नारी शिक्षा के विकास के उपाय तथा लैंगिक समानता में योगदान का वर्णन करें ।
प्रश्न -नारी शिक्षा के विकास के उपाय तथा लैंगिक समानता में योगदान का वर्णन करें ।
(Describe the measures for the Provision of Women education for gender equality.)
उत्तर – नारी शिक्षा के विकास के उपाय तथा लैंगिक समानता में योगदान –
- राष्ट्रीय शिक्षा नीति में इस बात की परिकल्पना की गई है कि शिक्षा को महिलाओं के स्तर में मौलिक परिवर्तन के लिए एक अभिकर्ता के रूप में प्रयोग किया जाए ।
- महिलाओं को अधिकार दिलाने में शिक्षा सही मध्यस्थता वाली भूमिका निभाये ।
- पाठ्य पुस्तकों, पाठ्यचर्या, शिक्षकों, निर्णयकर्त्ताओं तथा प्रशासकों के प्रशिक्षण एवं अभिनवन तथा शिक्षा संस्थाओं के सक्रिय सहयोग से नए मूल्यों के विकास को बढ़ावा दिया जाए ।
- महिलाओं के अध्ययनों को विभिन्न पाठ्यक्रम के रूप में प्रोन्नत किया जाए ।
- महिलाओं को अधिकार दिलाने में सही भूमिका निभाने के लिए शिक्षा प्रणाली को अनुकूल बनाया जाए ।
- महिलाओं के विकास के लिए सक्रिय कार्यक्रम चलाने के लिए शैक्षिक संस्थानों को प्रोत्साहन दिया जाए ।
- औद्योगिक, तकनीकी तथा व्यावसायिक शिक्षा के कार्यक्रमों में महिलाओं की शिक्षा को व्यापक बनाया जाए ।
- पाठ्य पुस्तकों से लिंग पक्षपात और महिलाओं के प्रति दुराग्रह वाले अंशों को हटाया जाए ।
- महिलाओं से सम्बन्धित विषयों को हाथ में लेने के लिए अध्यापकों और अनुसन्धानकर्त्ताओं का अनुस्थापन और सामान्य विषयों में महिलाओं के आयामों को शामिल किया जाए ।
- पाठ्यचर्या की पुनःसंरचना करने के लिए कार्यशालाओं का आयोजन किया जाए ।
- शैक्षिक संस्थाओं को उन कार्यक्रमों को आरम्भ करने के लिए प्रोत्साहित किया जाए, जो समुदाय को प्रत्यक्ष लाभ पहुँचाए और महिलाओं में सामर्थ्य उत्पन्न करें ।
- प्रत्येक शिक्षा संस्थान द्वारा महिलाओं की स्थिति का अध्ययन करने, जाग्रति पैदा करने और महिलाओं में संप्रेषण तथा संगठन की प्रोन्नति के लिए तथा उनके विकास के लिए सक्रिय कार्यक्रम शुरू किए जाएँ ।
- सभी शिक्षकों तथा गैर-औपचारिक शिक्षा / प्रौढ़ शिक्षा अनुदेशकों को महिलाओं को अधिकार दिलाने वाले एक एजेंट के रूप में प्रशिक्षित किया जाए । शिक्षकों तथा प्रौढ़ शिक्षा/गैर-औपचारिक शिक्षा के शिक्षकों के सभी प्रशिक्षण कार्यक्रमों को शामिल करने के लिए रा. शै. अ. प्र. प. प्रौ. शि. नि. आदि द्वारा विशेष प्रशिक्षण कार्यक्रम विकसित किए जाएँ, जो उन्हें महिलाओं को अधिकार दिलाने के लिए प्रेरित करें ।
- महिलाओं के विकास के लिए स्वैच्छिक एजेंसियों तथा क्रियात्मक वर्गों को प्रशिक्षण कार्यक्रमों में शामिल किया जाए ।
- प्रौढ़/गैर-औपचारिक शिक्षा कार्यक्रमों में महिला शिक्षकों तथा महिला अनुदेशकों को विशेष प्रशिक्षण दिया जाए, ताकि वे महिलाओं की समानता के लिए सक्रिय भूमिका अदा कर सकें ।
- अनुसन्धान संस्थानों, स्वैच्छिक संस्थाओं और कलाकारों द्वारा महिलाओं में चेतना उत्पन्न करने और अपने व्यक्तित्व को उन्नत करने के लिए विशेष कार्यक्रम तैयार क जाएँ ।
- प्रचार माध्यम (रेडियो और दूरदर्शन) को योजना की स्पष्ट मार्गदर्शी रूपरेखाएँ • तैयार करनी चाहिए ।
- स्कूल स्तर के अध्यापकों की भर्ती के लिए महिलाओं को वरीयता दी जानी चाहिए । इससे ग्रामीण क्षेत्रों में अधिक विश्वास की भावना उत्पन्न होगी और अभिभावक लड़कियों को स्कूल भेजने के लिए प्रेरित होंगे।
- सामान्य कोर पाठ्यचर्या महिलाओं की नई स्थिति के अनुरूप मूल्यों के संस्थापन के लिए तथा उनकी शक्ति बढ़ाने के लिए एक शक्तिशाली साधन है । रा. शै. अ. प्र. प. की महिला सेल को फिर चालू किया जाए और उसे महिलाओं की समानता से सम्बन्धित पाठ्यक्रम को तैयार करने की जिम्मेदारी दी जाए । इस सेल को स्कूली पाठ्यक्रमों से लिंग पक्षपात को दूर करने के लिए तेजी से कार्य करना चाहिए ।
- रा. शै. अ. प्र. प. और राज्य स्तर की एजेंसियों द्वारा आरम्भिक प्रशिक्षण, सेवाकालीन प्रशिक्षण और पुनश्चर्या पाठ्यक्रमों के जरिए अध्यापकों, प्रशिक्षकों, आयोजकों और प्रशासकों को महिलाओं के मामलों में संवेदनशील बनाया जाए ।
- एक बड़ी संख्या में शैक्षिक कार्मिकों को शामिल करने हेतु एक देशव्यापी लिंग संवेदनशीलता का कार्यक्रम आरभ किया जाए; ताकि शैक्षिक प्रशासकों, शिक्षकों और शिक्षक प्रशिक्षकों को शामिल किया जा सके। इस रणनीति का अनुपूरक, संचार अभियान और बालिका शिक्षा हेतु सकारात्मक वातावरण तैयार करने के लिए अभिभावक जागरूकता कार्यक्रम होगा । महिलाओं को अधिकार देने और बालिका शिक्षा के बुनियादी मुद्दों पर महिला दलों की गतिशीलता को तीव्र किया जाए ।
- सभी शिक्षकों और प्रशिक्षकों को महिलाओं को अधिकार दिलवाने वाले एजेंटों के रूप में प्रशिक्षित किया जाए । प्रशिक्षण कार्यक्रम रा. शै. अ. प्र. प., परमाणु ऊर्जा विभाग, राज्य स्रोत केन्द्रों जिला शैक्षिक प्रौद्योगिकी संस्थानों, राज्य शै. अ. प्र., परिषदों और विश्वविद्यालय प्रणाली द्वारा विकसित किए जाएँ । नवाचार प्रशिक्षण कार्यक्रम सम्बन्धित संगठनों और महिला दलों की सहायता से तैयार किए जाएँ ।
- रा. शै. अ. प्र. प. ग्रामीण क्षेत्रों में महिला शिक्षकों की भर्ती और तैनाती की समस्याओं का अध्ययन करे, ताकि अड़चनों और व्यवहार्य समाधानों का पता लगाया जा सके ।
- लिंग रूढ़िबद्धता को तोड़ते हुए सभी स्तरों पर बालिकाओं को अधिकाधिक व्यावसायिक तकनीकी और पेशेवर शिक्षा सुलभ कराने के लिए उपाय किए जाएँ ।
- ऐसी सहायक सेवाओं का सृजन करने के लिए, जिससे बालिकाएँ शिक्षा प्राप्त कर सके, विभिन्न, विभागों के कार्यक्रमों और योजनाओं को अभिमुख करने पर बल दिया जाए । महिला एवं बाल विकास विभाग और राज्य सरकारों का सक्रिय सहयोग प्राप्त किया जाए ।
- महिला और बाल विकास विभाग द्वारा विकसित कानूनी साक्षरता सामग्रियों का दूर-दूर तक प्रचार किया जाए, ताकि वे स्कूली पाठ्यचर्या, साक्षरता अभियानों और महिलाओं की गतिशीलता का अंग बन सकें । विशेषकर, सूचना और प्रसारण मंत्रालय की मीडिया (संचार) सहायता माँगी जाए ।
- बालिकाओं की मिडिल और माध्यमिक शिक्षा तक पहुँच को बढ़ाने के लिए दूरस्थ शिक्षा का विस्तार किया जाए । राष्ट्रीय मुक्त स्कूल बालिकाओं को दूरस्थ शिक्षा में लाने में सफल रहे हैं तथा और अधिक मिडिल स्कूल की बालिकाओं को शिक्षा देने में सहायता देने हेतु इस संयोजन को बढ़ाया जाए ।
- महिला शिक्षा के नवाचारी कार्यक्रमों को बढ़ावा देने और उनके प्रलेखन पर बल दिया जाए ।
यद्यपि इनमें से कई क्षेत्रों में कार्यवाही की गई है परन्तु गति धीमी है। गति को तेज करने की आवश्यकता है ।
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