झारखण्ड : ऊर्जा

झारखण्ड : ऊर्जा

> ऊर्जा
ऊर्जा उपभोग की मात्रा सभ्यता एवं समाज की प्रगति का मात्रक है. जिस सभ्यता या समाज द्वारा ऊर्जा का उपभोग ज्यादा होता है उस संस्कृति या समाज को विकसित माना जाता है. संयुक्त राज्य अमरीका में ऊर्जा की खपत विश्व में सर्वाधिक है जो उसके विकसित होने का प्रमाण है. एक अनुमान के अनुसार भारत के वर्षभर का ऊर्जा खपत, संयुक्त राज्य अमेरिका का मात्र 8 दिन की माँग पूर्ति करेगा. सभ्यता का विकास स्तर ऊर्जा खपत से निर्धारित होता है ऊर्जा की महत्ता को समझते हुए स्वतन्त्रता के बाद भारत सरकार ने इस ओर विशेष ध्यान दिया. फलतः ऊर्जा के विभिन्न स्रोत का प्रयोग किया. वर्ष 2015-16 में बिजली का प्रति व्यक्ति खपत 552 किलोवाट यूनिट था. 30 सितम्बर, 2017 तक राज्य में विद्युत् अधिष्ठापित क्षमता 2117.06 मेगावाट थी. उपयोग में आने वाले ऊर्जा स्रोतों को सामान्यतः दो श्रेणियों में बाँटा जाता है – –
(1) गैर-व्यापारिक (2) औपचारिक.
गैर-व्यापारिक ऊर्जा स्रोतों में जलावन की लकड़ी गोइठा (उवला) वनस्पति के व्यर्थ पदार्थ आदि. व्यापारिक ऊर्जा के साधनों में कोयला, तेल, गैस, परमाणु ईंधन, पवन-चक्की, ज्वार-भाटा, सौर ऊर्जा आदि सम्मिलित किये जाते हैं. इनमें कोयला, तेल, गैस, परमाण ईंधन को गैर नव्यीकरण ऊर्जा संसाधन एवं ज्वार-भाटा, पवन चक्की, सौर ऊर्जा झारखण्ड में ऊर्जा के विभिन्न स्रोत हैं.
> झारखण्ड में ऊर्जा के विभिन्न स्रोत
स्वतन्त्रता प्राप्ति के बाद तत्कालीन भारत सरकार ने तापीय ऊर्जा के विकास हेतु दामोदर घाटी परियोजना का 7 जुलाई, 1948 में दामोदर नदी एवं उसकी सहायक नदियों पर प्रारम्भ किया है. दामोदर घाटी परियोजना एक बहुउद्देशीय परियोजना जो संयुक्त राज्य अमरीका के टेनेंसी घाटी अथॉरिटी के मॉडल पर आधारित है, जिसे डब्ल्यू. एल. पुटदुइन ने (डी. वी. सी.) तैयार किया था. इस परियोजना डी. वी. सी. का मुख्य उद्देश्य बाढ़ पर नियन्त्रण था, क्योंकि दामोदर बंगाल का शोक था तथा दामोदर घाटी के संसाधनों का दोहन करना था. इसी उद्देश्य से एक इनक्वारी कमेटी का गठन किया गया था
जिसमें भौतिकविद् श्री मेघनाथ साहजी सम्मिलित थे. कालान्तर में इस परियोजना, जिसे दामोदर वैली निगम द्वारा संचालित किया जाने लगा, का मुख्य उद्देश्य ऊर्जा उत्पादन हो गया. इस परियोजना के तहत् दामोदर तथा इसकी सहायक नदियों पर ताप विद्युत् केन्द्रों की स्थापना की गई, जिसमें तापीय विद्युत् केन्द्र, जल विद्युत् केन्द्र एवं गैस पर आधारित विद्युत् केन्द्र हैं. बाद के दिनों में पतरातु थर्मल विद्युत् केन्द्र एवं तेनुघाट तापीय विद्युत् केन्द्र की स्थापना बिहार सरकार द्वारा की गयी. बिहार सरकार द्वारा ही 120 मेगा किलोवाट की स्वर्ण रेखा जल विद्युत् केन्द्र की स्थापना की गयी है. इसके अतिरिक्त यहाँ केप्टीव ऊर्जा संयन्त्र भी विद्युत् उत्पादन में लगे हैं.
> तापीय ऊर्जा
डी. वी.सी. परियोजना के अन्तर्गत कोयला पर आधारित प्रथम विद्युत् संयन्त्र बोकारो थर्मल में स्थापित किया गया.
(1) बोकारो थर्मल शक्ति गृह
दामोदर नदी की सहायक नदी बोकारो पर अवस्थित यह विद्युत् प्लाण्ट बोकारो थर्मल नामक शहर में स्थित है. बोकारो थर्मल गोमो, बरकाकाना, लूप लाइन में पड़ता है जो झारखण्ड के बोकारो जिला में स्थित है. फरवरी 1853 में बोकारो थर्मल में बिजली उत्पादन शुरू हुआ और 50 के दशक में बोकारो थर्मल का विद्युत् शक्ति गृह देश का सबसे बड़ा बिजली उत्पादक केन्द्र था. इस शक्ति गृह को अपने 15 किमी की त्रिज्या में स्थित कोयला खानों (सी. सी. एल.) से कोयला की प्राप्ति हो जाती है. वर्तमान में यहाँ दो संयन्त्र हैं, जिनमें कुल 7 इकाइयाँ हैं. इनमें से 3 इकाई 57-5 मेगावाट ( 3 गुणा 57.5 एम. डब्ल्यू.), 3 इकाई 210 मेगावाट ( 3 x 210 एम. डब्ल्यू. ) एवं एक इकाई 75 मेगावाट ( 1 x 75 एम. डब्ल्यू.) का है. पिछले छः माह से एक संयन्त्र ने अस्थायी तौर पर उत्पादन करना बन्द कर दिया है.
(2) चन्द्रपुरा विद्युत् शक्ति गृह
डी. वी. सी. द्वारा इस शक्ति गृह की स्थापना अक्टूबर 1965 में की गई थी. चन्द्रपुरा बोकारो जिला में स्थित है जो बोकारो गोमो – बरकाना लूप लाइन में पड़ता है. यहाँ भी दो संयन्त्र हैं प्रथम संयन्त्र में 3 इकाई हैं जिनकी क्षमता 3 x 140 मेगावाट ( 420 मेगावाट) की है एवं द्वितीय संयन्त्र में कुल 3 इकाई हैं जिसकी उत्पादन क्षमता 360 मेगावाट ( 3 x 120 मेगावाट) है. डी. वी. सी. के उपर्युक्त दोनों संयन्त्रों का संचालन घाटी निगम (डी. वी. सी.) द्वारा किया जाता है. जो भारत सरकार, पश्चिम बंगाल सरकार एवं झारखण्ड सरकार की सहमति से संचालन कार्य करता है.
(3) पतरातू थर्मल विद्युत् शक्ति गृह
यह देश के बड़े ताप गृहों में से एक है. यह परियोजना 13 फरवरी, 1973 में बिहार राज्य स्टेट इलेक्ट्रिसिटी बोर्ड द्वारा पूर्व सोवियत संघ की तकनीकी सहायता से आरम्भ की. इस परियोजना के सभी कार्यक्रम चौथे योजनाकाल में पूरे हुए. यह ताप विद्युत् गृह हजारीबाग जिले में स्थित है. इस विद्युत् केन्द्र को सी. सी. एल. के कोयले क्षेत्रों से मुख्यतः उत्तरी कर्णपुरा से कोयला प्राप्त होता है एवं दामोदर नदी की सहायक नलकारी नदी पर स्थित होने के कारण इसे पर्याप्त जल इस नदी से मिल जाता है. इस विद्युत् गृह की उत्पादन क्षमता 620 मेगावाट है, जिसमें 400 मेगावाट की क्षमता तक के रूस में बने उपकरणों की सप्लाई की व्यवस्था है शेष 220 मेगावाट क्षमता के उपकरण देश में ही निर्मित होते हैं. इस परियोजना का नियन्त्रण बिहार सरकार द्वारा होता है, जो अब झारखण्ड सरकार द्वारा होने लगा है.
आज ये परियोजना भी बन्दी के कगार पर है, जिसे व्यवस्थित ढंग से शुरू करना नूतन झारखण्ड सरकार की जिम्मेदारी है. नवीं पंचवर्षीय योजना में डी. वी. सी. एवं एन. टी. पी. सी. ने एक-एक परियोजना क्रमशः मैथान के निकट टैलपूल में एवं उत्तर कर्णपुरा (हजारीबाग) में स्थापित करने की घोषणा की है. उत्तर कर्णपुरा की कुल क्षमता 1920 मेगावाट है.
(4) तेनुघाट थर्मल विद्युत् गृह केन्द्र
तेनुघाट के निकट लालपानिया नामक स्थान पर 90 के दशक में तत्कालीन बिहार सरकार द्वारा इस विद्युत् गृह की स्थापना की गयी. इस विद्युत् गृह से कोयला नजदीकी सी. सी. एल. के कोयला खानों से एवं जल तेनुघाट बाँध से प्राप्त होता है. इस विद्युत् गृह की वर्तमान क्षमता 220 मेगावाट की है.
> जलशक्ति गृह
दामोदर घाटी परियोजना एवं स्वर्ण रेखा परियोजना के अन्तर्गत जल द्वारा बिजली उत्पादन का केन्द्र स्थापित किया गया है. इन जल विद्युत् उत्पादन केन्द्रों में से मुख्य इस प्रकार हैं
(1) तिलैया जल विद्युत् गृह
तिलैया में डी. वी. सी. द्वारा फरवरी 1953 में प्रथम जल विद्युत् केन्द्र की स्थापना की गई है. तिलैया दामोदर नदी की सहायक बराकर नदी पर स्थित है जो कोडरमा जिले में अवस्थित है. यहाँ जल द्वारा विद्युत् उत्पादन करने की दो इकाई हैं जिनकी क्षमता 4 मेगावाट (2 x 2 मेगावाट) है.
(2) मैथान जल विद्युत् गृह
इस जल विद्युत् उत्पादन केन्द्र की स्थापना भी दामोदर घाटी ) परियोजना के अन्तर्गत बराकर नदी पर अक्टूबर 1957 में की गई थी यह विद्युत् केन्द्र बराकर नदी के जल को एक डैम विद्युत् उत्पादन करता है. मैथान धनबाद जिले में स्थित है. यहाँ 2020 मेगावाट की तीन इकाइयाँ (3 x 20 मेगावाट) हैं. जमा कर
(3) पंचेत जल विद्युत् गृह
एक धनबाद जिले में अवस्थित पंचेत में दामोदर नदी के जल को बाँध के सहारे रोक कर जल द्वारा विद्युत् उत्पादन किया जाता है. यहाँ 40-40 मेगावाट की 2 इकाइयाँ हैं.
(4) स्वर्ण रेखा विद्युत् परियोजना
यह स्वर्ण रेखा नदी द्वारा निर्मित हुंडरू जलप्रपात से 120 मेगावाट जल विद्युत् उत्पादन करता है. स्वर्ण रेखा जल विद्युत् परियोजना राँची जिले के ओरमांझी प्रखण्ड में स्थित है. यहाँ शन्ताल सुत डैम के जल द्वारा पन बिजली पैदा किया जाता है. गैस टरबाइन पर आधारित बिजली उत्पादन केन्द्र पूरे झारखण्ड में सिर्फ मैथान में है, मैथान में गैस टरबाइन विद्युत् गृह की कुल क्षमता 82.5 मेगावाट है जिसमें इकाई द्वारा उत्पादन (3 × 27.5 मेगावाट) होता है. इसकी स्थापना 1989 ई. में की गई थी.
झारखण्ड में नाभिकीय संसाधन की उपलब्धता होते हुए भी एक भी आण्विक ऊर्जा विद्युत् गृह नहीं है.
> झारखण्ड में ऊर्जा के अन्य स्रोत
ऊर्जा के मुख्य वाणिज्यिक स्रोत जैसे ताप विद्युत् केन्द्र संसाधन का भण्डार सीमित है जिसे एक दिन शेष होना है. आने वाले वर्षों में पेट्रोलियम के भण्डार समाप्त हो जाने पर विश्व ऊर्जा संकट की अवस्था उत्पन्न होगी. इस अवस्था से बचने हेतु विश्व के विभिन्न देशों में ऊर्जा का वैकल्पिक स्रोत का प्रयोग किया है, जिसका प्रयोग भारत में भी किया जाने लगा है. वैकल्पिक ऊर्जा स्रोत नभीकृत है अर्थात् जिनका बारम्बार प्रयोग किया जा सकता है. वैकल्पिक ऊर्जा के स्रोत हैं
1. सौर ऊर्जा.
2. पवन ऊर्जा.
3. लघु पनबिजली योजना.
4. समुद्र तापीय ऊर्जा.
5. ज्वारीय ऊर्जा.
6. भू-तापीय ऊर्जा (गर्म जल कुण्ड से ).
7. बायो गैस आदि.
उपर्युक्त ऊर्जा स्रोतों में झारखण्ड में सौर ऊर्जा, पवन ऊर्जा, भू-तापीय ऊर्जा, बायो गैस एवं लघु पनबिजली योजना द्वारा ऊर्जा प्राप्त करने की सम्भावना है. इस ओर सरकार को प्रयास करना चाहिए.
> मुख्य बातें
> दामोदर घाटी परियोजना की शुरूआत 7 जुलाई, 1948 में दामोदर नदी एवं उसकी सहायक नदियों पर प्रारम्भ की.
> दामोदर घाटी परियोजना एक बहुउद्देशीय परियोजना है.
> यह परियोजना संयुक्त राज्य अमरीका के टेनेंसी वेली अथॉरिटी के मॉडल पर आधारित है.
> इस बहुउद्देशीय परियोजना का मूल उद्देश्य ‘बंगाल का शोक’ कही जाने वाली नदी दामोदर की बाढ़ को नियन्त्रित करना तथा इस क्षेत्र के संसाधनों का दोहन करना था.
> यह बहुउद्देशीय परियोजना पश्चिम बंगाल अखण्डित बिहार जो अब झारखण्ड का तथा केन्द्र की सम्मिलित परियोजना है.
> दामोदर घाटी परियोजना के अन्तर्गत 4 तापीय ऊर्जा गृह एवं तीन जलशक्ति गृह स्थापित किये गए हैं.
> ये विद्युत् गृह दामोदर नदी एवं उसकी सहायक नदियों पर अवस्थित है.
> झारखण्ड में स्थित मुख्य तापीय ऊर्जा केन्द्र हैं – तेनुघाट, बोकारो, चन्द्रपुरा, पतरातु एवं उत्तरी कर्णपुरा ( टंडवा) में नेशनल थर्मल पॉवर कॉर्पोरेशन द्वारा स्थापित किया जा रहा है. इस शक्ति गृह का उद्घाटन 13 सितम्बर, 2001 को तत्कालीन केन्द्रीय ऊर्जा मंत्री श्री सुरेश प्रभु द्वारा किया गया.
> झारखण्ड में स्थित मुख्य जल विद्युत् शक्ति गृह तिलैया, मैथान, पंचेत तथा स्वर्ण रेखा विद्युत् परियोजना है.
> झारखण्ड में ऊर्जा के अन्य स्रोत हैं- बायोगैस, सौर ऊर्जा तथा भूतापीय ऊर्जा आदि.
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