निम्नलिखित में किन्हीं आठ प्रश्नों के उत्तर दें –

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प्रश्न-  निम्नलिखित में किन्हीं आठ प्रश्नों के उत्तर दें – 
(क) गुरु के द्वारा शास्त्र का क्या लक्ष्य बतलाया गया है?
(ख) वेदाङ्गों के नाम लिखिए।
 (ग) आज कौन-कौन से आविष्कार विध्वंसक है?
 (घ) असहिष्णुता का कारण निवारण बताएँ।
 (ङ) किस कारण से मंदाकिनी का जल कलुषित हो गया है?
 (च) मध्यकाल में भारतीय समाज क्यों दूषित हो गया था  ।
 (छ) रामप्रवेश की प्रतिष्ठा कहाँ-कहाँ देखी जा रही है?
 (ज) नरक के तीन द्वार कौन-कौन से हैं ?
 (झ) कुल की रक्षा कैसे होती है?
(ञ) पण्डित किसे कहा जाता है?
 (ट) सभी जनों की देशभक्ति कैसी होनी चाहिए?
 (ठ) हमारी भारतभूमि कैसी है?
 (ड) ‘अलसकथा’ पाठ में किसका वर्णन है?
 (ढ) ‘मंगलम्’ पाठ के आधार पर सत्य का स्वरूप बताएँ ।
 (ण) चन्द्रगुप्त मौर्य के काल में पाटलिपुत्र की रक्षा व्यवस्था कैसी थी?
उत्तर –
(क) शास्त्र मनुष्यों को कर्तव्य और अकर्तव्य का बोध कराता है। कृत्रिम शास्त्र, अर्थात ऋषियों द्वारा लिखे गए शास्त्र तथा वेदरूप शास्त्र, अर्थात ईश्वरप्रदत्त शास्त्र का भी बोध कराता है। ‘रामायण’ कृत्रिम शास्त्र तथा ‘वेद’ वेदरूप शास्त्र है। इसके अतिरिक्त शास्त्र वेदाङ्ग तथा दर्शन एवं वैज्ञानिक शास्त्रों का भी बोध कराता है।
(ख) वेदाङ्ग छः हैं – शिक्षा, कल्प, व्याकरण निरूक्त, छन्द और ज्योतिष ।
(ग) विभिन्न प्रकार के अस्त्रों और प्रक्षेपास्त्रों के आविष्कार विध्वंसक हैं।
(घ) असहिष्णुता अशांति का कारण है और असिष्णुता का कारण है- स्वार्थ और अहंकार। इसके निवारण के लिए स्वार्थ की भावना को बलपूर्वक दूर करना चाहिए। यदि परोपकार के प्रति प्रवृत्ति हो जाती है तो सभी स्वार्थ को त्याग देते हैं।
(ङ) प्रातः काल के समय हिरण समूह के द्वारा जल पीने से मंदाकिनी का जल कलुषित हो गया है।
(च) मध्यकाल में अनेक गलत रीति-रिवाजों से भारतीय समाज दूषित हो गया था। जातिबाद, छुआछूत, अशिक्षा, विधवाओं की दुर्गति आदि अनेका उदाहरण थे जो भारतीय समाज को अंधकूप की ओर ले जा रहे थे। दलित हिन्दू समाज को तिरस्कार कर धर्मपरिवर्तन शुरू कर दिया था।
(छ) रामप्रवेश की प्रतिष्ठा अपने प्रांत में और केन्द्रीय प्रशासन में देखी जा रही है।
(ज) नरक के तीन द्वार हैं- काम, क्रोध और लोभ । ये तीनों द्वार अपने आप को नष्ट कर देता  है। इसलिए इन तीनों को त्याग ही देना चाहिए।
 (झ) कुल की रक्षा वृत्त अर्थात् सदाचार से होती है।
(ञ) जिसके कर्म को सर्दी-गर्मी, भय-आनंद, उन्नति अवनति बाधा नहीं डालते हैं, उसे ही पंडित कहते हैं। इतना ही नहीं, सभी जीवों के रहस्य को जाननेवाला तथा सभी कर्मों के कौशल को जाननेवाला पंडित कहलाता है। मनुष्यों में उपाय जाननेवाला भी पंडित कहलाता है।
(ट) सभी जनों की देशभक्ति श्रेष्ठ, आदर्शस्वरूप होनी चाहिए। तात्पर्य है कि हमारी देशभक्ति श्रेष्ठ हो जिससे कि समस्त विश्व के लोग हमसे प्रेरित हों।
(ठ) भारत महिमा के अनुसार हमारी धरती स्वर्ग के समान है। यहाँ के खेत उपजाऊ एवं वातावरण स्वास्थ्यकर है। गंगा, यमुना के पानी में अमृत बहता है।
(ड) अलसकथा पाठ में महाकवि विद्यापति ने मानवीय गुणों के महत्त्व तथा आलसियों की स्थिति पर प्रकाश डाला है। वीरेश्वर मंत्री गरीबों, अनाथों एवं आलसियों की मदद करते थे। लेखक के अनुसार आलसियों का जीवन अत्यधिक कष्टकारक है। वे अपने जीवन की रक्षा भी दयावान व्यक्ति के बिना नहीं कर सकते हैं। आलस्य मनुष्य का सबसे बड़ा शत्रु कहा गया है, जो सर्वथा त्याग करने योग्य है।
(ढ) मंगलम् पाठ में सत्य के विषय में कहा गया है कि सत्य का मुख सोने के आवरण से ढँका हुआ है। इसलिए ईश्वर से प्रार्थना की गई है कि हे प्रभु उस माया रूपी स्वर्ण को हटा दीजिए जिससे सत्य का ज्ञान हो सके अर्थात् परमपिता परमेश्वर से साक्षात्कार हो सके।
(ण) चंद्रगुप्त मौर्य के समय पाटलिपुत्र की रक्षा-व्यवस्था काफी मजबूत थी। यह सुंदर नगर था। अशोक के शासनकाल में इस नगर का वैभव और अधिक समृद्ध हुआ। एक यूनानी राजदूत ने अपनी पुस्तक में इसकी चर्चा की है। उन्होंने लिखा है कि यह नगर दर्शनीय है।

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