निम्नलिखित गद्यांश को पढ़कर नीचे दिए गए प्रश्नों के उत्तर दें। प्रत्येक प्रश्न दो अंकों का होगा।

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प्रश्न – निम्नलिखित गद्यांश को पढ़कर नीचे दिए गए प्रश्नों के उत्तर दें। प्रत्येक प्रश्न दो अंकों का होगा। 
(क) 21 अक्टूबर 1833 ई० को स्वीडन के स्टॉकहोम में पिता इमानुएल एवं माता कैरोलीन ऐनड्रिटा आलसिल के आंगन में अल्फ्रेड नोबेल का जन्म हुआ। यह शैशवावस्था से ही बहुत कमजोर थे। सर्दी-जुकाम से, बुखार से हमेशा पीड़ित रहते थे। मन से भी वह भावुक थे। इन सबके बीच कुछ कर गुजरने का जज्बा उनमें भरा था। उनके इसी जज्बे ने विश्व को डायनामाइट दिया। एक बार टपक रही नाइट्रोग्लिसरीन पर उनकी नजर पड़ी जो टपकने के साथ रेत पर जमती जा रही थी। उन्होंने उसी के आधार पर डायनामाइट का आविष्कार कर दिया। उन्होंने अपने इस आविष्कार का पेटेंट करवाया। कारखाना खोलने के लिए अनेक देशों को पत्र लिखे परन्तु खतरनाक विस्फोटक होने के कारण किसी ने सहायता नहीं की। अंततः फ्रांस के तत्कालीन सम्राट नेपोलियन तृतीय ने स्वीकृति दे दी। कलांतर में कई देशों में इसकी फैक्ट्रियाँ खुल गयीं। इससे उनके पास अकूत संपत्ति अर्जित हो गयी। अपनी मृत्यु से पूर्व इन्होंने अपनी अपार धनराशि का बड़ा भाग 25 लाख पौंड़ की वसीयत पुरस्कारों के लिए निर्धारित कर दी। उनकी मृत्यु के पश्चात् 10 दिसंबर 1901 को उनकी बरसी पर पहली बार नॉबेल फाउंडेशन ने पाँच पुरस्कार दिए। ये पुरस्कार – भौतिकी, रसायन, चिकित्सा, साहित्य व शांति के क्षेत्र में विशिष्ट कार्य करने वालों को दिये गये।
निम्नांकित प्रश्नों के उत्तर दें –
(i) अल्फ्रेड नोबेल का जन्म कब और कहाँ हुआ ?
 (ii) अल्फ्रेड नोबेल ने डायनामाइट का आविष्कार कैसे किया ?
 (iii) अल्फ्रेड को कारखाना लगाने की अनुमति क्यों नहीं मिल पा रही थी ?
 (iv) सर्वप्रथम डायनामाइट का कारखाना किस देश में खुला ?
(v) नोबेल पुरस्कार की शुरुआत कब हुई? किन-किन क्षेत्रों में यह पुरस्कार दिए जाते हैं?
अथवा,
(ख) निःस्वार्थ भाव से पीड़ित मानवता की सेवा सबसे बड़ा धर्म है, उपकार है। व्यक्ति परोपकार कई प्रकार से कर सकता है। हम आर्थिक रूप से या उसके माध्यम से दूसरों का हित कर सकते हैं। भूखे को रोटी खिला सकते हैं। नंगे का तन ढँक सकते हैं। धर्मशालाएँ बनवा सकते हैं। यदि हम धन से वंचित हैं, तो तन मन से भी दूसरों की भलाई कर सकते हैं। निरक्षरों को शिक्षा का दान दे सकते हैं, उन्हें साक्षर बना सबसे हैं। यदि देखा जाए तो यही सच्चा दान है। इससे हम अपने और परिवार के लिए कुछ सुख-शांति प्राप्त कर सकते हैं। इसके सिवा शारीरिक शक्ति द्वारा भी परोपकार किया जा सकता है। भूले भटके को राह दिखा सकते हैं। प्यासे को पानी पिला सकते हैं। अबलाओं की रक्षा कर सकते हैं।
 निम्नांकित प्रश्नों के उत्तर दें –
(i) परोपकार किसे कहते हैं ?
 (ii) परोपकार किस प्रकार किया जा सकता है?
 (iii) सच्चा दान क्या है ?
(iv) सुख-शांति प्राप्त करने का मुख्य साधन क्या है ?
(v) बिना आर्थिक सहायता के परोपकार किस प्रकार किया जा सकता है ?
उत्तर –
(क) (i) अल्फ्रेड नोबेल का जन्म 21 अक्टूबर 1833 ई० को स्वीडन के स्टॉकहोम में हुआ था। (ii) एक बार अल्फ्रेड नोबेल ने टपक रही नाइट्रोग्लिसरीन को ध्यान से देखा जो टपकने के साथ रेत पर जमती जा रही थी। उन्होंने उसी के आधार पर डाइनामाइट का आविष्कार कर दिया। (iii) खतरनाक विस्फोटक होने के कारण अल्फ्रेड को डायनामाइट निर्माण के लिए कारखाना लगाने की अनुमति नहीं मिल रही थी। (iv) सर्वप्रथम डायनामाइट का कारखाना फ्रांस में खुला। (v) नोबेल पुरस्कार की शुरुआत 10 दिसंबर, 1901 को हुई। ये पुरस्कार – भौतिकी, रसायन, चिकित्सा, साहित्य व शांति के क्षेत्र में विशिष्ट कार्य करने वालों को दिये जाते हैं।
अथवा,
(ख) (i) नि:स्वार्थ भाव से पीड़ित मानवता की सेवा करने को परोपकार कहते हैं। (ii) आर्थिक मदद देकर व आवश्यक वस्तु किसी जरूरतमंद को देकर परोपकार किया जा सकता है। (iii) सच्चा दान शिक्षा दान है। (iv) सुख-शांति प्राप्त करने का मुख्य साधन परोपकार करना है, सच्चा दान करना है। (v) भूले-भटके को राह दिखाकर, प्यासे को पानी पिलाकर तथा अबलाओं की रक्षा कर बिना आर्थिक सहायता के परोपकार किया जा सकता है।

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