झारखण्ड का भूगोल
झारखण्ड का भूगोल
15 नवम्बर, 2000 को भारतीय इतिहास में एक नया पन्ना जुड़ गया जब बिहार राज्य पुनर्गठन विधेयक, 2000 द्वारा झारखण्ड को पृथक् किया गया. लम्बे संघर्ष एवं कुर्बानियों के बाद झारखण्ड भारत के मानचित्र पर 28वें राज्य का दर्जा पा गया. यह भारत के 30 पूर्वी भाग में स्थित है. झारखण्ड जनसंख्या की दृष्टि से 13वें एवं क्षेत्रफल की दृष्टि से 15वें स्थान पर है. झारखण्ड, जो बिहार का दक्षिणी भाग था, जिसे बिहार का पठार या छोटा नागपुर का पठार कहते हैं. वर्तमान झारखण्ड में सम्पन्न छोटा नागपुर का पठार एवं राजमहल ट्रैप का प्रायः सम्पूर्ण भाग सम्मिलित है. इस विभाजन से कृषि प्रधान क्षेत्र बिहार में रह गया एवं खनिज सम्पदा एवं वनों का क्षेत्र झारखण्ड में आ गया. अतः आज झारखण्ड खदान की दृष्टि से सम्पन्न नहीं है. झारखण्ड तिलहन एवं मोटे अनाजों का मुख्य उत्पादक राज्य है, किन्तु झारखण्ड खनिज सम्पदा की दृष्टि से भारत का सबसे सम्पन्न राज्य है. आज झारखण्ड इस दृष्टिकोण से भारत का रूर प्रदेश है. यह कोयला, अभ्रक, लौह-अयस्क, ताँबा, चीनी मिट्टी, काइनाइट एवं चूना पत्थर के उत्पादक में अन्य राज्यों की पंक्ति में प्रथम स्थान रखता है तथा बॉक्साइट, एस्बेस्टस का महत्वपूर्ण उत्पादक है. यह भारत के कुल खनिज उत्पादन का प्रायः 36% उत्पादन करता है. इस प्रकार झारखण्ड के भारत के अर्थव्यवस्था के सन्दर्भ में एक विशेष स्थान रहेगा. भारत के कुल लौह उत्पादन का 55% यह राज्य उत्पादित करता है. इस प्रकार लौह उत्पादक की दृष्टि से सम्पूर्ण भारत में इस राज्य का प्रथम स्थान होगा. इसके बाद नवगठित राज्य छत्तीसगढ़ एवं उड़ीसा का होगा. इसके साथ ही साथ लकड़ी, बाँस तथा सबई घास जैसे वन उत्पादनों का यह राज्य मुख्य क्षेत्र रहेगा. औद्योगिक उत्पादन की दृष्टि से भी यह राज्य उल्लेखनीय है. भारत के प्रथम लौह इस्पात उद्योग की नींव भी जमशेदजी टाटा द्वारा स्वर्ण रेखा एवं खरकई नदी पर स्थित जमशेदपुर में 1907 में डाली गयीं, जिसमें उत्पादन कार्य 1911 से शुरू हुआ. आज भी जमशेदपुर तथा बोकारों भारत के महत्वपूर्ण लौह इस्पात केन्द्र हैं. झारखण्ड भारत का अग्रणी तांबा उत्पादक राज्य है. सीमेन्ट, अग्निसह मृतिका सिन्दरी के रासायनिक उर्वरक, चन्द्रपुरा, बोकारो थर्मल दामोदर घाटी निगम (डी. वी.सी. की इकाई), तेनुघाट, पतरातू जैसे ताप विद्युत् केन्द्र तथा तिला मैथन (Maithan) इत्यादि जैसे पनबिजली उत्पादन केन्द्र, एद ई सी. राँची आदि के कारण आज भारत के औद्योगिक मानचित्र पर झारखण्ड का एक विशेष स्थान है. झारखण्ड बिहार की तरह समतला क्षेत्र नहीं है. अतः यहाँ का ग्राम्य अधिवास सघन नहीं है. झारखण्ड एक उद्योग प्रधान राज्य होते हुए भी उद्योगों के निकटवर्ती ग्रामीण आबादी की अपनी एक विशिष्ट संस्कृति एवं लोक कला है, जो शनैः शनैः शहरीकरण एवं औद्योगीकरण से प्रभावित हो रहा है… किन्तु आज भी जनजातियों के मध्य निकटता एवं सम्पर्क का माध्यम साप्ताहिक हाट एवं उनकी सांस्कृतिक विशिष्टता है. झारखण्ड का क्षेत्र अंग्रेजों की नजरों से काफी दिनों तक दूर रहा है, किन्तु ईसाई मिशनरियों एवं कालान्तर में अंग्रेज शासकों ने प्रशासनिक सुविधा हेतु इस क्षेत्र में पदार्पण किया एवं यहाँ की एकान्तप्रिय एवं सरल लोगों की संस्कृति में हस्तक्षेप किया, जो इस शताब्दी में औद्योगीकरण के कारण आर्थिक प्रगति का केन्द्र बन गया.
> बिहार का बँटवारा
झारखण्ड राज्य के निर्माण के साथ ही ऐतिहासिक दृष्टि से बिहार का अब तक छोटा-बड़ा मिलाकर चौथी बार विभाजन हो गया. ब्रिटिश शासनकाल में बंगाल, बिहार एवं उड़ीसा को एक साथ मिलाकर एक बड़ी प्रशासकीय इकाई का निर्माण किया गया था.
ब्रिटिश शासनकाल में ही पुनः 1 अप्रैल, 1912 को बिहार का बंगाल से पृथक्करण हुआ. इस प्रकार बिहार एवं उड़ीसा सम्मिलित रूप से एक राज्य के रूप में अस्तित्व में रहे पुनः 24 वर्षों बाद 1 अप्रैल, 1936 को बिहार से उड़ीसा को पृथक् कर दिया गया. इस प्रकार बिहार का यह प्रथम विभाजन ब्रिटिश शासनकाल में ही सम्पन्न हुआ. अब बिहार एक स्वतन्त्र प्रशासकीय इकाई बन गया. स्वतन्त्रता प्राप्ति के बाद कुछ रियासत रह गये थे, जिन्हें भारत के विभिन्न राज्यों एवं प्रशासनिक इकाइयों में सम्मिलित किया गया. इसी क्रम में सन् 1948 में सरायकेला तथा खरसामा की देशी रियासतों को भी इस राज्य में सम्मिलित कर लिया गया. इनसे स्थानों के सम्बन्ध में झारखण्ड के गठन के समय उड़ीसा के सभी दलों ने इसे उड़ीसा में शामिल करने की माँग की थी. अपने पक्ष में उन्होंने तर्क दिया कि यह स्थान उड़ीया भाषा बहुल है, किन्तु केन्द्र सरकार ने उनकी इस माँग को अस्वीकार करते हुए इस क्षेत्र को झारखण्ड में ही रहने दिया. साथ ही वहाँ से उड़ीया भाषी लोग भी झारखण्ड में ही रहना चाहते थे. बिहार का तीसरी एवं स्वतन्त्रता के बाद दूसरी बार सन् 1956 में राज्यों के पुनर्गठन के फलस्वरूप बिहार राज्य की सीमा पुनः परिवर्तित हुई. पूर्णिया जिले की किशनगंज अनुमण्डल ( वर्तमान में जिला) से महानन्दा नदी के पूर्वी क्षेत्र, गोपालपुर थाना के कुछ क्षेत्र तथा वर्तमान धनबाद जिला को छोड़कर मानभूम का सम्पूर्ण क्षेत्र बिहार से हटाकर बंगाल राज्य में सम्मिलित कर दिया गया. इस पुनर्गठन के फलस्वरूप बिहार राज्य का कुल क्षेत्रफल जो सन् 1936 में 1,79,611 वर्ग किलोमीटर था. वह घटकर सन् 1956 में 1,74,038 वर्ग किलोमीटर रह गया. बिहार का चौथा विभाजन 15 नवम्बर, 2000 को हो गया. इस विभाजन के पूर्व एक लम्बे संघर्ष का इतिहास रहा है. इस संघर्ष के परिणामस्वरूप ही झारखण्ड का निर्माण हुआ है. इसका बिहार से विभाजन होने पर शेष बिहार का क्षेत्रफल 94,163 वर्ग किलोमीटर रह गया है एवं आबादी 10,38,04,637 (2011) है. इस विभाजन के बाद झारखण्ड के हिस्से में 79,714 वर्ग किलोमीटर क्षेत्र आया एवं आबादी 3,29,66,238 (2011) रह गई है. भारत की कुल जनसंख्या का 2-72% (2011) यहाँ निवास करती है. जनसंख्या का औसत घनत्व यहाँ 414 व्यक्ति प्रति वर्ग किलोमीटर है. सबसे अधिक घनत्व धनबाद 1,284 व्यक्ति प्रति वर्ग किलोमीटर है तथा सबसे कम सिमडेगा में 160 व्यक्ति प्रति वर्ग किलोमीटर है. उत्तर से दक्षिण में अधिकतम विस्तार 380 किलोमीटर है तथा पूरब से पश्चिम, विस्तार 463 किलोमीटर है. प्रायः चतुर्भुज आकृति का यह राज्य है, जिसका उत्तरी-पूर्वी भाग ( साहेबगंज जिला) थोड़ा उत्तर की ओर निकला है. यह भाग गंगा नदी को प्रायः स्पर्श करता है. दक्षिण का भाग उत्तर के अनुपात में संकरा है. इस राज्य का कुल क्षेत्रफल 79,714 वर्ग किलोमीटर है. जो भारत के कुल क्षेत्रफल का 2.62 प्रतिशत है. क्षेत्रफल के दृष्टिकोण से झारखण्ड का स्थान भारत में 15वाँ है. नवनिर्मित राज्य छत्तीसगढ़ जो मध्य प्रदेश से पृथक् होकर 28वें राज्य के रूप में अस्तित्व में आया है, से भी कम क्षेत्रफल झारखण्ड एवं शेष बिहार का है. झारखण्ड की आबादी 3, 29, 66, 238 व्यक्ति है. यह राज्य जनसंख्या की दृष्टि से भी भारत में 13वें स्थान पर है. प्रायः चतुर्भुज आकृति वाले इस राज्य के उत्तर में बिहार, पश्चिम में उत्तर प्रदेश एवं छत्तीसगढ़ राज्य, दक्षिण में उड़ीसा तथा पूर्व में पश्चिम बंगाल राज्य स्थित है. यह पूर्णतः एक भूमि बन्द राज्य है. इसका कोई भी हिस्सा समुद्र से स्पर्श नहीं करता है. झारखण्ड में सदावाहिनी एवं विस्तृत नदियों का भी अभाव है. यह राज्य बंगाल की खाड़ी से मात्र 200 किलोमीटर दूर है. इसकी जलवायु को पश्चिम की शुष्क वातावरण एवं पूर्व की आर्द्र वातावरण प्रभावित करती है. इस राज्य की जलवायु अक्षांशीय विस्तार के कारण भी प्रभावित होती है. कर्क रेखा झारखण्ड से होकर गुजरती है, जिसके कारण यहाँ की जलवायु उष्ण है. खनिज सम्पदा से सम्पन्न राज्य होने के कारण भारत में इसका एक विशिष्ट स्थान रहेगा.
प्रशासनिक सुविधा की दृष्टिकोण से झारखण्ड को 4 प्रमण्डल, 24 मण्डल (जिला) एवं 38 अनुमण्डल, 260 प्रखण्ड में विभाजित किया गया है.
> झारखण्ड के भू-भौतिक विभाजन
झारखण्ड का क्षेत्र मुख्यतः पठार क्षेत्र है, जहाँ से समुद्र तल से औसत ऊँचाई 300 मीटर से लेकर 600 मीटर तक है. झारखण्ड राज्य को छोटा नागपुर का पठार के रूप में भी जाना जाता है. यह पठार कई भागों में विभाजित है. राजमहल की पहाड़ियाँ इस पठार की उत्तरी पूर्व सीमा बनाती है. अन्य पठारों में हजारीबाग का पठार तथा कोडरमा का पठार शामिल है, जो दामोदर नदी के उत्तर में स्थित है. दामोदर नदी के दक्षिण में राँची का पठार विस्तृत है. इसकी औसत ऊँचाई 700 मीटर है. यहाँ पर ग्रेनाइट एवं नीस की चट्टानें पाई जाती हैं. कुछ निचली पहाड़ियों के अतिरिक्त राँची का पठार समतल है. इसी समतल भू-भाग में नवगठित झारखण्ड राज्य की राजधानी राँची नगर स्थित है. इस नगर में नदियाँ चारों दिशाओं में प्रवाहित होती हैं. यह पठार किनारों पर बहुत कटा-फटा है. दामोदर घाटी एक भ्रंश के रूप में है. यहाँ गोंडवाना काल के भारी निक्षेप रखे हैं. खनिज पदार्थों की दृष्टि से यह पठार धनी है. इसलिए इसे ‘खनिजों का गोदाम घर’ कहते हैं. यहाँ भारत का प्रमुख खनिज बॉक्साइट, अभ्रक एवं कोयला भारी मात्रा में पाये जाते हैं. इसके अतिरिक्त क्रोमाइट, चिकनी मिट्टी, टंग्स्टन, चूना पत्थर, फैल्सपार, क्वार्ट्ज, इमारती पत्थर, ताँबा भी पर्याप्त मात्रा में मिलते हैं. वन सम्पदा की दृष्टि से भी इस पठार का विशेष महत्व है. साल, सागवान, जामुन, सेमल, बाँस आदि के वृक्ष यहाँ बहुतायत से पाये जाते हैं. पहाड़ी ढालों व नदी घाटियों में चावल की खेती भी की जाती है. यह पठार महानदी, सोन, स्वर्ण रेखा, दामोदर एवं उत्तरी तथा दक्षिणी कोयल जैसी नदियों से आकृत है. सोन नदी पठार के उत्तर-पश्चिम में बहकर गंगा से मिलती है. दामोदर नदी पठार के मध्य भाग में पश्चिम से पूर्व दिशा की ओर प्रवाहित होते हुए आगे बढ़ती है.
मुख्य बातें
> 15 नवम्बर, 2000 का झारखण्ड, बिहार से पृथक् किया गया एवं भारत के 28वें राज्य के रूप में अस्तित्व में आया.
> झारखण्ड का निर्माण बिहार के दक्षिणी भाग को पृथक् कर किया गया है.
> वर्तमान झारखण्ड के अन्तर्गत बिहार का छोटा नागपुर का पठार एवं राजमहल की पहाड़ियाँ आती हैं.
> झारखण्ड भारत का रूर – प्रदेश है.
> झारखण्ड का खनिज उत्पादन में पूरे देश में प्रथम स्थान है.
> भारत के कुल खनिज उत्पादन का लगभग 36% अकेले झारखण्ड राज्य से प्राप्त होता है.
> लौह उत्पादन की दृष्टि से यह राज्य, सम्पूर्ण भारत में प्रथम स्थान पर है.
> आधा से अधिक लौह उत्पादन अकेले झारखण्ड राज्य में होता है.
> यहाँ लोहा के अलावा, कोयला, अभ्रक, ताँबा, कायनाइट, यूरेनियम ॐ जैसे खनिज पदार्थों की बहुलता पाई जाती है.
> खनिज पर आधारित उद्योगों में लौह-इस्पात उद्योग, कोयला पर आधारित तापीय बिजली उद्योग, भारी अभियन्त्रण उद्योग, रिफ्रेक्टरी उद्योग, ताँबा एवं एल्यूमीनियम उद्योग आदि की प्रधानता है.
> भारत का प्रथम बड़ा लौह-इस्पात कारखाना जमशेदपुर में स्थापित किया गया था.
> बिहार के चौथे बँटवारे के रूप में झारखण्ड राज्य का निर्माण हुआ.
> विभाजन के बाद बिहार का क्षेत्रफल 94, 163 वर्ग किमी रह गया.
> झारखण्ड का क्षेत्रफल 79,714 वर्ग किमी है.
> 2011 की जनगणना के अनुसार भारत की कुल जनसंख्या का 2-72 प्रतिशत आबादी झारखण्ड में निवास करती है.
> झारखण्ड का कुल क्षेत्रफल (79,714 वर्ग किमी) भारत के कुल क्षेत्रफल (32,872 वर्ग किमी) का 2.4 प्रतिशत है.
> झारखण्ड का विस्तार – 21°58′10″ उत्तर से 25°18′ उत्तरी अक्षांश तथा 83°22′ पूरब से 87°57′ पूर्व देशान्तर के मध्य भारत के उ. पू. में स्थित है.
> झारखण्ड की लम्बाई पूरब से पश्चिम 463 किमी तथा चौड़ाई उत्तर से दक्षिण 380 किमी है.
> झारखण्ड की आकृति प्रायः चतुर्भुजाकार है.
> क्षेत्रफल की दृष्टि से झारखण्ड का भारत के राज्यों के मध्य 15वाँ स्थान है.
> झारखण्ड एक भूमि बंद राज्य (Land-Locked State) राज्य है.
> झारखण्ड चारों तरफ से कुल पाँच राज्यों द्वारा घिरा हुआ है.
> इसके उत्तर में बिहार, पश्चिम में उत्तर प्रदेश एवं नवनिर्मित राज्य छत्तीसगढ़, दक्षिण में ओडिशा तथा पूर्व में पश्चिम बंगाल स्थित है.
> झारखण्ड का सुदूरस्थ पूर्वी हिस्सा भी बंगाल की खाड़ी से 90 किमी दूर है,
> कर्क रेखा झारखण्ड से होकर गुजरती है.
> कर्क रेखा झारखण्ड की राजधानी राँची, लोहरदगा के उत्तर से एवं नेतरहाट के दक्षिण से होकर गुजरती है.
> कर्क रेखा झारखण्ड के जलवायु को उष्ण बनाने में मददगार साबित होती है.
> प्रशासनिक सुविधा के दृष्टिकोण से झारखण्ड को 4 प्रमण्डल, 24 मण्डल (जिला), 38 अनुमण्डल तथा 260 प्रखण्डों में विभाजित किया गया है.
> झारखण्ड की समुद्र तल से औसत ऊँचाई 300 से 600 मीटर तक है.
> झारखण्ड की उत्तरी-पूर्वी सीमा राजमहल की पहाड़ियाँ बनाती हैं.
> झारखण्ड राज्य का क्षेत्रफल की दृष्टि से सर्वाधिक बड़ा जिला गुमला है, जिसका क्षेत्रफल 5320-94 वर्ग किमी है. गुमला जिले के बाद राँची का क्षेत्रफल 4962-82 वर्ग किमी है.
> झारखण्ड राज्य का क्षेत्रफल की दृष्टि से सर्वाधिक छोटा जिला रामगढ़ है जिसका क्षेत्रफल 1211-06 वर्ग किमी है.
> झारखण्ड राज्य में कुल विद्युतीकृत गाँवों की संख्या 14667 है.
> छोटा नागपुर के पठार को दामोदर नदी दो भागों में बाँटती है. दामोदर नदी के उत्तर में हजारीबाग पठार तथा कोडरमा का पठार स्थित है तथा दक्षिण में राँची का पठार अवस्थित है.
> राँची के पठार की औसत ऊँचाई 700 मीटर है.
> यह मुख्यतः ग्रेनाइट एवं नीस चट्टानों से निर्मित है.
> छोटा नागपुर का पठार खनिज पदार्थों के दृष्टिकोण से काफी सम्पन्न है.
> छोटा नागपुर के पठार को ‘खनिजों का गोदाम घर’ (Store House of Minerals) भी कहते हैं.
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