नारीवाद की संकल्पना पर टिप्पणी लिखें।

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प्रश्न – नारीवाद की संकल्पना पर टिप्पणी लिखें।
उत्तर – वर्त्तमान में बदलती हुई सामाजिक परिस्थितियों में समाज में विभिन्न विचारधाराओं की तरह एक नयी विचारधारा विकसित हुई है जिसको “नारीवाद विचारधारा” के रूप में. जाना जाता है। नारीवाद विचारधारा का समर्थन मेरी वोल स्टोनक्राफ्ट, कंट गिलेट, सुश्री बेट्टी फ्रीडन, आशा रानी व्योहरा तथा डा. प्रभा खेतान आदि ने किया है। इसके द्वारा नारियों को समाज में न्याय दिलाने के लिए ही नारियों की स्वतन्त्रता के सम्बन्ध में आवश्यक अधिकारों की माँग की जाती रही है। नारियों की इज्जत को बनाये रखने के लिए नारीतव की परिभाषा गढ़ने की माँग आज की जा रही है । नारीवाद के अन्तर्गत निम्न बिन्दुओं को शामिल किया गया है –
(1) नारी के अधिकारों को मानवाधिकार मानमा ।
(2) स्त्री और पुरुष में समानता लाना तथा नारी को सामाजिक न्याय दिलाना ।
(3) परम्परागत बन्धनों से मुक्ति दिलाना ।
नारीवाद का अर्थ (Meaning of Feminism) – विभिन्न विचारकों द्वारा नारी और पुरुष के मध्य समानता को प्रतिपादित करने वाला विचारधारा को ही नारीवाद कहा है । इस सम्बन्ध में यह मान्यता दी जाती है कि नारी को, पुरुषों से किसी भी क्षेत्र में कम नहीं आँका जाना चाहिए और दोनों को ही समान अधिकार मिलने चाहिए । इस विचारधारा को प्रतिपादित करने का प्रथम श्रेय ब्रिटिश महिला मेरी वोल स्टोनक्राफ्ट को दिया जाता है जिन्होंने अपनी पुस्तक ‘Vendicaton of the Right of Women, 1978′ में लिखा है कि “मैं यह नहीं कहती कि पुरुष के बदले अब स्त्री का वर्चस्व पुरुष पर स्थापित होना चाहिए । जरूरत तो इस बात की है स्त्री को स्वयं अपने बारे में सोचने-विचारने और निर्णय का अधिकार मिले।” स्टानेक्राफ्ट का यह तथ्य ही नारीवाद का प्रमुख आधार माना गया है ।

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