर कोशिका-द्रव्य एवं माइटोकांडिया में संपन्न होती है।

(3) इस क्रिया में प्रायः दो मुख्य चरण होते हैं-

(i) ग्लूकोज़ अणु को पाइरूविक अम्ल में तोड़ना।

(ii) पाइरूविक अम्ल को ऑक्सीजन की उपस्थिति में विघटित कर निकली ऊर्जा को ATP नामक अणुओं में उच्च ऊर्जा बंधों के रूप में अनुबंधित करना।

4. ग्लूकोज के ऑक्सीकरण से भिन्न जीवों में ऊर्जा प्राप्त करने के विभिन्न पथ क्या हैं ?
उत्तर – श्वसन एक जटिल पर अति आवश्यक प्रक्रिया है। इसमें ऑक्सीजन और कार्बन डाइऑक्साइड का आदान-प्रदान होता है तथा ऊर्जा मुक्त करने के लिए खाद्य का ऑक्सीकरण होता है।
श्वसन एक जैव रासायनिक प्रक्रिया है। श्वसन क्रिया दो प्रकार की होती है—
( क ) वायवीय श्वसन (ऑक्सी श्वसन ) इस प्रकार के श्वसन में अधिकांश प्राणी ऑक्सीजन का उपयोग करके श्वसन करते हैं। इस प्रक्रिया में ग्लूकोज पूरी तरह से कार्बन डाइऑक्साइड और जल में विखंडित हो जाता है। यह माइटोकॉड्रिया में होती हैं।
चूँकि यह प्रक्रिया वायु की उपस्थिति में होती है इसलिए इसे वायवीय श्वसन कहते हैं।
(ख) अवायवीय श्वसन (अनॉक्सी श्वसन ) – यह श्वसन प्रक्रिया ऑक्सीजन की अनुपस्थिति में होती है। जीवाणु और यीस्ट इस क्रिया से श्वसन करते हैं। इस प्रक्रिया में इथाइल एल्कोहल, CO2, तथा ऊर्जा उत्पन्न होती है।
(ग) ऑक्सीजन की कमी हो जाने पर – हमारी पेशी कोशिकाओं में ऑक्सीजन की कमी हो जाती है। पायरुवेट के विखंडन के लिए दूसरा रास्ता अपनाया जाता है। तब पायरुवेट एक अन्य तीन कार्बन वाले अणु लैक्टिक अम्ल में बदल जाता है। इसके कारण क्रैम्प हो जाता है।
5. मनुष्यों में ऑक्सीजन तथा कार्बनडाइऑक्साइड का परिवहन कैसे होता है ? 
उत्तर – जब हम श्वास अंदर लेते हैं तब हमारी पसलियाँ ऊपर उठती हैं और डायफ्राम चपटा हो जाता है। इस कारण वक्षगुहिका बड़ी हो जाती है और वायु फुफ्फुस के भीतर चली जाती है। वह विस्तृत कूपिकाओं को भर लेती है। रुधिर सारे शरीर से CO2 को कूपिकाओं में छोड़ने के लिए लाता है। कूपिका रुधिर वाहिका को रुधिर कूपिका वायु से ऑक्सीजन लेकर शरीर की सभी कोशिकाओं तक पहुँचाता है। श्वास चक्र के समय जब वायु अंदर और बाहर होती है तब फुफ्फुस वायु का अवशिष्ट आयतन रखते हैं। इससे ऑक्सीजन के अवशोषण और कार्बन डाइऑक्साइड के मोचन के लिए पर्याप्त समय मिल जाता है।
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