निम्नलिखित में से किन्हीं आठ प्रश्नों के उत्तर दें
प्रश्न- निम्नलिखित में से किन्हीं आठ प्रश्नों के उत्तर दें
(क) पाटलिपुत्र की विशेषताओं का वर्णन करें।
(ख) कर्ण के प्रणाम करने पर शक्र ने उसे दीर्घायु होने का आशीर्वाद क्यों नहीं दिया?
(ग) विद्वान् मृत्यु को कैसे पराजित करते हैं ?
(घ) पाटलिपुत्र का पुष्पपुर या कुसुमपुर नाम का उल्लेख कहाँ है ?
(ङ) ‘अलस कथा’ पाठ की विशेषताओं का वर्णन अपने शब्दों में करें।
(च) मंत्री वीरेश्वर की विशेषताओं का वर्णन करें।
(छ) संस्कृत साहित्य के संवर्धन में विजयनगर राज्य के योगदान का वर्णन करें।
(ज) ‘मधुराविजयम्’ महाकाव्य का वर्ण्य विषय क्या है?
(झ) विवाह संस्कार में कौन-कौन से कर्मकाण्ड किये जाते हैं?
(ञ) देवगण किसका गीत गाते हैं और क्यों ?
(ट) ‘भारतमहिमा’ पाठ का उद्देश्य क्या है?
(ठ) समावर्त्तन संस्कार का वर्णन करें।
(ड) प्राचीन समाज में कौन-कौन से प्रमुख दोष थे ?
(ढ) ‘मन्दाकिनीवर्णनम्’ पाठं में श्रीरामचन्द्रजी ने सीता जी को किन-किन सम्बोधनों से सम्बोधित किया है ? कैसे बुरा होता है?
(ण) अनिष्ट से इष्ट की प्राप्ति का परिणाम
उत्तर –
(क) बिहार राज्य की राजधानी पटना का वर्णन भारतीय ग्रन्थकारों के द्वारा ही नहीं विदेशी यात्रा जैसे – मेगास्थनीज फाह्यान आदि ने भी किया है। इस नगर का इतिहास दो हजार वर्ष के आस-पास गिना जाता है। यहाँ धार्मिक क्षेत्र, उद्योग क्षेत्र और राजनैतिक क्षेत्र विशेष रूप से. ध्यानाकर्षक हैं।
(ख) इंद्र जानते थे कि कर्ण को युद्ध में मरना अवश्यंभावी है। कर्ण को दीर्घायु होने का आशीर्वाद देते, तो कर्ण की मृत्यु युद्ध में संभव नहीं थी। वह दीर्घायु हो जाता। कुछ नहीं बोलने पर कर्ण उन्हें मूर्ख समझता। इसलिए, इन्द्र ने उसे दीर्घायु होने का आशीर्वाद न देकर सूर्य, चंद्रमा, हिमालय और समुद्र की तरह यशस्वी होने का आशीर्वाद दिया।
(ग) विद्वान मृत्यु को अपने ज्ञान से पराजित करते हैं। विद्वान अपनी सुझ-बुझ से हर कठिनाई से सामना कर लेते हैं। विद्वान अपने ज्ञान से उद्यमी को धर्मी बना लेते हैं, अपनी वाणी से सबको अपनी ओर आकर्षित कर लेते हैं ।
(घ) पाटलिपुत्र का पुष्पपुर या कुसुमपुर नाम का उल्लेख प्राचीन संस्कृत ग्रंथों और पुराणों में हुआ है।
(ङ) ‘अलसकथा’ पाठ में महाकवि विद्यापति ने मानवीय गुणों के महत्त्व तथा आलसियों की स्थिति पर प्रकाश डाला है। वीरेश्वर मंत्री गरीबों, अनाथों एवं आलसियों की मदद करते थे। लेखक के अनुसार आलसियों का जीवन अत्यधिक कष्टकारक है। आलस्य मनुष्य का सबसे बड़ा शत्रु कहा गया है, जो सर्वथा त्याग करने योग है।
(च) मन्त्री वीरेश्वर स्वभाव से दानशील एवं कारुणिक थे। सभी निर्धनों एवं अनाथों को प्रतिदिन इच्छा भोजन दान करवाते थे। वे आलसियों को भी दानस्वरूप अन्ऩ ओर वस्त्र देते थे। इस प्रकार वीरेश्वर मानवीय गुणों से युक्त मंत्री थे।
(छ) विजयनगर राज्य के राजाओं ने संस्कृतसाहित्य के संरक्षण के लिए जो प्रयास किए थे, वे सर्वविदित हैं। उनके अंतःपुर में भी संस्कृत-रचना में कुशल रानियाँ हुईं। इनमें कम्पण राय की रानी गङ्गादेवी तथा अच्युताराय की रानी तिरुमलाम्बा प्रसिद्ध हैं। इन दोनों रानियाँ की रचनाओं में समस्त पदावली और ललित पद-विन्यास के कारण संस्कृत गद्य शोभित होता है।
(ज) ‘मधुराविजयम्’ महाकाव्य का वर्ण्य विर्ष हैं: विजयनगर के राजाओं ने संस्कृत भाषा के संरक्षण में अपूर्व योगदान दिया है। उनके अन्तःपुर में रानियाँ भी संस्कृत पदावलियों में संलग्न थीं। यह महाकाव्य संस्कृत साहित्य की अमूल निधि है।
(झ) विवाह संस्कार में वाखदान, मण्डपनिर्माण, वरपक्ष स्वागत, वर-वधू परस्पर निरीक्षण, कन्यादान, अग्नि की स्थापना पाणिग्रहण, धान के लावे से हवन, सप्तपदी अर्थात् पति के साथ पत्नी का अल्पना पर पैर रखना, सिन्दूरदान आदि कर्ममाण्ड किये जाते हैं ।
(ञ) देवगण भारत देश का गुणगान करते हैं क्योंकि भारतीय भूमि स्वर्ग और मोक्ष प्राप्त करने का साधन है।
(ट) भारतमहिमा पाठ में पौराणिक और आधुनिक पद्य संकलित हैं। इन सभी पद्यों का उद्देश्य भारत और भारतीयों की विशेषताओं का वर्णन करना है।
(ठ) समावर्तन संस्कार का उद्देश्य शिष्य को गुरु उपदेश देकर घर भेज देते हैं। उपदेश में प्रायः मानव धर्म की शिक्षा दी जाती है। जैसे- -सच बोलो, धर्मानुकूल आचरण करो तथा अपनी विद्वता पर घमंड मत करो।
(ड) प्राचीन समाज में सती प्रथा, बाल विवाह, शिक्षा का अभाव, जाति प्रथा और छुआ-छूत जैसे प्रमुख दोष थे।
(ढ) ‘मंदाकिनीवर्णनम्’ पाठ में श्री रामचन्द्रजी ने सीताजी को ‘हे सुन्दर नेत्रवाली सीते!’ ‘परमपावनी गंगा’ जैसे सम्बोधनों से सम्बोधित किया है।
(ण) अनिष्ट के संसर्ग से सलाभ में भी शुभगति नहीं होती क्योंकि विष के संसर्ग से अमृत हुए भी मृत्यु निश्चित है।
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