जीव विज्ञान : जैव प्रक्रम – पोषण | Class 10Th Biology Chapter – 1 Notes | Model Question Paper | जैव प्रक्रम – पोषण Solutions
जीव विज्ञान (BIOLOGY) – X
स्मरणीय तथ्य : एक दृष्टिकोण (MEMORABLE FACTS: AT A GLANCE)
> वे सारी क्रियाएँ जिनके द्वारा जीवों का अनुरक्षण होता है, जैव प्रक्रम कहलाती हैं।
> ऐसे जीव जो अपने भोजन के लिए किसी-न-किसी रूप में अन्य जीवों पर निर्भर रहते हैं, परशेषी कहलाते हैं तथा इस प्रकार का पोषण परपोषण कहलाता है।
> परजीवी पोषण में जीव दूसरे प्राणी के संपर्क में स्थायी या अस्थायी रूप से रहकर, उससे अपना भोजन प्राप्त करते हैं ।
> उपापचयी क्रियाओं के संचालन हेतु आवश्यक ऊर्जा की आपूर्ति के लिए प्रत्येक जीव को जीवनपर्यन्त पोषण की आवश्यकता होती है।
> ऐसे जीव जो भोजन के लिए अन्य जीवों पर निर्भर न रहकर अपना भोजन स्वयं संश्लेषित करते हैं, स्वपोषी कहलाते हैं।
> मृतजीवी पोषण में जीव मृतजीवों के शरीर से अपना भोजन घुलित कार्बनिक पदार्थों के रूप में अपने शरीर की सतह से अवशोषित करते
> वह विधि जिससे जीव पोषक तत्वों को ग्रहण कर उनका उपयोग करते हैं, पोषण कहलाता है।
> वैसा पोषण जिसमें प्राणी अपना भोजन ठोस या तरल के रूप में जंतुओं के भोजन ग्रहण करने की विधि द्वारा ग्रहण करते हैं, प्राणिसम पोषण कहलाता है। वैसे जीव जिनमें इस विधि से पोषण होता है. प्राणिसमभोजी कहलाते हैं।
> स्वपोषी पौधों (सभी हरे पौधे) में प्रकाश संश्लेषण करने की क्षमता होती है जिसके तहत सूर्य के प्रकाश की उपस्थिति में पौधे CO2, और H2O का स्थिरीकरण कर कार्बोहाइड्रेट (ग्लूकोज) का संश्लेषण करते हैं।
> प्रकाश संश्लेषण की क्रिया में अनिवार्य भूमिका निबाहने वाले क्लोरोफिल को प्रकाशसंश्लेषी अंगक कहते हैं।
> प्रकाशसंश्लेषण की क्रिया में ऑक्सीजन मुक्त होता है जो वायु को शुद्ध रखता है एवं CO2, तथा O2, के बीच संतुलन बनाए रखता है।
> हरे पौधे में पाए जाने वाले पर्णहरित या क्लोरोफिल सौर ऊर्जा को प्रकाशसंश्लेषण की क्रिया में रासायनिक ऊर्जा में परिवर्तित करते हैं, जो संश्लेषित ग्लूकोज अणुओं में संचित रहता है।
> प्रकाश संश्लेषण – प्रक्रिया में जरूरी काम आनेवाले चार कच्चे पदार्थ हैं — CO2, H2O, क्लोरोफिल और सूर्य प्रकाश।
> अमीबा तथा पैरामीशियम प्राणिसमपोषी जंतु हैं।
> मनुष्य में पाचन की क्रिया मुखगुहा से ही शुरू हो जाती है।
> पचे हुए भोजन का अवशोषण इलियम के विलाई के द्वारा होता है।
> आमाशय की गैस्ट्रिक ग्रंथियों में स्रावित होनेवाले गैस्ट्रिक रस में HCI4, पेप्सिनोजेन, रेनिन तथा गैस्ट्रिक लाइपेज होते हैं।
> मनुष्य की आहारनाल की लम्बाई 8 मीटर से 10 मीटर तक की होती है तथा यह मुखगुहा, फैरिंक्स, ग्रासनली, आमाशय, छोटी आँत और बड़ी आँत में विभाजित होता है।
> मनुष्य में आहारनाल से संबंधित लारग्रंथि यकृत तथा अग्न्याशय नामक पाचक ग्रंथियों में पाई जाती हैं।
> डयूओडिनम और इलियम की ब्रूनर ग्रंथियों से निकलने वाला रस सक्कस एंटेरीकस कहलाता है।
> अवशोषण के उपरांत पचे हुए भोजन रक्त में मिलकर रक्त संचार के द्वारा विभिन्न भागों में वितरित हो जाते हैं।
> मनुष्य में छोटी आँत ड्यूओडिनम, जेजुनम तथा इलियम में विभाजित होती है और बड़ी आँत कोलन तथा रेक्टम में विभक्त होती है।
> अभ्यासार्थ प्रश्न
> वस्तुनिष्ठ प्रश्न
I.सही उत्तर का संकेताक्षर ( क, ख, ग या घ) लिखें।
1. वैसे पौधे जो पोषण के लिए सड़ी-गली चीजों पर आश्रित रहते हैं, ये क्या कहलाते है ?
(क) परजीवी
(ख) मृतजीवी
(ग) स्वपोषी
(घ) परपोषी
उत्तर- (ख)
2. स्वपोषी भोजन के लिए आवश्यक है
(क) क्लोरोफिल
(ख)सूर्य-प्रकाश
(ग) H²O एवं Co²
(घ)इनमें सभी
उत्तर- (घ)
3. इनमें कौन प्रकाश संश्लेषी अंगक है ?
(क) हरितलवक
(ख) पत्ती
(ग) स्टोमाटा
(घ) जड़
उत्तर- (क)
4. वायुमंडल में CO2 का कितना प्रतिशत है ?
(क) 0.3%
(ख) 0.03%
(ग) 0.003%
(घ) 0.21%
उत्तर- (ख)
5. प्रकाशसंश्लेषण-प्रक्रम में निम्नांकित में क्या नहीं होती है ?
(क) पानी का टूटना
(ख) CO2, का मुक्त होना
(ग) ऑक्सीजन का मुक्त होना
(घ) CO2, का उपयोग होना
उत्तर- (ख)
6. इनमें किसके द्वारा अमीबा भोज़न का अंतर्ग्रहण करता है ?
(क) कूटपाद
(ख) परिवहन
(ग) भोजन – रसधानी
(घ) केंद्रक
उत्तर- (क)
7. इनमें से किस छिद्र के द्वारा ग्रसनी ग्रासनली से जुड़ा होता है ?
(क) निगलद्वार
(ख) कंठद्वार
(ग) मलद्वार
(घ) इनमें कोई नहीं
उत्तर- (क)
8. ग्रहणी भाग है –
(क) मुखगुहा का
(ख) आमाशय का
(ग) छोटी आँत का
(घ) बड़ी आँत का
उत्तर- (ग)
II. रिक्त स्थानों की पूर्ति करें।
1. स्वपोषी पौधों में ………करने की क्षमता होती है।
उत्तर – प्रकाशसंश्लेषण
2. सौर ऊर्जा का परिवर्तन प्रकाशसंश्लेषण में……..ऊर्जा में होता है।
उत्तर- रासायनिक
3. वायुमंडल से पत्तियाँ Co2, ………द्वारा ग्रहण करती है।
उत्तर- रंध्रों
4. वे सारी क्रियाएँ जिसके द्वारा जीवों का अनुरक्षण होता है, …….कहलाती है।
उत्तर- जैव प्रक्रम
5. सूर्य के प्रकाश को …….अवशोषित करता है।
उत्तर- क्लोरोफिल
6. मनुष्य के आहारनाल की लंबाई करीब …… मीटर तक की होती है।
उत्तर- 8 से 10
7. मनुष्य की आमाशय की दीवार से …….नामक स्राव निकलता है।
उत्तर- जठर रस
8. छोटी आँत की ग्रंथियों से निकलनेवाला रस ……..कहलाता है।
उत्तर- सक्कस एंटेरीकस या आंत्र रस
> अतिलघु उत्तरीय प्रश्न
1. जैव प्रक्रम किसे कहते हैं ?
उत्तर- वे सारी क्रियाएँ जिनके द्वारा जीवों का अनुरक्षण होता है, जैव प्रक्रम कहलाती है।
2. बहुकोशिकीय जीवों में ऑक्सीजन की आवश्यकता विसरण द्वारा क्यों नहीं पूरी हो पाती है ?
> उत्तर- बहुकोशिकीय जीवों का शरीर के अंग जटिल होते हैं तथा सारी कोशिकाएँ सीधे पर्यावरण के सम्पर्क में रहती हैं इस कारण ऑक्सीजन की आपूर्ति विसरण द्वारा संभव नहीं है।
3. जीवों में पोषण की प्रमुख दो विधियों कौन-कौन-सी हैं ?
उत्तर- (i) स्वपोषण, (ii) पर-पोषण
4. हरे पौधों में किस प्रकार का पोषण पाया जाता है ?
> उत्तर- हरे पौधों में स्वपोषण प्रकार का पोषण पाया जाता है।
5. जंतुओं में पोषण की कौन-सी विधि पाई जाती है ?
> उत्तर- जंतुओं में पर-पोषण की विधि पाई जाती है।
6. तीन प्रकार की परपोषण विधियों के नाम लिखें।
> उत्तर- (i) मृतजीवी पोषण (ii) परजीवीं पोषण (iii) प्राणिसम भोजी ।
7. संपूर्ण प्रकाशसंश्लेषण की प्रक्रिया का रासायनिक समीकरण लिखें।
8. प्रकाश संश्लेषण की प्रक्रिया में उपोत्पाद के रूप में क्या बनता है ?
> उत्तर – प्रकाश-संश्लेषण की प्रक्रिया में उपोत्पाद के रूप में ऑक्सीजन बनता है।
9. प्रकाश संश्लेषण की प्रक्रिया हरित लवक या क्लोरोप्लास्ट में ही क्यों होती है ?
> उत्तर- क्योंकि क्लोरोप्लास्ट में क्लोरोफिल वर्णक पाये जाते हैं ।
10. प्रकाश संश्लेषण प्रक्रिया के लिए किन-किन पदार्थों की आवश्यकता होती है ?
> उत्तर – (i) क्लोरोफिल (ii) कार्बन डाइ-ऑक् गइड (iii) जल (iv) सूर्य का प्रकाश ।
11. प्रकाश संश्लेषण प्रक्रिया के लिए पौधे CO2, कहाँ से प्राप्त करते हैं ?
> उत्तर – प्रकाश संश्लेषण प्रक्रिया में पौधों को Co2, वायुमंडल से पत्तियों के भीतर कोशिकाओं के विसरण द्वारा पहुँचते हैं।
12. कवक एवं जीवाणुओं में प्रकाश संश्लेषण की प्रक्रिया क्यों नहीं हो पाती है ?
> उत्तर- क्योंकि ये सूक्ष्म जीव हैं, जो घुलित कार्बनिक पदार्थों के रूप में भोजन अवशोषित करते हैं।
13. पोषण के दृष्टिकोण से अमीबा तथा पैरामीशियम किस प्रकार के जन्तु हैं ?
> उत्तर- पोषण के दृष्टिकोण से अमीबा तथा पैरामीशियम परजीवी पोषण जीव हैं।
14. मनुष्य का आहारनाल कौन-कौन-से मुख्य भागों में बँटा होता है ?
> उत्तर- मनुष्य का आहारनाल आमाशय, पक्वाशय, पित्ताशय, छोटी आँत तथा बड़ी आँत आदि में बँटा होता है।
15. ग्रसनी में स्थित दो छिद्रों के नाम लिखें।
> उत्तर- ग्रसनी में स्थित दो छिद्रों के नाम ये हैं – (i) निगलद्वार (ii) कंठद्वार।
16. मनुष्य में पाचन आहारनाल के किस भाग से शुरू होता है ?
> उत्तर- मनुष्य में पाचन आहारनाल मुँह से शुरू होता है।
17. मनुष्य के आहारनाल के किस भाग में पचे हुए भोजन का अवशोषण होता है ?
> उत्तर- मनुष्य के आहारनाल के छोटी आँत में पचे हुए भोजन का अवशोषण होता है
18. क्लोरोफिल वर्णक कहाँ पाया जाता है ?
> उत्तर- क्लोरोप्लास्ट में।
19. प्रकाश संश्लेषण-प्रक्रम द्वारा पौधे क्या निर्माण करते हैं ?
> उत्तर- भोजन।
20. मृतजीवी को क्या कहते हैं ?
> उत्तर- अपघटक।
21. जिस जीव के शरीर से परजीवी अपना भोजन प्राप्त करते हैं, वे क्या कहलाते हैं ?
> उत्तर- पोषी।
22. गोबरछत्ता में किस प्रकार का पोषण होता है ?
> उत्तर- मृतजीवी।
23. पत्तियों का कौन-सा अंग CO2 , युक्त वायु का प्रवेश द्वारा है ?
> उत्तर क्लोरोफिल अथवा हरितलवक।
24. पोषण की दृष्टि से जंतुओं को क्या कहा जाता है
> उत्तर स्वपोषी तथा परपोषी।
25. अमीबा में भोजन का पाचन कहाँ होता है
> उत्तर- रसधानी में।
26. मनुष्य में पाचन के लिए विशेष अंग को क्या कहते हैं ?
> उत्तर- आहारनाल।
27. मनुष्य के जीभ के ऊपरी सतह पर पायी जानेवाली संरचना को क्या कहते हैं ?
> उत्तर- स्वाद कलियाँ।
28. मुखगुहा से भोजन कहाँ पहुँचता है ?
> उत्तर- ‘ग्रास नली में।
29. ग्रासनली की दीवार में तरंग की तरह होनेवाले सिकुड़न एवं फैलाव को क्या कहते हैं ?
> उत्तर- क्रमाकुंचन ।
30. भोजन में मौजूद प्रोटीन को पेप्टोन में कौन-सा एंजाइम परिवर्तित करता है ?
> उत्तर- पेप्सिन।
31. आहारनाल के सबसे लंबे भाग को क्या कहते हैं
> उत्तर- बड़ी आँत ।
32. शरीर की सबसे बड़ी ग्रंथि क्या है ?
> उत्तर – आँत ग्रंथि।
33. पाचन की क्रिया कहाँ पूर्ण होती है ?
> उत्तर – रेक्टम में।
34. छोटी आँत एवं बड़ी आँत के जोड़े पर अवस्थित नली को क्या कहते हैं ?
> उत्तर-सीकम।
35. अपचा भोजन अस्थायी तौर पर कहाँ संचित रहता है ?
> उत्तर – रेक्टम में।
> लघु उत्तरीय प्रश्न
1. जीवों के लिए पोषण क्यों अनिवार्य है ?
उत्तर-जीवों के संचालन, वृद्धि, टूट-फूट को रोकने आदि कार्यों के लिए जीवों को ऊर्जा की आवश्यकता होती है। ऊर्जा प्राप्त करने के लिए खाद्य पदार्थों की जरूरत होती है जो पोषणकी क्रिया से जीव प्राप्त करते हैं।
2. पोषण की परिभाषा लिखें।
उत्तर – वह विधि जिससे जीव पोषक तत्वों को ग्रहण कर उनका उपयोग करते हैं, पोषण कहलाता है।
3. स्वपोषण की किन-किन परिस्थितियों का होना आवश्यक है ? इसके उपोत्पाद क्या हैं?
उत्तर– स्वपोषी के लिए प्रकाश संश्लेषण आवश्यक है। हरे पौधों सूर्य के प्रकार की उपस्थिति में क्लोरोफिल नामक वर्णक से CO, और जल के द्वारा कार्बोहाइड्रेट का निर्माण करते हैं। इस क्रिया में ऑक्सीजन गैस बाहर निकलती है।
सूर्य प्रकाश
6CO2 + 12H2O I C6H12O6 + 6H2O + 6O2
क्लोरोफिल
स्वपोषी पोषण के आवश्यक परिस्थितियाँ हैं— सूर्य का प्रकाश, क्लोरोफिल कार्बन -डाइऑक्साइड और जला इसके उपोत्पाद आण्विक ऑक्सीजन है।
4. परपोषण से आप क्या समझते हैं ?
उत्तर – जब कोई जींव अपने पोषण के लिए अन्य जीवों पर आश्रित रहता है तब पोषण कहलाता है। यह तीन प्रकार का होता है
(i) परजीवी पोषण,
(ii) मृतजीवी पोषण,
(iii) प्राणिसम पोषण।
5. मृतजीवी पोषण किसे कहते हैं ?
उत्तर – जब कोई जीव अपना भोजन मृत तथा सड़ी-गली वस्तुओं से प्राप्त करता है— कवकों में इसी प्रकार का पोषण पाया जाता है।
6. वरजीवी पोषण क्या है ?
उत्तर – जब कोई जीव किसी दूसरे जीव से अपना भोजन प्राप्त करता है तो पोषण की इस विधि को परजीवी पोषण कहते हैं। ऐसे जीवों को परजीवी कहते हैं। मच्छर (बाह्य परजीवी) एवं फीताकृमि (अन्तः परजीवी) परजीवियों के उदाहरण हैं।
7. प्राणिसमपोषी जीव किसे कहते हैं ?
उत्तर – वैसे प्राणी जिसमें प्राणी समपोषण विधि से पोषण होता है, प्राणिसमपोषी कहलाता है। इसमें प्राणी अपना भोजन ठोस या द्रव के रूप में जन्तुओं के भोजन ग्रहण करने की विधि द्वारा ग्रहण करते हैं। इस प्रकार का लक्षण अमीबा, मेढक, मनुष्य आदि में पाया जाता है।
8. प्रकाश संश्लेषण से आप क्या समझते हैं ?
उत्तर – जिस प्रक्रिया के द्वारा हरे पौधे अपना भोजन तैयार करते हैं। अर्थात् वैसी प्रक्रिया जिसमें हरे पौधे सूर्य की उपस्थिति में वायुमंडल से CO2, गैस तथा जमीन से जल एवं खनिज लवण खींचकर भोजन बनाती है। प्रकाश संश्लेषण कहलाता है। हरे पौधे में हरित लवक हैं जिनके कारण पौधे प्रकाश संश्लेषण की क्रिया करते हैं। इसमें सूर्य की ऊर्जा की सहायता से प्रकाश संश्लेषण में सरल अकार्बनिक अणु Co2, और जल का पादप कोशिकाओं में स्थिरीकरण कार्बनिक अणु ग्लूकोज में होता है।
6CO2 + 12H2O ——- C6H12O6 + 6O2 + 6H2O
9. पत्तियों को प्रकाशसंश्लेषी अंग क्यों कहा जाता है ?
उत्तर – प्रकाश संश्लेषण की क्रिया शुरू से अंत तक क्लोरोप्लास्ट में ही होती है। क्लोरोप्लास्ट में क्लोरोफिल वर्णक पाये जाते हैं। ये अधिकांश पौधे की पत्तियों में पाये जाते हैं। इसलिए पत्तियों को प्रकाश संश्लेषी अंग कहते हैं।
10. भोजन के पाचन से आप क्या समझते हैं ?
उत्तर – वह प्रक्रिया जिसमें एंजाइमों की सहायता से जटिल भोज्य पदार्थों को सरल में अपघटित किया जाता है जिससे ये अवशोषित होकर हमारी कोशिकाओं में प्रवेश कर पाचन कहलाती हैं।
11. मनुष्य के मुखगुहा में कितनी जोड़ी लारग्रंथियाँ पाई जाती हैं ? उनके नाम लिखें।
उत्तर– मनुष्य के मुखगुहा में तीन जोड़ी लारग्रंथियाँ पाई जाती हैं जिनके नाम ये हैं—
(i) पैरोटिड ग्रंथि (Parotid gland)
(ii) सबमैंडिबुलर लारग्रंथि (Submandibular sálivary gland)
(iii) सबलिंगुअल लारग्रंथि (Sublingual salivary gland)।
12. मनुष्य में आमाशय कितने भागों में बँटा होता है, उनके नाम लिखें।
उत्तर– आमाशय मनुष्य का प्रमुख पाचन अंग है। यह चौड़ी थैली के समान रचना है जो उदर-गुहा के बायी ओर से शुरू होकर अनुप्रस्थ दिशा में फैली होती है। इसे तीन भागों में बाँटा गया है –
(i) कार्डियक – आमाशय का अग्र भाग
(ii) फुण्डिक – आमाशय का मध्य भाग
(iii) पाइलोरिक – आमाशय का पिछला भाग।
13. मनुष्य में छोटी आँत की लम्बाई कितनी होती है ? छोटी आँत के तीन भागों के नाम लिखें।
उत्तर– छोटी आँत आहारनाल या पाचन तंत्र का सबसे लम्बा भाग है। इसका आकार बेलनाकार होता है। इस भाग में पाचन की क्रिया पूर्ण हो जाती है तथा पचे हुए पदार्थों का अवशोषण होता है। इसकी लम्बाई लगभग 6 मीटर तथा चौड़ाई 2.5 सेमी० होती है।
> छोटी आँत के तीन भाग होते हैं —
(i) ग्रहणी,
(ii) जेजुनम,
(iii) इलियम ।
> दीर्घ उत्तरीय प्रश्न
1. पोषण किसे कहते हैं? जीवों में होनेवाली विभिन्न पोषण विधियों का उल्लेख करें।
उत्तर– वे सारी क्रियाएँ जिनके द्वारा जीव खाद्य पदार्थों को ग्रहण करते हैं, पाचन क्रियाएँ कहलाती हैं। जटिल कार्बनिक आहार का एन्जाइमों की सहायता से सरल तत्वों में बदलना तथा कोशिकाओं द्वारा अवशोषित होना पोषण कहलाता है।
पोषण चार प्रकार के होते हैं –
(i) स्वपोषी (Autotrophic) — ये अपना भोजन CO, और जल के द्वारा प्रकाश ऊर्जा की सहायता से स्वयं तैयार करते हैं, उदाहरण — हरे पौधे।
(ii) विषम पोषी (Heterotrophic)— ये अपना भोजन अन्य स्रोतों से ग्रहण करते हैं।
(iii) मृतपोषी (Saprotrophic)— ये अपना भोजन मृत या सड़े गले पदार्थों से ग्रहण करते हैं।
(iv) परजीवी (Parasitic Nutrition)— ये अन्य जीवों से भोजन प्राप्त करते हैं।
2. प्रकाशसंश्लेषण प्रक्रिया को संक्षेप में समझाएँ।
उत्तर – जिस प्रक्रिया के द्वारा पौधे अपना भोजन तैयार करते हैं उस मूलभूत प्रक्रिया को प्रकाशसंश्लेषण कहते हैं। सभी हरे पौधों में पर्णहरित होता है जिसमें सूर्य के प्रकाश को अवशोषित करने की क्षमता होती है। सूर्य की ऊर्जा की सहायता से प्रकाशसंश्लेषण में सरल अकार्बनिक अणु-कार्बन डाइऑक्साइड (CO2) और जल (H2, O) का पादप कोशिकाओं में स्थिरीकरण कार्बनिक अणु ग्लूकोज में होता है। पौधे इस क्रिया द्वारा सिर्फ ग्लूकोज का ही उत्पादन नहीं करते हैं— वरन् वे सूर्य – प्रकाश की विकिरण ऊर्जा का स्थिरीकरण रासायनिक ऊर्जा में करते हैं, जो ग्लूकोज अणुओं में संचित रहती है।
संपूर्ण प्रकाशसंश्लेषण की प्रक्रिया को हम निम्नलिखित रासायनिक समीकरण द्वारा व्यक्त करते हैं ।
उपर्युक्त समीकरण से स्पष्ट है कि इस प्रक्रिया में ऑक्सीजन उपोत्पाद के रूप में बनता है, जो पौधों द्वारा वायुमंडल में छोड़ा जाता
3. एक प्रयोग द्वारा दर्शाएं कि प्रकाशसंश्लेषण के लिए क्लोरोफिल आवश्यक है।
प्रयोग–एक कोटन या कोलियस की चित्तीदार पत्ती को तोड़ें। उसकी हरी और सफेद चित्तियों को रेखांकित करें। इस पत्ती को बीकर में रखे पानी में डालकर कुछ देर उबालें और उबालने के पश्चात् उसे गर्म ऐल्कोहॉल या स्प्रिट में डाल दें। अब इस ऐल्कोहॉल वाले बीकर वाटर बाथ में रखकर उबालें (थोड़ी देर में आप देखेंगे कि स्प्रिट हरे रंग का होता जा रहा है) क्योंकि पत्ती में मौजूद हरा वर्णक क्लोरोफिल पत्ती से निकलकर धीरे-धीरे ऐल्कोहॉल में घुल जाता है। जब पत्ती रंगहीन, अर्थात हल्के पीले रंग या सफेद हो जाए तो बीकर को ठंडा होने के लिए छोड़ दें। ठंडा होने के बाद पत्ती को पानी में अच्छी तरह धो डालें। इसके बाद इस पत्ती को पेट्रीडिश में रखकर उसपर आयोडीन की कुछ बूंदें डालें। आप पाएँगे कि पत्ती का हरी चित्तियोंवाला भाग गाढ़ा नीला रंग का हो जाता है, परंतु पत्ती का सफेद चित्तियोंवाला भाग नीला नहीं होता है। इसका अर्थ यह हुआ कि सफेद भाग पर आयोडीन का कोई असर नहीं हुआ। ऐसा क्यों हुआ? हरी चित्तियोंवाले भाग में चूँकि क्लोरोफिल मौजूद था, इसीलिए उस हिस्से में प्रकाश-संश्लेषण की प्रक्रिया हुई, जिससे उसमें मंड का निर्माण भी हुआ, परंतु पत्ती के सफेद चित्तियोंवाले भाग में क्लोरोफिल अनुपस्थित होता है, इसलिए उस भाग में न तो प्रकाश-संश्लेषण की प्रक्रिया हुई और न ही मंड या स्टार्च का निर्माण हुआ। इससे यह साबित होता है कि बिना क्लोरोफिल के प्रकाशसंश्लेषण की प्रक्रिया संपन्न नहीं हो सकती।
4. प्रकाश संश्लेषण के लिए CO2 आवश्यक है इसे साबित करने के लिए प्रयोग का वर्णन करें .
चित्र: प्रकाश संश्लेषण क्रिया में कार्बन डाइऑक्साइड गैस आवश्यक है एक गमले में लगा पौधा लें। इसे उस समय तक अंधेरे में रखें जब तक कि उसमें उपस्थित स्टार्च उपयोग न कर लिया जाये।
चौड़े मुँह की एक बोतल लें। इसमें कुछ KOH का विलयन लें। अब उपरोक्त पौधे की एक पत्ती तोड़कर उसमें डालें और उसे बोतल में फटी कॉर्क के द्वारा इस प्रकार रखें कि आधी पत्ती बाहर रहे और आधी अंदर रहे।
इस उपकरण को वायुरुद्ध करें और उसे कुछ समय तक प्रकाश में रखें और इस पत्ती को बोतल से बाहर निकालें। अब इसे एल्कोहल में उबालें जिससे क्लोरोफिल हो इस पत्ती को पेट्रीडिश में रखें और उस पर कुछ बूंदें आयोडीन विलयन की डालें।
पत्ती का वह आधा भाग जो बाहर वातावरण में था, नीला हो जाता है जो स्टार्च की उपस्थिति दिखाता है और पत्ती का वह भाग जो बोतल के अंदर था, नीला नहीं होता है जो स्टार्च की अनुपस्थिति दर्शाता है।
5. अमीबा का भोजन क्या है ? अमीबा के पोषण का वर्णन करें।
उत्तर– अमीबा प्राणीसमपोषी विधि से पोषण करता है। यह एक सर्वाहारी जंतु है। इसका भोजन जल में तैरते हुए जीवाणु, शैवाल, डायटम आदि के सूक्ष्म जीवों के रूप में होता है। इन सूक्ष्म जीवों को निगलने में जो विधि अपनाई जाती है उसे फैगोसाइटॉसिस (Phagocytosis) कहते हैं। यह अपने जीवन को शरीर के किसी भी सतह से कूटपाद द्वारा ग्रहण करता है । पोषण विधि के निम्नलिखित चरण हैं –
अंतर्ग्रहण, पाचन, अवशोषण एवं बहिःक्षेपण एवं जब यह किसी भोज्य पदार्थ के संपर्क में आता है तो उसे पकड़ने के लिए कूटपाद बनावन् उसकी ओर बढ़ता है तो यह कूटपादों (Pseudopodia) द्वारा चारों ओर से घेर लेता है जिससे एक प्यालेनुमा रचना बनती है जिसे फूड कप (Food cup) कहते हैं। बाद में कूदपाद अपने सिरों पर परस्पर संगलित होकर खाद्य रिक्तिका (Food vacoule) का निर्माण करके इसे एण्डोप्लाज्म में डाल देते हैं।
अमोबा में अंतःकोशिकीय पाचन (Intracellular Digestion) होता है। भोजन का पाचन खाद्य रिक्तिका (Food vacoule) में होता है। भोजन पचाने के लिए ट्रिप्सिन, पेप्सिन, एमाइलेज एंजाइम पाये जाते हैं।
खाद्य रिक्तिका में पचा हुआ भोजन एण्डोप्लाज्म में विसरित (Diffuse) हो जाता है। बाद में पचा हुआ भोजन शरीर (Cell के अंदर जीव द्रव्य (प्रोटोप्लाज्म) में बदल जाता है। शरीर में यदि भोजन की अधिक मात्रा पाई जाती है तो यह ग्लाइकोजन, पैरामाइलोन तथा लिपिड्स आदि के रूप में संचित कर ली जाती है।
इसमें अपच पदार्थ को बाहर निकालने के लिए विशेष एनस नहीं पाया जाता है। अपच भोजन (भोजन अविशेष) शरीर के किसी भी स्थान से बाहर निकाल दिया जाता है। इस प्रक्रिया को बहिःक्षेपण (Egestion) कहते हैं।
6. मनुष्य के आहारनाल की रचना का वर्णन करें।
उत्तर– मनुष्यों के आहारनाल – मनुष्य के आहारनाल निम्नलिखित हैं –
(i) मुख गुहा — मनुष्य मुख द्वारा भोजन ग्रहण करता है। मुख में स्थित दाँत भोजन के कणों को चबाते हैं जिससे भोज्य पदार्थ छोटे-छोटे कणों में विभक्त हो जाता है। लार ग्रंथियों से निकली लार भोजन में अच्छी तरह मिल जाती है। लार में उपस्थित एंजाइम भोज्य पदार्थ में उपस्थित मंड (स्टार्च) को शर्करा (ग्लूकोज) में बदल देता है। लार भोजन को लसदार चिकना और लुग्दीदार बना देता है, जिससे भोजन ग्रसिका में से होकर असानी से आमाशय में पहुँच जाता है।
(ii) आमाशय – जब भोजन आमाशय में पहुँचता है तो वहाँ भोजन का मंथन होता है जिससे भोजन और छोटे-छोटे कणों में टूट जाता है। भोजन में नमक का अम्ल मिलता है जो माध्यम को अम्लीय बनाता है तथा भोजन को सड़ने से रोकता है। आमाशयी पाचक रस पित्ताशय पिता का में उपस्थित एंजाइम प्रोटीन को छोटे-छोटे अणुओं में तोड़ देता है।
(iii) ग्रहणी – आमाशय में पाचन के बाद जब भोजन ग्रहणी में पहुँचता है तो यकृत में आया पित्त रस भोजन से अभिक्रिया करके वसा का पायसीकरण कर. चित्र: मनुष्य का आहारनाल देता है तथा माध्यम को क्षारीय बनाता है जिससे अग्नाशय से आये पाचक रस में उपस्थित एंजाइम क्रियाशील हो जाते हैं और भोजन में उपस्थित प्रोटीन, कोर्बोहाइड्रेट एवं वसा का पाचन कर देते हैं।
(iv) क्षुद्रांत्र – ग्रहणी में पाचन के बाद जब भोजन क्षुद्रांत्र में पहुँचता है तो वहाँ अत्रि रस में उपस्थित एंजाइम बचे हुए अपरिचत प्रोटीन, कार्बोहाइड्रेट तथा वसा का पाचन कर देते हैं। आंत्र की विलाई द्वारा पचे हुए भोजन का अवशोषण कर लिया जाता है तथा अवशोषित भोजन रक्त में पहुँचा दिया जाता है।
(v) बड़ी आंत्र (मलाशय ) – क्षुद्रांत्र में भोजन के पाचन एवं अवशोषण के बाद जब भोजन आत्र में पहुँचता है तो वहाँ पर अतिरिक्त जल का अवशोषण कर लिया जाता है, बड़ी आंत्र भोजन का पाचन नहीं होता। भोजन का अवशिष्ट (अतिरिक्त) भाग यहाँ पर एकत्रित होता है तथा समय-समय पर मल द्वारा शरीर से निकाल दिया जाता है।
7. मनुष्य के आहारनाल में पाचन को क्रिया का वर्णन करें।
उत्तर– मनुष्य में पाचन मुख गुहा से आरंभ होता है और छोटी आँत में खत्म होता है। पाचन की पूरी प्रक्रिया को संक्षेप में निम्न प्रकार से वर्णित किया जा सकता है –
मानव में पाचन-मानव में आहारनाल एवं सम्बद्ध स्त्रावी ग्रंथियाँ मिलकर पाचन तंत्र का निर्माण करते हैं। आहारनाल के विभिन्न भागों में भोजन का पाचन क्रमिक रूप से होता है। आहारनाल के विभिन्न भाग निम्न प्रकार से हैं
(i) मुख एवं मुख गुहिका-भोजन का अन्तर्ग्रहण मुख द्वारा होता है। हमारे मुख में लाला ग्रन्थि होती है, जो लाला रस (लार) स्रावित करती है। इस लार को भोजन में मिलाने का कार्य जीभ करती है।
(ii) भोजन नली (ग्रसिका)-मुख गुहिका द्वारा निगला हुआ भोजन ग्रसिका में जाता है। ग्रसिका गले एवं वक्ष से होती हुई जाती है। नसिका की भित्ति के संकुचन से भोजन नीचे की ओर सरकता जाता है। वास्तव में, सम्पूर्ण आहारनाल संकुचित होती रहती है तथा यह गति भोजन को नीचे की ओर धकेलती रहती है।
(iii) आमाशय-यह मोटी भित्ति वाली एक थैलीनुमा संरचना है। इसकी आन्तरिक सतह श्लेष्मल, हाइड्रोक्लोरिक अम्ल तथा पाचक रस स्रावित करती है। अम्ल भोजन के साथ यहाँ तक पहुंचे जीवाणुओं को नष्ट करता है और माध्यम को अम्लीय बनाता है। पाचक रस (जठर रस) प्रोटीन को सरल पदार्थों में विघटित करता है।
(iv) क्षुद्रांत्र (छोटी आँत)-यह लगभग 7.5 मीटर लम्बी अत्यधिक कुंडलित नली है। क्षुद्रांत्र में यकृत द्वारा । स्रावित पित्त, अग्न्याशय से अग्न्याशयिक स्त्राव एवं क्षुद्रांत्र भित्ति द्वारा स्रावित पाचक रस की क्रिया से भोजन के सभी घटकों का पाचन पूरा हो जाता है। भोजन के जिस भाग का पाचन अथवा अवशोषण नहीं होता, उसे बृहदांत्र में भेज दिया जाता है।
(v) बृहदांत्र (बड़ी आँत)-यह क्षुद्रांत्र की अपेक्षा चौड़ी एवं छोटी होती है। यह मलाशय से जुड़ी होती है। जल एवं कुछ लवण बृहदांत्र में अवशोषित होते हैं। शेष बचा हुआ अपचित पदार्थ मलाशय में चला जाता है तथा अर्धठोस मल के रूप में रहता है।
(vi) मलद्वार अथवा गुदा-समय-समय पर यह मल गुदा द्वारा बाहर निकाल दिया जाता है। इस प्रकार विभिन्न चरणों में मानव में पाचन की क्रिया सम्पन्न होती है।
(i) मुख एवं मुख गुहिका-भोजन का अन्तर्ग्रहण मुख द्वारा होता है। हमारे मुख में लाला ग्रन्थि होती है, जो लाला रस (लार) स्रावित करती है। इस लार को भोजन में मिलाने का कार्य जीभ करती है।
(ii) भोजन नली (ग्रसिका)-मुख गुहिका द्वारा निगला हुआ भोजन ग्रसिका में जाता है। ग्रसिका गले एवं वक्ष से होती हुई जाती है। नसिका की भित्ति के संकुचन से भोजन नीचे की ओर सरकता जाता है। वास्तव में, सम्पूर्ण आहारनाल संकुचित होती रहती है तथा यह गति भोजन को नीचे की ओर धकेलती रहती है।
(iii) आमाशय-यह मोटी भित्ति वाली एक थैलीनुमा संरचना है। इसकी आन्तरिक सतह श्लेष्मल, हाइड्रोक्लोरिक अम्ल तथा पाचक रस स्रावित करती है। अम्ल भोजन के साथ यहाँ तक पहुंचे जीवाणुओं को नष्ट करता है और माध्यम को अम्लीय बनाता है। पाचक रस (जठर रस) प्रोटीन को सरल पदार्थों में विघटित करता है।
(iv) क्षुद्रांत्र (छोटी आँत)-यह लगभग 7.5 मीटर लम्बी अत्यधिक कुंडलित नली है। क्षुद्रांत्र में यकृत द्वारा । स्रावित पित्त, अग्न्याशय से अग्न्याशयिक स्त्राव एवं क्षुद्रांत्र भित्ति द्वारा स्रावित पाचक रस की क्रिया से भोजन के सभी घटकों का पाचन पूरा हो जाता है। भोजन के जिस भाग का पाचन अथवा अवशोषण नहीं होता, उसे बृहदांत्र में भेज दिया जाता है।
(v) बृहदांत्र (बड़ी आँत)-यह क्षुद्रांत्र की अपेक्षा चौड़ी एवं छोटी होती है। यह मलाशय से जुड़ी होती है। जल एवं कुछ लवण बृहदांत्र में अवशोषित होते हैं। शेष बचा हुआ अपचित पदार्थ मलाशय में चला जाता है तथा अर्धठोस मल के रूप में रहता है।
(vi) मलद्वार अथवा गुदा-समय-समय पर यह मल गुदा द्वारा बाहर निकाल दिया जाता है। इस प्रकार विभिन्न चरणों में मानव में पाचन की क्रिया सम्पन्न होती है।
8. मनुष्य के आहारनाल का एक स्वच्छ नामांकित चित्र बनाये ।
> अन्य महत्त्वपूर्ण प्रश्न एवं उत्तर वस्तुनिष्ठ प्रश्न
I. प्रत्येक प्रश्न में दिये गये बहुविकल्पों में सही उत्तर चुनें। पादप अवशिष्ट संचित रहते हैं ?
(क) पत्तियों में
(ख) छाल में
(ग) कोशिकीय रिक्तिकाओं में
(घ) सभी में
उत्तर-(घ)
2. मनुष्य में वृक्क एक यंत्र का भाग है जो संबंधित है
(क) पोषण
(ख) श्वसन
(ग) उत्सर्जन
(घ) परिवहन
उत्तर-(ग)
3. पादप में जाइलम उत्तरदायी है –
(क) जल का वहन
(ख) भोजन का वहन
(ग)अमीनो अम्ल का वहन
(घ) ऑक्सीजन का वहन
उत्तर-(क)
4. स्वपोषी पोषण के लिए आवश्यक है
(क) कार्बन डाइऑक्साइड तथा जल
(ख) क्लोरोफिल
(ग) सूर्य का प्रकाश
(घ) उपरोक्त सभी
उत्तर-(घ)
5. बिना हेरे पौधों में पोषण की विधि है
(क) प्राणी समभोजी
(ख) स्वपोषी
(ग) विषम पोषी
(घ) मृत पोषी
उत्तर-(क)
6.मनुष्यों में ऊर्जा का एकमात्र स्रोत है ?
(क)अमीनो अम्ल
(ख) वसा
(ग) प्रोटीन
(घ) ग्लूकोज
उत्तर-(घ)
7. पंचे हुए भोजन का अवशोषण होता है ?
(क) छोटी आँत में
(ख) बड़ी आँत में
(ग)आमाशय में
(घ) यकृत में
उत्तर-(क)
8. प्रकाश संश्लेषण की क्रिया का एक उपोत्पाद है ?
(क) पानी
(ख) दूध
(ग) ग्लूकोज
(घ) लवक
उत्तर-(ग)
9. शरीर में सबसे छोटी रक्तवाहिनी है ?
(क) धमनी
(ख) कोशिकाएँ
(ग) शिरा
(घ) वैनाकेव
उत्तर – (घ)
10. मनुष्य में रक्त दाब का सामान्य मान क्या है ?
(क) 120/80mm Hg
(ख) 180/40mm Hg
(ग) 10/80mm Hg
(घ) 10/20mmHg
उत्तर- (क)
11. हृदय का कौन-सा भाग रक्त ग्रहण करता है ?
(क) अलिन्द
(ख) निलय
(ग) साइनस शिरा
(घ) महाधमनी
उत्तर- (ग)
12. मनुष्य के हृदय में कितने कक्ष होते हैं ?
(क) एक
(ख) दो
(ग) चार
(घ) तीन
उत्तर-(ग)
13. खुला परिसंचरण तंत्र पाया जाता है ?
(क) मनुष्यों (पुरुष) में
(ख) घोड़े में
(ग) कॉकरोच में
(घ) स्त्री में
उत्तर-(ग)
14. मनुष्य की सामान्य हृदय धड़कन क्या है ?
(क) 72 प्रति मिनट
(ख) 100 प्रति मिनट
(ग) 80 प्रति मिनट
(घ) 50 प्रति मिनट
उत्तर- (क)
15. वह जीवधारी जो अपने भोजन का संश्लेषण स्वयं करते हैं, उन्हें कहते हैं –
(क) परपोषी
(ख) स्वपोषी
(ग) मृतजीवी
(घ) प्राणिसमभोजी
उत्तर-(ख)
16. हरे पौधों में पोषण की विधि है –
(क) प्राणिसमभोजी
(ख) परपोषी
(ग) परजीवी
(घ) स्वपोषी
उत्तर – (घ)
17. कवक में पोषण की विधि है-
(क) स्वपोषी
(ख) प्राणिसमभोजी
(ग) मृतजीवी
(घ) परजीवी
उत्तर – (क)
18. प्रकाश संश्लेषण के लिए निम्न में से कौन-से कच्चे पदार्थ की आवश्यकता नहीं है –
(क) कार्बन डाइऑक्साइड
(ख) ऑक्सीजन
(ग) जल
(घ) क्लोरोफिल
उत्तर – (ख)
19. हरित लवक
(क) खंभोतक कोशिका में पाए जाते हैं
(ख) स्पंजी कोशिका में पाए जाते हैं
(ग) त्वचा कोशिका में पाए जाते हैं
(घ) कोई नहीं
उत्तर – (क)
II. रिक्त स्थानों की उपयुक्त शब्दों या अंकी से भरें ।
1. मनुष्य की आहारनाल का अंतिम भाग ……… है।
उत्तर – गुदा
2. …………छोटी आँत में अवशोषण का आयतन बढ़ा देते हैं ।
उत्तर- रसांकुर
3. पित्त रस ………. की क्रिया में सहायता करते हैं।
उत्तर- पाचन
4. प्रकाश संश्लेषण की क्रिया में मुक्त ऑक्सीजन का स्रोत ………. है।
उत्तर – जल
5. प्रकाश संश्लेषण ……….क्रिया का उदाहरण है।
उत्तर – उपचय
6. प्रकाश संश्लेषण की दर ……. में अधिकतम होती है।
उत्तर- लाल प्रकाश
7. ………प्रकाश संश्लेषण के परिणामस्वरूप बनती है।
उत्तर – ऑक्सीजन
8. रसांकुर ऊँगली के आकार की संरचनाएँ होती हैं जो ……… में पायी जाती हैं।
उत्तर – आत
9. मनुष्य में भोजन का पाचन ……….होता है।
उत्तर- बाह्य कोशिका
10. पत्तियों की सतह से जल का वाष्पन ………के द्वारा होता है।
उत्तर – वाष्पोत्सर्जन
11. सूर्य के प्रकाश को …… अवशोषित करता है।
उत्तर- क्लोरोफिल
> अतिलघु उत्तरीय प्रश्न
1. शरीर के भीतर ऊर्जा के समान स्रोत में परिवर्तन के लिये क्या आवश्यक होता है ?
उत्तर -स्रोतों के विघटन या निर्माण की आवश्यकता।
2. भोजन क्या है ?
उत्तर – ऊर्जा की प्राप्ति के लिये जो पदार्थ खाये जाते हैं, वे भोजन हैं।
3. स्वपोषी जीव किसे कहते हैं ?
उत्तर– जो जीव अकार्बनिक स्रोतों से CO2, तथा जल के रूप में सरल पदार्थ प्राप्त करते हैं, उन्हें स्वपोषी कहते हैं।
4. अमीबा में किस प्रकार का पाचन होता है ?
उत्तर – अमीबा में अंतःकोशिकीय प्रकार का पाचन होता है।
5. प्रकाश संश्लेषण की क्रिया कहाँ होती है ?
उत्तर– प्रकाश-संश्लेषण की क्रिया हरित लवकों में होती है।
6. स्थलीय पौधे मिट्टी से किन पदार्थों को प्राप्त करते हैं ?
उत्तर– नाइट्रोजन, फॉस्फोरस, लोहा, मैग्नीशियम तथा अन्य पदार्थ |
7. दो बाह्य परजीवियों के नाम लिखिये।
उत्तर (i) खटमल, (ii) जूँ।
8. उन जीवों के उदाहरण दीजिये जो अन्य जीवों को मारे बिना ही उनसे पोषण प्राप्त करते हैं।
उत्तर– अमरबेल, आर्किड, जूँ, लीच, किनली, फीताकृति इत्यादि ।
9. विषमपोषियों में पोषण की विधि किस आधार पर भिन्न होती है ?
उत्तर– भोजन के स्वरूप और उपलब्धता के आधार पर।
10. कौन-सा एककोशी जीव एक विशिष्ट स्थान से भोजन ग्रहण करता है ?
उत्तर– पैरामीशियम
11. मुँह से भोजन आमाशय तक किसके द्वारा ले जाया जाता है ?
उत्तर– भोजन ग्रसिका या ईसोफैगस के द्वारा ।
12. लार में कौन-सा इंजाइम विद्यमान होता है ?
उत्तर– लार एमिलेस ।
13. किन प्राणियों को लंबी क्षुद्रांत्र की आवश्यकता होती है ?
उत्तर – घास खाने वाले शाकाहारियों को सेल्युलोज पचाने के लिये लंबी क्षुद्रात्र की आवश्यकता होती है।
14. यकृत से कौन-सा रस निकलता है ?
उत्तर– पित्त रस ।
15. क्षुद्रांत्र में किन-किन का पाचन होता है ?
उत्तर– कार्बोहाइड्रेट, प्रोटीन और वसा का पाचन
16. प्रोटीन का पाचन कौन करता है ?
उत्तर– ट्रिपासिस एंजाइम
17. मनुष्य के आंहारनाल की लंबाई होती है।
उत्तर– मनुष्य के आहारर्नााल की लंबाई 1 मीटर
18. पाचन किसे कहते हैं ?
उत्तर– वह क्रिया जिसमें इंजाइमों की सहायता से जटिल भोज्य पदार्थों को सरल अणुओं में अपघटित किया जाता है जिससे ये अवशोषित होकर हमारी कोशिकाओं में प्रवेश कर सकें, पाचन कहलाती हैं।
19 पोषण के विभिन्न चरण क्या हैं ?
उत्तर– जंतुओं में पोषण के पाँच चरण होते हैं, जिनमें पोषण की संपूर्ण क्रिया होती है— (i) अंतर्ग्रहण, (ii) पाचन, (iii) अवशोषण, (iv) स्वांगीकरण, (v) बहि:क्षेपण।
20. लार में उपस्थित लाइसोजाइम (Lysozyme) की क्या भूमिका है ?
उत्तर– लाइसोज़ाइम् भोजन में उपस्थित हानिकारक जीवाणुओं को मारता है।
21. छोटी आंत के दो कार्य लिखिये।
उत्तर-कार्य (i) वसीय पदार्थों को अवशोषित करना । (ii) इसके दीवार की श्लेष्मा ग्रंथियाँ भोजन को लसलसा बनाती हैं।
22. एक ऐसे जन्तु का नाम लिखें जो प्रकाश संश्लेषण क्रिया द्वारा अपना भोजन बनाता है?
उत्तर – यूग्लीना!
23. कवकों में किस विधि द्वारा पोषण होता है ?
उत्तर– परपोषण।
24. विटामिन किस श्रेणी के पोषक पदार्थ हैं ?
उत्तर – विनियन्त्रक
25. हरित लवक में कौन-सा रंजक पाया जाता है ?
उत्तर– पर्णहरित।
26. पौधों द्वारा प्रकाश संश्लेषण की क्रिया में सूर्य की विकिरण ऊर्जा का रूपान्तरण किस रूप में होता है ?
उत्तर – रासायनिक ऊर्जा।
27. मनुष्य की लार ग्रन्थियों में कौन-सा इन्जाइम पाया जाता है ?
उत्तर– टॉयलिन।
28. किसी एक प्राणी समभोजी सूक्ष्म जन्तु का नाम लिखें।
उत्तर– अमीबा |
29. प्रकाश संश्लेषण प्रक्रम में मुक्त ऑक्सीजन का स्रोत बताएँ।
उत्तर– जल।
30. पौधों को उत्पादक क्यों कहते हैं ?
उत्तर – क्योंकि पौधे अपना भोजन खुद बनाते हैं।
31. किसी कीटभक्षी पादप का नाम लिखें।
उत्तर– ड्रोसेरा।
32. क्या हरित लवक निर्जीव संरचना है ?
उत्तर-हो।
33. स्टार्च के साथ मिलाने पर कोई द्रव गहरा नीला रंग उत्पन्न करता है। उस द्रव पदार्थ का क्या नाम है ?
उत्तर – आयोडीन।
34. किसी पादप मृतोपजीवी का नाम लिखें।
उत्तर– म्यूकर।
35. किसी रोगकारक प्रजीव का नाम लिखे।
उत्तर– एन्ट अमीबा ।
36. अमीबा के किस अंग में पाचन क्रिया होती है ?
उत्तर– खाद्यधानी।
37. किसी टिड्डे के पाचन तन्त्र के भागों के नाम लिखें।
उत्तर– फोरगट, मिडगट, हिण्डगट।
38. उस रंजक उत्तर- हरित का नाम लिखें जो सौर ऊर्जा का शोषण कर सकता है।
उत्तर – हरित लक्क तथा कैरीटीनॉयड |
39. शरीर मे में पाये जाने वाले जैव उत्प्रेरक पदार्थों को क्या कहते हैं ?
उत्तर – एन्जाइम।
40. दीर्घरोम कहाँ पाये जाते हैं ?
उत्तर– क्षुद्रांत्र की भीतरी दीवार पर।
> लघु उत्तरीय प्रश्न
1. जैव प्रक्रम क्या है ?
उत्तर– वे सभी प्रक्रम जो सम्मिलित रूप से अनुरक्षण का कार्य करते हैं जैव प्रक्रम कहलाते हैं।
2. हमारे जैसे बहुकोशिकीय जीवों में ऑक्सीजन की आवश्यकता पूरी करने में विसरण क्यों अपर्याप्त है ?
उत्तर– बहुकोशिकीय जीवों में सभी कोशिकाएँ अपने आसपास के पर्यावरण के सीधे संपर्क में नहीं रह सकतीं। अतः साधारण विसरण सभी कोशिकाओं की आवश्यकताओं की पूर्ति नहीं कर सकता है।
3. कोई वस्तु सजीव है इसका निर्धारण करने के लिए हम किस मापदंड का उपयोग करेंगे ?
उत्तर – सजीवों की अपनी संरचनाओं को मरम्मत तथा अनुरक्षण करना आवश्यक है। क्योंकि ये सभी संरचनाएँ अणुओं से मिलकर बनी हैं। अतः उन्हें अणुओं को लगातार गतिशील बनाए रखना चाहिए। अतः अदृश्य अणुगति जीव के जीवित होने का प्रमाण है।
4. किसी जीव द्वारा किन कच्ची सामग्रियों का उपयोग किया जाता है ?
उत्तर –
(a ) भोजन- ऊर्जा एवं पदार्थों के रूप में।
(b) ऑक्सीजन- भोज्य पदार्थों का विखण्डन करके ऊर्जा प्राप्त करने के लिए।
(c) जल- भोजन के सही पाचन के लिए तथा शरीर के अन्दर अन्य जैविक प्रक्रियाओं के लिए।
5. जीवन के अनुरक्षण के लिए आप किन प्रक्रमों को आवश्यक मानेंगे ?
उत्तर– जीवन के अनुरक्षण के लिए आवश्यक प्रक्रम निम्नांकित हैं – (a) पोषण, (b) श्वसन, (c) शरीर के अन्दर पदार्थों का संवहन, (d) अपशिष्ट उत्पादों का उत्सर्जन।
6. स्वयंपोषी किसे कहते हैं ?
उत्तर– जब कोई जीव अपना भोजन स्वयं तैयार करते हैं, स्वयंपोषी कहलाते हैं।
7. हमारे शरीर में हीमोग्लोबिन की कमी के क्या परिणाम हो सकते हैं ?
उत्तर– रुधिर की औसत हीमोग्लोबिन मात्रा किसी भी लिंग में 14.5g प्रति 100 ml. रुधिर है। यदि हीमोग्लोबिन की मात्रा रुधिर में कम होती है, इसकी O2, की वहन क्षमता भी घट जाती है। अतः वह मानव O2, की कमी के लक्षण दर्शाता है, जैसे साँस फूलना जो कि अक्सर लोहे की कमी से हुये एनीमिया का पहला लक्षण है।
8. विषमपोषी किसे कहते हैं ?
उत्तर– जब कोई जीव अपने भोजन के लिए दूसरे जीवों पर निर्भर करते हैं, विषमपोषी कहलाते हैं।
9. स्वयंपोषी पोषण तथा विषमपोषी पोषण में क्या अन्तर है ?
उत्तर – स्वयंपोषी पोषण तथा विषमपोषी पोषण में निम्न अन्तर हैं –
स्वयंपोषी पोषण | विषमपोषी पोषण |
वे जीव जो प्रकाश संश्लेषण की क्रिया द्वारा सरल अकार्बनिक से जटिल कार्बनिक पदार्थों का निर्माण करके अपना स्वयं पोषण करते हैं, स्वयंपोषी जीव (Autot rophs) कहलाते हैं।
उदाहरण-सभी हरे पौधे, युग्लीना। |
वे जीव जो कार्बनिक पदार्थ और ऊर्जा को अपने भोज्य पदार्थ के रूप में अन्य जीवित या मृत पौधों या जंतुओं से ग्रहण करते हैं, विषमपोषी जीव (Heterot- rophs) कहलाते हैं।
उदाहरण-युग्लीना को छोड़कर सभी जंतु। अमरबेल, जीवाणु, कवक आदि। |
10. प्रकाश संश्लेषण के लिए आवश्यक कच्ची सामग्री पौधा कहाँ से प्राप्त करता है ?
उत्तर – प्रकाश संश्लेषण के लिए आवश्यक कच्ची सामग्री को पौधा अलग-अलग स्रोतों से प्राप्त करता है।
जैसे –
(i) पर्णहरित – पत्ती के हरित लवक से
(ii) कार्बन डाइऑक्साइड – वायुमंडल से
(iii) जल इत्यादि – मृदा से
11. हमारे आमाशय में अम्ल की भूमिका क्या है ?
उत्तर–
(i) आमाशय में पाये जाने वाले इन्जाइम भोजन का पाचन अम्लीय माध्यम से करते हैं। आमाशय में अम्ल भोजन को अम्लीय बनाता है ताकि जठर रस में पाये जाने वाले इंजाइम उसे पचा सके।
(ii) भोजन के साथ बहुत-से रोगाणु भी आ सकते हैं जो अम्ल के प्रभाव से मर जाते हैं।
12. पाचक एन्जाइमों का क्या कार्य है ?
उत्तर– एन्जाइम उत्प्रेरक क्रिया द्वारा भोजन के जटिल अवयवों को सरल भागों में खण्डित कर देते हैं जिससे वे घुलनशील हो जाते हैं और शरीर में उनका अवशोषण हो जाता है।
13. पचे हुए भोजन को अवशोषित करने के लिए क्षुद्रांत्र को कैसे अभिकल्पित किया गया है ?
उत्तर– क्षुद्रांत्र की आन्तरिक भित्ति पर असंख्य रसांकुर पाये जाते हैं। इनमें रक्त वाहिकाओं एवं लिम्फ वाहिनी का जाल बिछा होता है। विसरण क्रिया द्वारा भोजन का प्रोटीन, ग्लूकोज, खनिज, विटामिन इत्यादि रक्त में सोख लिये जाते हैं। वसीय अम्लों एवं ग्लिसरॉल का अवशोषण लिम्फ वाहिनी में होता है।
उपर्युक्त के अतिरिक्त क्षुद्रांत की संकुचन और अनुशिथिलन की गति भी भोजन के अवशोषण में एक सीमा तक अवश्य सहायक होती है।.
14. हमारे शरीर में वसा का पाचन कैसे होता है ? यह प्रक्रम कहाँ होता है ?
उत्तर– पित्त रस वसा का पायसीकरण करता है तत्पश्चात् क्षारीय माध्यम में लाइपेंज एन्जाइम उसे वसीय अम्ल और ग्लिसरॉल में बदल देता है। यह प्रक्रम क्षुद्रान्त्र के अग्रभाग या पक्वाशय में होता है।
15. भोजन के पाचन में लार की क्या भूमिका है ?
उत्तर– मानव के मुख में तीन जोड़ी लार ग्रन्थियाँ होती हैं। इनमें उत्पन्न होने वाला रस लार कहलाता है। इस रस में पाया जानेवाला एन्जाइम टायलिन कहलाता है। यह एन्जाइम भोजन में उपस्थित कार्बोहाइड्रेट को माल्टोज शर्करा में परिवर्तित करता है जो सरलता से आहारनाल के अन्य भागों में पाचित होता है।
16. स्वपोषी पोषण के लिए आवश्यक परिस्थितियाँ कौन-सी हैं और उसके उपोत्पाद क्या हैं ?
उत्तर – स्वपोषी पोषण के आवश्यक परिस्थितियाँ- पर्णहरित, सूर्य का प्रकाश, कार्बन डाइऑक्साइड तथा जल की उपस्थिति।
स्वपोषी पोषण का उपोत्पाद: ऑक्सीजन ।
17. वृहदांत्र का क्या कार्य है ?
उत्तर – बिना पंचा भोजन वृहदांत्र में भेज दिया जाता है जहाँ अधिसंख्य दीर्घरोम इस पदार्थ में से जल का अवशोषण कर लेते हैं। अन्य पदार्थ गुदा द्वारा शरीर के बाहर कर दिया जाता है। इस वर्ज्य पदार्थ का बहिःक्षेपण गुदा अवरोधिनी द्वारा नियंत्रित जाता है।
18. प्रकाश संश्लेषण के दौरान कौन-कौन-सी घटनाएँ होती हैं ?
उत्तर – प्रकाश संश्लेषण के दौरान निम्नांकित घटनाएँ होती हैं
(a) क्लोरोफिल द्वारा प्रकाश ऊर्जा का अवशोषण।
(b) प्रकाश ऊर्जा का रासायनिक ऊर्जा में परिवर्तन तथा जल अणु का हाइड्रोजन तथा ऑक्सीजन में टूटना।
(c) कार्बन डाइऑक्साइड का शर्करा में अपघटन।
19. यकृत और अग्न्याशय के कार्य लिखें।
उत्तर– यकृत के कार्य –
(a) यकृत की कोशिकायें पित्त का स्राव करती हैं।
(b) अतिरिक्त ग्लूकोज ग्लाइकोजन के रूप में परिवर्तित करके यकृत में संग्रह किया जाता है।
अग्न्याशय के कार्य
(a) यह अग्न्याशयिक रस का संश्लेषण संग्रह करता है जिसमें महत्वपूर्ण प्रोटीन, वसा एवं कार्बोहाइड्रेट पाचक इंजाइम होते हैं।
(b) यह इंसुलिन और ग्लूकागान जैसे महत्वपूर्ण हार्मोनों का स्राव करता है।
20. जीवधारियों के लिए पोषण क्यों अनिवार्य है ?
उत्तर– जिंदगी के हर कदम पर पोषण की आवश्यकता होती है क्योंकि जीवन के लिए ऊर्जा की आवश्यकता होती है जो भोजन के दहन से प्राप्त होती है। यही कारण है कि पोषण प्रत्येक जीव के लिए आवश्यक है।
दीर्घ उत्तरीय प्रश्न
1. रन्ध्र क्या है ? रन्ध्र के दो कार्य लिखें। रन्ध्रों का खुलना तथा बन्द होना किस प्रकार नियन्त्रित होता है ?
उत्तर – पत्ती की निचली सतह पर पाए जाने वाले छिद्रों को रन्ध्र कहते हैं।
रन्ध्र के कार्य –
(a) पादपों में, रन्ध्रों द्वारा गैसों का आदान-प्रदान होता है।
(b) वाष्पोत्सर्जन के दौरान, रन्ध्रों के द्वारा ही जलवाष्प बनकर उड़ता है। द्वार कोशिकाओं के बीच में होते हैं। रन्ध्रों का खुलना, जल के वाष्प बनकर उड़ने की गति तथा प्रकाश उपस्थिति के स्तर इन दो घटकों पर निर्भर करता है। जैसे-जैसे प्रकाश संश्लेषण की गति बढ़ती है, वैसे-वैसे पत्ती में CO2, की सान्द्रता कम होती जाती है तथा शर्करा बढ़ती चली जाती है। शर्करा के स्तर में अन्तर, परासरण दबाव में अन्तर उत्पन्न करता है। यह दबाव रन्ध्रों को खोलता है।
इसी प्रकार, जब द्वार कोशिकाएँ सिकुड़ती हैं, तब रन्ध्र बन्द हो जाते हैं।
2. पाचन किसे कहते हैं ? मनुष्य में कार्बोहाइड्रेट और प्रोटीन का पाचन किस प्रकार होता है ?
उत्तर– पाचन- अघुलनशील एवं जटिल भोजन को घुलनशील एवं सरल रूप में बदलना पाचन कहलाता है।
मनुष्य में कार्बोहाइड्रेट का पाचन –
(a) मुख में लार ग्रन्थियों से निकलने वाला टायलिन नामक इन्जाइम कार्बोहाइड्रेट को माल्टोज में बदल देता है।
(b) पक्वाशय में अग्न्याशय से आने वाला पाचक एन्जाइम माल्टोज को ग्लूकोज में बदल देता है।
(c) छोटी आँत में पाया जाने वाला इन्जाइम सक्कस इन्टेरिकस बचे-खुचे कार्बोहाइड्रेट को ग्लूकोज में बदल देता है।
मनुष्य प्रोटीन का पाचन –
(a) आमाशय में आमाशयिक रस (जठर रस) में पाया जाने वाला पेप्सिन नामक इन्जाइम अघुलनशील प्रोटीन को पेप्टोन में बदल देता है।
(b) पक्वाशय में अग्न्याशयिक रस में पाया जाने वाला प्रोटीन पाचक इन्जाइम ट्रिप्सिन, पेप्टॉन को अमीनो अम्ल में बदल देता है।
(c) छोटी आँत में सक्कस इनटेरिकस द्वारा बचे-खुचे प्रोटीन को अमीनों अम्ल में बदल दिया जाता है।
3. टिड्डे के पाचन तंत्र के अंगों के नाम लिखिए।
उत्तर– टिड्डे का पाचन तंत्र तीन भागों में बँटा हुआ है
(i) अग्र आँत,
(ii) मध्य आँत और
(iii) पश्च आँत ।
अग्र आँत मुख से शुरू होती है और एक छोटी-सी ग्रसनी के द्वारा पेषणी तक जाती है। उसकी भोजन नलिका छोटी एवं पतली होती है जो अच्छी प्रकार से एक पतली दीवारों वाली गलथैली ग्रसिका के साथ जुड़ी हुई होती है। पेषणी की दीवारें मजबूत होती हैं और इसका ल्यूमैन उपत्वचा के अस्तर के साथ जुड़ा होता है जो भोजन को चबाने में टिड्डे की सहायता है। लार ग्रन्थियों और शाखाओं का एक जोड़ा गलथैली के साथ लम्बा तना हुआ होत है। पेषणी और पश्च आँत के पिछले भाग के मध्य भाग को मध्य आँत कहते हैं। इसके पूर्ववर्ती अंत भाग में दीर्घाकरणी ग्रन्थियों के छः जोड़े होते हैं जिन्हेंहैप्टिक क्रेजका कहते हैं जो टिड्डे के पेट में खुलते हैं। वे रहस्यमयी किण्वक (एंजाइम) पाचन क्रिया करते हैं। पश्च आँत बिना मुड़े हुए मध्य और मलद्वार के बीच तक फैली हुई होती है। इसके तीन भाग होते हैं –
(i) पूर्ववर्ती अंत भाग
(ii) मध्य में वृहदान्त्र और
(iii) अंत में बड़ा मलाशय।
मध्य आँत और पश्च आँत जहाँ पर मिलती है उस स्थान पर भोथरी नोक वाली बहुत-सी नलिकाएँ उपस्थित होती हैं जो भोजन नलिका में खुलती हैं। ये नलिकाएँ उत्सर्जन अंग होते हैं जिन्हें मैलपिजयन नलिकाएँ कहते हैं।
4. प्रकाश-संश्लेषण में होनेवाली प्रकाश अभिक्रिया तथा अप्रकाश अभिक्रिया का संक्षेप में वर्णन कीजिए।
उत्तर– प्रकाश अभिक्रिया तथा अप्रकाश अभिक्रिया प्रकाश-संश्लेषण की निम्न अवस्थाएँ हैं –
(a) प्रकाश अभिक्रिया में प्रकाश क्रमागत रासायनिक अभिक्रियाओं के रूप में प्रकाश-संश्लेषण आरम्भ करता है।
(b) प्रकाश अभिक्रिया क्लोरोप्लास्ट में थाएलैकाइड में होती है जिसमें क्लोरोफिल होता है।
(c) प्रकाश में, फोटॉन (ऊर्जा की सबसे छोटी इकाई) को अवशोषित करके क्लोरोफिल सक्रिय हो जाता है।
(d) इस ऊर्जा का उपयोग जल के अणुओं को H+ और OH में विभाजित करने में होता है। इस अभिक्रिया को फोटोलिसिस कहते हैं।
(e) OH आयनों से H2O और O2 उत्त्पन्न होते हैं , साथ ही इलेक्ट्रान निकलते हैं
4OH → 4 (OH)+4e−( इलेक्ट्रान )
4 (OH) → 2H2O+O2
(f) कुछ विशेष यौगिक ऊपर निकले इलेक्ट्रॉनों को लेकर उच्च ऊर्जा वाले यौगिकों का निर्माण करते हैं जिन्हें हम ATP (एडिनोसिन ट्राइ फास्फेट) कहते हैं। उन विशेष यौगिकों को इलेक्ट्रॉन संवाहक कहते हैं।
(g) फोटोलिसिस में उत्पन्न H+ आयन एक विशेष यौगिक NADP से क्रिया करके NADPH बनाते हैं।
> NADP+H+→NADPH
(h) अप्रकाश अभिक्रिया का अर्थ यह नहीं है कि यह अभिक्रिया अंधकार में या रात में ही होती है। इसका अर्थ केवल यह है कि इस अभिक्रिया के लिए प्रकाश आवश्यक नहीं है।
(i) अप्रकाश अभिक्रिया प्रकाश पर निर्भर नहीं करती और प्रकाश अभिक्रिया के साथ-साथ होती रहती है।
(j) प्रकाश अभिक्रिया के उत्पादों— ATP तथा NADPH का उपयोग क्लोरोप्लास्ट के स्ट्रोमा में CO2से ग्लूकोज बनाने में होता है।
5. प्रकाश संश्लेषण अभिक्रियाओं के दौरान क्या घटित होता है ? प्रकाश-संश्लेषण अभिक्रिया के दौरान क्लोरोफिल-II की क्या भूमिका होती है ? वर्णन करें।
उत्तर – प्रकाश अभिक्रियाओं के द्वारा ATP और NADPH2, का संश्लेषण होता है, जिसमें प्रकाश ऊर्जा प्रयुक्त होती है तथा सभी जीवधारियों के लिए ऑक्सीजन निर्मुक्त होती है।
प्रकाश-संश्लेषण में ऊर्जा ग्रहण करने वाले (क्लोरोफिल-I) तथा प्रकाशतंत्र-II (क्लोरोफिल-II) कहते है
क्लोरोफिल II की भूमिका – क्लोरोफिल (Chlorophyll) – प्रकाश ऊर्जा का अवशोषण करता है। प्रकाश-संश्लेषण में योगदान करने वाले वर्णक थाइलैकॉइडों के भीतर स्थित होते हैं। इन वर्णकों को तीन श्रेणियों में बाँटा जा सकता है – (i) विभिन्न क्लोरोफिल, (ii) विभिन्न कैरोटेनॉयड (iii) फाइकोबिलन। ये वर्णक प्रकाश ऊर्जा का अवशोषण करते हैं तथा उसे रासायनिक ऊर्जा में बदल देते हैं। सूर्य का प्रकाश पड़ने पर क्लोरोफिल में निम्नलिखित घटना घटती है –
सूर्य का प्रकाश क्लोरोफिल पर पड़ने से क्लोरोफिल अणु उत्तेजित हो जाते हैं। उत्तेजित ऊर्जा ताप के निर्मुक्त होने पर अथवा ताप समाप्त होने तथा प्रतिदीप्त होने पर नष्ट हो जाती है। पत्ती में यह ऊर्जा प्रकाश-संश्लेषण में प्रयोग होती है।
6. पादप में जल और खनिज लवण का वहन कैसे होता है ?
उत्तर – जल तथा लवण, मृदा से पत्तियों तक जाइलम कोशिकाओं द्वारा परिवहित होते हैं। जड़, तने तथा पत्तियों की जाइलम कोशिकाएँ परस्पर जुड़कर संयोजी मार्ग बनाते हैं। जड़ों की कोशिकाएँ मृदा से लवण लेती हैं ये मृदा तथा जड़ के लवणों की सान्द्रता में फर्क उत्पन्न कर देता है। इसलिए जल की निरन्तर गति जाइलम में होती रहती है। एक परासरण दबाव उत्पन्न होता है और जल व लवण एक कोशिका से दूसरी कोशिका में परासरण के कारण परिवहित होते रहते हैं। वाष्पोत्सर्जन के कारण जल की निरन्तर हानि होती रहती है तथा चूषण बल उत्पन्न होता है जिससे जल तथा लवणों की निरन्तर गति होती रहती है और जल तथा लवणों का परिवहन होता है।
चित्र: पादप में वाष्पोत्सर्जन के दौरान जल की गति
7. पादप में भोजन का स्थानांतरण कैसे होता है ?
उत्तर– पादपों में निर्मित भोजन, फ्लोएम द्वारा भण्डारण अंगों जैसे जड़, फल, विकासशील हिस्सों में परिवहित होता है। इस क्रिया को स्थानांतरण कहते हैं। यह कार्य चालनी कोशिकाओं तथा सहचर कोशिकाओं द्वारा सम्पन्न होता है। भोजन कणों का परिवहन ऊपर तथा नीचे दोनों दिशाओं में होता है।
स्थानांतरण की क्रिया एक सक्रिय क्रिया है जिसमें ऊर्जा का प्रयोग होता है। पदार्थों का स्थानांतरण पत्ती की कोशिकाओं या भण्डारण के स्थान से फ्लोएम ऊतक में होता है। इसके लिए ऊर्जा की आवश्यकता होती है जो ए टी पी (ATP) अणु से प्राप्त होती है। यह ऊर्जा परासरण दाब बढ़ाता है, परिणामस्वरूप जल बाहर से फ्लोएम के अन्दर गति करता है। यह क्रिया भोजन का परिवहन पादपों के समस्त हिस्सों में कायम रखती है।
8. हमारे शरीर में वसा का पाचन कैसे होता है ? यह प्रक्रम कहाँ होता है ?
उत्तर– वसा का पाचन क्षुद्रांत्र में होता है।
वसा का पाचन – वसा बड़े ग्लोब्यूल के रूप में क्षुद्रांत्र में उपस्थित होते हैं। इतने बड़े ग्लोब्यूलों के ऊपर बसा पाचित करनेवाले एंजाइम प्रभावी रूप से क्रिया नहीं कर पाते हैं।
यकृत द्वारा स्रावित बाइल रस अग्न्याशय के रस के साथ क्षुद्रांत्र में आता है। ब्राइल रस के बाइल लवण बसा के बड़े-बड़े ग्लोब्यूल को छोटे-छोटे करते हैं। इस इमल्सीकरण के कारण वसा के बड़े-बड़े ग्लोब्यूल छोटे-छोटे ग्लोब्यूलों में टूट जाते हैं और इस तरह एक बड़ा सतही क्षेत्र प्रदान करते हैं जिसपर एंजाइम क्रिया कर सकें।
लाइपेज नामक एंजाइम जो अग्न्याशय रस में होता है, इमल्सीकरण हुए वसा का विखण्डन करता है। क्षुद्रांत्र की भित्ति पर स्थापित ग्रंथियाँ रस स्रावित करती हैं जिसमें लाइपेज एंजाइम होता है जो वसा को वसा अम्ल तथा ग्लिसरॉल में परिवर्तित कर देता है।
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