झारखण्ड : परिवहन एवं संचार

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झारखण्ड : परिवहन एवं संचार

> परिवहन एवं संचार
परिवहन एवं संचार प्रगति का मात्रक है. जिस देश / राज्य में परिवहन एवं संचार की व्यवस्था एवं साधन जितना सुव्यवस्थित एवं उन्नत है. वह देश/राज्य उतना ही विकसित है. विकसित देश का नाम आते ही वहाँ की उच्च तकनीकी युक्त परिवहन तथा संचार सुविधा मस्तिष्क में कौंध जाती है. परिवहन तथा संचार ये दोनों माध्यम दो व्यक्ति, दो दिशा के बीच की दूरी को कम करता है. यह सम्पर्क का माध्यम है, इसके विकसित स्वरूप पर समाज की प्रगति तय की जाती है. इनका पुरातन काल से एक अपना महत्व रहा है. पूर्व में जल परिवहन की महत्ता थी, किन्तु आज विश्व व्यापार में जल परिवहन के अलावा रेल तथा वायु परिवहन ने भी महत्वपूर्ण स्थान ले लिया है. संचार के तब मुख्य साधन हरकारे एवं पक्षी थे, किन्तु आज अति तीव्रगामी एवं सुव्यवस्थित संचार के साधन उपलब्ध हैं. संचार एवं परिवहन के उन्नत एवं तीव्रगामी साधनों ने विश्व को एक गाँव के रूप में परिवर्तित कर दिया है.
परिवहन एवं संचार प्रणाली से आर्थिक उत्पादन एवं वितरण में सुविधा होती है. झारखण्ड जैसे विविध समाज एवं सांस्कृतिक ढाँचा वाले प्रदेश में सांस्कृतिक एकीकरण में परिवहन तथा संचार का विशेष महत्व है. उत्तम परिवहन तथा संचार व्यवस्था सुदृढ़ प्रशासन में सहायक होता है. झारखण्ड की भौगोलिक उपस्थित एवं स्थिति इसके परिवहन प्रणाली के विकास को प्रभावित करती है. झारखण्ड पूर्णतः भूमि बंध (Land Locked) राज्य है तथा यहाँ की नदियाँ पहाड़ी हैं. अतः यहाँ जल परिवहन की सम्भावना बही नहीं है. सड़क एवं रेल पथ परिवहन को यहाँ के भौगोलिक उच्चावच; जैसे – पठार, पहाड़ी इत्यादि प्रभावित करते हैं. इस राज्य में सड़क एवं रेल पथ का विकास खनन उद्योग एवं ब्रिटिश प्रशासनिक संविदा हेतु किया गया था. अतः परिवहन का विस्तार कुछ क्षेत्रों में काफी हुआ, किन्तु राज्य के कुछ क्षेत्र अधूरे रह गये. स्वतन्त्रता प्राप्ति के बाद भारत सरकार एवं तत्कालीन राज्य (बिहार) सरकार ने इस ओर ध्यान दिया और सड़क एवं रेल पथ परिवहन का अनछुए क्षेत्रों में विस्तार किया है.
> सड़क पथ
परिवहन का यह सर्वसुलभ साधन है. थोड़े से प्रयास से सभी जगह को सड़क से जोड़ा जाता है. मुख्य शहर एवं स्थानीय बाजार को सुदूर गाँवों से जोड़ने का यह एक मुख्य साधन है. यह राज्य खनिज संसाधन, मुख्यतः लोहा का स्रोत होने के कारण भारत के अन्य हिस्सों से जुड़ा हुआ था. मगध साम्राज्य की स्थापना एवं विस्तार में यह लोहे प्राप्ति क्षेत्र एवं यहाँ के वनों के दोहन में हाथी सहायक रहे. अतः झारखण्ड वनों का प्रदेश होते हुए भी अपनी उपयोगिता के कारण शेष भारत से प्रारम्भ से ही जुड़ा रहा है. में शेरशाह सूरी द्वारा लगभग 1540-42 ई. में निर्मित ग्रांड ट्रंक रोड से यह प्रदेश भारत के सुदूर पूर्वी एवं पश्चिमी हिस्से से जुड़ गया. आज इस सड़क को राष्ट्रीय राजमार्ग का दर्जा प्राप्त है, जिसे 2 नम्बर के राजमार्ग से भी जाना जाता है. इस प्रदेश में सड़क का विकास कमोवेशी शुरू से ही होता रहा है, किन्तु कुछ कारक ऐसे हैं जो सड़क के विकास की गति एवं घनत्व को नियन्त्रित करते हैं. ये कारक इस प्रकार हैंबाद –
> स्थलाकृति
झारखण्ड एक पठारी एवं पहाड़ी इलाका है. अतः यहाँ की स्थलाकृति सड़क निर्माण हेतु उत्तम है. सड़क निर्माण में लागत भी औसतन कम एवं मजबूती ज्यादा रहती है.
> संसाधन
सड़क निर्माण में प्रयुक्त सामग्री वहाँ सस्ते में सर्वत्र उपलब्ध है विशेषकर दामोदर घाटी क्षेत्र में बड़े-बड़े बोल्डर, चिप्स, लाल मिट्टी (मोरम) कोलतार जैसे मुख्य सामग्री यहाँ प्रायः सर्वत्र या निकट में उपलब्ध है.
> आर्थिक क्रियाकलाप
इस पठारी प्रदेश में खनिज संसाधनों की प्रचुरता एवं इनको खनन क्रिया ने सड़क परिवहन के विकास में सहायक एवं महत्वपूर्ण भूमिका निभाई. इन खनिज संसाधनों पर आधारित उद्योगों की स्थापना से सड़क पथ परिवहन एवं रेल पथ परिवहन के विकास में तीव्रता आई.
> प्रशासनिक सुविधा हेतु
ब्रिटिश शासन के दौरान जनजातियों के विद्रोह पर नियन्त्रण हेतु सड़क निर्माण पर ध्यान दिया गया, किन्तु स्वतन्त्रता प्राप्ति के बाद केन्द्र एवं राज्य सरकार ने इस ओर विशेष ध्यान दिया.
एक बात ध्यान देने योग्य है कि सड़कों का जाल लगभग उन्हीं क्षेत्रों में फैला है जिनमें रेलों का जाल बिछा है. अतः सड़क तथा रेल पथ का प्रतियोगी है, किन्तु यह रेल टर्मिनल से जुड़कर रेल पथ की उपयोगिता को बढ़ा देता है. यहाँ सड़कों की लम्बाई लगभग सभी जगहों पर रेल पथ की लम्बाई से अधिक है.
छोटा नागपुर सड़क योजना, 1943 के अनुसार सड़कों का 4 वर्गों में वर्गीकरण किया गया है –
> झारखण्ड में सड़कों की लम्बाई 
(1) राष्ट्रीय राजमार्ग
इस वर्ग के सड़क देश को जोड़ने का काम करती है. उसके रखरखाव सुधार एवं निर्माण का भार केन्द्र सरकार का रहता है. मार्च 2018 तक भारत में इस प्रकार की सड़कों की कुल लम्बाई लगभग 100087.08 किमी है, जिसका झारखण्ड में विस्तार लगभग 2649 किमी है. इस प्रदेश से गुजरने वाले मुख्य राष्ट्रीय राज्य मार्ग हैं
(2) राजकीय राजमार्ग
ये राज्य को जोड़ने का काम करती है. इसकी देखरेख, कार्य, मरम्मत एवं निर्माण की जिम्मेदारी राज्य की सरकारों की होती है. यहाँ यह सरकार की पी. डब्लू. डी. के जिम्मे हैं. मार्च 2018 तक झारखण्ड में विस्तार 1231.9 किमी है.
(3) जिला सड़कें
जिलों को जोड़ने वाली इन सड़कों की देखभाल एवं निर्माण की जिम्मेदारी प्रदेश सरकार की होती है. ऐसी सड़कें उद्योग केन्द्र से सुदूर इलाके को जोड़ने वाली हैं. इन सड़कों की देखभाल एवं निर्माण की जिम्मेदारी भी पी. डब्ल्यू. डी. विभाग को सौंपी गयी है. मार्च 2018 तक झारखण्ड में विस्तार 4845-7 किमी है.
(4) ग्राम सड़कें
ये प्रायः कच्ची सड़कें होती हैं जिनका निर्माण स्थानीय पंचायत के सहयोग से किया जाता है. ये गाँव को मुख्य बाजार एवं जिला से जोड़ने का काम करता है. इसकी जिम्मेदारी राज्य के ग्रामीण अभियन्त्रण संगठन को है.
सड़क परिवहन को कुछ अन्य विशिष्ट वर्गों में भी बनाया गया है, जिनमें एक्सप्रेस राजमार्ग एवं अन्तर्राष्ट्रीय राजमार्ग है. एक्सप्रेस राजमार्ग का निर्माण तीव्र गति के व्यापारिक वाहनों हेतु किया गया है. भारत में 5 एक्सप्रेस राजमार्ग हैं, जिनमें से एक ग्राण्ड ट्रंक रोड (राष्ट्रीय राजमार्ग नं. 2) झारखण्ड से होकर गुजरता है.
> अन्तर्राष्ट्रीय राजमार्ग
एशिया तथा सुदूर पूर्व आर्थिक आयोग (ई.सी.ए.एफ.ई.) के द्वारा प्रस्तुत एक योजना है. इस योजना के तहत् भारतीय राष्ट्रीय राजमार्ग को अन्तर्राष्ट्रीय राजमार्ग से मिला दिये जाएंगे. योजना के तहत् अन्तर्राष्ट्रीय राजमार्ग दो प्रकार के होंगे. प्रथम जो विभिन्न देशों की राजधानियों को मिलायेंगे जो मुख्य मार्ग होंगे. द्वितीय जो मुख्य मार्गों को सम्बन्धित देश के नगरों एवं बन्दरगाहों से मिलायेंएं. प्रथम राजमार्ग की लम्बाई 63500 किलोमीटर होगी, जो सिंगापुर सैगाँव, बैंकॉक और मांडले (म्यांमार) होता हुआ बांगलादेश, भारत, पाकिस्तान से गुजरते हुए तुर्की से होकर एशियाई राजमार्ग को यूरोपीय अन्तर्राष्ट्रीय राजमार्ग से जोड़ेगा. भारत में यह राजमार्ग 2860 किमी लम्बा होगा, जो अमृतसर-दिल्ली, आगरा- कानपुर, कोलकाता, ढाका, आगरा-ग्वालियर-हैदराबाद-बेंगलूरू-धनुषकोटि एवं बरही (झारखण्ड) से काठमाण्डू को जोड़ेगा. इस प्रकार अन्तर्राष्ट्रीय राजमार्ग झारखण्ड से भी गुजरेगा.
झारखण्ड राज्य में मार्च 2018 तक प्रति 1000 वर्ग किमी में 144-70 किमी सड़कों की लम्बाई ( पथ घनत्व Road Density) है, जबकि पक्की सड़कों की लम्बाई प्रति लाख आबादी पर और भी कम है. झारखण्ड में राँची, हजारीबाग, धनबाद, बोकारो, गिरिडीह, पूर्वी सिंहभूम में सड़कों का घना जाल बिछा है. ऐसा प्रारम्भ में औद्योगीकरण के कारण हुआ, जिससे सड़क का विकास प्रारम्भ में असमान रूप से था, किन्तु अब राज्य सरकार ने इस ओर ध्यान देते हुए सड़क का विकास अन्य क्षेत्रों में भी किया है, किन्तु अभी भी प्रति लाख जनसंख्या पर 291 किमी लम्बी सड़कों के राष्ट्रीय औसत से यहाँ का औसत पीछे है जो विकास की अनिवार्यता को देखते हुए अपर्याप्त है.
> रेल परिवहन
छोटा नागपुर के पठारों पर रेल लाइन बिछाने का मूल मकसद यहाँ के खनिजों का दोहन एवं सेना के आवागमन में असुविधा थी. तमाम अवस्थिति सम्बन्धी कठिनाइयों के बावजूद इस प्रदेश में पहाड़ एवं पहाड़ों को काटकर छोटी-बड़ी नदियों एवं नालों पर सैकड़ों पुल का निर्माण कर रेल लाइन बिछायी गयी. प्रारम्भ में रेल कम्पनी निजी हाथों में थी. अतः उन्हीं क्षेत्रों में रेल लाइन का जाल बिछा है, जहाँ से कम्पनी को फायदा था, जैसे दामोदर घाटी क्षेत्र एवं स्वर्ण रेखा
घाटी क्षेत्र में तमाम भौगोलिक खोजों • बावजूद रेल लाइन बिछायी गयी. स्वतन्त्रता प्राप्ति के बाद राष्ट्रीय सरकार ने इस प्रदेश का आर्थिक महत्व समझते हुए रेल लाइन का विस्तार एवं सुधार किया. फलतः अखण्डित बिहार में भी सिंहभूम जिले में सर्वाधिक घनी रेल लाइन बिछी थी.
भारत में रेलवे का विकास 19वीं सदी के उत्तरार्द्ध से शुरू हुआ. उसी समय तत्कालीन छोटा नागपुर में भी रेलवे का विकास होने लगा. सन् 1854 में कोलकाता से रानीगंज तक 180 किमी की रेलवे लाइन बिछायी गयी. प्रारम्भ में वर्तमान झारखण्ड में दो कम्पनियाँ – ईस्ट इण्डियन रेलवे एवं बंगाल-नागपुर रेलवे ने क्रमशः उत्तरी छोटा नागपुर एवं दक्षिणी छोटा नागपुर में रेलवे लाइन बिछायी थी. वर्तमान में ये दोनों कम्पनियाँ क्रमशः पूर्वी रेलवे एवं दक्षिण-पूर्व रेलवे के रूप में परिवर्तित हो गया. वर्ष मार्च 2017 तक झारखण्ड में रेलवे लाइनों की कुल लम्बाई 2455 किमी थी.
> जल परिवहन
जल परिवहन का प्राचीनकाल से ही महत्व रहा है. चाणक्य ने इसकी उपयोगिता को बढ़-चढ़ कर बखान की है। वर्तमान समय में भी यह अन्तर्राष्ट्रीय बाजार का मुख्य साधन है, किन्तु झारखण्ड जैसे प्रदेश, जहाँ की नदियाँ बरसाती हैं, जिनका प्रवाह मार्ग ऊबड़-खाबड़ धरातल पर है, में जल परिवहन का कभी खास महत्व नहीं रहा है. सिर्फ दामोदर नदी में सहायक नदी मयूराक्षी में वर्षा ऋतु में देशी नावें चलती हैं.
> वायु परिवहन
भारत में प्रथम उड़ान सन् 1911 में भरी गई थी, किन्तु प्रथम उड़ान सेवा सन् 1932 में टाटा सन्स लिमिटेड कराची से मद्रास (चेन्नई) के बीच लागू की गई थी. भारत में प्रथम सेवा को चालू किये 7 दशक बीत गये, किन्तु झारखण्ड आज भी वायु परिवहन के मामले में अविकसित दशा में है. ऐसी यहाँ के आर्थिक पिछड़ेपन के कारण हुआ. इस प्रदेश की राजधानी राँची में मध्यम श्रेणी वाली हवाई अड्डा है, जो अन्तर्राष्ट्रीय महत्व के हवाई अड्डों में से सिर्फ कोलकाता स्थित दमदम हवाई अड्डा, बड़े हवाई अड्डे पटना से जुड़ा हुआ है. चिकुलिया में छोटे आकार का हवाई अड्डों में भारत के 29 सरकारी आर्थिक सहायता प्राप्त उड्डयन क्लब में एक जमशेदपुर में स्थित है. झारखण्ड स्थित ये दो हवाई अड्डे का कोलकाता के मुख्य वायु मार्ग से जुड़ा हुआ है. राँची स्थित हवाई अड्डे का नाम बिरसा मुण्डा रखा गया.
> संचार
वर्तमान काल सूचना क्रान्ति का युग है. सूचना के क्षेत्र में इतनी तीव्रता से विकास हुआ है कि सम्पूर्ण विश्व की दूरी सिमट गयी है. इण्डिया ने आज एक वैश्विक गाँव का रूप ले लिया है. ऐसे में यह प्रश्न स्वाभाविक है कि सूचना क्रान्ति से हमारा झारखण्ड कितना प्रभावित हुआ है. सूचना को यदि दो वर्गों में बाँटें मसलन प्रारम्भिक सूचना के माध्यम जैसे रेडियो, डाकघर, कुरियर तथा अतिविकसित माध्यम जैसे एस. टी. डी. एवं आई. एस. डी. व्यवस्था तो हम कह सकते हैं कि सूचना के दोनों साधनों की स्थिति झारखण्ड में बेहतर. नहीं है. जैसे यदि हम प्रति एक लाख आबादी पर डाकघरों की संख्या को लें, तो यह औसतन 4-5 है, जबकि देवघर जैसे जिले में तो एक से भी कम है.
2 फरवरी, 2001 को राष्ट्रपति की मंजूरी के पश्चात् भारतीय डाक भ क मण क द , ख वर्तमान एक अधिकारी ए. घोष दस्तीघर नये झारखण्ड डाक सर्कल का मुख्य डाक अधीक्षक होंगे.
झारखण्ड सर्कल के निर्माण के बाद भी यह बिहार डाक सर्कल के अन्तर्गत कार्यरत् रहेगा. रोहतास तथा औरंगाबाद डिवीजन जो अभी तक दक्षिण बिहार के भाग थे. अब बिहार के अधीन रहेंगे. एस. पी. डिवीजन, दुमका, धनबाद, गिरिडीह, हजारीबाग, पलामू, राँची, सिंहभूम, पी. एस. डी. राँची, और एम. एस. पी. एण्ड डी. डिवीजन राँची तथा पी. एण्ड टी. डिस्पेन्सरी धनबाद होंगे. संसाधन एवं प्रशासन के सम्बन्ध में बँटवारा मुख्य डाक अधीक्षक, बिहार डाक सर्कल और डाक अधीक्षक दक्षिण बिहार क्षेत्र के बीच परस्पर बातचीत के आधार पर होगा.
झारखण्ड डाक सर्कल हेतु एक डाक व्यवस्था की गई है. प्रत्येक विभागीय डाकघर एवं अवर डाकघर, साधारण डाक को छटाई कर झारखण्ड समेत देश के अन्य भागों के लिए लैवल बंडल बनाकर भेजेंगे. इसी प्रकार रजिस्ट्री वाले डाक भी भेजे जायेंगे. झारखण्ड राज्य के उन सभी ग्रामीणों में जहाँ 300 से अधिक की आबादी है. वहाँ एक लेटर बॉक्स लगाई जाएगी. पंचायत मुख्यालय में जहाँ अभी तक डाकघर नहीं खोले गये वहाँ पंचायत डाक संचार के केन्द्र खोले जायेंगे. ऐसे पंचायत डाक संचार केन्द्र ग्राम पंचायत के अधीन होंगे जो निकट के अवर डाकघर से सभी नियम डाक व्यवस्था के लिए सम्पर्क करेंगे. राँची, धनबाद एवं जमशेदपुर के स्पीड्र पोस्ट केन्द्रों को वेबसाइट पर जोड़ दिये गये हैं. यहाँ जल्दी ही ट्रैक एण्ड ट्रैक सेवा उपलब्ध होगी. इन वेबसाइट पर स्पीड पोस्ट सम्बन्धी सारी जानकारी उपलब्ध रहेगी. शिकायत को भी वेबसाइट पर दर्ज किया जा सकता है तथा इसी पर इसका निपटारा होगा. नई सुविधा के तहत् अब स्पीड पोस्ट से बीमा कराकर सोना-चाँदी एवं बहुमूल्य सामान भी भेजा जा सकेगा.
रेडियो स्टेशन – झारखण्ड में पिछले कुछ वर्षों में रेडियो स्टेशन का विस्तार है. वर्तमान में राँची उच्चशक्ति ट्रांसमिशन की एवं हुआ जमशेदपुर, डाल्टेनगंज एवं हजारीबाग में निम्न शक्ति ट्रांसमिशन वाले एक-एक रेडियो स्टेशन हैं.
टी. वी. केन्द्र – राँची में एक उच्च शक्ति वाला रिले केन्द्र है तथा जमशेदपुर, डाल्टेनगंज में निम्न शक्ति ट्रांसमिशन वाला एक-एक रिले केन्द्र है.
समाचार पत्र – झारखण्ड से प्रकाशित होने वाले मुख्य हिन्दी दैनिक अखबार प्रभात खबर (राँची), आज (राँची, धनबाद, जमशेदपुर ), हिन्दुस्तान (राँची, पलामू, हजारीबाग), आवाज (धनबाद), राँची एक्सप्रेस (राँची) आदि हैं. दैनिक अखबार प्रथम हिन्दी दैनिक समाचार पत्र है जो वेबसाइट पर है तथा बिहार ऑबजर्वर (धनबाद) आदि हैं. उर्दू में झारखण्ड से एकमात्र अखबार कौमी तंजीम राँची से निकलती है.
नयी सरकार द्वारा राज्य के 30 प्रखण्डों में सामुदायिक सूचना तकनीकी केन्द्रों की स्थापना का कार्य प्रारम्भ किया गया है.
> सरकारी प्रयास
नवनिर्मित सरकार केन्द्र सरकार द्वारा प्रायोजित प्रधानमंत्री ग्राम सड़क योजना के अन्तर्गत, जिसकी घोषणा 15 अगस्त, 2000 को की गयी है. 1000 आबादी वाले गाँव को पक्की सड़क से जोड़ने की योजना बनायी है. इस योजना के क्रियान्वयन हेतु केन्द्र सरकार ने पूरे देश के लिए 60,000 करोड़ रुपये की व्यवस्था की है.
इस नवनिर्मित सरकार ने राष्ट्रीय उच्च पथों को लगभग 63 करोड़ रुपयों की लागत पर उन्नयन करने की पहल की है एवं झारखण्ड राज्य के चार पथों का राष्ट्रीय उच्च पथों में परिवर्तन की योजना है. ये 4 पथ हैं-
(1) एन. एच. 75 – रेणुकुट (उत्तर प्रदेश) सीमा से नगर उँटारी – गढ़वा – डाल्टेनगंज-राँची.
(2) एन. एच. 98 – औरंगाबाद – हरिहरगंज – छतरपुर- नावाराजहरा. –
(3) एन. एच. 99 – डोभी – चतरा – बालूमाथ – चंदवा. –
(4) एन. एच. 100 – चतरा – वगरा – सिमरिया – हजारीबाग, विष्णुगढ़ – बगोदर – इनका विस्तार एन. एच. 2 तक है.
> मुख्य बातें
> परिवहन एवं संचार के उन्नत एवं तीव्रगामी साधनों ने विश्व को एक वैश्विक गाँव के रूप में परिवर्तित कर दिया है.
> परिवहन एवं संचार प्रणाली का आर्थिक, सामाजिक, सांस्कृतिक एवं प्रशासनिक महत्व है.
> झारखण्ड की भौगोलिक अवस्थिति एवं स्थिति इसके परिवहन प्रणाली के विकास को प्रभावित करती है.
> झारखण्ड एक भूमिबंध राज्य होने के कारण एवं आन्तरिक नंदी प्रणाली पहाड़ी होने के कारण यहाँ जल परिवहन की सम्भावना लगभग नहीं है.
> स्थलाकृति, प्राकृतिक संसाधन, आर्थिक क्रियाकलाप तथा प्रशासनिक दृष्टिकोण आदि कारकों ने झारखण्ड में सड़क के विकास की गति एवं घनत्व को नियन्त्रित करते हैं.
> भारत में कुल 64 राजमार्ग हैं जिनमें 6 राष्ट्रीय राजमार्ग झारखण्ड से होकर गुजरते हैं.
> भारत में सड़कों की कुल लम्बाई लगभग 100087-08 किमी है, इसमें झारखण्ड में राष्ट्रीय राजमार्ग का विस्तार लगभग 2612 किमी है.
> इस प्रदेश से गुजरने वाले मुख्य राष्ट्रीय राजमार्ग हैं- राष्ट्रीय राजमार्ग नं. 2, 5, 6, 23, 32 एवं राष्ट्रीय राजमार्ग नं. 33.
> राजकीय राजमार्ग राज्यों को जोड़ने का काम करती है.
> राजकीय राजमार्ग की देखभाल एवं निर्माण की जिम्मेदारी सम्बन्धित राज्य सरकार की होती है.
> जिला सड़कें जिला को जोड़ने का काम करती हैं जिसकी देखभाल मरम्मत एवं निर्माण का कार्य सम्बन्धित राज्य सरकार की पी. डब्ल्यू. डी. का होता है.
> एक्सप्रेस राजमार्ग का निर्माण तीव्रगामी व्यापारिक वाहनों हेतु किया गया है. भारत में पाँच एक्सप्रेस राजमार्ग हैं, जिनमें से एक ग्राण्ड ट्रंक रोड (राष्ट्रीय राजमार्ग नं. 2) झारखण्ड से होकर गुजरती है.
> एशिया तथा सुदूर पूर्व आर्थिक आयोग (Economic Commission of Asia and Far East) द्वारा प्रस्तुत योजना अन्तर्राष्ट्रीय राजमार्ग झारखण्ड से होकर भी गुजरेंगी.
> 1 अप्रैल, 2015 तक झारखण्ड में कुल 11,476 (राष्ट्रीय राजमार्ग सहित) किमी लम्बी सड़कें हैं, जिनमें कच्ची एवं पक्की दोनों प्रकार की सड़कें शामिल हैं.
> झारखण्ड में रेल पथ परिवहन के विकास का कारक खनिज दोहन एवं सेना का क्षेत्र में आवागमन में सुविधा था.
> झारखण्ड में रेल पथ परिवहन का संतोषजनक विकास नहीं हुआ है.
> नौवीं पंचवर्षीय योजना में झारखण्ड में विद्युतीकरण एवं नये रेल पथ निर्माण पर ध्यान दिया गया है.
> यहाँ की नदियाँ बरसाती हैं. अतः यहाँ जल परिवहन की सम्भावना लगभग नगण्य है. सिर्फ दामोदर नदी की सहायक नदी मयूराक्षी में वर्षा ऋतु में देशी नावें चलती हैं.
>  झारखण्ड की राजधानी राँची बिरसा मुण्डा हवाई अड्डा मध्यम श्रेणी का हवाई अड्डा है, जो कोलकाता एवं पटना के हवाई अड्डे से जुड़ा हुआ है.
> पूर्वी सिंहभूम में चिकुलिया स्थित हवाई अड्डे छोटी श्रेणी का हवाई अड्डा है.
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