निम्नलिखित गद्यांशों में से किसी एक गद्यांश को पढ़कर नीचे दिए गए प्रश्नों के उत्तर दें । प्रत्येक प्रश्न दो अंकों का होगा।

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प्रश्न – निम्नलिखित गद्यांशों में से किसी एक गद्यांश को पढ़कर नीचे दिए गए प्रश्नों के उत्तर दें । प्रत्येक प्रश्न दो अंकों का होगा।
 (क) आकाशगंगा तारों का महापरिवार है। शायद नदी की धारा की तरह दिखाई पड़ने के कारण ही इसका नाम आकाशगंगा पड़ा होगा। आकाश में कई आकाशगंगा हैं, लेकिन पृथ्वी से केवल एक ही आकाशगंगा दिखाई पड़ती है, जिसका नाम ‘स्पाइरल गैलेक्सी’ है। हमारी आकाशगंगा पहिए की आकृति वाली है, जिसके केन्द्र से तारक मछली की भाँति भुजाएँ निकलती प्रतीत होती हैंआकाशगंगा में लगभग 20 अरब तारे हैं। उनमें तो अनेक तारे सूर्य ग्रह से कई गुना बड़े हैं । पृथ्वी से समतल पट्टी जैसी दिखने वाली इस आकाशगंगा को ऊपर या ठीक नीचे देखा जाए तो यह बीच में उभार लिए प्लेट की तरह दिखेगी। इस आकाशगंगा के केन्द्र में तारों का भारी जमघंट है।
  निम्नांकित प्रश्नों के उत्तर दें – 
(i) आकाशगंगा नाम क्यों पड़ा?
(ii) पृथ्वी से कितनी आकाशगंगा दिखलाई पड़ती है? उसका नाम क्या है ?
(iii) आकाशगंगा में कितने तारे हैं?
(iv) आकाशगंगा के केन्द्र में किसका जमघट है?
(v) सूर्य क्या है ?
(ख) गंगा भारत की अत्यंत पवित्र नदी है, जिसका जल काफी दिनों तक रखने के बावजूद अशुद्ध नहीं होता, जबकि साधारण जल कुछ दिनों में ही सड़ जाता है। गंगा का उद्गम स्थल गंगोत्री या गोमुख है। गोमुख से भागीरथी निकलती है और देवप्रयाग नामक स्थान पर अलकनंदा नदी से मिलकर आगे गंगा के रूप में प्रवाहित होती है। भागीरथी से देवप्रयाग तक आते-आते इसमें कुछ चट्टानें घुल जाती हैं, जिसके इसके जल में ऐसी क्षमता पैदा हो जाती है जो उसके पानी को सड़ने नहीं देती। प्रत्येक नदी के जल में कुछ खास तरह के पदार्थ घुले रहते हैं, जो उसके विशिष्ट जैविक संरचना के लिए उत्तरदायी होते हैं। ये घुले हुए पदार्थ पानी में कुछ खास तरह के बैक्टीरिया को पनपने देते हैं कुछ को नहीं। कुछ खास तरह के बैक्टीरिया ही पानी में सड़न के लिए उत्तरदायी होते हैं तो कुछ पानी में सड़न को रोकने के लिए सहायक होते हैं। वैज्ञानिक शोधों से पता चलता है कि गंगा के पानी में भी ऐसे बैक्टीरिया हैं जो पानी में सड़न पैदा करने वाले कीटाणुओं को पनपने ही नहीं देते। इसलिए गंगा का पानी काफी लम्बे समय तक खराब नहीं होता और पवित्र माना जाता है।
(i) गंगा के जल और साधारण पानी में क्या अंतर है?
 (ii) गंगा के उद्गम स्थल को किस नाम से जाना जाता है?
(iii) भागीरथी से देवप्रयाग तक का सफर गंगा के लिए किस तरह लाभदायी सिद्ध होता है?
 (iv) बैक्टीरिया ही पानी में सड़न पैदा करते हैं और बैक्टीरिया ही पानी की सड़न रोकते हैं, कैसे?
 (v) गंगा का पानी पवित्र क्यों माना जाता है?
उत्तर –
(क) (i) नदी की धारा की तरह दिखाई पड़ने के कारण ही इसका नाम आकाशगंगा पड़ा।
(ii) पृथ्वी से केवल एक ही आकाशगंगा दिखाई पड़ती है। उसका नाम ‘स्पाइरल गैलेक्सी’ है।
 (iii) आकाशगंगा में लगभग 20 अरब तारे हैं।
(iv) आकाशगंगा के केन्द्र में तारों का भारी जमघट है।
 (v) सूर्य ग्रह है।
(ख) (i) गंगा जल काफी दिनों तक रखने के बावजूद अशुद्ध नहीं होता, जबकि साधारण जल कुछ दिनों में ही सड़ जाता है।
(ii) गंगा का उद्गम स्थल गंगोत्री या गोमुख नाम से जाना जाता है।
(iii) भागीरथी से देवप्रयाग तक आते-आते इसमें कुछ चट्टानें घुल जाती हैं, जिससे इसके जल में ऐसी क्षमता पैदा हो जाती है जो उसके पानी को सड़ने नहीं देती।
 (iv) कुछ खास तरह के पदार्थ घुले रहने के कारण कुछ खास तरह के बैक्टीरिया को पनपने देते हैं कुछ को नहीं।
(v) गंगा का पानी पवित्र इसलिए माना जाता है क्योंकि इसका जल काफी दिनों तक रखने के बावजूद अशुद्ध नहीं होता।

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